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Muft Ka Maal

दोस्तो, स्पेशल डिस्काउंट में मिला हुआ सामान सब का मन लुभाता है। लेकिन अगर कोई चीज़ मुफ़्त में मिल जाए तो उसका मज़ा ही कुछ और है। मेरी कपड़ों की दूकान में मैंने अक्सर महिलाओं को सेल और डिस्काउंट के लिए झगड़ते देखा है।

महिलाएँ सेल्समेन से डिस्काउंट के लिए लड़ेंगी और उससे भी पहले जिस चीज़ पर उनकी नज़र पड़ी है, उसे दूसरों से पहले लेने के लिए झगड़ा करेंगी। कुछ महिलाएँ तो अपनी सहेली का भी आदर किए बिना उसके साथ झगड़ा कर बैठती हैं।

ऐसी ही एक भाभी है जो मेरी दूकान में आया करती है जिसका नाम उषा यादव है। वह काउंटर पर आकर मुझसे हमेशा पूछती रहती है कि कहीं उसकी सहेली शमिता ने कोई नई ड्रेस तो नहीं ख़रीदी।

एक बार हुआ यूँ कि शमिता भाभी ने एक डिज़ाइनर ड्रेस अपनी बेटी और ख़ुद के लिए ख़रीद लिया। इस बात उषा भाभी को पता चलते ही वह मेरी दूकान पर आई और मुझसे उस डिज़ाइनर ड्रेस के बारे में पूछने लगी।

मैंने उषा भाभी को बताया कि वह ड्रेस का मटेरियल विदेश से मँगवाना पड़ता है और फिर साइज़ के अनुसार तैयार किया जाता है। इसलिए उसकी क़ीमत बाकी ड्रेस के मुक़ाबले थोड़ा ज़्यादा है।

ज़ाहिर-सी बात थी, शमिता भाभी को नई डिज़ाइनर ड्रेस में देखकर उषा भाभी की गाँड़ तो जलेगी ही। उषा भाभी मुझे मस्का मारने लगी।

[उषा भाभी:] सेठजी, मैं तो आपकी कितनी पुरानी कस्टमर हूँ तो क्या आप मुझे थोड़ा और डिस्काउंट नहीं दे सकते क्या? अरे आपकी इतनी बड़ी दूकान है तो फिर आपको क्या फ़रक पड़ेगा अगर यह ड्रेस आप मुझे फ्री में भी दे देंगे तो।

[मैं:] देखिए भाभी, इस डिज़ाइनर ड्रेस में मुझे ज़्यादा कुछ नहीं मिलेगा क्यूँकि यह विदेशी माल है। अगर मैं आपको और डिस्काउंट दूँगा तो मेरा तो नुक्सान हो जाएगा। आप समझा करो ज़रा।

मेरी बात सुनकर उषा भाभी का मुँह छोटा हो गया था। जब वह पलटकर जा रही थी, तब उसकी उभरी हुई मटकती गाँड़ पर मेरी हवस की नज़र पड़ गई।

मैंने हिसाब लगाया और सोचा कि थोड़ासा डिस्काउंट के साथ अगर उसकी गाँड़ मिल जाए तो हम दोनों का फ़ायदा ही होगा। मैंने उषा भाभी को आवाज़ दी और उन्हें ऊपर की मंज़िल पर वह डिज़ाइनर ड्रेस दिखाने लेकर गया।

[उषा भाभी:] सेठजी आप क्यों मेरी गाँड़ जला रहे हो यह ड्रेस दिखाकर? एक तो आप कोई ऑफर भी दे नहीं रहे है तो दुबारा ड्रेस देखकर मैं क्या करुँगी?

[मैं:] भाभीजी, यह ड्रेस आपका हो सकता है। मगर उसके लिए आपको अपना ड्रेस निकालना होगा।

उषा भाभी मेरी बात सुनकर आश्चर्य चकित हो गई। वह मंगलसूत्र पर हाथ रखकर कहीं पर खो गई। उन्होंने दुबारा डिज़ाइनर ड्रेस की तरफ़ देखा और मुझसे कहा कि बात सिर्फ़ हम दोनों के बिच में ही रहनी चाहिए। मैं उषा भाभी को चेंजिंग रूम में लेकर गया।

उसकी कमर को कसके पकड़कर उसके होठों की चुम्मियाँ लेने लगा। चुम्मियाँ लेते वक़्त, मैंने उषा भाभी की उभरी हुई गाँड़ को पकड़कर दबाना शुरू किया।

मैंने उषा भाभी की सलवार के अंदर अपने हाथों को घुसा दिया और उसके चुत्तड़ों को दबाने लगा। उसके मुँह से सिसकियाँ लेते समय निकलती गरम साँसे सूंघकर मैं उसे पकड़कर अपनी तरफ़ दबाने लगा था।

चेंजिंग रूम में पँखा न होने की वज़ह से उसकी चौड़ी गाँड़ पसीने से चिकनी हो चुकी थी। मैंने अपनी उँगली को उषा भाभी की गाँड़ की छेद में घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा। उसने अपनी कुर्ती उतार दी और फ़िरसे मुझे कसकर पकड़ लिया।

मैंने अपना एक हाथ उषा भाभी की सलवार से निकालकर उसकी चूचियाँ दबाने लगा। उसने अपना टाइट ब्रा निकालकर अपने मोटे चूचियों को आज़ाद कर दिया। उसकी लटकती चूचियों को देखकर मेरा लौड़ा तनकर खड़ा हो गया।

उषा भाभी ने मेरी पैंट के अंदर हाथ ड़ालकर मेरे लौड़े को पकड़ लिया और उसे हिलाते हुए एकदम कड़क कर दिया। मेरी गोटियों को सहलाते हुए उसकी मालिश भी करने लगी। अपने दोनों हाथों से मैं उसकी चूचियाँ दबाकर उषा भाभी को गरम कर रहा था।

मैंने उसके निप्पल को एक-एक करके चूसना शुरू किया। थोड़ी देर बाद, मैं फर्श पर बैठ गया और उषा भाभी मेरी पैंट उतारकर मेरे सामने बैठ गई। मेरी गोटियों को अपने मुँह में भरकर उन्हें ज़ुबान से चाटने लगी।

मैंने उषा भाभी को उठाकर उसकी गोरी गाँड़ को अपने मुँह के ऊपर रख दिया और उसे अपने ऊपर चढ़ाकर बिठा दिया।

मैं उसकी चुत्तड़ों को फैलाकर उसकी गाँड़ की छेद में अपनी ज़ुबान घुसाकर उसे अंदर-बाहर करने लगा। उषा भाभी मेरे लौड़े को अच्छी तरह से चूस रही थी। उसकी चूत को मैं अपनी उँगली से फैलाकर रगड़ रहा था।

उषा भाभी जोश में आकर चीख़ने लगी और साथ में अपनी गाँड़ को मेरे मुँह पर उछालने लगी। थोड़ी देर बाद, उषा भाभी की चूत से पानी छूटने लगा था। मैंने उसे ज़मीन पर लेटा दिया और उसके पैरों को अपने कंधो पर रख दिया।

मैं अपने लौड़े की नोक को उषा भाभी के चूत की दरार पर रखकर रगड़ने लगा। फिर धीरे से अपने लौड़े को उसकी गरम चूत में घुसा दिया। धीरे-धीरे धक्के मारकर मैं उषा भाभी के ऊपर चढ़ गया।

उसके मोटे चूचियों को पकड़कर मैं उन्हें दबाने लगा। उषा भाभी मेरी गाँड़ को पकड़कर उसे दबा रही थी। धीरे से चुदाई करते समय हम दोनों सिसकियाँ लेने लगे थे।

मैंने उषा भाभी के मंगलसूत्र को अपने हाथ में पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत में धक्के मारने लगा। मंगलसूत्र के साथ उसको चोदने में मुझे मज़ा आ रहा था।

मंगलसूत्र की माला को मैंने उषा भाभी के मुँह में डाल दिया और उसपर चढ़कर उसके मुँह को चाटने लगा। अपने हाथों से उसकी टाँगे पकड़कर मैंने ज़ोर-ज़ोर से चोदना जारी रखा था।

कुछ देर बाद, उषा भाभी ने मंगलसूत्र की माला को थूक दिया और मेरे मुँह को पकड़कर चाटने लगी। ज़ोर की चुदाई के मज़े लेते हुए हम दोनों एक दूसरे के होठों को चूसने लगे।

थोड़ी देर बाद, मैं फर्श पर लेट गया और उषा भाभी को मेरे ऊपर चढ़ा लिया। उसने मेरे लौड़े को पकड़कर अपनी चूत के अंदर घुसा दिया और धीरे से उसपर बैठ गई। २-३ बार धीरे से उठकर-बैठकर मेरे लौड़े को अपनी चूत के अंदर पूरा घुसा दिया।

फिर उषा भाभी मेरे लौड़े पर उछलने लगी थी। मैंने उसकी चूचियों को पकड़कर उन्हें दबाने लगा। उषा भाभी अपनी गाँड़ उठा-उठाकर मेरे लौड़े पर उछल रही थी। उसकी चीख़ों की आवाज़ सुनकर मुझसे और रहा नहीं जा रहा था।

मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचकर गले से लगा लिया और उसकी गाँड़ को पकड़कर, ज़ोर-ज़ोर से अपना लौड़ा उसकी चूत के अंदर घुसाने लगा। उषा भाभी की चीख़ों को रोकने के लिए मैंने अपनी ज़ुबान उसके मुँह के अंदर घुसा दिया था।

उसकी गाँड़ की छेद में अपनी उँगली घुसाकर उसे अपने लौड़े पर पटकता रहा। कुछ देर तक ऐसे ही ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करने के बाद मेरे लौड़े का माल निकलने वाला था। मैंने उषा भाभी को अपने ऊपर से हटाकर उसे कुतिया बना दिया।

उषा भाभी की चुत्तड़ों को फैलाकर मैं उसकी गाँड़ की दरार को चाटने लगा। पसीने से भीगी हुई उसकी गाँड़ की महक तो मोह लेने वाली थी। मैंने अपनी दो उँगलियों को उषा भाभी की गाँड़ की छेद के अंदर घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा।

मैंने उसकी गाँड़ की छेद को खींचकर चौड़ा किया और उसके अंदर थूक मारी। मुझे अपना लौड़ा उसकी गाँड़ में घुसाना था लेकिन उषा भाभी ने मेरे लौड़े को पकड़ लिया और कहने लगी, "नहीं सेठजी वहाँ मत घुसाना"।

इसलिए मैंने अपने लौड़े को उसकी मोटी चुत्तड़ों के बिच घुसाकर हिलाने लगा।

जैसे ही मेरा लौड़े का पानी छूटने आया, मैंने उषा भाभी की गाँड़ की छेद के पास अपने लौड़े की नोक को रख दिया। मेरे लौड़े से निकला गरम चिपचिपा पानी जाकर उषा भाभी की गाँड़ की छेद के ऊपर गिरा।

हम दोनों अपने कपड़े पहनकर चेंजिंग रूम से बाहर आ गए। मैंने वह डिज़ाइनर ड्रेस उषा भाभी को दे दिया और वह खुश होकर चली गई।
 
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