सोते वक्त लंड हाथ में लिया

sexstories

Administrator
Staff member
Antarvasna, hindi sex story मेरा नाम अमन है मैं मथुरा का रहने वाला हूं हमारा परिवार एक मध्यमवर्गीय परिवार है मेरे पिताजी स्कूल में क्लर्क हैं लेकिन मेरे पापा हमेशा से चाहते थे कि हम लोग एक अच्छी शिक्षा ले जिससे कि हम लोग किसी अच्छे मुकाम पर पहुंचे इसलिए उन्होंने मुझे बेहद अच्छे कॉलेज में पढ़ाया। उसके बाद मेरा भी एक सरकारी नौकरी में चयन हो गया मैं बहुत खुश था और यह सब पिताजी की बदौलत ही हुआ था क्योंकि वह बचपन से ही मुझे बहुत सपोर्ट किया करते थे। वह हमेशा ही मुझे समझाया करते थे इसलिए मुझे इस बात की खुशी थी यह सब पापा की वजह से ही हुआ है। मेरी छोटी बहन आकांक्षा पढ़ने में बहुत ही अच्छी है इसलिए पापा ने उसे भी अच्छे कॉलेज में पढाया वह पढ़ने के लिए दिल्ली चली गई।

दिल्ली में मेरी मौसी भी रहती हैं कुछ समय तो आकांक्षा उन्ही के पास रही और उसके बाद उसने अपनी किसी फ्रेंड के साथ रहने के बारे में सोच लिया था और शायद उसने इस बारे में पापा से भी बात की थी। पापा ने उसे कहा कि यह सब तुम देख लो और तुम अपना भला बुरा सब अच्छे से समझते हो आकांक्षा ने अपनी ही सहेली के साथ रहने का फैसला कर लिया था। एक दिन जब वह घर आई तो मैंने आकांक्षा से पूछा सब कुछ ठीक चल रहा है तो वह कहने लगी हां भैया सब कुछ ठीक चल रहा है मैंने आकांक्षा को पैसे दिए और कहा तुम यह पैसे अपने पास रख लेना क्योंकि तुम तो आज शाम को ही निकल जाओगी। आकांक्षा घर सिर्फ दो दिन के लिए ही आया करती थी जब वह जाने लगी तो मैंने उसे पैसे दिए और उसके बाद वह चली गई। मैं अपनी नौकरी में व्यस्त था मुझे तो बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था लेकिन मैं आकांक्षा को हर रोज फोन किया करता था एक दिन आकांक्षा मुझे कहने लगी भैया क्या आप दिल्ली आने वाले हैं मैंने आकांक्षा से कहा नहीं तो तुम्हें कौन बता रहा था कि मैं दिल्ली आऊंगा। वह मुझे कहने लगी मुझे मम्मी कह रही थी क्या आप दिल्ली आने वाले हैं मैंने आकांक्षा से कहा वह तो काफी पुरानी बात हो चुकी है उस वक्त मुझे काम था तो मुझे दिल्ली जाना था लेकिन अब मेरा काम नहीं है तो इसलिए मैं शायद दिल्ली नहीं आऊंगा।

आकांक्षा कहने लगी मैं तो यही सोच रही थी कि यदि आप दिल्ली आते तो हम लोग साथ में समय बिताते मैंने आकांक्षा से कहा कोई बात नहीं जब मैं आऊंगा तो जरूर हम लोग अच्छा समय साथ में बिताएंगे। कुछ समय बाद आकांक्षा के कॉलेज के एग्जाम होने वाले थे वह मुझे कहने लगी भैया मेरे एग्जाम खत्म होने वाले हैं तो मैं घर आने वाली हूं मैंने आकांशा से कहां ठीक है तुम्हारे एग्जाम कब खत्म होंगे तो उसने मुझे कहा कि हमारे एग्जाम बस एक-दो दिन में ही खत्म हो जाएंगे। कुछ दिनों बाद आकांशा घर आ गई जिस दिन वह घर आई उस दिन मैं घर पर ही था क्योंकि उस दिन मेरी ऑफिस की छुट्टी थी मैंने आकांक्षा से पूछा तुम्हारे एग्जाम कैसे हुए तो वह कहने लगी भैया मेरे एग्जाम तो अच्छे हुए। मैंने आकांक्षा से कहा चलो यह तो बड़ी खुशी की बात है कि तुम्हारे एग्जाम अच्छे रहे क्योंकि पापा चाहते हैं कि तुम भी उनकी उम्मीदों पर खरा उतरो वह मुझे कहने लगी कि हां भैया मुझे मालूम है कि पापा ने हम लोगों को कभी भी किसी चीज की कमी होने नहीं होने दी। अब तो आप भी कमाने लगे हैं तो मुझे इस बात की खुशी है कि आप भी मेरा बहुत ध्यान रखते हैं मैंने आकांक्षा से कहा तुम मेरी छोटी बहन हो तो क्या मैं तुम्हारा ध्यान नहीं रखूंगा। आकांक्षा मुझे कहने लगी कि भैया काफी समय हो चुका है हम लोग कहीं साथ में कहीं भी नहीं गए आप कोई प्रोग्राम बनाओ ना जहां हम सब साथ में जा सके मम्मी और पापा के साथ हम लोग काफी समय से कहीं घूमने नहीं गए हैं। मैंने आकांक्षा से कहा हां तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो दरअसल कुछ दिनों पहले ही मुझे अमन का फोन आया था अमन हमारे चाचा का लड़का है और वह कह रहा था कि आप लोग कुछ दिनों के लिए मुंबई आ जाओ। मैंने आकांक्षा से कहा तो क्या हम लोग मुंबई चले जाएं आकांक्षा कहने लगी हां भैया मुंबई में मुझे बहुत अच्छा लगता है हम लोग वहीं चलते हैं।

मैंने पापा मम्मी से इस बारे में बात की तो वह लोग मान गए और कहने लगे कि हम लोग मुंबई चलने को तैयार हैं मेरे पापा बहुत कम ही कहीं जाना पसंद करते हैं लेकिन वह उस दिन मेरी बात को ना जाने कैसे मान गए। अब हम लोग मुंबई जाने के लिए तैयार थे मैंने सारा अरेंजमेंट करवा दिया था और हम लोग मुंबई के लिए निकल पड़े हम लोग जब मुंबई पहुंचे तो वहां पर अमन हमें रिसीव करने के लिए आया हुआ था। हम लोग जब चाचा और चाची से मिले तो उनसे मिल कर हमें बहुत अच्छा लगा काफी सालों बाद उनसे हमारी मुलाकात हो रही थी चाचा मुंबई में ही जॉब करते हैं और चाची भी मुंबई में जॉब करते हैं तो उन्होंने भी कुछ दिनों के लिए अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। हम लोग सब साथ में ही रहे हम लोगों ने काफी अच्छे से मुंबई में इंजॉय किया और सब लोगों ने साथ में अच्छा समय बिताया आकांक्षा बहुत खुश थी। अमन मुझे कहने लगा कि आप तो यहां आते ही नहीं हैं मैंने अमन से कहा तुम भी कभी मथुरा आया करो तो वह कहने लगा भैया आपको मालूम है यहां कितनी बिजी लाइफ है बिल्कुल समय ही नहीं मिल पाता है। मैंने अमन से कहा बस सिर्फ शहर का फर्क है लेकिन हम लोग तो मथुरा में भी बिजी हैं वह कहने लगा अब तो आपकी जॉब लग चुकी है और आप बिजी रहने लगे होंगे मैंने अमन से कहा हां मैं तो बिजी रहने लगा हूं।

हम लोग मुंबई में एक हफ्ते तक रहे और एक हफ्ते बाद हम लोग वापस मथुरा लौट आए सब लोगों के चेहरे पर खुशी थी क्योंकि इतने समय बाद हमारा पूरा परिवार एक साथ था हम लोग चाचा चाची को मिलकर बहुत खुश थे वह कहने लगी कि इतने समय बाद राजेंद्र से मिलकर बहुत खुशी हो रही है। एक दिन तक तो हम लोग सिर्फ मुंबई के बारे में ही बात करते रहे और हम लोगों ने वहां से काफी कुछ शॉपिंग भी की थी अब आकांक्षा का रिजल्ट भी आने वाला था और जब उसका रिजल्ट आया तो आकांशा के अच्छे नंबर आए। पापा बहुत खुश थे पापा ने कहा आकांक्षा बेटा ऐसे ही तुम मन लगाकर पढ़ते रहो आकांक्षा कहने लगी जी पापा और उसके बाद आकांक्षा ने कुछ दिनों बाद कहा कि मुझे अब दिल्ली चले जाना चाहिए क्योंकि हमारे अगले साल का सेमेस्टर शुरू होने वाला होगा। आकांक्षा करीब दो महीने तक घर पर रही और मालूम भी नहीं पड़ा कि कब दो महीने बीत गए आकांक्षा अब दिल्ली जा चुकी थी मैंने जब आकांक्षा को फोन किया तो वह मुझे कहने लगी भैया आप कैसे हैं मैंने आकांशा से कहा मैं तो ठीक हूं तुम सुनाओ तुम कैसी हो। आकांक्षा कहने लगी मैं भी ठीक हूं वह कहने लगी मैंने अपनी सहेली मोना को जब हमारी मम्मी की तस्वीर दिखाई तो उसे बहुत अच्छा लगा मैंने आकांक्षा से कहा तो फिर तुमने अपने और साथियों को हमारी मुंबई की फोटोग्राफ्स दिखाई होंगी। वह कहने लगी हां भैया मैंने अपने और दोस्तो को अपनी मुंबई की फोटो दिखाई सब लोग कह रहे थे कि तुम्हारे भैया बड़े हैंडसम है मैंने आकांक्षा से कहा तो इसमें कोई दोहराय नहीं है कि मैं हैंडसम नहीं हूं और यह कहते हुए मैंने फोन रख दिया। कुछ ही दिनों बाद मुझे दिल्ली जाना था मैं दिल्ली चला गया क्योंकि मुझे वहां पर जरूरी काम था इसलिए मैं दिल्ली चला गया।

मै सबसे पहले अपनी मौसी से मिला और उसके बाद मैं जब आकांक्षा से मिलने के लिए उसके कॉलेज में गया तो आकांक्षा ने मुझे अपनी सहेली मोना से भी मिलवाया। मोना उसी के साथ रहती है वह मुझे कहने लगी भैया आप हमारे साथ ही रहिएगा मैंने उसे कहा नहीं मैं मौसी के घर चला जाऊंगा लेकिन उसने जीद की और कहने लगी आप हमारे साथ ही रहिएगा तो मैं भी आकांक्षा की बात को मना ना कर सका। उस दिन में आकांक्षा के पास रुका मोना तो मुझे पर डोरे डाल रही थी वह मेरी तरफ बार बार देखे जा रही थी रात को हम लोगों ने साथ में डिनर किया और उसके बाद आकांक्षा और मोना सो चुके थे। मैं अंदर रूम में लेटा हुआ था वह लोग अपने हॉल में लेटे हुए थे उन्होंने 1 बीएचके का एक घर लिया हुआ है। ना जाने मोना रात को कहां से मेरे पास आई और मेरी छाती को सहलाने लगी मैंने उसे देखा तो तुरंत ही मैंने उसे नीचे लेटा दिया। मोना को अच्छा महसूस होने लगा, मैंने मोना के रसीले होठों को किस किया और उसके अंदर जोश बढ़ने लगा।

मैंने जैसे ही अपने लंड को मोना के मुंह में डाला तो वह उसे अच्छे से सकिंग करने लगी उसे बड़ा मजा आ रहा था और मुझे भी बहुत आनंद आता। काफी देर तक हम दोनों ऐसा ही करते रहे जब मैंने मोना की चूत के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवाया तो उसके मुंह से चीख निकलने लगी और वह चिल्लाने लगी मैं काफी देर तक उसे धक्के देता रहा लेकिन जब मैंने देखा कि उसकी योनि से खून निकल रहा है तो मुझे बड़ा मजा आने लगा। मैं उसे और भी तेज गति से धक्के मारता रहा मैंने कुछ देर बाद उसे उलटा लेटाया और जैसे ही मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर सटाया तो उसकी योनि से बहुत ही ज्यादा गर्मी बाहर की तरफ को निकाल रही थी। मैंने उसे बड़ी तेजी से धक्के देने शुरू कर दिया उसे बड़ा मजा आने लगा काफी देर तक मैं उसे धक्के ही देता रहा उससे हम दोनों के अंदर गर्मी बढ़ने लगी तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा। जैसे ही मैंने अपने वीर्य को मोना की योनि के अंदर गिराया तो वह कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने उसे कहा मुझे भी तुम्हारे साथ सेक्स करने में बड़ा मजा आया उसके बाद वह हॉल में आकांक्षा के साथ सोने के लिए चली गई। यह बात आकांक्षा को पता ही नहीं है कि मोना और मेरे बीच में अब भी फोन पर बात होती है।
 
Back
Top