मेरा लंड कठोर होता चला गया

sexstories

Administrator
Staff member
Antarvasna, sex stories in hindi: काफी दिनों से मैं नौकरी की तलाश में था मुझे अभी तक कहीं भी अच्छी नौकरी नहीं मिल पाई थी कॉलेज खत्म हो जाने के बाद मैं अपने करियर को लेकर बहुत ही ज्यादा चिंतित हो गया था जिससे कि मैं परेशान भी रहने लगा था। एक दिन सुबह मैंने अखबार में इश्तहार देखा उसमें जब मैंने एक कंपनी का इश्तेहार देखा तो मैं वहां पर इंटरव्यू के लिए जाना चाहता था। जब मैं वहां पर गया तो मैंने उस कंपनी में इंटरव्यू दिया और वहां पर मेरी जॉब लग चुकी थी। मेरी जॉब लग जाने के बाद मैं काफी खुश था और करीब एक वर्ष तक मैंने उसी कंपनी में जॉब की लेकिन फिर मुझे लगने लगा कि मुझे अब किसी और कंपनी में ट्राई करना चाहिए और मैंने दूसरी कंपनी में जॉब के लिए ट्राई किया। जब मैंने दूसरी कंपनी में जॉब के लिए ट्राई किया तो मेरा सिलेक्शन वहां भी हो गया और थोड़े ही समय बाद मैं जॉब के लिए मुंबई चला गया था।

मुंबई से मुझे बड़ी कंपनी का ऑफर आया और मैं वहां पर जॉब करने लगा जब मैं मुंबई में जॉब कर रहा था तो मुंबई में ही मेरे पड़ोस में रहने वाला मेरा दोस्त जिससे कि मेरी काफी अच्छी बनने लगी थी वह मुझे मिला। जब हम दोनों एक दूसरे से मिले तो मैंने उससे कहा कि आजकल तुम दिखाई नहीं दे रहे हो तो वह मुझे कहने लगा कि आजकल मैं ऑफिस के काम में कुछ ज्यादा बिजी था इसलिए मैं तुमसे मिल नहीं पाया था। हम दोनों एक दूसरे के साथ बात कर रहे थे जब हम लोग एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे घर में सब लोग कैसे हैं तो वह कहने लगा घर में तो सब लोग ठीक हैं। हम लोगों ने करीब एक घंटे तक बात की और समय का पता ही नहीं चला की कब एक घंटा बीत गया उसके बाद मैं घर आ गया और घर आने के बाद मुझे याद ही नहीं रहा कि मुझे एक फंक्शन में जाना था और जब मुझे याद आया तो मैं जल्दी से तैयार होने लगा। हमारे ऑफिस में काम करने वाले रोहन के घर पर एक पार्टी थी और मुझे वहां जाना था मेरे दिमाग से यह बात निकल चुकी थी लेकिन जब मुझे ध्यान आया तो मैं जल्दी से तैयार होकर रोहन के घर के लिए निकल गया।

मुझे यह पता नहीं था कि उन्होंने पार्टी का अरेंजमेंट कहां किया हुआ है, जब मैं रोहन के घर पर पहुंचा तो वह घर पर नहीं था तब रोहन के पापा ने मुझे पार्टी के अरेंजमेंट के बारे में बताया जहां पर पार्टी होनी थी और फिर मैं वहां पर चला गया। जब मैं वहां पर गया तो वहां मुझे रोहन मिला रोहन मुझे कहने लगा कि तुम कहां रह गए थे तो मैंने रोहन से कहा कि मेरे दिमाग से यह बात निकल गई थी उसके लिए मैं तुमसे माफी मांगना चाहता हूं रोहन ने कहा कोई बात नहीं। रोहन अपने रिलेटिव्स को मैनेज कर रहा था रोहन के बेटे का जन्मदिन था और उसके बेटे के जन्मदिन के लिए ही उसने पार्टी रखी थी। वह काफी खुश था और उसकी पत्नी भी काफी खुश नजर आ रही थी। पार्टी शुरू हो चुकी थी लगभग सब लोग आ चुके थे सब लोगों के चेहरे पर खुशी थी और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने रोहन के बेटे को बर्थडे की बधाई दी और फिर मैं अब वहां से कार पार्किंग की तरफ चला गया। मैं वहां पर सिगरेट पीने लगा तभी मैंने एक लड़की को कार से उतरते हुए देखा उसे देखकर मैं उसकी तरफ देखता ही रह गया मेरी नजर एक पल के लिए भी उससे हट नही पाई। मैंने देखा कि वह भी पार्टी हॉल में ही जा रही है मैं भी उस लड़की के पीछे पीछे चला गया और जब वह रोहन से मिली तो मैं भी उसके बिल्कुल सामने ही खड़ा था तो रोहन ने मेरा परिचय सुरभि से करवाया। जब रोहन ने मेरा परिचय सुरभि से करवाया तो मुझे काफी अच्छा लगा और सुरभि से मैंने हाथ मिलाया। मुझे क्या मालूम था कि एक वक्त ऐसा आएगा जब सुरभि और मैं एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाएंगे देखते ही देखते हम दोनों का रिलेशन चलने लगा और हम दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे थे। हम दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे थे और मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब मैं सुरभि के साथ होता हम दोनों जब भी एक दूसरे के साथ होते तो हम दोनों काफी खुश होते और हम दोनों एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिताते। सुरभि के पिताजी एक बड़े बिजनेसमैन है और मैं एक नौकरी पेशा हूं मुझे कई बार लगता कि क्या सुरभि और मेरा रिश्ता आगे बढ़ पाएगा भी या नहीं।

जब भी मैं सुरभि से इस बारे में बात करता तो सुरभि मुझे कहती कि सोहन तुम इस बारे में मत सोचा करो क्योंकि हम दोनों ने अभी कोई भी फैसला नहीं किया था। सुरभि चाहती थी कि हम दोनों अपनी जिंदगी अच्छे से जिये मैं और सुरभि एक दूसरे के साथ अच्छे से समय बिता रहे थे और मैं सुरभि को समय देने की पूरी कोशिश करता। मेरे पास जब भी टाइम होता तो मैं सुरभि के साथ ही टाइम स्पेंड करता और यह सुरभि को भी अच्छा लगता था कि हम दोनों एक दूसरे के साथ टाइम स्पेंड कर रहे हैं। हम दोनों के बीच का प्यार बढ़ता ही जा रहा था और मैं काफी खुश था कि सुरभि और मेरे बीच प्यार बहुत ज्यादा बढ़ चुका है। एक दिन मैं और सुरभि मेरे ऑफिस की कैंटीन में ही बैठे हुए थे सुरभि उस दिन मुझसे मिलने के लिए मेरे ऑफिस में ही आई हुई थी क्योंकि सुरभि को उस दिन मुझसे मिलना था। मैं दो-तीन दिनों से सुरभि से नहीं मिल पा रहा था तो सुरभि ऑफिस में ही मुझसे मिलने के लिए आ गई। उस वक्त लंच टाइम था तो मैं और सुरभि हमारे ऑफिस की कैंटीन में बैठे हुए थे सुरभि को मैंने अपने दोस्तों से भी मिलवाया था और मेरे सारे दोस्त सुरभि से परिचित हो चुके थे।

हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे तो सुरभि ने मुझसे कहा कि तुम काफी दिनों से मुझे मिल नहीं रहे हो तो मैंने सुरभि से कहा कि आजकल ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इस वजह से मैं तुमसे मिल नहीं पाया। सुरभि और मैं करीब एक दूसरे के साथ आधे घंटे तक बैठ कर बाते करते रहे और फिर वह चली गई थी। एक दिन मैं और सुरभि साथ में ही थे। सुरभि और मेरे बीच प्यार तो था अब हम दोनों के बीच किस भी हो चुका था। कई बार हम दोनों के बीच किस हो चुका था जिससे कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और सुरभि को भी बहुत अच्छा लगता। हमारे बीच अभी तक शारीरिक संबंध नहीं बन पाए थे इसलिए एक दिन मैंने सुरभि को अपने घर पर बुला लिया और सुरभि आ गई। जब सुरभि घर पर आई तो उस दिन सुरभि को भी यह समझ आ चुका था कि आज हम दोनों एक दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाने वाले हैं इसलिए वह भी आ गई। जब सुरभि और मै एक दूसरे के साथ बैठकर बातें कर रहे थे तो मैंने सुरभि की जांघ पर हाथ रखा। सुरभि की जांघ को मैं अपने हाथो से सहलाने लगा मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था और बहुत अच्छा महसूस भी हो रहा था क्योंकि सुरभि के बदन को मैं गर्म कर रहा था। वह पूरी तरीके से गर्म होती जा रही थी मेरे अंदर की गर्मी भी अब बढ चुकी थी और सुरभि के अंदर की आग भी बढ चुकी थी। वह बिल्कुल रह नहीं पाई मैंने उससे कहा मैं तुम्हें आज अपना बनाना चाहता हूं। सुरभि मुझे कहने लगी मैं तो तुम्हारी ही हूं। मैंने जब सुरभि को अपनी बाहों में लिया तो सुरभि मचलने लगी। मै सुरभि के स्तनों को सहलाने लगा था। सुरभि के स्तनों को जब मैं सहला रहा था तो मुझे मज़ा आ रहा था और सुरभि को भी बहुत ही आनंद आ रहा था। सुरभि के अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी थी। अब मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी हम दोनों ही पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुके थे। मेरे अंदर की आग बहुत बढने लगी मैंने उसको कहा मैं बिल्कुल भी रह नहीं पाऊंगा। यह कहकर जब मैंने उसके स्तनों को चूसकर अपना बना लिया।

वह तड़पने लगी थी मैंने उसकी पैंटी को नीचे उतारकर उसकी योनि को चाटना शुरू किया तो उसकी योनि से पानी बाहर निकलने लगा था वह बहुत ज्यादा तड़प रही थी। मैंने सुरभि को कहा मुझे तुम्हारी योनि को चाटना है वह इस बात पर मुस्कुराने लगी। मैंने सुरभि की योनि को चाटना शुरू किया और उसके अंदर की गर्मी को मैं पूरी तरीके से बढा चुका था। सुरभि के अंदर की गर्मी बढ़ चुकी थी वहां उत्तेजित हो गई थी और उसे मजा आने लगा। अब मुझे भी मज़ा आने लगा था। मैंने सुरभि की चूत पर लंड लगाकर अंदर की तरफ डाला। जैसे ही मेरा मोटा लंड उसकी योनि के अंदर प्रवेश होने लगा तो उसकी चूत से खून निकलने लगा और मुझे मजा आने लगा। मुझे बहुत मजा आने लगा था मैं सुरभि को तेजी से धक्के मारता। मै सुरभि को धक्के मार रहा था सुरभि के पैरों को मैंने खोला हुआ था जिससे कि मैं उसे बड़ी ही आसानी से चोद रहा था। सुरभि की योनि के अंदर बाहर मेरा लंड हो रहा था। सुरभि की योनि के अंदर बाहर जब मेरा लंड तेजी से अंदर बाहर होता तो मुझे मजा आता और वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होती उसकी योनि को मैंने पूरी तरीके से चिकना बना दिया था।

सुरभि की चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ चुका था और मेरे अंदर से निकलती हुई गर्मी भी अब इतनी अधिक हो चुकी थी कि मैंने सुरभि की चूत मे अपने माल को गिरा दिया। कुछ देर बाद सुरभि ने मेरे लंड को चूसकर दोबारा से कठोर बना दिया। जिसके बाद मैंने सुरभि की योनि के अंदर दोबारा से लंड को घुसा दिया। जब मेरा लंड सुरभि की योनि के अंदर जाता तो सुरभि को मजा आने लगता और मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था। मैं सुरभि की योनि के अंदर बाहर अपने लंड को किए जा रहा था जिससे कि मुझे मजा आ रहा था और सुरभि को भी बड़ा आनंद आ रहा था। हम दोनों की गर्मी बढ़ती जा रही थी जिस से मेरे धक्को मे बढ़ोतरी हो चुकी थी। वह मुझे कहने लगी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पाऊंगी। अब वह मुझे अपने पैरों के बीच में जकडने की कोशिश करने लगी जैसे ही मैंने उसकी चूत मे माल गिराया तो वह खुश हो गई। सुरभि खुश हो चुकी थी और उसके बाद हम दोनों कुछ देर तक एक दूसरे के साथ बैठे रहे और एक दूसरे से बात करते रहे। मुझे बहुत ही अच्छा लगा जब मैंने सुरभि के साथ सेक्स संबंध बनाए और सुरभि को पूरी तरीके से संतुष्ट कर दिया था।
 
Back
Top