लंड की तडप और चूत की फडक

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Antarvasna, desi kahani: कुछ दिनों के लिए मैं अपने पापा मम्मी के पास गया हुआ था मैं चेन्नई में जॉब करता हूं और मेरे कॉलेज के प्लेसमेंट के बाद मैं चेन्नई में ही जॉब करने लगा था मुझे चेन्नई में जॉब करते हुए दो वर्ष हो चुके हैं। मेरे माता-पिता दोनों ही नौकरी पेशा है और मेरी एक बड़ी बहन है जो कि कॉलेज में पढ़ाती हैं लेकिन अभी तक उनकी शादी नहीं हो पाई है। जब मैं घर गया तो सब लोग बहुत ही खुश थे कुछ दिनों के लिए पापा और मम्मी ने ऑफिस से छुट्टी भी ले ली थी मैं भी इस बात से बड़ा खुश था। हम लोगों ने उस दौरान घूमने का प्लान बनाया और हम लोग घूमने के लिए गए। जब उस दिन हम लोग साथ में थे तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था काफी समय बाद हमारा पूरा परिवार एक साथ था। जब हम लोग घर लौटे तो मेरी बहन जो कि मेरे साथ काफी ज्यादा खुलकर बातें किया करती है उसने उस दिन मुझे बताया कि वह एक लड़के से प्यार करती है। मेरी बहन उम्र में मुझसे दो वर्ष बड़ी है लेकिन उसके बावजूद भी हम दोनों एक दूसरे से बातें शेयर कर लिया करते हैं।

मैंने अपनी बहन कविता दीदी से कहा कि तुमने यह बात पापा को क्यों नहीं बताई तो कविता कहने लगी कि मैं सोच तो रही हूं कि पापा और मम्मी को इस बारे में मैं बता दूं। कविता दीदी ने पूरा मन बना लिया था कि वह पापा और मम्मी को इस बारे में बता देंगे। उन्होंने जब इस बारे में पापा मम्मी को बताया तो उन्हें भी इस बात से कोई परेशानी नहीं थी वह लोग भी कविता दीदी कि अब शादी करवाने के लिए तैयार हो चुके थे। वह जब रोहन से पहली बार मिले तो उन्हें रोहन से कोई भी परेशानी नहीं थी रोहन एक अच्छे परिवार से हैं और वह एक कंपनी में मैनेजर भी हैं। मैं उस वक्त घर पर ही था तो उस दौरान पापा और मम्मी ने कविता दीदी की सगाई करवा दी उन दोनों की सगाई हो जाने के बाद मैं वापस चेन्नई लौट आया था। चेन्नई में मैं अपने काम से बड़ा खुश था और मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब मैं चेन्नई में अपने दोस्तों के साथ होता।

एक दिन शनिवार की रात को हम लोग ऑफिस से फ्री हुए उस दिन मेरा दोस्त गौतम जो कि मेरे साथ ऑफिस में ही काम करता है उसने मुझे कहा कि रोहित चलो आज हम लोग कहीं बाहर चलते हैं। उस दिन हम लोगों ने कहीं बाहर पार्टी में जाने की सोची और हम लोग एक पब में चले गए। जब हम लोग वहां पर गए तो गौतम के कुछ और दोस्त भी आए हुए थे गौतम ने मेरा परिचय अपने दोस्तों से करवाया। हम लोगों ने उस रात को पार्टी की और मुझे घर जाने में काफी देर हो गई थी मैं रात के करीब 1:00 बजे घर पहुंचा इसलिए मैं सुबह जल्दी नहीं उठ पाया। मेरी नींद तब खुली जब कोई मेरे घर की डोर बेल काफी देर से बजा रहा था मैं जब दरवाजे पर गया तो मैंने देखा कि दरवाजे पर एक व्यक्ति खड़े थे और वह हमारे कहने लगे कि बेटा क्या तुम इसी कॉलोनी में रहते हो। मैंने उन्हें बताया हां मैं इसी कॉलोनी में रहता हूं वह मुझे कहने लगे कि मैं यही पड़ोस में रहता हूं और कुछ दिनों में मेरी बेटी की शादी है तो मैं तुम्हें इनवाइट करने के लिए आया था। मैं उनसे पहली बार ही मिला था लेकिन फिर भी उन्होंने मुझे शादी का कार्ड दे दिया मैंने वह कार्ड उनसे ले लिया उसके बाद वह से चले गए। मैंने भी दरवाजा बंद कर दिया उस दिन मेरी छुट्टी थी इसलिए मैं घर पर ही आराम कर रहा था मैंने बाहर से ही नाश्ता मंगवा लिया था। रात देरी से सोने की वजह से मेरे सर में भी काफी दर्द हो रहा था। दोपहर के वक्त उस दिन मेरे दोस्त गौतम ने मुझे फोन किया और वह मुझे कहने लगा कि रोहित तुम कैसे हो कल तुम्हे कुछ ज्यादा ही नशा हो गया था। मैंने गौतम को कहा हां कल मुझे कुछ ज्यादा ही नशा हो गया था गौतम और मैं फोन पर बातें कर रहे थे तो मैंने गौतम को कहा कि मैं तुमसे शाम के वक्त मिलता हूं। गौतम कहने लगा कि ठीक है रोहित हम लोग शाम को मुलाकात करते हैं और फिर मैंने फोन रख दिया था मेरे फोन रखने के बाद मैं थोड़ी देर के लिए सोना चाहता था तो मैं कुछ देर के लिए सो गया था। जब मैं उठा तो उस वक्त शाम के 4:00 बज रहे थे मैं नहाने के लिए बाथरूम में गया और नहाकर दस मिनट में मैं बाहर निकला। उसके बाद मैं तैयार हुआ और मैंने गौतम को फोन किया तो गौतम कहने लगा तुम मेरे घर के पास ही आ जाओ। मैंने गौतम को कहा ठीक है मैं तुम्हारे घर के पास ही आता हूं और फिर मैं गौतम के घर के पास ही चला गया।

मैं गौतम के घर के पास गया तो उसने मुझे कहा कि चलो हम लोग पार्क में ही बैठ जाते हैं हम लोग गौरव की कॉलोनी के पार्क में ही बैठे हुए थे गौरव और मैं आपस में बात कर रहे थे तो गौरव ज एक परिचित उसे मिले और गौरव उनसे बात करने लगा। मैंने भी उस वक्त अपने पापा को फोन किया और पापा से मैं बात करने लगा तो पापा कहने लगे कि रोहित बेटा तुम घर कब आ रहे हो। मैंने उन्हें कहा कि पापा अभी तो मेरा घर आना मुश्किल होगा मैंने करीब 10 मिनट तक पापा से बात की और फिर मैंने फोन रख दिया। गौतम भी मेरे पास आकर बैठा और हम दोनों बातें करने लगे काफी समय तक हम लोगों ने बातें की और उसके बाद मैं अपने घर लौट आया। मैं सुबह ऑफिस चला जाता और शाम को ही मेरा घर लौटना होता था सब कुछ बड़े ही नॉर्मल तरीके से चल रहा था। एक दिन मुझे ध्यान आया कि मुझे उन व्यक्ति ने शादी का कार्ड दिया था जब मैंने उस कार्ड में तारीख देखी तो वह उसी दिन शाम की थी और फिर मैं शाम के वक्त उनके घर पर चला गया। मैं उनके घर पर गया तो मैं वहां किसी को पहचानता नहीं था इसलिए मुझे कुछ ठीक नहीं लगा मैं जैसे ही वापस आ रहा था तो मुझे वही अंकल दिखाई दिये वह कहने लगे कि अरे बेटा तुम आ गए।

उन्होंने मुझे कहा कि बेटा तुम्हारा नाम क्या है मैंने उन्हें अपना नाम बताया कि मेरा नाम रोहित है वह मुझसे बात कर रहे थे वह मुझे कहने लगे कि बेटा तुम खाना खा कर ही जाना मैंने कहा जी अंकल लेकिन मुझे काफी अकेला लग रहा था इसलिए मैंने सोचा कि मैं घर ही चला जाता हूं। मैं जब घर जाने वाला था तो मैंने देखा सामने एक लड़की आ रही थी उसके बाल खुले हुए थे उसे देखकर मुझे काफी अच्छा लग रहा था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि बस मैं उसे देखता ही जाऊं। मैं उसे देख कर मुस्कुराया तो वह भी मुझे देखकर मुस्कुराने लगी। यह पहली ही शुरुआती थी हम दोनों के रिश्ते की। वह मुझे अक्सर दिखने लगी क्योंकि वह हमारी कॉलोनी में ही रहती थी लेकिन मुझे उसके बारे में ज्यादा पता नहीं था जब हम लोगों की पहली बार बात हुई तो मुझे मीनाक्षी से बात कर के बहुत ही अच्छा लगा। हम लोगों की मुलाकातों का दौरा बढने लगा हम दोनों एक दूसरे को हर रोज मिलने लगे मुझे नहीं पता था कि मीनाक्षी और मेरे बीच क्या है लेकिन मुझे मीनाक्षी के साथ अच्छा लगता। उसे भी मुझ पर पूरा भरोसा था एक दिन जब मैं और मीनाक्षी साथ में बैठे हुए थे तो उस दिन मेरे और मीनाक्षी के बीच किस हो गया। उसे मुझ पर इतना भरोसा हो चुका था कि मैं उसे कुछ भी कहता तो वह मेरी बात मान लिया करती। उस दिन वह चली गई, मैं जब भी मीनाक्षी को मिलता तो मुझे बहुत अच्छा लगता। मीनाक्षी और मैं एक दूसरे का साथ पाकर इतना खुश थे कि हम दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहते थे।

एक दिन वह मुझसे मिलने मेरे फैलेट पर आई हुई थी। मैं सुबह देरी से उठा था मैंने जैसे ही घर का दरवाजा खोला तो मैंने देखा मीनाक्षी सामने खड़ी थी। मीनाक्षी और मैं साथ में बैठे हुए थे उसन मुझे कहा मैं तुम्हारे लिए नाश्ता बना कर लाई हूं। मैंने उसे कहा परंतु तुम मेरे लिए नाश्ता बना कर क्यों लाई उसने कोई जवाब नहीं दिया। मैंने भी अब नाश्ता करना शुरू किया, हम दोनों साथ में बैठे हुए थे जब मैंने मीनाक्षी की जांघ पर अपने हाथ को रखा तो वह खुश हो गई। उसके बाद मैं और मीनाक्षी एक दूसरे की बाहों में आने के लिए तैयार थे। हम दोनों एक दूसरे की बाहों में आ चुके थे जब मैंने और मीनाक्षी ने एक दूसरे के होंठों को चूमना शुरू किया तो मुझे और भी अच्छा लगने लगा धीरे-धीरे मैंने अब मीनाक्षी के बदन से कपड़े निकालने शुरू कर दिए थे जब मैंने उसके बदन से कपड़े निकाले तो वह उत्तेजित हो चुकी थी और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है।

मैंने उसके होठों को चूमना शुरू कर दिया था मैंने जब उसे बिस्तर पर लेटाया तो मैं उसके बड़े स्तनों को चूसने लगा काफ़ी देर तक उसके स्तनों का रसपान करने के बाद मैंने उसके स्तनों के बीच में अपनी लंड को रगडना शुरू किया। उसने भी मेरे लंड को अपने मुंह में लेने की बात कही मैंने उसके मुंह मे मोटे लंड को घुसा दिया वह मेरे लंड को चूस रही थी मुझे बहुत मजा आ रहा था और उसको भी बड़ा मजा आता। वह मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था जब हम दोनों एक दूसरे के बदन की गर्मी को महसूस कर रहे थे तो हम दोनों से ही रहा नहीं गया। मैंने उसके पैरों को खोलकर जैसे ही अपने लंड को मीनाक्षी की चूत में डाला तो मीनाक्षी की चूत से खून निकल आया वह जोर से चिल्लाई उसकी सील टूट चुकी थी उसकी सील टूट जाने के बाद मै उसे ज़ोर से धक्के मारने लगा था उसको मजा आ रहा था। वह मुझे कहती मुझे तुम ऐसे ही बस चोदते जाओ मैंने उसे काफी देर तक चोदा और उसकी चूत मारकर मुझे बहुत ही मजा आया। जब मेरा माल बाहर गिर गया तो मिनाक्षी पूरी तरीके से खुश हो चुकी थी और उसके बाद हम दोनों के बीच सेक्स संबंध बनते ही रहते।
 
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