Antarvasna, hindi sex kahani: मैं जब रेलवे स्टेशन पर पहुंचा तो उस वक्त काफी ज्यादा रात हो चुकी थी रात के करीब 12:00 बज रहे थे इसलिए स्टेशन पर लोग कम ही थे। ठंड का मौसम था और स्टेशन पर भीड़ भी काफी कम थी। मैंने सामने से एक लड़की को आते हुए देखा वह लड़की बहुत घबराई हुई थी मुझे कुछ समझ नहीं आया कि आखिर वह लड़की इतनी डर क्यों रही है मैंने सोचा कि उससे जाकर बात करूं और फिर मैं उस लड़की के पास जाकर बैठ गया। मैंने जब उसकी तरफ देखा तो वह किसी अच्छे घर की लग रही थी मैं सोचने लगा कि उससे बात करना ठीक होगा या नहीं लेकिन फिर मैंने उससे बात कर ली। जब मैंने उस लड़की से बात की तो पहले वह काफी ज्यादा घबरा रही थी लेकिन बादमे वह भी मुझसे थोड़ी बहुत बात करने लगी। मैंने उससे पूछा कि तुम्हें कहां जाना है तो उसने मुझे कोई जवाब नहीं दिया लेकिन जब मेरी ट्रेन आई तो वह भी उसी ट्रेन में चढ़ गई और मेरे सामने वाली सीट में बैठ गई। उसके पास टिकट नहीं था यह बात मुझे उस वक्त पता चली जब उस सीट पर कोई और महिला आकर बैठ गई मैं समझ चुका था कुछ तो गड़बड़ है। मैंने उस लड़की से उसका नाम पूछा उसने मुझे अपना नाम बताया उसका नाम संध्या है।
मैंने जब संध्या से पूछा कि आखिर क्या बात है तो वह मुझे कहने लगी कि मैं अपने घर से भाग कर आई हूं। मैंने उसे कहा कि लेकिन तुम्हें अपने घर से भागने की क्या जरूरत थी तो वह मुझे कहने लगी कि अगर मैं अपने घर से नहीं भागती तो मेरे घरवाले मेरी शादी जबरदस्ती करवा देते। मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे पापा क्या करते हैं तो उसने मुझे बताया कि उसके पापा का अपना कारोबार है मैंने उससे कहा देखो तुम अच्छे घर की लडक़ी हो और यदि ऐसे ही तुम कहीं भाग जाओगी तो तुम्हारे पापा की बदनामी होगी। वह मेरी बात नहीं मानी और कहने लगी कि मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो मैंने उसे कहा लेकिन तुम अकेली कहां जाओगी। वह मुझे कहने लगी तुम्हारा नाम जो भी हो लेकिन अब तुम मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो। उसके बाद वह वहां से चली गई वह दूसरी बोगी में चली गई थी और मैं अपनी सीट पर ही बैठा हुआ था लेकिन मुझे उस लड़की की चिंता सता रही थी मैंने सोचा कि मैं उसे जाकर मिलूँ लेकिन वह लड़की मुझे नहीं मिली। जब मैं अगले स्टेशन पर पहुंचा तो वह लड़की भी स्टेशन पर मुझे दिखी उस लड़की के पास शायद पैसे भी नहीं थे और रहने का भी कोई बंदोबस्त नहीं था इसलिए वह काफी घबराई हुई थी। मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हारी मदद करने को तैयार हूं। मैंने उस लड़की की मदद की और उसे अपने एक फ्रेंड के घर पर रहने की जगह दिलवा दी वह मेरी फ्रेंड के घर पर रह रही थी। संध्या ने मुझसे अपनी गलती के लिए माफी मांगी और कहा कि मैंने तुमसे बहुत ही गलत तरीके से बात की।
मैंने संध्या को कहा कि कोई बात नहीं अब मैं यह बात भूल चुका हूं। संध्या बहुत ही अच्छी लड़की है और मुझे मालूम था कि वह जरूर कुछ ना कुछ कर लेगी और अब वह कंपनी में जॉब करने लगी थी लेकिन वह अपने घर जाने को तैयार नहीं थी। मैंने संध्या को काफी समझाया लेकिन वह अपने घर किसी भी सूरत में जाना नहीं चाहती थी मैंने संध्या को कहा तुम अपने घर चली जाओ लेकिन उसने मुझे साफ तौर पर मना कर दिया और कहा कि मैं अपने घर नहीं जाना चाहती हूं। सन्ध्या अब लखनऊ में रहकर ही जॉब करने लगी थी और उसने अपने लिए घर भी ले लिया था संध्या की जिंदगी में अब सब कुछ ठीक चलने लगा था। संध्या और मैं एक दूसरे को मिलते तो मुझे उससे मिलकर अच्छा लगता लेकिन मुझे डर लगता था कि कहीं संध्या को मैंने कभी अपने दिल की बात कही तो संध्या को कहीं बुरा ना लग जाए इसलिए मैंने उसे कभी भी अपने दिल की बात नहीं कही।
एक दिन संध्या के पापा मम्मी ने उसे ढूंढ लिया और वह लोग सन्ध्या को अपने साथ लेकर जाना चाहते थे लेकिन संध्या ने मुझे फोन करके बुला लिया था। जब मैं संध्या के पापा मम्मी से मिला तो उन्होंने मुझे कहा कि देखो बेटा तुम समझदार लगते हो और तुम्हें ही संध्या को समझाना होगा की उसका अकेले रहना ठीक नहीं है। वह लोग चाहते थे कि संध्या उनके साथ घर चली जाए लेकिन संध्या ने तो जैसे अब ठान ही लिया था कि वह अब अलग रहेगी और वह अब अलग ही रहना चाहती थी। मैंने संध्या को समझाने की कोशिश की लेकिन वह मेरी एक बात नहीं मानी और उसके पापा मम्मी भी चले गए थे मैंने संध्या को कहा तुम अकेले कैसे रहोगी लेकिन संध्या को उसके हाल पर छोड़ना ही समझदारी थी इसलिए मैंने संध्या को उसके हाल पर ही छोड़ दिया था। समय बीतने के साथ साथ संध्या को मेरा साथ भी अच्छा लगने लगा था और वह मुझसे प्यार भी करने लगी थी। एक दिन उसने मुझसे अपने दिल की बात कह दी, जब उसने मुझसे अपने दिल की बात कही तो मैंने संध्या को कहा कि क्या तुम मेरे साथ अपना जीवन बिताना चाहती हो तो संध्या मुझे कहने लगी कि हां मैं तुम्हारे साथ अपना जीवन बिताना चाहती हूं।
मैं भी काफी ज्यादा खुश था कि अब संध्या और मेरे बीच रिलेशन चलने लगा है हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे थे। हम लोगों के बीच बहुत प्यार बढ़ चुका था और हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाते थे। मैं चाहता था कि हम लोग अपने परिवार वालों से इस बारे में बात करें और मैंने संध्या से कहा कि मैं चाहता हूं कि मैं तुम्हारे पापा और मम्मी से बात करूं। संध्या ने मुझे कहा कि ठीक है जैसा तुम्हें लगता है, तुम अगर पापा मम्मी से बात करना चाहते हो तो तुम उनसे बात कर सकते हो। मैंने संध्या के पापा मम्मी से अपने और संध्या के रिश्ते को लेकर बात की तो उन्हें कोई एतराज नहीं था वह सिर्फ संध्या की खुशी चाहते थे। संध्या अभी भी घर नहीं लौटी थी वह लखनऊ में ही रहती है। मैं संध्या को मिलने के लिए अक्सर उसके घर पर चला जाया करता था। जब भी मैं संध्या को मिलने के लिए उसके घर पर जाता तो मुझे काफी अच्छा लगता और उसे भी बहुत ज्यादा अच्छा लगता था। हम दोनों ही एक दूसरे के साथ काफी ज्यादा खुश थे और हमारी जिंदगी अच्छे से चल रही थी। संध्या और मेरे बीच में कई बार इससे पहले किस तो हो चुका था लेकिन हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध कभी बने नहीं थे लेकिन उस दिन जब मैं संध्या के साथ बैठा हुआ था तो मैंने संध्या के हाथों को पकड़कर उसे सहलाना शुरू कर दिया।
जब मैं ऐसा कर रहा था तो मुझे काफी ज्यादा अच्छा लग रहा था और संध्या को भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है मैंने संध्या को कहा मुझे भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा है। संध्या और मैं दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा लेना चाहते थे। मैंने संध्या के बदन को अच्छे से महसूस किया जब मैने उसके कपड़े उतारे तो वह मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी, वह किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी उसके बदन इतना ज्यादा गोरा था कि वह मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। उसके बदन को देखकर मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गया था मेरा लंड उसकी योनि में जाने के लिए तैयार था। मैंने संध्या के स्तनों का रसपान करना शुरू कर दिया जब मैं ऐसा करता तो उसे अच्छा लगता। मैंने बहुत देर तक उसके स्तनों को चूसा मै जब संध्या के निप्पल को चूसता तो मेरा लंड पूरी तरीके से खड़ा हो गया। वह भी इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी और मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जाएगा।
मैंने संध्या को कहा रहा तो मुझसे भी नहीं जाएगा जब मैंने उसकी योनि पर अपनी जीभ को लगाकर चाटना शुरू किया तो हम दोनों को ही बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगा था हम दोनों ही बहुत ज्यादा खुश हो गए थे। मैंने संध्या की योनि पर अपने लंड को लगाकर अंदर की तरफ धकेलना शुरू किया जब मैंने ऐसा किया तो उसकी चूत के अंदर मेरा लंड घुस चुका था। संध्या की चूत के अंदर लंड जाते ही मैंने उसे कहा मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है। अब संध्या को भी काफी ज्यादा अच्छा लगने लगा था वह मुझे कहने लगी मुझे इतना ज्यादा मजा आ रहा है मैं चाहती हूं तुम मेरी चूत का ऐसे ही मजा लेते रहो। मैंने संध्या को कहा तुम मेरा साथ ऐसे ही देते जाओ। संध्या की चूत से खून निकलने लगा था संध्या की चूत से इतना ज्यादा खून निकल चुका था कि मुझे उसे चोदने में और भी ज्यादा मजा आ रहा था।
मैंने उसके दोनों पैरों को आपस में मिला लिया मैने जब उसके दोनों पैरों को आपस में मिलाया तो मुझे मजा आने लगा। मैं संध्या कि चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करने लगा मैं जब संध्या की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था तो मुझे मज़ा आ रहा था और उसे भी बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा। मैंने संध्या को कहा मुझे लगता है मेरा वीर्य बाहर की तरफ को आने वाला है। संध्या मुझे कहने लगी मुझे भी लग रहा है मैं अब तुम्हारे लंड की गर्मी को झेल नहीं पाऊंगी। संध्या की टाइट चूत का मजा लेकर मुझे इतना ज्यादा मजा आया कि जब मैंने अपने माल को उसकी चूत में गिरा कर अपनी इच्छा को पूरा किया तो वह खुश हो गई और कहने लगी आज मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। संध्या और मैं अब एक होना चाहते थे मैं भी संध्या के बिना बिल्कुल रह नहीं पाता था इसके लिए हम दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। उसके परिवार वालों को भी अब कोई एतराज नहीं था और ना ही मेरे परिवार वालों को संध्या से कोई एतराज था इसलिए हम दोनों ने एक दूसरे से शादी कर ली। अब हम दोनों शादी के बंधन में बंध चुके हैं मैं बहुत ज्यादा खुश हूं कि संध्या मेरी पत्नी बन चुकी है।
मैंने जब संध्या से पूछा कि आखिर क्या बात है तो वह मुझे कहने लगी कि मैं अपने घर से भाग कर आई हूं। मैंने उसे कहा कि लेकिन तुम्हें अपने घर से भागने की क्या जरूरत थी तो वह मुझे कहने लगी कि अगर मैं अपने घर से नहीं भागती तो मेरे घरवाले मेरी शादी जबरदस्ती करवा देते। मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे पापा क्या करते हैं तो उसने मुझे बताया कि उसके पापा का अपना कारोबार है मैंने उससे कहा देखो तुम अच्छे घर की लडक़ी हो और यदि ऐसे ही तुम कहीं भाग जाओगी तो तुम्हारे पापा की बदनामी होगी। वह मेरी बात नहीं मानी और कहने लगी कि मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो मैंने उसे कहा लेकिन तुम अकेली कहां जाओगी। वह मुझे कहने लगी तुम्हारा नाम जो भी हो लेकिन अब तुम मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो। उसके बाद वह वहां से चली गई वह दूसरी बोगी में चली गई थी और मैं अपनी सीट पर ही बैठा हुआ था लेकिन मुझे उस लड़की की चिंता सता रही थी मैंने सोचा कि मैं उसे जाकर मिलूँ लेकिन वह लड़की मुझे नहीं मिली। जब मैं अगले स्टेशन पर पहुंचा तो वह लड़की भी स्टेशन पर मुझे दिखी उस लड़की के पास शायद पैसे भी नहीं थे और रहने का भी कोई बंदोबस्त नहीं था इसलिए वह काफी घबराई हुई थी। मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हारी मदद करने को तैयार हूं। मैंने उस लड़की की मदद की और उसे अपने एक फ्रेंड के घर पर रहने की जगह दिलवा दी वह मेरी फ्रेंड के घर पर रह रही थी। संध्या ने मुझसे अपनी गलती के लिए माफी मांगी और कहा कि मैंने तुमसे बहुत ही गलत तरीके से बात की।
मैंने संध्या को कहा कि कोई बात नहीं अब मैं यह बात भूल चुका हूं। संध्या बहुत ही अच्छी लड़की है और मुझे मालूम था कि वह जरूर कुछ ना कुछ कर लेगी और अब वह कंपनी में जॉब करने लगी थी लेकिन वह अपने घर जाने को तैयार नहीं थी। मैंने संध्या को काफी समझाया लेकिन वह अपने घर किसी भी सूरत में जाना नहीं चाहती थी मैंने संध्या को कहा तुम अपने घर चली जाओ लेकिन उसने मुझे साफ तौर पर मना कर दिया और कहा कि मैं अपने घर नहीं जाना चाहती हूं। सन्ध्या अब लखनऊ में रहकर ही जॉब करने लगी थी और उसने अपने लिए घर भी ले लिया था संध्या की जिंदगी में अब सब कुछ ठीक चलने लगा था। संध्या और मैं एक दूसरे को मिलते तो मुझे उससे मिलकर अच्छा लगता लेकिन मुझे डर लगता था कि कहीं संध्या को मैंने कभी अपने दिल की बात कही तो संध्या को कहीं बुरा ना लग जाए इसलिए मैंने उसे कभी भी अपने दिल की बात नहीं कही।
एक दिन संध्या के पापा मम्मी ने उसे ढूंढ लिया और वह लोग सन्ध्या को अपने साथ लेकर जाना चाहते थे लेकिन संध्या ने मुझे फोन करके बुला लिया था। जब मैं संध्या के पापा मम्मी से मिला तो उन्होंने मुझे कहा कि देखो बेटा तुम समझदार लगते हो और तुम्हें ही संध्या को समझाना होगा की उसका अकेले रहना ठीक नहीं है। वह लोग चाहते थे कि संध्या उनके साथ घर चली जाए लेकिन संध्या ने तो जैसे अब ठान ही लिया था कि वह अब अलग रहेगी और वह अब अलग ही रहना चाहती थी। मैंने संध्या को समझाने की कोशिश की लेकिन वह मेरी एक बात नहीं मानी और उसके पापा मम्मी भी चले गए थे मैंने संध्या को कहा तुम अकेले कैसे रहोगी लेकिन संध्या को उसके हाल पर छोड़ना ही समझदारी थी इसलिए मैंने संध्या को उसके हाल पर ही छोड़ दिया था। समय बीतने के साथ साथ संध्या को मेरा साथ भी अच्छा लगने लगा था और वह मुझसे प्यार भी करने लगी थी। एक दिन उसने मुझसे अपने दिल की बात कह दी, जब उसने मुझसे अपने दिल की बात कही तो मैंने संध्या को कहा कि क्या तुम मेरे साथ अपना जीवन बिताना चाहती हो तो संध्या मुझे कहने लगी कि हां मैं तुम्हारे साथ अपना जीवन बिताना चाहती हूं।
मैं भी काफी ज्यादा खुश था कि अब संध्या और मेरे बीच रिलेशन चलने लगा है हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे थे। हम लोगों के बीच बहुत प्यार बढ़ चुका था और हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाते थे। मैं चाहता था कि हम लोग अपने परिवार वालों से इस बारे में बात करें और मैंने संध्या से कहा कि मैं चाहता हूं कि मैं तुम्हारे पापा और मम्मी से बात करूं। संध्या ने मुझे कहा कि ठीक है जैसा तुम्हें लगता है, तुम अगर पापा मम्मी से बात करना चाहते हो तो तुम उनसे बात कर सकते हो। मैंने संध्या के पापा मम्मी से अपने और संध्या के रिश्ते को लेकर बात की तो उन्हें कोई एतराज नहीं था वह सिर्फ संध्या की खुशी चाहते थे। संध्या अभी भी घर नहीं लौटी थी वह लखनऊ में ही रहती है। मैं संध्या को मिलने के लिए अक्सर उसके घर पर चला जाया करता था। जब भी मैं संध्या को मिलने के लिए उसके घर पर जाता तो मुझे काफी अच्छा लगता और उसे भी बहुत ज्यादा अच्छा लगता था। हम दोनों ही एक दूसरे के साथ काफी ज्यादा खुश थे और हमारी जिंदगी अच्छे से चल रही थी। संध्या और मेरे बीच में कई बार इससे पहले किस तो हो चुका था लेकिन हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध कभी बने नहीं थे लेकिन उस दिन जब मैं संध्या के साथ बैठा हुआ था तो मैंने संध्या के हाथों को पकड़कर उसे सहलाना शुरू कर दिया।
जब मैं ऐसा कर रहा था तो मुझे काफी ज्यादा अच्छा लग रहा था और संध्या को भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है मैंने संध्या को कहा मुझे भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा है। संध्या और मैं दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा लेना चाहते थे। मैंने संध्या के बदन को अच्छे से महसूस किया जब मैने उसके कपड़े उतारे तो वह मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी, वह किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी उसके बदन इतना ज्यादा गोरा था कि वह मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। उसके बदन को देखकर मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गया था मेरा लंड उसकी योनि में जाने के लिए तैयार था। मैंने संध्या के स्तनों का रसपान करना शुरू कर दिया जब मैं ऐसा करता तो उसे अच्छा लगता। मैंने बहुत देर तक उसके स्तनों को चूसा मै जब संध्या के निप्पल को चूसता तो मेरा लंड पूरी तरीके से खड़ा हो गया। वह भी इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी और मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जाएगा।
मैंने संध्या को कहा रहा तो मुझसे भी नहीं जाएगा जब मैंने उसकी योनि पर अपनी जीभ को लगाकर चाटना शुरू किया तो हम दोनों को ही बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगा था हम दोनों ही बहुत ज्यादा खुश हो गए थे। मैंने संध्या की योनि पर अपने लंड को लगाकर अंदर की तरफ धकेलना शुरू किया जब मैंने ऐसा किया तो उसकी चूत के अंदर मेरा लंड घुस चुका था। संध्या की चूत के अंदर लंड जाते ही मैंने उसे कहा मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है। अब संध्या को भी काफी ज्यादा अच्छा लगने लगा था वह मुझे कहने लगी मुझे इतना ज्यादा मजा आ रहा है मैं चाहती हूं तुम मेरी चूत का ऐसे ही मजा लेते रहो। मैंने संध्या को कहा तुम मेरा साथ ऐसे ही देते जाओ। संध्या की चूत से खून निकलने लगा था संध्या की चूत से इतना ज्यादा खून निकल चुका था कि मुझे उसे चोदने में और भी ज्यादा मजा आ रहा था।
मैंने उसके दोनों पैरों को आपस में मिला लिया मैने जब उसके दोनों पैरों को आपस में मिलाया तो मुझे मजा आने लगा। मैं संध्या कि चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करने लगा मैं जब संध्या की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था तो मुझे मज़ा आ रहा था और उसे भी बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा। मैंने संध्या को कहा मुझे लगता है मेरा वीर्य बाहर की तरफ को आने वाला है। संध्या मुझे कहने लगी मुझे भी लग रहा है मैं अब तुम्हारे लंड की गर्मी को झेल नहीं पाऊंगी। संध्या की टाइट चूत का मजा लेकर मुझे इतना ज्यादा मजा आया कि जब मैंने अपने माल को उसकी चूत में गिरा कर अपनी इच्छा को पूरा किया तो वह खुश हो गई और कहने लगी आज मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। संध्या और मैं अब एक होना चाहते थे मैं भी संध्या के बिना बिल्कुल रह नहीं पाता था इसके लिए हम दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। उसके परिवार वालों को भी अब कोई एतराज नहीं था और ना ही मेरे परिवार वालों को संध्या से कोई एतराज था इसलिए हम दोनों ने एक दूसरे से शादी कर ली। अब हम दोनों शादी के बंधन में बंध चुके हैं मैं बहुत ज्यादा खुश हूं कि संध्या मेरी पत्नी बन चुकी है।