शरीफ़ बनकर घंटा हाथ लगा

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Sharif Bankar Ghanta Haath Laga

हेलो फ्रेंड्स। क्या आप लोगों के साथ कभी ऐसा हुआ है कि शरीफ़ बनकर रहने के चक्कर में कोई दूसरा व्यक्ति जो आप से उम्र में छोटा है, उसने बाज़ी मार लिया हो? मेरे साथ तो हाल ही में ऐसा ही कुछ हुआ था।

मेरे इलाके में एक परिवार रहने के लिए आया था। उस परिवार में एक खूबसूरत लड़की थी, जो हमारे कॉलेज में पढ़ने लगी थी। वह लड़की जब क्लास में पहली बार आई थी, तब सभी लड़कों की नज़र उस लड़की पर ही थी।

धीरे-धीरे जब कॉलेज की पढ़ाई शुरू हो गई थी, तब वह लड़की काफ़ी लोगों से बात-चीत करने लगी थी। क्यूँकि मैं क्लास में सब से ज़्यादा होशियार और शरीफ़ था, लड़कियों ने उस नई और सुंदर लड़की का परिचय मुझसे कराया था।

उसका नाम खुशबू वैष्णव था करके मालुम पड़ा। खुसबू मेरे साथ बातें करने लगी थी, क्यूँकि मेरी शराफ़त उसे पसंद थी। बातों-बातों में मैं खुशबु से प्यार करने लगा था। मैंने सोच लिया था कि वैलेंटाइन दिवस पर मैं खुसबू से अपने प्यार का इज़हार करूँगा।

मैं अपने आप को अंदर से तैयार करते हुए वैलेंटाइन दिवस का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था। जब वह दिन आया था, तब मैंने खुसबू को मोबाइल फ़ोन से मैसेज भेजकर कॉलेज के बाद मुझसे मिलने के लिए कहा था।

मगर खुसबू ने मुझसे मिलने से साफ़ इंकार कर दिया था। मुझे लगा की शायद उसे मालुम पड़ा होगा कि मैं उसे प्रोपोज़ करने वाला हूँ करके, इलसिए उसने शर्माकर मना कर दिया। उस दिन दोपहर को मैं घर से अंडे लाने के लिए दूकान जा रहा था।

रास्ते में मैंने देखा कि हमारे क्लास का एक लड़का खुसबू के घर के पास खड़ा था। वह लड़के का नाम वैभव है, यह मुझे बाद में पता चला था। मैं दूकान के पास खड़े होकर देख रहा था कि आख़िर वैभव वहाँ कर क्या रहा था।

थोड़ी देर बाद, खुसबू अपने घर से निकली और अपनी स्कूटी पर वैभव को बिठाकर चली गई। मैं वह देखकर हैरान हो गया था और मैं हुए उन दोनों का पीछा करने लगा। अपना प्यार अगर किसी और के साथ घूमने जाए, वह देखकर खून खौलने लगता है।

वह दोनों ज़्यादा दूर नहीं गए थे, बल्कि वह दोनों कॉलेज के पीछे वाले इलाके में जाकर रुके। मैं सोचकर घबराने लगा था कि ऐसी जगह पर खुसबू और वैभव करने क्या वाले थे। उस दिन वैलेंटाइन दिवस होने की वज़ह से मेरा दिल घबरा रहा था। मैं जब दबे पाँव चलकर उस जगह पर पहुँचा, तब नज़ारा देखकर ही मेरा दिल टूट गया था।

खुसबू एक दिवार के सहारे पीठ रखकर खड़ी थी और वैभव उसके सामने झुककर उसे प्रोपोज़ कर रहा था। उसने खुसबू को एक अंगूठी पहनाई और उसके हाथ का चुंबन लिया।

पता नहीं उन दोनों का चक्कर कितने दिनों से चल रहा था, क्यूँकि आगे जो हुआ वह देखकर मेरा लौड़ा नीचे ज़मीन पर गिर गया हो ऐसा लगा। वैभव ने खुसबू को पकड़कर अपनी बाहों में भर लिया।

दोनों एक दूसरे की होंठों की चुम्मियाँ लेने लगा। खुसबू को उसकी गाँड़ से पकड़कर वैभव ने उसे उठा लिया और उसके होंठों को अपने मुँह में भरकर चुमना जारी रखा। खुसबू की मोटी जीन्स पैंट की वज़ह से वैभव उसकी गाँड़ को अच्छी तरह दबा नहीं पा रहा था। खुसबू अपनी टी-शर्ट खोलकर गोल-मटोल चूचियों को वैभव की छाती पर दबाने लगी।

थोड़ी देर बाद, वैभव ने खुसबू को नीचे उतार दिया और अपनी पैंट की ज़िप खोलकर अपने लंबे लौड़े को बाहर निकाल दिया। खुसबू वैभव के लंबे लौड़े को पकड़कर हिलाने लगी और उसकी गोटियों पर अपनी उँगलियाँ घुमाने लगी।

जब उसका लंबा लौड़ा पूरी तरह तनकर कड़क हो गया, तब खुसबू ने उसे अपने मुँह में ड़ालकर चूसना शुरू किया। वह पैरों के बल बैठकर वैभव के लंबे लौड़े को चूस रही थी। वैभव खुसबू का चेहरा पकड़कर उसके मुँह में अपना लंबा लौड़ा अंदर-बाहर घुसा रहा था।

खुसबू वैभव की पैंट को थोड़ा नीचे उतारकर उसकी गोटियों को चूसने लगी थी। वैभव अपनी आँखें बंद करके मज़े ले रहा था। वह खुसबू के बालों को उसके मुँह में जाने से रोकने के लिए उसे पकड़कर खड़ा था।

थोड़ी देर बाद, खुसबू खड़ी हो गई और अपनी जीन्स पैंट उतारने लगी। खुसबू की मोटी गाँड़ देखकर वैभव पागल हो गया था। खुसबू की गाँड़ को पकड़कर वैभव ने उसे अपनी तरफ़ खींच लिया। उसकी गाँड़ को दबाते हुए वैभव उसकी चुम्मियाँ ले रहा था। खुसबू की गाँड़ की दरार में अपनी उँगली फ़साकर वैभव ने उसके चूतड़ को फ़ैलाना शुरू किया।

कुछ देर तक उसकी गाँड़ की छेद में उँगली घुसाने के बाद, वैभव ने खुसबू को फिर से उसकी गाँड़ से पकड़कर उठा लिया था। खुसबू ने वैभव का खड़ा हुआ लौड़ा पकड़ा और उसे अपनी चूत की दरार पर घिसना शुरू किया।

उसने लौड़े को अपनी चूत के अंदर धीरे से घुसा दिया और अपनी चूचियों को पकड़कर वैभव के मुँह पर घिसने लगी। वैभव खुसबू की गाँड़ पकड़कर उसे अपने लंबे लौड़े पर उछाल रहा था।

उसका मोटा और लंबा लौड़ा खुसबू की चिकनी चूत में फ़िसलकर पूरा अंदर घुस गया। उसकी गाँड़ में बिच की उँगली घुसाकर उसे भी अंदर-बाहर कर रहा था। खुसबू एक-एक करके अपनी चूचियों को वैभव के मुँह में घुसाकर उसे उत्साहित कर रही थी।

वैभव खुसबू को अपने लौड़े पर इतनी ज़ोर से पटककर उसकी चुदाई कर रहा था कि 'फट-फट' आवाज़ आने लगी थी। खुसबू सिसकियाँ लेकर वैभव को उकसाह रही थी।

वैभव तेज़ी से खुसबू के चूत में अपना लौड़ा घुसाकर उसे ऊपर-नीचे उछाल रहा था। कुछ देर बाद, वैभव ने अपना लंबा लौड़ा खुसबू की चूत से निकाल दिया। खुसबू अपनी उँगली चाटकर अपनी गाँड़ की छेद को चौड़ा कर रही थी।

उसने वैभव का लंबा लौड़ा पकड़कर उसकी नोक को अपनी गाँड़ की छेद पर रख दिया। धीरे-धीरे ज़ोर ड़ालते हुए, वैभव ने अपना लंबा लौड़ा खुसबू की गाँड़ में घुसा दिया।

अब वैभव खुसबू के चुत्तड़ फैलाकर उसकी गाँड़ की छेद में अपना लंबा लौड़ा अंदर-बाहर कर रहा था। खुसबू की हलकी-सी चीख़े निकलने लगी थी। कोई उसकी आवाज़ न सुन ले, इसलिए वैभव ने उसके होंठों को अपने मुँह में भर दिया।

खुसबू के होंठों को चूसते हुए वैभव ज़ोर-ज़ोर से उसकी गाँड़ की चुदाई करने लगा। कुछ देर बाद, वैभव ने खुसबू को अपने ऊपर से उतार दिया। खुसबू पैरों के बल नीचे बैठकर वैभव के लंबे लौड़े को अपने मुँह में ड़ालकर चूसने लगी थी।

वह अपनी मोटी चर्बीदार गाँड़ झुलाकर वैभव को उकसाह रही थी। वैभव ने खुसबू के चूतड़ पर थप्पड़ मारा और नीचे झुककर उसकी गाँड़ की दरार को चाटने लगा। खुसबू की गाँड़ की छेद को थूक लगाकर उसमें अपनी ज़ुबान घुसाने लगा।

उत्तेजना के मारे खुसबू अपनी गाँड़ ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगी थी। वैभव खड़ा हो गया और अपने लंबे लौड़े की नोक को खुसबू की गाँड़ की छेद के पास ले जाकर उसे दबा दिया।

खुसबू की कमर पकड़कर वैभव उसकी गाँड़ की छेड़ में अपना लौड़ा घुसाने लगा। ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारते हुए, वैभव खुसबू की तेज़ी से चुदाई कर रहा था।

आगे से उसकी चूचियाँ पकड़कर उन्हें दबाने लगा, जिसके कारण खुसबू की चीख़ें निकलनी शुरू हो गई थी। वैभव ने अपने हाथ को खुसबू के मुँह पर रख दिया और ज़ोर-ज़ोर से उसकी गाँड़ में लंबा लौड़ा घुसाना जारी रखा।

थोड़ी देर बाद, जब वैभव अपने लंबे लौड़े को खुसबू की गाँड़ की छेड़ में घुसा रहा था, तब दूर से दो आदमी चलकर आ रहे थे। उनके आने की हलचल को देखकर वैभव ने अपने लौड़े को खुसबू की गाँड़ के अंदर दबा दिया।

अपने लौड़े के माल को खुसबू की गाँड़ की छेद के अंदर निकालकर वैभव ने अपना लंबा लौड़ा बाहर निकाल लिया। दोनों फटाफट अपने-अपने कपड़े पहनकर मेरी तरफ़ भागने लगे।

मैं उनकी चुदाई देखकर इतना मशगूल हो गया था कि मैंने ध्यान दिया ही नहीं कि वह दोनों मेरी तरफ़ आ रहे थे करके। दोनों ने मुझे देखा और बिना कुछ कहे वहाँ से हस्ते हुए भाग गए।

खुसबू ने अपनी स्कूटी पर बैठते वक़्त मेरी तरफ़ देखा। उसकी आँखों पर यह बात साफ़ नज़र आ रही थी कि उसे मेरी कोई परवाह नहीं थी। मेरा दिल जुड़ने से पहले ही टूट गया था।
 
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