[color=rgb(41,]मैने उसकी तरफ देखा और पूछा के क्या है अब तो दर्द नही हो रहा. हालाँकि मैं जानता था कि अब प्रिया को दर्द नही हो रहा है, पर ऐसा मैने उसको खिजाने के लिए ही पूछा था. वो बोली के अब दर्द नही हो रहा है अब करो ना. मैने अंजान बनते हुए पूछा के और क्या करूँ. उसने जुंझलाते हुए कहा के वही जो करना है. मैने फिर कहा के क्या सॉफ सॉफ बोलो ना मुझे ऐसे नही समझ आ रहा है. यह सब मैं जानबूझ कर मज़े लेने के लिए कर रहा था. प्रिया के मम्मों का मसलना लगातार जारी था ताकि उसकी उत्तेजना में कमी ना होने पाए.

आख़िर प्रिया ने वो शब्द कह ही दिए जिसका मुझे इंतेज़ार था. प्रिया धीरे से बोली जम के चुदाई शुरू करो ना अब तो दर्द भी नही हो रहा है. मैने हंसते हुए कहा जो आग्या मेरी जान मैं तो यही सुनने का वेट कर रहा था.

मैने धीरे से अपने लंड को बाहर खींचा और फिर प्यार से अंदर कर दिया और धीरे धीरे अपनी गति बढ़ाते हुए यही रिपीट करने लगा. प्रिया की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. मेरे आनंद की तो कोई सीमा ही नही थी. मुझे अपना लंड प्रिया की चूत के अंदर बाहर करने में जो आनंद आ रहा था वो शब्दों में नही बताया जा सकता. प्रिया की टाइट चूत का घर्षण मेरे जैसा अनुभवी व्यक्ति ही इतनी देर तक बर्दाश्त कर सकता था.

प्रिया अब पूरी तरह से चुदाई का आनंद ले रही थी. उसके चेहरे पर अब दर्द की जगह पूरी तरह मस्ती के भाव थे. अब मैने अपने धक्कों की लंबाई बढ़ा दी और पूरा लंड बाहर निकाल कर अंदर कर रहा था. केवल लंड का सुपरा ही अंदर रह जाता और में लंड को वापिस अंदर धकेल देता. में जब लंड को अंदर डालता तो प्रिया भी नीचे से गांद उठा कर लंड को अंदर लेने में जल्दी दिखा रही थी. प्रिया की साँसे भी तेज़ गति से चल रही थी. उसका मुँह आधा खुला हुआ था और वो आ....ह, ह...आ...आ...न, ह...ओ...ओ...न की आवाज़ें निकाल रही थी.

इस बीच मेरा उसके मम्मों के साथ खिलवाड़ जारी था. क्या टाइट मम्मे थे. कभी मैं उसके मम्मों को दोनो हाथों में दबोच लेता, कभी एक को मुँह में लेकर चूसने लगता दूसरे की गोलाई हाथ से नापते हुए और कभी उसके निपल को दाँतों से हल्का हल्का काटने के कोशिश करता. इस सब में प्रिया को भी बहुत आनंद आ रहा था और वो बहुत उत्तेजित हो चुकी थी.

अचानक उसने अपने दोनो हाथ मेरी पीठ पर लपेट दिए और बोली यह क्या कर दिया है मुझको, मैं जैसे हवा में उड़ रही हूँ, जल्दी जल्दी ज़ोर ज़ोर से करो ना, मेरा दिल कर रहा है कि सारी उमर ऐसे ही चुदवाती रहूं और यह चुदाई ख़तम ही ना हो. मैं दिल ही दिल में बहुत खुश हुआ के वो अब खुल कर बिना किसी शरम के बोल रही थी. मुझे लड़कियों का ऐसे बोलना बहुत अच्छा लगता है. मैने कहा जान दिल तो मेरा भी यही चाहता है पर ऑल गुड थिंग्स ऑल्वेज़ कम टू आन एंड, इसका भी अंत अभी थोड़ी देर में हो जाएगा. वो बोली तो जल्दी करो ना बातें नही मुझको चोदो, मैं कही मज़ा आने से पहले कहीं मर ही ना जाऊं.

मैने हंसते हुए कहा के मेरी जान चुदवाते हुए कोई नही मरती, अभी तुम्हे मंज़िल पर पहुँचा देता हूँ. इसके बाद मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी और इतनी तेज़ी से लंबे-लंबे धक्के मारने शुरू किए के जैसे किसी मशीन का पिस्टन अंदर बाहर होता है. मेरा लंड अब तेज़ी से उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था. उसकी टाइट चूत का मेरे लंड के साथ घर्षण मुझे और उसको अत्यधिक मज़ा दे रहा था.

मैने अपने दोनो हाथ उसकी गांद के नीचे लगा दिए और कस के पकड़ लिया और पूरी ताक़त और तेज़ी से धक्के मारने लगा. उसकी साँसें उखड़ने लगीं और फिर उसके मुँह से एक तेज़ सिसकारी निकली और वो झार गयी. उसने एक ज़ोर की साँस ली और निढाल होकर अपना शरीर ढीला छोड़ दिया. उसकी चूत के पानी छोड़ने से मेरा लंड अब उसकी चूत में बहुत आसानी से अंदर बाहर होने लगा. उसके शरीर काकंपन ऐसे महसूस हो रहा था जैसे कोई वाइब्रटर लगा हो. 15-20 ज़ोरदार धक्के मारने के बाद मैं भी झाड़ गया और प्रिया से लिपट कर वहीं बेड पर ढेर हो गया.

प्रिया ने मेरी तरफ करवट ली और मुझे अपनी तरफ खींचा. मेरे करवट लेते ही उसने मुझे कस्स के पकड़ लिया और बोली के मुझे बाहों में ले लो पता नही मुझे क्या हो रहा है अभी भी मेरा शरीर काँप रहा है. मैने प्रिया को अपनी बाहों में जाकड़ लिया और उसके होंठ अपने होंठों में लेकर किस किया और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी. वो अपनी जीभ मेरी जीभ से लड़ाने लगी. उसके सख़्त मम्मे मेरी छाती में यूँ गढ़ रहे थे जैसे उस मे छेद कर देंगे. मैं प्यार से उसकी पीठ सहलाने लगा और उसको पूछा के कैसा लगा.

प्रिया बोली के आज तो उसको पिच्छली बार से भी डबल मज़ा आया बल्कि और भी ज़्यादा क्योंकि पिच्छली बार 2 बार का मिलाकर भी इतना मज़ा नही आया था जितना आज एक बार में ही आ गया. मैने कहा के हां जानू ऐसा ही होता है जब कोई एक्सपर्ट पूरा ध्यान रखकर प्यार से चुदाई करता है तो मज़ा ज़्यादा ही आता है. वो शोखी से बोली हांजी एक्सपर्ट तो तुम बहुत हो जो मुझको पूरी तरह से फसा भी लिया और चोद भी दिया और सभी कुच्छ मैने अपनी मर्ज़ी से किया. मैं केवल मुस्कुरा दिया क्योंकि कुच्छ कहने की ज़रूरत ही नही थी. सब कुच्छ तो प्रिया ने खुद ही कह दिया था.[/color]
 
[color=rgb(41,]प्रिया बैठ गयी और बोली के उसको बाथरूम जाना है. मैने कहा के जाओ. वो बेड से उतरने को हुई और जैसे ही खड़े होने की कोशिश की उसकी टाँगों ने जवाब दे दिया और वो वापिस बेड पर बैठ गयी. पहली चुदाई के बाद ऐसा ही होता है, ख़ासकर जब लंड सॉलिड चुदाई करे तब. मैं उठा और पहले टवल उठा कर उसकी चूत और टाँगों से अपना वीर्य सॉफ किया और टवल को बाथरूम में धोने डाल दिया. फिर एक बाल्टी में गरम पानी और एक फ्रेश टवल लेकर आया. मैने टवल फोल्ड करके गरम पानी में डाला और फिर पानी निचोड़ कर टवल से प्रिया की चूत की सिकाई करने लगा. 5-6 बार ऐसा करने पर वो बोली अब मुझे ठीक लग रहा है, अब मैं खड़ी हो सकती हूँ.

प्रिया फिर खड़ी हुई, अब वो वापिस तो नही बैठी पर उसके चेहरे पर अभी भी परेशानी के भाव थे. मैने उसको सहारा दिया और बाथरूम में ले गया. दरवाज़े पर ही वो बोली के ठीक है. वो अंदर चली गयी कुच्छ देर बाद उसने मुझे अंदर आने को कहा और मैं अंदर चला गया. वो वॉश बेसिन को पकड़ कर खड़ी थी और बोली के इस हालत में मैं घर कैसे जाऊंगी. मैने कहा के चिंता मत करो मैं तुम्हे थोड़ी देर में ही ठीक कर दूँगा.

मैने एक चौड़ा टब लिया और उसमे ठंडा और गरम पानी मिक्स करके पानी आधा भर दिया, इतना गरम के शरीर उसको सह सके. फिर मैने कपबोर्ड से एक आंट्रिनजेंट लोशन की शीशी निकाली और टब में थोड़ी सी मिक्स करदी. फिर मैने प्रिया को उस टब में बिठा दिया. पानी उसकी चूत को ढक रहा था और उसके अंदर भी जा रहा था और प्रिया की चूत की सिकाई भी कर रहा था. मैं एक छ्होटा स्टूल लेकर प्रिया के पीछे बैठ गया और उसकी पीठ अपने साथ लगा ली.

खाली तो बैठा नही जा सकता था, इसलिए मैने उसके दोनो मम्मे अपने दोनो हाथों में ले लिए और उनके साथ खेलने लगा. वही पुराना खेल, कभी मेरे हाथ उनकी गोलाई नापते, कभी उन्हे पूरा ढक लेते, कभी उन्हे प्यार से भींच लेते और कभी निपल्स को मसल्ने लगते. प्रिया तिर्छि नज़र से मेरी तरफ देखते हुए बोली के क्या अभी दिल नही भरा? मैने कहा के इतने प्यारे मम्मे मेरे सामने हों तो दिल कैसे काबू में रह सकता है, फिर ऐसे सुंदर मम्मे ही तो मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी हेँ. मेरा बस चले तो मैं ऐसे प्यारे मम्मों से खेलते हुए सारी उमर बिता दूँ. वो एक उन्मुक्त हँसी हंस दी और उसके हँसने से उसका शरीर हिलने लगा और मेरे अंदर एक गुदगुदी सी भर गया.

10 मिनट के करीब ऐसे ही बीत गये. मैने प्रिया को पूछा के अब कैसा लग रहा है? तो वो बोली के ऐसे तो ठीक ही लग रहा है पर खड़ी होने पर ही पता लगेगा. मैने कहा के कोशिश करो. उसने खड़े होने की कोशिश की और कामयाब भी हुई. गरम पानी की सिकाई ने उसको काफ़ी आराम दिया था और मेरी कामयाब तरकीब अपना काम एक बार फिर कर गयी थी. प्रिया आराम से बाहर आ गयी और बिना किसी सहारे के रूम में पहुँच गयी.

मैने घड़ी देखी, हमारे चलने का टाइम हो चला था. मैने कपबोर्ड में से प्रिया की ड्रेस निकाली और खोल कर बेड पर फैला दी और उसको कहा के जल्दी से कपड़े पहन कर तैयार हो जाए अब देर करना उचित नही होगा. वो समझ गयी और फुर्ती से रेडी हो गयी. मैं भी तैयार हो चुका था. फिर हम दोनो ने अपना अपना डियो उठाया और हल्का हल्का स्प्रे करके बाहर को चल दिए.[/color]
 
[color=rgb(41,]पुराने रुटीन से पहले मैं निकला फिर प्रिया कार में पीच्छे बैठी और सीट के नीचे दुबक गयी और मैं गेट पर गार्ड से अपनी रुटीन बात दोहरा कर मैं बाहर रोड पर आ गया और कार के मेन रोड पर आते ही प्रिया उठकर बैठ गयी. मैने कार चलाते हुए प्रिया को सरसरी तौर पर पूछा के उसकी वो सहेली जिसने उसे पॉर्न क्लिप दिखाया था वो कैसी लड़की है. तेज़ दिमाग़ कि प्रिया मेरी बात पूरी होते ही बोली क्यों क्या उसको भी चोदने का इरादा है.

प्रिया की बात पर मैं हंस दिया और सेक्सी आवाज़ में बोला के इसमे बुराई क्या है. जो लड़की पॉर्न क्लिप देख और दिखा सकती है वो चुदना भी ज़रूर चाहती होगी. इस पर प्रिया बोली के वो नही जानती निशा चाहती क्या है क्योंकि इस बारे में उनके बीच कभी कोई बात नही हुई है पर इतना वो निश्चित रूप से जानती है के निशा अभी तक कुँवारी है. यह सुन कर मेरा दिल बल्लियों उच्छलने लगा के एक और कुँवारी चूत मेराशिकार होने की संभावना बन रही थी. प्रिया आगे बोली के हम अपनी सारी बातें एक दूसरे से शेर करती हैं और वो देखेगी के अगर निशा चाहती है तो मुझे बता देगी. मैने डरते हुए पूछा के क्या वो निशा को हमारे बारे में बता चुकी है. तो प्रिया ने कहा के अभी नही बता सकी क्योंकि वो काफ़ी दिनों से अकेले में मिली नही हैं.

मैने चैन की साँस ली और बोला के अगर वो तैयार हो तो कोई बात नही पर अगर निशा तैयार ना हो तो प्लीज़ मेरा नाम उसे मत बताना. प्रिया बोली के मैं समझ सकती हूँ और प्रॉमिस करती हूँ के अगर वो तैयार नही हुई तो वो बाकी सब कुच्छ तो बता देगी पर मेरा नाम नही बताएगी निशा को. मैं खुश हो गया.

हम साकेत माल पर वापिस पहुँचने वाले थे. मैने एक टॅबलेट निकाल कर प्रिया को दी और कहा के सुबह नाश्ते के बाद इसको ले ले. वो बोली के यह क्या है. मैने कहा के हमने अनप्रोटेक्टेड सेक्स किया है, इसलिए ज़रूरी है के वो यह टॅबलेट ले ले, इसके लेने से प्रेग्नेन्सी का कोई ख़तरा नही रहेगा. प्रिया चौंक गयी और बोली के क्या एक ही बार सेक्स करने से प्रेग्नेन्सी हो सकती है तो मैने उससे समझाया के हो भी सकती है पर यह टॅबलेट लेने के बाद बिल्कुल शुवर है के नही होगी और वो हंड्रेड आंड वन पर्सेंट सेफ रहेगी. प्रिया ने झट से वो गोली रख ली और बोली के वो पक्का सुबह नाश्ते के बाद यह टॅबलेट ले लेगी.

फिर मैने उसे साकेत माल के पास एक भीड़-भाड़ वाले स्थान पर उतार दिया और वो भीड़ में से होती हुई आगे चली गयी. तोड़ा आगे जाकर उसने एक ऑटो एंगेज किया और उसमे बैठकर अपने घर चल दी. मैने प्रिया को कह दिया था के घर पहुँचने के 15-20 मिनट बाद मुझे फोन करके बता दे के वो सुरक्षित घर पहुँच गयी है. मैं उस ऑटो के पीछे मैन रोड तक आया और जब वो ऑटो कॉलोनी में अंदर जाने के लिए घूमा तो मैं भी अपने घर की तरफ चल दिया.

घर पहुँच कर मैं सीधा अपने बेडरूम में चला गया और चेंज करके बेड पर लेट गया. अब मुझे प्रिया के फोन का इंतेज़ार था. थोड़ी देर में प्रियाका फोन भी आ गया और उसने बताया के वो घर पहुँच भी गयी है और अपने पापा को थकान का बहाना बना कर अपने बेडरूम में पहुँच गयी है. मैने कहा के मैं भी अपने बेडरूम में ही हूँ और आराम कर रहा हूँ. वो हंसते हुए बोली के बहुत थक गये हो क्या. मैने कहा के किसी कुँवारी लड़की को औरत बनाने का काम बहुत थकाने वाला होता है. फिर प्रिया ने कहा के वो अच्छा सा मौका देख के निशा से बात करेगी और मुझे बताएगी. मैने कहा के ओके, पर कोई जल्दबाज़ी ना करे. वो हंस दी और बोली के डॉन'ट वरी मैं बड़े प्यार से उसको मना लूँगी. पर एक शर्त है के उसके साथ अकेले नही प्रिया के सामने सब कुछ करूँ. मैने कहा के प्रॉमिस डार्लिंग तुम्हारे सामने ही करूँगा. फिर हमने इधर उधर की बातें करके फोन काट दिया.

दो हफ्ते ऐसे ही बीत गये और कोई बात नही हुई. फिर एक दिन मुझे प्रिया का फोन आया के निशा को उसने मना लिया है और वो मुझसे मिलना चाहती है. मैं एकदम चौंक गया और मैने पूछा के तुमने.. प्रिया ने मेरी बात काटते हुए कहा के फिकर मत करो उसे तुम्हारा नाम नही बताया. मैने चैन की साँस ली और उसको कहा के फ्राइडे को ले आए. प्रिया बोली के यह ठीक रहेगा, और साथ ही कहा के तुम खुद ही संभाल लेना वो डरती बहुत है. मैने कहा के चिंता मत करो मैं सब देख लूँगा.

मेरे स्कूल में यह एक रूल है के कोई भी स्टूडेंट मुझे फ्राइडे को मिल सकता है कुच्छ भी डिसकस करने के लिए, बस डाइयरी में नोट करके अपायंटमेंट लेनी होती है. मैं खुद उस डाइयरी को चेक करके अपायंटमेंट देता हूँ. प्रिया और निशा का अपायंटमेंट मैने सबसे लास्ट में रखा ताकि ज़रूरत पड़े तो देर तक उनसे बात कर सकूँ. [/color]
 
[color=rgb(41,]फ्राइडे भी आ गया और लंबे इंतेज़ार के बाद अपायंटमेंट का टाइम भी आ ही गया. प्रिया आगे और निशा उसके पीछे मेरे ऑफीस में एंटर हो गयीं. प्रिया ने निशा को आगे करते हुए मुझे कहा के ये है निशा. मैने निशा की तरफ प्यार भरी नज़रों से देखा और धीरे से पूछा के निशा मुझे यह बताओ के तुमको वो पॉर्न वीडियो क्लिप किसने दिया. वो डर गयी और उसके चेहरे पर ऐसे भाव आए के जैसे अभी रो देगी.

मैं अपनी चेर से उठकर उसके पास गया और उसकी आँखों में प्यार से देखते हुए उसकी पीठ पर हाथ फेरा और कहा के निशा डरो नही मुझे अपना दोस्त समझो और बताओ के वो वीडियो क्लिप तुमको किसने दिया. उसने डरते हुए कहा के किसी ने दिया नही वो तो उसको नेट सरफिंग करते हुए अचानक मिल गया. मैने उसको प्यार से पूछा के देखने पर उसको कैसा लगा. उसने शर्मा के नज़रें झुका लीं और कुछ नही बोली. मैने निशा को कहा के देखो ऐसे शरमाओगी तो कैसे चलेगा. प्रिया ने तुम्हें सब कुच्छ बता तो दिया है. वो चौंक गयी और मेरी तरफ देखने के बाद प्रिया को देखने लगी. मैने उसको अपने साथ सटा लिया और प्यार से कहा के हां मेरे बारे में ही प्रिया ने उसको बताया है और मैं ही वो दोस्त हूँ जिसको मिलवाने का प्रिया ने वादा किया था. अब बताओ क्या तुम मुझसे दोस्ती करना चाहती हो?

निशा ने सहमति में अपना सर हिला दिया पर मैने थोड़ा ज़ोर देकर फिर कहा के बोलो ना. उसने शरमाते हुए हां कहा तो मैने उसको अपने साथ भींच लिया और बोला के गुड, तुम्हें कोई निराशा नहीं होगी मुझसे दोस्ती करके. इतनी देर से जो मेरा हाथ उसकी पीठ को सहला रहा था उसके कारण मैं जान चुका था के प्रिया की तरह वो भी शर्ट के नीचे कुच्छ नही पहनती है.

निशा की हाइट प्रिया जितनी ही थी और उनकी सिमिलॅरिटीस यहीं ख़तम हो जाती थीं. प्रिया जहाँ बहुत गोरी थी निशा का रंग गोरा होते हुए भी प्रिया से थोड़ा कम गोरा था. निशा को मोटी तो नहीं कह सकते थे पर उसका जिस्म बहुत गुदाज था और प्रिया के मुक़ाबले भरा हुआ था. उसके मम्मे प्रिया से थोड़े बड़े थे और गोलाई लिए हुए थे. कमर पतली ही थी पर नितंब भरे हुए और गोले थे. कुल मिलाकर वो एक बहुत सेक्सी पॅकेज थी.

मेरे भींचने पर उसने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया और फिर मुझसे लिपटाते हुए मुझे अपनी बाहों में कस लिया. मैने भी उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके चेहरे पर छ्होटी-छ्होटी किस करते हुए उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया. मैने निशा को अपने से अलग करते हुए कहा के अब मेरी आँखों की प्यास भी तो बुझा दो. उसने स्वालिया निगाह से मुझे देखा. मैने प्रिया को आँख से इशारा किया तो उसने मेरी बात को समझते हुए अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए और निशा को देखने लगी. निशा भी समझ गयी और उसने भी प्रिया काअनुसरण करते हुए अपनी शर्ट के बटन खोल दिए. प्रिया ने तो अपनी शर्ट के पल्ले हटाते हुए अपने उन्नत उरोज बेपर्दा कर दिए लेकिन निशा ने बटन तो खोल दिए, अपने मम्मे नही दिखाए. मैने हाथ बढ़ाकर उसकी शर्ट के दोनो पल्ले अलग कर दिए और उसके मम्मे मेरी आँखों के सामने आते ही निशा ने शर्मा कर अपनी नज़रें नीची कर लीं.

क्या खूबसूरत भारी मम्मे थे, मेरी तो आँखे चौंधिया गयीं. एकदम गोले और उठे हुए, थोड़े भारी होते हुए भी तने हुए थे और झुकाव बिल्कुल भी नही था. मैने आगे बढ़कर एक हाथ उसके मम्मे पर रखा और झुक कर दूसरे को चूम लिया. निशा के मुँह से एक मादक सिसकारी निकली और उसका शरीर कांप गया. मैने निशा को पूछा के क्या वो मेरी दोस्त बनना चाहती है. उसने सर हिला कर सहमति जताई. मैने फिर पूछा के और क्या चाहती हो. उसने शरमाते हुए कहा के प्रिया की तरह.. मैने उसस्की बात काट कर कहा के शरमाने की कोई बात नही है खुल कर बोलो के क्या चाहती हो.

निशा ने धीमे लेकिन स्पष्ट शब्दों में कहा के वो चाहती है के मैं उसको भी प्रिया की तरह चोद कर लड़की से औरत बना दूँ. मेरा दिल उच्छल कर बाहर आने को हो गया निशा की बात सुनकर. मैने उसके मम्मे दबाते हुए कहा के ज़रूर ऐसा ही करूँगा और उसको भरपूर मज़ा भी आएगा. उसने कहा के एक बात और है के वो चाहती है के उसको पहली बार में ही चोद डालूं क्योंकि एक तो उसके घर वाले स्ट्रिक्ट हैं और उसको बार-बार आने नही देंगे, दूसरे एग्ज़ॅम भी सर पर हैं इसलिए वो इसके बाद पढ़ाई करना चाहती है. मैने कहा के ठीक है यह तो बहुत अच्छी बात है के तुम्हें अपनी पढ़ाई का भी इतना ध्यान है.

फिर मैने उन दोनो को एक साथ गले लगाया और कहा के अगले हफ्ते का प्रोग्राम पक्का करके मुझे बता देना. प्रिया ने कहा के मैं सब सेट कर लूँगी और बता दूँगी. मैने कहा के ठीक है. वो दोनो अपनी शर्ट्स को ठीक करके चली गयीं और मैं अपनी चेर पर बैठ कर अपने आपसे कहने लगा के राज शर्मा यू आर वन हेल ऑफ आ लकी मॅन. फिर आप ही जवाब भी दिया के वो तो है. [/color]
 
[color=rgb(41,]लंबे इंतेज़ार के बाद अगले थर्स्डे की शाम को प्रिया का फोन मुझे आया के कल निशा स्कूल से मेरे साथ मेरे घर आएगी और फिर वो घूमने और पिक्चर देखने के बहाने से घर से निकलेंगी और पिच्छली बार की तरह मैं उनको पिक कर लूँ. मैने कहा के ठीक है पर इस बार साकेत माल पर नही, अंसल प्लाज़ा पर मिलना. वो बोली के हां मैं भी नयी जगह पर मिलना चाहती थी. मैने कहा ओके और फोन काट दिया.

अगले दिन मैं निर्धारित समय पर अंसल प्लाज़ा पहुँच गया और उन्हे अपनी पोज़िशन बता दी. प्रिया ने कहा के वो आ रही हैं. और 5 मिनट से भी पहले दोनो ने इधर उधर देखते हुए कार के पिच्छले दरवाज़ों को खोला और अंदर बैठ गयीं. मैने तेज़ी से कार आगे बढ़ा दी और काफ़ी तेज़ी से ड्राइव करते हुए अपने फार्म हाउस की तरफ बढ़ने लगा. पीछे से प्रिया की शोखी भरी आवाज़ आई बहुत जल्दी में लग रहे हो. मैने कहा के हां जल्दी तो ज़रूर है क्योंकि टाइम ज़्यादा नही है और मुझे डबल ड्यूटी करनी है. मेरे इतना कहते ही दोनो की हँसी छ्छूट गयी.

फार्म हाउस पहुँचते ही प्रिया और निशा दोनो सीट के नीचे दुबक गयीं, प्रिया ने निशा को सब कुच्छ समझा रखा था और मैने मैन डोर के सामने कार रोक दी. कार से उतर कर मैने मैन डोर खोला और दोनो जल्दी से अंदर चली गयीं. मैं भी उनके पीछे अंदर बढ़ा और मैन डोर डबल लॉक करके उनको बेडरूम में ले आया.

मैं सीधा लिकर कॅबिनेट की तरफ गया और 3 ग्लास निकाल के 2-2 अंगुल बकारडी डाली और चिल्ड 7-अप से भर के तीनों ग्लास लेकर उनके पास आया और कहा के लो. प्रिया ने एक ग्लास उठा लिया पर निशा रुक गयी और पूच्छने लगी इसमे क्या मिलाया है. मैने कहा के माइल्ड ड्रिंक है और तुम्हारी सारी टेन्षन ख़तम हो जाएगी और तुम्हारा मज़ा भी बढ़ जाएगा. प्रिया ने भी उसको कहा के घबरा मत कुच्छ नहीं होगा मैं भी तो पी रही हूँ. और प्रिया ने एक लंबा घूँट भरा और मुँह में घुमाने के बाद गटक गयी. निशा ने भी एक ग्लास उठा लिया और एक छ्होटा सा घूँट भरके चेक किया और पी गयी. फिर बोली के कुच्छ पता ही नहीं लगा. प्रिया ने उसको फिर तसल्ली दी के पता कुच्छ नहीं लगता बस टेन्षन ख़तम हो जाती है और मज़ा ज़्यादा आता है. मैने भी अपना ग्लास उठाया और चियर्स कह कर आधा कर दिया.

मैने उनको कहा के ड्रिंक भी ख़तम करो और जल्दी से तैयार भी हो जाओ और प्रिया को कहा के कपड़े ठीक से कपबोर्ड में टाँग दे. इधर मैने अपने कपड़े उतारे और फोल्ड करके एक चेर पर रख दिए उधर दोनो ने अपने कपड़े उतारे और फोल्ड करके कपबोर्ड में रख दिए. जैसे-जैसे उनके जिस्म उजागर होते गये मेरा लंड अकड़ता गया और उनके पूरी तरह नंगे होने तक मेरा लंड भी पूरी तरह खड़ा हो गया. निशा बड़े गौर से यह सारी प्रक्रिया देख रही थी और उसने उत्सुकता से पूछा के अभी तो यह ढीला था और अब एक दम से तन गया है, ऐसा क्यों? प्रिया ने हंसते हुए कहा के पगली यह ऐसे ही तो तेरी चूत फाड़ेगा, ढीला-ढाला तो उसमे घुसेगा ही नही.

मेरी उत्तेजना का कोई ठिकाना नही था, दो लड़कियाँ पूरी तरह से नंगी होकर मेरी आँखों के सामने थीं और उनकी सुंदरता और उनका अंग-प्रत्यंग मेरी उत्तेजना को बढ़ा रहा था. दोनो ने जैसे ही अपने ग्लास खाली किए मैने भी अपना ड्रिंक ख़तम किया और तीनों ग्लास और ट्रे एक तरफ रख दी. फिर मैं आगे बढ़ा और दोनो को अपनी एक-एक बाँह में लपेट कर अपने साथ भींच लिया और उनको कहा के मैं बहुत भाग्यशाली हूँ के 2-2 अनुपम सुंदरियाँ मेरी आगोश में हैं और मैं उनको भोगने और चोदने जा रहा हूँ.[/color]
 
[color=rgb(41,]मेरी बात सुनकर दोनो मुस्कुरा दीं और मैं उन्हें लिए हुए बेड पर आ गया. सीधे लेट कर मैने दोनो को अपने दायें-बायें लिटा लिया और अपनी एक-एक बाँह में लेकर अपने साथ चिपका लिया. एक तरफ छर्हरे बदन वाली प्रिया थी जिसे मैं भोग भी चुका था और चोद भी चुका था और आज भी चोदना चाहता था और दूसरी तरफ मखमली गुदाज बदन वाली निशा थी जिसे मैने आज लड़की से औरत बनाना था, आप समझ ही रहे होंगे के आज उसकी पहली चुदाई करनी थी और सील तोड़नी थी. मैं सोच रहा था के पहले किसको चोदू. फिर मैने फ़ैसला किया के पहले प्रिया को चोदना ठीक रहेगा जिसके 2 फ़ायदे होंगे. एक तो निशा उसकी चूत में लंड को अंदर बाहर होते देख लेगी तो उसका डर कुच्छ कम हो जाएगा और दूसरा वो प्रिया को चुदाई का मज़ा लेते देखकर गरम होकर तैयार भी पूरी तरह हो जाएगी पहली चुदाई के लिए. एक और बात थी के मैं भी निशा को भरपूर भोगना चाहता था और यह तभी मुमकिन था जब मैं उसकी एक लंबी चुदाई करू.

एक बार झड़ने के बाद जब मैं दुबारा तैयार होता हूँ तो फिर एक बहुत लंबी चुदाई कर सकता हूँ, दुबारा झड़ने के लिए बहुत ज़ोर लगाना पड़ता है और देर भी लगती है. यही सोच कर मैने प्रिया को कहा के पहले मैं उसको चोदून्गा ताकि निशा अपनी आँखों से देख ले लाइव चुदाई और समझ ले के क्या और कैसे होना है साथ ही साथ उसको मस्ती भी आ जाएगी और उसको चुदाई ज़्यादा आसान और उसके लिए ज़्यादा आनंद-दायक होगी. प्रिया ने कहा के वो तो ठीक है पर क्या तुम... मैने उसकी बात काटी और बोला के फिकर मत करो तुम दोनो हो ना मुझे दुबारा तैयार करने के लिए, दस-एक मिनट में मैं दुबारा तैयार हो जाऊँगा और फिर दूसरी बार जल्दी झरूँगा भी नही तो उस कारण से भी निशा को ज़्यादा मज़ा दे सकूँगा.

प्रिया तो मेरी बात समझ गयी पर निशा हम दोनो को बारी-बारी देखती रही और उसके चेहरे के भाव बता रहे थे के उसे हमारी बात पूरी समझ नही आई है. मैने उसको कहा के वो सब देखती रहे तो उसको सब समझ में आ जाएगा.

अब मैं पूरे मूड में आ गया और दोनो के बदन पर हाथ फिराने लगा. मेरा ध्यान ज़्यादा निशा की तरफ था क्योंकि वो मेरे लिए एक नया जिस्म था. ज़ाहिर तौर पर प्रिया के साथ भी मेरे हाथों की छेड़-छाड़ जारी थी पर वो स्पर्श मेरा जाना पहचाना था इसलिए अंदर से मेरा ध्यान निशा पर ज़्यादा था. निशा का बदन मांसल ज़रूर था पर कहीं भी फ्लॅब नहीं था बहुत ही प्यारा गुदाज शरीर और उस पर कसे हुए मम्मे और उसका मेरे हर स्पर्श का स्वागत एक कंपकंपी या नीश्वास से करना और अगले स्पर्श के लिए उसकी स्पष्ट आतूरता मुझे उत्तेजित किए जा रही थी. मैने निशा की तरफ आधी करवट ले ली थी और प्रिया को अपनी तरफ खींच लेने से वो आधी मेरे ऊपेर थी और उसने अपनी एक टाँग मेरे ऊपेर की हुई थी और मैं उसकी जाँघ की निचली तरफ अपना हाथ बहुत प्यार से फिरा रहा था. हमेशा की तरह उसके पूरे शरीर पर गूस बंप्स थे जो उसको ज़रा सा छ्छूने पर ही उभर आते थे. उसकी बढ़ती उत्तेजना मैं अनुभव कर रहा था.

दूसरी तरफ मेरा दूसरा हाथ निशा की गर्देन पर लिपट कर नीचे उसके मम्मो से खेल रहा था. उसके सेब के आकर का मम्मा मेरे हाथ में भी पूरा नही समा रहा था. उसके भूरे रंग के चूचक पर मटर के दाने जितने निपल बड़े आकर्षक लग रहे थे. मेरे हाथ में आए हुए मम्मे का निपल कड़क हो चुका था और मैं कभी उसे चुटकी में लेकर हल्के से मसल देता और कभी अपनी पूरी हथेली उसके मम्मे पर रगड़ देता तो वो मचल जाती और ओ...ह, आ..ह की आवाज़ें भी निकालनी शुरू हो गयी थी. निशा ने अपना मुँह मेरे कंधे में च्छूपा रखा था और बीच बीच में मुझे छ्होटे छ्होटे चुंबन प्रदान कर रही थी.

फिर मैने निशा को थोड़ा परे किया और अपना सर झुकाकर उसके दूसरे मम्मे को चाटना शुरू कर दिया. अपनी झीभ को मैं उसके मम्मे पर गोलाई में घुमा रहा था. हर चक्कर के बाद मेरी जीभ का घेरा तंग होता जा रहा था. मेरी जीभ उसके चूचक पर पहुँची. प्रिया के मुक़ाबले निशा के चूचक थोड़े कड़े होने के साथ साथ मुलायम भी थे. सबसे आख़िर मैं मेरी जीभ ने निशा के निपल का स्पर्श किया तो वो बहुत ज़ोरों सेकाँप गयी और उसके मुँह से एक आ...ह निकली. मैने पूछा के क्या हुआ? निशा बोली के बहुत मज़ा आ रहा है रूको मत करते रहो. मैं भी कहाँ रुकने वाला था. मैने अपना मुँह पूरा खोल कर उसके मम्मे को ज़्यादा से ज़्यादा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा, साथ ही अपनी जीभ को कड़ा करके उसके चूचक और निपल पर फिराने लगा.

निशा उत्तेजना के मारे उछलने लगी. फिर मैने दोनो को पीठ के बल साथ साथ लिटा दिया और उनके ऊपेर आ गया. मेरा एक-एक घुटना दोनो की जांघों के बीच था. दोनो का एक-एक मम्मा मेरे हाथों में और मैने अपनी कोहनियों उनके शरीरों के साथ सटा कर बेड पर टीकाया हुआ था और अपना बोझ उंनपर डाला हुआ था. फिर मैं बारी-बारी से दोनों के मम्मे अपने मुँह में लेने लगा. थोरी ही देर में मैने देखा के प्रिया की उत्तेजना काफ़ी बढ़ चुकी है और उसकी आँखें कामुक दृष्टि से मुझे निहार रही हैं जैसे कह रही हों के अब और ना तद्पाओ.

मैं भी अब पूरी तरह से उत्तेजित हो चुक्का था, सो मैने निशा को कहा के वो बैठ जाए और सारा कुच्छ ध्यान से देखे भी और साथ ही साथ प्रिया को और मुझे अपने हाथों से प्यार से सहला के और अपने होंठों से चूम चूम के उत्तेजित करती रहे. निशा ने कहा के ठीक है. फिर मैं उठ कर प्रिया की टाँगों के बीच में आ गया और अपना लोहे जैसा आकड़ा हुआ लंड अपने हाथ में लेकर प्रिया की चूत के मुहाने पर रख दिया और प्यार से रगड़ने लगा मानो लंड उसकी चूत पर दस्तक दे रहा हो और अंदर आने की इजाज़त माँग रहा हो.
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[color=rgb(41,]प्रिया तुनक कर बोली अब क्यों तडपा रहे हो डाल दो ना लंड को मेरी चूत में और मुझे सातवें आसमान पर पहुँचा दो. निशा जो बड़े गौर से सब कुच्छ देख और सुन रही थी हैरानी से मेरी तरफ देखने लगी और मैने अपने दूसरे हाथ से उसको अपने पास खींच कर उसके मम्मे को अपने मुँह में लेकर चुभलाते हुए कहा के ऐसा ही होता है जब लंड की प्यास और मज़े की आस लग जाती है तो ऐसा ही होता है मेरी जान मत हो इतना हैरान.

और अधिक देरी ना करते हुए मैने अपने लंड को प्रिया की चूत पे रगड़ते हुए चूत के मुख पर फँसा दिया. प्रिया अपनी मस्ती भरी अधखुली आँखों से मेरी आँखों में देखते हुए एक बहुत ही मादक मुस्कान अपने चेहरे पर ले आई जैसे उसे विश्वास हो गया के अब लंड उसकी चूत में घुसेगा और उसकी आशा पूरी होगी. मैने उसको निराश तो नही किया पर पता नही मुझे क्या हुआ के मैने अपने दोनो हाथ उसकी जांघों पर रख कर उसकी टाँगें पूरी तरह खोलते हुए एक ज़बरदस्त धक्का मारा. मेरा लंड प्रिया की चूत में एक ही वार में पूरा का पूरा घुस गया और प्रिया के मुँह से एक चीख निकली, उ..उ.ए.ए.म.आ.आ. मुझे अपनी तीव्रता का एहसास हुआ और मैने निशा को इशारा करते हुए प्रिया की जांघों को छ्चोड़ा और उसके ऊपेर झुक कर उसके एक मम्मे को अपने मुँह में लेकर चुभलना शुरू किया.

उधर निशा भी मेरा इशारा समझ कर प्रिया के दूसरे मम्मे को चूसने लगी. मैं अपने दूसरे हाथ से प्रिया के शरीर को प्यार से सहलाने लगा और मुझे ऐसा करते देख निशा भी उसस्के जिस्म से छेड़-छाड़ करने लगी. थोड़ी ही देर में प्रिया नॉर्मल लगने लगी. उसके चेहरे पर पीड़ा की जगह मस्ती ने लेनी शुरू करदी.

प्रिया रुआंसे स्वर में बोली के मेरी तो जान ही निकल जाती आज. मैने कहा के सॉरी डार्लिंग आज 2-2 सुंदर लड़कियों को चोदने की उत्तेजना में मेरा सेल्फ़ कंट्रोल पता नही कहाँ चला गया. चिंता नही करो अब कुच्छ नही होने दूँगा. प्रिया मुस्कुरा दी और मैने धीरे से अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर अंदर धकेल दिया. प्रिया बोली के हां ऐसे प्यार से चोदो ना कभी छ्होटे और कभी लंबे धक्के लगाओ पर प्यार से, और जब मस्ती पूरी आने लगे तब जैसे चाहे कर लेना. उसकी बात सुनकर मैं मुस्कुराए बिना ना रह सका.

फिर मैने प्रिया के कहे अनुसार ही उसे चोदना शुरू किया और थोड़ी देर में जब उसकी उत्तेजना बढ़ती नज़र आई मैने निशा को कहा के वो प्रिया के मुँह पर अपनी चूत लगा दे ताकि प्रिया उसकी चूत चाट कर उसको मज़ा दे सके और जैसे ही वो प्रिया के ऊपेर आई मैने निशा के दोनो हाथ अपने कंधों पर रख दिए और उसके मम्मों को पकड़ कर उन्हे प्यार करने लगा. प्रिया ने निशा की चूत पर अपना मुँह चिपका दिया और अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने लगी. मैने अपना एक हाथ निशा के मम्मे से हटा कर प्रिया के मम्मे को पकड़ लिया और उसको कभी दबा लेता, कभी प्यार से सहलाता और काफ़ी दबा देता. मैने अपनी पहली उंगली मॉड्कर उसके निपल को भींच लिया और अपना अंगूठा उसस्की नोक पर रगड़ने लगा.

निशा का एक मम्मा मेरे हाथ की शैतानियाँ सह रह था और दूसरे को मैने अपनी गर्देन झुका कर अपने मुँह में भर लिया और चुभलाने लगा. प्रिया का उसकी चूत पर अपनी जीभ से आक्रमण लगातार जारी था ही. निशा की मस्ती बढ़ने लगी. उधर प्रिया भी बहाल थी. उसने अब मेरे धक्कों का जवाब नीचे से अपनी गांद उठाकर देना शुरू कर दिया था. टाइम का टोटा था, हालाँकि इतना कम समय भी नही था पर मैं निशा को भरपूर तसल्ली देना चाहता था इसलिए मैने प्रिया की चूत में अब करारे धक्के मारने शुरू कर दिए और अपना लंड पूरा बाहर निकालकर उसकी चूत में धकेलने लगा. मेरे लंड के अंदर करने पर जब हमारे शरीर आपस में टकराते तो फॅक-फॅक के आवाज़ें अपना मधुर संगीत उत्पन्न कर रही थीं.

फिर वही हुआ जो होना ही था और जिसका मुझे इंतेज़ार था. प्रिया का पूरा शरीर एक बार ज़ोर से कांपा और वो झाड़ गयी. उसके झड़ने केकारण पैदा हुई चिकनाई में मेरा लंड उसकी चूत में सरपट भागने लगा और मैने अपने धक्कों की स्पीड तो कम करदी पर ज़ोर थोड़ा सा और बढ़ा दिया. 15-20 धक्के ऐसे लगाने के बाद मुझे लगा की प्रिया की उत्तेजना और बढ़ गयी है. अब उसकी चूत मेरे लंड को अंदर से संकुचित होकर जाकड़ रही थी लेकिन चिकनाई होने के कारण मुझे एक अद्भुत घर्षण का आनंद आ रहा था. मुझे लगा के मैं अब ज़्यादा देर तक अपने को रोक नही सकूँगा. प्रिया ने अपनी दोनो टाँगें मेरी पीठ से लपेट ली थीं और फिर वो तेज़ी से नीचे से उच्छलने लगी. उधर लगातार चूत में प्रिया की जीभ और मेरे हाथों और होंठों का निशा के मम्मों पर कभी प्यार और कभी प्रहार निशा को चरम पर ले गया. निशा के झाड़ते ही प्रिया ने ज़ोर लगाकर निशा को अपने ऊपेर से हटा दिया और उसस्के मुँह से ह.ओ.ओ.ओ.ओ.न, ह.ओ.ओ.ओ.ओ.न की हुंकार निकलने लगी. उसके शरीर ने एक ज़ोर का झटका लिया और वो फिर से झाड़ गयी और उसके साथ-साथ मैने भी अपना वीर्य उसकी चूत में निकाल दिया और प्रिया के ऊपेर ही ढेर हो गया.[/color]
 
[color=rgb(41,]निशा हैरानी से प्रिया को हिलाने लगी और बोली के प्रिया तुम ठीक तो हो? प्रिया ने अपनी मस्ती भरी आँखें खोलीं और एक क़ातिल मुस्कान के साथ बोली में स्वर्ग में हूँ, और आज जितना मज़ा तो पहली दोनो बार में भी नही आया था. मैने भी चुटकी लेते हुए कहा के ग़लती जो की थी उसकी भरपाई भी तो करनी थी, अब तो नाराज़ नही हो. प्रिया बोली के अगर ऐसा ही मज़ा देना हो तो मैं तो कहूँगी के बार बार यह ग़लती करो और साथ ही उसने मुझे अपनी बाहों में ज़ोर से भींच लिया. उसके सख़्त मम्मे मेरी छाती में धँसने लगे. मैने भी उसको बाहों में लेकर किस किया और कहा के चलो अब निशा का भी ध्यान करो. प्रिया ने निशा को कहा के वो जाकर बाथरूम से दो छ्होटे टवल लेकर आए और एक को गीला करले.

निशा ने तुरंत ऐसा ही किया प्रिया ने पहले गीले टवल से हम दोनो की सॉफ सफाई की और फिर सूखे टवल से अच्छी तरह से पोंछ दिया. फिर प्रिया ने निशा से कहा के जैसे वो करे वैसे ही निशा भी करे. प्रिया मेरे एक बाजू लेट गयी और निशा दूसरी साइड में. दोनो साइड लेकर मेरी तरफ को हो गयीं अब दोनो का एक-एक मम्मा मेरी साइड्स को छ्छू रहा था और दूसरा मेरी छाती पर दबाव बना रह था. दोनो ने मेरी एक-एक टाँग अपनी टाँगों में ले ली और अपनी एक टाँग से मेरी जांघों को सहलाने लगी. प्रिया ने अपना एक हाथ नीच लाकर मेरे लंड पर क़ब्ज़ा कर लिया और निशा का हाथ पकड़ कर उसको मेरे अंडकोष सहलाने के लिए कहा. ऐसा अनूठा स्पर्श सुख, मैं बता नही सकता के कितना आनंद था उसमे. मेरे पास शब्द नही हैं उसे बताने के लिए. पूरे शरीर में जैसे चींतियाँ रेंग रही थीं. खून का संचार तेज़ हो गया था. दिल की धड़कनें बढ़ गयी थीं. मेरे लंड ने भी करवट लेनी शुरू कर दी थी.[/color]
 
[color=rgb(41,]मैने दोनो को अपने फैले हुए बाज़ुओं में भींच लिया और उनके एक-एक मम्मे को अपने हाथों में लेके दबाने लगा. चुदाई के अलावा अगर मुझे सबसे ज़्यादा कुच्छ पसंद है तो वो है मम्मों के साथ खेलना. मैने दोनो मम्मों के निपल्स को पकड़ कर खींचा तो दोनो के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. फिर प्रिया बैठ गयी और निशा भी उसका अनुसरण करते हुए बैठ गयी. प्रिया ने निशा को कहा के वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर लॉलिपोप की तरह चूसे. निशा ने प्रिया को प्रश्नावाचक दृष्टि से देखा तो प्रिया बोली के ट्राइ करो अगर अच्छा नही लगे तो में चूसुन्गि. उसने निशा को समझाया के चूसने से यह जल्दी अकड़ जाएगा और तुम्हारा काम जल्दी शुरू हो सकेगा. प्रिया ने मेरे अंडकोष अपने हाथों में लेकर चाटना शुरू कर दिया. दोनो के सम्मिलित प्रयासों ने अपना असर दिखाया और जैसे साँप अपना फॅन उठाता है मेरे लंड ने, जो निशा के मुँह की गर्मी और जीभ की रगड़ का आनंद ले रहा था, भी अपना सर उठाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते अपने पूरे आकार में सख्ती के साथ तन कर खड़ा हो गया.

निशा घुटनों पर मेरी एक साइड में बैठी हुई थी. मैने उसकी एक टाँग उठाकर अपनी दूसरी साइड पे की और उसको ऊपेर के तरफ खींचा और कहा के चूसना जारी रखे. उसकी गांद बिल्कुल हार्ट शेप्ड थी और मैने प्यार से अपने दोनो हाथ उसकी गांद पर फिराने शुरू कर दिए. साथ ही मैने उसकी गांद पर छ्होटे-छ्होटे चुंबनों की वर्षा करदी. फिर मैने अपने दोनो अंगूठे उसकी गांद के बीचो- बीच रखकर और अपने हाथ पूरे फैलाते हुए दोनो गोलाईयों को अपने हाथों की मज़बूत पकड़ में लिया और फैला दिया. इसके साथ ही मैने अपना मुँह उसकी गांद के च्छेद पर लगा दिया और जीभ से चाटने लगा. निशा को जैसे करेंट का झटका लगा और वो मचलने लगी. प्रिया ने उसकी हालत समझते हुए उसको प्यार से डांटा के चुप-चाप मज़ा ले ज़्यादा ना हिलजुल नही तो मज़ा जाता रहेगा. निशा उसकी बात सुनकर थोड़ा संयत हुई. मैने अपनी बड़ी अंगुली अपनी थूक से गीली की और उसकी गांद के च्छेद पर रगड़ते हुए एक पोर तक अंदर कर दी. निशा का शरीर एक बार फिर झटके सेकाँप गया.

मेरा लंड अपने पूरे आकार में आ चुका था और अब केवल इंतेज़ार था निशा के पूरी तरह बेकरार होने का. प्रिया ने उसके मम्मे दबाने और चूसने जारी रखे थे और इधर मैं भी पूरी तन्मयता से उसकी चूत में अपनी जीभ चला रहा था और उसकी गांद में अपनी अंगुली घुमा रहा था. हमारी मेहनत रंग लाई और थोड़ी देर में ही निशा की आवाज़ें निकलनी शुरू हो गयीं. कभी उसकी उ....न....ह तो कभी आ....आ...ह मेरे कानों में पड़ने लगी. फिर वो बिन पानी की मछली की तरह च्चटपटाने लगी. मैं तेज़ी से उसके नीचे से निकला और उसको सीधा करके पीठ के बल लिटा दिया. प्रिया ने उसके मम्मों को फिर से जाकड़ लिया. मैने उसकी गांद उठाकर फोल्ड किया हुआ टवल नीचे लगा दिया. निशा की चूत के ऊपेर गीलापन चमक रहा था. मैने उसकी दोनो टाँगें उसके घुटने मोडते हुए पूरी फैला दीं और अपना लंड उसकी चूत पर इस तरह लगाया के उसकी दरार को मेरे खड़े लंड ने धक लिया और मैं उस पर लेट गया. निशा के गोल-गोल मॅम मैने अपने हाथों में ले लिए और उनको प्यार से मसल्ने लगा. फिर उसके मम्मों को और खड़े निपल्स को कभी मुँह में भर लेता कभी चट लेता और कभी दाँतों में दबाता. नीचे उसकी चूत पर मेरा लंड कॅसा हुआ था और उसके भज्नासे पर भी दबाव डाल रहा था.

निशा की साँसें धोन्कनि की तरह चलने लगीं. उधर प्रिया भी उसे उत्तेजित करने में कोई कसर नही रख रही थी. उसके हाथ निशा के शरीर को प्यार से सहला रहे थे साथ ही वो निशा के शरीर को चूम और चाट रही थी. मैं महसूस कर रहा था के निशा की चूत की मेरे लंड पर गर्मी बढ़ रही थी और वो नीचे से हिल कर मेरे लंड को अपनी चूत की दरार पर हल्के से रगड़ रही थी. मेरी उत्तेजना भी अब काफ़ी बढ़ चुकी थी इसलिए मैने अपने हाथों और मुँह को निशा के मम्मों पर और तेज़ी से चलाना शुरू किया. फिर मैने अपने आप को थोड़ा ऊपेर की ओर उठाया और प्रिया को कहा के निशा के मुँह पर अपनी चूत रखे चटवाने के लिए और निशा को कहा के जैसे प्रिया ने उसकी चूत चॅटी थी वैसे ही वो प्रिया की चूत को चाते और उसको मस्त कर्दे. हमारे शरीर एक बार फिर त्रिकोण की शकल में आ गये. प्रिया के दोनो हाथ मैने निशा की जांघों पर रख दिए और उसे कहा की इनको प्यार से सहलाए और जब में अपने लंड को निशा की चूत में डालूं तो पूरे ज़ोर से पकड़ ले और निशा को हिलने ना दे.

मैं अपने लंड को अपने दायें हाथ में लेकर निशा की चूत पर रगड़ने लगा. निशा की दरार में फिरने से लंड का सुपरा पूरी तरह भीग गया. कभी मैं अपने लंड को चूत के च्छेद पर गोल-गोल घुमाता और कभी उसके भज्नासे पर रगड़ता. निशा की उत्तेजना अब बहुत बढ़ गयी थी और उसने हिलने की कोशिश की लेकिन प्रिया की पकड़ उसकी जांघों पर होने से वो ऐसा नही कर सकी. वो चूत चाटना छोड़ कर बहुत धीरे से बड़ी दयनीय आवाज़ में बोली के पता नही मुझे क्या हो रहा है बहुत घबराहट सी हो रही है और जल्दी से कुच्छ करें. मैं समझ गया के वो पूरी तरह तैयार हो चुकी है और अब देर करना उचित नही होगा. मैने पास रखी क्रीम की ट्यूब में से थोड़ी क्रीम निशा की चूत पर अंदर तक लगा दी और अपने लंड को भी क्रीम से अच्छी तरह तर कर दिया. मैने प्रिया को इशारा किया और अपना लंड निशा की चूत के च्छेद पर रख के गोल-गोल घुमाते हुए हल्का सा दबाव डाला. मेरा लंड उसकी चूत के च्छेद में थोड़ी सी जगह बनाते हुए अटक गया. मैने कहा के निशा तैयार रहो अब मैं अपने लंड को तुम्हारी चूत में डालने जा रहा हूँ और तुम्हे एक बार तो दर्द सहना होगा ताकि तुम चुदाई का मज़ा ले सको लेकिन इसके बाद कभी दुबारा तुम्हे दर्द नही होगा, प्रिया ने भी तुम्हे समझा तो दिया था ना? निशा ने हां बोला और कहा के वो तैयार है पर जो भी करना है जल्दी से करो बेचैनी बहुत हो रही है और अब रुका नही जाता.

मैने एक बार प्रिया को प्रश्वचक दृष्टि से देखा तो उसने अपनी गर्दन हिला दी. फिर मैने अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर एक छ्होटा पर पूरे ज़ोर का धक्का लगाया. मेरा लंड दो इंच के करीब निशा की चूत में घुस गया. निशा के मुँह से एक हुंकार निकली. अगले ही क्षण मैने अपने हाथों से निशा की जांघों पर अपनी पकड़ बनाते हुए एक और ज़ोरदार धक्का मारा और अपना लंड निशा की चूत में आधे से थोड़ा अधिक घुसा दिया. उसकी कुमारी झिल्ली तार तार हो गयी और अंदर खून भी निकलने लगा.[/color]
 
[color=rgb(41,]ओ...... म....आ....आ करके निशा की एक ज़ोरदार चीख निकली जिसे प्रिया ने अपनी चूत उसके मुँह पर दबाते हुए रोकने की असफल कोशिश की. निशा की जांघों पर हमारी मज़बूत पकड़ के कारण वो बिल्कुल हिल नही पा रही थी. मैने अपने लंड को वहीं जाम कर दिया था जो अब खूँटे की तरह उसकी चूत में गढ़ा हुआ था. निशा बहुत ज़ोर से बोली के बहुत दर्द हो रहा है प्लीज़ इसको निकाल लो मैं मर रही हूँ. मैने कहा के पहली बार चुदवाने में हर लड़की को दर्द होता है और चुदाई का मज़ा लेने के लिए उसको सहना भी पड़ता है. प्रिया ने भी सहा और तुमने आज अपनी आँखो से देखा के तुम्हारे सामने अभी उसने कितना अधिक मज़ा लिया था. साथ ही मैने अपने हाथो से उसकी दोनो बगलें सहलाते हुए ऊपेर जाकर उसके मम्मे पकड़ लिए और उनको प्यार से सहलाने और मसल्ने लगा और उसके निपल्स को रगड़ कर उसकी उत्तेजना बढ़ाने की कोशिश करने लगा. इतनी देर में उसका दर्द तो कम होना ही था. मैने उसको कहा के बस अब एक धक्का और बाकी है और इस बार उसे पहले से कम दर्द होगा और फिर वो आनंद का झूला झूलने में सक्षम हो जाएगी, और अभी थोड़ी देर के बाद मैं उसे इतना मज़ा दूँगा जिसकी कभी उसने कल्पना भी नही की होगी.

इसके बाद मैने अपनी ताक़त समेट कर एक भरपूर धक्का लगाया और अपना लंड पूरा निशा की चूत में घुसा दिया. लंड ने अंदर उसकी बच्चेदानी के मुँह से टकराकर निशा को गुदगुदाहट से भर दिया. दर्द और गुगुडाहट के सम्मिश्रण से निशा चिहुनक गयी और उसके मुँह पर प्रिया की चूत का दबाव होने के कारण उसस्के मुँह से ग.ओ.ओ.न, ग.ओ.ओ.न की आवाज़ें निकलने लगीं. उसकी चूत ने मेरे लंड को ऐसे जाकड़ रखा था की जैसे कोई शिकंजा हो और अगर यह शिकंजा ज़रा सा भी और कॅसा हुआ होता तो मेरा लंड दर्द करने लगता. इतनी टाइट थी निशा की चूत. मैं अपने लंड से मन ही मन कह रहा था के थोड़ी देर और रुक फिर आज तुझे घर्षण का वो मज़ा आनेवाला है जो तुझे बहुत ही कम बार मिला है.

मैने कुच्छ क्षण रुक कर अपने लंड को प्यार से एक इंच बाहर निकाला और फिर उतने ही प्यार से वापिस अंदर घुसा दिया. और फिर थोड़ी-थोड़ी देर में यही दोहराने लगा. साथ ही हर बार मैं अपने लंड को ज़रा सा अधिक बाहर निकाल लेता. इस तरह करते-करते मेरा लंड निशा की चूत में आधा अंदर बाहर होने लगा. अब निशा को भी मज़ा आने लगा था और इसका प्रमाण वो अपनी गांद को थोड़ा सा उठा कर दे रही थी. मेरे आनंद की कोई सीमा ही नही थी. प्रिया जो अब काफ़ी जानकार हो चुकी थी, मुझसे लिपटी हुई अपनी जीभ को मेरी जीभ से लड़ा रही थी और उसके सख़्त मम्मे मानो मेरी छाती में गड्ढे करने को आतुर थे. उसका शरीर एक कमान की भाँति तना हुआ था जिस कारण उसके सख़्त मम्मे और भी सख़्त हो गये थे.

नीचे निशा की चूत का कसाव मेरे लंड पर बहुत अधिक बना हुआ था. यह तो प्रिया की चूत से भी अधिक टाइट थी और अत्यधिक घर्षण आनंद दे रही थी. इसका कारण था निशा का मांसल और भरा हुआ शरीर जो प्रिया के मुक़ाबले अधिक गुदाज था. मैने अपने दिमाग़ को शाबाशी दी के पहले प्रिया की चूत में एक बार झरने की जो सोच उसमे आई थी उसके कारण मैं अपने पर कंट्रोल बनाए रखने में सफल हुआ था नही तो मैं निशा की सफल चुदाई कर ही नही पाता. मेरे नीचे आने वाली चूतो में वो सबसे टाइट चूतो में से एक थी. मेरा लंड निशा की चूत में अंदर बाहर होने में केवल इसलिए सफल हो पा रहा था के उसकी चूत में हल्का-हल्का रिसाव लगातार हो रह था जो गीलापन पैदा कर रह था और उस के कारण मुझे कोई परेशानी नही हो रही थी. मेरे धक्कों की लंबाई तो बढ़ गयी थी पर रफ़्तार अभी मैने नही बढ़ाई थी. अब मेरा तीन चौथाई लंड निशा की चूत को घिस्स रहा था. प्रिया ने अचानक एक ज़ोर का झटका लिया और पहले वो झाड़ गयी. उसने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया. निशा ने उसकी चूत को चाट कर सॉफ कर दिया और वो एक साइड में लूड़क गयी.

कुच्छ ही देर में प्रिया उठकर निशा के ऊपेर च्छा गयी और उसका मुँह वहाँ से चाट कर साफ कर दिया जहाँ उसका स्राव निशा के मुँह पर लगा था.[/color]
 
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