फिर मैं रात होने का इंतजार करने लगा. रात को खाना खाने के बाद मैं उनके साथ लेट गया और उनके बेटे के सोने का इन्तजार करने लगा. जब उनका बेटा सो गया तो वह मेरी तरफ मुड़ गईं. मैंने तुरन्त ही उनका कुर्ता ऊपर उठा दिया. उन्होंने एक सफेद रंग की ब्रा पहन रखी थी. ब्रा में चूचियां बड़ी मस्त लग रही थीं…
अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार! ज्यादा देर न करते हुए मैं सीधा अपनी कहानी पर आता हूँ. दोस्तों, बात उन दिनों की है जब मैं 10वीं कक्षा में पढ़ रहा था. उसी समय मेरे भैया की शादी हुई थी. मेरी भाभी कद में थोड़ा छोटी थी लेकिन वह गठीले बदन की थीं.
दोस्तों, पहले तो मेरे मन में उनके लिए कोई गलत विचार नहीं थे. लेकिन एक रात कुछ ऐसा हुआ कि मेरे तन बदन में आग लग गई. उस रात मैं आगे वाले कमरे में लेटा हुआ था और पीछे वाले कमरे में भैया और भाभी लेटे हुए थे. तभी रात अचानक उनके कमरे से मुझे कुछ आवाजें सुनाई दीं.
उन आवाजों को सुन कर मैं उठ गया और बाहर जाकर खिड़की से देखा तो अंदर का नज़ारा देखता ही रह गया. अंदर भाभी बेड पर बिना कपड़ों के बैठी थी और भैया उनकी पीठ सहला रहे थे. भाभी की चूचियां मेरे एक दम सामने थी. उस दिन मैंने उनको सेक्स करते हुए देखा.
उस दिन भाभी एक दम मस्त माल लग रही थी. उस दिन के बाद मेरे मन में भाभी को एक बार चोदने इच्छा जाग गई. अब मैं भाभी को चोदने का सपना देखने लगा लेकिन कई दिनों तक मुझे मौका ही नहीं मिला.
कुछ दिनों बाद भैया का ट्रांसफर हो गया. घर में अब मैं और भाभी अकेले रहने लगे. अब भैया हर इतवार को घर आते थे और फिर 1 सप्ताह के लिए चले जाते थे. इधर इन सात दिनों में मैं भाभी को देखता रहता और बाथरूम में जाकर उनके नाम की मुठ मार कर अपने आपको शांत कर लेता था.
उसके कुछ दिन बाद भैया ने घर बनवाना शुरू कर दिया. अब मैं, भाभी और उनका एक बच्चा हम तीनों एक ही कमरे में सोते थे. इस दौरान कभी – कभी भाभी बीच में सो जाती थी तो मैं उनके करीब हो जाता था. लेकिन मैं बहुत डरता था क्योंकि भाभी बहुत सख्त मिजाज की थी.
कभी – कभी नींद के बहाने मैं अपना हाथ उनकी चूचियों पर रख देता था तो भाभी मेरा हाथ हटा देती थी लेकिन उन्होंने मुझे इसके लिए कभी कुछ नहीं कहा. वह समझती थी कि मैं नींद में ऐसा करता हूं.
एक दिन जब मैंने देखा कि भाभी गहरी नींद में सो रही हैं तो मैंने उनकी चूचियों को दबा दिया. क्या मस्त मुलायम चूचियां थी उनकी! तभी उनकी नींद खुल गई और वह मुझ पर बहुत नाराज हुईं और भैया से मेरी शिकायत करने की बात करने लगी. अब मैं और डर गया. फिर मैंने उनसे माफी मांगी और कहा – अगर आप भैया से कहोगी तो मैं घर छोड़ कर चला जाऊंगा.
फिर उन्होंने भैया से न कहने की बात कही और कहा कि अब दोबारा ऐसी हरकत मत करना. फिर दो-चार दिन ऐसे ही निकल गए. अब मैं गुमसुम सा रहने लगा था. इसलिए भाभी ने एक दिन मुझसे पूछा – क्या बात है?
मैंने कहा – अगर आप नाराज ना हों तो मैं कहूं?
फिर मैंने उनसे अपने सर पर हाथ रखकर कसम दिलाई और फिर मैंने कहा – भाभी, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो और मैं आपको बहुत प्यार करता हूं.
फिर भाभी ने कहा – मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करती हूं लेकिन यह सब ठीक नहीं है.
यह सुन कर मैंने कहा – भाभी, मुझे सिर्फ एक बार मुझे गले से लगा लो. सिर्फ एक बार मुझे कुछ दिखा दो. फिर मैं आपसे कभी ऐसा कुछ नहीं कहूंगा.
अब उन्होंने पूछा – अच्छा, क्या देखना है?
मैंने कहा – आप मना तो नहीं करेंगी.
फिर उन्होंने कहा – नहीं करुँगी. बोलो तो सही.
अब मैंने कहा – प्लीज भाभी, बस एक बार अपनी चूचियां दिखा दो. फिर हम कभी कुछ नहीं कहेंगे न ही कुछ करेंगे.
फिर मेरे कई बार कहने पर वह राजी हो गई और बोली – अच्छा ठीक है, आज रात में देख लेना लेकिन इसके बाद दोबारा कभी मत कहना.
मैं खुश हो गया और कहा – ठीक है भाभी.
फिर मैं रात होने का इंतजार करने लगा. रात को खाना खाने के बाद मैं उनके साथ लेट गया और उनके बेटे के सोने का इन्तजार करने लगा. जब उनका बेटा सो गया तो वह मेरी तरफ मुड़ गईं. मैंने तुरन्त ही उनका कुर्ता ऊपर उठा दिया. उन्होंने एक सफेद रंग की ब्रा पहन रखी थी. ब्रा में चूचियां बड़ी मस्त लग रही थीं.
उस दिन मैं जीवन में पहली बार किसी की चूचियां देख रहा था. अब मैंने उनकी चूचियों को ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया. फिर मैंने जल्दबाजी में उनकी ब्रा पकड़ कर खींच दी. जिससे उनकी ब्रा के दोनों हुक टूट गए. अब भाभी की दोनों चूंचियां मेंरे सामने एक दम नंगी थी. अब उनकी दूध जैसी सफ़ेद और गुलाबी निप्पल वाली चूचियों से मैं खेलने लगा.
मैं उनकी दोनों चूचियां दबाने में लगा था. लेकिन भाभी मना कर रही थी. वो बोलीं – ऐसा मत करो.
फिर मैंने उनसे कहा – भाभी, एक बार सिर्फ एक बार मुझे अपना दूध पिला दो उसके बाद मैं कभी नहीं कहूँगा.
फिर मैंने उनकी चूंची अपने मुंह में लिया और उनका दूध पीने लगा. मैं एक के बाद एक उनकी दोनों चूचियां पीने लगा. अब भाभी भी आहें भरने लगी और गर्म होने लगी थीं. इधर मैं लगातार उनकी चूचियों को दबा – दबा कर पीता जा रहा था. जिससे भाभी के मुंह से लगातार आहें निकल रहीं थीं.
मेरा एक हाथ उनकी चूचियों पर तथा दूसरा हाथ उनके पेट पर चल रहा था. फिर थोड़ी देर बाद मैंने उनको अपने सीने से चिपका लिया और अपने हाथों को उनकी पीठ पर चलाने लगा. अब भाभी गहरी साँसें लेने लगी थीं और उनकी आंखें बंद होने लगी थीं. फिर मैंने उनके गाल पर किस किया और फिर उनके माथे पर फिर होठों पर किस किया. पहले तो वह मना करती रही लेकिन फिर धीरे – धीरे मेरे साथ देने लगी.
फिर मैंने अपनी जीभ भाभी के मुंह में डाल दी. अब भाभी बड़े प्यार से मेरी जीभ चूस रही थी. फिर मैंने अपना हाथ नीचे सरकाते हुए उनके सलवार के अंदर डाल दिया. भाभी की बुर एक दम गीली हो चुकी थी. अब वह अपने ऊपर से अपना नियंत्रण खो चुकी थी और कह रही थी “कुछ करो मनोज कुछ करो”.
अब मैंने उनका सलवार खोला और खींच कर पैरों से निकाल दिया. फिर मैंने अपना हाफ पैंट भी उतार दिया. जिससे मेरा लन्ड उछल कर बाहर आ गया. मेरे लन्ड को देखते ही उन्होंने पकड़ लिया. फिर हम 69 की पोजीशन में आ गए. अब मैं उनकी बुर चाटने लगा और भाभी मेरा लण्ड मुंह में रख कर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
दोस्तों, मैं बता नहीं सकता मुझे कितना आनंद आ रहा था. वैसे यह मेरी जिंदगी का पहला सेक्स अनुभव था. फिर थोड़ी ही देर में हम दोनों एक – दूसरे के मुंह में ही झड़ गए लेकिन उन्होंने मेरा लण्ड अपने मुंह से नहीं निकाला.
जिससे मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा और भाभी फिर गर्म हो गई और बोलीं – मनोज, अब और ना तड़पाओ डाल दो अपना लण्ड मेरी चूत में. बहुत दिनों से देखना चाहते थे न, आज सब कुछ देख लो.
अब मैंने भी तुरंत अपना लण्ड भाभी की बुर के ऊपर रख दिया और मैंने झटका दे दिया. एक ही झटके में मेरा पूरा लण्ड उनकी बुर के अंदर चला गया. फिर हमने खूब जोरदार चुदाई की और फिर भाभी की चूत के अंदर ही मैंने अपना सारा वीर्य रस छोड़ दिया. उसके बाद इस दिन मैंने कई बार भाभी की चुदाई की.
अब मैं उनसे अलग रहता हूं लेकिन मेरा मन अभी भी उनके ही पास है. अब मेरी शादी भी हो गई है लेकिन मेरे दिमाग से भाभी की याद जाती ही नहीं है. अपनी अगली कहानी में मैं विस्तार से बताऊंगा कि कब – कब और कैसे – कैसे मैंने उनकी चुदाई की है.दोस्तों, यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है आपको कैसी लगीे इसका उत्तर जरूर दें. मेरी मेल आईडी
अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार! ज्यादा देर न करते हुए मैं सीधा अपनी कहानी पर आता हूँ. दोस्तों, बात उन दिनों की है जब मैं 10वीं कक्षा में पढ़ रहा था. उसी समय मेरे भैया की शादी हुई थी. मेरी भाभी कद में थोड़ा छोटी थी लेकिन वह गठीले बदन की थीं.
दोस्तों, पहले तो मेरे मन में उनके लिए कोई गलत विचार नहीं थे. लेकिन एक रात कुछ ऐसा हुआ कि मेरे तन बदन में आग लग गई. उस रात मैं आगे वाले कमरे में लेटा हुआ था और पीछे वाले कमरे में भैया और भाभी लेटे हुए थे. तभी रात अचानक उनके कमरे से मुझे कुछ आवाजें सुनाई दीं.
उन आवाजों को सुन कर मैं उठ गया और बाहर जाकर खिड़की से देखा तो अंदर का नज़ारा देखता ही रह गया. अंदर भाभी बेड पर बिना कपड़ों के बैठी थी और भैया उनकी पीठ सहला रहे थे. भाभी की चूचियां मेरे एक दम सामने थी. उस दिन मैंने उनको सेक्स करते हुए देखा.
उस दिन भाभी एक दम मस्त माल लग रही थी. उस दिन के बाद मेरे मन में भाभी को एक बार चोदने इच्छा जाग गई. अब मैं भाभी को चोदने का सपना देखने लगा लेकिन कई दिनों तक मुझे मौका ही नहीं मिला.
कुछ दिनों बाद भैया का ट्रांसफर हो गया. घर में अब मैं और भाभी अकेले रहने लगे. अब भैया हर इतवार को घर आते थे और फिर 1 सप्ताह के लिए चले जाते थे. इधर इन सात दिनों में मैं भाभी को देखता रहता और बाथरूम में जाकर उनके नाम की मुठ मार कर अपने आपको शांत कर लेता था.
उसके कुछ दिन बाद भैया ने घर बनवाना शुरू कर दिया. अब मैं, भाभी और उनका एक बच्चा हम तीनों एक ही कमरे में सोते थे. इस दौरान कभी – कभी भाभी बीच में सो जाती थी तो मैं उनके करीब हो जाता था. लेकिन मैं बहुत डरता था क्योंकि भाभी बहुत सख्त मिजाज की थी.
कभी – कभी नींद के बहाने मैं अपना हाथ उनकी चूचियों पर रख देता था तो भाभी मेरा हाथ हटा देती थी लेकिन उन्होंने मुझे इसके लिए कभी कुछ नहीं कहा. वह समझती थी कि मैं नींद में ऐसा करता हूं.
एक दिन जब मैंने देखा कि भाभी गहरी नींद में सो रही हैं तो मैंने उनकी चूचियों को दबा दिया. क्या मस्त मुलायम चूचियां थी उनकी! तभी उनकी नींद खुल गई और वह मुझ पर बहुत नाराज हुईं और भैया से मेरी शिकायत करने की बात करने लगी. अब मैं और डर गया. फिर मैंने उनसे माफी मांगी और कहा – अगर आप भैया से कहोगी तो मैं घर छोड़ कर चला जाऊंगा.
फिर उन्होंने भैया से न कहने की बात कही और कहा कि अब दोबारा ऐसी हरकत मत करना. फिर दो-चार दिन ऐसे ही निकल गए. अब मैं गुमसुम सा रहने लगा था. इसलिए भाभी ने एक दिन मुझसे पूछा – क्या बात है?
मैंने कहा – अगर आप नाराज ना हों तो मैं कहूं?
फिर मैंने उनसे अपने सर पर हाथ रखकर कसम दिलाई और फिर मैंने कहा – भाभी, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो और मैं आपको बहुत प्यार करता हूं.
फिर भाभी ने कहा – मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करती हूं लेकिन यह सब ठीक नहीं है.
यह सुन कर मैंने कहा – भाभी, मुझे सिर्फ एक बार मुझे गले से लगा लो. सिर्फ एक बार मुझे कुछ दिखा दो. फिर मैं आपसे कभी ऐसा कुछ नहीं कहूंगा.
अब उन्होंने पूछा – अच्छा, क्या देखना है?
मैंने कहा – आप मना तो नहीं करेंगी.
फिर उन्होंने कहा – नहीं करुँगी. बोलो तो सही.
अब मैंने कहा – प्लीज भाभी, बस एक बार अपनी चूचियां दिखा दो. फिर हम कभी कुछ नहीं कहेंगे न ही कुछ करेंगे.
फिर मेरे कई बार कहने पर वह राजी हो गई और बोली – अच्छा ठीक है, आज रात में देख लेना लेकिन इसके बाद दोबारा कभी मत कहना.
मैं खुश हो गया और कहा – ठीक है भाभी.
फिर मैं रात होने का इंतजार करने लगा. रात को खाना खाने के बाद मैं उनके साथ लेट गया और उनके बेटे के सोने का इन्तजार करने लगा. जब उनका बेटा सो गया तो वह मेरी तरफ मुड़ गईं. मैंने तुरन्त ही उनका कुर्ता ऊपर उठा दिया. उन्होंने एक सफेद रंग की ब्रा पहन रखी थी. ब्रा में चूचियां बड़ी मस्त लग रही थीं.
उस दिन मैं जीवन में पहली बार किसी की चूचियां देख रहा था. अब मैंने उनकी चूचियों को ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया. फिर मैंने जल्दबाजी में उनकी ब्रा पकड़ कर खींच दी. जिससे उनकी ब्रा के दोनों हुक टूट गए. अब भाभी की दोनों चूंचियां मेंरे सामने एक दम नंगी थी. अब उनकी दूध जैसी सफ़ेद और गुलाबी निप्पल वाली चूचियों से मैं खेलने लगा.
मैं उनकी दोनों चूचियां दबाने में लगा था. लेकिन भाभी मना कर रही थी. वो बोलीं – ऐसा मत करो.
फिर मैंने उनसे कहा – भाभी, एक बार सिर्फ एक बार मुझे अपना दूध पिला दो उसके बाद मैं कभी नहीं कहूँगा.
फिर मैंने उनकी चूंची अपने मुंह में लिया और उनका दूध पीने लगा. मैं एक के बाद एक उनकी दोनों चूचियां पीने लगा. अब भाभी भी आहें भरने लगी और गर्म होने लगी थीं. इधर मैं लगातार उनकी चूचियों को दबा – दबा कर पीता जा रहा था. जिससे भाभी के मुंह से लगातार आहें निकल रहीं थीं.
मेरा एक हाथ उनकी चूचियों पर तथा दूसरा हाथ उनके पेट पर चल रहा था. फिर थोड़ी देर बाद मैंने उनको अपने सीने से चिपका लिया और अपने हाथों को उनकी पीठ पर चलाने लगा. अब भाभी गहरी साँसें लेने लगी थीं और उनकी आंखें बंद होने लगी थीं. फिर मैंने उनके गाल पर किस किया और फिर उनके माथे पर फिर होठों पर किस किया. पहले तो वह मना करती रही लेकिन फिर धीरे – धीरे मेरे साथ देने लगी.
फिर मैंने अपनी जीभ भाभी के मुंह में डाल दी. अब भाभी बड़े प्यार से मेरी जीभ चूस रही थी. फिर मैंने अपना हाथ नीचे सरकाते हुए उनके सलवार के अंदर डाल दिया. भाभी की बुर एक दम गीली हो चुकी थी. अब वह अपने ऊपर से अपना नियंत्रण खो चुकी थी और कह रही थी “कुछ करो मनोज कुछ करो”.
अब मैंने उनका सलवार खोला और खींच कर पैरों से निकाल दिया. फिर मैंने अपना हाफ पैंट भी उतार दिया. जिससे मेरा लन्ड उछल कर बाहर आ गया. मेरे लन्ड को देखते ही उन्होंने पकड़ लिया. फिर हम 69 की पोजीशन में आ गए. अब मैं उनकी बुर चाटने लगा और भाभी मेरा लण्ड मुंह में रख कर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
दोस्तों, मैं बता नहीं सकता मुझे कितना आनंद आ रहा था. वैसे यह मेरी जिंदगी का पहला सेक्स अनुभव था. फिर थोड़ी ही देर में हम दोनों एक – दूसरे के मुंह में ही झड़ गए लेकिन उन्होंने मेरा लण्ड अपने मुंह से नहीं निकाला.
जिससे मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा और भाभी फिर गर्म हो गई और बोलीं – मनोज, अब और ना तड़पाओ डाल दो अपना लण्ड मेरी चूत में. बहुत दिनों से देखना चाहते थे न, आज सब कुछ देख लो.
अब मैंने भी तुरंत अपना लण्ड भाभी की बुर के ऊपर रख दिया और मैंने झटका दे दिया. एक ही झटके में मेरा पूरा लण्ड उनकी बुर के अंदर चला गया. फिर हमने खूब जोरदार चुदाई की और फिर भाभी की चूत के अंदर ही मैंने अपना सारा वीर्य रस छोड़ दिया. उसके बाद इस दिन मैंने कई बार भाभी की चुदाई की.
अब मैं उनसे अलग रहता हूं लेकिन मेरा मन अभी भी उनके ही पास है. अब मेरी शादी भी हो गई है लेकिन मेरे दिमाग से भाभी की याद जाती ही नहीं है. अपनी अगली कहानी में मैं विस्तार से बताऊंगा कि कब – कब और कैसे – कैसे मैंने उनकी चुदाई की है.दोस्तों, यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है आपको कैसी लगीे इसका उत्तर जरूर दें. मेरी मेल आईडी