मर्दों का लंड भी कुत्ते से कम नहीं

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आज मैं चौधरी अपने मोटे तने लंड से मस्तानी चुदाई का यादगार किस्सा सुनाने जा रह हूँ और उम्मीद करता हूँ सारे पढ़ने वाले को यह किस्सा उत्तेजित और आपके पूरे मन को हिला - डूला कर रख देगा | आज मैं आपको एक सदया नाम की लड़की के बारे में बता रहा हूँ जिससे मेरी मुलाकात अपने शहर के पार्क में हुई थी | वहाँ वो अपनी कुतिया को घुमाने लायी ओतर मैं अपने कुत्ते को जहां मेरे कुत्ता उसकी कुतिया की चुत को सूंघने लगा | वो शर्माने लगी और वहाँ से जाने लगी तभी मैंने उसे अपने कुत्ते के तरफ से माफ़ी मांग ली और इसी बहाने हमारी बातें भी शुरू हो गयी |

अब तो हमारी रोज मुलकात हुआ करती और रोज हम बातें किया करते थे | एक दिन जब हम अपने घर जा रहे थे उसने अचानक देखा की उसका घर बंद था और तभी मैं उसे अपने घर ले गया ताकि वो कुछ देर इन्तेज़ार करने लगे | अब उसकी कुतिया और मेरा कुत्ता एक साथ बैठे हुए थे | मैंने बातों के कुछ देर बाद देखा की वो दोनों चुद्दम - चुदाई कर रहे थे | मेरे कुत्ता उसकी कुतिया के उप्पर चडा हुआ था और मस्त वाले झटके देते हुए उसकी चुत को पेल रह था | अब उन्हें देखते - देखते हमें भी मज़ा आने लगा था | मैंने भी उसके हाथ को पकड़ मसलना शुरू कर दिया |

सदया भी मैं मस्त वाली उत्तेजित हो चुकी थी अपने जस्बातों को रोक ना पाई और मुझसे चिपककर मेरे होठो को चूमने लगी | मैं उसकी गर्दन को चुमते हुए उसके टॉप के अंदर हाथ उसे निकाल दिया और उसके उसके चुचों को चुमते हुए सहलाने लगा | वो भी पूरी तरह गर्म हो ह्चुकी थी जिसपर मैंने बिस्तर पर उसकी छोटी सी स्कर्ट को उतारने में ज़रा भी देरी नहीं की | हमारे कुत्ता - कुतिया अभी तक चुदाई करे रहे थे और मैं उसकी पैंटी को भी उतार उसकी चुत को चाट रहा था | कुछ देर बाद मैंने अब उसे भी बिलकुल उसकी कुतिया की तरह वही मुद्रा में दिया |

मैं उसे अब पीछे से कुत्ता बा उसी चुत को चाट रहा था और साथ ही उसकी चुत में अपनी ऊँगली भी घुमा रहा था | जब मुझसे रहा ना गया तो मैंने भी कतई अपने कुत्ते की तरह उसके पीछे चड गया और और उसके चुत पर अपने लंड को लगाते हुए झटके देने लगा | मेरे लंड के अंदर जाते ही सदया जोर - जोर की चींखें लेने लगी जिससे मेरा मन अब तो उसकी और जमकर चुदाई करने का करने लगा | मैं बुआ अब दोनों हाथों से नीचे से उसके चुचों को भींचते हुए उसकी चुदाई बिलकुल अपने कुत्ते की तरह उसे जकडकर करने लगा था |

हमारे मज़े का अब कोई ठिकाना ना था और वो भी अपनी कुतिया की तरह आंहें भरने लगी थी | कुछ देर बाद मैंने देखा की मेरा लंड बिलकुल लाल गया और अचानक सारा वीर्य उसकी चुत पर छूट गया | अब मैं वहीँ लेटकर उसकी चुत चाट रहा था और हमारे कुत्ते भी हमारी दशा को देख रहे थे | उस दिन के बाद से हम रोज शाम को पार्क में चुम्मा - चाटी और कभी चुदाई किया करते |
 
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