मां जी आप सब जानती हैं

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Antarvasna, hindi sex stories अपने पति की मृत्यु के बाद मैं घर में अकेली हो गई थी मेरे पति की यादें अब भी हमारे पुराने घर में थी इसलिए मैं घर छोड़कर कहीं जाना ही नहीं चाहती थी लेकिन उसके बावजूद भी मुझे घर छोड़ कर जाना पड़ा। मेरी उम्र भी अब 60 वर्ष के ऊपर हो चुकी थी और मेरे दोनों बच्चे मुझसे दूर रहते थे। मेरी लड़की की शादी हो चुकी थी और मेरा लड़का जो कि अब मुंबई में रहता है वह मुझे कहने लगा मां आप हमारे पास आ जाओ। मैं भी उसे मना ना कर सकी और मुंबई चली गई लेकिन जब मैं मुंबई गई तो मुझे थोड़ा अजीब सा महसूस होने लगा क्योंकि मुझे मुंबई में बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था परंतु फिर भी मुझे मुंबई में रहना ही था। आस पड़ोस के घर ऐसे लगते कि जैसे मानो एक ही दीवार के आसपास हो। मैं अपने आप को अकेला महसूस किया करती आस पड़ोस में कोई भी नहीं होता था इसलिए मुझे कई बार लगता कि मैं अकेली कहां जाऊं मैं घर की चारदीवारी में कैद होकर ही रह गई थी।

मेरा लड़का और मेरी बहू दोनों ही नौकरी पर चले जाया करते थे मेरे बेटे का नाम आकाश है और बहू का नाम सुनैना। आकाश और सुनैना ने मुंबई में ही लव मैरिज की थी और सुनैना का परिवार पहले से ही मुंबई में रहता है इसलिए वह शायद कभी मेरे पास आना ही नहीं चाहती थी। घर में ही पड़े पड़े होने की वजह से वह चाहते थे कि मैं मुंबई में आ जाऊं लेकिन मुंबई में मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता मुझे ऐसा लगता जैसे कि मुझे मुंबई काट खाने को दौड़ रहा है। एक दिन जब मैं अपने बच्चों के साथ घूमने के लिए गई तो मुझे थोड़ा अच्छा महसूस हुआ और लगा कि काश कोई होता जिसके साथ मैं कभी बाहर घूमने जा पाती। मेरा समय घर पर बिल्कुल भी व्यतीत नहीं होता था और जब भी मैं घर से बाहर जा कर देखती तो सारे दरवाजे बंद रहते थे कोई भी आसपास दिखाई नहीं देता था ऐसा लगता था मानो कोई रहता ही नहीं है मैं घर पर अकेली ही रहती थी। एक दिन मैंने सोचा क्यों ना कि खुद ही बाहर टहल आती हूं शाम का वक्त था मैं दरवाजे का ताला लगा ही रही थी कि पड़ोस से कुछ आवाज सुनाई देने लगी। मुझे लगा कि शायद कोई पड़ोस में रहता होगा लेकिन कोई भी बाहर नहीं आया वह लोग अंदर ही अपने घर में कुछ बात कर रहे थे मैं वहां से लिफ्ट के पास आई और लिफ्ट से मैं नीचे चली गयी।

जब मैं लिफ्ट से नीचे गई तो मैंने देखा वहां पर कुछ लोग टहल रहे थे और बच्चे भी खेल रहे थे मुझे उन्हें देख कर थोड़ा अच्छा लगने लगा लेकिन अकेलापन तो था ही और मैं वहां से थोड़ी सी आगे चली गयी। जब मैं थोड़ा आगे आई तो मैंने देखा मेन रोड सामने ही है और वहां पर दौड़ती हुए तेज रफ्तार से गाड़ियां देख कर मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा था। मैं छोटे शहर की रहने वाली थी हमारे शहर में इतनी गाड़ियां नहीं थी जितने की मुंबई में दिखाई पड़ती थी मैं यह सब देखता वापिस फ्लैट में चली आई। मैं जब फ्लैट में आई तो मैंने देखा कुछ बच्चे खेल रहे थे और उन्हें देखकर मैं सोचने लगी कि बचपन में कैसे आकाश भी खेला करता था और हम लोग उसे हमेशा खेलने से रोका करते। पुराने चित्र मेरी आंखों के सामने थे और मैं यही सोच रही थी कि काश वह पुराने दिन दुबारा से लौटाते तो कम से कम मैं अपने पति के साथ रहती। मैं जब लिफ्ट से ऊपर 4 माले पर आई तो मैं अपने फ्लैट का ताला खोल रही थी तभी पड़ोस में रहने वाली एक 30, 32 वर्ष की महिला मुझे कहने लगी क्या आप आकाश जी की मां है। मैंने कहा हां मैं आकाश की मम्मी हूं वह कहने लगी माता जी आप कब आए मैंने उन्हें कहा मुझे आए तो एक महीने से ऊपर हो चुका है। वह मुझे कहने लगे कि आप क्या घर में अकेली ही रहती हैं तो मैंने उन्हें कहा हां बेटा मैं तो घर पर अकेली रहती हूं वह मुझे कहने लगी तो आपका समय घर में कैसे बीतता है। मैंने उन्हें बताया कि बेटा बस ऐसा ही अब मैं क्या बताऊँ बहू और आकाश तो सुबह काम पर चले जाते हैं और शाम के वक्त लौटते हैं मैं बूढ़ी घर पर अकेली क्या करूं तो सोचा आज टहल आती हूं। वह मुझे कहने लगे कि माजी आप मेरे साथ बैठने के लिए आ जाया कीजिए मैंने उसे कहा बेटा तुम्हारा नाम क्या है। वह कहने लगी मेरा नाम मीना है मैंने मीना से कहा ठीक है बेटा मैं कल से तुम्हारे घर पर आ जाया करूंगी मीना ने मुझे अपना फ्लैट बता दिया था उसका फ्लैट हमसे दो फ्लैट छोड़कर ही था।

मैंने मीना से कहा मैं तुम्हें कल मिलने के लिए आऊंगी और यह कहते हुए मैंने दरवाजे को बन्द कर लिया और मैं कुछ देर सोफे पर बैठी हुई थी। मेरी कमर में भी काफी दर्द होने लगा था मैंने आकाश को फोन किया तो आकाश कहने लगा मां मैं आपके लिए दवाई लेता हुआ आऊंगा। मैंने आकाश को पूछा तुम कब तक आओगे तो आकाश कहने लगा मुझे आने में तो देर हो जाएगी लेकिन सुनैना कुछ देर बाद आती ही होगी। मैं सुनैना का इंतजार करने लगी लेकिन सुनैना अभी तक ऑफिस से नहीं आई थी जैसे ही सुनैना ऑफिस से आई तो वह मुझे कहने लगी मम्मी आप कहीं बाहर घूमने के लिए नहीं गए। मैंने सुनैना में कहा बेटा मैं बाहर टहलने के लिए चली गई थी लेकिन बाहर काफी ज्यादा गाड़ियां चल रही थी तो सोचा घर पर ही आ जाती हूं। सुनैना मुझसे कहने लगी आकाश कह रहे थे कि आप के कमर में दर्द हो रहा है लाइए मैं आपकी कमर की मालिश कर देती हूं। मैंने सुनैना से कहा कोई बात नहीं बेटा आकाश ने कहा था कि वह दवाई ले आएगा मैं अंदर जा कर आराम कर लेती हूं। मैं रूम में चली गई और आराम करने लगी मैं आकाश का इंतजार कर रही थी कि आकाश कब आएगा लेकिन आकाश आया ही नहीं था और जब तक आकाश आया तब तक मैं सो चुकी थी शायद आकाश ने भी मुझे उठाया नहीं।

अगली सुबह आकाश मुझसे कहने लगा कि मैं आपके लिए दवाई को ले आया था लेकिन आपकी आंखें लग गई थी और आप सो चुकी थी इसीलिए मैंने आपको नहीं उठाया। मैंने आकाश से कहा कोई बात नहीं बेटा आकाश कहने लगा अब आपकी कमर का दर्द कैसा है मैंने आकाश से कहा बेटा दर्द तो ठीक है। आकाश और सुनैना उस दिन भी अपने ऑफिस जा चुके थे सिर्फ वह लोग रविवार के दिन ही घर पर रहते थे मैंने सोचा मैं पड़ोस की मीना के घर चली जाती हूँ। मैं पड़ोस में मीना के घर चली गई और वहीं पर मैं काफी देर तक बैठी रही मीना का साथ पाकर मुझे अच्छा लगा और ऐसा लगा कि जैसे काफी समय बाद किसी के साथ बात करने का मौका मिला है। मैंने अपने दिल की सारी बात मीना से कह दी मैंने मीना को अपने बारे में सब कुछ बता दिया था की किस प्रकार से मेरे पति की मृत्यु हुई और उसके बाद मैं अकेली हो गई। मैंने मीना से कहा अभी तो मैं चलती हूं लेकिन जब मैं मीना के पास दोबारा मिलने के लिए गई तो उस दिन वह अपने घर में अपनी योनि के अंदर पता नहीं कोई यंत्र ले रही थी। मैं यह देख कर बाहर जाने की कोशिश करने लगी तभी उसने वह छुपाते हुए मुझे कहा मां जी आप आ जाइए और मै अंदर चली गई। कुछ देर वह मेरे साथ बैठी रही है और थोड़ी देर बाद एक नौजवान युवक आया जब वह आया तो मीना कहने लगी आप यही बैठिए यह मेरे देवर हैं लेकिन मुझे क्या मालूम था कि वह मीना का देवर नहीं है उसका कोई चाहने वाला है। मैं बाहर हॉल में बैठी हुई थी तो मीना अंदर रूम में चली गई और वहां से बड़ी तेज आवाजे आ रही थी। मैंने जब दरवाजे को थोड़ा सा खोलते हुए अंदर झाकने की कोशिश की तो अंदर साफ दिखाई देने लगा मैंने अंदर देखा मीना के ऊपर वह नौजवान युवक चढ़ा हुआ था। वह जिस प्रकार से मीना की चूत मार रहा था उससे मेरी जवानी मुझे याद आने लगी और मुझे लगने लगा कि काश मेरे पति भी मेरे पास होते।

मीना उसके नीचे लेटी हुई थी वह नौजवान उसकी योनि के बजे बड़े अच्छे तरीके से मजे ले रहा था कभी वह उसके स्तनों का रसपान करता कभी वह उसके होठों को चूमता। मुझे यह सब देख कर बहुत ही अच्छा लग रहा था लेकिन वह दोनो रुकने का नाम कहां ले रहे थे। जब उसने मीना को घोड़ी बना दिया तो मैं वह सब देखने लगी वह युवक उसको धक्के मार रहा था जैसे कि उसे बेहोश कर कर ही छोड़ेगा लेकिन मुझे भी मजा आ रहा था। मीना उसका पूरे तरीके से साथ दे रही थी मैं यह सब देखे जा रही थी जब दोनों का कार्यक्रम खत्म हो गया तो मैंने देखा मीना बाहर आ रही है। मै सोफे पर बैठ गई। जब मीना आई तो मै कहने लगी मीना मै चलती हूं मीना कहने लगी मां जी बैठिए ना मैं आपके लिए भी चाय बना कर लाती हूं। मीना रसोई में चली गई वह चाय बनाने लगी जब मीना चाय बना रही थी तो मैं उस लड़के से बैठ कर बात कर रही थी।

मैंने उससे पूछा अच्छा बेटा तुम क्या करते हो तो वह कहने लगा मां जी मैं अभी नौकरी की तलाश कर रहा हूं और देखता हूं कहीं जल्द ही नौकरी लग जाएगी। मैंने उसे कहा तुम्हारी नौकरी जल्द ही लग जाएगी और थोड़ी देर बाद मीना चाय बनाकर ले आई। जब वह चाय बनाकर लाई तो मैं सब देख रही थी वह दोनों किस प्रकार से एक दूसरे से अपनी नजरे मिला रहे थे। मैंने चाय पी और कुछ देर बाद मैं अपने घर पर चली आई मैं जब अपने घर पर आई तो मैंने देखा सुनैना घर पर पहुंच चुकी थी। मैंने सुनैना से पूछा आकाश क्या अभी तक नहीं आया तो वह कहने लगी नहीं मां जी अभी तक आकश नहीं आए है। मैंने सुनैना को पूरी बात बताई और कहा तुम्हारे पड़ोस में जो मीना रहती है उसका एक लड़के के साथ चक्कर चल रहा है और आज मैंने उन दोनों के बीच हुए सेक्स संबंध को देख लिया। सुनैना चौक गई और मुझे से कहने लगी मां जी आप भी ना कमाल है।
 
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