मेरा माल बाहर निकाल दिया

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Antarvasna, hindi sex kahani: काफी लंबे अरसे बाद मैं अपने मामा जी के घर पर गया था मेरा उनके घर पर जाना हो ही नहीं पाता था क्योंकि मैं अपनी जॉब के चलते काफी बिजी हो गया था इसलिए मेरा मामा जी के घर पर जाना नहीं हो पाता था। जब मैं उस दिन मामा जी से मिलने के लिए गया तो उस वक्त मामा जी घर पर ही थे वह मुझे देखकर बहुत खुश हुए और कहने लगे कि आदित्य बेटा तुम घर पर आते ही नहीं हो। मैंने मामा जी को अपनी मजबूरी बताई और कहा कि आपको तो पता ही है कि जॉब के चलते मैं आपसे मिलने के लिए आ नहीं पाता हूं तो वह कहने लगे कि बेटा कोई बात नहीं लेकिन हम लोग काफी दिनों से सोच रहे थे कि हम लोग तुम्हें घर पर बुलाएं। मैंने मामा जी से कहा मामा जी घर में सब कुछ ठीक तो हैं मैंने उन्हें कहा मामी कहीं नजर नहीं आ रही तो वह मुझे कहने लगे कि वह कुछ देर पहले ही बाजार गई थी बस थोड़ी देर बाद लौटती ही होगी। मैंने मामा जी से कहा मामा जी बताइए आपका कारोबार कैसा चल रहा है तो वह कहने लगे बेटा आजकल तो मेरा कारोबार कुछ ठीक नहीं चल रहा है और तुम जानते ही हो कि जब से मेरी तबीयत खराब रहने लगी है उसके बाद से मेरा कारोबार भी बिल्कुल अच्छे से नहीं चल रहा है क्योंकि मैं अपने कारोबार में ध्यान ही नहीं दे पा रहा हूं।

मैंने मामा जी से कहा कि अब आपकी आराम करने की उम्र है और आप इस उम्र में भी काम कर रहे हैं तो मामा जी मुझे कहने लगे कि आदित्य बेटा तुम्हें क्या बताऊं तुम तो जानते ही हो कि घर की जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही हैं। मामा जी के बड़े बेटे की जब शादी हुई तो उसके कुछ सालों बाद वह अपनी पत्नी के साथ अलग रहने के लिए चला गया जिस वजह से मामा जी काफी परेशान रहने लगे और उनका छोटा बेटा भी उनके हाथ से निकल चुका है वह गलत संगत की वजह से ज्यादातर घर से बाहर ही रहा करता है जिस वजह से मामा जी बहुत परेशान रहते हैं और यही वजह है कि उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती और उनके ऊपर ही घर की सारी जिम्मेदारी हैं।

मैंने मामा जी को कहा कि मामा जी आपने हमारा बहुत साथ दिया है मम्मी और पापा की मृत्यु हो जाने के बाद मामा जी ने हीं हमारे घर की देखभाल की और उन्होंने ही मेरे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई यदि मामाजी मेरी मदद नहीं करते तो शायद आज मैं एक अच्छी कंपनी में जॉब नहीं कर पाता और ना ही मेरे कॉलेज की पढ़ाई पूरी हो पाती। मामा जी का हाथ हमारे सर पर हमेशा ही था इस वजह से मैं एक अच्छे कॉलेज में पढ़ पाया और अपनी पढ़ाई पूरी कर पाया। मामा जी का मुझ पर बहुत ही बड़ा एहसान है मामा जी मुझे बहुत ही अच्छा मानते हैं वह मुझे कहने लगे कि आदित्य बेटा तुम शादी क्यों नहीं कर लेते तो मैंने उन्हें कहा कि नहीं मामा जी आप तो जानते ही हैं कि अभी मेरे ऊपर गुड़िया की जिम्मेदारी है। गुड़िया मेरी छोटी बहन का नाम है वह अब 26 वर्ष की हो चुकी है और मैं उसकी शादी को लेकर बहुत ही चिंतित हूं। मामा जी मुझे कहने लगे कि बेटा अगर तुम कहो तो मैं गुड़िया के लिए कोई लड़का देखना शुरु कर देता हूँ मैंने मामा जी को कहा क्यों नहीं अगर आपकी नजर में कोई अच्छा लगा है तो आप मुझे जरुर बताइएगा। गुड़िया का नाम रेखा है और सब लोग उसे प्यार से गुड़िया ही बुलाते हैं। मैं उस दिन मामा जी के साथ काफी देर तक रहा और उस दिन रात के वक्त मैं जब घर लौटा तो गुड़िया भी अपने ऑफिस से आ चुकी थी और वह मुझे कहने लगी कि भैया आज आप ऑफिस नहीं गए थे। मैंने गुड़िया को कहा नहीं आज मैं मामा जी से मिलने के लिए चला गया था काफी दिन हो गए थे मैं मामा जी को मिला भी नहीं था तो सोचा कि आज मामा जी से मुलाकात कर आता हूं। गुड़िया मुझे कहने लगी कि मामा जी कैसे हैं तो मैंने उसे बताया की वह अच्छे हैं और तुम्हारे बारे में भी पूछ रहे थे। गुड़िया कहने लगी कि मुझे भी मामा जी से मिले हुए काफी समय हो चुका है और अब उनकी तबीयत कैसी है, मैंने गुड़िया को कहा उनकी तबीयत भी ठीक है और मैंने उन्हें घर पर आने के लिए कहा है तो हो सकता है वह कुछ दिनों बाद घर पर आ जाए। गुड़िया कहने लगी कि भैया मैं अब खाना बना देती हूं गुड़िया उसके बाद खाना बनाने के लिए रसोई में चली गई।

मैं अपने रूम में बैठा हुआ था और टीवी देख रहा था थोड़ी देर बाद गुड़िया ने खाना बना लिया था और उसके बाद हम दोनों ने साथ में डिनर किया। डिनर करने के बाद गुड़िया अपने रूम में चली गई और मैं अपने रूम में लेटा हुआ था लेकिन मुझे हमेशा ही यह चिंता सताती की मैं गुड़िया की शादी कैसे कर पाऊंगा लेकिन मामा जी ने मेरी सारी चिंता को दूर कर दी थी। मामा जी करीब एक महीने बाद घर पर आए जब वह घर पर आए तो उस दिन उन्होंने मुझे कहा कि मैंने गुड़िया के लिए एक अच्छा रिश्ता देखा है तुम कहो तो मैं उन्हें तुमसे मिलने के लिए कह देता हूं। मैंने मामा जी को कहा मामा जी आप उन्हें जानते हैं तो वह मुझे कहने लगे कि हां बेटा मैं उन्हें बहुत ही अच्छे से जानता हूँ और तुम भी एक बार उनसे मिल लो। मामा जी के कहने पर मैं रोहित के परिवार से मिला और जब मैं रोहित के परिवार से मिला तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा। रोहित बड़ी कंपनी में मैनेजर के पद पर है मुझे रोहित बहुत ही पसंद आया और मैंने गुड़िया से भी उसकी शादी के बारे में पूछा तो गुड़िया मुझे कहने लगी कि भैया जैसा आपको ठीक लगता है आप वैसा ही कीजिए।

गुड़िया को शादी से कोई एतराज नहीं था तो मैंने रोहित और गुड़िया की शादी तय कर दी। गुड़िया की शादी बड़ी धूमधाम से हुई मैंने उसकी शादी में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रखी क्योंकि मैं चाहता था कि उसकी शादी में किसी भी प्रकार की कोई कमी ना रहे इसलिए मैंने उसकी शादी बड़े ही धूमधाम से की। गुड़िया बहुत ही खुश थी और वह अपने ससुराल जा चुकी थी, घर पर मैं अकेला था तो मुझे गुड़िया की बहुत याद सताती लेकिन गुड़िया अपने ससुराल जा चुकी थी। जब गुड़िया अपने ससुराल चली गई थी तो उसके बाद मैं घर पर अकेला ही रह गया था। गुड़िया की शादी को एक महीने से ऊपर हो चुका था। जिस कॉलोनी में मैं रहता था उस कॉलोनी मे एक दिन मेरी मुलाकात सुचित्रा से हुई। सुचित्रा से जब मेरी मुलाकात हुई तो मुझे उससे मिलकर बहुत ही अच्छा लगा। सुचित्रा से मिलकर मैं काफी खुश था लेकिन उसके डिवोर्स के बारे में मुझे पता नहीं था। वह भी अकेली रहती थी लेकिन सुचित्रा का मुझसे मिलना जुलना ज्यादा ही होने लगा था इसलिए हम दोनों एक दूसरे के घर पर आने जाने लगे थे क्योंकि हम दोनों अकेले ही रहते थे इसलिए हम दोनों को एक दूसरे का साथ बहुत ही ज्यादा पसंद आने लगा था शायद यही वजह थी कि सुचित्रा और मेरी बीच कुछ ज्यादा करीब या बढ़ती चली गई और हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए तैयार हो चुके थे। एक शाम जब मे उसके घर पर बैठा हुआ था तो हम दोनों के बीच किस हो गया। हम दोनों ही एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए तडपने लगे थे। मैं चाहता था मैं उसे अपनी बाहों में ले लूं। मैंने उसे अपनी बाहों में लिया वह भी तड़पने लगी। मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया था। वह मेरे अंडरवीयर से लंड को निकालने की कोशिश करती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था। जैसे ही उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा और सुचित्रा को भी बड़ा आनंद आने लगा था। वह मेरे लंड को बड़े ही अच्छे से सकिंग कर रही थी और मेरे अंदर की गर्मी को बढ़ाती जा रही थी। हम दोनों के अंदर की गर्मी बढ रही थी।

मुझे अब महसूस हो चुका था कि अब हम दोनों बिल्कुल भी रह नहीं पाएंगे उसने मेरे लंड से चूस कर पूरी तरीके से पानी बाहर निकाल दिया था। मैं सुचित्रा के साथ सेक्स करने के लिए तैयार था मैंने जब उसकी चूत पर अपने लंड को सटाया तो वह तडपने लगी। वह कहने लगी कुछ देर तक तुम मेरी चूत को चाट लो। मैंने उसकी योनि को चटा और उसकी योनि को चाट कर मैंने पूरी तरीके से गिला बना दिया था जिससे कि उसकी योनि से बहुत ज्यादा पानी बाहर की तरफ को निकल आया था। हम दोनों ही पूरी तरीके से तड़पने लगे थे। मैंने उसके स्तनों को बहुत देर तक चूसा। मैने सुचित्रा की चूत मे लंड घुसा दिया। जिस से कि उसे मजा आ रहा था मैं जिस तरह से सुचित्रा की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था उससे मेरे अंदर की गर्मी मे लगातार बढ़ोतरी हो रही थी।

सुचित्रा कि चूत से निकलती हुई गर्मी मे भी बढ़ोतरी हो रही थी काफी समय बाद उसने भी किसी लंड का अनुभव किया था इसलिए वह मुझे अपनी और आकर्षित करती जा रही थी। मैं तो उसे बड़ी ही तीव्रता से धक्के मारे जा रहा था मेरे धक्के तेज होने लगे थे। वह मुझे कहने लगी मुझे और तेजी से चोदो। मैंने उसे बहुत तेजी से चोदना शुरू कर दिया था उसका शरीर हिलता जा रहा था। मेरे धक्को की गति भी बढ़ने लगी थी जिससे कि मेरा लंड छिलने लगा था। हम दोनो ज्यादा ही गरम हो चुके थे। अंडकोष भी वीर्य को बाहर की तरफ छोड़ने के लिए तैयार था जैसे ही मेरे अंडकोष ने मेरे वीर्य को बाहर की तरफ छोड़ा तो मैंने अपने वीर्य को सुचित्रा की चूत मे गिरा कर अपने अपनी गर्मी को शांत कर दिया सुचित्रा बड़ी ही खुश थी कि हम दोनों एक दूसरे के साथ मजे ले पाए। हम दोनों को एक दूसरे का साथ सेक्स करने मे मजा आ चुका थ। उसके बाद भी हम दोनों ने एक दूसरे के साथ कई बार सेक्स किया। सुचित्रा मेरे अकेलेपन को दूर कर दिया करती।
 
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