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नमस्कार दोस्तों मै रश्मि आज फिर से आपके सामने अपनी कहानी का अगला भाग लेकर आई हूं। अब तक आपने पढा कि, मुझे भैया और संजू ने मिलकर उसके किसी और दोस्त से चुदवा दिया और उससे पैसे भी लिए। इसका मतलब मै उनके लिए अब रंडी का काम करने लगी थी। मुझे अपने आप पर अब घृणा आती थी, कि मै ऐसा सोच भी नही सकती और इन्होंने मुझसे यह सब करवाया। मै उनसे काफी नाराज थी, उस दिन के बाद मैने उन्हें अपने बदन को छूने तक नही दिया। लेकिन फिर चुत की आग के सामने मुझे झुकना पडा, और वहीं मैने एक और गलती कर दी।
संजू अपने किसी दोस्त से मुझे चुदवा रहा था, और उसके जाने के बाद जब भैया कॉलेज से आ गए, मैने उनसे पूछा कि, क्या यह आपका प्लान था? तो उन्होंने भी हां कह दिया और अपने बैग से पैसे निकालकर मुझे दिखाने लगे।
लेकिन मुझे अब पैसों से कोई मतलब नही था, मैने उसी दिन से भाई और संजू से मनमुटाव कर लिया। उन दोनों की लाख कोशिशों के बावजूद मैने उनको अपने शरीर तक को छूने नही दिया। मुझे बार-बार वह पैसों वाली बात याद आ जाती, जिससे मुझे लगता कि, यह मै किस दलदल में आकर फंस गई। लेकिन भैया थे कि, अपनी हरकतों से बाज नही आते थे। रोज मेरे पास आकर मुझे मनाकर उत्तेजित करने की कोशिश करते, और हर बार मै उन्हें भगा देती थी। यही सिलसिला दो हफ़्तों तक चला, फिर मुझसे खुद को रोक पाना थोडा मुश्किल सा लगने लगा था।
एक दिन शाम के समय मेरी चुत में कुछ ज्यादा ही खुजली होने लगी थी, अभी तक भैया भी कॉलेज से आए नही थे। तो मैने सोचा भैया के आने से पहले ही चुत की खुजली को शांत कर देती हूं। तो खुजली को शांत करने के लिए मैने अपने हाथ का सहारा लिया और अपनी शॉर्ट में हाथ घुसाकर चुत में उंगली करने लगी। मै अपने खयालों में इतना खो गई कि, मुझे पता ही नही चला कब भैया कमरे में आ गए। कमरे में आकर भैया ने दरवाजा लगा दिया, जिसके आवाज की वजह से मैने आंखे खोलकर देखा तो भैया थे। फिर भैया मेरे पास आए और उन्होंने मेरे शॉर्ट को मेरे पैरों से अलग कर दिया।
मै अब उनको रोकने की स्थिती में नही थी, मुझ पर पूरी तरह से चुदास हावी हो चुकी थी। मै चाहकर भी उनको अपने शरीर के पास आने से रोक नही पाई। भैया ने शॉर्ट के बाद मेरी पैंटी को भी खींचकर घुटनों के नीचे तक ला दिया। उसके बाद, उन्होंने मेरी चुत से मेरे हाथ को हटाकर अपना मुंह वहां लगा दिया, और अपनी जीभ को मेरी चुत के अंदर बाहर करने लगे। भैया के इस तरह से चुत चुसाई करने की वजह से मेरी चुत की खुजली कम होने की बजाय खुजली और भी ज्यादा बढ रही थी, तो मै अपने आप ही अपनी कमर उचका रही थी।
थोडी देर में ही भैया ने अपनी पैंट से लौडा बाहर निकाल लिया और सीधे मेरी चुत में घुसाकर मेरी ठुकाई करने लगे। मेरी इतने दिनों की मेहनत कुछ ही पलों में खराब हो गई थी। उस समय तो मै भैया की पीठ में अपने नाखून गाडते हुए अपनी कमर उचकाकर खुद ही चुदवा रही थी।
उस दिन की भैया को फिर से लगा कि, अब सब कुछ पहले जैसा हो गया है। उसी रात भैया ने फिर से मुझे चोदा और मेरी गांड भी मारी। कुछ दिनों तक तो सिर्फ भैया ही मुझे रात में चोदते रहे, संजू को मैने फिर भी अपने शरीर को हाथ लगाने से मना कर दिया था। तो उसका हमारे घर आना काफी हद तक कम हो गया था। भैया के मन मे कुछ और ही खिचडी पक रही थी, वो मै समझ नही पाई। अब भैया और मेरे बीच सब कुछ पहले की तरह चलने लगा था। एक दिन भैया ने मुझसे कहा, "आज अच्छे से तैयार हो जाना, मेरे आने के बाद बाहर चलना है।"
मुझे लगा बाहर मतलब कुछ खरीदना होगा या फिर कहीं घूमने के लिए मुझे बाहर ले रहे होंगे। तो मै भैया के आने तक अच्छे से तैयार होकर उनका इंतजार करने लगी। भैया आते ही फ्रेश हो गए और हम भैया की बाइक पर बैठकर निकल पडे। मै भैया से पूरे रास्ते पूछती रही कि, वो मुझे कहां ले जा रहे है?
लेकिन उन्होंने मेरी बात का कोई जवाब नही दिया और अपना ध्यान गाडी चलाने पर रखा। भैया ने गाडी को एक शहर के बहुत ही अच्छे वाले इलाके में घुसा दिया और एक आलीशान घर के सामने गाडी रोककर मुझसे कहा, "आज मेरे एक दोस्त का जन्मदिन है, तो उसकी पार्टी है यहां।"
इस बात पर मुझे कोई आपत्ति तो थी नही, तो हम दोनों गाडी पार्क करके घर के अंदर दाखिल हो गए। अंदर जाकर देखा तो पार्टी जैसा कोई माहौल वहां मुझे नही दिखा। लेकिन फिर भी मै भैया के साथ चलती रही, फिर उनका एक दोस्त हमारे पास आया, जिसका यह घर था। भैया ने हमारा परिचय करवाया, और भैया ने फोन का बहाना करके हम दोनों को वहां अकेला छोडकर कहीं और निकल गए। भैया के इस दोस्त का नाम अमन था, और वो बहुत अमीर था, जो उसके घर से साफ पता चल रहा था। अमन मुझे छूने का कोई भी बहाना नही छोड रहा था।
अमन मेरे पास आने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मैने उसे अपनी तरफ से अब तक कोई सिग्नल नही दिया था। फिर थोडी देर बाद, मुझे भैया ने फोन करके बोला, "मुझे कुछ अर्जेंट काम आ गया है, तुम दोनों बातें करो, मै कुछ देर में आता हूं, फिर घर चलेंगे।"
मुझे तो कुछ समझ नही आ रहा था, कि हो क्या रहा है? मैने जैसे ही फोन रखा, अमन ने मेरा हाथ पकडकर मुझसे कहा, चलो मै तुम्हे अपना कमरा दिखाता हूं। हैरानी की बात यह थी, कि इस पूरे घर मे अभी तक मुझे अमन के अलावा और कोई नही दिखा था। अमन मेरा हाथ पकडकर मुझे लगभग खींचते हुए अपने कमरे में ले गया।
उसका कमरा बहुत ही आलीशान था, ऐसा लग रहा था जैसे किसी राजा के लिए यह कमरा बनाया गया हो। कमरे के बीचोबीच एक डबलबेड था, और वहां से बालकनी भी मस्त नजारा पेश करती थी। मै जैसे ही बेड पर बैठी अमन ने अपना शर्ट उतार दिया और मेरे पास आकर मुझे अपनी बाहों में भर लिया। अमन का शरीर भी कसरती था, उसे देखकर मेरा मन भी तो डोलने लगा था। मै भी जाने-अनजाने में उसकी तरफ आकर्षित हो चुकी थी। उपर से इतने आलीशान महल में इतने आराम से सारे मजे उठाने का मौका मै कैसे छोड सकती थी।
उसने मुझे अपनी बाहों में भरकर मेरे होठों पर अपने होंठ दबाकर मुझे चूमने लगा। मै भी उसका साथ दे रही थी, मेरे हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे। जैसे ही उसने देखा कि, मै उसका विरोध नही कर रही हूं, उसने मुझसे अलग होते हुए पहले अपने सारे कपडे उतार दिए और अब वो सिर्फ चड्डी में था। फिर वो मेरे पास आया और मेरे भी सारे कपडे उतार दिए। अमन से मेरी ब्रा का हुक नही खुल रहा था, तो उसने मेरी ब्रा को फाड ही दिया। ब्रा फाडने के बाद तो जैसे उस पर कोई शैतान हावी हो गया उसने मेरी पैंटी में अपना हाथ घुसाया और पैंटी को भी फाडकर मेरे बदन से अलग कर दिया।
मुझे अब उससे थोडा डर लगने लगा तो मैने उसे रोकने की कोशिश की। मै अपना हाथ उसके लंड पर ले जाकर चड्डी के ऊपर से ही उसके लंड को मसल रही थी। मेरी तरफ देखकर वो बिस्तर पर सीधा होकर लेट गया, और मै उसके पैरों के बीच आकर उसकी चड्डी को उतार दिया। चड्डी को उतारते ही अंदर से उसका लंड पूरा तनकर एक झटके में ही बाहर आ गया। अब मैने नीचे झुककर पहले उसके लंड को चूम लिया, फिर उसकी चमडी को पीछे करके टोपे पर अपनी जीभ फिराने लगी। तभी अमन ने अपने हाथ मेरे सर के पीछे लाकर मेरे मुंह मे अपना लंड ठूंस दिया।
अब मै पूरे मजे से उसके लंड को चूसे जा रही थी, और वो भी कभी मेरे स्तनों को मसलता तो कभी नीचे से अपनी कमर उचकाकर पूरा लंड मेरे गले मे उतार देता। थोडी देर उसका लंड चूसने के बाद उसने मुझे नीचे लिटाया और मेरी चुत चाटने लगा। शायद उसे मेरी चुत चाटना पसन्द नही आया या फिर उससे अब खुद को रोक पाना असंभव था। तो उसने सीधा अपना लंड हाथ मे लिया और मेरी चुत के द्वार का निशाना बनाकर लंड को मेरी चुत में घुसा दिया।
अब तक मैने इतने लंड अंदर लिए थे, तो अब तकलीफ होने का कोई चांस ही नही था। लेकिन अमन को मजा देने के लिए मै अपने मुंह से दर्द भरी आवाजें निकालती रही। अमन को शायद बहुत दिनों बाद चुत मिली थी, और वो उससे पूरा रस निचोडकर पी जाना चाहता था। वह बिना रुके तेज धक्के मारता रहा, और फिर उसने मुझे घोडी बनने को कहा। मेरे घोडी बनते ही वह मेरे पीछे आ गया, और मेरे पीछे से उसने मेरी चुत में अपना लंड पेल दिया। और फिर से मुझे जोर जोर से चोदने लगा।
उस दिन अमन ने मुझे रात के दस बजे तक अलग अलग आसनों में चोदा, और फिर मेरे भैया को फोन करके बुला लिया। फोन कट होने के तुरंत बाद ही भैया कमरे में दाखिल हो गए, तो अमन ने उठकर तिजोरी से पैसे निकालकर भैया के हाथ मे थमा दिए। और इस तरह से फिर एक बार मै अनजाने में रंडी बनकर चुद गई।
यह मेरी सच्ची कहानी है, आपको अगर कुछ कहना हो तो आप इस कहानी के कमेंट सेक्शन में लिखकर मुझसे बात कर सकते है। धन्यवाद।
 
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