मै और वो जब एक हुए

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Antarvasna, hindi sex story: मैं सोहन को काफी देर से फोन मिलाए जा रही थी लेकिन सोहन ने मेरा फोन ही नहीं उठाया मैं बहुत परेशान हो गई थी मैं घर में अकेली ही थी और मैं बहुत ज्यादा डर गई थी लेकिन जब सोहन का मुझे फोन आया तो वह मुझे कहने लगे कि साक्षी क्या तुमने मुझे फोन किया था। मैंने सोहन को कहा मैं तुम्हें कब से फोन कर रही हूं लेकिन तुम हो कि मेरा फोन ही नहीं उठा रहे हो सोहन ने मुझे बड़े प्यार से कहा कि मैं मीटिंग में बैठा हुआ था इस वजह से तुम्हारा फोन नहीं उठा पाया। मैंने सोहन को कहा बाहर दो लोग कब से घूम रहे हैं और मुझे बहुत डर लग रहा है। सोहन ने मुझे कहा कि साक्षी तुम भी बहुत डरती हो वह लोग ऐसे ही घूम रहे होंगे। सोहन ने इस बात को नजरअंदाज कर दिया और उन्होंने फोन रख दिया मैं घर की खिड़की से बार बार उन दोनों लोगों को देखे जा रही थी मुझे उन दोनों पर कुछ तो शक था। मुझे यह भी डर लग रहा था कि मैं घर पर अकेली हूं फिर मैंने देखा कि वहां से गुजर रही एक लड़की का पर्स उन लोगों ने छीन लिया और वह दोनों वहां से भाग गए।

मैंने अब घर की खिड़की बंद कर दी और मैं सोफे पर बैठी हुई थी शाम के वक्त जब सोहन अपने ऑफिस से लौटे तो मैंने उन्हें कहा सोहन तुम्हें पता है आज जब मैंने तुम्हें दोपहर में फोन किया था उसके बाद क्या हुआ। सोहन ने मुझे कहा हां बताओ ना साक्षी तो मैंने उन्हें बताया कि उन लोगों ने एक लड़की का पर्स छीन लिया और उसके बाद वह वहां से भाग गए, मैं तुम्हें ना कहती थी कि वह लोग कुछ ठीक नहीं लग रहे। सोहन ने मुझे कहा कि साक्षी तुम्हें तो पता ही है कि मैं ऑफिस में कितना बिजी रहता हूं इस वजह से तुम्हारा फोन नहीं उठा पाया लेकिन तुम अपना ध्यान दे सकती हो। कुछ समय पहले ही सोहन का ट्रांसफर हुआ था और हम लोग मेरठ में रहने के लिए आ गए थे मैं घर में अकेली हो जाया करती क्योंकि आस पड़ोस में मैं किसी को भी नहीं जानती थी। मुझे कई बार लगता कि मुझे किसी से बात करनी चाहिए लेकिन मैं ज्यादातर घर में ही रहती थी सोहन ने मुझे कहा कि साक्षी तुम मेरे लिए चाय बना दो। मैंने उनके लिए चाय बना दी फिर सोहन छत पर टहलने के लिए चले गए मै भी उनके साथ छत पर टहल रही थी थोड़ी देर बाद हम लोग छत से नीचे आ गए और मैं रसोई में चली गई।

मैं खाना बनाने की तैयारी करने लगी मैं खाना बनाने की तैयारी कर ही रही थी कि तभी मेरी मां का फोन आ गया और मैंने जब उनका फोन उठाया तो उनसे मेरी काफी देर तक बात हुई मैंने उन्हें कहा कि मां आप कुछ दिनों के लिए मेरे पास आ जाओ। वह कहने लगी कि हां बेटा मैं कुछ दिनों के लिए तुम्हारे पास आ जाती हूं पिताजी भी रिटायर हो चुके हैं इसलिए वह लोग घर पर ही रहते हैं। मेरे कहने पर वह लोग कुछ दिनों बाद आने वाले थे मैं इस बात से बहुत ज्यादा खुश हो गई थी और मैंने सोहन को इस बारे में बताया कि कुछ दिनों बाद मां और पापा यहां आने वाले हैं सोहन कहने लगे कि चलो इस बहाने तुम्हें भी उनका साथ मिल जाएगा। मैं अब रसोई में खाना बनाने की तैयारी कर रही थी और लगभग एक घंटे के बाद मैं खाना बना चुकी थी मैंने डिनर करने के बाद सोचा कुछ देर हम लोग छत पर टहल आते हैं। हम लोग साथ में टहलने के बाद वापस कमरे में आए और सोहन आते ही सो गए कुछ दिन मैं ऐसे ही अकेले काटती रही लेकिन जब मेरे पापा और मम्मी आए तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा उन लोगों से मैं काफी महीने बाद मिल रही थी और उनसे मिलकर मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मेरी मां कहने लगी साक्षी बेटा तुम घर में अकेले कैसे रह लेती हो मैंने उन्हें बताया कि मां मुझे घर में अकेले रहने की आदत हो चुकी है। वह मुझे कहने लगी कि बेटा जब से तुम्हारी शादी हुई है तब से हम भी तो काफी अकेले हो गए हैं तुम्हारे बड़े भैया भी कोलकाता से बहुत कम ही घर आया करते हैं। मेरे बड़े भैया कोलकाता में नौकरी करते हैं और भाभी भी उन्हीं के साथ रहती हैं मैंने मां से कहा आप लोग यहां कुछ दिनों तक जरूर रुकेगा और मां कुछ दिनों तक घर में ही रुक गई पापा भी साथ में हीं थे। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था वह लोग काफी समय तक मेरे साथ रहे अब हम लोगों को कॉलोनी में रहते हुए काफी समय होने लगा था इसलिए मैं आस पड़ोस में अब कुछ लोगों को जानने लगी थी। पड़ोस में ही रहने वाली जिनका नाम ममता है उनसे मेरी अच्छी बातचीत होने लगी ममता दीदी को मैं अक्सर अपने घर पर आने के लिए कहती तो वह भी घर पर आ जाया करती थी।

वह भी ज्यादातर घर पर ही रहती थी इसलिए वह मुझसे मिलने के लिए आ जाया करते और हम लोग साथ में अच्छा समय बिता लिया करते हैं। सोहन को भी लग रहा था कि मैं घर में अकेली हो जाती हूं इस वजह से सोहन ने ऑफिस से कुछ दिनों की छुट्टी ले ली वह चाहते थे कि हम लोग कुछ दिन साथ में बिताएं। पापा और मम्मी भी अब जा चुके थे और सोहन मेरे साथ समय बिताना चाहते थे मुझे बहुत ही अच्छा लगा कि कम से कम सोहन ने मेरे बारे में सोचा तो सही। मैंने सोहन को कहा मैं तो कब से सोच रही थी कि तुम कुछ दिनों की छुट्टी ले लेते तो मुझे भी बहुत अच्छा लगता और आखिरकार तुमने छुट्टी ले ही ली। सोहन और मैं उस दिन शॉपिंग करने के लिए गए और जब हम लोग शॉपिंग करने के लिए गए तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा मैं और सोहन साथ में समय बिता कर बहुत खुश थे। हम लोगों ने साथ में काफी अच्छा समय बिताया फिर सोहन हमेशा की तरह अपने ऑफिस जाने लगे मैं दोबारा से घर में अकेली रहने लगी थी लेकिन ममता दीदी कभी कबार मुझसे मिलने के लिए आ जाती तो मेरा भी समय बीत जाया करता। मैं भी कभी कबार ममता दीदी के घर पर चली जाया करती थी और जब मैं उनके घर पर जाती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता क्योंकि ममता दीदी के पास पूरी कॉलोनी की खबर रहती थी और वह मुझे सबके बारे में बताती।

एक दिन ममता दीदी ने मुझे हमारी कॉलोनी में रहने वाली पायल से मिलवाया पायल की शादी कुछ समय पहले हुई थी। पायल से मेरी अच्छी दोस्ती हो गई इसलिए मैं पायल के घर अक्सर जाने लगी। पायल के पति से भी मेरी बहुत अच्छी बातचीत होने लगी थी लेकिन मुझे नहीं पता था कि पायल के पति मेरे अकेलेपन को दूर कर सकते है। जब सोहन घर पर नहीं होते तो उसके पति मुझसे मिलने के लिए घर पर आ जाया करते और जब वह मुझसे मिलने के लिए आते तो हम दोनों एक साथ बैठकर खूब देर तक बातें किया करते। यह बात सिर्फ मुझे और पायल के पति रमेश को पता थी रमेश और मेरे बीच एक दिन सेक्स संबंध बन गए। हम दोनों साथ में बैठे हुए थे जब रमेश ने मुझसे कहा कि मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूं तो मैंने भी कोई आपत्ति नहीं जताई और मैं रमेश के साथ सेक्स करने के लिए तैयार हो चुकी थी। मैं चाहती थी कि रमेश के साथ में बड़े अच्छे से सेक्स करू इसलिए हम मेरे बेडरूम में चले आए। जब हम लोग बेडरूम में आए तो उस वक्त रमेश ने अपने लंड को अपनी पैंट से बाहर निकाला तो मैंने भी उसके मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर तक ले लिया और उसे बड़े अच्छे से मैं सकिंग करने लगी। मैं जिस प्रकार से रमेश के मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर ले रही थी वह बहुत ही खुश हो गए थे। मैंने उनके लंड से पूरा जूस बाहर निकाल दिया था अब रमेश ने भी मेरे बदन से मेरे कपड़े उतारने शुरू किए और मुझे उसने नंगा करते हुए मेरी चूतड़ों पर अपने हाथों से प्रहार करना शुरू किया मेरी चूतडो को उन्होने लाल कर दिया था। जब उन्होने मेरी चूत पर अपनी जीभ को लगाया तो मेरी चूत से इतना ज्यादा पानी बाहर निकलने लगा कि मैं अपने पैरों को खोलने लगी।

मेरे पैरों के बीच मे रमेश ने अपनी जीभ से बड़े अच्छे से मेरी चूत को चाटना शुरू किया मेरी चूत से निकलता हुआ पानी इस कदर बढ़ चुका था कि मैंने अपनी चूत मे रमेश से लंड लगाने को कहा। रमेश ने मेरी चूत मे लंड घुसा दिया उसने मेरी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाना शुरू किया तो मैं बहुत ज्यादा खुश हो गई। रमेश का मोटा लंड मेरी चूत के अंदर जा चुका था उसका मोटा लंड मेरी चूत मे जाते ही मैं बड़ी जोर से चिल्लाई मेरी गर्मी मे बढ़ोतरी हो चुकी थी और मेरी सिसकियां भी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। मेरी सिसकियां इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैं रमेश को अपनी बाहों में लेने लगी और रमेश मुझे बहुत ही अच्छे से चोद रहे थे।

रमेश ने काफी देर तक मुझे अपने नीचे लेटा कर चोदा फिर मेरे अंदर की गर्मी बढने लगी। जब मैंने रमेश के ऊपर से आने की बात कही तो रमेश ने कहा तुम मेरे ऊपर से आ जाओ। मैंने अपने दोनों पैरों को खोलते हुए रमेश के लंड को अपनी चूत में लेना शुरू किया मैं रमेश के लंड के ऊपर नीचे अपनी चूतड़ों को करने लगी पहले तो मैं बड़े धीरे से कर रही थी लेकिन जब मेरे अंदर गर्मी बढ़ने लगी तो मैं अब रमेश के लंड के ऊपर नीचे अपनी चूत को बड़े अच्छे से कर रही थी। रमेश बहुत ही ज्यादा खुश हो गए थे उन्होंने मुझे अपनी बाहों में ले लिया वह मेरे स्तनों को अपने मुंह के अंदर ले रहे थे। जब वह मेरे स्तनों को अपने मुंह में ले रहे थे तो मेरे अंदर की गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ रही थी कि मैं अपनी चूतडो को ऊपर नीचे कर रही थी। रमेश का लंड कड़क हो चुका था और मुझे एहसास होने लगा था कि मैं झड़ चुकी हूं। मेरी चूत से इतना ज्यादा पानी बाहर निकल आया था कि थोड़ी देर बाद रमेश का वीर्य मेरी चूत में गिर गया। अब रमेश मेरे अकेलेपन को दूर करने के लिए मुझसे मिलने के लिए अक्सर आया करते है जब भी वह मिलने आते है तो हम लोग सेक्स का मजा जरूर लिया करते है।
 
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