आज मैं आपको अपने दूसरे वर्षीय कॉलेज में एक मस्त दिखने वाली लड़की का चूत चुदाई का किस्सा सुनाने जा रहा हूँ | दोस्तों मैं कभी भी किसी भी लड़का लड़की से बात करते समय कोई भेद नहीं रखता हूँ और शायद इसीलिए मेरी सभी से घूम जमती थी | पर एक लड़की थी जिसका नाम संजना था जिससे मेरी खूब जमती थी और शायद उसकी वजह उसका बदन था मेरे लिए | वो मुझे दिखने में बहुत हसीं लगती है और हर बार मन नयी तरंगें उसे देखकर उठने लगती थी | हम रोज ही बात करते थे पर अब मैं उससे कुछ ज्यादा ही घुल मिलने लगा था और अब मैं उससे आम बातों से अलग हटकर कुछ रोमांटिक और कामुक बातें करना शुरू कर दिया जिसपर वो भी मेरे साथ जिसपर वो भी कामुक मुस्कान देते हुए कभी परेशानी नहीं जताती |
संजना मुझे हर बार किसी अप्सरा से कम नहीं लगती थी और एक दिन मैं जोश में उससे अपनी बातों से लुभाता हुआ एक कक्षा का वक्त छुट्टी मारकर कॉलेज की छत पर ले गया जहाँ पर विद्यार्थियों को आना मना था पर हम चुपके से आ गए था वहीँ मैंने अब रोमांचक होते हुए उसे चूमना चालू कर दिया और भी कुछ नया करने के मन में थी इसिलए उसने भी मुझे नहीं रोका | मैं जल्दी ही संजना को चूमता हुआ उसके चुचों को कुर्ती के उप्पर से ही दबा रहा था | मैंने धीरे - धीरे उसके टॉप को उतार उसके चुचों के साथ खेलते हुए चूसने लगा और अब उसके पुरे बदन को अपनी चपेट में लेता हुआ उसे बिलकुल निढाल कर डाला था | मैं मज़े में बेफिक्र होकर उसके साथ चुम्मा - चाटी करने लगा |
मैंने संजना के पूरे कपड़े उतारने में देर ना की और जल्द ही संजना की चूत को उप्पर उँगलियों से मसलते हुए उसकी चूत के अंदर अपनी ऊँगली डालने लगा | वो भी ज़ोरों से तडपने लगी और मैं उसकी उसकी गांड में भी कुछ पल के लिए अपनी उंगलियां रोंधा डालता जिस पर उसकी चींखें ज़ोरों की निकल रही थी | वो तेज़ी के दर्द में जूझ रही थी पर भी मैं उसकी गांड और चुत में ऊँगलीबाज़ी नहीं छोड़ी | मैंने अपने लंड को जोश में उसकी चूत में दे मारा और उसकी चूत में बड़ी तेज़ी से अंदर - बहार करने लगा | मैंने वहीँ ज़ोरों के झटकों से तरीके से चूत मारी और पलभर में भी वहीं पाने लंड के मुठ को झड पड़ा | वो समझ नहीं पा रही थी की वो अब कुंवारी नहीं रह गयी है |
मैं भी अपने लंड को संजना की चूत से निकालने का नाम ही ले रहा था | कुछ देर बाद उसकी महकी हुई चूत को मैंने जीभ से चाटना चालू कर दिया और वो वहीं मेरे लंड को अपने हाथ में मसल रही थी | संजना की चूत की सील मैंने तोड़ी थी और वो सेक्स की इतनी प्यासी हो गयी थी जब मैं उसके साथ रहा उसने अपनी चूत इसी तरह चुपके चुपके चुदवाई फिर ना जाने कितनो के साथ | पर दोस्तों जो भी कहों कुंवारी चूत की सील तोड़ने का अपना ही मज़ा है मुझे संजना से मिला |
संजना मुझे हर बार किसी अप्सरा से कम नहीं लगती थी और एक दिन मैं जोश में उससे अपनी बातों से लुभाता हुआ एक कक्षा का वक्त छुट्टी मारकर कॉलेज की छत पर ले गया जहाँ पर विद्यार्थियों को आना मना था पर हम चुपके से आ गए था वहीँ मैंने अब रोमांचक होते हुए उसे चूमना चालू कर दिया और भी कुछ नया करने के मन में थी इसिलए उसने भी मुझे नहीं रोका | मैं जल्दी ही संजना को चूमता हुआ उसके चुचों को कुर्ती के उप्पर से ही दबा रहा था | मैंने धीरे - धीरे उसके टॉप को उतार उसके चुचों के साथ खेलते हुए चूसने लगा और अब उसके पुरे बदन को अपनी चपेट में लेता हुआ उसे बिलकुल निढाल कर डाला था | मैं मज़े में बेफिक्र होकर उसके साथ चुम्मा - चाटी करने लगा |
मैंने संजना के पूरे कपड़े उतारने में देर ना की और जल्द ही संजना की चूत को उप्पर उँगलियों से मसलते हुए उसकी चूत के अंदर अपनी ऊँगली डालने लगा | वो भी ज़ोरों से तडपने लगी और मैं उसकी उसकी गांड में भी कुछ पल के लिए अपनी उंगलियां रोंधा डालता जिस पर उसकी चींखें ज़ोरों की निकल रही थी | वो तेज़ी के दर्द में जूझ रही थी पर भी मैं उसकी गांड और चुत में ऊँगलीबाज़ी नहीं छोड़ी | मैंने अपने लंड को जोश में उसकी चूत में दे मारा और उसकी चूत में बड़ी तेज़ी से अंदर - बहार करने लगा | मैंने वहीँ ज़ोरों के झटकों से तरीके से चूत मारी और पलभर में भी वहीं पाने लंड के मुठ को झड पड़ा | वो समझ नहीं पा रही थी की वो अब कुंवारी नहीं रह गयी है |
मैं भी अपने लंड को संजना की चूत से निकालने का नाम ही ले रहा था | कुछ देर बाद उसकी महकी हुई चूत को मैंने जीभ से चाटना चालू कर दिया और वो वहीं मेरे लंड को अपने हाथ में मसल रही थी | संजना की चूत की सील मैंने तोड़ी थी और वो सेक्स की इतनी प्यासी हो गयी थी जब मैं उसके साथ रहा उसने अपनी चूत इसी तरह चुपके चुपके चुदवाई फिर ना जाने कितनो के साथ | पर दोस्तों जो भी कहों कुंवारी चूत की सील तोड़ने का अपना ही मज़ा है मुझे संजना से मिला |