[color=rgb(41,]मैं अब निशा को पूरी तन्मयता से मज़े लेकर चोद रहा था और अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर अंदर घुसा रहा था. केवल लंड का टोपा ही अंदर रह जाता जब मैं लंड को बाहर निकालता और जब मैं लंड को अंदर घुसाता तो अब निशा भी पूरा साथ देते हुए अपनी गांद उठा कर मेरे लंड का स्वागत करती और पूरा अंदर ले लेती. जब हमारे जिस्म टकराते तो उसकी तेज़ हुंकार इस आवाज़ को दबा देती. यही क्रम कोई 4-5 मिनट तक चलता रहा फिर मैने अपने धक्कों की रफ़्तार थोड़ी बढ़ा दी और थोड़ा ऊपेर को होकर तेज़ और गहरे धक्के लगाने लगा. ऊपेर को होने के कारण मेरे लंड का ऊपेरी भाग चूत में तो घर्षण कर ही रहा था साथ ही निशा के भज्नासे पर भी रगड़ खा रहा था. निशा की साँसे भी तेज़ हो गयीं और उसकी गांद का उच्छालना भी. उसकी हालत बता रही थी के वो चरम को पहुँचने वाली है. प्रिया अब उसके ऊपेरी भाग को छोड़ कर नीचे आ गयी थी और तन्मयता के साथ मेरे लंड को निशा की चूत में अंदर बाहर होते और निशा का अपनी गांद उठाकर मेरे लंड कास्वागत करते देख रही थी. उसके हाथ निशा की जांघों पर हल्के स्पर्श के साथ फिरने लगे. निशा की आँखे पूरी खुल कर जैसे बाहर आने को हो रही थीं. मैने उसको पूछा, क्यों निशा कैसा लग रहा है. आ..आ..न..आ..न..द. ही...आ.आ.न.आ.न.द. और ज़ोर से चोदो मुझे. हाए मुझे पता होता के इतना मज़ा आता है तो मैं तो कब की चुदवा लेती. मैने हंसते हुए कहा मेरी जान पहली चुदाई तो मैने तुम्हारी करनी थी, तो पहले कैसे चुद जाती तुम. वो मुस्कुरा दी और अपनी गांद को पूरा ज़ोर लगाकर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी.

फिर वो बहुत ज़ोर से उच्छली और उसका शरीर अकड़ सा गया और एक ज़ोर की हुंकार निकली उसके मुँह से और वो झाड़ गयी. एक वाइब्रटर की तरह थर्रने लगी और उसकी चूत ने पानी छोड़ते हुए भी मेरे लंड को जकड़ने का असफल प्रयास किया. असफल इसलिए के उसके स्राव से चिकनाई उत्पन्न हो गयी थी और मेरा लंड उसकी भरपूर जाकड़ के बाद भी उसकी चूत में फिसल कर अंदर बाहर हो रहा था. इस जकड़न और फिसलन का आनंद शब्दों में नही बताया जा सकता, केवल स्वानुभव द्वारा ही समझा जा सकता है. इतना सब होने के बावजूद मैं चरम से अभी बहुत दूर था क्योंकि एक बार झाड़ चुका था और दूसरी बार झड़ने के लिए उत्तेजित होने में समय लगता है.

मैने निशा की टाँगें नीचे कर दीं और उसकी चूत पर पूरी ताक़त से धक्के मारने लगा. मेरा लंड उसकी चूत में अंदर बाहर होने की स्पीड इतनी तेज़ थी के प्रिया मुँह बाए इसका नज़ारा कर रही थी और उसकी आँखों में आश्चर्या और प्रशंसा के मिलेजुले भाव थे. मैं लगातार अपने धक्कों में परिवर्तन ला रहा था. कभी प्यार से अपना लंड पूरा बाहर खींच लेता और केवल सुपरा ही निशा की चूत में रह जाता और फिर से ऊपेर की ओर दबाव बनाते हुए लंड को अंदर घुसाता और कभी तेज़-तेज़ धक्के मारता. निशा के चेहरे के भाव बदलने लगे थे. लगता था के वो फिर से उत्तेजित हो रही है. मैने उसके मम्मे सहलाते हुए पूछा के कैसा लग रहा है मेरी जान तो उसने अधखुली मदमस्त आँखों से मेरी ओर देखते हुए कहा के कुच्छ मत पूच्छो मैं फिर से हवा में तेर रही हूँ और मेरी चूत में खुजली फिर से बढ़ गयी है, प्लीज़ इस खुजली को मिटा दो फाड़ दो मेरी चूत को ना चूत रहे ना खुजली...हाए मैं क्या करूँ, ह...आ...आ...न, ह...आ...आ...न, और ज़ोर से, और ज़ोर से. निशा की पुकार से मेरे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार हुआ और मैने पूरी ताक़त से धक्के मारने शुरू कर दिए. इतनी ज़ोर के थे के पूरा बेड ऐसे हिल रहा था जैसे भूचाल आ रहा हो. निशा धीरे-धीरे फिर चरम की ओर अग्रसर हो रही थी. मुझे भी आनंद की लहरें झाँकरीत कर रही थीं. यह सब देख रही प्रिया को भी उत्तेजना ने अपनी आगोश में ले लिया था और वो झटके से उठकर निशा के ऊपेर आई और अपनी चूत को उसके मुँह पर लगा दिया और बोली के निशा तुम्हें इतना अधिक उत्तेजित देख कर मैं भी मस्ती में भर गयी हूँ और चाहती हूँ के तुम एक बार फिर मेरी मदद करो के कुच्छ तो आनंद मुझे भी आए. निशा ने तुरंत अपनी जीभ को उसकी चूत में डाल कर चाटना शुरू कर दिया और प्रिया भी आनंद के मीठे-मीठे हिचकोले लेने लगी.[/color]
 
[color=rgb(41,]मैने भी प्रिया की बढ़ती बेचैनी को देखकर उसके मम्मे अपने हाथों में लेकर मसलना शुरू कर दिया और अपना मुँह भी इस्तेमाल करते हुए एक को मुँह में लेकर उसके निपल को प्यार से दाँतों में दबाने लगा. प्रिया भी मस्ती के चरम की ओर अग्रसर होने लगी. दोनो की उत्तेजना ने मिलकर मेरी उत्तेजना पर जैसे आग में घी का काम किया और मुझे भी अपने पूरे शरीर में करेंट जैसी लहरें दौड़ती महसूस हुईं. मैने प्रिया को ज़ोर से अपने साथ चिपका लिया और उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी. हमारी जीब आपस में मीठी लड़ाई लड़ने लगीं. फिर निशा ने एक ज़ोर की हुंकार भरते हुए अपना पानी छोड़ दिया और उसका शरीर पूरी तरह से ऐंठ गया. उसकी चूत ने एक बार फिर मेरे लंड पर अपना कसाव बढ़ाया और मैं भी ज़ोर-ज़ोर के 8-10 धक्के लगाकर झरना शुरू हो गया और मैने अपना लंड पूरा उसकी चूत में धकेल दिया और अपनी सारी गर्मी निशा की चूत में उंड़ेल दी. मेरे लंड ने 6-7 झटके खाए जिसके फलस्वरूप निशा ने एक बार फिर मस्ती में चरम को प्राप्त किया, हालाँकि यह केवल एक छ्होटा सा ही परंतु बहुत तगड़ा आनंद था. हम दोनो की देखा-देखी प्रिया का भी पानी छ्छूट गया और वो भी निढाल होकर एक तरफ को लुढ़क गयी. उसके लुढ़कते ही मैं भी निशा के ऊपेर गिरकर उस से लिपट गया.

निशा ने अपने गीले मुँह से मुझ पर छ्होटे-छोटे चुंबनों की बौच्हार करदी और मुझसे एक लता की तरह लिपट गयी और बहुत ही प्यार से बोली के थॅंक यू. मैने उससे मीठी झिरकी दी और कहा के देखो दोस्तों में 'थॅंक यू' और 'सॉरी' नही होते तो उसने मेरी बात काट दी और बोली जो भी हो पर आज जो प्राप्ति मुझे हुई है उसके आगे यह थॅंक यू भी बहुत छ्होटा है पर मेरे पास और कोई शब्द नही है अपना आभार व्यक्त करने के लिए इसलिए इतना ही कह सकी हूँ. मैने मुस्कुराते हुए कहा के चलो ठीक है आज के बाद यह शब्द इस्तेमाल नही करना. वो बोली ओके और अपने मम्मे मेरी छाती में दबाते हुए मुझे ज़ोर से भींच लिया.

मैने प्रिया की ओर देखा तो पाया के वो अब तक संयत हो चुकी थी और मुस्कुराते हुए हमारी बातों का आनंद ले रही थी. मैने उससे कहा के प्रिया जानती हो ना अब क्या करना है. वो समझदार लड़की फुर्ती से उठकर बाथरूम से गरम पानी और छ्होटा टवल लेकर आई और जैसे मैने उसकी चूत की सिकाई की थी वैसे ही उसने निशा की चूत की सिकाई करनी शुरू करदी. निशा चुप रहकर उसको देखती रही और थोड़ी देर बाद बोली यह क्या जादू है मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरी सारी अकड़न और जकड़न दूर होती जा रही है और बहुत अच्छा लग रहा है. प्रिया ने उसको बताया के कैसे वो पहली बार उठने की कोशिश में गिरने को हो गयी थी और मैने उसे ठीक किया था. निशा ने प्यार भारी नज़रों से मेरी ओर देखा और मुस्कुरा दी. फिर प्रिया उसको बाथरूम में ले गयी और उसकी चूत को वैसा ही हॉट वॉटर ट्रीटमेंट दिया जैसा मैने उसको दिया था. कुच्छ ही देर में अपने बदन पोंचछकर दोनो बाहर आ गयीं. साथ ही मैं बाथरूम में गया और एक टवल गीला करके अपना बदन भी पोंछ कर बाहर आ गया. मैने देखा के दोनो, इस बात से बेख़बर के वो बिल्कुल नंगी हैं, बातें करने में व्यस्त थीं और उनके नंगे बदन चमक रहे थे. मेरे दिल ने मस्ती का एक गहरा गोता खाया और मैने आगे बढ़ कर दोनों को अपनी बाहों में जाकड़ लिया और कहा के जल्दी से कपड़े पहन लो नही तो मैं दोबारा शुरू हो जवँगा और रात यहीं बितानी पड़ेगी. दोनो ने खिलखिलाते हुए मुझे भी जाकड़ लिया और मेरा एक-एक गाल चूम लिया और एक साथ बोलीं नहीं और भाग कर कपबोर्ड में से अपने कपड़े निकालकर 2 मिनट में ही तैयार हो गयीं. अब वो बिल्कुल मासूम लड़कियाँ नज़र आ रही तीन.

इतनी देर में मैं भी अपने कपड़े पहन चुका था और फिर हम चलने को तैयार थे. मैने उन्हें रोका और एक मसल रिलाक्सॅंट गोली निशा को दी और कहा के वो इसको खा ले तो उसका रहा-सहा दर्द भी जाता रहेगा. निशा ने वो गोली पानी से ले ली. फिर मैने दोनो को एक-एक गोली और दी और कहा की यह कल सुबह नाश्ते के बाद खा लेना और प्रिया से कहा के वो तो जानती है के यह क्या है और निशा को भी समझा दे इसके बारे मे. प्रिया ने कहा के वो अभी रास्ते में समझा देगी.

फिर हम बाहर की ओर अग्रसर हुए. दोनो पिछली सीट पर दुबक गयीं और मैं कार लेकर चल पड़ा. गाते पर अपनी औपचारिक बातें राम सिंग से करने के बाद मैं निकला और वापिस उन दोनो को छोड़ने चल दिया.

दोनो को वापस अंसल प्लाज़ा छ्चोड़ने के बाद मैं वहाँ से चला ही था के पता नही क्यों मेरे दिमाग़ में एक ख्याल आया के कल और परसों छुट्टी है तो पूरा आराम करना चाहिए और जो काम मैने कल करना है वो भी आज ही निपटा दूं अभी टाइम भी है और मैं निकला हुआ भी हूँ. यह एक छ्होटा सा उबाउ काम था जो की फार्म हाउस की सीक्ट्व की रेकॉर्डिंग्स चेक करने का था. चेकिंग तो सरसरी ही होती थी मैन काम था के रेकॉर्डिंग को डेलीट करके हार्ड डिस्क को खाली करना होता था ताकि आगे की रेकॉर्डिंग हो सके. पूरे फार्म हाउस में क्लोज़ सर्क्यूट टीवी कॅमरास लगे हैं और मोशन सेन्सर भी लगे हैं और कोई भी हुलचूल होने पर रेकॉर्डिंग शुरू हो जाती है. यह कोई एक घंटे का ही काम था इसलिए मैने कार वापिस फार्म हाउस की ओर घुमा दी और फिर से वहाँ पहुँच गया. गेट पर राम सिंग ने हैरानी से पूछा तो मैने कहा के बस थोड़ा सा काम और याद आ गया था जो वैसे तो मैं शनि या इतवार को आके करता हूँ पर अभी आधे रास्ते से वापिस आ गया हूँ के अभी ख़तम कर दूँगा और दो दिन आराम करूँगा, पहले याद नही आया नही तो कर के ही निकलता. राम सिंग ने कहा के हां साहिब वो तो बिल्कुल ठीक है. [/color]
 
[color=rgb(41,]मैं अंदर आया और आदतन मेन डोर लॉक किया और अपने बेडरूम के दरवाज़े के साथ वाले दरवाज़े की ओर बढ़ गया. मैने दरवाज़े की चाबी लगाई और उसका हॅंडल घुमा कर उसको खोलने की कोशिश की. मैं चौंक गया क्योंकि दरवाज़ा नही खुला. यह एक लॅच लॉक था और अगर अंदर से लॅच लगा भी हो तो बाहर से चाबी लगाने पर खुल जाना चाहिए था. इसका एक ही मतलब था के दरवाज़े की अंदर से कुण्डी लगी हुई थी जो के मैने कभी भी नही लगाई थी. कोई अंदर ही था और उसने इसे डबल लॉक किया हुआ था.

मैं सोचने लगा के अंदर कौन हो सकता है. यह एक छ्होटा सा कमरा था. दरअसल यह पहले मेरे बेडरूम के साथ अटॅच्ड बाथरूम से जुड़ा हुआ ड्रेसिंग रूम था और मैने इसे ड्रेसिंग रूम की जगह सीक्ट्व का कंट्रोल रूम बना दिया था और इसमे 2 कंप्यूटर मॉनिटर और कंप्यूटर रखा हुआ था. सारे कबोर्ड्स निकाल कर एक स्टील आल्मिराह रखी हुई थी जिसके अंदर एक कॉंबिनेशन लॉक वाली सेफ थी और आल्मिराह में कंप्यूटर संबंधी सॉफ्टवेर Cड्स और डVड्स के रेक थे. और सेफ में मेरी प्राइवेट वाली डVड्स थी जो मैं समय-समय पर बर्न करके यहाँ स्टोर कर देता था. यही तो मेरी सेफ्टी प्रॉविषन थी और इनके बिना तो मैं कभी भी फस सकता था. आप समझ ही गये होंगे के मैं किन डVड्स की बात कर रहा हूँ. जी हां यह वही डVड्स थीं जिनमे मैने अभी कुछ दिन पहले ही प्रिया की तीनो मुलाक़ातों की रेकॉर्डिंग्स बर्न करके एक नयी डVड शामिल की थी.

मैं बड़ी सावधानी के साथ अपने बेडरूम की ओर गये और उसका दरवाज़ा खोल कर अंदर गया. फिर बाथरूम में दाखिल हुआ और वहाँ से इस कमरे के दूसरे दरवाज़े को खोलने का प्रयास किया. यह दरवाज़ा खुल गया और मैने उसको थोड़ा सा खोल कर उस कमरे के अंदर झाँका. मेरी आँखें वहाँ का नज़ारा देख कर पथरा गयीं.

कंप्यूटर टेबल के सामने चेर पर एक बहुत ही सुंदर लड़की बैठी हुई थी और उसकी पीठ मेरी ओर थी इसलिए वो मुझे नही देख सकती थी. वैसे भी वो इतनी व्यस्त थी के उसका ध्यान भी मेरी ओर नही जा सकता था. लड़की की उमर का सही अंदाज़ा लगाना तो मुश्किल था पर जो कुछ मैं देख पा रहा था उसके मुताबिक वो कोई छ्होटी उमर की लड़की नहीं थी. उसने एक बर्म्यूडा टाइप हाफ पॅंट के ऊपेर एक टाइट टी-शर्ट पहनी हुई थी और वो टी-शर्ट भी पूरी उसकी बगलों तक ऊपेर उठी हुई थी. ब्रा ना होने के कारण उसके उन्नत उरोज पूरी तरह नंगे थे पर मुझे तो पीछे से केवल उसके बायें मम्मे की साइड से थोड़ी सी झलक ही दिख रही थी. उसकी बर्म्यूडा के बटन खुले हुए थे और साइड से उसकी पिंक कलर की पॅंटी की झलक दिख रही थी. उसका एक हाथ अपने दायें मम्मे पर था और दूसरा उसकी पॅंटी के अंदर था और ध्यान पूरी तरह से कंप्यूटर स्क्रीन पर लगा हुआ था. वहाँ ज़रूर कुच्छ ऐसा था जिसे वो पूरी तन्मयता से देख रही थी और शायद इसीलिए उसको मेरे वहाँ होने का पता नही चला. नही तो मैने बहुत बार पाया है की इस मामले में औरतज़ात की छ्टी हिस यानी की 6थ सेन्स बहुत तेज़ होती है और वो बिना देखे भी यह जान जाती हैं के कोई उन्हें देख या घूर रहा है.

मैं तेज़ पर दबे कदमों से उसके पास पहुँचा और पीछे से हाथ डालकर उसके दोनों मम्मे पकड़ लिए और बड़े प्यार से सेक्सी आवाज़ में बोला के अपने हाथ से ज़्यादा मज़ा दूसरे के हाथ से आता है, आओ मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ. वो चौंक कर एकदम जड़ हो गयी और साथ ही मैं भी, क्योंकि सामने कंप्यूटर स्क्रीन पर जो द्रिश्य चल रहा था उसमे मैं, प्रिया और निशा आपस में गूँथे हुए थे. यह अभी कुच्छ देर पहले की रेकॉर्डिंग थी जिसको वो लड़की देखने में व्यस्त थी और देख कर उत्तेजित भी हो उठी थी. वो थर-थर काँपने लगी और उसने मुझे देखने की नाकाम कोशिश भी की. पर मैने उसकी एक ना चलने दी और उसको अपने साथ चिपकाते हुए उठा लिया और अपने बेडरूम में ला कर बेड पर पटक दिया. अब उसकी नज़र मुझ पर पड़ी. मुझसे नज़र मिलते ही उसकी आँखें फटने को हो गयीं और उसने अपने आप को ढीला छोड़ दिया. मैं मन ही मन मुस्कुराए बिना ना रह सका के वाह री मेरी किस्मेत, एक के बाद एक पके हुए आम मेरी झोली में आ रहे हैं.

पर मैने अपने पर काबू पाते हुए अपने चेहरे के भावों में कोई नर्मी नही आने दी और बहुत साख स्वर में उसको पूछा के वो कौन है. वोकाँपते हुए बोली के जी मैं अरषि हूँ. मैने और कड़क होकर पूछा के कौन अरषि? वो थोड़ा और सहम गयी और बोली के जी राम सिंग मेरे पिता हैं. मैं चौंक गया और उसको पूछा के क्या सच में ही वो राम सिंग की बेटी है. उसने कहा के हां जी मैं राम सिंग की बेटी ही हूँ जी. मुझे याद आया के राम सिंग की एक बेटी है जिसके कॉलेज की अड्मिशन के लिए मैने उसे कुच्छ पैसे भी दिए थे. पर यह लड़की तो बहुत छ्होटी लग रही थी. केवल 4 फीट 10 इंच हाइट थी उसकी और देखने में वो 7थ या 8थ की स्टूडेंट लग रही थी. हां उसके मम्मे ज़रूर पूरी तरह विकसित थे. छ्होटे पर सख़्त और गोल और अनुपात से थोड़े बड़े निपल जो यह दर्शाते थे कि ये इतनी छ्होटी भी नही है. मैने उसको पूछा के तुम पढ़ाई कर रही हो? उसने कहा के जी 2न्ड एअर बी.स्क. कंप्यूटर साइन्स में कर रही हूँ और आपने ही तो मेरी अड्मिशन के लिए बाबा को पैसे दिए थे.
इतनी बातें करते वो काफ़ी हद तक संयत हो चुकी थी. मैं उसके पास बेड पर बैठ गया और उसके मम्मे को प्यार से सहलाते हुए उसको बोला के यह सब कब से चल रहा है. अब उसे अपनी नग्नता का एहसास हुआ और वो शर्म से लाल हो गयी. उसका रंग इतना गोरा था के ये लाली उसके चेहरे को एक दम सेब के समान लाल कर गयी. एक और बात और वो यह के शर्म से उसके कान तक लाल हो गये थे और यह देखकर मेरे तो मारे उत्तेजना के होश खराब हो गये. उसने अपनी आँखे बंद कर लीं और गहरी साँसें लेने लगी. मैने उसके मम्मे को पकड़ के हिलाया और पूछा के बोलो अरषि यह सब क्या है और तुम कंप्यूटर तक कैसे पहुँचीं?

इतना तो मैं समझ ही गया था के कंप्यूटर उसके लिए कोई नयी वस्तु नही है. उसने भी कंप्यूटर के बारे में ही बताना शुरू किया. जी मैं कंप्यूटर के बारे में तो जानती ही हूँ. इस पर मैं कभी कभी अपनी असाइनमेंट्स तैयार करती हूँ तो मुझे यह भी पता है के यहाँ पर सीक्ट्व कॅमरा और मोशन सेन्सर्स लगे हुए हैं और उनकी रेकॉर्डिंग भी यहीं होती है. मैने काफ़ी दिन पहले आपको एक लड़की के साथ यहाँ से निकलते और कार में बैठकर जाते देखा था और वो लड़की च्छूप कर कार में बैठी थी. मैने सोचा के वो कार में छुपकर क्यों बाहर निकली है? फिर मैने सोचा के चलो सीक्ट्व की रेकॉर्डिंग में देखती हूँ के आप दोनो यहाँ क्या करने आए थे. फिर वो बताती चली गयी के उसने मेरी और प्रिया की पहली रेकॉर्डिंग देखी. मैं अंदर से तो डर गया के यह लड़की बहुत कुच्छ जान गयी है पर मैने ऐसा कुच्छ भी उस पर ज़ाहिर नही होने दिया और पूछा के देख कर तुमको कैसा लगा. मेरा हाथ उसके मस्त करने वाले मम्मे से अभी भी खेल रहा था. इस कारण से और रेकॉर्डिंग्स की याद से अरषि भी अंदर से आंदोलित हो रही थी. वो बोली के वो नही जानती के जो कुच्छ भी उसको उस दिन लगा वो क्या था पर इतना ही कह सकती है की उस पर एक अजीब सा नशा सा च्छा गया था और उसके हाथ अपने आप उसके शरीर के साथ खेलने लगे थे और कुच्छ देर बाद उसकी पॅंटी बहुत गीली हो गयी थी और उसको लगा के उसके अंदर से कुछ निकला था. मैने उससे पूछा के आगे बोलो.

उसने बताया के वो इसके बाद नज़र रखने लगी के मैं कब किसी लड़की के साथ आता हूँ और फिर उसने मेरी और प्रिया की दूसरी रेकॉर्डिंग भी देखी और फिर वही सब कुच्छ उसके साथ हुआ. और आज हमारे जाने के बाद वो फिर रेकॉर्डिंग देख रही थी के पकड़ी गयी.

मैं समझ गया के मुझे कुच्छ ऐसा करना होगा के यह लड़की आगे कुच्छ गड़बड़ ना कर सके. और वो यह था के इसको भी अपने घेरे में ले लिया जाए तो इसका मुँह भी बंद रहेगा और अपनी एक और लड़की बढ़ जाएगी मस्ती करने को. मैने उसके मम्मे को सहलाते हुए उस को पूछा के मैं जो कर रहा हूँ वो उसको कैसा लग रहा है? वो कुच्छ बोली तो नही पर उसके चेहरे पर आनंद के भाव देख कर मैने उसे प्रेस नही किया जवाब देने के लिए पर इतना ज़रूर पूछा के क्या वो चाहती है के मैं उसके साथ आगे वो सब करूँ जो मैने अपनी दोस्त के साथ किया था. उसने सर हिला कर हां में इशारा किया तो मैं खुश हो गया.

फिर भी मैने पक्का करने के लिए उससे कहा के क्या वो मेरी दोस्त बनेगी. उसने कहा के हां. मैने कहा के दोस्ती में सब कुच्छ चलता है और इन बातों को किसी को बताना नही होगा. उसने मेरी ओर देखा और बोली की जी मैं जानती हूँ और मैने किसी को कुच्छ नही बताया है और ना ही कभी किसी को बताऊंगी. फिर मैने उसको कहा के देखो अब हम दोस्त बन गये हैं तो कोई शरम नही होनी चाहिए हमारे बीच में. मैं सिर्फ़ तुम्हें चोदने के लिए ही तुम्हारा दोस्त नही बना हूँ. अब तुम्हारी हर इच्छा और ज़रूरत का ख़याल मैं रखूँगा और तुम अपनी कोई भी बात मुझसे नही छुपओगि.[/color]
 
[color=rgb(41,]मैने उसको कहा के देखो मुझे इन सबका एक्सपीरियेन्स है और मेरा कहना मान कर चलॉगी तो तुम्हे बहुत मज़ा भी आएगा और मुझे भी. उसने हां भरी और बोली के जैसा मैं कहूँगा वो वैसा ही करेगी. तो मैने कहा की उठो और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ. वो शर्मा गयी और बोली के आप ऐसे क्यों बोलते हैं. मैने कहा के ऐसे बोलने में ही तो मज़ा आता है, क्या तुम्हें नही आता. वो बोली के आता तो है पर अजीब भी लगता है. मैने कहा के धीरे-धीरे आदत हो जाएगी फिर अजीब नही लगेगा और ऐसे कोई सबके सामने थोड़ा ही बोलना है सबके सामने तो इतने फॉर्मल हो जाना है के किसी को कोई भी शक ना हो सके. वो बोली की ठीक है और इसके साथ ही खड़े होकर अपने कपड़ों को उतारना शुरू कर दिया. और जैसे-जैसे उसका एक-एक अंग मेरी आँखों के सामने आ रहा था मेरी हालत बड़ी अजीब सी होती जा रही थी. मैं अभी थोड़ी देर पहले ही 2-2 लड़कियों की पूर्ण चुदाई करके हटा था, जिनमें एक कुँवारी थी और उसकी सील मैने तोड़ी थी. फिर भी इस लड़कीका जिस्म सामने आते ही मेरे अंदर जैसे एक नयी ऊर्जा का संचार हो रहा था और मेरा लंड मेरे अंडरवेर में एक मादक अंगड़ाई लेकर पूरा कड़क तैयार हो चुक्का था.

क्या शानदार जिस्म था अरषि का. छ्होटे-छ्होटे सेब के आकार के मम्मे, उनपर अठन्नी के साइज़ के चूचक और उनपर भाले की नोक जैसे कड़क निपल ग़ज़ब ढा रहे थे. उसके निपल उसके मम्मों के अनुपात से कुच्छ बड़े लग रहे थे.अपनी टी-शर्ट उतार कर जैसे ही उसने अपने हाथ नीचे किए मैने उसे रोक दिया और कहा के रूको पहले मुझे अपनी आँखों की प्यास बुझा लेने दो. उसस्की आँखों में असमंजस के भाव उभरे. मैने उसको बताया के छ्छूना, देखना, चूमना, और चोदना सब मज़ा लेने के तरीके हैं. हम किसी भी सुंदर वस्तु को देखते हैं तो उससे छ्छूने की इच्छा पैदा होती है. ऐसे ही किसी सुंदर लड़की को देखकर उसको छ्छूने, चूमने और चोदने की इच्छा उत्पन्न होती है. और हम इसी क्रम में प्यार करेंगे. पहले मैं तुम्हें अच्छी तरह देखूँगा, फिर छ्छूना चाहूँगा, फिर चूमूंगा और सबसे आखीर में तुम्हें चोदून्गा.

इस बार उसको इतना अजीब नही लगा. मैने फुर्ती से अपने कपड़े उतारे और फोल्ड करके चेर पे रख दिए और बेड पर बैठ गया. फिर मैने उसको अपने पास आने का इशारा किया. वो मेरे पास आ गयी. मैने उसको घूम जाने का इशारा किया और वो घूम गयी. अब उसकी पीठ मेरी ओर थी. उफ्फ क्या मादक शरीर था उस का. मेरे दिल में एक हुक सी उठने लगी उसके शरीर की मादकता से. बिल्कुल ऐसा जैसे संग-ए-मरमर की मूरत हो. ऐसा चिकना और दमकता हुआ. जिस चिकनाई के लिए हमारी हाइ सोसाइटी की औरतें हज़ारों-लाखों रुपये खर्च कर देती हैं पर ऐसी चिकनाई नही पा सकतीं, वो उसके शरीर में नॅचुरल थी. मैं सन्न रह गया उसकी पीठ को छ्छूकर. मैने अपने दोनो हाथ पूरी हथेली खोलकर उसकी पीठ से चिपका दिए, एक तेज़ करेंट जैसे मेरे शरीर में दौड़ गया. वो भी सिहर उठी. मेरे हाथ जैसे फिसलते हुए उसकी पीठ से उसके सीने की तरफ बढ़ गये. उसके दोनो मम्मे मेरे हाथों की कोमल गिरफ़्त में आ गये. दोनो मम्मे मेरे हाथों में ऐसे फिट हो गये जैसे मेरे हाथों का माप लेके घड़े गये थे.

मेरे हाथों की पहली अँगुलियाँ हुक के रूप में उसके निपल्स के नीचे आ गयीं और मेरे दोनो अंगूठे उनके ऊपेर एक नरम सा दबाव डालने लगे. अरषि ने एक लंबी साँस छ्चोड़ी और उसने मेरे सीने से अपनी पीठ टीका दी. दोनो पूरी मस्ती में थे और हमें कोई होश नही था. जाने कितनी देर तक हम ऐसे ही रहे. फिर अचानक वो झूमने लगी. मैने उसको खींच कर अपने साथ चिपका लिया. उसके मम्मे मेरे हाथों में जैसे चुभ रहे थे. मैं अपना एक हाथ ऊपेर उठाकर उसके मुँह को घूमाकर चूमने लगा. उसने एक ज़ोर की झुरजुरी ली और तड़प कर मेरी ओर पलट गयी और अपनी बाहें फैलाकर मुझको उनमें क़ैद करने की कोशिश की और मेरी छाती से चिपक गयी. एक तेज़ झटका मेरे शरीर ने भी खाया. उसके टाइट मम्मे मेरी छाती में चुभने लगे और उसके निपल तो ऐसे गढ़े मेरी छाती में जैसे अभी सुराख कर देंगे उस में. मैने उसके कंधे पकड़ कर अपने से थोड़ा परे किया और उसकी आँखों में झाँकते हुए उसको कहा के उसकी सुंदरता मुझे पागल कर देगी. उसकी उत्तेजना इतनी अधिक बढ़ चुकी थी के वो बोल नही पाई और केवल मुस्कुरा कर रह गयी.

फिर मैने अपनी आँखों से उसके बाकी के कपड़ों की ओर इशारा किया और वो उन को भी उतारने लगी. था ही क्या एक ढीली ढाली हाफ पॅंट ही तो थी और उसके उतरते ही उसकी गोरी-गोरी जानलेवा टाँगें नंगी हो गयीं. मैं उनको बेसूध सा होकर देख रहा था. इतनी सुंदरता पहले कभी मैने नही देखी थी. देखना तो एक ओर, मैने कभी सपने में भी ऐसी सुंदरता का नज़ारा नही किया था. उसकी सुगठित टाँगें देख कर मुझसे रहा नही गया और मैने पूछा के क्या एक्सर्साइज़ इत्यादि बहुत करती हो जो इतनी सुगठित टाँगें हैं. तो उसने बताया के उसको बचपन से ही साइकलिंग का बहुत शौक है और वो साइकलिंग बहुत करती है. शायद इसीलिए उसकी टाँगें इतनी सुगठित लग रही हैं.
मुझे अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो पा रहा था. इतनी अनुपम सुंदर लड़की मेरे सामने थी और मैं उसके साथ अपनी मर्ज़ी करने को आज़ाद था और वो भी उसकी पूरी रज़ामंदी के साथ. मुझसे और धैर्या नही हो पा रहा था. मैने अपना अंडरवेर भी निकाल दिया और अरषि ने भी अपनी पॅंटी उतार दी. अब हम दोनो पूरी तरह नंगे थे. वो जैसे ही अपनी पॅंटी को रख कर मेरी तरफ घूमी मेरी आँखों में जैसे बिजली चमक गयी, मेरी साँस अटक गयी और मेरा दिल उच्छल कर बाहर आने को हो गया. जैसे धड़कना भूल गया हो.

कारण था उसकी चूत. उसकी चूत पर बालों का कोई नाम-ओ-निशान तक नही था. छ्होटी सी उसकी चूत बिल्कुल किसी 10-12 साल की बच्ची की चूत के समान दिख रही थी. बीचो-बीच एक पतली सी लकीर जैसे क़िस्सी छ्होटे से गुब्बारे के बीच में धागे का दबाव डाल दिया हो. ऐसी फूली हुई और गोलाई लिए हुए बिल्कुल मदहोश कर रही थी. मैं फटी-फटी आँखों से उसे देखता ही रह गया. अरषि ने जैसे मेरी हालत भाँप ली और बोली के क्या हुआ, आप ऐसे क्यों देख रहे हैं? कोई जवाब देते ना बना तो मैने उसे दोनो हाथ फैला कर अपने निकट आने काइशारा किया. वो धीमे कदमों से चलकर दो कदम आगे आई और मुझसे लिपट गयी. मैने उसके मम्मों की चुभन को एक बार फिर अपने सीने पर महसूस किया और अपने हाथ लेजाकर उसके कोमल नितंबों पर रख दिए. जैसे दो फुटबॉल मेरे हाथों में आ गये हों. लेकिन फुटबॉल से उलट था उनके स्पर्श का एहसास. मुलायम, नरम, गरम, थरथराते हुए. दोनो गोलाईयों के बीच में एक गहरी दरार. मैने हाथ ऊपेर उसकी पीठ पर रखे और प्यार से सहलाता हुआ नीचे की ओर आया. इतना चिकना अहसास पहले कभी नही पाया था मैने. उसका अंग प्रत्यंग इतना आकर्षक था के मुझे सूझ ही नही रहा था के कहाँ से शुरू करूँ उसको प्यार करना. वो तो मेरे हाथों में एक ऐसा नायाब खिलोना था के मुझे खेलते हुए भी डर लग रहा था के कहीं टूट ना जाए.

मैने उसको अपने से अलग करते हुए कहा के अरषि तुम्हारे जैसी सुंदर लड़की मैने आज तक नही देखी है, भोगना और चोदना तो बहुत दूर की बात है. वो मुस्कुराई और बोली के मैं तो एक साधारण सी लड़की हूँ जैसी सब लड़कियाँ होती हैं. मैने उसको रोकते हुए कहा के मोती अपनी कीमत नही जानता पर एक पारखी उसकी कीमत जानता है. तुम क्या जानो के तुम क्या हो, यह तो मेरे दिल से पूछो के उस पर क्या बीत रही है. ऐसा लग रहा है के वो धड़कना ही ना भूल जाए. उसने अपना कोमल हाथ मेरे मुँह पर रखते हुए कहा के ऐसा मत बोलिए मैं आपके सामने हूँ और पूरी तरह से आपको समर्पित हूँ, आप जैसे चाहें मुझे प्यार करें, प्यार से या सख्ती से निचोड़ दें पर जल्दी करें मेरी बेचैनी भी बढ़ती जा रही है.

फिर क्या था मैं शुरू हो गया और उसके चेहरे पर, आँखों पर, माथे पर चुंबनों की बारिश कर दी. मेरे होंठों और हाथों की आवारगी मेरे बस में नही रही और मैने उसके शरीर का कोई भी हिस्सा नही छोड़ा जिस पर अपने होंठों की छाप ना लगाई हो और अपने हाथों से ना सहलाया हो. सबसे आख़िर में मैं पहुँचा उसकी चूत पर. वो चूत जो एक छ्होटी सी डिबिया के समान दिख रही थी. ऐसी चिकनी के हाथ रखते ही फिसल जाए. मैने अरषि को बेड पर सीधा करके लिटा दिया और उसकी चूत का निरीक्षण करने लगा. उत्तेजना की अधिकता से उसकी चूत की लकीर पर ओस के कन जैसे बिंदु चमक रहे थे. चूत की दोनो साइड्स इस तरह आपस में चिपकी हुई थीं जैसे उन्हे किसी चीज़ से चिपका रखा हो. मैने अपने हाथ की बीच की उंगली ऊपेर से नीचे की ओर फेरी. चिकनाई पर चिकनाई लगी होने के कारण मेरी उंड़ली फिसलती चली गयी और उसकी गांद के च्छेद पर पहुँच गयी. मैने वहाँ अपनी उंगली को गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया. अरषि के शरीर में एक कंपन शुरू हो गया. फिर मैने अपना हाथ वहाँ से हटा लिया और दोनो हाथों से उसकी जांघे फैला दीं और दोनों अंगूठों से उसकी चूत को खोलने का प्रयास किया. थोड़ा दबाव डालने पर दोनो फाँकें अलग हो गयीं और अंदर से उसकी चूत को देखकर मैं दंग रह गया. जैसे कोई भीगा हुआ गुलाब काफूल रखा हो ऐसी लग रही थी उसकी चूत. बाहर को दो छ्होटी-छ्होटी पुट्तियाँ और उनके बीच उसका सबसे संवेदनशील अंग. उसका फूला हुआ भज्नासा. एक दम मनोहारी छटा.
मैं तो दीवाना हो गया उसकी चूत का. मैने अपनी जीभ बाहर निकाल कर गुलाब के फूल को चाटना शुरू कर दिया. अरषि उच्छल पड़ी पर मेरे हाथों की मज़बूत पकड़ ने उसको ज़्यादा नही उच्छलने दिया. पर उसके उछलने से मेरी जीभ उसकी चूत में थोड़ा और अंदर चली गयी और उसको और आनंदित कर गयी. उसके मुँह से मादक सिसकारियाँ फूटने लगीं. मैने अपना मुँह उठाकर अरषि की चूत को देखा. चूत का छ्होटा सा सुराख चमक रहा था गीला होकर और बहुत ही मोहक अंदाज़ में खुलकर बंद हो रहा था. मैं देखता रहा और कुच्छ देर बाद मैने फिर से उसकी चूत पर अपना मुँह पूरा खोल कर लगा दिया और चूस्ते हुए अपनी जीभ कभी उसपर फिरा देता तो कभी उसके अंदर घुसा रहा था. अरषि की उत्तेजना बढ़ने लगी और वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी. मेरे चाटने से उसकी चूत में गीलापन आ गया था और उत्तेजना की अधिकता को सहन ना कर पाने की वजह से वो बहुत ज़्यादा हिलने की कोशिश कर रही थी, जिसके फलस्वरूप मेरा मुँह भीकाफ़ी गीला हो गया था. फिर मैने अपना एक हाथ पूरा खोलकर उसके पेट पर रख दिया और अपने अंगूठे को नीचे लाकर उसके भज्नासे के आस पास फेरने लगा. उसकी उत्तेंजना और बढ़ गयी पर अब वो ज़्यादा हिल नही सकी क्योंकि मेरे हाथ ने उसके पेट पर दबाव बनाया हुआ था. मैं अरषि को ऊँचा करते हुए उसके नीचे आ गया और उसको अपने ऊपेर पीठ के बल ले लिया और फिर सीधा होते हुए बैठ गया. मैने अपने हाथ को उसकी चूत पर रखा और अपनी बीच की उंगली से उसकी चूत के छेद को रगड़ने लगा.

मेरी उंगली गीली होते ही मैने उसकी चूत में डालने की कोशिश की. थोड़ी सी अंदर करके मैं उसकी चूत में उंगली को इस तरह हिलाने लगा के उसकी चूत का मुँह थोड़ा खुल जाए. मेरी उंगली अब आधे से थोड़ी कम उसकी चूत में घुस गयी थी. मैने उंगली को अरषि की चूत में हिलाना शुरू कर दिया तो वो उत्तेजना से उच्छल पड़ी और मैं हैरान हो गया. मेरी उंगली पूरी की पूरी उसकी चूत में घुस गयी थी और अरषि ने मेरे हाथ के ऊपेर अपने हाथ रखकर दबा दिया था और बोली के ऐसे ही करो बहुत मज़ा आ रहा है. फिर मुझे यह ध्यान आया कि साइकलिंग अधिक करने के कारण उसकी कुमारी झिल्ली फॅट चुकी होगी और इसीलिए मेरी उंगली बिना किसी रुकावट के उसकी चूत में घुस गयी थी. उसकी चूत का मेरी उंगली पर दबाव और थोड़ी-थोड़ी देर में संकुचन होने से दबाव का बढ़ाना मुझे आनंदित किए दे रहा था. मैं अंदर ही अंदर अरषि की चूत में अपनी उंगली को हिलाने लगा और थोड़ी ही देर में वो झाड़ गयी. उसके मुँह से एक आनंद की सीत्कार निकली और वो निढाल हो गयी. कुच्छ देर हम ऐसे ही बिना हिले पड़े रहे और थोड़ी देर में ही अरषि की साँसें संयत हो गयीं.

मैने अरषि को उठाया और उसको अपने ऊपर लिटा लिया. उसकी टाँगें मेरे दोनो तरफ थीं और पूरी तरह से फैली हुई थीं. उसके मम्मे मेरे छाती पे थोड़ा नीचे मुझ पर एक आनंद-दायक दबाव बनाए हुए थे. मेरे हाथों की आवारगी बढ़ने लगी और वो अरषि की नंगी मखमली पीठ को नाप रहे थे. मेरा लंड हम दोनो के बीच में दबा हुआ था. मैने उसकी गांद पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा के नीचे से थोड़ा ऊपेर उठे. उसने मुझे पूछा के क्या करना है. मैने कहा के अब तुम्हें चोदने की बारी है और क्योंकि मैं 2-2 चुदाईयाँ करने के कारण थका हुआ हूँ इसलिए उसको थोड़ी मेहनत करनी होगी. उसने अपना शरीर थोड़ा ऊपेर उठा लिया और मैने अपने लंड को हाथ में लेकर उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया. क्या गरमी थी चूत में, मेरा लंड गर्मी पा कर और अधिक मचलने लगा उसकी चूत में अंदर तक घुस कर उसकी पूरी तलाशी लेने के लिए. मैने अरषि से कहा के अब वो इसको अपनी चूत के अंदर लेने का प्रयास करे.

अरषि ने अपना भार मेरे लंड पर डालते हुए उसको अपनी चूत के अंदर लेने का प्रयत्न किया और उसको सफलता भी मिली. चूत अभी-अभी झड़ने के फलस्वरूप एक दम स्लिपरी थी और पहली ही बार में मेरा लंड आधे से थोड़ा सा ही कम लील गयी. चूत की दोनो पंखुरियों ने मेरे लंड को एक अद्भुत घर्षण का आनंद दिया. मैने अरषि को वहीं रोक दिया और कहा के अब बाकी का काम मुझ पर छ्चोड़ दे. वो रुक गयी और मैने फिर उसकी पीठ और गांद को सहलाना शुरू कर दिया. मैने अरषि से पूछा के कोई तकलीफ़ तो नही हो रही. वो बोली के तकलीफ़ तो नही हो रही पर थोड़ा टाइट अंदर गया है तो अजीब सा लग रहा है. मैने कहा के पहली बार अंदर घुसा है ना इसलिए उसको ऐसा लग रहा है थोड़ी देर में ही मज़ा आने लगेगा और बहुत अच्छा लगने लगेगा. वो बोली के अभी तक जितना मज़ा मैने उसको दिया है उससे पहले कभी नही आया, इसलिए मैं जैसा चाहूं उसके साथ कर सकता हूँ और वो पूरी तरह से मुझे समर्पित है. मैने उसको कहा के मेरी जान मेरी भी ऐसी ही हालत है और अब देखो तुम्हे पहले से भी अधिक मज़ा आने वाला है. मैने नीचे से हल्की-हल्की थाप देनी शुरू की. उसकी मस्त गांद को मैने अपने दोनो हाथों में कस कर पकड़ लिया और नीचे से प्यार से धक्के मारने शुरू कर दिए. थोड़ा-थोड़ा लंड को और अंदर करते हुए मैने अपने लंड को पूरा अरषि की चूत में पेल दिया. लंड ने जैसे ही उसकी बच्चेदानी पर चोट की वो गुदगुदाहट से भर गयी और खुशी से चिल्ला पड़ी के यह क्या हुआ है, मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा बड़ी ज़ोर की गुदगुदी जैसी हो रही है.

मैने नीचे से धक्के मारने चालू रखते हुए उसको समझाया के क्या हुआ है और यही तो मज़ा है चुदाई में, बोलो मज़ा आ रहा है ना? वो खुशी भरे स्वर में बोली के जी थोड़ा नही बहुत आ रहा है. मैने कहा के लूटो, जी भर के मज़ा लूटो और बाकी सब कुच्छ थोड़ी देर के लिए भूल जाओ और चुदाई का भरपूर मज़ा लूटो. फिर मैने छ्होटे-छ्होटे धक्कों से शुरू किया अरषि को चोदना नीचे से. कुछ देर के बाद मैने कहा के अरषि अब तुम खुद ही ऊपेर नीचे होकर लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर करो और मज़ा लो. अरषि ने ऐसा ही किया पर वो 2-3 गहरे धक्के लगाने के बाद लंड को पूरा अंदर कर लेती और अपनी चूत को गोल गोल घुमा के लंड की जड़ पर रगड़ती और फिर धक्के मारना शुरू कर देती. क्या सुंदर और कामुक नज़ारा था दोस्तो अब आप भी अपने हाथो सॉफ कर लो[/color]
 
[color=rgb(41,]यह मेरी आज की तीसरी चुदाई थी और ऐसा बहुत कम बार हुआ है के मैं एक ही दिन में तीन बार या तीन अलग-अलग लड़कियों की चुदाई की हो. अरषि की चूत भी और कुँवारियों की तरह बहुत टाइट थी और एक अनोखा आनंद प्रदान कर रही थी. लेकिन उसकी चूत में नॅचुरल ल्यूब्रिकेशन बहुत अच्छा था और मेरे लंड को अंदर बाहर होने में कोई कठिनाई नही हो रही थी. मैने अरषि के शरीर को आगे से भी ऊँचा कर दिया. वो घुटनों पर ऊपेर नीचे हो रही थी इसलिए मैने उसके घुटनों के नीचे तकिये लगा दिए ताकि उसको थोड़ा लीवरेज मिल जाए ऊपेर नीचे होने के लिए. उसने अपने हाथ मेरी छाती पर रख दिए और धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी. मैने हाथ बढ़ा कर उसके मम्मे अपने हाथों में ले लिए और उनको मसल्ने और दबाने लगा. कुच्छ ही देर में अरषि की साँसें भारी होने लगीं और उसकी रफ़्तार कुच्छ देर तो तेज़ रही पर फिर वो धीमी होने लगी. मैं उसे लिए हुए ही पकड़ कर घूम गया और धक्के मारने शुरू कर दिए. थोड़ी देर के बाद ही वो पूरी तरह गरमा गयी और नीचे से गांद को उठा कर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी.

मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस कर उसकी बच्चेड़ानी से टकरा रहा था और उसको गुदगुदा रहा था. उसने आँखें मूंद ली थीं और चुदाई काआनंद ले रही थी. उसके मुँह से आवाज़ें निकलनी शुरू हो गयीं, आ...आ...आ...आ...न, ह...आ...आ...आ...न, ज़ोर-ज़ोर से करो, और ज़ोर से. मैने थोड़ा और ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए. मेरा लंड उसकी टाइट चूत में अंदर बाहर हो रहा था और घर्षण का बहुत ही मज़ा पा रहा था. जब पूरा लंड अंदर घुस जाता और हमारे शरीर आपस में टकराते तो फक-फक की आवाज़ें कानों में मधुर संगीत की तरह गूँज रही थीं. यह छ्होटी सी लड़की, मेरा मतलब है के शरीर से छ्होटी, चुदाई में ऐसे साथ दे रही थी के मेरा आनंद बहुत ही बढ़ गया और साथ ही साथ उसका भी. फिर वही हुआ जो हमेशा होता आया है, ऑल गुड थिंग्स कम टू आन एंड. पर यह अंत बहुत ही सुखद था. उसका शरीर ज़ोर से काँपने लगा जैसे जूडी के बुखार में काँपता है. उसस्के मुँह से हुंकारें निकालने लगीं. फिर एक चीख के साथ उसने बहुत ज़ोर से अपनी गांद को उछाला और झाड़ गयी. हर साँस के साथ उसके मम्मे तन कर उठ जाते और साँस छोड़ने पर थोड़ा नीचे हो जाते. यह देख कर मेरे अंदर भी उत्तेजना की एक तेज़ लहर उठी और मैने उसकी गांद के नीचे हाथ डाल कर दोनो गोलाईयों को कस्स के पकड़ लिया और ऊपेर उठा कर पूरी ताक़त से धक्के लगाने लगा.

हर धक्के के साथ उसका शरीर काँप जाता और उसस्की हुंकार निकलती. 8-10 करारे धक्कों के बाद मैं भी झाड़ गया और लंड को पूरा उसकी चूत में घुसाकर अपने वीर्य की फुहार चूत में छ्होर दी. अरषि की चूत मानो उस फुहार से आनंद विभोर हो गयी और उसने एक बार फिर पानी छ्होर दिया. मैने उसको जकड़े हुए ही एक पलटी ली और बेड पर सीधा हो के लेट गया. अरषि मेरे ऊपेर थी और उसने मुझे कस्स के अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था. धीरे-धीरे हमारी साँसें और दिलों की धड़कनें समान्य हो गयीं. इस तरह अरषि की पहली चुदाई संपन्न हुई.

चुदाई तो संपन्न हो गयी थी पर मेरा दिल अभी अरषि से भरा नही था. मैने मेनका को तो नही देखा पर सुना है उसने ऋषि विश्वामित्रा कातप भंग कर दिया था. मेरे विचार में अरषि भी मेनका से कम नही थी. मेनका भी इतनी ही सुंदर रही होगी ऐसा मेरा विश्वास है. मेरी साइड में लेटी हुई फूलों जैसी हल्की अरषि को मैने अपनी दोनो बाहों में उठाकर बेड साइड में बैठ गया और अरषि को खड़ा कर दिया अपनी टाँगों के बीच में. एक बार तो वो सीधी खड़ी ना हो सकी फिर मेरे कंधे पकड़ के सीधी हो गयी. मैने अपनी बाहें उसके गिर्द लपेटते हुए अरषि को अपने साथ चिपका लिया. उसके सख़्त मम्मे मेरी छाती में चुभने लगे. उसने अपने मम्मे मेरी छाती में रगड़ने शुरू कर दिए. आनंद के हिचकोले मेरे शरीर में दौड़ने लगे. मैने उसको हंसते हुए कहा कि क्या मेरी छाती में च्छेद करने का इरादा है अपने सख़्त मम्मों से. वो भी मेरी बात सुनकर खिलखिलाकर हंस पड़ी. मैने उसके खुले मुँह को अपने दोनो होंठ उसमे डालकर खुला रहने पर मजबूर कर दिया. उसने भी अपनी जीभ आगे लाकर मेरे होंठों पर दस्तक दी. मैने अपने होंठ खोलकर उसकी जीभ का स्वागत किया और फिर हमारी जीभों में एक फ्रेंड्ली मॅच शुरू हो गया जिसका आनंद मैं बयान नही कर सकता.

मैने अरषि को अपनी बाहों में कस लिया और खड़ा हो गया. अरषि ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दीं और अपनी टाँगें मेरी कमर में लपेट दीं. उसकी चूत की गर्मी मुझे अपने पेट पर महसूस हो रही थी. मैं इस तरह उसको लिए हुए बाथरूम में आ गया. वहाँ मैने बाथ टब में पानी भरा और उसमे बबल बाथ डाल कर उसमे घुस गया. इस सब के बीच अरषि मेरे गले में बाहें डाले और मुझे अपने टाँगों में कसे हुए थी और हमारे मुँह आपस में चिपके हुए थे. पानी मैने समान्य से थोड़ा गरम रखा था ताकि अरषि के मसल्स को आराम मिले और वो नॉर्मल हो जाए. मैं बाथ टब में अढ़लेटा हो गया और अरषि मेरी साथ मेरे ऊपेर लदी हुई थी. फिर मैने उसको अपने से अलग करते हुए पलट दिया अब उसकी पीठ मेरी छाती से चिपकी हुई थी और मेरे हाथ उसकी बगलों से होते हुए उसस्के जानलेवा मम्मों पर पहुँच गये और मैं उनसे खेलने लगा. हम ऐसे ही एक दूसरे से खेलते रहे जब तक पानी ठंडा नही हो गया. फिर हम बाथ टब से बाहर आ गये और मैने बहुत ही प्यार से अरषि काबदन पोंचा और उसने मेरा. हम बाहर बेडरूम में अपने कपड़ों के पास पहुँचे और कपड़े पहन कर चलने को रेडी हो गये.
हमेशा की तरह मैने अरषि को भी एक मसल रिलाक्सॅंट पेन किल्लर टॅबलेट खिला दी. फिर मैने अरषि से पूछा के कहो चुदाई का मज़ा कैसा लगा. वो हंसते हुए बोली के उसको तो इतना अच्छा लगा के वो तो चाहती है के वो चुदवाती रहे और ये चुदाई कभी ख़तम ही ना हो. मेरी हँसी निकल गयी और मैने उसे समझाया के देखो 'ऑल गुड थिंग्स ऑल्वेज़ एंड'. कुच्छ जल्दी ख़तम हो जाती हैं और कुच्छ देर से पर ख़तम ज़रूर हो जाती हैं पर देर इस ऑल्वेज़ आ नेक्स्ट टाइम. वो छूटते ही बोली के कब आएगा नेक्स्ट टाइम? आप कब आ रहे हो अगली बार? मैने उसको कहा के इतनी जल्दी जल्दी नही चुदाई मत करवाना , नही तो शादी के बाद में परेशान हो जाओगी. ज़्यादा चुदाई से तुम्हारी टाइट चूत जो है वो ढीली हो जाएगी तो पति को क्या जवाब दोगि. अब अगली चुदाई कम से कम एक महीने के बाद. उसके चेहरे पर उदासी च्छा गयी तो मैने उसको कहा के उदास होने की कोई बात नही है और बहुत से तरीके हैं मज़ा लेने के और मैं उसको धीरे धीरे सब कुच्छ सीखा दूँगा. वो खुश हो गयी. फिर मैने उसको कहा के एक बात और मैं अभी तुम्हारे बापू से बात करके हमारे मिलने का पक्का इंटेज़ाम कर दूँगा और वो खुद ही तुम्हें मेरे आने का बता दिया करेंगे और तुम्हे मेरे पास भेजेंगे. उसका कन्फ्यूषन दूर करने के लिए मैने उसको बताया के कंप्यूटर सीखने के बहाने. वो आकर मुझसे लिपट गयी और बोली बहुत चालाक हो. क्या स्कीम है के बापू खुद मुझे तुम्हारे पास चुदवाने के लिए भेजेंगे. मैं हंस पड़ा और उसको अपनी बाहों में समेट कर उसको किस किया और कहा के करना पड़ता है. अच्छे काम के लिए झूट भी बोलना पड़ता है. इस पर दोनो खुल कर हंस दिए. मैने उसको अपना प्राइवेट वाला मोबाइल नंबर दिया और कहा के जब भी उसको कुच्छ भी चाहिए हो वो मुझे फोन कर दे पर स्कूल टाइम के बाद. वो बोली के ठीक है. सबसे आख़िर में मैने उसको आंटी प्रेग्नेन्सी वाली टॅबलेट दी और कहा के कल नाश्ते के बाद इस्सको खा ले. समझा भी दिया के ये क्या है. वो प्रशंसा भरी नज़रों से मुझे देख कर बोली के हर बात का पूरा ख़याल रखते हो. मैने कहा के नही रखूँगा तो मुश्किल नही पड़ जाएगी?

फिर मैने बहुत ही बेमन से अरषि से विदा ली और चला आया. कार गेट के पहले ही रोक कर मैं उतरा और राम सिंग के पास गया और मुस्कुराते हुए उसको बोला के मैं तुमसे बहुत नाराज़ हूँ तुम मुझे अपना नही समझते. वो एक बार तो घबरा गया पर मुझे मुस्कुराता देख कर हिम्मत कर के बोला के ऐसा क्या हो गया साहिब. तो मैने कहा के अरषि को कंप्यूटर की ज़रूरत थी और तुमने मुझे क्यों नही बताया. यह तो अच्छा हुआ के अरषि को आज एक काम करना था और वो मेरे होते हुए ही वहाँ आ गयी. मुझे पता भी लग गया के वो कितनी समझदार है और ये भी के तुम मुझे अपना नही समझते. राम सिंग सर झुका के बोला साहिब ऐसी कोई बात नही है पहले ही आपसे बहुत कुछ माँग चुक्का हूँ. मैने उसको प्यार से डांटा और कहा के उसको ऐसा कहते हुए शरम आनी चाहिए. मैने कभी अपने लिए काम करने वालों को नौकर नही समझा और हमेशा ऐसा ही बर्ताव किया है उनके साथ जैसे के वो मेरे घर के सदस्य हैं. खैर अरषि को अभी इसी कंप्यूटर पे यहीं काम करना होगा लेकिन अगले महीने इसकी जगह नया कंप्यूटर आने ही वाला है फिर ये कंप्यूटर वो घर ले जा सकती है. और हां ध्यान रखना वो तुमको बता देगी अगर उसको कोई मुश्किल आ रही होगी या उसको कुच्छ समझाना होगा और मैं जब यहाँ पर आता हूँ तो तुम उसको बता देना वो आके समझ लेगी. ठीक है?

राम सिंग ने सर हिला के कहा के हां, भावुकता में उसके मुँह से शब्द नही निकल पाए. मैं भी सर हिला के वहाँ से चला आया. घर पहुँच कर मैने चेंज किया और जल्दी खाना लगाने के लिए कह दिया. खाना खाने के बाद मैं बिस्तर के हवाले हो गया और इतनी अच्छी नींद आई के बता नही सकता.

बीस-एक दिन ऐसे ही बीत गये, बिना किसी एक्सट्रा करिक्युलर आक्टिविटी के. फिर एक दिन मैं स्कूल से आ कर खाना खा के बैठा ही था और बोर हो रहा था के मेरे प्राइवेट वाले मोबाइल की घंटी बजी. मैं चौंक गया और जल्दी से फोन उठाया और देखा के अरषि का फोन है. आप कब आ रहे हो, उसने पूछा. मैने कहा क्या बात है कुच्छ खास. तो वो बोली के खास नही भी और है भी. मैने कहा के क्या मतलब है? वो बोली के आ जाओ तभी बता सकूँगी, ऐसे नही बता सकती. मैने कहा के ठीक है बोलो कब आना है. वो बोली के हो सके तो आज ही. मैने टाइम देखा तो अभी 3-00 ही बजे थे. मैने कहा के आता हूँ आधे घंटे में पहुँच जवँगा..

मैं कपड़े पहन कर तैयार हुआ और फार्म हाउस को चल पड़ा. वहाँ पहुँच कर राम सिंग ने मुझे बताया के अरषि 2 दिन से मेरी राह देख रही है. तो मैने कहा के ठीक है उसको जल्दी से भेज दो फिर अगर मैने अपना काम शुरू कर दिया तो उसको टाइम नही दे सकूँगा. उसने कहा के ठीक है. मैं कार को अंदर ले आया और वो मेरे पीछे गेट लॉक कर के अपने घर की ओर चला गया अरषि को बुलाने के लिए. मैने अंदर आकर मेन डोर लॉक किया और अपने बेडरूम में चला गया. फिर मैने सोचा के मुझे कंप्यूटर पर ही बैठना चाहिए. क्योंकि अगर अरषि के साथ कोई आ गया तो शक ना हो जाए के बेडरूम में क्यों आई है. मैं कंप्यूटर पर आके बैठ गया और दरवाज़ा भी खुला रहने दिया.

थोड़ी ही देर में अरषि ने एंटर किया और आके मेरे पास चुपचाप खड़ी हो गयी. मैने उसकी पीठ पर हाथ फेरा और उसको पूछा के बोलो क्या बात है? वो बोली के एक ग़लती हो गयी है. क्या, मैने कहा तो वो बोली के कहाँ से शुरू करूँ. मैने कहा के शुरू से ही शुरू करो. वो बोली के ठीक है मैं शुरू से ही बताती हूँ. इसके बाद जो उसने बताया वो उसके शब्दों में इस प्रकार है.

मेरी एक छ्होटी बेहन है अदिति. वो मुझसे केवल एक साल छ्होटी है इसलिए हम दोनो बहनें कम और सहेलियाँ ज़्यादा हैं और एक दूसरी के साथ सारी बातें कर लेती हैं. अभी कुच्छ दिन पहले जब हम सेक्स के बारे में बातें कर रही थीं तो अचानक मेरे मुँह से निकल गया के मैं सब जानती हूँ तो उसने मेरी बात पकड़ ली के कैसे जानती हो और मेरे पीछे पड़ गयी के बताओ ना तो मुझे बताना पड़ा पर मैने यह नही बताया के कौन, कब और कहाँ लेकिन बाकी उसे सब बता दिया है. यह 2 दिन पहले की बात है और तभी से वो मेरे पीछे पड़ी है के उसको भी मिलवाऊं नही तो वो मम्मी को बता देगी. अब आप ही बताओ के क्या किया जाए, उसने रात तक का टाइम दिया है और वो रात को मम्मी को सब बता देगी. [/color]
 
[color=rgb(41,]मैने कुच्छ देर सोचा फिर पूच्छा के वो मिलकर चाहती क्या है? वो नज़रें झुका के बोली के वो भी सब कुच्छ करना चाहती है. मैने फिर उसको पूच्छा के तुम क्या चाहती हो? उसने कहा के मुझे कोई भी ऐतराज़ नही है अगर आप उसके साथ भी यह सब करो पर मैं इतना चाहती हूँ के सब मेरे सामने करो ताकि मैं सब कुच्छ लाइव होते देख सकूँ. मेरी हँसी निकल गयी और मैने उठकर डोर लॉक किया और उसको खींच कर एक ज़ोर की झप्पी डाली, पप्पी ली और कहा के अँधा क्या चाहे, 2 आँखें, जल्दी ले के आओ उसको. तुमको भी एक स्पेशल ट्रीट मिलेगी. वो बहुत खुश हुई और बोली के मैं भी तुम्हे एक ट्रीट दूँगी, मेरी सारी चिंता जो ख़तम कर दी है. मैने कहा के जब दोस्त बनाया है तो तुम्हारी सारी चिंताएँ और परेशानियाँ मेरी भी तो हैं. अब देर ना करो अदिति को जल्दी ले के आओ. पर उसको अभी बताना कुच्छ नही, कोई भी बहाना करके ले आना. वो बोली के ठीक है उसको इंटरनेट पर कुछ देखना है मैं उसी बहाने उसको लेके आती हूँ. और यहाँ दरवाज़े पर आकर उसको बता देना और अंदर ले आना, मैने कहा. वो हंस पड़ी और बोली के हां यह ठीक रहेगा. वो अदिति को लाने चली गयी और मैं भगवान को याद करके उनका धन्यवाद करने लगा के क्या किस्मेत बनाई है मेरी.

थोड़ी देर में ही मुझे दरवाज़े के पास हल्की-हल्की आवाज़ें सुनाई पड़ीं और मैं उधर ही देखने लगा. पहले अरषि नज़र आई और वो एक हाथ अपने हाथ में पकड़े किसी को खींच रही थी और कह रही थी कि आ भी जा अब क्या हो गया है? यह शायद अदिति ही थी जो अब या तो शर्मा रही थी या घबरा रही थी. फिर अरषि उसे थोड़ा खींचने में सफल हो गयी. अब अदिति भी दरवाज़े के सामने थी. मैं चेर से खड़ा हो गया और बोला के अदिति डरो नही अंदर आ जाओ. मेरी आवाज़ सुन कर वो एक दम ढीली पड़ गयी और धीरे धीरे नज़रें झुकाकर चलकर अंदर आ गयी. अरषि दरवाज़े पर ही थी. मेरी आँख के इशारे पर दरवाज़ा लॉक करके वो भी अंदर आ गयी. फिर उसने अदिति की पीठ पर हाथ रखकर उसको मेरी ओर धकेलते हुए बिल्कुल मेरे निकट कर दिया.

अदिति को देख कर मैं सोचने लगा के इसको तो भगवान ने बहुत ही फ़ुर्सत में बैठ के बनाया होगा. वो थी ही इतनी सुंदर. उसने हल्के गुलाबी रंग का पतला सा टॉप पहना हुआ था जिसमे से उसके निपल्स तने हुए दिख रहे थे जो शायद डर और एग्ज़ाइट्मेंट की वजह से एकदम कड़क हो गये थे. उसके उभार अरषि से थोड़े से बड़े थे और सर उठाए खड़े थे. उसकी कमर बहुत पतली थी और गांद भारी थी. थी वो भी अरषि की तरह ही पर अरषि से 2 इंच लंबी थी यानी के 5 फुट लंबी थी. स्किन अरषि की तरह ही चिकनी और चमकदार. मेरा लंड उसको देखकर करवट बदलने लगा.

मैं चेर से उठकर खड़ा हो गया और एक हाथ उसके कंधे पर रखके दूसरा हाथ उसकी ठुड्डी पर रखके उसका चेहरा ऊपेर किया और बहुत प्यार से उसकी आँखों में देखते हुए पूछा के मुझसे दोस्ती करोगी? वो कुच्छ नही बोली पर उसकी आँखों से डर के भाव जा चुके थे. मैने आगे उसको तसल्ली दी के देखो अगर तुम मेरी दोस्त बनोगी तो भी केवल तुम्हारे ऊपेर ही रहेगा के तुम कितना आगे बढ़ना चाहती हो. मेरी ओर से कभी भी कोई भी ज़बरदस्ती नही होगी. तुम मेरा मतलब समझ रही हो ना. उसने हां में सर को हिला दिया. मैने फिर पूछा के अब बताओ के क्या चाहती हो? उसने फिर नज़रें झुका लीं और आगे हो कर अपनी बाहें मेरे गिर्द लपेट कर धीरे से बोली के सब कुच्छ और मुझको ज़ोर से अपनी बाहों में कस लिया. उसके मम्मे मेरे शरीर में ऐसे चुभने लगे जैसे दो कच्चे अमरूद हों. मैने प्यार से उसकी पीठ सहलाई और अपना हाथ घुमा कर उसके मम्मे पर ले आया और उसका भार तोलने लगा. अदिति ने एक झुरजुरी ली और ज़ोर से मेरे साथ चिपक गयी. मैं उसकी अपने साथ चिपकाए हुए ही बेडरूम की ओर बढ़ गया और साथ ही अरषि को भी इशारा किया के वो भी कंप्यूटर रूम को लॉक करके आ जाए. बेडरूम में पहुँच कर मैने अरषि को कहा के आज तो अलग ही मज़ा आएगा तो वो बोली क्या, तो मैने कहा के आज 2-2 जवान और सुंदर लड़कियों को मैं चोदुन्गा और उनको भरपूर मज़ा देते हुए खुद भी मज़ा लूँगा.

आदित इस पर शर्मा गयी और बोली के धात्ट ऐसे क्यों बोलते हो. मैने कहा के शरमाने की क्या बात है इसको और भी कुच्छ कहते हैं तो बताओ. पर एक बात है और कुच्छ कहने से चुदाई कहना कितना मज़ेदार लगता है. फिर हम ऐसा आपस में ही तो कह रहे हैं और किसी के सामने थोड़ा ही कह रह हूँ. यह कहते हुए मैं बेड पर बैठ गया और अदिति को अपनी एक जाँघ पर बिठा लिया. फिर उसके टॉप को दोनो हाथों से पकड़ कर ऊपेर किया, उसके हाथ अपने आप ही ऊपेर हो गये और मैने उसका टॉप उतार कर चेर पर रख दिया. उसके तमतमाए हुए मम्मे मेरी आँखों के सामने थे और तन कर मानो चुनौती सी दे रहे थे के देखो हम कैसे सर उठा के खड़े हैं. मैने एक मम्मे को अपने मुँह में लेकर चुभलना शुरू किया तो अदिति की सिसकारियाँ निकल गयीं. मैने उसके मम्मे को आज़ाद किया और खड़ा होकर अपने कपड़े उतारने लगा और उनको भी कहा के अपने कपड़े उतार दो. थोड़ी ही देर में हम तीनो नंगे हो गये और कपड़े फोल्ड करके चेर पर रख दिए.

फिर मैने दोनो को अपनी बाहों में लिया और कहा के आज अदिति का पहला दिन है तो हम अदिति को पहले मज़ा देंगे. अरषि ने कहा के बिल्कुल ठीक है. फिर मैने अदिति से पूछा के बोलो क्या दिल कर रहा है, हम वैसा ही करेंगे. वो बोली के अभी आपने मेरे मम्मे को मुँह में लेकर जो प्यार किया था वो मुझे बहुत अच्छा लगा था. अरषि हंस पड़ी और बोली लाडो अभी तूने चुदाई का मज़ा नही देखा है, एक बार चुदवा लेगी ना तो सब मम्मे शममे भूल जाएगी. मेरी ज़ोर की हँसी निकल गयी और मैने अरषि से कहा के तुम ठीक कह रही हो पर ये तो अभी जानती नही ना जब जान लेगी फिर मान भी लेगी. फिर एकदम तो चुदाई नही शुरू की जाती, पहले प्यार करते हैं, उस से उत्तेजना बढ़ती है और चुदवाने का दिल करने लगता है और जब दिल करने लगता है तभी चोदा जाता है क्योंकि मज़ा भी तभी आता है. ऐसे ही अगर चोदना शुरू कर दूं तो अभी तुम्हारे भी आँसू निकल जाएँगे. प्यार करने से जो उत्तेजना होती है उसके साथ साथ चूत में गीलापन आ जाता है और तभी चोदना ठीक होता है. दोनो ने बड़े ध्यान से मेरी बात सुनी और अपने सर हिलाए.

फिर मैने अरषि से कहा के अब देखो जैसे जैसे मैं करूँ वैसा ही तुम कॉपी करना तो अदिति को बहुत मज़ा आएगा और फिर तुमको भी मज़ा आएगा. मैने अदिति को बेड पर चित्त करके लिटा दिया और उसकी एक साइड पर मैं लेट गया और इशारे से अरषि को दूसरी साइड पर लेटने को कहा. फिर मैने अपनी एक टाँग उठाकर अदिति की जाँघ पर रखकर उसे रगड़ना शुरू किया बहुत प्यार से. अरषि ने भी मेरा अनुसरण करते हुए वैसे ही किया. थोड़ी ही देर में अदिति की मादक सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं. वो कोशिश कर के भी अधिक हिल-डुल नही पा रही थी क्योंकि एक तरफ से मैने और दूसरी तरफ से अरषि ने उसकी छाती और जंघें दबा रखी थीं. मैने उसके मम्मे का चूसना जारी रखते हुए अपना हाथ वहाँ से हटा कर उसकी बिना बॉल की चिकनी चूत पर रखा और उसके भज्नासे के आसपास अपनी उंगली चलाने लगा. वो बहुत ज़ोर से गंगना गयी और उसकी चूत की दरार में उसके पानी की बूंदे चमकने लगीं. उसकी चूत गीली हो गयी थी उत्तेजना के फलस्वरूप.

मैने महसूस किया के उसकी साँसें भी धौंकनी की तरह चल रही थीं और उसका सीना तेज़ी से ऊपेर नीचे हो रहा था. बहुत कठिनाई से उसके मुँह से बोल फूटे के ह...आ...य...ए... र....आ...म.. य....ए... क....य...आ... ह....ओ.... र...आ...ह...आ... ह...आ..ई... म...ए...र...ए... स....आ...आ...त...ह. मैने उसके मम्मे से मुँह उठाकर कहा यह ना सोचो के क्या हो रहा है, मज़ा आ रहा है, मज़ा लेती रहो. आगे अभी और भी ज़्यादा मज़ा आएगा. आनंद ही आनंद है लूट लो जितना जी चाहे. इसके साथ ही मैने उसके मम्मे को मुँह में लेकर ज़ोर से चुभलना शुरू कर दिया और उसके भज्नासे से लेकर उसकी गांद के छेद तक अपनी बीच की उंगली हौले-हौले फेरनी शुरू कर दी. अदिति की चूत के स्राव से भीगी उसकी दरार पर मेरी उंगली फिसलने लगी और उसकी उत्तेजना में वृद्धि स्पष्ट देखी जा सकती थी. और फिर मैने अपना दूसरा हाथ अदिति की गर्दन के नीचे से लेजाकार अरषि के मम्मे पर जमा दिया और उसका माप-तोल करने लगा. अरषि अपने मम्मे पर मेरे हाथ के खिलवाड़ से बहुत खुश हुई और नखरे से बोली के मेरी याद आ गयी आपको. मैने कहा के मेरी जान तुम्हे भूले ही कहाँ हैं जो याद करें, तुम तो हो ही इतनी अनूठी के तुमको भूलना नामुमकिन है. और तुम्हारी तरह ही तुम्हारी यह छ्होटी बहन भी अपनी तरह की एक ही है. तुम दोनो बहनें मिलकर मुझे इतना सुख देने वाली हो के मैं तो यह सोच सोच कर ही बावरा हो रहा हूँ.

अब मैने दोनो को हाथ ऊपेर करके सीधा बिल्कुल चिपका कर लिटा दिया और मैं दोनो की टाँगों के बीच अपनी एक-एक टांग देकर लेट गया. दोनो की साइड्स में अपनी कोहनियाँ टीका कर मैं ऊपेर को हुआ और मेरे हाथ उनके एक-एक मम्मे को पकड़ कर खेलने लगे. बीच वाले दोनो मम्मे जो आपस में एक दूसरे को छ्छू रहे थे, मैने अपने मुँह में ले भर लिए और उनके निपल्स अपने दांतो में प्यार से दबाने और जीभ से चाटने लगा. दोनो की मस्त सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं. कभी मैं अपना मुँह उठाकर उनके मुँह इकट्ठे ही किस करने लगता.

मैं उठा और अरषि को भी उठा दिया और अदिति के मुँह पर उसकी चूत लगा दी और अदिति से कहा के वो अरषि की चूत को वैसे ही चाते जैसे मैं उसकी चूत को चाटने जा रहा हूँ. साथ ही मैं अदिति की चूत पर अपना मुँह लगा कर उसकी चूत को चूसने लगा और अपनी जीभ से छेड़ने लगा. आदित की साँसें गहरा गयीं और उसके मुँह से ह...उ...उ...न..., ह...उ...उ...न..., की आवाज़े निकलनी शुरू हो गयीं. मैने एक हाथ बढ़ाकर उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए. मैने देखा की अरषि की तरह अदिति के मम्मे भी बहुत संवेदनशील थे और उनको छ्छूने पर वो तेज़ी से उत्तेजित हो जाती थी. मेरा हाथ अदिति के दोनो मम्मो से खेल रहा था और मेरी जीभ उसकी चूत में खलबली मचा रही थी. फलस्वरूप उसकी उत्तेजना इतनी बढ़ गयी के वो करहने लगी और काँपते स्वर में बोली के यह क्या हो रहा है मुझको, ऐसा लगा रहा है के मेरे अंदर कुछ उबल रहा है और बाहर आने वाला है. अरषि ने कहा के मेरी लाडो तू पहली बार झड़ने वाली है अपने आप को रोक मत और जो हो रहा है उसको हो जाने दे और उसका मज़ा ले. जैसे वो यही जानना चाहती थी, इतना सुनते ही वो बड़ी ज़ोर से काम्पि और झाड़ गयी. उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, जिसे मैं चाट गया. फिर मैं अपना मुँह उठाकर अरषि के एक मम्मे को मुँह में लेकर चुभलाने लगा और दूसरे को अपने हाथ में लेकर दबाना शुरू कर दिया. नीचे से अदिति उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रही थी. थोड़ी ही देर में अरषि भी झाड़ गयी और अदिति के साथ ही ढेर हो गयी.

मैं दोनो के बीच में बैठ गया और उनको उठाकर अपनी जांघों पर बिठा लिया और दोनो को अपनी बाहों में भींच लिया. दोनो ने भी अपनी बाहें फैलाकर मुझे और एक-दूजे को कस्स लिया. उनके मम्मे मेरे शरीर में गाढ़ने लगे और तीनों के मुँह इकट्ठे हो गये. हम तीनों ने अपनी-अपनी जीभें बाहर निकालीं और आपस में जीभों को चाटने लगे. अरषि ने अपना एक हाथ नीचे लाकर मेरे आकड़े हुए लंड को पकड़ लिया और अदिति से बोली लाडो देख यह कैसे अकड़ रहा है तेरी चूत में जाने के लिए. अदिति ने मेरे लंड को देखा और बोली इतना लंबा मेरी चूत में कैसे जाएगा? अरषि बोली जैसे मेरी चूत में गया था और साची बोलूं स्वर्ग के झूले दिए थे इसने मुझे. इस पर अदिति तुनक कर बोली के मुझे भी दो ना स्वर्ग के झूले. मैने कहा के थोड़ा सा सबर करो तुमको भी स्वर्ग के झूले दूँगा और इतना मज़ा दूँगा के कभी भूल नही सकोगी अपनी पहली चुदाई .[/color]
 
[color=rgb(41,]मैने अरषि की ओर देखा और कहा के बोलो मेरी जान पहले इसको स्वर्ग के झूले पर झूला दें. वो बोली के हां इसका बहुत दिल कर रहा है पहले इसको मज़े दे दो फिर मेरी चुदाई करना पर आज मैं भी चुदवाउन्गि ज़रूर. मैने उसकी एक भरपूर पप्पी ली और कहा के ज़रूर चोदुन्गा मेरी गुड़िया और भरपूर चोदुन्गा और आज तुमको पहले से भी ज़्यादा मज़ा आएगा पर पहले इसको तो तैयार करवा दो. वो बोली के तैयार तो है. मैने हंस कर कहा के ये तो तैयार है इसकी चूत को भी तो बेकरार करना पड़ेगा तभी तो पहली बार लंड का वार झेल सकेगी. वो बोली वो कैसे? तो मैने कहा के इसको उत्तेजित करो. इतना करो के यह खुद बखुद बोले के डाल दो लंड मेरी चूत में अब और नही रुका जाता. अरषि हंस पड़ी और बोली जो अग्या महाराज. मेरी और अदिति की हँसी निकल गयी.

फिर हम दोनो प्यार से टूट पड़े अदिति पर और 5 मिनट में वो आहें भरने लगी. उसकी साँसें भारी हो गयीं और उसका सीना अपने उन्नत टीलों को और ऊपेर उठने लगा, जिससे देखकर मेरा लंड भी उच्छलने लगा. मैने हाथ बढ़ा कर अदिति की चूत पर फेरा. चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. मैने अपने आपको उसकी टाँगों के बीच में लिया और उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा. उसकी चूत भट्टी की तरह तप रही थी. मुझे लगा के मेरा लंड इतनी गर्मी को बर्दाश्त भी कर पाएगा के नही. मैने क्रीम की ट्यूब उठाकर उसकी चूत पर लगाई और उंगली से उसकी चूत के अंदर करके क्रीम को अच्छे से लगा दिया. फिर अपने लंड पर भी अच्छी तरह से क्रीम लगाकर लंड को अदिति की चूत के मुहाने पर रखा और कहा के देखो अदिति पहली बार लंड अंदर जाने पर तुम्हें थोड़ी देर के लिए ही सही पर दर्द होगा और तुमको वो सहना पड़ेगा. उसस्के बाद ही तुमको स्वर्ग का झूला झूलने को मिलेगा. वो बोली के ठीक है पर जल्दी करो अब और नही रुका जाता. मैं और अरषि दोनो हंस पड़े.

मैने अपने लंड को पकड़ कर उसकी चूत के मुहाने पर कॅसा और थोड़ा दबाव डालते हुए घुमाया. मेरे लंड का सुपरा उसकी चूत के मुहाने पर अटक गया. आधा अंदर और आधा बाहर. मैने लंड को हाथ में पकड़े हुए ही एक ज़ोरदार मगर छ्होटा धक्का लगाया. लंड 2 इंच अंदर घुस गया और अदिति की कुंआरी झिल्ली पर जाकर रुक गया. अदिति ने ज़ोर की हुंकार भरी. मैने पूछा के दर्द हुआ क्या? वो बोली के दर्द तो अभी नही हुआ पर बड़ा भारीपन लग रहा है. मैने कहा के कोई बात नही अबके धक्के में दर्द होगा और उसको सह लोगि तो फिर मज़ा ही मज़ा है. अरषि को मैने कहा के अदिति को किस करती रहो और इसके मम्मे भी दबाती रहो ताकि इसकी उत्तेजना में कमी ना आ सके. फिर मैने अपनी पूरी ताक़त इकट्ठी करके एक प्रचंड धक्का लगाया और लंड पूरा का पूरा उसकी चूत को फाड़ता हुआ अंदर घुसा और उसकी बछेदानि के मुँह से जा टकराया.

अदिति की चीख तो अरषि के मुँह ने दबा दी लेकिन उसकी आँखें फैल गयीं और टॅप-टॅप आँसू गिरने लगे. उसकी टाँगें ज़ोर से काँपति चली गयीं. मैने उसके दोनो मम्मे अपने हाथों में लिए और उनको दबाने और मसल्ने लगा. अरषि को मैने कहा के अदिति को उत्तेजित करने काप्रयास करती रहे. मैने अपने लंड को हिलाने की कोशिश की. यह क्या? मेरे आश्चर्य का ठिकाना नही रहा. मेरा लंड उसकी चूत में क़ैद हो गया था. अदिति की चूत ने मेरे लंड को इतनी ज़ोर से जकड़ा हुआ था के मैं एक सूत भी अपने लंड को हिला नही सका. मैने ज़ोर लगा के हिलाने की कोशिश भी की पर नतीजा फिर भी वही रहा, ज़ीरो. मैने अरषि को ये बताया और कहा के अदिति को ज़्यादा से ज़्यादा उत्तेजित करो ताकि इसकी चूत में थोड़ा पानी आए और इसकी जकड़न कम हो. अरषि उसको उत्तेजित करने की हर संभव कोशिश करने लगी. मैने भी अपने एक हाथ से उसकी केले के ताने जैसी चिकनी जांघें और दूसरे हाथ से उसके भज्नसे को सहलाना शुरू कर दिया. अदिति की आँखों से अभी भी आँसू बह रहे थे. कुच्छ ही देर में उसकी टाँगों का कांपना रुक गया. अरषि ने एक मम्मे को अपने मुँह में ले रखा था और उसको चूस रही थी और दूसरे को अपने हाथ से दबा रही थी.

5-7 मिनट बाद ही अदिति थोड़ा नॉर्मल होने लगी. उसने अपने हाथ उठाकर मेरी छाती में मुक्के मारने शुरू कर दिए और बोली बहुत ज़ालिम हो बिल्कुल भी परवाह नही करते. पता है कितना दर्द हुआ था. मैने कहा के दर्द तो होना ही था और तुमको बता भी दिया था के होगा. जब पहली बार चूत में लंड जाता है और सील को तोड़ता है तो दर्द तो होता ही है और थोड़ा खून भी निकलता है पर थोड़ी देर में सब ठीक हो जाता है जैसे अब तुम्हारे साथ हुआ. सच बताओ अब तो दर्द नही हो रहा ना? उसने कहा के अभी तो दर्द बिल्कुल ना के बराबर हो रहा है. मैने कहा के अभी थोड़ी देर में वो भी नही रहेगा और उसकी जगह तुमको इतना मज़ा आएगा के तुम खुश हो जाओगी. बातों में ध्यान लगा होने केकारण अदिति की चूत की पकड़ अब मेरे लंड पर पहले जितनी नही रही थी. इस बार कोशिश करने पर लंड बाहर आना शुरू हो गया. मैने बहुत धीरे-धीरे और प्यार से एक इंच लंड बाहर निकाला और उतने ही प्यार से उसकी चूत में वापिस डाल दिया. जब लंड पूरा अंदर जाकर बcचेदानि के मुँह से टकराया तो मैने थोड़ा सा दबाव और डाला. अदिति को अच्छा लगा और वो बोली के हाए ये क्या हो रहा है. मैने कहा के अब अच्छा लग रहा है ना? वो बोली के हां. बहुत हल्का सा दर्द है पर अच्छा भी लग रहा है.

मैने 8-10 बार ऐसे ही किया, एक इंच लंड बाहर निकालकर फिर अंदर घुसा देता और जैसे ही बcचेदानि के मुँह से टकराने लगता थोड़ा सा दबाव बढ़ा देता. फिर मैने थोड़ी-थोड़ी लंबाई बढ़ानी शुरू कर दी. हर दो-तीन धक्कों के बाद मे लंड थोड़ा और ज़्यादा बाहर खींच लेता और फिर अंदर घुसाता पहले की तरह. अब अदिति को मज़ा आना शुरू हो गया था और वो भी नीचे से हिलने लगी थी और मज़ा ले रही थी. मेरा तो मस्ती और आनंद के मारे बुरा हाल था. अदिति की चूत की पकड़ केवल इतनी ही कम हुई थी के मैं अपने लंड को अंदर बाहर कर सकूँ, वरना इतनी ज़ोर से मेरे लंड को उसकी चूत की रगड़ लग रही थी के मुझे लग रह था के आज तो लंड छिल्ल जाएगा. लंड में हल्की-हल्की दर्द भी होने लगी थी पर घर्षण के आनंद की आगे तो यह दर्द कुच्छ भी नही थी. दोनो असीम आनंद में डूबे हुए थे.

जब लंड आधे से थोड़ा अधिक अंदर बाहर होना शुरू हुआ तो अदिति ने नीचे से उच्छालना शुरू कर दिया. मेरे हर धक्के का जवाब वो अपनी गांद उठाकर दे रही थी. जब लंड बाहर आता तो वो भी अपनी गांद को नीच कर लेती और जब लंड अंदर जात तो वो गांद उठाकर उसकास्वागत करती, जैसे के वो चाहती हो के जल्दी से पूरा अंदर घुस जाए. नतीजा यह हुआ के लंड के अंदर बाहर होने की रफ़्तार तेज़ हो गयी. अदिति की आवाज़ें भी निकलनी शुरू हो गयीं के हां.... हां..., ऐसे ही करो, और तेज़ करो, हाए राम ये क्या हो रहा है, साची दीदी बहुत मज़ा आ रहा है, तुम ठीक कहती थी के बहुत मज़ा आता है.

इसके साथ ही मैने रफ़्तार तेज़ करदी और लंबी चोट लगाने लगा और साथ ही साथ ज़ोर भी लगाना शुरू कर दिया. अदिति की साँसें फूलने लगीं और आँखें मस्ती में डूब कर आधी खुली रह गयीं. मेरे हर बार लंड अंदर घुसाने पर वो अपनी गांद उठाती पर धक्के के ज़ोर में वापिस बेड से जा टकराती और लंड उसकी बच्चेदानी के मुँह से टकराकर उसको गुदगुदा जाता. उसके चेहरे पर एक मादक मुस्कान थी और यह सब देख कर मेरी उत्तेजना में भी वृद्धि हो रही थी. मैने उत्तेजनवश करारे धक्के मारने शुरू कर दिया और अदिति भी इतनी उत्तेजित हो गयी के वो भी अपनी गांद उठा-उठा कर मेरे हर धक्के का जवाब पूरी ताक़त से देने लगी. यही सब करते-करते 20-25 करारे शॉट लगा कर मैं झड़ने की कगार तक पहुँच गया. अदिति के मुँह से कोई आवाज़ नही निकल रही थी सिवाए ह...उ...न, ह...उ...न के. फिर उसने बड़ी ज़ोर से अपनी गंद उठाई और उसका शरीर जूडी के मरीज़ की तरह से काँपने लगा और वो झाड़ गयी और निढाल होकर बेड पर ढेर हो गयी. उसकी चूत से निकले पानी से उसकी जंघें तक गीली हो गयीं. मेरे धक्के लगातार जारी थे. उसके शरीर के कंपन से मुझे भी उत्तेंजाना की तेज़ लहर अपने शरीर में दौड़ती महसूस हुई और 8-10 धक्के और लगा कर मैं भी स्खलित हो गया. मैने अपने लंड अदिति की चूत में पूरा अंदर डाल कर, उसकी मुलायम गंद को अपने दोनो हाथों में जाकड़ कर उसकी चूत को अपने लंड की जड़ पर चिपका लिया और रगड़ने की कोशिश करने लगा. मेरे लंड से वीर्य की तेज़ 3-4 बौच्चरें निकल कर अदिति की बच्चेदानी के मुँह से टकराईं तो वो फिर से कांप उठी और दोबारा झाड़ गयी.

मैं अदिति को अपने साथ चिपकाए हुए ही बेड पर लूड़क गया और अदिति को अपने ऊपर ले लिया. अदिति ने मुझे अपनी बाहों में भर के मेरे मुँह, गाल और माथा चूमना शुरू कर दिया और बोलने लगी, थॅंक यू, थॅंक यू, थॅंक यू, थॅंक यू. मैने उसको पूछा के अब बोलो मज़ा आया के नही? वो बोली के इतना मज़ा आया के बता नही सकती. मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गयी थी, ऐसा लग रहा था के मैं मर के स्वर्ग में आ गयी हूँ और वहाँ मुझे आनंद के सागर में डुबो दिया है. मैने कहा के ना ऐसा मत बोलो मेरी जान, मरें तुम्हारे दुश्मन और उसको ज़ोर से भींच लिया अपने साथ.

फिर मैने अरषि को भी खींच लिया और उसको प्यार करते हुए बोला के अभी बस थोड़ी देर में तुम्हारा नंबर लगाता हूँ, तुम ने बहुत देर इंतेज़ार कर लिया है और मेरा इतना साथ दिया है उसका इनाम तो बनता ही है. बस अदिति की थोड़ी सी सेवा और कर लें ताकि इसको कोई परेशानी ना हो. मैने चिपके हुए ही अदिति को गोद में उठाया और अरषि से कहा के बड़े टब में आधा टब गरम पानी डाले. अरषि बाथरूम में गयी और गरम पानी से आधा भर दिया. फिर मैने कहा कि अब इसमे ठंडा पानी मिलाओ और केवल इतना ही मिलाना के अदिति की चूत की सिकाई हो सके और इतना गरम भी ना हो के सहा ना जाए.

मैने अदिति को टब में बिठा दिया और उसकी चूत को अपने हाथ से हल्के हल्के दबाने लगा. उसकी दोनो टाँगें खोल कर टब के बाहर लटका दीं ताकि गरम पानी से उसकी चूत की सिकाई अंदर तक हो जाए. अदिति को कहा के वो अच्छी तरह से सिकाई कर ले ताकि उसकी चूत को आराम मिले और दर्द ना हो. उसने पूछा के कब तक सिकाई करनी है तो मैने कहा के जब तक यह पानी ठंडा नही हो जाता तब तक इसी टब में बैठी रहो फिर बाहर हमारे पास आ जाना. वो बोली की ठीक है. मैने अपने लंड को सॉफ किया और अरषि को लेकर बाहर बेडरूम में आ गया. अब अरषि की बारी थी. [/color]
 
[color=rgb(41,]मैने अरषि से पूछा के बोलो कैसे और कितना मज़ा लेना चाहती हो. वो मुस्कुराई और बोली के यह सब तो आपके ऊपेर है जैसे आप चाहें वैसे मज़ा लीजिए, क्योंकि मैं जानती हूँ के आप अपने मज़े से ज़्यादा मेरे मज़े का ध्यान रखेंगे. मैने उसको प्यार से अपनी ओर खींचा और अपने साथ चिपका लिया और उसको कहा के ज़रूर मेरी जान मैं हमेशा यही चाहता हूँ के मेरे से चुदवाने वाली हर लड़की को इतना मज़ा आए के वो मज़े में पूरी तरह डूब जाए और मुझे तो लंड अंदर बाहर करने में मज़ा आ ही जाना है. चुदाई तो वही है के लड़की को भरपूर मज़ा आए. यह क्या हुआ के 15-20 धक्के लगा के आदमी तो मज़ा लेके अपना पानी निकाल दे और औरत अपनी चूत मरवाने के बाद भी प्यासी रह जाए.

वो मुझ से लिपट गयी और बोली फिर आज कैसे करेंगे? मैने कहा के क्या? वो बोली मेरी चुदाई. मैने उसको ज़ोर से भींच लिया और कहा के मज़ा आ गया तुम्हारे मुँह से यह सुनकर और कोई प्लान बनाकर नही चोदा जाता के आज ऐसे चोदना है. जैसे भी जो कुछ अपने आप होता है हो जाता है और उसमे मज़ा भी बहुत आता है. मैने उसको उठा लिया और बेड पर आ गया. उसको सीधा लिटा कर पहले उसके मम्मों को दबाया और एक को दबाते हुए दूसरे को पूरा मुँह में भर लिया. उसके कड़क मम्मे को मुँह में लेकर मैने अपनी जीभ चलानी शुरू की. उसके खड़े निपल को जीभ से छेड़ना चालू किया तो वो आ..ह, ह...आ...आ...न, करने लगी. एक हाथ मैने उसकी जांघों पर फेरना आरंभ कर दिया. जांघों से घूम कर वो हाथ उसकी चिकनी बिना बालों वाली चूत पर आया तो अरषि ने एक झुरजुरी ली. उसकी चूत की दरार पर पानी की बूँदें चमकने लगीं. मैने अपनी बीच की उंगली उसकी दरार पर फेरी और वो भीग गयी. मैने उसकी दरार पर थोड़ा सा दबाव डाल और उंगली को उसकी चूत के सुराख पर रगड़ा. उसने उत्तेजना के वशीभूत एक दम पलटी खाई और मेरे ऊपेर आ गयी. उसका चेहरा तमतमा कर लाल टमाटर हो गया था. मैने उसके होंठ चूमे और उसको घुमा दिया और कहा के मेरे लंड को थोड़ा अपने मुँह में लेकर चूसे और मैं तब तक अपनी जीभ से उसकी चूत की तलाशी लेता हूँ.

अरषि ने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया पर केवल आधा लंड ही उसके मुँह में गया और आधा बाहर ही रह गया. पर उसने लंड के बेस पर अपने दोनो हाथ लगा दिए और मुँह को ऊपेर नीचे करने लगी. मैने उसकी चूत की दोनो फाँकें अलग कर के अपने जीभ उसमे घुसा दी और जीभ से धीरे धीरे चोदने लगा. एक उंगली से उसके भज्नासे को छेड़ना शुरू किया. उसकी ग..ओ..ओ..न, ग..ओ..ओ..न की आवाज़ें सुनकर मेरी उत्तेजना में भी थोड़ी वृद्धि हुई और मेरे लंड ने पूरी तरह अकड़ना शुरू कर दिया. फिर जब उसके चाटने और चूसने से मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया तो मैने उसको कहा के आ जाओ अब सीधी हो के लेट जाओ. वो मेरे नीचे लेट गयी और मैने अपने लंड को हाथ में लेकर उसकी चूत पर लगा के रगड़ना शुरू कर दिया. उसकी चूत की दोनो गुलाबी पंखुड़ीयाँ अलग हो गयीं और मैने अपने लंड को चूत में घुस्सा दिया. मेरे लंड का सुपरा ही अभी अंदर गया था और अरषि ने एक गहरी साँस ली. मैने कहा के क्या हुआ? वो बोली के करते जाओ बहुत मज़ा आ रहा है. मैने 5-6 हल्के-हल्के धक्के मारे और अपना लंड आधा अरषि की चूत में घुसा दिया. अरषि की यह दूसरी चुदाई थी. उसकी चूत बहुत टाइट थी और मेरा लंड उसमे बहुत फस कर घुस रहा था. चूत की कसावट ने मेरे लंड को और भी टाइट कर दिया और वो एकदम लोहे की रोड की तरह हो गया. मैने आधे लंड की 8-10 चोटें उसकी चूत पर मारी और अरषि की साँसें भारी हो गयीं और उत्तेजना में उसकी आँखें मूंदनी शुरू हो गयीं.

उसने बोलना आरंभ कर दिया के इतने दिन बाद चुद रही हूँ हाए राम इतना मज़ा आ रहा है. आप जल्दी जल्दी क्यों नही चोद्ते हो. चुदाई कामज़ा लिए बिना नही रहा जाता. मैने कहा के मेरी गुड़िया मैं भी चाहता हूँ के रोज़ तुमको चोदू पर तुम्हारा ख्याल रखना भी तो मेरा फ़र्ज़ है. अगर तुम्हारी चूत को ज़्यादा चोदा तो यह जो अभी इतनी टाइट है ना यह एकदम खुल्ली हो जाएगी और तुम्हारे पति को यकीन हो जाएगा के तुम पहले ही बहुत अच्छी तरह से चूड़ी हुई हो तो वो तुमको इतना प्यार नही करेगा. फिर मैने अपने धक्कों की रफ़्तार और लंबाई दोनो बढ़ानी शुरू की और थोरी देर में ही मेरा पूरा लंड बाहर आ रहा था टोपे को छ्चोड़कर और फिर अंदर जा रहा था. अरषि की चूत अब अच्छी तरह से पनिया गयी थी, इस लिए लंड को अंदर बाहर करने में इतनी कठिनाई नही हो रही थी. थोरी देर में ही अरषि की साँसें फूलने लगीं. उसने अपने मम्मे अपने हाथों से भींचने शुरू कर दिए और मैने महसूस किया के वो झड़ने ही वाली है तो मैने उसकी दोनो टाँगें उठा कर ऊपर कर दीं और उसके घुटनों के पास से उसकी जंघें पकड़ कर 8-10 करारे शॉट लगाए. फिर क्या था वो हा...., हा... करती हुई झाड़ गयी.

उसके शरीर ने 4-5 झटके खाए और वो आँखे मूंद के ढेर हो गयी. मैं कुछ सेकेंड रुकने के बाद बहुत धीरे धीरे प्यार से अपना लंड पूरा अंदर बाहर करता रहा. थोरी देर में अरषि ने अपनी मस्ती में लाल हुई आँखें खोलीं और बहुत धीरे से बोली के अभी और भी चोदोगे? मैने कहा के हाए मेरी जान अभी क्या है के तुमको बहुत दिन के बाद और उसपे इतना ज़्यादा तरसा के चोदना शुरू किया है तो इतने पर ही थोड़ा ना छोड़ दूँगा. अभी तो तुमको ढेर सारा मज़ा और देना है. और अभी तो मेरा लंड इतनी जल्दी झदेगा भी नही क्योंकि एक बार झड़ने के बाद जब ये दोबारा खड़ा होता है तो जल्दी नही झाड़ता. वो मुस्कुराई और बोली मेरी तरफ से तो कोई रोक नही है जितना जी चाहे चोदो मुझे तो मज़ा आ रहा है और यह मज़ा मैं कभी नही भूल सकूँगी.

कितना मज़ा आ रहा है? यह अदिति की आवाज़ थी वो बाथरूम से आ गयी थी और उसकी हालत भी अब ठीक थी और शायद दर्द भी ऑलमोस्ट ख़तम हो गया था इसीलिए चाहक रही थी. मैने कहा के अदिति आओ और अपनी बहन को वैसे ही उत्तेजित करो जैसे इसने तुमको किया था. वो बोली के अभी लो इसने बहुत इंतेज़ार किया है अब तो इसको भी मज़ा मिलना चाहिए. और वो लग गयी अरषि के मम्मे चूसने और दबाने में. साथ ही वो उसके शरीर पर भी हाथ फेरती जा रही थी. थोड़ी देर में ही अरषि की उत्तेजना बढ़ गयी और वो बोली तेज़ी से चोदो ना इतनी आहिस्ता क्यों कर रहे हो. मैने कहा के आपकी अग्या का इंतेज़ार था अब देखिए के कितनी तेज़ और ज़ोर से चोद्ता हूँ मेरी गुड़िया. फिर मैने अपनी रफ़्तार इतनी तेज़ करदी 15-20 धक्कों में के वो हर धक्के पर चिहुनक जाती और हमारे शरीर टकराने की आवाज़ कासंगीत भी कमरे में गूँज जाता. फिर मैने कहा के अदिति तुम अपनी चूत अरषि के मुँह पर रख कर चुस्वाओ और चटवाओ और अपने मम्मे मुझे दो चूसने और मसल्ने के लिए. अदिति ने तुरंत अपनी चूत अरषि के मुँह पर रख दी और वो चाटने लगी. मेरे सामने अदिति के मम्मे आ गये जिनको मैने पहले प्यार से सहलाना शुरू किया और फिर उनको दबाना और एक को दबाते हुए दूसरे को चूसना और चाटना शुरू कर दिया.

अब मेरी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी और उधर अरषि भी उत्तेजित हो चुकी थी. मैने अदिति का एक मम्मा चूस्ते हुए अपने दोनो हाथ अरषि की गांद के नीचे देकर उसको ऊँचा कर लिया और ज़ोर ज़ोर से थाप देने लगा. मुझे लगा के मैं बस झड़ने ही वाला हूँ. मैने अपनी रफ़्तार थोड़ी सी कम करदी. क्योंकि मैं अरषि के साथ ही झड़ना चाहता था, उस से पहले नही. 8-10 धक्कों के बाद ही अरषि का शरीर अकड़ने लगा और वो बोलने लगी के ह..आ.आ.न ऐसे ही करो ना थोड़ा और ज़ोर से तो मैने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और फिर तो अरषि को संभालना मुश्किल हो गया. वो बहुत ज़ोर से उच्छली और झड़ने लगी. साथ ही मैं भी उसकी चूत के झटके ना सह सका और झाड़ गया. मेरे लंड ने अपना गरम गरम लावा उसकी चूत में छोड़ दिया और फिर हम तीनों बेड पर ढेर हो गये. मैने देखा के अदिति भी अपनी चूत चाते जाने से और मेरे द्वारा मम्मे दबाए और चूसे जाने से एक बार और झाड़ गयी थी.

हम तीनो निढाल होकर बेड पर गिर गये और थोड़ी देर के बाद जब मेरी साँसें संयत हुई तो मैं बैठ गया और दोनो को अपने आजू बाजू ले लिया और अपने साथ चिपका के पूछा की बताओ कैसा रहा आज का चुदाई अभियान? दोनो हंस पड़ीं और एक साथ बोलीं के जी बहुत अच्छा. मैने कहा की अब जल्दी से कपड़े पहन लो और कंप्यूटर रूम में चलो कहीं किसी को कोई शॅक ना होने पाए. हम तीनों ने अपने अपने कपड़े पहने. फिर मैने ज़रूरी काम किया के अदिति को एक मसल रिलाक्सॅंट पेन किल्लर टॅबलेट खिला दी और दोनो को एक-एक गोली आंटी-प्रेग्नेन्सी की दे दी और कहा के सुबह नाश्ते के बाद खा लेना. अदिति के पूछने से पहले ही अरषि ने उसको समझा दिया के ये क्या गोली है और वो सर हिला के बोली अर्रे यह तो सोचा ही नही था. मैने हंसते हुए कहा के मैं हूँ ना सोचने के लिए. तुम तो मज़े लूटो और फिकर मत करो मैं कोई भी गड़बड़ नही होने दूँगा.

कंप्यूटर रूम में आते हुए मैने अरषि को बोला के उसने मुझे ट्रीट देने का प्रॉमिस किया था तो वो बोली के बिल्कुल किया था और मैं तुम्हें ट्रीट दूँगी भी पर आज नही फोन करके बता दूँगी के कब. मैने पूछा के क्या ट्रीट दोगि तो वो हंस के बोली के वो तो एक सर्प्राइज़ है, उसके लिए तो इंतेज़ार करना पड़ेगा. मैने कहा के ठीक है मेरी जान हम इंतेज़ार करेंगे तेरा कयामत तक तो वो हंसते हुए बोली के इतना लंबा इंतेज़ार भी नही करना पड़ेगा बस एक-दो दिन में ही फोन करके मुझे बता देगी.

हम कंप्यूटर रूम में आ गये और वहाँ पर थोड़ी देर रुकने के बाद वो दोनो चली गयीं और मैने उनकी रेकॉर्डिंग की डVड बर्न करके सेफ में रख दी और कम्यूटर से सब कुछ डेलीट करके बाहर आ गया और वापिस चल पड़ा. गेट पर राम सिंग को बोला के तुम्हारी दोनो बेटियाँ बहुत समझदार और तेज़ दिमाग़ हैं और बहुत जल्दी सब समझ लेती हैं ना टाइम खराब होता ना बार बार समझाने में दिमाग़. राम सिंग बोला साहिब आप इतने बड़े अध्यापक हैं तो आपका पढ़ाने का तरीका ही इतना अच्छा होता होगा के कोई भी दोबारा नही पूछ्ता होगा. मैं हंस पड़ा और वहाँ से चल दिया.

तीसरे दिन मैं अभी घर पहुँचा ही था के अरषि का फोन आया शायद कॉलेज से. मैने हेलो किया तो वो बोली के मैं अरषि बोल रही हूँ क्या आज आ सकते हो? मैने पूछा के अब क्या हो गया? तो वो बोली के तुम्हारी सर्प्राइज़ ट्रीट देनी है ना तो आ जाओ. मैने कहा के ठीक है मैं 45 मिनट में पहुँचता हूँ पर अब तो बता दो क्या ट्रीट देने वाली हो तो वो हंसते हुए बोली के सबर कीजिए श्रीमान और यहाँ चले आइए और अपनी ट्रीट लीजिए जो हम पर उधार है क्योंकि हम किसी का उधार नही रखते चाहते वो आप जैसा प्यारा दोस्त ही क्यों ना हो. मैने हंसते हुए ओके कहा और फोन काट दिया. मैने फटाफट ल्यूक किया और फार्म हाउस के लिए निकल पड़ा.

ठीक 45थ मिनट पर मेरी कार मैन डोर पर पहुँच चुकी थी. मैं कार से उतरा और अंदर आकर मैने डोर लॉक किया और अभी सोच ही रहा था के कंप्यूटर रूम में जाउ या बेडरूम में के मेरी नज़र कंप्यूटर रूम के डोर के नीचे से नज़र आ रही रोशनी की लकीर पर पड़ी और मैं उसी ओर चल पड़ा. कंप्यूटर रूम का दरवाज़ा खोला तो अंदर अरषि अकेली बैठी कंप्यूटर पर कुच्छ काम कर रही थी. मुझे देखकर वो तेज़ी से मेरी ओर आई और मुझसे लिपट गयी और शोखी से बोली की ट्रीट लेने की बहुत जल्दी है जो इतने टाइम पे आ गये हो. मैने कहा के जानेमन तुम्हारे बुलावे पर तो मैं हमेशा टाइम पे ही पहुँचता हूँ फिर आज तो स्पेशल इन्सेंटिव भी साथ में था उस से तो कोई इनकार है ही नही. अब बताओ के क्या ट्रीट देने वाली हो. उसने कहा के उधर कमरे में तुम्हारी ट्रीट बिल्कुल तैयार है आओ. और वो मुझे लेकर बेडरूम की ओर चल पड़ी. कप्यूटर रूम लॉक किया और बेडरूम खोल कर पहले वो अंदर गयी फिर मैं अंदर आया. अंदर आते हुए मैने देखा के बेडरूम तो बिल्कुल खाली है तो मैने कहा के ट्रीट कहाँ है और क्या है तो हँसती हुई बोली के अंदर तो आइए श्रीमान आपकी ट्रीट भी यहीं है और आप जान लीजिए के आपकी सबसे फॅवुरेट आइटम है और यह कहते हुए उसने मुझे दरवाज़े से हटाया और दरवाज़ा लॉक कर दिया.

उसके हट ते ही मैं चौंक गया. दरवाज़े के पीछे एक लड़की खड़ी थी, बहुत ही सुंदर गोल चेहरा, लंबी गर्दन, सुतवान नाक, पतले गुलाबी होंठ, 5'-5" लंबी, कंधे तक कटे हुए बॉल, प्रिंटेड सिल्क की खुले गले के कुरती टाइप टॉप और जीन्स में, जैसे कोई अप्सरा हो. मैं चौंक गया और उसको पूछा के यह कौन है और यह सब क्या है. वो बोली के यह है आपकी सर्प्राइज़ ट्रीट, आपकी सबसे फॅवुरेट, एक कुँवारी कन्या जो चाहती है के आप उसको प्यार से एक लड़की से औरत बना दें. जबसे इसको पता चला है की मैं लड़की से औरत बन चुकी हूँ, यह मेरे पीछे पड़ी है के प्लीज़ इसकी भी प्यास बुझवा दूं. इसलिए सविनय निवेदन है के इस कुँवारी कन्या, जिसका नाम है कणिका, को भी लड़की से औरत बनानेका शुभ कार्य शीघ्रा संपन्न करें.

मैं कणिका को देख रहा था और सोच रहा था के क्या करूँ. कोई गड़बड़ ना हो जाए. फिर मैने सोचा के चलो बात करते हैं फिर देखो क्या होता है. मैने उसको अपने पास बुलाया. वो मुस्कुराते हुए मेरे पास आकर खड़ी हो गयी. मैने उसको पूछा के क्या वो अपनी मर्ज़ी से यहाँ आई है. उसने कहा के हां. मैने कहा के क्या वो भी अरषि की तरह मेरी दोस्त बनाना चाहती है. उसने कहा के हां. मैने फिर उसको पूछा के वो और क्या चाहती है. उसने कहा के अरषि ने बता दो दिया है. मैने कहा के वो खुद बोले और बताए के वो क्या चाहती है. वो बोली के वो भी चाहती है के मैं उसको प्यार करूँ और उसके साथ वो सब करूँ जो अरषि के साथ किया है. मैने कहा के सॉफ सॉफ खुल कर बताओ. अब जब तुम मेरी दोस्त बन गयी हो तो शरमाओ नही और खुल कर सॉफ शब्दों में बताओ के क्या चाहती हो. वो शर्मा गयी और नज़रें झुका के खड़ी रही. अरषि ने आगे बढ़कर उसकी कमर में हाथ डाल कर कहा के शर्मा क्यों रही है बोल ना मेरे साथ भी तो बोलती है तो अब क्या है फिर उसके कान में कुच्छ कहा तो वो मुस्कुरा दी. क्या कातिल मुस्कान थी, मैं तो घायल ही हो गया. सीधी दिल में लगी. [/color]
 
[color=rgb(41,]मैने कहा के कणिका देखो अब जब हम दोस्त बन गये हैं तो शरमाना छोड़ो और खुल कर बात करो. बताओ के क्या क्या चाहती हो. वो बोली के मैं चाहती हूँ के मुझे भी अरषि की तरह प्यार से चुदाई का मज़ा दो और फिर से शर्मा के नज़रें झुका लीं. मैने नाटकिया अंदाज़ में कहा के हाए राम क्या अदा है शरमाने की. फिर मैं आगे हुआ और उसको अपनी बाहों में लेकर उसका चेहरा ऊपेर उठाया और कहा के मैं बहुत प्यार से अपना लंड तुम्हारी चूत में डालूँगा पर क्या है के तुम्हारी पहली बार है ना तो थोड़ा सा दर्द होगा पर मैं पूरा ध्यान रखूँगा और ज़्यादा दर्द नही होने दूँगा. उसके बाद तुम्हें बहुत मज़ा आएगा और अगली बार से तुम्हें दर्द भी नही होगा. और तुम मेरी दोस्त बन गयी हो तो मैं तुम्हारा पूरा ख़याल रखूँगा और जब भी तुम्हें कोई भी परेशानी या कोई भी ज़रूरत हो तो तुम बेजीझक मुझे कह सकती हो मैं तुम्हें कुच्छ नही होने दूँगा. वो बोली ठीक है मुझे मंज़ूर है आपकी बात और अब आप देर ना करो मुझे घर भी जाना है 5 बजे से पहले पहुँचना है. मैने घड़ी देखी 2-30 हुए थे, बहुत टाइम था. मैने कहा के चलो फिर अपने सारे कपड़े उतार दो जल्दी से और तैयार हो जाओ.

मैं अपने कपड़े उतारते हुए उन्हे देखने लगा. दोनो ने अपने कपड़े उतारे और अरषि के कहने पर उसने भी अरषि के साथ कपड़े सलीके से फोल्ड करके रख दिए. मैं उसका जिस्म देख कर बहुत खुश हुआ. वैसे यह उमर ही ऐसी होती है के 18-22 साल तक अगर थोड़ा सा भी ख़याल रखे तो लड़की का जिस्म बहुत शानदार रहता है. दोनो ने टॉप्स के नीचे कुच्छ नही पहना था. कणिका के मम्मे देख कर मेरी आँखें चौंधिया गयीं, ऐसे लग रहे तहे उसके मम्मे जैसे एक गोल नारियल आधा काटकर उसकी छाती पर चिपका दिया हो. बस इतना फ़र्क था के नारियलकाला होता है और यह गोरे थे और उनपर हल्के भूरे रंग के चूचकों पर मटर के छ्होटे दाने जैसे निपल ग़ज़ब ढा रहे थे. निपल पूरी तरह से कड़क हो चुके थे, शायद आगे जो होना है की सोच ने कणिका को उत्तेजित किया हुआ था.

मैने आगे बढ़कर उसके मम्मों को हाथों में लेकर हल्का सा दबाया पर वो दबाने में नही आए इतने टाइट और चिकने थे के मेरा हाथ फिसल गया और उसके निपल्स मेरी उंगलियों में फँस गये. मैने उनको ही हल्के से दबाया तो कणिका की सिसकारी निकल गयी. मैने कहा के कणिका तेरे ये मम्मे तो बहुत ज़बरदस्त हैं और तुम बहुत ही सुन्दर हो. वो मेरी आँखों में देख रही थी और मेरी बात सुनकर थोड़ा सा मुस्कुरा दी. मैने उसको अपने साथ चिपका लिया. एक तेज़ उत्तेजना की लहर दोनो के शरीर में दौड़ गयी. कणिका का शरीर था ही इतना मस्त. उसकी चूत भी कम नही थी. बिना बालों की चूत और फिर उसकी चिपकी हुई फाँकें, ऐसे लगा रहा था जैसे एक लकीर खींच दी हो. एक हाथ से मैने उसकी चूत को सहलाया और उंगली उसकी दरार में रगडी तो दोनो फाँकें थोड़ा सा अलग हुईं और मैने देखा की उसकी पंखुड़ियाँ लाली लिए हुए गुलाब की कलियों जैसी दिख रही थीं और उनपर कणिका की उत्तेजना से निकला पानी ओस की बूँदों की तरह चमक रहा था. मैने अरषि को भी इशारा किया और उसने हम दोनो को अपनी बाहों में भींच लिया. तुम क्यों परे खड़ी हो, हमारी मदद नही करोगी, मैने पूछा. वो बोली के क्यों नही पूरी मदद करूँगी पर मुझे क्या मिलेगा. मैने कहा के तुझे वही मिलेगा जो हमें मिलेगा, घबराती क्यों है? है चाहे मेरे उसूल के खिलाफ इतनी जल्दी किसी लड़की को दुबारा चोदना, पर आज की स्पेशल ट्रीट के बदले में तू डिज़र्व करती है के तुझे भी मज़ा दिया जाए.

कणिका को कुच्छ समझ नही आई हमारी बात तो मैने उसको बताया के देखो चुदाई ज़्यादा करने से चूत थोड़ी ढीली पड़ जाती है और आगे चलकर तुम्हारी शादी होनी है और तुम्हारा पति जब तुम्हारे साथ सुहागरात मनाएगा तो उसको तुम्हारी चूत में लंड डालने से पता लग जाएगा के तुम बहुत ज़्यादा चुदाई करवा चुकी हो. इसलिए मैं अपनी क़िस्सी भी दोस्त लड़की को महीने में एक बार से ज़्यादा नही चोदता हूँ. और अरषि को अभी 3 दिन पहले ही चोदा है और आज फिर चोदना है, इसीलिए कहा. वो सर हिला के बोली यह सब मैं नही जानती अब तुम ही बताना कि क्या और कैसे करना है, मैं वैसे ही करूँगी. मैने कहा के बहुत अच्छी बात है.

फिर मैं उन दोनो को बेड पर ले के आया और शुरू हो गया वही चिर परिचित खेल जिस्मों का, स्पर्श का, स्पर्श के सुख का, स्पर्श सच से उत्पन्न होने वाली उत्तेजना का, और उत्तेजना से भरे दिलों की तेज़ होती धड़कानों का. कहाँ तक कहूँ वो सब बातें, बस इतना ही कह सकता हूँ के हर बार यह स्पर्श सुख एक नयी ऊर्जा को जन्मा देता था और एक कुँवारी लड़की औरत बन जाती थी अपनी चूत को मेरे लंड की भेंट चढ़ाकर. अभी कुच्छ देर में यही होने वाला था. मेरी और अरषि की मिली जुली मेहनत से कणिका बहुत जल्दी उत्तेजित हो गयी और आहें भरने लगी. मैने अरषि को इशारा किया के वो उसके मम्मों से खेलती रहे और मैं उठकर उसकी टाँगों के बीच में आ गया. उसकी टाँगें उठाकर मैने अपने कंधों पर रख लीं और उसकी बिना बालों वाली छूत पर अपना मुँह चिपका के चूसने लगा. एक हाथ उसकी गांद की गोलाईयों को सहला रहा था और दूसरे हाथ का अंगूठा उसके भज्नासे पर दस्तक दे रहा था. कणिका की साँसें अटाकनी शुरू हो गयीं. उत्तेजना के मारे वो बोल भी नही पा रही थी. आ..आ..आ..न, उ..उ..उ..न ही कर रही थी. मैने अपनी जीभ कड़ी कर के उसकी चूत में डाल दी और जीभ से ही उसे चोदने लगा. थोड़ी ही देर में वो ज़ोर से उच्छली और झाड़ गयी. मैने उसकी टाँगें नीचे की और उसकी बगल में लेट कर उसको बाहों में कस लिया. वो भी मुझसे लिपट गयी और बोली ऐसे ही इतना मज़ा आया है जब मुझे चोदोगे तो कितना मज़ा आएगा? मैने कहा के इस मज़े से भी बहुत ज़्यादा मज़ा आएगा, तुम बस देखती रहो.

मैं और अरषि शुरू हो गये कणिका को उत्तेजित करने में और कुच्छ ही देर में हमारी मेहनत रंग लाई और कणिका की साँसें भारी हो गयीं और आँखें आधी मूंद गयीं. अरषि उसका एक मम्मा अपने मुँह में भर के चुभला रही थी और दूसरे को अपने हाथ से सहला रही थी और मैं कणिका को प्यार से चूम रहा था और उसके बदन पर अपना हाथ बहुत कोमलता से चला रहा था. फिर मैं थोड़ा नीचे आया और उसके पेट पर छ्होटे छोटे चुंबन देने लगा और उसके बाद मैने उसकी नाभि पर अपना मुँह रख दिया और जीभ की नोक से उसकी नाभि को चाटने लगा. अब जो उसकी उत्तेजना बढ़ी तो वो बोल उठी के जल्द चोदो ना मुझे मैं देखना चाहती हूँ की चुदाई का मज़ा क्या होता है. मैने कहा के अभी लो मेरी जान.

मैं उसकी टाँगों के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी गीली चूत के मुँह पर रख दिया. गीली होने के बाद भी इतनी गरम थी उसकी चूत जैसे भट्टी हो और मेरा लंड अंदर जाते ही भून देगी. मैने क्रीम की ट्यूब उठाकर उसकी चूत पर क्रीम लगाई और उंगली से थोड़ी अंदर भी कर दी. साथ ही मैने अपने लंड के सुपारे पर भी क्रीम अच्छी तरह से लगा दी और फिर से अपना लंड हाथ में लेकर उसकी चूत के मुहाने पर रगड़ते हुए दबाव डाला. लंड तो इतनी देर से आकड़ा हुआ था के दबाव डालते ही झट से सुपरा कणिका की चूत में घुस गया और कणिका के मुँह से एक लंबी आ....आ....ह निकली, मैने उसको पूछा के क्या हुआ? वो बोली के कुच्छ नही बड़ा गरम और टाइट लग रहा है. मैने कहा के कोई बात नही, डरो नही और हिम्मत रखना क्योंकि अब मैं लंड को अंदर घुसाने जा रहा हूँ और तुम्हे थोड़ा दर्द होगा और फिर जब दर्द कम हो जाएगा तब मैं चुदाई शुरू करूँगा. यह दर्द तुम सह लोगि तो तुमको मज़ा आना शुरू होगा और आज के बाद तुम्हें कभी ऐसा दर्द नही होगा. वो बोली के ठीक है मैं यह दर्द सह लूँगी.

इतना सुनते ही मैने एक ज़ोरदार लेकिन छ्होटा धक्का मारा और मेरा लंड उसकी चूत में आधे से थोड़ा ज़्यादा घुस गया उसकी चूत को फाड़ कर. वो बहुत ज़ोर से नही चीख सकी क्योंकि अरषि ने उसके मुँह पर अपना मुँह लगा दिया था और उसको किस कर रही थी. मैने उसकी जंघें पकड़ कर उसको हिलने भी नही दिया. उसकी आँखों से आँसू बहने लगे. मैने कहा के बस हो गया थोड़ा सा लंड बाहर है और वो मैं इतनी आहिस्ता आहिस्ता अंदर घुसा दूँगा के तुम्हें पता भी नही चलेगा. अब मैं आगे तभी चलूँगा जब तुम्हारा दर्द कम हो जाएगा. मैने उसकी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया और साथ ही उसके भज्नसे को भी प्यार से रगड़ना शुरू किया. थोड़ी सी देर में कणिका के चेहरे के भाव बदलने शुरू हो गये तो मैने पूछा के क्यों कणिका अब दर्द कम हो गया है ना? उसने कहा के कम तो हो गया है पर हुआ बहुत था. मैने उसको पचकारा कि होता है लेकिन अब आगे से तुमको कभी दर्द नही होगा. वो बोली के ठीक है. मैने आधा इंच लंड बाहर निकाला और बड़े प्यार से उसको अंदर घुसा दिया लेकिन अंदर घुसाया पौना इंच. इसी तरह आधा इंच बाहर निकालने के बाद पौना इंच अंदर घुसाते हुए मैने 10-15 धक्कों में अपना लंड पूरा का पूरा कणिका की चूत में घुसा दिया. आख़िरी धक्के से जब लंड उसकी बछेदानि के मुँह से टकराया तो उसको गुदगुदाहट सी हुई और वो मुस्कुरा दी. मैने कहा के मज़ा आना शुरू हुआ के नही? वो बोली के ज़्यादा तो नही पर अब अच्छा लग रह है करते रहो. मैने कहा के ठीक है. बहुत प्यार से लंड को अंदर बाहर करते हुए मैने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ानी शुरू की.

कणिका ने भी अपनी गांद उठाकर मेरा साथ देना शुरू कर दिया तो मैने अरषि से कहा की वो अपनी चूत कणिका के मुँह पर रख्दे और कणिका को बोला के अरषि की चूत को अपने जीभ से वैसे ही चोदे जैसे मैने उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदा था. जैसे ही अरषि ने अपनी चूत कणिका के मुँह पर रखी कणिका ने उसकी चूत को पहले चटा और फिर अपनी जीभ उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगी. मैने उसकामम्मा अपने मुँह में भर लिया और प्यार से चूसने लगा और दूसरे मम्मे को अपने हाथ में लेकर कभी सहलाता, कभी दबाता तो कभी उसके निपल को प्यार से मसल देता. अब दोनो बहुत तेज़ी से अपने चरम की ओर बढ़ रही थी. कणिका की आवाज़ें आनी शुरू हो गयीं, ह..ओ..ओ..न, ह..ओ..ओ..न, ग..ओ..ओ..न और मैने अपने गति और बढ़ा दी साथ ही अपना लंड भी पूरा बाहर निकाल कर अंदर घुसाने लगा.

उधर अरषि आज जल्दी झाड़ गयी और निढाल होकर लेट गयी पर एक समझ दारी उसने क़ी और वो यह कि उसने कणिका के मम्मे दबाने शुरू कर दिए और उसके निपल भी मसल्ने लगी. मैने अपने दोनो हाथ कणिका की पुष्ट गांद के नीचे करके दोनो गोलाईयों को अपने हाथों में मज़बूती से पकड़ लिया और थोड़ा सा ऊपेर उठाकर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा. मेरा लंड अब एक पिस्टन की तरह कणिका की चूत में अंदर बाहर हो रहा था और उसका चेहरा बता रहा था के वो असीम आनंद में डूबी हुई है. मुझे भी अत्यधिक मज़ा आ रहा था जैसा हर बार किसी कुँवारी लड़की की पहली चुदाई में आता है. कसी हुई चूत की मेरे लंड पे इतनी ज़बरदस्त पकड़ थी के अगर क्रीम और कणिका के स्राव की मिली जुली चिकनाई ना होती तो मुझे अपना लंड अंदर बाहर करना मुश्किल हो जाता. उसकी चूत लगातार हल्का हल्का पानी छ्चोड़ रही थी जिसके कारण मुझे उसको चोदने में कोई परेशानी नही हो रही थी बल्कि बहुत ही मज़ा आ रहा था. तभी कणिका के शरीर ने एक ज़ोरदार झटका खाया और वो ज़ोर से कांप उठी. साथ ही उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया. वो झाड़ गयी और मैं भी उसके बाद 8-10 धक्के मार के झाड़ गया. जैसे ही मेरे वीर्य की गरम बौच्चरें उसकी चूत में पड़ीं वो एक बार फिर झाड़ गयी. मैं अपने लंड को पूरा चूत के अंदर घुसा के उसके ऊपेर ही लेट गया. थोड़ी देर में मैं उसकी साइड में आ गया और उसको अपनी बाहों में भींच कर पूछा, कैसी लगी पहली चुदाई?

वो मुझे अपनी अधकुली आँखों से देखते हुए बोली के फॅंटॅस्टिक. इतना मज़ा आया जिसकी मैने कल्पना भी नही की थी. अरषि ने मुझे बताया तो था के बहुत ज़्यादा मज़ा आता है, पर इतना ज़्यादा मज़ा आता है मैं सोच भी नही सकती थी पर अब जान गयी हूँ.
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[color=rgb(41,]मैने दोनो के बीच में आकर दोनो को अपने साथ चिपका लिया. दोनो मुझे बहुत प्यार से मस्ती भरी आँखों से मुझे देख रही थी. मैने अरषि से कहा के मेरी जान अब आगे की तैयारी करो. वो उठी और बाथरूम में चली गयी हॉट वॉटर ट्रीटमेंट के तैयारी करने और मैने कणिका को कहा के देखो मज़ा तो लेती रहो पर इसमे इतना ज़्यादा ध्यान मत देना कि पढ़ाई में ध्यान ना रहे. क्योंकि अभी तो तुम्हारी पहली ज़रूरत पढ़ाई है और ये मज़े तो आते रहेंगे. अब तुमने जान लिया है की यह मज़ा क्या है तो यही याद रखना के जैसे भूख लगने पर खाना खाते हैं लेकिन खाते उतना ही हैं के पेट भर जाए. ज़्यादा खाने से पेट खराब हो जाता है. वैसे ही बहुत ज़्यादा मज़े करने से पढ़ाई नही हो पाती और नुकसान हो जाता है. इस बात का ध्यान रखना और पढ़ाई के बाद ही इसके बारे में सोचना. वो बोली के ठीक है मैं पूरा ध्यान रखूँगी के पढ़ाई का कोई नुकसान ना हो.

अरषि ने कहा के सब तैयार है. मैने कणिका को उठाया और कहा के आओ बाथरूम में चलें. कणिका ने खड़े होने की कोशिश की पर उसकी टाँगों ने उसका साथ नही दिया. मैने उसको उठा लिया और लेकर बाथरूम में आ गया और उसे गरम पानी के टब में बिठा दिया. टाँगें बाहर लटका दीं और हाथ से उसकी चूत को सहलाना शुरू किया ताकि उसकी चूत की सिकाई हो जाए और उसको कुच्छ आराम मिले. फिर मैने उसको किस करके उसके मम्मे भी सहलाए और कहा के अपनी चूत की सिकाई तब तक होने दो जब तक यह पानी ठंडा नही हो जाता और तब तक मैं ज़रा अरषि की गर्मी झाड़ दूं. वो मुस्कुराई और बोली के ठीक है.

बेडरूम में वापिस आकर मैने अरषि को अपने साथ चिपका लिया अपनी ओर पीठ करके और उसके मम्मे सहलाने लगा. उसके मम्मों से मेरा दिल भरता ही नही था. फिर मैने उससे पूछा के अरषि एक बात कहूँ? वो बोली के कहो. तो मैने कहा के अभी परसों तुम्हारी डबल चुदाई की है अगर आज दूसरी तरहा करें तो ठीक नही रहेगा? वो बोली के जैसे ठीक समझो. मैं उसको उसी पोज़िशन में उठा के बेड पर आ गया और उसको नीचे कर दिया. अब वो उल्टी हो कर बेड पे लेटी हुई थी. मैं उसके ऊपेर लेट गया अपनी कोहनियों पर अपना भार डाल के और नीचे से उसके मम्मे पकड़ के सहलाने लगा. उसकी साँसें तेज़ होने लगीं तो मैने उसको सीधा लिटा दिया और उसके एक मम्मे को मुँह में भर के चुभलने लगा और दूजे को हाथ से प्यार से मसल्ने लगा. वो मस्ती में उच्छलने लगी और बोली के हाए राम मुझे तो इसमे ही इतना मज़ा आ रहा है. फिर मैने उसको अपनी गोद में बिठा लिया और उसका एक हाथ अपने गर्देन के पीछे से अपने कंधे पर रख दिया और उसके मम्मे को मुँह में ले लिया. मेरा एक हाथ उसके दूसरे मम्मे पर था और दूसरे हाथ से मैने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. अपनी बीच की उंगली उसकी चूत की दरार पर फेरते हुए मैने थोड़ी सी उसकी चूत में घुसा दी और अंगूठे से उसके भज्नासे को रगड़ने लगा. वो ह..आ..आ..न, ह..आ..आ..न, आ..ई..स..ए ह..ई क..आ..र..ऊऊऊऊ. थोड़ी देर में ही वो झाड़ गयी और मैने उसको घुमा के अपने सीने में दबा लिया. वो भी मुझसे चिपक गयी और थोड़ा संयत होने के बाद बोली के तुम तो पूरे जादूगर हो ज़रा सी देर में इतना मज़ा दे दिया है के पूच्छो मत. मैने कहा के चुदाई के अलावा भी बहुत सारे तरीके हैं मज़ा लेने और देने के.

थोरी देर में ही कणिका भी उठकर बाहर आ गयी और बोली के अब तो बहुत ठीक लग रहा है पर अभी भी पूरी तरह आराम नही आया. मैने कहा के अभी आ जाएगा और उसको एक मसल रिलाक्सॅंट पेन किल्लर टॅबलेट खिला दी. मैं और अरषि बाथरूम में गये और एक गीले टवल से अपने को सॉफ कर के बाहर आ गये. फिर हमने कपड़े पहने और मैं उनको लेकर कंप्यूटर रूम में आ गया. कणिका को मैने आंटी प्रेग्नेन्सी टॅबलेट भी दी और कहा के इसको कल सुबह नाश्ते के बाद खा ले. उसके कुच्छ भी बोलने से पहले ही अरषि ने उसको समझा दिया के यह क्या है और क्यों ज़रूरी है. कणिका ने प्रशंसा भरी नज़रों से मुझे देखा और मुस्कुरा दी. थोड़ी देर के बाद मैने कणिका को पूछा की अब कैसा लग रहा है? वो बोली के ठीक ही हूँ अब तो. मैने कहा के घर पहुँचते तक बिल्कुल ठीक हो जाओगी और कुच्छ पता नही लगेगा किसी को. वो हंस दी. मैने कहा के तुम्हें अपना आप बदला हुआ लग रहा है. कोई और देखे तो उसको कुच्छ नही पता लगेगा. पर तुम्हे बिल्कुल नॉर्मल रहना है जैसे पहले रहती थी. अगर तुम नॉर्मल नही रहोगी तो क़िस्सी को शक हो सकता है. वो बोली के ठीक है मैं बिल्कुल वैसे ही बिहेव करूँगी जैसे हमेशा करती हूँ. फिर वो दोनो चली गयीं.

मैने आज की रेकॉर्डिंग की डVड बर्न करके लॉकर में रखी और कंप्यूटर से डेलीट करके बाहर आ गया. गेट पर राम सिंग से हमेशा की तरह दो बातें करके मैं घर आ गया.

वो पेरेंट टीचर मीटिंग का दिन था और स्कूल में क्लासस नही हो रही थीं. पेरेंट्स आकर टीचर्स से मिलकर अपने बच्चो के बारे मे बात करके जा रहे थे. पीयान ने अंदर आकर मुझे कहा के कोई नीरू मेडम आपसे मिलना चाहती हैं और उनके साथ उनकी बेटी भी है जो हमारे स्कूल की 12थ की स्टूडेंट है. मैने कहा के अंदर भेज दो. नीरू अंदर आई और उसके पीछे उसकी बेटी भी थी जिसका नाम था आँचल. मैं नीरू को देखता ही रह गया. वो हंसते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाकर मेरी ओर आई और बोली क्यों पहचाना नही क्या या भूल ही गये हो हमको? मैने खड़े होकर उसका हाथ पकड़ा और हंसते हुए बोला के तुम्हे कोई भूल सकता है भला, मैं तो यह सोच रहा था के क्या हम इतने बड़े हो गये हैं या हमारे बच्चे बड़े हो गये हैं? वो भी हंस दी और बोली के कुच्छ भी कह लो बच्चे तो बड़े हो ही गये हैं. और यही बताने मैं आई हूँ के मेरी बेटी का18थ बर्तडे है और पार्टी में तुमको ज़रूर आना है मैं कोई बहाना नही सुनूँगी आंड दट ईज़ फाइनल. मैने कहा के ठीक है अब तुम इतना ज़ोर देकर कह रही हो तो आ जाएँगे पर यह तो बताओ के कब और कहाँ? वो बोली के सॅटर्डे ईव्निंग 7-30 शार्प मेरे घर पे आना है और कहाँ? हां हो सके तो तोड़ा जल्दी आने की कोशिश करना तुमसे कुच्छ बात भी करनी है मुझे. मैने कहा के ठीक है मैं कोशिश करूँगा के 7 बजे ही पहुँच जाऊँगा. फिर वो बाइ करके चली गयी. उसके जाने के बाद मैने घड़ी देखी, छुट्टी का टाइम हो गया था तो मैने भी अपना समान समेटा और चलने को तैयार हो गया. इतने में बेल भी हो गयी और मैं उठकर बाहर आ गया.

घर पहुँच कर मैने खाना खाया और अपने कमरे में आराम करने के लिए लेट गया. रह रह कर मन में एक ख़याल आ रहा था के नीरू को मुझसे क्या बात करनी हो सकती है और वो भी इतने सालों के बाद. सोचते हुए मैं पुरानी यादों में खो गया, अपने कॉलेज के दिन याद आ गये, जब नीरू ने पहली बार मुझसे बात की थी. हालाँकि वो हमारे स्कूल में ही पढ़ी थी पर वो मुझसे 3 साल जूनियर थी. जी हां में कॉलेज में M.एससी. 1स्ट्रीट एअर में था जब हम एक दूसरे के बहुत करीब आ गये थे. उसका यह कॉलेज का 1स्ट्रीट एअर था.

हुआ यूँ के एक दिन मैं कॉलेज पहुँचा ही था और मैन गेट से अंदर जा रहा था के सामने से 4-5 लड़कियाँ आती दिखाई पड़ीं. उनमें दो लड़कियाँ मेरी क्लास की ही थीं तो मैने उनको पूछा के क्या बात है क्लास में नही जाना? वो बोलीं के नही हम सब घूमने जा रही हैं क्लासस बंक करके. मैने कंधे उच्काये और आगे बढ़ने लगा. उनमें से एक लड़की ने मुझे रोक कर पूछा के क्या बात है मुझे जानते नही या पहचाना नही? मैने देखा के वो नीरू थी.

मैने उसको पूछा तुम नीरू हो ना तुम यहाँ क्या कर रही हो? वो बोली के यह मेरी कज़िन्स हैं और मेरे ही बुलाने पर यह मेरे साथ घूमने जा रही हैं. मैने ऐसे ही पूछा के तुम कौन्से कॉलेज में हो. तो वो बोली के मिरंडा में. मैने कहा के बढ़िया है मिलती रहा करो. वो बोली के अब तो मिलते ही रहेंगे क्योंकि हम कोंसिंस का आपस में बहुत प्यार है और मैं आती रहूंगी इनको मिलने तो तुमसे भी कभी कभी मुलाकात हो ही जाएगी. मैने फिर चुटकी ली के कभी कभी क्यों हर बार क्यों नही. वो हंस के बोली ठीक है बाबा जब भी आऊँगी पहले तुमको मिलूँगी फिर इनको. मैने भी हंस कर कह दिया के यह हुई ना बात. फिर वो चली गयीं.

मैं उनको जाते हुए देखता ही रह गया और सोचने लगा के यह नीरू को क्या हो गया है स्कूल में तो कभी मेरी ओर देखती भी नही थी और आज कैसे खुल कर बातें कर रही थी जैसे बहुत पुरानी दोस्ती हो. फिर मैने सोचा के छ्चोड़ो लड़की सुंदर है, बात कर रही है तो अच्छा ही है. कुच्छ दिन बाद मैं कॉलेज से निकल रहा था तो नीरू बाहर ही मिल गयी और कहने लगी के मैं वेट ही कर रही थी तुम सब की. मैने कहा के सब कौन मैं तो अकेला ही हूँ. वो बोली के अभी मेरी कज़िन्स भी आ रही हैं, उनकी भी तो क्लासस ख़तम हो गयी हैं ना. मैने उसको बताया के वो डीप डिस्कशन में बिज़ी हैं फ्रेंड्स के साथ, 5-7 मिनट लग सकते हैं उनको आने में.

वो बड़ी प्यारी स्माइल देके बोली के कोई बात नही इसी बहाने तुम से बातें कर लूँगी, नही तो तुम कहाँ हमसे बात करते हो. मैने कहा मैं तो स्कूल में भी तुमसे बात करना चाहता था पर तुम कभी मेरी तरफ देखती भी नही थी और ऐसे बिहेव करती थी जैसे मैं हूँ ही नही. वो बोली के तब मैं तुमसे डरती थी के प्रिन्सिपल का बेटा है इतनी लड़कियाँ इसकी दोस्त हैं और मुझसे सीनियर है, मैं किस गिनती में आती हूँ. मैने कहा के नही ऐसी तो कोई भी बात नही थी तुमको ऐसा क्यों लगा मैं नही जानता, मैने कभी ऐसा बिहेव भी नही किया. कभी कोई आटिट्यूड भी नही दिखाया किसी को. वो बोली हां लेकिन पता नही क्यों मुझे तुमसे डर ही लगता था और मैं जानबूझ कर तुम्हारे सामने भी नही आती थी. पर चलो कोई बात नही और शोखी से बोली के अब कसर निकाल लेंगे. मैने कहा के वो कैसे? वो हंस दी और बोली की यह क्या क्वेस्चन अवर शुरू कर दिया है? यह बताओ के मुझे पिक्चर कब दिखा रहे हो? और हां ना नही बोलना, अगर दिखानी नही है तो टाइम बोलो मैं दिखा दूँगी. मैने कहा के जब कहो तब दिखा दूँगा और तुम क्यों दिखओगि मैं ही दिखा दूँगा जो भी कहोगी वो दिखा दूँगा तुम बोलो तो सही. वो बोली के ऐसे चॅलेंज ना करो मुश्किल में पड़ जाओगे. अब बात इज़्ज़त की बन गयी थी तो मैने कहा के तुम आवाज़ करो और फिर देखो. वो बोली के ठीक है बॉब्बी का प्रिमियर शो दिखा सकते हो तो दिखा दो. मैने भी जोश में कह दिया के ठीक है तैयार रहना ये ना हो के बाद में कहो के ईव्निंग शो है मैं नही जा सकती मैं तो ऐसे ही मज़ाक कर रही थी.

वो हंस दी और हाथ आगे बढ़के बोली नही पक्का प्रॉमिस, मैं हर हाल में चालूंगी. मैने भी उसका हाथ पकड़ के हल्के से दबाया और कहा ठीक है फिर मिलते हैं. वो बोली के हां ठीक है. तब तक उसकी कज़िन्स भी आ गयीं और वो सब बाइ बाइ करती हुई चली गयीं. अब मुझे प्रिमियर शो की 2 टिकेट्स का इंटेज़ाम करना था और यह कोई मामूली काम नही था.

मैं सोचता रहा फिर याद आया के मेरे एक स्कूल के दोस्त का फॅमिली बिज़्नेस है फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन का और वो काई फिल्म्स फाइनान्स भी कर चुके हैं. वो शायद मेरी हेल्प कर सके. मैने तुरंत उसको फोन किया तो वो बोला की राज शर्मा जी आज कैसे याद आ गयी हमारी? मैने उसको कहा के दोस्त एक बहुत ज़रूरी काम है और वो तुम्हारे सिवा कोई नही कर सकता. वो बोला चलो काम से ही सही पर याद तो आई. बोलो क्या काम है. अगर मेरे से हो सका तो ज़रूर कर दूँगा. मैने उसको कहा के देख यार हो सका तो नही ज़रूर करना है यह काम, तुम मेरी आखरी उम्मीद हो. वो बोला ऐसी क्या बात है यार तुम बताओ तो सही. मैने उसको कहा के यार बॉब्बी के प्रिमियर की 2 टिकेट्स चाहियें और मैं प्रॉमिस कर चुक्का हूँ, अगर नही मिली तो मेरी बहुत इन्सल्ट हो जाएगी. वो बोला के हमारे होते हुए तुम्हारी इन्सल्ट कौन कर सकता है? समझ लो कि तुम्हारा काम हो गया. मैने कहा के सच? वो बोला दोस्त तेरा यार उस फिल्म का डिसट्रिब्युटर है और अगर तेरा यह काम ही नही कर सका तो क्या फायडा. मैं सुनकर खुश हो गया और उसको बोला की यार तूने तो मेरी सारी मुश्किल हल कर दी. उसने कहा के शाम तक मेरे पास टिकेट्स भिजवा देगा और फोन रख दिया.

मैने एक ठंडी साँस भरी और भगवान को धन्यवाद किया. शाम को एक पीयान टाइप का आदमी आया जो मुझे पूछ रहा था. नौकर ने आ कर मुझे बताया और मैं उसके पास आया और पूछा के क्या बात है. उसने एक छ्होटा सा लिफ़ाफ़ा मेरी तरफ बढ़ा दिया और मैं देखते ही समझ गया के इसमे टिकेट्स हैं. मैने उसको टिप देनी चाही तो वो बोला के नही सर मैं नही ले सकता. मैने ज़बरदस्ती उसकी जेब में पैसे डाले और कहा के कोई बात नही रख लो. वो चला गया. मैने जल्दी से अंदर आकर लिफ़ाफ़ा खोला तो देखा उसमे एक कॉंप्लिमेंटरी पास फॉर टू था बॉब्बी के प्रिमियर शो का आज़ स्पेशल इन्वाइटी. मैं तो हैरान रह गया. मैने अपने दोस्त को फोन किया और पूछा के यह क्या है तो वो बोला यार आम खाओ गुठलियाँ मत गिनो. तुमने हमें इतनी ऐश करवाई है आज मैं तुम्हारे लिए इतना भी नही कर सकता क्या? मैं चुप रह गया. फिर उसने बताया कि वो भी वहीं होगा और हमें प्रिमियर के फंक्षन में भी शामिल करवाएगा और फिल्मी लोगों से भी मिलवा देगा. मैने कहा के ठीक है भाई तुमने तो मुझे थॅंक यू कहने लायक भी नही छोड़ा. वो बोला के कहना भी मत, अपना ही डाइलॉग याद कर लो के दोस्ती में थॅंक यू और सॉरी नही होता. मैने कहा के हां याद है इसीलिए तो कहा है. फिर वो बोला के आ जाना टाइम पे नही तो मैन गेट्स लॉक कर दिए जाएँगे और फिर फिल्मी लोगों के जाने के बाद ही खुलेंगे. मैने कहा के ठीक है दोस्त और फोन रख दिया.

अब मैं बहुत खुश था और मुझे इंतेज़ार था प्रिमियर शो का और नीरू को वहाँ लेजाकार अचंभित करने का. फिर वो दिन भी आ गया. मैने नीरू को फोन किया और पूछा के उसको कहाँ से पिक करना है? वो बोली के घर से और कहाँ से? मैने कहा अच्छी तरह सज धज के तैयार हो जाए. वो बोली के ऐसा क्या एक पिक्चर देखने ही तो जाना है तो मैने कहा के मत भूलो के ये प्रिमियर शो है इसलिए क्या पता फिल्मी लोगों से मिलने का मौका भी मिल जाए तो क्या ऑर्डिनरी कपड़ों में उनको मिलेंगे. वो हंस दी और बोली के अपनी ऐसी किस्मेत कहाँ. मैने कहा के देखो कोई पता नही होता के कब क्या हो जाए. वो बोली के चलो ठीक है बहुत ज़्यादा तो नही फिर भी वो अच्छे से तैयार हो जाएगी.

मैं टाइम से पहले ही तैयार होकर घर से निकल पड़ा कार लेकर. नीरू भी तैयार मिली और हम टाइम से 10 मिनट पहले ही पहुँच गये. वहाँ पहुँच कर नीरू हैरान रह गयी, इतनी सारी भीड़ देखकर. वो बोली की हाए राम इतनी भीड़ हम कैसे अंदर जाएँगे और कार कहाँ पार्क करेंगे? मैने कहा के चिंता ना करो मैं हूँ ना तुम्हारे साथ. मैने कार का हॉर्न बजाकर थोड़ा रास्ता बनाया और कार आगे को बढ़ा दी. आगे सेक्यूरिटी गार्ड ने हमें हाथ देकर रोका तो मैने शीशा नीचे करके उसको स्पेशल इन्वाइटी का कार्ड दिखाया तो एकदम अटेन्षन मुद्रा में सल्यूट करके बोला आप सीधे अंदर ले जाएँ गाड़ी को और अंदर ही पार्क कर दें. मैं कार अंदर ले गया और आगे एक और सेक्यूरिटी गार्ड मिला उसने हमें रोका और बड़े अदब से उतरने को कहा. हम दोनो उतरे और उसने कार की चाबी मेरे से ले लीं और एक टोकन मुझे थमा दिया और बोला के साहिब मैं कार पार्क कर दूँगा आप वापिस आके टोकन दे के अपनी कार ले जा सकते हैं. फिर उसने हमें कहा के आप लिफ्ट से सीधे ऊपेर चले जायें यह ऊपेर स्पेशल इन्वाइटी एरिया में ही रुकेगी. नीरू यह सब देखकर हैरान हो रही थी. [/color]
 
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