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Hindi sex kahani, antarvasna: जब मेरी मुलाकात पहली बार सुरभि से होती है। मुझे सुरभि का साथ बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता है सुरभि भी मेरे साथ काफी खुश थी और हम दोनों एक दूसरे के साथ अब बातें करने लगे थे। हम दोनों की फोन पर ही बात हो पाती थी लेकिन एक दिन सुरभि ने मुझे बताया वह बेंगलुरु जा रही है। जब मैंने सुरभि से पूछा वह बेंगलुरु क्या किसी जरूरी काम से जा रही है तो उसने मुझे बताया नहीं वहां पर उसकी जॉब लग चुकी है और वह बेंगलुरु में नौकरी करने के लिए जा रही है। इस बात से मुझे ऐसा लगा जैसे कि सुरभि मेरे जीवन से हमेशा के लिए जा रही हो। मैंने सुरभि से कहा क्या मैं तुमसे मुलाकात कर सकता हूं? वह मुझे कहने लगी हां मैं तुमसे आज शाम को मिलती हूं। मैंने सुरभि को कहा ठीक है। हम दोनों ने शाम के वक्त मिलने का फैसला कर लिया जब हम दोनों शाम के वक्त एक दूसरे को कॉफी शॉप में मिले तो मुझे सुरभि के साथ काफी अच्छा लग रहा था। मैंने सुरभि से जब इस बारे में पूछा तो सुरभि ने मुझे बताया उसकी जॉब कुछ समय पहले ही वहां पर लगी थी। मैंने सुरभि को कहा लेकिन तुमने तो मुझे इस बारे में बताया नहीं था।

सुरभि ने मुझे बताया उसने कुछ समय पहले ही इंटरव्यू दिया था और वहां पर उसका सिलेक्शन हो गया था। अब सुरभि को बेंगलुरु जाना था उस दिन मैंने सुरभि के साथ काफी अच्छा समय बिताया और अगले दिन सुरभि बेंगलुरु चली गई। सुरभि बेंगलुरु जा चुकी थी अब मेरी सिर्फ सुरभि से फोन पर ही बातें हो पाती थी। हम दोनों का संपर्क अब सिर्फ फोन के माध्यम से ही हो पाता था। मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था सुरभि के बिना मेरी जिंदगी जैसे अधूरी सी हो गई थी और मैं अपने आपको बहुत अकेला महसूस करता। जब मुझे सुरभि की याद आती तो मुझे ऐसा लगता क्या सुरभि को मेरे साथ होना चाहिए था या नहीं। मुझे इस बात का तो पता नहीं था लेकिन सुरभि बेंगलुरु में ही नौकरी करने लगी थी और उसने बेंगलुरु में ही अपने लिए लड़का भी पसंद कर लिया था। बेंगलुरु में उसके ऑफिस में जॉब करने वाला महेश जो सुरभि को बहुत ज्यादा पसंद था जब सुरभि ने मुझे इस बारे में बताया तो मैंने सुरभि को कहा क्या तुम महेश के साथ शादी करना चाहती हो।

सुरभि ने मुझे कहा मुझे शादी के बारे में तो नहीं मालूम लेकिन मैं महेश को पसंद करती हूं और मुझे महेश का साथ बहुत ही अच्छा लगता है। मैंने सुरभि को कहा क्या तुम्हें महेश का साथ अब अच्छा लगने लगा है? सुरभि कहने लगी हां मुझे महेश का साथ अच्छा लगता हैं। यह बात तो अब मुझे पता चल चुकी थी कि सुरभि शायद अब मेरी कभी नहीं हो पाएगी क्योंकि महेश और उसके बीच प्रेम संबंध हो गया था वह दोनों एक दूसरे के साथ काफी ज्यादा खुश भी थे। सुरभि मुझे हमेशा महेश के बारे में बताती हालांकि अभी भी मैं सुरभि से फोन पर बातें किया करता था। हम लोगों की फोन पर काफी बातें होती जब भी मेरी बात सुरभि के साथ होती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता था। अब मुझे पूरी तरीके से समझ भी आ चुका था कि सुरभि मेरी जिंदगी से दूर जा चुकी है इसलिए मैं सुरभि को भुलाने की कोशिश करने लगा था लेकिन यह सब इतना आसान होने वाला नहीं था। मैं सुरभि को बिल्कुल भी भूल नहीं पा रहा था क्योंकि उससे मेरी फोन पर हर रोज बातें होती थी। मुझे लगता क्या मुझे सुरभि से अब बात नहीं करनी चाहिए मेरे पास इस बात का तो कोई जवाब नहीं था। सुरभि अभी भी मुझसे बात करती थी काफी समय बाद मुझे सुरभि मिली। जब वह मुझे मिली तो मुझे सुरभि से मिलकर अच्छा लगा। सुरभि से जब मैंने महेश के बारे में पूछा तो सुरभि ने मुझे कहा महेश ने मुझे बहुत ही बड़ा धोखा दिया है और अब मैंने अपनी कंपनी से भी रिजाइन दे दिया है। मैंने सुरभि को पूछा लेकिन तुमने अपनी जॉब से क्यों रिजाइन दिया। सुरभि ने मुझे बताया महेश ने उस से झूठ बोला था महेश पहले से ही शादीशुदा था और मुझे महेश की असलियत पता नहीं थी। जब मुझे महेश के बारे में पता चला तो मैंने अपने ऑफिस से ही रिजाइन देना ठीक समझा अब मैं जयपुर में रहकर ही कोई जॉब करना चाहती हूं। मैंने सुरभि को कहा लेकिन तुम्हें क्या महेश ने कभी इस बारे में बताया नहीं था। वह कहने लगी नहीं मुझे महेश ने कभी भी इस बारे में बताया नहीं था। मैं इस बात से बड़ा खुश था अब सुरभि मेरी जिंदगी में वापस आ चुकी है मुझे लग रहा था वह मेरी जिंदगी से जा चुकी थी लेकिन अब सुरभि मेरी जिंदगी में वापस लौट चुकी थी और मैं काफी खुश था। सुरभि से जब मैं बात करता तो मुझे बहुत अच्छा लगता।

अब सुरभि ने जयपुर में रहने का फैसला कर लिया था वह जयपुर में ही रहकर जॉब कर रही थी। जयपुर में सुरभि को एक अच्छी कंपनी में जॉब मिल गई थी और सुरभि बहुत खुश थी की उसे एक अच्छी कंपनी में जॉब मिल चुकी हैं। मैं भी काफी ज्यादा खुश हो गया था। सुरभि अब एक अच्छी कंपनी में नौकरी कर रही है और सुरभि से मेरा हर रोज मिलना हो जाता था। मैं जब भी सुरभि से मुलाकात करता तो मुझे बहुत ही अच्छा महसूस होता और मैंने सुरभि से कभी अपने दिल की बात तो नहीं की थी लेकिन अब धीरे-धीरे सुरभि भी समझने लगी थी कि मेरे दिल में कुछ तो उसको लेकर चल रहा है इस बात से सुरभि बड़ी ही ज्यादा खुश थी। अब हम दोनों ने एक दूसरे से अपने दिल की बात कह दी। मेरा रिलेशन सुरभि के साथ चलने लगा था। सुरभि इस बात से बहुत ज्यादा खुश थी। हम दोनों एक दूसरे के साथ अब ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करने लगे थे। मुझे सुरभि के साथ बहुत ज्यादा अच्छा लगता।

सुरभि और मै एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा बिताते तो हम दोनों को ही काफी अच्छा लगता। एक दिन सुरभि ने मुझसे कहा चलो आज कहीं घूमने के लिए चलते हैं और उस दिन हम दोनों साथ में घूमने के लिए चले गए। हम दोनों ने साथ में उस दिन काफी अच्छा समय बिताया लेकिन जब उस दिन मैने सुरभि से कहा आज मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करना है? वह पहले मेरी तरफ देख कर कहने लगी यह सब ठीक नहीं है लेकिन फिर वह मेरी बात मान गई थी। वह मेरी बात मान गई और अब हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए तैयार थे। मैंने सुरभि से कहा तुम मेरे साथ मेरे दोस्त के घर चलो तो वह बात मान गई। सुरभि मेरे साथ मेरे दोस्त के घर पर आई जब वह मेरे साथ मेरे दोस्त के घर पर थी तो उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। वह पहले तो बहुत घबरा रही थी। मैंने उसे कहा तुम घबराओ मत कुछ नहीं होगा। जब मैंने उसे अपनी बाहों में लेकर उसके होंठों को चूमना शुरू किया तो उसे बहुत अच्छा लगने लगा था। वह बहुत ज्यादा खुश हो चुकी थी वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है। मैं भी काफी ज्यादा खुश था जब सुरभि के नरम होंठो को मैं अपने होठों में लेकर चूम रहा था। सुरभि के अंदर की गर्मी को मै पूरी तरीके से बढा चुका था। अब मेरे अंदर की गर्मी बढ़ चुकी थी जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाल कर उसे हिलाना शुरू किया तो सुरभि मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जाएगा। मैं भी समझ चुका था सुरभि बिल्कुल भी रह नहीं पाएगी। मैंने उसे कहा मैं अब तुम्हारी चूत के अंदर अपने मोटे लंड को डालना चाहता हूं। वह भी अब इस बात के लिए तैयार थी उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर कुछ देर तक सकिंग किया। जब वह मेरे लंड को चूस रही थी तो मुझे मजा आ रहा था। जब उसने मेरे लंड को चूसा तो उसे मजा आने लगा था। उसने मेरे अंदर की गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ा दिया था। मै अपनी गर्मी को रोक नहीं पा रहा था उसकी गर्मी पूरी तरीके से बढ चुकी थी। जब मैंने सुरभि के कपड़े खोलकर सुरभि के होंठों को चूमना शुरू किया तो उसे और भी मजा आ रहा था और उसे अच्छा लग रहा था। मेरी गर्मी बढ चुकी थी।

अब हम दोनों को ही मजा आने लगा था। मेरे अंदर की गर्मी तो इतनी बढने लगी थी मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत को चाटना चाहता हूं। वह बोली ठीक है तुम मेरी योनि को चाट लो। मैने सुरभि की चूत को चाटा। मैंने सुरभि की योनि के अंदर अपने लंड को घुसा दिया था। जब मैने अपने मोटे लंड को सुरभि कि योनि के अंदर डाला तो वह बहुत जोर से चिल्लाई। सुरभि की सील पैक चूत से खून निकल आया था मुझे बहुत अच्छा लगा जब मैं उसकी चूत के अंदर बाहर लंड को कर रहा था। मेरे अंदर की आग पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी और सुरभि के अंदर की आग भी अब बढ़ चुकी थी। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा है मेरे अंदर की आग बढ चुकी थी।

मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। मैंने सुरभि को तेज गति से चोदना शुरू कर दिया था। उसकी चूत की गर्मी बढ़ती ही जा रही थी। अब उसकी चूत के अंदर से निकलती हुई गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। मैने सुरभि की चूत फाड कर रख दी थी अब सुरभि को मजा आ रहा था। सुरभि की चूत से पानी निकल रहा था। अब मुझे बहुत मजा आने लगा था। हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सेक्स का मजा जमकर लिया। जब मुझे एहसास होने लगा कि अब मैं रह नहीं पाऊंगा तो मैंने सुरभि से कहा मै बहुत ज्यादा खुश हूं। मैने अपने माल को सुरभि की चूत मे गिरा दिया था। मैं अब बहुत ज्यादा खुश हो गया था। हम दोनों ने एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा लिया सुरभि भी बहुत ही ज्यादा खुश थी। हमने एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा लिया। उसके बाद तो सुरभि को मोटे लंड को लेने की आदत पड़ चुकी थी और वह अक्सर मुझे कहती मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करना है और हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स किया करते। मैं और सुरभि एक दूसरे से प्यार बहुत ज्यादा करते हैं और हम दोनों के बीच प्यार भी काफी ज्यादा है। हम दोनो एक दूसरे के लिए बहुत ज्यादा तड़पते है।
 
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