माल को माला की चूत में घुसेडा

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Antarvasna, hindi sex kahani: मैं कार चलाते वक्त फोन पर बात कर रहा था और मेरा ध्यान सिर्फ फोन पर बात करने पर ही था। मैं अपने दोस्त से फोन पर बात कर रहा था तभी आगे से अचानक से एक बुजुर्ग व्यक्ति आ गये मैं गाड़ी संभाल नहीं पाया और गाड़ी उनसे जाकर टकरा गई और वह घायल हो गए। मैं जल्दी से अपनी गाड़ी से उतरा थोड़ी बहुत चोट मुझे भी लग चुकी थी और मेरी कार का आगे का शीशा टूट चुका था। मैंने जब उन व्यक्ति को उठाया और गाड़ी को स्टार्ट करने की कोशिश की तो गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही थी तभी सामने से एक लड़की बड़ी तेजी से मेरी तरफ आई और कहने लगी कि क्या तुम्हें दिखता नहीं है। मैं उससे कुछ भी नहीं कह पाया और आसपास के लोग मेरी तरफ ही देख रहे थे हालांकि मुझे अपनी गलती का एहसास था इसलिए मैंने उस वक्त उस लड़की से कुछ भी नहीं कहा। वह लड़की उन बुजुर्ग व्यक्ति की ही लड़की थी और वह मुझे कहने लगी कि तुमने पापा को घायल कर दिया है।

मैंने उसे कहा कि तुम धीरज रखो मैं उन्हें अभी अस्पताल लेकर जाता हूं मैंने एंबुलेंस को फोन किया और उन्हें अस्पताल लेकर चला गया। वह लड़की भी मेरे साथ थी लेकिन वह बहुत ज्यादा गुस्से में थी और ना जाने क्या कुछ मुझे कह रही थी मैं उस वक्त बहुत ज्यादा टेंशन में था और मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि मुझे ऐसे में क्या करना चाहिए मेरे पास किसी भी बात का कोई जवाब नहीं था। डॉक्टरों ने जब उन्हें देखा तो उनकी हालत काफी गंभीर हो चुकी थी उन्हें डॉक्टरों ने कुछ ब्लड चढ़ाया और उसके बाद वह थोड़ा ठीक होने लगे डॉक्टर ने उस लड़की को समझाते हुए कहा कि आप चिंता मत कीजिए आपके पापा ठीक हैं। डॉक्टर मुझे कहने लगे कि देखिए हमने पुलिस को फोन कर दिया है अभी पुलिस आती ही होगी आप उन्हें पूरी बात बता दीजिएगा। मैंने डॉक्टर से कहा ठीक है डॉक्टर साहब मैं पुलिस को पूरी बात बता दूंगा थोड़ी देर बाद पुलिस के दो कॉन्स्टेबल और उनके साथ एक स्पेक्टर आए हुए थे उन्होंने मुझसे पूछा कि यह एक्सिडेंट कैसे हुआ।

मैंने उन्हें सारी बात बता दी वह लड़की मेरे पास आई और कहने लगी कि इन्होंने काफी मदद की और पापा को अस्पताल तक पहुंचा दिया पापा वैसे अब ठीक हैं। यदि उन व्यक्ति को कुछ हो जाता तो शायद मेरे ऊपर ही उसका ठीकरा फोड़ा जाता लेकिन मेरी किस्मत अच्छी थी कि वह ठीक थे उन्हें कुछ भी नहीं हुआ था थोड़ी बहुत उन्हें चोटे आई थी और डॉक्टर उनका इलाज कर रहे थे। पुलिस अब वहां से जा चुकी थी लेकिन मैं बहुत ज्यादा घबराया हुआ था वह लड़की मेरे पास आई मुझे लगा कि शायद वह मुझे कुछ कहेगी लेकिन उसने मुझे अपना नाम बताया और कहां मेरा नाम माला है। मैंने माला से कहा मेरा नाम संजीव है उसने मुझे कहा संजीव मुझे मालूम है मैंने तुम्हें ना जाने क्या कुछ कह दिया है लेकिन मैं बहुत ज्यादा टेंशन में थी और बहुत परेशान हो गई थी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैंने माला से कहा कोई बात नहीं तुम्हारे पापा ठीक हो जाएंगे तुम चिंता मत करो माला मुझे कहने लगी कि पापा के अलावा मेरा इस दुनिया में कोई भी नहीं है। माला ने मुझे पूरी बात बताई उसका गुस्सा अब पूरी तरीके से शांत हो चुका था और मुझे इस बात की तसल्ली थी कि कम से कम माला अब मुझे कुछ नहीं कह रही है। उस रात मैं अस्पताल में माला के साथ ही था अगले दिन माला के पिताजी का ऑपरेशन होना था तो ऑपरेशन के लिए मैंने पूरे पैसो का बंदोबस्त कर दिया था। मेरे पापा भी अस्पताल आ गए थे वह मुझे कहने लगे कि बेटा तुम्हें गाड़ी देखकर चलानी चाहिए थी लेकिन उस वक्त शायद उन्होंने मुझे इस से ज्यादा कुछ नहीं कहा। कुछ देर बाद माला के पिताजी का ऑपरेशन हो चुका था इस बात को अब 3 महीने से ऊपर हो चुके थे। मैं माला के घर भी गया था और जब मैं उनके घर पर गया तो मैंने उनके घर की स्थिति देखी तो मुझे बहुत ही बुरा लगा क्योंकि माला के पिताजी ही घर में कामाने वाले थे और माला की दो और बहने हैं तो मुझे इस बात का बहुत ही बुरा लगा। मैंने माला को कुछ पैसे दिए तो वह मुझे कहने लगी कि यह पैसे तुम अपने पास ही रखो मैंने माला से कहा देखो माला तुम इन पैसों को अपने पास रख लो। काफी बोलने के बाद माला ने वह पैसे अपने पास रखे और उसके बाद तो मेरा उनके घर पर आना जाना लगा रहा।

मैं माला के पिताजी का हाल चाल पूछने के लिए उनके घर पर अक्सर चला जाया करता था मुझे इस बात की खुशी थी कि वह पूरी तरीके से ठीक हो चुके थे और उन्होंने मुझे माफ भी कर दिया था। गलती मेरी ही थी मेरी गलती की वजह से बड़ी घटना भी घटित हो सकती थी लेकिन वह घटना फिलहाल तो टल चुकी थी और ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। मैं और माला आपस में बात कर रहे थे तो उसके पिताजी आकर मुझे कहने लगे कि बेटा मुझे तुमसे एक काम था तो मैंने उन्हें कहा हां अंकल जी कहिए ना आपको क्या काम था। वह मुझे कहने लगे कि बेटा यदि तुम्हारी नजर में माला के लिए कहीं अच्छी नौकरी हो तो तुम मुझे बताना मैंने उन्हें कहा क्यों नहीं मैं अपने पापा से आज ही बात कर लूंगा और आपको मैं कुछ दिनों बाद बता देता हूं। कुछ दिनों बाद मैंने माला की नौकरी पापा के एक दोस्त के यहां पर लगवा दी माला बहुत ही खुश थी और माला के पिताजी भी खुश थे। माला के पिताजी अब तक अपने काम पर नहीं लौट पाए थे क्योंकि उन्हें ठीक होने में थोड़ा और समय लगने वाला था माला अब नौकरी करने लगी थी और वही घर का खर्चा चलाया करती थी।

माला बहुत ही खुश थी माला हमेशा ही मुझे कहती कि तुम्हारा मुझ पर बहुत एहसान है। मैंने उसे कहा देखो माला मेरा तुम पर कोई एहसान नहीं है मैं तो सिर्फ तुम्हारा दोस्त होने के नाते मदद कर रहा हूं और मैंने तुम्हारे पापा के साथ भी तो बहुत गलत किया था तुम्हारे पापा अब तक मेरी गलती की सजा भुगत रहे हैं। मैंने जब यह बात माला को कहीं तो वह कहने लगी अब तुम उस बात को भूल भी जाओ उस बात को बहुत समय हो चुका है और उसके बारे में भूलना ही बेहतर होगा। मैंने माला से कहा तुम ठीक कह रही हो मुझे उस बात को भूल जाना चाहिए मैं कई बार यह सोचता हूं कि यदि उस दिन मेरी वजह से तुम्हारे पापा का एक्सीडेंट नहीं हुआ होता तो शायद सब कुछ ठीक रहता। माला ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और उसका हाथ मेरे कंधे से मेरी छाती पर आने लगा मैं उसकी तरफ देख रहा था उसकी आंखों मे प्यार मुझे साफ नजर आ रही थी। मैंने जब माला के हाथ को पकड़ा तो मैंने उसे कहा तुम मेरे कंधे को बढ़ा सहला रही थी वह कहने लगी तुम भी मुझे सहला लो। उसके जवाब से मुझे भी बड़ा अजीब सा महसूस हुआ लेकिन मैंने माला के कंधों को सहलाना शुरू किया और धीरे धीरे मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया था। अब वह पूरी तरीके से गरम हो चुकी थी और उसका शरीर गरमाहट बाहर की तरफ को छोड़ने लगा था हम दोनों ही एक दूसरे को अब प्यार देना चाहते थे। मैंने जब माला के स्तनों को देखा तो मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था मैंने उसके बड़े और भारी भरकम स्तनों को अपने मुंह के अंदर लेते हुए चूसना शुरू कर दिया तो उसे भी अच्छा लगने लगा। वह काफी देर तक मेरा साथ देती रही मैंने उसके स्तनों से दूध भी बाहर निकाल कर रख दिया था जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो माला ने उसे अपने हाथों में लेना शुरू किया पहले तो वहां पड़ा शर्म आ रही थी।

जिस प्रकार से मैंने उसे मनाया और उसके बाद वह मेरे लंड को बड़े अच्छे तरीके से चूसने लगी और उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था मुझे बहुत मजा आता काफी देर तक मैं उसके स्तनों को मै चूसता रहा और उसने भी मेरे लंड को चूसकर मेरी गर्मी को बढ़ा दिया था। हम दोनों एक दूसरे के बदन को देखकर रह ना सके मैंने माला की चूत को कुछ देर तक चाटा और उसके बाद जैसे ही मैंने उसकी नरम और मुलायम चूत पर अपने लंड को धीरे धीरे अंदर की तरफ घुसाना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी संजीव तुम थोड़ा धीरे से करना। मैंने माला से कहा लेकिन तुम मुझे ऐसा क्यों कह रही हो मेरा लंड तुम्हारी चूत के अंदर घुसा भी नहीं है। वह कहने लगी हां तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो लेकिन मैंने जब धीरे-धीरे अपने लंड को माला की चूत के अंदर घुसाना शुरू किया तो वह चिल्लाने लगी और उसकी चूत से खून बाहर की तरफ को निकलने लगा।

उसकी चूत से खून कुछ ज्यादा ही बाहर की तरफ को निकल रहा था मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। वह मुझे कहती तुम ऐसे ही मुझे धक्के देते रहो उसने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया था। मैं लगातार तेजी से उसको धक्के दे रहा था मेरा लंड जब उसकी योनि के अंदर बाहर होता तो मुझे बहुत मजा आता। मैंने माला को कहा तुम मेरे ऊपर से आ जाओ और माला मेरे ऊपर से आ गई मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर घुसाया और बड़ी तेजी से मैं उसे धक्के मारने लगा। मैं बहुत ही तेजी से उसे धक्के मार रहा था उसे भी बड़ा अच्छा लग रहा था काफी देर तक मैंने उसे ऐसे ही धक्के मारे वह बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। उसकी योनि से खून बहुत ज्यादा मात्रा में बाहर की तरफ निकलता जा रहा था वह अपनी चूतडो को ऊपर नीचे कर रही थी उसकी चूत मेरे लंड के ऊपर नीचे हो रही थी मुझे और भी अच्छा लगता। मै काफी देर तक उसकी चूत के मजे लेता रहा जब मैं उसकी चूत की गर्मी को बर्दाश्त करने मे सक्षम नहीं था तो मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हारी चूत के अंदर अपने माल को गिरा रहा हूं। यह कहते ही मैंने अपने माल को माला की चूत के अंदर प्रवेश करवा दिया।
 
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