मेरा नाम शुभम है। मैं वाराणसी पढ़ने आ गया था.. लेकिन उसके बाद में जब गाँव गया तो मैंने अपनी बुआ के घर जाने का प्लान बनाया।
मैं उनके घर पहुँचा.. तो उनकी लड़की और मेरी पुरानी जुगाड़ अंजू मेरी राह देख रही थी।
मैं उसकी तरफ देख तो रहा था.. पर कोई जल्दबाजी नहीं दिखाना चाह रहा था।
ठीक उसी समय उसकी बहन ऋतु बाहर आई।
उसके मम्मों को देखकर मेरे मन में उसे भी चोदने का लालच आ गया।
मैंने अपने मन की ये बात अंजू से कही.. तो वो पहले नाराज़ हो गई, फिर थोड़ी देर में मान गई।
ऋतु की उम्र भी चुदाई लायक ही थी.. तो अंजू ने कहा- ठीक है.. लेकिन उसके केवल चूचे ही चूसना.. उसे चोदना मत.. वो अभी बहुत नाज़ुक है.. चुदाई का दर्द बर्दाश्त नहीं कर पाएगी।
मैंने कहा- ठीक है।
अब उसने ऋतु से कहा- तुम्हारे जीजू बुला रहे हैं।
वो समझी नहीं कि जीजू कौन है।
वो बोली- कहाँ हैं जीजू?
उसने मेरी तरफ इशारा किया.. वो भी कम नहीं थी.. मुझे देख कर हँसने लगी। अब मैं समझ गया कि हँसी तो लड़की फंसी।
इसलिए जब वो मेरे पास आई तो बोली- भैया कैसे सैंया बन गए?
मैंने कहा- ये लम्बी कहानी है.. बाद में बताएँगे।
फिर वो मेरे पास आकर बैठ गई।
पहले मैंने उसकी जाँघ पर हाथ रखा.. लेकिन जब वो कुछ नहीं बोली।
तो मैंने कहा- ऋतु एक बात बोलूँ।
वो बोली- क्या?
मैंने कहा- तुम तो अब जवान हो गई हो.. क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?
ऋतु शर्माकर बोली- नहीं.. मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है।
फिर धीरे से उसने मेरे कान में कहा- आप हो ना।
इतना सुनते ही मेरा हौसला बढ़ गया और मैं धीरे-धीरे उसके मम्मों को दबाने लगा।
वो मस्त हो गई.. उसके मुँह से सीत्कार निकलने लगी।
लेकिन दोस्तों सिर्फ चूचियों से खेलने के आगे हम दोनों कुछ नहीं कर पाए।
क्योंकि सब लोग अब आ गए थे।
अब हम दोनों रात होने का इंतजार करने लगे।
जब रात हुई तो मेरे लिए बिस्तर अलग रूम में लगा था, मैं जाकर सो गया।
रात में धीरे से किसी ने दरवाजा खटखटाया.. तो मैं जाग गया।
मैंने देखा कि ऋतु आई है।
मैंने उसे अन्दर ले कर अपनी बांहों में दबोच लिया।
फिर क्या था.. उसने मुझे चूमना चालू कर दिया।
मैं उस वक्त केवल लुंगी में था और मेरे लंड देव बाहर की तरफ मुँह उठाए हुए चूत को खोज रहे थे।
उसने मेरे खड़े लौड़े को अपने हाथों में लेते हुए मुँह में ले लिया।
लौड़ा चुसवाते हुए मैं नीचे को होकर उसके चीकुओं को चूसने लगा।
जैसे ही मैं उसके मम्मों को चाटते हुए काटता.. तो वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर हिलाते हुए उसे काट लेती।
इस तरह हम दोनों काम वासना में मजे लेते हुए ‘आहह.. आआहह..’ कर रहे थे।
वो काफ़ी देर तक मुझे एक बार अकड़ते हुए झड़ भी गई थी।
अब मेरी बारी थी मैं उसको अपने लण्ड के दूध का स्वाद चखाना चाहता था.. इसलिए मैंने उसके मुँह में ही लौड़े को पेलना चालू कर दिया।
कुछ ही पलों में मैं भी झड़ गया और काफ़ी मात्रा में उसके मुँह में अपने लंड का प्रसाद चढ़ा दिया।
वो पहले ‘गों.. गों..’ की आवाज़ करते हुए मेरे लौड़े को निकालने की कोशिश करने लगी.. लेकिन जब मैंने अपना लंड नहीं निकाला.. तो मेरी मलाई को वो पी गई।
मैं उनके घर पहुँचा.. तो उनकी लड़की और मेरी पुरानी जुगाड़ अंजू मेरी राह देख रही थी।
मैं उसकी तरफ देख तो रहा था.. पर कोई जल्दबाजी नहीं दिखाना चाह रहा था।
ठीक उसी समय उसकी बहन ऋतु बाहर आई।
उसके मम्मों को देखकर मेरे मन में उसे भी चोदने का लालच आ गया।
मैंने अपने मन की ये बात अंजू से कही.. तो वो पहले नाराज़ हो गई, फिर थोड़ी देर में मान गई।
ऋतु की उम्र भी चुदाई लायक ही थी.. तो अंजू ने कहा- ठीक है.. लेकिन उसके केवल चूचे ही चूसना.. उसे चोदना मत.. वो अभी बहुत नाज़ुक है.. चुदाई का दर्द बर्दाश्त नहीं कर पाएगी।
मैंने कहा- ठीक है।
अब उसने ऋतु से कहा- तुम्हारे जीजू बुला रहे हैं।
वो समझी नहीं कि जीजू कौन है।
वो बोली- कहाँ हैं जीजू?
उसने मेरी तरफ इशारा किया.. वो भी कम नहीं थी.. मुझे देख कर हँसने लगी। अब मैं समझ गया कि हँसी तो लड़की फंसी।
इसलिए जब वो मेरे पास आई तो बोली- भैया कैसे सैंया बन गए?
मैंने कहा- ये लम्बी कहानी है.. बाद में बताएँगे।
फिर वो मेरे पास आकर बैठ गई।
पहले मैंने उसकी जाँघ पर हाथ रखा.. लेकिन जब वो कुछ नहीं बोली।
तो मैंने कहा- ऋतु एक बात बोलूँ।
वो बोली- क्या?
मैंने कहा- तुम तो अब जवान हो गई हो.. क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?
ऋतु शर्माकर बोली- नहीं.. मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है।
फिर धीरे से उसने मेरे कान में कहा- आप हो ना।
इतना सुनते ही मेरा हौसला बढ़ गया और मैं धीरे-धीरे उसके मम्मों को दबाने लगा।
वो मस्त हो गई.. उसके मुँह से सीत्कार निकलने लगी।
लेकिन दोस्तों सिर्फ चूचियों से खेलने के आगे हम दोनों कुछ नहीं कर पाए।
क्योंकि सब लोग अब आ गए थे।
अब हम दोनों रात होने का इंतजार करने लगे।
जब रात हुई तो मेरे लिए बिस्तर अलग रूम में लगा था, मैं जाकर सो गया।
रात में धीरे से किसी ने दरवाजा खटखटाया.. तो मैं जाग गया।
मैंने देखा कि ऋतु आई है।
मैंने उसे अन्दर ले कर अपनी बांहों में दबोच लिया।
फिर क्या था.. उसने मुझे चूमना चालू कर दिया।
मैं उस वक्त केवल लुंगी में था और मेरे लंड देव बाहर की तरफ मुँह उठाए हुए चूत को खोज रहे थे।
उसने मेरे खड़े लौड़े को अपने हाथों में लेते हुए मुँह में ले लिया।
लौड़ा चुसवाते हुए मैं नीचे को होकर उसके चीकुओं को चूसने लगा।
जैसे ही मैं उसके मम्मों को चाटते हुए काटता.. तो वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर हिलाते हुए उसे काट लेती।
इस तरह हम दोनों काम वासना में मजे लेते हुए ‘आहह.. आआहह..’ कर रहे थे।
वो काफ़ी देर तक मुझे एक बार अकड़ते हुए झड़ भी गई थी।
अब मेरी बारी थी मैं उसको अपने लण्ड के दूध का स्वाद चखाना चाहता था.. इसलिए मैंने उसके मुँह में ही लौड़े को पेलना चालू कर दिया।
कुछ ही पलों में मैं भी झड़ गया और काफ़ी मात्रा में उसके मुँह में अपने लंड का प्रसाद चढ़ा दिया।
वो पहले ‘गों.. गों..’ की आवाज़ करते हुए मेरे लौड़े को निकालने की कोशिश करने लगी.. लेकिन जब मैंने अपना लंड नहीं निकाला.. तो मेरी मलाई को वो पी गई।