लुंगी वाले लंड ने बजायी शहरी चूत की पुंगी[भाग-1]

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हाय दोस्तों मेरा नाम रहमान है और मैं अपने गांव में चूत मारने का सबसे बड़ा शौकीन माना जाता हूं। अपने लंबे लौड़े के लिये मुझे लोग पेलन कहते हैं और जब कभी कोई चूत जवान होती है मैं चांस जरुर मारता हूं। तो उस दिन जब हम लुंगी पहन के जयनारायन इंटर कालेज के ग्राउंड पर क्रिकेट खेल रहे थे तभी हम लोगों को एक हसीना लांग बूट में ग्राउंड में दिखी। टिक टिक टो करती हुइ अपनी गांड मटकाती वह फुटबाल को किक करने की कोशिश कर रही थी, पर ये बच्चों का खेल तो नही है, वह अचानक से उलट गयी। उसकी स्कर्ट भी साथ में उलट गयी और साली ने चड्ढी ना पहनी थी, सो उसकी दुकान भी दिख गयी। सारे लड़के आजू बाजू इकट्ठा हो कर हंसने लगे, तो मैं वहां पहुंचा और अपनी दबंगई दिखाते हुए सबको डांटा और उसे हाथ देकर उठाया, उसके पैर मुड़ गये थे। वो शायद मुम्बई से आई थी और कुछ दिनों के लिये शहर में थी। उसने मेरा थैंक्स बोला और पूछा मे आई नो योर गुडनेम मतलब क्या मैं आपका नाम जान सकती हूं। मैने कहा रहमान और अपना कालेज क्लब का विजिटिंग कार्ड दे दिया जिसपर मेरा नाम फोन नम्बर लिखा था। मैं जानता था कि तीर सही निशाने पर लगा है, और शाम को उसने फोन किया। अपना पता बताया और सीधा मुझे बुला लिया। मैं जब उसके मकान पर पहुंचा तो वो दरवाजे पर खड़ी मेरा इंतजार कर रही थी। बताया कि कोई नहीं है अंदर आजाओ। आज मुझे शहरी चूत मिलने के पूरे आसार दिख रहे थे। वो मुझे सीधा अपने क्वीन साईज्ड बेडरुम में ले गयी और वहां उसने टीवी आन कर दिया। वो मेरे पास ही बैठ गयी थी। उसने ढीठता दिखाते हुए अपने बाजू मेरे हाथों में सटा दिये थे, मैं तो पहले से ही खिलाड़ी था, सो आराम से उसके पैरों पर हाथ रख दिया और रिमोट दबाने लगा।

वो बेपरवा थी और मैं जानता था कि चुदाई होगी ही, सो जल्दी दिखाते हुए मैंने उसके जांघों पर अपना हाथ लगा दिया, उसने माइक्रो मिनी स्कर्ट पहनी हुई थी और उसकी चिकनी जांघें नग्न थीं। मैने पूछा आज दोपहर में फुट्बाल खेलते समय ज्यादा चोट तो नहीं आई, उसने कहा हां चोट तो लगी है और उसने अपने पैर मेरे गोद में रख दिये, मैने उसके दायें पैर पर सहलाते हुए हल्का किस किया और बोला अब कैसा लग रहा है तो वो बोली, अच्छा लग रहा है तो मैने दूसरे पैर पर भी चुम्मा ले लिया तो वो बोली और अच्छा लग रहा है। मैंने हरी झंडी देख कर उसे अपने गले लगा लिया और बोला ये कैसा लगा तो बोली रहमान भाई ये तो जबरद्स्त था। मैने उसकी टाप को सरका दिया, हल्के कंधे पर से उतरते ही उसके मस्त बड़े चूंचे जो मलाई से भरे हुए थे, दिखने लगे। उसके एक चूंचे को मैने पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उसकी माईक्रो मिनी स्कर्ट में हाथ लगा कर उसकी चूत टटोलने लगा। वह गरमाने लगी थी, शायद उसे भी अपनी चूत चुदाने की इच्छा हो रही थी। अब मैने उसके चूंचे के अलावा उसके गालों पर हल्के दांत गड़ाए तो वह मुझसे और जोर से चिपक गयी, उसके कश्मीरी सेब जैसे गाल पर दांतों के निशां आ गये। दोस्तों कहानी का अगला भाग 2 में पढिये इस मुम्बैईया चूत की बनारसी लंड से चुदाई का पूरा वाकया।
 
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