सुरभि अपने आप को रोक न सकी

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Antarvasna, sex stories in hindi: मां ने मुझे कहा कि राजीव बेटा तुम क्या हमारे साथ शादी में चल रहे हो मैंने मां को कहा की मां मैं शादी में नहीं आ पाऊंगा क्योंकि मुझे ऑफिस से छुट्टी नहीं मिल पाएगी। हमारे किसी करीबी रिश्तेदार की शादी थी और मां चाहती थी कि मैं भी शादी में जाऊं लेकिन मैं लखनऊ शादी में नहीं जा पाया। मैंने पापा मम्मी की टिकट करवा दी थी पापा मम्मी और मेरा छोटा भाई लखनऊ से जा रहे थे और उन्हें छोड़ने के लिए मैं उस दिन रेलवे स्टेशन तक भी गया था।

मैं उन्हें छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन गया और फिर मैं वहीं से अपने ऑफिस चला गया था क्योंकि उनकी ट्रेन सुबह की थी इसलिए मैं उन्हें छोड़ कर अपने ऑफिस पहुंच चुका था। मैं ऑफिस में काम कर रहा था उस दिन मुझे समय का पता ही नहीं चला कि कब शाम हो गई। अब शाम हो गई तो मैं घर लौट आया और जब मैं घर पहुंचा तो मुझे काफी अकेला महसूस हो रहा था मैंने मां को फोन किया तो मां ने मुझे कहा कि बेटा हम लोग अभी तो रास्ते में ही हैं।

वह लोग कुछ देर बाद लखनऊ पहुंचने वाले थे उस दिन मैं घर पर अकेला ही था और अगले दिन मैं सुबह ऑफिस चला गया था। जब मैं ऑफिस गया तो उस दिन मेरे ऑफिस में काम करने वाले रोहित ने मुझसे कहा कि आज मेरा जन्मदिन है। मैंने उसे कहा मुझे तो तुम्हारा जन्मदिन याद ही नहीं था वह मुझे कहने लगा कि राजीव तुम्हें तो कुछ भी याद नहीं रहता।

रोहित मेरा बहुत ही करीबी दोस्त है मैंने उसे उसके जन्मदिन की बधाई दी तो उसने मुझे कहा कि आज शाम को उसने एक पार्टी अरेंज की है तो उसने मुझे भी उस पार्टी में इनवाइट किया। जब शाम के वक्त मैं रोहित की पार्टी में गया तो वहां पर मैं काफी इंजॉय कर रहा था और उस रात को जब मैं घर आया तो मुझे काफी देर हो गई थी। मैंने काफी शराब भी पी ली थी जिस वजह से मुझे थोड़ा नशा भी हो चुका था और मैं नशे में था। कुछ दिनों के बाद पापा और मम्मी भी वापस लौट आए थे। एक दिन मैं सुबह अपने ऑफिस के लिए निकला ही था कि मेरी मोटरसाइकिल खराब हो गई तो मैं उस दिन बस से ही ऑफिस जाने वाला था।

मैं बस स्टॉप पर खड़ा बस का इंतजार कर रहा था मैं बार-बार अपनी घड़ी में समय देख रहा था मुझे बहुत टेंशन सता रही थी कि कहीं मुझे ऑफिस जाने के लिए देरी ना हो जाए। जैसे ही बस आई तो मैं बस में चढ़ गया मैं जब बस में चढ़ा तो उसके बाद मुझे बैठने के लिए सीट मिल गई थी। मैं जिस सीट पर बैठा हुआ था उसी सीट में एक लड़की भी बैठी हुई थी जो कि मुझे बार बार देखे जा रही थी और मैं भी उसकी तरफ देखता तो मुझे अच्छा लगता। मुझे वह लड़की इतनी पसंद आई कि मैं अगले दिन से बस से ही जाने लगा और मुझे वह लड़की हर रोज बस में मिल जाया करती थी। मुझे जब भी वह लड़की मिलती तो मुझे बहुत अच्छा लगता। ऐसा एक महीने तक चलता रहा एक महीने तक मैं उस लड़की से बात भी नहीं कर पाया। ना तो वह मुझसे बात कर पाई और ना ही मैं उससे बात कर पाया लेकिन एक महीने के बाद हमने बात की और अपना परिचय दिया। मैंने उससे हाथ मिलाते हुए कहा कि मेरा नाम राजीव है तो उसने भी मुझे कहा मेरा नाम सुरभि है। सुरभि भी किसी कंपनी में जॉब करती है और यह बात मुझे बड़ी अच्छी लगी कि सुरभि बड़ी ही बिंदास किस्म की है लेकिन मुझे यह बात नहीं मालूम थी कि वह इतना ज्यादा घबरा क्यों रही है।

कहीं ना कहीं उसके दिल में भी कुछ तो चल रहा था और मैं यह जानना चाहता था इसलिए एक दिन जब मैंने सुरभि को अपने साथ चलने के लिए कहा तो सुरभि उस दिन मेरे साथ आ गई। हम दोनों उस दिन कॉफी शॉप में बैठे हुए थे हम दोनों कॉफी पी रहे थे मैं और सुरभि एक दूसरे से बातें कर रहे थे। मैं सुरभि की आंखों में देख रहा था तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था उसे भी बड़ा अच्छा लग रहा था जिस तरीके से हम साथ समय बिता रहे थे। मैं और सुरभि एक दूसरे के साथ बहुत ही ज्यादा खुश थे हम दोनों ने साथ में काफी अच्छा समय बिताया।

उस दिन सुरभि ने मुझे कहा कि राजीव तुम मुझे मेरे घर तक छोड़ दो मैंने भी सुरभि को उसके घर तक छोड़ दिया। मैं उस रात सुरभि से काफी देर तक फोन पर बातें करता रहा हम दोनों की फोन पर बहुत देर तक बातें हुई। जब हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था सुरभि को भी बड़ा अच्छा लग रहा था जब हम दोनों ने उस रात फोन पर काफी देर तक एक दूसरे से बातें की थी। हम दोनों की जिंदगी में सब कुछ अच्छे से चल रहा था और कहीं ना कहीं मैं और सुरभि एक दूसरे से प्यार भी करने लगे थे। हम दोनों एक दूसरे को चाहने लगे थे और हमें एक दूसरे से मिलना अच्छा लगता था।

मुझे तो बहुत ही अच्छा लगता था जब भी मैं और सुहानी साथ में होते हैं और एक दूसरे के साथ समय बिताया करते है। सुरभि और मैं एक दूसरे को बहुत ज्यादा प्यार करने लगे थे अब हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाते थे मुझे कुछ दिनों पहले अपने ऑफिस के काम से जयपुर जाना था और मैं कुछ दिनों के लिए अपने ऑफिस के काम से जयपुर चला गया। मैं कुछ दिनों तक जयपुर में ही रुका तो उस दौरान मैं सुरभि को मिल भी नहीं पा रहा था और मैं काफी ज्यादा परेशान था कि मैं सुरभि को मिल नहीं पा रहा हूं।

मैं सुरभि से मिलना चाहता था लेकिन फिलहाल मेरी उससे सिर्फ फोन पर ही बातें हो पा रही थी। मेरी सुरभि से सिर्फ फोन पर बातें हो रही थी लेकिन मुझे बड़ा ही अच्छा लगता है जब भी हम दोनों एक दूसरे से बातें करते है। समय बड़ी तेजी से बीता जा रहा था हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाते थे हम दोनों एक दूसरे को बहुत ज्यादा प्यार करने लगे थे। यह बात मैं अपने परिवार वालों को भी बताना चाहता था और फिर मैंने अपनी फैमिली को भी यह बात बता दी तो उन्हें भी इस बात से कोई एतराज नहीं था। जब मैंने इस बारे में उनसे बात की तो उनको सुहानी से कोई भी एतराज नहीं था और वह लोग भी बहुत ज्यादा खुश थे।

जब मैंने उन्हें सुरभि से मिलवाया तो सुरभि भी बड़ी खुश थी। सुरभि का हमारे घर पर आना जाना लगा रहता था। जब भी सुरभि घर पर आती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता था। हम दोनों साथ में काफी अच्छा समय बिताया करते थे। एक दिन घर पर कोई भी नहीं था उस दिन हम दोनो घर पर अकेले थे। मेरा मन सुरभि के साथ सेक्स करने का था पहले भी कई बार मेरी बात सुरभि से इस बारे में हो चुकी थी लेकिन अभी तक हम दोनों के बीच में कुछ भी ऐसा नहीं हुआ था जिससे कि मेरे और सुरभि की इच्छा पूरी हो पाती। मैंने सुरभि के होंठों को चूमना शुरू किया वह अपने आपको रोक ना सकी। वह मुझे कहने लगी मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है हम दोनों बहुत ज्यादा गरम हो चुके थे।

मैंने उसके होठों को बहुत देर तक चूमा। सुरभि और मैं पूरी तरीके से गर्म होते जा रहे थे। जब मेरी आ बढ़ने लगी थी मैंने सुरभि से कहा मैं तुम्हारे बदन को महसूस करना चाहता हूं। सुरभि गर्म हो चुकी थी। मैंने सुरभि के सामने अपने लंड को कर दिया। जब मैने उसके सामने अपने लंड को किया तो सुरभि लंड को चूसने लगी।

सुरभि को बहुत ही अच्छा लग रहा था जिस तरीके से वह मेरा साथ दे रही थी। वह पूरी तरीके से गर्म होने लगी थी। जब वह गर्म होने लगी थी मैंने उसे कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जाएगा। सुरभि मुझे कहने लगी मुझसे भी रहा नहीं जाएगा। मैं और सुरभि एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए तड़पने लगे थे। मैंने सुरभि के स्तनों को चूसना शुरू किया वह बहुत गर्म होने लगी थी। वह बहुत ही ज्यादा गर्म होने लगी। जब मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगी मैंने उससे कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है।

सुरभि ने मुझे कहा मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रही हूं। मैंने जैसे ही सुरभि की चूत पर उंगली लगाई वह रह नही पाई उसकी चूत से पानी निकल रहा था। वह मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। मैंने सुरभि की चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया था। उसकी योनि में मेरा लंड जाते ही वह बहुत जोर से चिल्ला कर मुझे बोली मुझे मजा आने लगा है। हम दोनों को बड़ा मजा आ रहा था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे के साथ में सेक्स कर रहे थे।

हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढ़ा रहे थे। मैंने और सुरभि ने एक दूसरे की गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ाकर रख दिया था। जब हम दोनों की गर्म बढने लगी थी तो मैंने सुरभि से कहा मैं तुम्हारी चूत में अपने माल को गिराना चाहता हूं। मैंने सुरभि की चूत के अंदर अपने माल को गिराया तो वह खुश थी। मैने दोबारा उसकी चूत मे लंड को घुसाया वह बहुत जोर से चिल्ला रही थी।

मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है वह पूरी तरीके से गरम होती जा रही थी एक समय ऐसा आया जब मुझे लगने लगा मेरा वीर्य बाहर की तरफ गिरने वाला है। मैंने उसे सुरभि की चूत के अंदर ही गिरा दिया वह खुश हो गई थी। वह मुझे बोली मुझे अच्छा लग रहा है मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो उसकी योनि से मेरा वीर्य बाहर की तरफ को निकल रहा था। हम दोनों ने उसके बाद भी दो बार और सेक्स किया और एक दूसरे की इच्छा को पूरा किया। मैं बड़ा खुश था।
 
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