[color=rgb(41,]मैने उसको कहा के देखो मुझे इन सबका एक्सपीरियेन्स है और मेरा कहना मान कर चलॉगी तो तुम्हे बहुत मज़ा भी आएगा और मुझे भी. उसने हां भरी और बोली के जैसा मैं कहूँगा वो वैसा ही करेगी. तो मैने कहा की उठो और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ. वो शर्मा गयी और बोली के आप ऐसे क्यों बोलते हैं. मैने कहा के ऐसे बोलने में ही तो मज़ा आता है, क्या तुम्हें नही आता. वो बोली के आता तो है पर अजीब भी लगता है. मैने कहा के धीरे-धीरे आदत हो जाएगी फिर अजीब नही लगेगा और ऐसे कोई सबके सामने थोड़ा ही बोलना है सबके सामने तो इतने फॉर्मल हो जाना है के किसी को कोई भी शक ना हो सके. वो बोली की ठीक है और इसके साथ ही खड़े होकर अपने कपड़ों को उतारना शुरू कर दिया. और जैसे-जैसे उसका एक-एक अंग मेरी आँखों के सामने आ रहा था मेरी हालत बड़ी अजीब सी होती जा रही थी. मैं अभी थोड़ी देर पहले ही 2-2 लड़कियों की पूर्ण चुदाई करके हटा था, जिनमें एक कुँवारी थी और उसकी सील मैने तोड़ी थी. फिर भी इस लड़कीका जिस्म सामने आते ही मेरे अंदर जैसे एक नयी ऊर्जा का संचार हो रहा था और मेरा लंड मेरे अंडरवेर में एक मादक अंगड़ाई लेकर पूरा कड़क तैयार हो चुक्का था.
क्या शानदार जिस्म था अरषि का. छ्होटे-छ्होटे सेब के आकार के मम्मे, उनपर अठन्नी के साइज़ के चूचक और उनपर भाले की नोक जैसे कड़क निपल ग़ज़ब ढा रहे थे. उसके निपल उसके मम्मों के अनुपात से कुच्छ बड़े लग रहे थे.अपनी टी-शर्ट उतार कर जैसे ही उसने अपने हाथ नीचे किए मैने उसे रोक दिया और कहा के रूको पहले मुझे अपनी आँखों की प्यास बुझा लेने दो. उसस्की आँखों में असमंजस के भाव उभरे. मैने उसको बताया के छ्छूना, देखना, चूमना, और चोदना सब मज़ा लेने के तरीके हैं. हम किसी भी सुंदर वस्तु को देखते हैं तो उससे छ्छूने की इच्छा पैदा होती है. ऐसे ही किसी सुंदर लड़की को देखकर उसको छ्छूने, चूमने और चोदने की इच्छा उत्पन्न होती है. और हम इसी क्रम में प्यार करेंगे. पहले मैं तुम्हें अच्छी तरह देखूँगा, फिर छ्छूना चाहूँगा, फिर चूमूंगा और सबसे आखीर में तुम्हें चोदून्गा.
इस बार उसको इतना अजीब नही लगा. मैने फुर्ती से अपने कपड़े उतारे और फोल्ड करके चेर पे रख दिए और बेड पर बैठ गया. फिर मैने उसको अपने पास आने का इशारा किया. वो मेरे पास आ गयी. मैने उसको घूम जाने का इशारा किया और वो घूम गयी. अब उसकी पीठ मेरी ओर थी. उफ्फ क्या मादक शरीर था उस का. मेरे दिल में एक हुक सी उठने लगी उसके शरीर की मादकता से. बिल्कुल ऐसा जैसे संग-ए-मरमर की मूरत हो. ऐसा चिकना और दमकता हुआ. जिस चिकनाई के लिए हमारी हाइ सोसाइटी की औरतें हज़ारों-लाखों रुपये खर्च कर देती हैं पर ऐसी चिकनाई नही पा सकतीं, वो उसके शरीर में नॅचुरल थी. मैं सन्न रह गया उसकी पीठ को छ्छूकर. मैने अपने दोनो हाथ पूरी हथेली खोलकर उसकी पीठ से चिपका दिए, एक तेज़ करेंट जैसे मेरे शरीर में दौड़ गया. वो भी सिहर उठी. मेरे हाथ जैसे फिसलते हुए उसकी पीठ से उसके सीने की तरफ बढ़ गये. उसके दोनो मम्मे मेरे हाथों की कोमल गिरफ़्त में आ गये. दोनो मम्मे मेरे हाथों में ऐसे फिट हो गये जैसे मेरे हाथों का माप लेके घड़े गये थे.
मेरे हाथों की पहली अँगुलियाँ हुक के रूप में उसके निपल्स के नीचे आ गयीं और मेरे दोनो अंगूठे उनके ऊपेर एक नरम सा दबाव डालने लगे. अरषि ने एक लंबी साँस छ्चोड़ी और उसने मेरे सीने से अपनी पीठ टीका दी. दोनो पूरी मस्ती में थे और हमें कोई होश नही था. जाने कितनी देर तक हम ऐसे ही रहे. फिर अचानक वो झूमने लगी. मैने उसको खींच कर अपने साथ चिपका लिया. उसके मम्मे मेरे हाथों में जैसे चुभ रहे थे. मैं अपना एक हाथ ऊपेर उठाकर उसके मुँह को घूमाकर चूमने लगा. उसने एक ज़ोर की झुरजुरी ली और तड़प कर मेरी ओर पलट गयी और अपनी बाहें फैलाकर मुझको उनमें क़ैद करने की कोशिश की और मेरी छाती से चिपक गयी. एक तेज़ झटका मेरे शरीर ने भी खाया. उसके टाइट मम्मे मेरी छाती में चुभने लगे और उसके निपल तो ऐसे गढ़े मेरी छाती में जैसे अभी सुराख कर देंगे उस में. मैने उसके कंधे पकड़ कर अपने से थोड़ा परे किया और उसकी आँखों में झाँकते हुए उसको कहा के उसकी सुंदरता मुझे पागल कर देगी. उसकी उत्तेजना इतनी अधिक बढ़ चुकी थी के वो बोल नही पाई और केवल मुस्कुरा कर रह गयी.
फिर मैने अपनी आँखों से उसके बाकी के कपड़ों की ओर इशारा किया और वो उन को भी उतारने लगी. था ही क्या एक ढीली ढाली हाफ पॅंट ही तो थी और उसके उतरते ही उसकी गोरी-गोरी जानलेवा टाँगें नंगी हो गयीं. मैं उनको बेसूध सा होकर देख रहा था. इतनी सुंदरता पहले कभी मैने नही देखी थी. देखना तो एक ओर, मैने कभी सपने में भी ऐसी सुंदरता का नज़ारा नही किया था. उसकी सुगठित टाँगें देख कर मुझसे रहा नही गया और मैने पूछा के क्या एक्सर्साइज़ इत्यादि बहुत करती हो जो इतनी सुगठित टाँगें हैं. तो उसने बताया के उसको बचपन से ही साइकलिंग का बहुत शौक है और वो साइकलिंग बहुत करती है. शायद इसीलिए उसकी टाँगें इतनी सुगठित लग रही हैं.
मुझे अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो पा रहा था. इतनी अनुपम सुंदर लड़की मेरे सामने थी और मैं उसके साथ अपनी मर्ज़ी करने को आज़ाद था और वो भी उसकी पूरी रज़ामंदी के साथ. मुझसे और धैर्या नही हो पा रहा था. मैने अपना अंडरवेर भी निकाल दिया और अरषि ने भी अपनी पॅंटी उतार दी. अब हम दोनो पूरी तरह नंगे थे. वो जैसे ही अपनी पॅंटी को रख कर मेरी तरफ घूमी मेरी आँखों में जैसे बिजली चमक गयी, मेरी साँस अटक गयी और मेरा दिल उच्छल कर बाहर आने को हो गया. जैसे धड़कना भूल गया हो.
कारण था उसकी चूत. उसकी चूत पर बालों का कोई नाम-ओ-निशान तक नही था. छ्होटी सी उसकी चूत बिल्कुल किसी 10-12 साल की बच्ची की चूत के समान दिख रही थी. बीचो-बीच एक पतली सी लकीर जैसे क़िस्सी छ्होटे से गुब्बारे के बीच में धागे का दबाव डाल दिया हो. ऐसी फूली हुई और गोलाई लिए हुए बिल्कुल मदहोश कर रही थी. मैं फटी-फटी आँखों से उसे देखता ही रह गया. अरषि ने जैसे मेरी हालत भाँप ली और बोली के क्या हुआ, आप ऐसे क्यों देख रहे हैं? कोई जवाब देते ना बना तो मैने उसे दोनो हाथ फैला कर अपने निकट आने काइशारा किया. वो धीमे कदमों से चलकर दो कदम आगे आई और मुझसे लिपट गयी. मैने उसके मम्मों की चुभन को एक बार फिर अपने सीने पर महसूस किया और अपने हाथ लेजाकर उसके कोमल नितंबों पर रख दिए. जैसे दो फुटबॉल मेरे हाथों में आ गये हों. लेकिन फुटबॉल से उलट था उनके स्पर्श का एहसास. मुलायम, नरम, गरम, थरथराते हुए. दोनो गोलाईयों के बीच में एक गहरी दरार. मैने हाथ ऊपेर उसकी पीठ पर रखे और प्यार से सहलाता हुआ नीचे की ओर आया. इतना चिकना अहसास पहले कभी नही पाया था मैने. उसका अंग प्रत्यंग इतना आकर्षक था के मुझे सूझ ही नही रहा था के कहाँ से शुरू करूँ उसको प्यार करना. वो तो मेरे हाथों में एक ऐसा नायाब खिलोना था के मुझे खेलते हुए भी डर लग रहा था के कहीं टूट ना जाए.
मैने उसको अपने से अलग करते हुए कहा के अरषि तुम्हारे जैसी सुंदर लड़की मैने आज तक नही देखी है, भोगना और चोदना तो बहुत दूर की बात है. वो मुस्कुराई और बोली के मैं तो एक साधारण सी लड़की हूँ जैसी सब लड़कियाँ होती हैं. मैने उसको रोकते हुए कहा के मोती अपनी कीमत नही जानता पर एक पारखी उसकी कीमत जानता है. तुम क्या जानो के तुम क्या हो, यह तो मेरे दिल से पूछो के उस पर क्या बीत रही है. ऐसा लग रहा है के वो धड़कना ही ना भूल जाए. उसने अपना कोमल हाथ मेरे मुँह पर रखते हुए कहा के ऐसा मत बोलिए मैं आपके सामने हूँ और पूरी तरह से आपको समर्पित हूँ, आप जैसे चाहें मुझे प्यार करें, प्यार से या सख्ती से निचोड़ दें पर जल्दी करें मेरी बेचैनी भी बढ़ती जा रही है.
फिर क्या था मैं शुरू हो गया और उसके चेहरे पर, आँखों पर, माथे पर चुंबनों की बारिश कर दी. मेरे होंठों और हाथों की आवारगी मेरे बस में नही रही और मैने उसके शरीर का कोई भी हिस्सा नही छोड़ा जिस पर अपने होंठों की छाप ना लगाई हो और अपने हाथों से ना सहलाया हो. सबसे आख़िर में मैं पहुँचा उसकी चूत पर. वो चूत जो एक छ्होटी सी डिबिया के समान दिख रही थी. ऐसी चिकनी के हाथ रखते ही फिसल जाए. मैने अरषि को बेड पर सीधा करके लिटा दिया और उसकी चूत का निरीक्षण करने लगा. उत्तेजना की अधिकता से उसकी चूत की लकीर पर ओस के कन जैसे बिंदु चमक रहे थे. चूत की दोनो साइड्स इस तरह आपस में चिपकी हुई थीं जैसे उन्हे किसी चीज़ से चिपका रखा हो. मैने अपने हाथ की बीच की उंगली ऊपेर से नीचे की ओर फेरी. चिकनाई पर चिकनाई लगी होने के कारण मेरी उंड़ली फिसलती चली गयी और उसकी गांद के च्छेद पर पहुँच गयी. मैने वहाँ अपनी उंगली को गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया. अरषि के शरीर में एक कंपन शुरू हो गया. फिर मैने अपना हाथ वहाँ से हटा लिया और दोनो हाथों से उसकी जांघे फैला दीं और दोनों अंगूठों से उसकी चूत को खोलने का प्रयास किया. थोड़ा दबाव डालने पर दोनो फाँकें अलग हो गयीं और अंदर से उसकी चूत को देखकर मैं दंग रह गया. जैसे कोई भीगा हुआ गुलाब काफूल रखा हो ऐसी लग रही थी उसकी चूत. बाहर को दो छ्होटी-छ्होटी पुट्तियाँ और उनके बीच उसका सबसे संवेदनशील अंग. उसका फूला हुआ भज्नासा. एक दम मनोहारी छटा.
मैं तो दीवाना हो गया उसकी चूत का. मैने अपनी जीभ बाहर निकाल कर गुलाब के फूल को चाटना शुरू कर दिया. अरषि उच्छल पड़ी पर मेरे हाथों की मज़बूत पकड़ ने उसको ज़्यादा नही उच्छलने दिया. पर उसके उछलने से मेरी जीभ उसकी चूत में थोड़ा और अंदर चली गयी और उसको और आनंदित कर गयी. उसके मुँह से मादक सिसकारियाँ फूटने लगीं. मैने अपना मुँह उठाकर अरषि की चूत को देखा. चूत का छ्होटा सा सुराख चमक रहा था गीला होकर और बहुत ही मोहक अंदाज़ में खुलकर बंद हो रहा था. मैं देखता रहा और कुच्छ देर बाद मैने फिर से उसकी चूत पर अपना मुँह पूरा खोल कर लगा दिया और चूस्ते हुए अपनी जीभ कभी उसपर फिरा देता तो कभी उसके अंदर घुसा रहा था. अरषि की उत्तेजना बढ़ने लगी और वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी. मेरे चाटने से उसकी चूत में गीलापन आ गया था और उत्तेजना की अधिकता को सहन ना कर पाने की वजह से वो बहुत ज़्यादा हिलने की कोशिश कर रही थी, जिसके फलस्वरूप मेरा मुँह भीकाफ़ी गीला हो गया था. फिर मैने अपना एक हाथ पूरा खोलकर उसके पेट पर रख दिया और अपने अंगूठे को नीचे लाकर उसके भज्नासे के आस पास फेरने लगा. उसकी उत्तेंजना और बढ़ गयी पर अब वो ज़्यादा हिल नही सकी क्योंकि मेरे हाथ ने उसके पेट पर दबाव बनाया हुआ था. मैं अरषि को ऊँचा करते हुए उसके नीचे आ गया और उसको अपने ऊपेर पीठ के बल ले लिया और फिर सीधा होते हुए बैठ गया. मैने अपने हाथ को उसकी चूत पर रखा और अपनी बीच की उंगली से उसकी चूत के छेद को रगड़ने लगा.
मेरी उंगली गीली होते ही मैने उसकी चूत में डालने की कोशिश की. थोड़ी सी अंदर करके मैं उसकी चूत में उंगली को इस तरह हिलाने लगा के उसकी चूत का मुँह थोड़ा खुल जाए. मेरी उंगली अब आधे से थोड़ी कम उसकी चूत में घुस गयी थी. मैने उंगली को अरषि की चूत में हिलाना शुरू कर दिया तो वो उत्तेजना से उच्छल पड़ी और मैं हैरान हो गया. मेरी उंगली पूरी की पूरी उसकी चूत में घुस गयी थी और अरषि ने मेरे हाथ के ऊपेर अपने हाथ रखकर दबा दिया था और बोली के ऐसे ही करो बहुत मज़ा आ रहा है. फिर मुझे यह ध्यान आया कि साइकलिंग अधिक करने के कारण उसकी कुमारी झिल्ली फॅट चुकी होगी और इसीलिए मेरी उंगली बिना किसी रुकावट के उसकी चूत में घुस गयी थी. उसकी चूत का मेरी उंगली पर दबाव और थोड़ी-थोड़ी देर में संकुचन होने से दबाव का बढ़ाना मुझे आनंदित किए दे रहा था. मैं अंदर ही अंदर अरषि की चूत में अपनी उंगली को हिलाने लगा और थोड़ी ही देर में वो झाड़ गयी. उसके मुँह से एक आनंद की सीत्कार निकली और वो निढाल हो गयी. कुच्छ देर हम ऐसे ही बिना हिले पड़े रहे और थोड़ी देर में ही अरषि की साँसें संयत हो गयीं.
मैने अरषि को उठाया और उसको अपने ऊपर लिटा लिया. उसकी टाँगें मेरे दोनो तरफ थीं और पूरी तरह से फैली हुई थीं. उसके मम्मे मेरे छाती पे थोड़ा नीचे मुझ पर एक आनंद-दायक दबाव बनाए हुए थे. मेरे हाथों की आवारगी बढ़ने लगी और वो अरषि की नंगी मखमली पीठ को नाप रहे थे. मेरा लंड हम दोनो के बीच में दबा हुआ था. मैने उसकी गांद पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा के नीचे से थोड़ा ऊपेर उठे. उसने मुझे पूछा के क्या करना है. मैने कहा के अब तुम्हें चोदने की बारी है और क्योंकि मैं 2-2 चुदाईयाँ करने के कारण थका हुआ हूँ इसलिए उसको थोड़ी मेहनत करनी होगी. उसने अपना शरीर थोड़ा ऊपेर उठा लिया और मैने अपने लंड को हाथ में लेकर उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया. क्या गरमी थी चूत में, मेरा लंड गर्मी पा कर और अधिक मचलने लगा उसकी चूत में अंदर तक घुस कर उसकी पूरी तलाशी लेने के लिए. मैने अरषि से कहा के अब वो इसको अपनी चूत के अंदर लेने का प्रयास करे.
अरषि ने अपना भार मेरे लंड पर डालते हुए उसको अपनी चूत के अंदर लेने का प्रयत्न किया और उसको सफलता भी मिली. चूत अभी-अभी झड़ने के फलस्वरूप एक दम स्लिपरी थी और पहली ही बार में मेरा लंड आधे से थोड़ा सा ही कम लील गयी. चूत की दोनो पंखुरियों ने मेरे लंड को एक अद्भुत घर्षण का आनंद दिया. मैने अरषि को वहीं रोक दिया और कहा के अब बाकी का काम मुझ पर छ्चोड़ दे. वो रुक गयी और मैने फिर उसकी पीठ और गांद को सहलाना शुरू कर दिया. मैने अरषि से पूछा के कोई तकलीफ़ तो नही हो रही. वो बोली के तकलीफ़ तो नही हो रही पर थोड़ा टाइट अंदर गया है तो अजीब सा लग रहा है. मैने कहा के पहली बार अंदर घुसा है ना इसलिए उसको ऐसा लग रहा है थोड़ी देर में ही मज़ा आने लगेगा और बहुत अच्छा लगने लगेगा. वो बोली के अभी तक जितना मज़ा मैने उसको दिया है उससे पहले कभी नही आया, इसलिए मैं जैसा चाहूं उसके साथ कर सकता हूँ और वो पूरी तरह से मुझे समर्पित है. मैने उसको कहा के मेरी जान मेरी भी ऐसी ही हालत है और अब देखो तुम्हे पहले से भी अधिक मज़ा आने वाला है. मैने नीचे से हल्की-हल्की थाप देनी शुरू की. उसकी मस्त गांद को मैने अपने दोनो हाथों में कस कर पकड़ लिया और नीचे से प्यार से धक्के मारने शुरू कर दिए. थोड़ा-थोड़ा लंड को और अंदर करते हुए मैने अपने लंड को पूरा अरषि की चूत में पेल दिया. लंड ने जैसे ही उसकी बच्चेदानी पर चोट की वो गुदगुदाहट से भर गयी और खुशी से चिल्ला पड़ी के यह क्या हुआ है, मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा बड़ी ज़ोर की गुदगुदी जैसी हो रही है.
मैने नीचे से धक्के मारने चालू रखते हुए उसको समझाया के क्या हुआ है और यही तो मज़ा है चुदाई में, बोलो मज़ा आ रहा है ना? वो खुशी भरे स्वर में बोली के जी थोड़ा नही बहुत आ रहा है. मैने कहा के लूटो, जी भर के मज़ा लूटो और बाकी सब कुच्छ थोड़ी देर के लिए भूल जाओ और चुदाई का भरपूर मज़ा लूटो. फिर मैने छ्होटे-छ्होटे धक्कों से शुरू किया अरषि को चोदना नीचे से. कुछ देर के बाद मैने कहा के अरषि अब तुम खुद ही ऊपेर नीचे होकर लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर करो और मज़ा लो. अरषि ने ऐसा ही किया पर वो 2-3 गहरे धक्के लगाने के बाद लंड को पूरा अंदर कर लेती और अपनी चूत को गोल गोल घुमा के लंड की जड़ पर रगड़ती और फिर धक्के मारना शुरू कर देती. क्या सुंदर और कामुक नज़ारा था दोस्तो अब आप भी अपने हाथो सॉफ कर लो[/color]