लंड को चूत के बीच मे दबा दिया

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Antarvasna, hindi sex story: हर रोज की तरह मैं सुबह अपनी दुकान पर चला जाया करता और शाम के वक्त घर लौटा करता पापा की तबीयत ठीक नहीं रहती थी इसलिए मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी थी और पापा की दुकान मैं ही सम्भालने लगा था। पापा चाहते थे कि मैं उनकी दुकान संभालू लेकिन उस वक्त मैं जॉब करना चाहता था इसलिए मैंने जॉब करना ही ठीक समझा लेकिन अब उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती जिस वजह से मुझे ही दुकान संभाली पढ़ रही थी। पापा की गारमेंट शॉप है जो कि उन्होंने काफी पहले खोली थी और उनके पास काफी कस्टमर भी आते हैं उनकी दुकान अच्छी चलती है इसलिए मैंने सोचा की मुझे ही दुकान पर काम करना चाहिए और मैं उनकी गारमेंट शॉप को चलाने लगा। सब कुछ अच्छा चल रहा था लेकिन पापा की तबीयत अभी ठीक नहीं हुई थी वह घर पर ही आराम कर रहे थे उन्हें डॉक्टर के पास हर हफ्ते लेकर जाना पड़ता था। एक दिन पापा ने मुझे कहा कि मैं और तुम्हारी मां कुछ दिनों के लिए तुम्हारी बहन के पास हो आते हैं मैंने पापा से कहा ठीक है।

उस दिन मैंने उन्हें उसके घर तक छोड़ दिया मेरी बहन की शादी हमारे शहर इंदौर में ही हुई है और वह हमारे घर से कुछ दूरी पर ही रहती हैं। मैंने पापा और मम्मी को अपनी दीदी के घर छोड़ दिया था और उसके बाद मैं वापस दुकान में चला गया मैंने अभी तक शादी नहीं की थी क्योंकि मुझे अभी तक कोई ऐसी लड़की मिल ही नहीं पाई थी जिससे कि मैं शादी कर पाता। हालांकि मेरी एक गर्लफ्रेंड जरूर थी जिससे कि मैं अपने कॉलेज टाइम में प्यार किया करता था लेकिन उसकी शादी किसी और से ही हो गई और मैंने उसके बाद कभी दूसरी लड़की की तरह देखा ही नहीं। शायद मैंने अब इस तरह देखना ही छोड़ दिया था और मुझे इन सब चीजों से कोई लेना-देना भी नहीं था इसलिए तो मैं अब किसी भी लड़की की तरफ देखता ही नहीं था।

एक दिन जब मेरी दुकान में एक लड़की आई और उसने मुझे कहा कि मुझे कुछ सामान लेना था तो मैंने अपने दुकान में काम करने वाले लड़के राजू से कहा कि तुम मैडम को कपड़े दिखा दो। उस लड़की को सूट लेना था तो राजू उसे सूट दिखाने लगा और आखिरकार उस लड़की को एक सूट पसंद आ गया और उसने वह सूट ले लिया। वह मुझसे काफी मोलभाव कर रही थी इसलिए मैंने भी उसे वह सूट काफी कम दामों में दे दिया उसके बाद वह अक्सर मेरे पास आने लगी। अब धीरे-धीरे हम दोनों की पहचान होने लगी थी मुझे उसका नाम पता चल चुका था उसका नाम महिमा है और महिमा जब भी दुकान में आती तो वह मेरी दुकान से कुछ ना कुछ लेकर जाती ही थी। वह अपनी सहेलियों को भी मेरी दुकान में लेकर आती तो वह लोग भी मेरी दुकान से कुछ ना कुछ खरीदारी कर लिया करते थे। एक दिन महिमा ने मुझे कहा कि कुछ दिनों में मेरी दीदी की शादी होने वाली है उसने मुझे अपनी दीदी की शादी के लिए इनवाइट किया। जब उसने मुझे अपनी दीदी की शादी का कार्ड दिया तो मैंने उससे कहा ठीक है मैं जरूर आऊंगा और जब महिमा की दीदी की शादी थी तो मैं उस दिन महिमा की दीदी की शादी में भी गया था वहां पर जब मैंने महिमा को देखा तो उस दिन महिमा बहुत ज्यादा सुंदर लग रही थी। मैं किसी को तो पहचानता नहीं था मैं महिमा को मिला और महिमा ने मुझे अपनी दीदी से मिलवाया और महिमा ने मुझे अपने परिवार से भी मिलवाया। मैं महिमा के परिवार से मिलकर काफी खुश था और मुझे उनसे मिलकर बहुत अच्छा लगा वह लोग बड़े ही अच्छे लोग हैं और बहुत ही सीधे साधे लोग है। महिमा के पापा एक बड़े अधिकारी हैं और उस दिन मैं शादी में ज्यादा देर तक नहीं रुका और मैं घर लौट आया। मैं जब घर लौट आया तो मां मेरा इंतजार कर रही थी मैंने मां से कहा मां अभी तक तुम सोए नहीं हो तो मां कहने लगी कि बेटा मुझे नींद ही नहीं आ रही थी। मां ने मुझे कहा तुमने खाना तो खा लिया है मैंने मां से कहा हां मां मैंने खाना तो खा लिया है मैंने आपको बताया था आज मैं शादी में जा रहा हूं तो मैंने वहीं खाना खा लिया था। मां कहने लगी कि ठीक है बेटा तुम सो जाओ लेकिन मां उस दिन काफी ज्यादा परेशानथी इसलिए मैं थोड़ी देर मां के साथ ही बैठ गया।

मैंने मां को कहा कि मां मुझे पता है आप काफी ज्यादा परेशान है लेकिन आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है पापा की तबीयत अब ठीक हो जाएगी आप चिंता मत कीजिए। पापा की तबीयत ठीक नहीं थी उनका डॉक्टर से इलाज चल रहा था मैंने मां को कहा आप आराम कर लीजिए तो मां कहने लगी की ठीक है बेटा मैं भी आराम कर लेती हूं। मां आराम करने लगी कुछ दिनों बाद मेरी दुकान पर महिमा आई महिमा काफी दिनों बाद दुकान पर आ रही थी तो मैंने महिमा से पूछा कि आज तुम काफी दिनों बाद दुकान पर आ रही हो। वह मुझे कहने लगी कि हां मैं कुछ दिनों के लिए अपने किसी रिश्तेदार के घर गई हुई थी। हम दोनों एक दूसरे से बात करने लगे मैंने महिमा से कहा कि क्या मैं तुम्हारे लिए कुछ मंगवा दूं तो वह कहने लगी नहीं। थोड़ी देर वह मेरे साथ बैठी और फिर वह चली गई। महिमा और मैं एक दूसरे से अक्सर मिला करते एक दिन बारिश काफी तेज हो रही थी उस दिन महिमा मेरी दुकान में आई थी महिमा ने मुझे कहा कि क्या सोहन तुम मुझे घर तक छोड़ दोगे? मैंने उसे कहा ठीक है मैंने अब महिमा को उसके घर तक छोड़ा मैं उसे उसके घर तक छोड़ने के लिए गया उस दिन बारिश काफी तेज हो रही थी इसलिए मुझे उसे उसके घर तक छोड़ना पडा। महिमा ने कहा कुछ देर तुम घर पर बैठ जाओ मैं महिमा के साथ चला गया महिमा रसोई में थी और मेरे लिए वह चाय बनाने लगी।

वह मेरे लिए चाय बनाकर ले आई थी जब वह मेरे लिए चाय बना कर लाई तो उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे मुझे महिमा से बात करना अच्छा लगता और मैं उससे बात कर रहा था महिमा ने मुझे कहा सोहन तुम बहुत ही अच्छे हो। हम दोनों साथ में बैठे हुए थे महिमा ने मुझे अपने बॉयफ्रेंड के बारे में बताया और बताया कि किस प्रकार से उसने उसे धोखा दिया था मैंने भी महिमा को कहा मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ हो चुका है। महिमा को ऐसा लगा कि जैसे हम दोनों की जिंदगी एक जैसी ही है मुझे महिमा से बात कर के अच्छा लग रहा था महिमा भी मुझसे बात कर के बहुत ज्यादा खुश हो रही थी जब मैं महिमा की आंखों में देख रहा था तो उसकी आंखों में जैसे कुछ चल रहा था मैने उसके होठों को चूम लिया मैंने महिमा के होठों को चूम लिया था और मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। जब मैंने उसके होठों को चूम कर अपना बना लिया तो वह कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है हम दोनों ने एक दूसरे को किस किया तो उसके बाद कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे के साथ ऐसे ही बैठे रहे फिर मैंने महिमा को सोफे पर ही लेटा दिया। जब मैंने उसको सोफे पर लेटाया तो मैने उसके बदन की गर्मी को बढ़ाना शुरू किया वह भी अब मेरे लंड को दबाने लगी मैंने उसकी चूत की तरफ अपनी उंगली को किया और उसकी चूत को मैं अपनी उंगली से सहलाने लगा मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने उसके कपड़े उतार दिए मैंने महिमा के कपड़े उतारे तो वह बड़ी उत्तेजित होकर मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मैंने उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था। मुझे उसके स्तनों को चूस कर बहुत अच्छा लग रहा था मैं उसके स्तनों को जिस प्रकार से चूस रहा था उस से उसकी गर्मी लगातार बढ़ती जा रही थी और मेरे अंदर की गर्मी में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही थी।

मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चला था मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी योनि के अंदर लंड डालना चाहता हूं वह अपने पैरों को खोल कर मेरे सामने लेटी हुई थी मैंने उसकी गुलाबी चूत को देखा तो मुझसे रहा नहीं गया और उसकी चूत को मैं अब चाटने लगा मुझे उसकी चूत को चाटकर बड़ा मजा आ रहा था। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है मैंने उसे कहा अच्छा तो मुझे भी बहुत लग रहा है अब हम दोनों ही कहीं ना कहीं एक दूसरे को लेकर बहुत ज्यादा गरम हो चुके थे मैंने उसे कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है तो वह कहने लगी तुम मेरी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा डालो और मैंने उसकी योनि के अंदर अपने मोटे लंड को डाल दिया जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि के अंदर घुसा तो वह बड़ी जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी तुमने मेरे सील तोड़ दी। मैंने जब उसकी चूत की तरफ देखा तो उसकी चूत से खून निकलने लगा था मैंने उसे कहा क्या तुमने अभी तक अपनी चूत किसी से नहीं करवाई थी तो वह कहने लगी नहीं लेकिन मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था।

मैं उसकी चूत पर बड़ी तेजी से प्रहार करने लगा था मैं उसको जिस प्रकार से धक्के दे रहा था उससे उसकी चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा अधिक हो चुका था और उसकी चूत से पानी निकलने लगा था मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी वह कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। हम दोनों ही पूरी तरीके से गर्म होने लगे थे हम दोनों के अंदर की गर्मी अब इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैंने उसके दोनों पैरों को खोल लिया जब मैंने उसके पैरों को खोलो तो मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर होने लगा और मुझे मजा आने लगा। मैंने जब उसकी चूत के अंदर बाहर लंड को तेजी से किया तो मुझे एहसास हुआ कि मेरे वीर्य की पिचकारी बाहर की तरफ को गिरने वाली है और मेरा वीर्य जैसे ही उसकी चूत में गया तो उसने मुझे कस कर अपने पैरों के बीच में जकड़ लिया और मुझे कहा आज मजा आया गया।
 
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