थॅंक्स तो और करप्ट एमएलए'से जिनके सिर्फ़ नाम बारे और दर्शन छोटे.रास्ता कभी ठीक ही नहीं कराया ...मैंने फौरन हाथ में गुण ली..और गाड़ी से थोड़ा बाहर निकाला और ऊसपे चलाई अफ ऊसने ऊस हालत में भी बढ़ता थोड़ी बढ़ा ली निशाना चूक गया दूसरीई गोली चली ढेययी..और इस बार उसके बाइक पे लगा सूटकेस फहत से गिर पड़ा.काला साया तो बन नहीं सकता था अब सबकुछ एक काबिल ऑफिसर कीतारह करना था.मैंने फौरन गाड़ी को चलना ही मुनासिब समझा बिकॉज़ के पल की चूक और मेरी पूरी जीप लूड़क जाती इस गड्धेदार रास्तों पे
जैसे ही रास्ता ठीक हुआ ऊसने एकदम बढ़ता बधाई और भाग गयी.वॉ पीछे पलट के देख रही थी और मन में गालिया दे रही होगी पर मुझे तो बार ईशांति मिली ऊस्की नाकामयाबी से अब खिजलके अपनी खुजली मिटाने के लिए मेरे पास तो जरूर आएगी अरे भैईई हमला करने तब मैं उसे धार दबोचूँगा यहां से उसके दिल में मेरे लिए जो नफरत उमड़ी वो होना भी जरूरी था ताकि वॉ अब मुझे आत्ंघाती वार कर सके ऊसने मुझे पहचान लिया था
मैंने फौरन जीप रोकी..और फिर पीछे गिरी सूटकेस उठाई उसके अंदर रुपया था धायर सारा.वापिस जैसे जीप को हुआ देखा लो तैयार पुंकुत्रेड खराब रास्ते पे तेजी से चलाने की वाज से.मैं वही खड़ा रहा.और फिर बाकी टीम को सूचित किया की मुझे आए और रिसीव करे.तब्टलाक़ वही खड़ा हावव हावव करते जंगली जानवरों की आवाज़ के साथ किशोरे दा का गाना गाता रहा
सुबह के 11 बज चुके थे.और हाथों में चाय की प्याली लिए एक एक चुस्की मर के देवश की निगाह सूटकेस में भरे पैसे पे थी.जल्द ही सेठ आ गया और ऊसने खूबी धनञयवाद जताते हुए अपना सूटकेस लिया और फिर कुछ दस्तक्त करके चला गया ये सूटकेस कल रात को देवश ने ऊस चोर से चीनी थी.लेकिन कहीं ना कहीं अपने लिए एक मुसीबत जरूर बढ़ा ली थी.अब कैसे भी करके ऊस चोर का पता तो चलना ही था
काम काज खत्म करते करते.12 बज चुका था.जल्दी से दोपहर के लंच के लिए थाने से अपने घर आया.दिव्या वाले घर नहीं गया जब भी जाता हूँ तो अकेले में मन बहेक जाता है और फिर बिना सेक्स किए मन मानता नहीं..दूसरी ओर दिव्या के लिए फिक्र हो रही थी मुझे जैसे जैसे ऊस्की उदास चेहरे को देखता हमारे हिन्दुस्तान एक बात नायाब है जितना भी लड़की खुली हुई हो फ्रॅंक्ली हो लेकिन जब उसके साथ आप दस बार सेक्स कर लो तो बात शादी और प्यार पे आ ही जाती है.लेकिन सच कहिए तो मेरा ऐसा कुछ इंटेन्शन नहीं था उसके प्रति ई मीन मैं उससे शादी नहीं करना चाहता था
लेकिन उसे चोदना साहिल से भी बड़ा धोखा देने के लायक था उसके भी दिल में क्या उठेगा? खून तो एक ही भाई ने धोखा दिया और इसने भी..साला इसी कशमकश में नींद भी उड़ गया.बिस्तर से उठा खाना खाया.और फिर मुँह हाथ धोखे सो गया.शाम को दफ्तर पहुंचकर काम पे फिर ध्यान फही कुछ चौकसी और फाइल्स के लिए बाहर गया इन सब में रात हो गयी
और वही से गश्त लगते हुए घर की ओर फिर रवाना दिया.दिव्या को फोन करके बोल दिया की मैं घर आ रहा हूँ दरवाजा ना लगाए.और फिर पूरी रफ्तार से जीप चलाने लगा..ऊस वक्त साथ में कोई नहीं था बहुत सुनसान व्यवान जंगल से गुजर रहा था हालाँकि शहर के कुछ रास्तों पे जंगल पढ़ जाता है.इस वजह से सुनसांसियत का अंदेशा फैल जाता है
अभी रोड क्रॉस ही करने वाला था देखता हूँ की सड़क पे कुछ पत्थरे गिरी हुई है..ओह लो अब ये क्या नया चक्कर? अभी जीप रोकके उतरना ही था एकदम से माता ठनक गया बेटा रुक जा.जगह सुनसान यहां कोई आता जाता नहीं.साँप को छोढ़के यहां कोई रहता नहीं.और सड़क के बीचो बीच पत्थर बिछी हुई है पक्का किसी दुश्मन का काम है.या तो कोई कैदी फरार होकर अब मुझे मारने के लिए आया है या फिर वॉ लड़की चोर
साला काला साया होता तो अपने स्किल्स से कुछ तो कर सकता..चल फिर भी एक पुलिसवाला हूँ डर किसका.निकाला रिवाल्वर हाथ में लिया और फहतक से जीप से उतरा.फिर धीरे धीरे चलते हुए सड़क के पत्थर को टटोलते हुए दो को हटा ही रहा था इतने में..कोई साया पीछे से गुजारा
मैं एकदम हड़बड़ाकर गुण उसी ओर मोड़ ली "आबे कौन है?"..मैंने चिल्लाया.कहीं दुश्मन के चक्कर में कोई बहुत प्रेत से सामना हो जाए.ऊस वक्त वो मूवी याद आ गयी जिसमें ऋषि कपूर की गाड़ी खराब हो जाती है और फिर स्राइडीवी एक साँप होती है इंसान बनकर गाती है भूली बिसरी एक प्रेम कहानी.फिर आए एक याद पुरानी..साला पूरा जिस्म सिहर गया.बेटा गान्ड फहटने लगी आबे कोई आत्मा तो नहीं क्या पता गश्त के चक्कर में किसी साँप को कुचल दिया हो और अब ऊस्की नागिन बीवी मेरी गान्ड डसने के लिए ही इंसानी रूप ली हो
एकदम से तिठके के जीप के पास आया चारों ओर देखा घना अंधेरा एक तो रात इतनी गहरी ऊपर से जीप की हेडलाइट ऑन है जिससे सामने का रास्ते पे गिरे पत्थर दिख रहे है.मैंने अपना टॉर्च लाया और इस बार जल्दी जल्दी पत्थर हटाने लगा इतने में क़ास्सके किसी ने गान्ड पे एक डंडा मारा..आअहह मैं एकदम से भौक्लके दर्द के मारें गिर पड़ा.अपने गान्ड को सहलाते हुए सामने देखा तो लाइट के सामने एक लड़की खड़ी थी.कोई और नहीं वही जानी पेचानी चेहरा मुकोता पहनी वो चोर जिसके हाथ में हॉकी का एक मोटा डंडा था
मैं अभी उठता ऊसने झाड़ के एक हॉकी डंडा मेरे घुटने पे और मेरे हाथ पे दे मारा..मैं गिर पड़ा दर्द बहुत ज़ोर से हुआ साला रोने रोने पे हालत हो गयी..लेकिन तीसरे वार के लिए ना उसे मौका मिलने वाला था और ना मुझे मर खाने का शौक साला एक ही वार में उसका डंडा पकड़ा और अपने काला साया के हुनर तरीकों से उठके उसके पेंट पे ही एक लात जमा दी
वो पेंट पकड़े गिर पड़ी इतने में मैंने उसके दोनों गले को कसके हाथों से जकड़ लिया "साली बहेनचोड़ड़ रुक्क तू"...ऊसने मौका हाथ में लेते हुए अपनी औरतपाना दिखा दिया जब मेरे अंडकोष पे ही लात झाड़ दी..मैं अपना पाँत के बीच को पकड़ा झुक गया ऊसने तब्टलाक़ जैसे ही हॉकी स्टिक उतनी चाही मैंने फौरन उसे कमर से उठाकर सीधे एक पेड़ पे जा पटका.ऊस्की करहाहत निकली लड़की की आवाज़ पर इस बार उसका जोश जगह गया और ऊसने मेरे मुँह पे घुसों की बौछार कर दी.साला बॉक्सर थी पता नहीं बहुत काश क़ास्सके गुस्सा झाड़ रही थी
साली को वही फैक दिया और पास रखी रिवाल्वर उठा ली और सीधे उसके छाती एप लगा दी."बस बहुत हो गया यू आर अंदर अरेस्ट क्यों आबे साली? एक पुलिसवाले पे जानलेवा हमला करती है कमीनी"...ऊस्की निगाह दिख रही थी कितनी हिंसक कितनी गुस्से में कहा जाने वाली निगाहों से मुझे देख रही थी
देवश : अब साली बनाएगी भी और ये चेहरे से मास्क हटा मास्क्क हटा रनडीी (मैं जैसे ही मास्क हटाने को हुआ ऊसने क़ास्सके मुझे एक धक्का मारा पर मेरी रिवाल्वर साला अंधेरे में कहाँ गिरी शितत)
वो लड़की भागी मैं भी भागा उसके पीछे."आबेयी रुक्क"..वो कुछ नहीं कह रही थी यक़ीनन वो अपनी आइडेंटिटी छुपाने के लिए भागें जा रही त.मैं लंगड़ा लंगड़ा के उसके पीछे भाग रहा था.अचानक वो जंगल के भीतर घुसी.मैं भी घुस गया ना परवाह की जानवर की और ना ही साँप मिया की
सुना था इस जंगल में काफी ज़हरीले साँप होते है.वो भागें जा रही थी शायद वॉ डर गयी हो उसे लगा हो की मेरे हाथ में अब भी पिस्तौल है.मैंने भी झूठ बोलते हुए चिल्लाया "रुक जा वरना गोली मर दूँगा रुक्क जा"..मेरी आवाज़ पूरे जंगल में गूंज रही थी इतने में अचानक वो एक खंडहर के ऊपर चढ़ गयी
"मां की चुत साला इतना पुराना भुतिया खंडहर.कभी यहां मैंने काला साया बनकर शरण ली थी.मुझे एक चप्पा चप्पा पता था ऊस जगह का मैं भी उसके पीछे भागा..अचानक वो छत्त वाले हिस्से पे चढ़ गई.ये पुराना मंदिर होया करता था.लेकिन इंडो-बांग्लादेश वॉर के चक्कर में यहां के लोग सबकुछ चोद चाढ़ के भाग गये और जगह ऐसी जगह में मंदिर है डर से लोग बहुत प्रेत का नाम लगाकर नहीं आते."आबेयी रुक्क जा अंदर साँप है"..मैंने चिल्लाया मैं उसके भले के लिए ही कह तो रहा था
अचानक देखता हूँ वो ठिठक गयी है चारों ओर खुला छत्त अब कूदेगी तो मरेगी.."मैं उसे सीडियो पे ही खड़ा होकर मना करने लगा की वापिस आ जाए और कानून को अपने हवाले कर दे.पर वो मेरी बात मानने के बजाय कूदने की फिराक में थी.अचानक देखा एक चीज़ रैंग्ता हुआ उसके करीब चल रहा है.."आबेयी पीछे देखह साँप हाीइ बचके साँप हाीइ"...ऊसने सुना नहीं और अचानक से ऊस साँप ने उसके पाओ पे कांट लिया.वॉ बहुत ज़ोर से चीखी और फिर वही गिर पड़ी
मैं फौरन ऊपर आया.साँप तब्टलाक़ भाग चुका था.बाप रे ये तो काला साँप है गनीमत थी किसी कोब्रा ने नहीं दसा था.मैंने फौरन उसे उठाया और सीडियो से नीचे ले जाने लगा..अचंकक गरर गरर करके बारिश शुरू हो गयी.ठंड तरफ गयी.फौरन उसे खंडहर के अंदर ले आया एक सुरक्षित उक्चे जगह पे उसे लाइटाया चारों ओर पत्ते परे हुए थे.ऊन्हें साफ किया फिर उसके कपड़े को हटाया उफ़फ्फ़ दो दाँत के निशान थे.लड़की पूरी तरीके से काँप रही थी.मैंने सोचा इसका मुकोता उतार ही देता हूँ
पर ऊस्की हालत ठीक नहीं थी.ज़हेर फैल जाएगा इतने देर में तो.ना जाने किस तरह का साँप था.चाहता तो ओसॉके हालत पे उसे चोद देता..पर इंसानियत भी कोई चीज़ थी.मेरी जगह काला साया होता तो वो भी यही करता मैंने फौरन ना आँव देखा ना ताँव और उसके ज़ख़्मो पे मुँह लगाकर उसका ज़हेर खीचने लगा..और उसे थूकते हुए हुए उसे चूसने लगा..बदल गाराज़ रहे थे बारिश ज़ोर से हो रही थी.कुछ देर बाद मैंने जल्दी से उसी हालत में भीगते हुए जीप से एक वॉटर बॉटल लाई.और कुल्हा किया.कुछ नुस्खे आते थे जब ऑर्फनेज में था तो एक गुरु थे जो योगा के साथ साथ ओझा भी थे.साँप का झाढ़ पता था ऊन्होने हमें कुछ चीज़ें भी बताई.
मैं उसी जड़ी बूटी को ढूंढ़ने लगा कारण बांग्लादेश से सटे होने पे यहां कुछ ऐसी जाडिया पत्तो के भैईस में पाई जाती है जिससे ज़हरीले सानपो का ज़हेर भी कट जाता है.मैंने फौरन ऊस पौडे को खोजने लगा करीब पास ही वो लत्तड़ो में मिला उसे उखाड़ा और उसके पत्तो को सहित ज़ोर से निचोड़ा उससे निकलता रस सीधे जख्म पे टपका तो लड़की ज़ोर से चीख उठी उसे दर्द हो रहा था.उसे ज़हेर पे मलने के बाद मैंने भी थोड़ा सा मुँह में ऊस रस को चुस्स लिया.भगवान का शुक्र था की मुझे कुछ हुआ नहीं पर मैं थोड़ा कमज़ोर सा महसूस कर रहा था
इतने में देखता हूँ की लड़की को होश नहीं आ रहा.लगता है की इसकी साँसें धीमी हो गयी है.शायद दर्द के मारें बेहोश हो गयी हो.अब क्या करूं?..साला बड़ा चक्कर बहुत गुस्सा तो आया था ऊसपे पर ऊस्की जवानी को देखकर गुस्सा भी पिघल गया.मैंने फुरती से उसके मुकोते का निचला भाग जो खुला था उसके होठों पे होंठ रख दिए..उफ़ कितना नरम गरम होंठ..कितना मुलायम मैं उसे मौत तो मौत साँस देने लगा ऊस्की मुँह के अंदर साँस देने लगा.दोस्तों मैं ऊस्की किस लेने में मजा आ रहा था पर गणीनात थी वो अभीतक उठी नहीं.अचानक दूसरी बार जब उसे किस किया.और उसके होंठ जैसे ही छोढ़के सीने पे दो हाथ रखकर दबाया वो खांसने लगी ऊस्की निगाह एकदम से मुझपर हुई और ेकूडम से घबरौ त बैठीी
देवश : ठीक हो? अरे दररो मत मैं तुम्हें कुछ नहीं करूँगा खमोकः ऊपर चली गयी थी साँप ने कांट लिया था तुम्हें तुम्हारा ज़हेर निकालके फैका तुम्हें साँस दी अब कैसा महसूस कर रही हो
लड़की : टीटी..तुंन्ने मेरी जान बचाइइ?
देवश : क्यों गलत किया? या अब भी बदला लेना है मुझसी बोलो
लड़की : देखो एमेम..मुझे जाने दो
देवश : अच्छा जाने दूँगा पर एक वादा करना होगा की चोरी चोद डोगी
लड़की : मैंने कह दिया ना मुझे जाने दो
देवश : एक तो चोर ऊपर से सीना जोड़ी एक तो तुमको बचाया और ऊपर से तुम भाव कहा रही हो अगर चाहता तो तुम्हारा मुकोता उतरके चेहरा देख लेता लेकिन कुछ सेल्फ़-रिस्पेक्ट है दिल में (खांसने लगा और अचानक वही पष्ट पार गया साला लगता है जैसे हालत अब भी सही नहीं है वो मेरी हालत को गौर करने लगी)
मैं वही निढल सा पढ़ने लगा फिर किसी तरह उठा पर तब्टलाक़ वो मेरी हालत को गौर करते हुए एक एक कदम पीछे होने लगी.और मैं वही लरखरके गिर पड़ा.वो मेरे हालत को घूर्रती रही.फिर एक दो कदम करते हुए खंडहर से भाग गयी..और मैं वही लाचार निढल मज़बूर पड़ा रहा सही में मुझ जैसा चूतिया कोई नहीं कोई बात नहीं बचपन में धोखा मिला बारे में भी कौन सा प्यार मिलेगा? काश दिव्या यहां होती..अभी बर्बराह ई रहा था इतने में
देखता हूँ वो वापिस आई और ऊसने मुझे एक बार घूरा फिर मेरे पास रखी बंदूक ली और मुझे उठाया मेरी हालत बहुत ज्यादा खराब थी बहुत कमज़ोर हो गया था ज़हेर चूसने के चक्कर में.शायद कुछ रिएक्शन हो गया हो.ऊसने मुझे उसी हालत में उठाया और मैं बर्बरते हे उसके कंधे पे सर रखकर निढल हो गया
ऊसने कब मुझे किस तरह मज़बूती से जीप पे सवार किया और फिर खुद जीप पे बैठकर जीप स्टार्ट करके चलाने लगी कुछ पता नहीं.जब आँख खुली तो पता चला की मैं हॉस्पिटल में हूँ.डॉक्टर और हवलदार खड़े है.वो सब मुझे चेक कर रहे है खैर होश आया..तो पता चला की एक अंजान शॅक्स ने मुझे बाइक से हॉस्पिटल के पेशेंट वाले सीट पे लाइटाया और भाग गयी.मुझे पहचानते हुए डॉक्टर ने तुरंत एडमीशन किया असल में ज़हेर का कुछ कान मैंने पी लिया जिस वजह से मैं मौत के मुँह से बच्चा था.अब ज़हेर मैंने कैसे पिया इस बात का एक्सप्लनेशन देने के बजाय मैंने बारे ही सहेजता डॉक्टर को मुँह बंद रखने की ज्यादा हिदायत दी पुलिसवाला था ज्यादा कुछ हुआ नहीं ना ही ऊस रांड़ का कोई सुराग पुलिसवालो को बताया ताकि उसके पीछे वो लोग छानबीन ना करे
आख़िर वो ऐसा क्यों की? चाहती तो मरर्ने के लिए मुझे चोर देती तो क्या वो आहेसन के बदले आहेसन जाता रही थी नहीं पता?.रात का एडमीशन सुबह जब ठीक हो गया तो हवलदारो ने ही मुझे किसी तरह जीप तक लाया मैनब चल सकता था खुद को सवास्त महसूस कर रहा था..कल रात के वाक़ये ने मुझे हिला सा दिया था वो मुझे मारने आई और हालत कहाँ से कहाँ पहुंच गई?
अचानक जीप पे अभी सवार ही हुआ था.की एक खत मिला..ऊसमें कुछ लिखा था.यक़ीनन ये खत ऊस लौंडिया ने ही मेरे जेब में छोडा था मैं उसे सबकी नजारे से बचाए पढ़ने लगा
"तुमने मेरी जान बचाई उसी का ये इंसानियत के नाते एक वास्ता रहा.तुमचहते तो मुझे गेरफ़्तार कर देते.कल रात को तुम अगर मुझे ना बचाते तो शायद मैं कभी नहीं उठती..और अगर ना उठती तो मेरे जिम्मेदारी अधूरे रही जाते.मैं कौन हूँ क्या हूँ? ये मैं तुम्हें नहीं बता सकती पर मैं जो कुछ कर रही हूँ? वो मेरी जरूरत है? मैंने कभी भी इतना कुछ एक पुलिसवाले को बयान नहीं किया यक़ीनन मैं पुलिस वालो को अपना दुश्मन मानी हूँ दो बार गोली भी कहा चुकी हूँ पर तुम जैसा पुलिसवाला जिसके अंदर इतनी इंसानियत थी पहली बार देखा मेरा दो ही सवाल है तुमने मुझे मरने के लिए क्यों नहीं छोडा? अगर बचना चाहते तो मुझे अरेस्ट क्यों नहीं किया? मैं एक मुज़रिम हूँ तुम्हारी निगाहों में? प्रमोशन मिल जाता बंगाल की आधे से ज्यादा पुलिस मुझे मोस्ट वांटेड क्रिमिनल मानती थी फिर भी तुमने मुझे अरेस्ट क्यों नहीं किया? ये आहेसन हमेशा याद रखूँगी लेकिन इस बार अगर तुम मेरे रास्ते में आए तो गोली मर दूंगीइ सोच लेना".....उसके खत को पढ़ते पढ़ते मैं कब गुम सा हो गया मुझे पता नहीं
क्या क्या लव्ज़ थे उसके मन के? उसके मन के सवालों का जवाब सच में मैं दे नहीं पा रहा था.काश उसका कोई ई-मैल आइडी होता काश कोई फेसबुक होती तो चाट में बताता काश वो मुझसे फिर मुलाकात करती तो उसे बयान करता की ना जाने क्यों? उसे देखकर मेरा मन बदल गया.साली ने अच्छा खत चोद दिया मेरे लिए.लेकिन मिलेगी तो जरूर और मैं ऊस मिलन के लिए ही बेचैन उठा.चाहे वो मुझे सामने गोली क्यों ना मर दे जैसे ऊसने कहा? लेकिन इस बार उसके बारे में बिना जाने उसे जाने नहीं दूँगा
मैंने ऊस खत को पॉकेट में भर लिया.तब्टलाक़ दिव्या का फोन आ चुका था देखा 4 मिस्ड कॉल है.फटाफट उससे बात करके उसे शांताना देने लगा की मैं कहीं फ़ासस गया था इसलिए कल रात आ नहीं पाया.लेकिन सच पूछो तो दिल-ओ-दिमाग में बस वही लड़की बसी हुई ऊस्की बातें घूम रही थी
काश मैं उसका नाम जान पाता.क्या कहती है वो खुद को क्या नाम है उसका? मैंने खुद ही उसका एक नाम रख दिया काली साया अब काली साया से मिलने का प्रोग्राम बनाना बेहद ही जरूरी था..और ये प्रोग्राम किसी के घर में रातों रात चोरी की वारदात से शुरू होगी मुझे पता था लेकिन वो किस मज़बूरी का नाम ले रही थी.ये मेरी समझ नहीं आया शायद वो कोई गरीब हो हाला तो की मज़बूर अक्सर चोर तो ऐसे ही होते है.क्या पता उसका बच्चा हो? या फिर कोई परिवार मेरी कशमकश तब खत्म हुई जब ब्रांडे में खड़ी दिव्या को देखा मेरी जीप देखते हुए
"आहह हाहह सस्स आहह प्लीज़ आहह आअहह ओह टेररीि की"....अचानक से देवश की नींद खुली तो एक झटके में शीतल ने उसे धकेल दिया
शीतल उठके अपने होठों पे लगे थूक को पोंछते हुए होंठ सहलाने लगी उंगलियों से "पागल हो गये क्या भैया चबा ही जाते इतना कोई क़ास्सके चुम्मा लेता है"...देवश अंगड़ाई लेकर अपने बेवकूफी पे हस्सता है
शीतल : आप तो मुझपर टूट ही परे.नींद में भी पता नहीं काली साया काली साया कर रहे थे मैं क्या आपको बाला लगती हूँ (शीतल नाराज़ होकर अपने नंगी छातियो पे चढ़र धक्के मुँह फहर लेती है)
डीओॉश को लगा की वो शीतल के नहीं बल्कि काली साया को किस रहा था उसके साथ सेक्स कर रहा था दिलों दिमाग पे तो चाय थी अब साला नींद में भी उसी को तस्सावार करने लगा था डीओॉश उसे बेहद गुस्सा आया और साथ में शीतल के कटे होंठ को देखकर अफ़सोस भी हुआ
देवश : अच्छा मेरी सफेद रसगुल्ला चल भाई को मांफ कर दे
शीतल : नहीं करूँगी पता है आपको आपने कितने ज़ोर से मेरे साथ सेक्स किया
देवश : अच्छा मेरी मां ई आम सोररय्ी कान पकड़ लिए ठीक (शीतल तभी मायूस थी..देवश ने मुस्कुराकर फ्रीज से एक बड़ा सा कितकट का चॉकलेट शीतल के हाथों में थमा दिया)
शीतल खुशी से पागल हो गयी चॉकलेट की दीवानी थी वो..और देवश मिया को औरत को खुश करने के छोटे छोटे चीज़ें पता है..शीतल का घुसा पलभर में प्यार में बदल गया."श भैया आप कितने अच्छे हो"...शीतल फिर देवश के गले लग गयी
देवश ने प्यार उसके गाल पे हल्का चुम्मा लिया और फिर उसके होंठ को प्यार से सहलाया..दोनों कुछ देर तक प्यार भारी बातें करते रहे और फिर देवश अपनी वर्दी पहनें तैयार होने लगा.शीतल भी उठके बर्तन ढोने चली गयी नंगी ही.देवश की नियत फिर नहीं बिगड़ी क्योंकि उसे इसकी आदत थी अब तो एक और सुररूर सा चढ़ चुका था काली साया के नाम की
देवश जल्दी से थाने पहुंचा.अचानक टेलीफोन बज उठा."हेलो इंस्पेक्टर डीओॉश चटर्जी स्पीकिंग"....पास ही एक सेठ की मरियल रोई आवाज़ सुनाई दी.पता चला की उनके घर में कोई लड़की घुस गयी है नक़ाब पहनें डकैती कर रही है.और अभी ही फरार हुई है.जगह का नाम सुनकर फौरन मैंने मुस्कुराकर दिल ही दिल में खुश हुआ
पुलिस की जीप भी तीन चार ऊस चोर को पकड़ने के लिए मेरे साथ निकल गयी.साइरन से पूरा रास्ता गूंज उठा."हवलदार रामू तुम उतार जाओ मैं अकेले ही ऊस लौंडिया को देख ल्टा हूँ तुम बाकी जीप में बैठ जाओ ताकि मैं जब फोन करूं तब पहुंच जाना"....हवलदार ठीक है साहेब बोलकर उतार गया उसे लगा शायद काला साया की तरह इसे भी मैं मर सकता हूँ
पर वो बंदर क्या जनता था की आद्रक का स्वाद क्या है?..मैंने जीप दूसरी रास्ते मोड़ दी..जल्द ही बाकी पुलिसवाले सेठ के घर पहुंचे.गुण से लेंस पुलिसवालो ने जगह को घैर लिया एक एक कमरा सबकुछ चेक किया चोर तो फरार थी ही साथ में तिजोरी का सामान भी गायब था
जैसे ही हवलदार ने मुझे बताया फौरन मैं दूसरी लोकेशन की ओर मुड़ा.दिमाग कह ही रहा था की वो ज्यादा दूर नहीं गयी है और तभी मैं हाइवे पे ही लौंडिया दिख गयी कैसे मस्तानी अपनी गान्ड बाइक सीट पे रखकर पूरी बढ़ता में बाइक चला रही थी..मैंने उसके पीछे हुआ...वो काफी दूर थी मेरी जीप भी ठीक उसके पीछे थी.लड़की ने फौरन गाड़ी को फुरती से दूसरे रास्ते मोड़ दिया..वहां नाकाबंदी लगी थी.अब यहां मुझे फीरसे चाल खेलनी थी."ये लड़की तो गयी अगर पकड़ी गयी तो फिर मेरा क्या होगा?"...मैं बड़बड़ाते हुए फौरन ऊस रास्ते की ओर मुड़ा
तभी नाकाबंदी चौंक पे लगे पुलिसवालो ने फाइरिंग स्टार्ट कर दी.वो लड़की पूरी तरह से घबरा गयी पर हार नहीं मानी.और ऊसने पूरी रफ्तार से अपनी प्रोफेशनल हुनर के बदौलत सामने बाइक के पोज़िशन को हवा मैंने उठाकर दूसरे हाथ से गोली चलानी शुरू कर दी.कुछ पुलिसवाले घायल हुए और ऊसने फौरन स्किट कहा ली.बाइक तिरछी होकर ऐसे फिसलते हुए चेक पोस्ट के नीचे घिस्सती हुई बढ़ता में दूसरी ओर निकल गयी की बचे कुचे पुलिस ऑफिसर्स बस गोलीचलते रहे.लेकिन तभी ऊस्की बाइक गाड़ी के सामने टकरा गयी.और वो सीधे गुलाटी खाते हुए सड़क पे गिरी.ऊस्की आहह सुनते ही मैंने फौरन जीप सामने रोक दी.जिस गाड़ी से टकराई थी ऊसमें बैठा शॅक्स उसे पकड़ने को हुआ पर बेचारा अपनी हड्डिया तुड़वाने के चक्कर में ही निकाला था घायल लड़की ने उसके मुँह पे एक बक्ककीकक ही इसे जागी की वो बेचारा वही गर्दन पकड़े गिर पड़ा.पुलिस आई नहीं तक इस रास्ते.वो आदमी बेहोश हो गया था मुआना करते ही मैंने जीप उसके सामने रोक दी वो मुझे देखकर चौक गयी
इससे पहले हुममें से कोई कुछ समझ पता..मैंने उसका हाथ पकड़ा और सीधे उसे अंदर खींच लिया..और उसके ऊपर मोटा गंदा सा कंबल उड़ा दिया प्लान के मुताबिक.तब्टलाक़ पुलिसवाले आ गये और मेरी जीप को देखकर बोल उठे "साहेब ऊस्की बाइक गिरी हुई है आपने उसे देखा"..मैंने ऊन बेवकुफो को बोला की वो जंगल के रास्ते भागी है पुलिस की एक टुकड़ी जंगल के रास्ते भागी किसी को शक नहीं था की मेरी ही जीप में वो चुप्पी हुई थी.जो शॅक्स गिरा था वो कुछ देख नहीं पाया वो बेहोश पड़ा था मर खाके
"तुम लोग इसी रास्ते पे चेक करो वो ज्यादा दूर नहीं गयी होंगी मैं दूसरे रास्ते जाकर पता करता हूँ"...."ठीक है साहेब"..पुलिसवालो को समझाके मैं उल्टे रास्ते ऊस रास्ते से बेहद दूर निकल गया...कुछ देर बाद ऊसने मुँह से कंबल हटा कर ख़ास्ते हुए पीछे की ओर देखा चारों ओर बेहद सन्नाटा भरा रास्ता था वो एकदम से उठ बैठी
देवश : में साहेब आप ठीक तो होआप?
लड़की : तुम पूरे पागल हो मेरी वजह से तुम भी साज़िश के नाम पे फ़ासस जाते क्यों बच्चा रहे हो मुझे? एक पुलिसवाले होकर मेरी मदद क्यों कर रहे हो?
देवश : अब ये मत कहना मैंने फिर आहेसां किया.तुम्हारे पास वो बैग है जो तुमने अभी चोरी की
लड़की : हे..हाँ ये रही
देवश : फौरन मुझे दो अब ये मैं ज़ब्त कर रहा हूँ
लड़की : दीखू मेरे के..आम में आड़.छान मत डालू मुझे पैसों की जरूरत है यही तो मेरा काम हाीइ प्लीज़ मुझे वो पैसे दे दो वरना मैं
देवश : वरना क्या? आप हुम्हें भी बाकियो की तरह हाड़िया तोड़के बेहाल चोद देंगी ऊस रात का वाक्य अब भी याद है साँप का ज़हेर तो मैंने निकाला जान भी आपकी बचाई पर शायद आपने हमें अकेला नहीं छोडा अपने तब सोचा नहीं आप एक पुलिसवाले की मदद
लड़की : गलती हो गयी मुझसे मांफ कर दो प्लीज़ (ऊसने हाथ जोधते हुए रोई सूरत बनाई) मैं नहीं जानती थी तुम इतने चिपकू निकलोगे पुलिसवाले होकर छिछोरे भी हो तुम
देवश : श मिस काली साया मैं सिर्फ़ आपकी मदद करना चाहता हूँ ताकि आप को इस दलदल से निकल सुकून इसमें मेरा कोई लाभ नहीं बस मैं आपकी मदद चाहता हूँ.
लड़की : पता नहीं तुम मुझसे क्या चाहते हो? देखो अगर मेरी मज़बूरी का फायदा उठा रहे हो तो अच्छा नहीं होगा तुम मुझे नहीं जानते
देवश : और अगर मैं कहूँ की आप मुझे नहीं जानती तब क्या करेंगी आप?
लड़की : क्या मतलब?
देवश ने फौरन और कुछ नहीं बोला बस ऊस लड़की को वापिस लाइत्न्े को कहा और उसके ऊपर कंबल ओढ़ दी दो चेक पोस्ट से गुजारा फिर अलर्ट किया की ऐसी लड़की को ऊसने देखा तक नहीं.पुलिस भी दूसरी रास्ते की ओर जा चुकी थी अब लड़की पूरी तरह से सेफ है.देवश ने मुस्कराए गाड़ी रोक दी.और फिर मैं दरवाजा को खोल के जीप को फिर अंदर लाया
ये काला साया वाला ख़ुफ़िया घर था जहाँ वो दिव्या को लेकर आया था..लड़की एकदम से उठ बैठी और फिर चारों ओर देखने लगी.दोनों अंदर आए.और फिर अंदर आकर.ऊसने फौरन मैं स्विच ऑन किया.घर के अंदर आकर एक रूम का दरवाजा खुल गया.लड़की चारों ओर हैरत से देख रही थी इतने जल्दी एक पुलिसवाले पे भरोसा करके वो खुद के लिए खतरा भी पैदा कर रही थी पर शायद उसे कहीं ना कहीं यकीन था
जल्द ही रूम के खुलते ही वर्दी के दो स्तनों खोल के देवश ने मुस्कुराकर एक तरफ के कपड़े को हटाया दराज़ में दो मुखहोते परे हुए थे और हॅंगर में काला साया के कपड़े.और उसके कुछ हत्यार एक तरफ..ये सब देखकर लड़की कभी हैरत से डीओॉश को तो कभी ऊन दराज़ में रखकर चीज़ों को देख रही थी
लड़की : त.आस क्या त..तूमम्म्म ही वो हो?? जो बहुत मशहूर हाीइ जो जुर्म के खिलाफ लधता है
डीओॉश : जी हाँ में साहेब हम ही वो नाचेज़ है मैं ही हूँ काला साया
लड़की : टीटी.अब तो तुम मुझे भी पकड़ने आए हो है ना पुलिस के हाथों दे दोगे
डीओॉश : जो इंसान सिर्फ़ अपने ईमान और अपने कानून से दुनिया की भलाई कर रहा था उसे इन्हीं पुलिसवालो ने मर डाला तो फिर तुम क्यों फिक्र कर रही हो? मैं तुम्हें क्यों उनके सुपुत्र कर दूँगा
लड़की : मुझे यकीन नहीं हो रहा की तुम काला साया थे.पर तुम मर कुछ समझी नहीं
फिर देवश बताता चला गया उसे अपनी जिंदगी का कड़वा सच कैसा बना वो एक काला साया? कैसे जिंदगी ने उसे ऐसे कटघरे में लाके खड़ा कर दिया जहाँ एक तरफ कानून की मदद तो दूसरी ओर कानून तोड़के वॉ इंसाफ करता आया था.अपनी नयी जिंदगी के चलते ऊसने काला साया को खत्म कर दिया था..सबकुछ जानके लड़की एकदम ठिठक गयी
डीओॉश : मैं नहीं चाहता तुम मुझसे भी बड़ा गुनाह करो.ना ही मैं तुम्हारी जिंदगी खतरे में डालना चाहता हूँ तुम्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे अपने अक्स को देख रहा हूँ
डीओॉश : पहले तो ये बताओ ये सब क्यों करती हो? हालत मज़बूरी या फिर गरीबी
लड़की : अगर वादा करोगे की तुम कभी ये बात किसी को ना कहो तो यक़ीनन कहूँगीइ एक एक चीज़ बतौँगिइइ कितना दर्द है मेरी जिंदगी में सबकुछ
डीओॉश : मैं सुनाने को बेताब हूँ पर क्या ऊन सब के बावजूद अपना मास्क उतारके मुझे अपना चेहरा दिखावगी
लड़की : यहां आई जरूर हूँ पर भरोसा अभी पूरा नहीं हुआ.
डीओॉश : तुमने मेरे दोनों चेहरे को देख लिया है इसलिए मैं तुमसे कुछ छुआपाया नहीं हूँ अब चुप्पने को बाकी क्या है? मैं तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ
फिर ऊस नक़ाबपोश लड़की के आंखों में आँसू घुल गये और इसकी आवाज़ भारी हो गयी वो रो रही थी दिल ही दिल में कहीं.ऊसने बताया की वो आंजेला नाम की नूं की बेटी है..जिसकी मां आंग्लो इंडियन थी.पर उसके बाप ने उसे इंडिया लाया था.यहां आकर उसका बाप का सारा पैसा कारोबार सब बंद हो गया..बाद में उसका बाप शराबी बन गया.मां इधर उधर फूल बैचके पैसे इकहट्टे करके घर का गुजारा करती थी..ऊस्की खूबसूरती और बढ़ती उमर से ऊस्की जवानी पे हर किसी की हवस भारी निगाहें थी कोई भी भेड़िया उसका शिकार करने को बेताब था बस मौका ढूंढता था
और एक दिन कोहराम सा आ गया उसका बाप शराब की लत्त से मारा गया ऊस्की टड़िया और लंग्ज़ जल गये थे.घर का गुजारा बहुत गरीबी से चल रहा था.और फिर अचानक आंजेला जिसने अपनी प्यार के लिए नूं को भी चोद दिया था इतनी बड़ी क़ुर्बानी दी थी.सदमें घिरर सी गयी.और ठीक एक दिन ऊस्की भी मौत हो गयी ऊसने ज़हेर कहा लिया था.कर्ज वाले दरवाजे पे दस्तक देते थे ये भी एक वजह थी.इधर उधर की फूल बैचते बैचते एक दिन ऊसपे कुछ लोगों की निया खराब हो गयी वो भागी भागती रही और इसी भागा दौड़ी और चुप्पा छुपी में उसके पास रखकर पत्थर से ऊसने एक बदमाश को जान से मर डाला
पुलिस उसके पीछे लग गयी.और वो कलकत्ता भाग गयी.वहां जाकर पहले तो ऊसने किसी तरह इधर अपना वक्त काँटा और फिर गरीबी से झुंझते झूंते किसी बारे पठान के हाथों में बिक गयी पठान का खून करने के बाद कोई चारा नहीं था.और फिर वही से वो क़ातिल बन गयी और ऊसने अपने चेहरे को गुप्त रूप से छिपाते छिपाते खुद को एक नक़ाबपोश चोर बना लिए जिसका पेशा चोरी और क़ातिलाना हमला था.पुलिस उसका कोई सुराग आजतक नहीं लगा पाई थी
मेरे निगाहों में उसके प्रति बहुत दुख था.हालाँकि ऊस्की कहानी भी मेरी कहानी से मिलती जुलती थी.लेकिन जितना दर्द ऊस लड़की के जिंदगी में था वो मुझमें कहा मैंने धीरे से उसके कंधे पे हाथ रखा
देवश : हालत तो मैं बदल नहीं सकता तुम कहीं भी जा नहीं सकती पुलिस मौके पे ही तुमको गोली से उड़ा देगी
लड़की : मेरे पास कोई भी चारा नहीं है मैं कुछ नहीं कर सकती इन कमीने सेठ लोगों के चलते ही आज मेरी जिंदगी नरक बनी जिन जिन को मैंने लूटा वो लोग पेशेवर सेठ है या फिर इनकम टॅक्स ऑफिसर जो लोगों को लूटते है और फिर खुद के जेब को भरते है ऐसे लोगों से मुझे चिढ़ है
देवश : मैंने भी कई खून किए है लेकिन कभी इसे अपनी मज़बूरी नहीं समझी कभी हावी नहीं होने दिया.अगर तुम कहो तो मैं तुम्हें सपोर्ट करूँगा वही काम तुम अच्छे के लिए करो तो शायद मैं तुम्हें इंसाफ दिला पौ
लड़की : यहां का लॉ इतना अँधा है ये मेरी काहं सुनेगा? जल्दी ही पकड़ी गयी तो उमर कैद होगी
देवश : और अगर मैं कहूँ की चैन से लड़ने की आज़ादी तो (लड़की बारे ही गौर से मेरी बातों को गौर करके चुप हो गयी)
लड़की : मुझे वक्त चाहिए मेरी बाइक भी ऊन लोगों के हाथ लग गयी दूसरी का इंतजाम करना होगा
देवश : चोरी करके
लड़की ने मेरी ओर तीखी नज़रो से देखा "ये लो पैसे"..उसे गिनाते ही उसके होश उड़ गये करीब 20000 थे."इन चाँद रुपयों के लिए जो गुनाह तुम अपने सर ले रही हो वो कानून कभी ना कभी नजरअंदाज कर देगा पर ऊपरवाला कभी नहीं"..मेरी बात को सुनकर चुप सी हो गई "बस मुझे सोचने का कुछ वक्त दो"..चुपचाप वो बस गुमसूँ रही
"ओह हेलो जा रही हो शायद फिर ना मियालने की बात कहो क्या नाम से पुकार उतूम्हें?"...मैंने मुस्कराए उसके जाते कदमों को रोकते हुए कहा
"जो तुम कहते हो मुझे काली साया ब्लैक शॅडो"....ऊसने मुझे आँख मारी और मुस्कुराईइ "कलेजे को ठंडक पहुँची तुम जैसे शॅक्स से मिलकर जो लोगों के लिए इतना कुछ करता है खुद को मुरज़रीम आज महसूस कर रही हूँ चाहती तो मैं भी कर सकती थी लेकिन ये मुलाकात हमेशा याद रखूँगी अलविदा"...इतना कहकर वो मुस्कराए बाहर भाग गयी
अब किस तरफ गयी पता नहीं अंधेरा हो गया था.जब बाहर निकाला तो पाया की उसका मुकोता गिरा हुआ था.हूबहू मेरे मुखहोते जैसा.और उसके पीछे लिपस्टिक से लिखा हुआ था "काली साया"...मैं मुस्कुराकर ऊस मुकोते को चूम के चार और देखने लगा यक़ीनन किसी के नज़रो में वो नक़ाबपोश सहित ना आ जाए इसलिए ऊसने खुद के कपड़े और नक़ाब को उतार डाला था
उसका असल चेहरा बेहद खूबसूरत होगा या मैं अंदाज़ा लगाने लगा..
वो रात काफी यादगार थी मेरे लिए.काली साया से मिलने के बाद तो जैसे दिल पे ऊसने एक लकीर चोद दी थी.मैंने आजतक कभी किसी को अपना सच नहीं बताया लेकिन ना जाने क्यों उसके दुख और गम ने मुझे ऐसा मज़बूर किया की मैं बिना अपना पर्दाफाश करे रही नहीं पाया उसे यह कह डाला की मैं ही काला साया हूँ.अगर बयचाँसे वो ये बात मेरे दुश्मनों को कह दे या फिर ये एक चाल हो महेज़ दो पल की कशिश ने मुझे ऊस्की तरफ यूँ खींच डाला और मैं सबकुछ भूलके उसे एकदम अपना मानने लगा
इन सब कशमकशो के बीच फौरन काली साया को बचाने का इंतजाम करना था..पहले तो चोरी किए गये सेठ के घर से चुराए पैसों की गठरी को पुलिस स्टेशन में सुपुर्द किया और ऐसा जताया की छानबीन में चोर ने गठरी भागते वक्त फैक दी जो जंगल में पाई गयी.ताकि इससे शक कम हो..लेकिन साला ऊस्की बाइक पुलिस ऑफिसर्स के हाथ लग चुकी थी और ऊस्की जाँच पर्ताल हो रही थी किससे ली गयी या चोरी की है? सारा दाता पुलिस ऑफिसर्स ने छानबीन करना शुरू किया
लेकिन काली साया भी कोई कम नहीं थी मुझसे.शातिरो की रानी थी.ऊसने बेहद सरल तरीके से चोरी की थी वो बाइक.और जब इन्वेस्टिगेशन हुआ.तो किसी अमीर सेठ अंबानी के बेटे की चोरी हुई बाइक थी जो अबतक नहीं मिली थी..हां हां हां पुलिस फिर खाक छानते रही गयी और काली साया का कोई सबूत नहीं मिला सब हाथ मलते रही गये.खैर ऐसे दो दिन बीत गये
उसके ऊपर का खतरा तो जैसे तैसे टाल गया था.लेकिन क्या मेरा राज़ जानके? वो चोरी का लाइन छोढ़के मेरे संग जुर्म के खिलाफ लारेगी?.इस बात की मुझे कम ही उम्मीद लग रही थी भला चोरी का काम छोढ़के वो मेरा साथ क्यों देगी? उसे पुलिस की गोली खाने का तो शौक नहीं होगा..खैर मैंने भी उसके संग बिताए लम्हो को भुलाया नहीं..लेकिन मैं इन दो दीनों में ही उसे मिस करने लगा ना जाने क्यों उसके हाँ का इंतजार था बस उसके मुकोते को लिए सहलाता रहता
दिव्या भी आजकल मेरे नये बर्ताव से थोड़ी अचरज थी.मैं बिस्तर पे आंखें मुंडें लेटा हुआ था.और फिर ऊसने मेरे सीने पे हाथ फिराया."क्या हुआ बारे ही गौर से देख रहे हो इस मुखहोते को"...ऊसने धीमे लव्ज़ में कान में फुसफुसाया.उसे पता नहीं था की मेरी मुलाकात किससे हुई थी
देवश : बस ऐसे ही
दिव्या : आजकल तुम पहले जैसे रहे नहीं बहुत सोच में डूबे रहते हो अब तो सब नॉर्मल हो चुका फिर किस बात का तुम्हें गम?
देवश : देखो दिव्या कुछ बातें बताई नहीं जाती
दिव्या : अच्छा ग
दिव्या ने जब देखा की मैं एकदम उसे इग्नोर कर रहा हूँ..तो वो खुद करवट बदलके सोने लगी.मैं भी अपनी सोच से जागा और मुखहोते को दराज़ के अंदर रखकर वापिस बिस्तर पे आया..पहले दिव्या को जगाना चाहा लेकिन मन नहीं ताना..मेरे दिलों दिमाग में ऐसी वो हावी हुई थी की मैं दिव्या को ही इग्नोर करने लगा.क्यों? क्या सिर्फ़ मेरे अंदर बाकियो तरह वासना है?.जबकि दिव्या ने मेरे लिए इतना कुछ किया है..मैंने फौरन दिव्या के बगल में लायतके उसके ज़ुल्फो को सहलाया..दिव्या फौरन ही मुझसे लिपट गई
मैंने दिव्या की प्यज़ामे के अंदर ही हाथ डाले पैंटी के भीतर झांतों पे उंगली फहीराई और फिर दो उंगली किसी तरह चुत में करनी शुरू की.दिव्या कसमसा उठी..मैं उसके टांगों पे टाँग रखकर खूब ज़ोर से अंगुल करने लगा दिव्या कसमसाए जा रही थी.और फिर ऊसने बेतहाशा मेरे मुँह पे चूमना शुरू कर दिया.मैंने उसे सीधा लिटाया और चुत में उंगली करता रहा..फिर उसके सलवार को भी खोल डाला पैंटी भी उतार फैक्ी.जंपर भी उतार फ़ैक्हा..और उसके चुत के मुआने में ही मुँह डाल दिया
उम्म्म आहह आअहह..वो खुद ही मेरे सर को अपने चुत पे रगड़ने लगी..हालाँकि उसके सपोर्ट के लिए ही मैं उसे प्यार कर रहा था ताकि वो खुद को अकेला ना महसूस करे..लेकिन दिल-ओ-दिमाग पे तो कोई और ही चाय थी..कुछ देर तक ऊस्की चुत को चाटने के बाद मैं ऊसपे चढ़ बैठा..और फिर लगाने लगा धक्के.दिव्या भी पूरा साथ दे रही थी कुछ ही देर में ही मेरे धक्के तेज हुए दिव्या के टाँगें मेरे कमर में खिस्स गयी ऊसने क़ास्सके अपने गान्ड को मेरे लंड से दबा लिया और फिर मेरे अंदर का सारा तूफान पानी बनकर उसके चुत में ही झड़ गया
कुछ देर में ही मैंने अपना लंड ऊस्की गीली लबालब चुत से बाहर खींचा और पष्ट परे ही बगल में लाइट गया.एक हल्की चादर ओढ़ दी दिव्या को और वो सोने लगी..मैं भी उठके वॉशबेसिन पे ब्रश करने लगा.बार बार काली साया का ख्याल आ रहा था दिमाग में कब आएगी वो कब मिलेगी? कही फिर किसी मुसीबत में.
त्रृिंगगग त्रिंगगग..करीब 3 दिन बाद थाने में एक सीरीयस केस मिला."हेलो इंस्पेक्टर देवश चटरर्ज़ी स्पीकिंग"..फोन रिसीवर उठाते के साथ
"हे..हेल्लू सर मैं आप..काक हब्बरी बोल रहा हूँ"...खबरी की आवाज़ थी
डीओॉश : पहले तो ये बताओ ये सब क्यों करती हो? हालत मज़बूरी या फिर गरीबी
लड़की : अगर वादा करोगे की तुम कभी ये बात किसी को ना कहो तो यक़ीनन कहूँगीइ एक एक चीज़ बतौँगिइइ कितना दर्द है मेरी जिंदगी में सबकुछ
डीओॉश : मैं सुनाने को बेताब हूँ पर क्या ऊन सब के बावजूद अपना मास्क उतारके मुझे अपना चेहरा दिखावगी
लड़की : यहां आई जरूर हूँ पर भरोसा अभी पूरा नहीं हुआ.
डीओॉश : तुमने मेरे दोनों चेहरे को देख लिया है इसलिए मैं तुमसे कुछ छुआपाया नहीं हूँ अब चुप्पने को बाकी क्या है? मैं तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ
फिर ऊस नक़ाबपोश लड़की के आंखों में आँसू घुल गये और इसकी आवाज़ भारी हो गयी वो रो रही थी दिल ही दिल में कहीं.ऊसने बताया की वो आंजेला नाम की नूं की बेटी है..जिसकी मां आंग्लो इंडियन थी.पर उसके बाप ने उसे इंडिया लाया था.यहां आकर उसका बाप का सारा पैसा कारोबार सब बंद हो गया..बाद में उसका बाप शराबी बन गया.मां इधर उधर फूल बैचके पैसे इकहट्टे करके घर का गुजारा करती थी..ऊस्की खूबसूरती और बढ़ती उमर से ऊस्की जवानी पे हर किसी की हवस भारी निगाहें थी कोई भी भेड़िया उसका शिकार करने को बेताब था बस मौका ढूंढता था
और एक दिन कोहराम सा आ गया उसका बाप शराब की लत्त से मारा गया ऊस्की टड़िया और लंग्ज़ जल गये थे.घर का गुजारा बहुत गरीबी से चल रहा था.और फिर अचानक आंजेला जिसने अपनी प्यार के लिए नूं को भी चोद दिया था इतनी बड़ी क़ुर्बानी दी थी.सदमें घिरर सी गयी.और ठीक एक दिन ऊस्की भी मौत हो गयी ऊसने ज़हेर कहा लिया था.कर्ज वाले दरवाजे पे दस्तक देते थे ये भी एक वजह थी.इधर उधर की फूल बैचते बैचते एक दिन ऊसपे कुछ लोगों की निया खराब हो गयी वो भागी भागती रही और इसी भागा दौड़ी और चुप्पा छुपी में उसके पास रखकर पत्थर से ऊसने एक बदमाश को जान से मर डाला
पुलिस उसके पीछे लग गयी.और वो कलकत्ता भाग गयी.वहां जाकर पहले तो ऊसने किसी तरह इधर अपना वक्त काँटा और फिर गरीबी से झुंझते झूंते किसी बारे पठान के हाथों में बिक गयी पठान का खून करने के बाद कोई चारा नहीं था.और फिर वही से वो क़ातिल बन गयी और ऊसने अपने चेहरे को गुप्त रूप से छिपाते छिपाते खुद को एक नक़ाबपोश चोर बना लिए जिसका पेशा चोरी और क़ातिलाना हमला था.पुलिस उसका कोई सुराग आजतक नहीं लगा पाई थी
मेरे निगाहों में उसके प्रति बहुत दुख था.हालाँकि ऊस्की कहानी भी मेरी कहानी से मिलती जुलती थी.लेकिन जितना दर्द ऊस लड़की के जिंदगी में था वो मुझमें कहा मैंने धीरे से उसके कंधे पे हाथ रखा
देवश : हालत तो मैं बदल नहीं सकता तुम कहीं भी जा नहीं सकती पुलिस मौके पे ही तुमको गोली से उड़ा देगी
लड़की : मेरे पास कोई भी चारा नहीं है मैं कुछ नहीं कर सकती इन कमीने सेठ लोगों के चलते ही आज मेरी जिंदगी नरक बनी जिन जिन को मैंने लूटा वो लोग पेशेवर सेठ है या फिर इनकम टॅक्स ऑफिसर जो लोगों को लूटते है और फिर खुद के जेब को भरते है ऐसे लोगों से मुझे चिढ़ है
देवश : मैंने भी कई खून किए है लेकिन कभी इसे अपनी मज़बूरी नहीं समझी कभी हावी नहीं होने दिया.अगर तुम कहो तो मैं तुम्हें सपोर्ट करूँगा वही काम तुम अच्छे के लिए करो तो शायद मैं तुम्हें इंसाफ दिला पौ
लड़की : यहां का लॉ इतना अँधा है ये मेरी काहं सुनेगा? जल्दी ही पकड़ी गयी तो उमर कैद होगी
देवश : और अगर मैं कहूँ की चैन से लड़ने की आज़ादी तो (लड़की बारे ही गौर से मेरी बातों को गौर करके चुप हो गयी)
लड़की : मुझे वक्त चाहिए मेरी बाइक भी ऊन लोगों के हाथ लग गयी दूसरी का इंतजाम करना होगा
देवश : चोरी करके
लड़की ने मेरी ओर तीखी नज़रो से देखा "ये लो पैसे"..उसे गिनाते ही उसके होश उड़ गये करीब 20000 थे."इन चाँद रुपयों के लिए जो गुनाह तुम अपने सर ले रही हो वो कानून कभी ना कभी नजरअंदाज कर देगा पर ऊपरवाला कभी नहीं"..मेरी बात को सुनकर चुप सी हो गई "बस मुझे सोचने का कुछ वक्त दो"..चुपचाप वो बस गुमसूँ रही
"ओह हेलो जा रही हो शायद फिर ना मियालने की बात कहो क्या नाम से पुकार उतूम्हें?"...मैंने मुस्कराए उसके जाते कदमों को रोकते हुए कहा
"जो तुम कहते हो मुझे काली साया ब्लैक शॅडो"....ऊसने मुझे आँख मारी और मुस्कुराईइ "कलेजे को ठंडक पहुँची तुम जैसे शॅक्स से मिलकर जो लोगों के लिए इतना कुछ करता है खुद को मुरज़रीम आज महसूस कर रही हूँ चाहती तो मैं भी कर सकती थी लेकिन ये मुलाकात हमेशा याद रखूँगी अलविदा"...इतना कहकर वो मुस्कराए बाहर भाग गयी
अब किस तरफ गयी पता नहीं अंधेरा हो गया था.जब बाहर निकाला तो पाया की उसका मुकोता गिरा हुआ था.हूबहू मेरे मुखहोते जैसा.और उसके पीछे लिपस्टिक से लिखा हुआ था "काली साया"...मैं मुस्कुराकर ऊस मुकोते को चूम के चार और देखने लगा यक़ीनन किसी के नज़रो में वो नक़ाबपोश सहित ना आ जाए इसलिए ऊसने खुद के कपड़े और नक़ाब को उतार डाला था
उसका असल चेहरा बेहद खूबसूरत होगा या मैं अंदाज़ा लगाने लगा..
वो रात काफी यादगार थी मेरे लिए.काली साया से मिलने के बाद तो जैसे दिल पे ऊसने एक लकीर चोद दी थी.मैंने आजतक कभी किसी को अपना सच नहीं बताया लेकिन ना जाने क्यों उसके दुख और गम ने मुझे ऐसा मज़बूर किया की मैं बिना अपना पर्दाफाश करे रही नहीं पाया उसे यह कह डाला की मैं ही काला साया हूँ.अगर बयचाँसे वो ये बात मेरे दुश्मनों को कह दे या फिर ये एक चाल हो महेज़ दो पल की कशिश ने मुझे ऊस्की तरफ यूँ खींच डाला और मैं सबकुछ भूलके उसे एकदम अपना मानने लगा
इन सब कशमकशो के बीच फौरन काली साया को बचाने का इंतजाम करना था..पहले तो चोरी किए गये सेठ के घर से चुराए पैसों की गठरी को पुलिस स्टेशन में सुपुर्द किया और ऐसा जताया की छानबीन में चोर ने गठरी भागते वक्त फैक दी जो जंगल में पाई गयी.ताकि इससे शक कम हो..लेकिन साला ऊस्की बाइक पुलिस ऑफिसर्स के हाथ लग चुकी थी और ऊस्की जाँच पर्ताल हो रही थी किससे ली गयी या चोरी की है? सारा दाता पुलिस ऑफिसर्स ने छानबीन करना शुरू किया
लेकिन काली साया भी कोई कम नहीं थी मुझसे.शातिरो की रानी थी.ऊसने बेहद सरल तरीके से चोरी की थी वो बाइक.और जब इन्वेस्टिगेशन हुआ.तो किसी अमीर सेठ अंबानी के बेटे की चोरी हुई बाइक थी जो अबतक नहीं मिली थी..हां हां हां पुलिस फिर खाक छानते रही गयी और काली साया का कोई सबूत नहीं मिला सब हाथ मलते रही गये.खैर ऐसे दो दिन बीत गये
उसके ऊपर का खतरा तो जैसे तैसे टाल गया था.लेकिन क्या मेरा राज़ जानके? वो चोरी का लाइन छोढ़के मेरे संग जुर्म के खिलाफ लारेगी?.इस बात की मुझे कम ही उम्मीद लग रही थी भला चोरी का काम छोढ़के वो मेरा साथ क्यों देगी? उसे पुलिस की गोली खाने का तो शौक नहीं होगा..खैर मैंने भी उसके संग बिताए लम्हो को भुलाया नहीं..लेकिन मैं इन दो दीनों में ही उसे मिस करने लगा ना जाने क्यों उसके हाँ का इंतजार था बस उसके मुकोते को लिए सहलाता रहता
दिव्या भी आजकल मेरे नये बर्ताव से थोड़ी अचरज थी.मैं बिस्तर पे आंखें मुंडें लेटा हुआ था.और फिर ऊसने मेरे सीने पे हाथ फिराया."क्या हुआ बारे ही गौर से देख रहे हो इस मुखहोते को"...ऊसने धीमे लव्ज़ में कान में फुसफुसाया.उसे पता नहीं था की मेरी मुलाकात किससे हुई थी
देवश : बस ऐसे ही
दिव्या : आजकल तुम पहले जैसे रहे नहीं बहुत सोच में डूबे रहते हो अब तो सब नॉर्मल हो चुका फिर किस बात का तुम्हें गम?
देवश : देखो दिव्या कुछ बातें बताई नहीं जाती
दिव्या : अच्छा ग
दिव्या ने जब देखा की मैं एकदम उसे इग्नोर कर रहा हूँ..तो वो खुद करवट बदलके सोने लगी.मैं भी अपनी सोच से जागा और मुखहोते को दराज़ के अंदर रखकर वापिस बिस्तर पे आया..पहले दिव्या को जगाना चाहा लेकिन मन नहीं ताना..मेरे दिलों दिमाग में ऐसी वो हावी हुई थी की मैं दिव्या को ही इग्नोर करने लगा.क्यों? क्या सिर्फ़ मेरे अंदर बाकियो तरह वासना है?.जबकि दिव्या ने मेरे लिए इतना कुछ किया है..मैंने फौरन दिव्या के बगल में लायतके उसके ज़ुल्फो को सहलाया..दिव्या फौरन ही मुझसे लिपट गई
मैंने दिव्या की प्यज़ामे के अंदर ही हाथ डाले पैंटी के भीतर झांतों पे उंगली फहीराई और फिर दो उंगली किसी तरह चुत में करनी शुरू की.दिव्या कसमसा उठी..मैं उसके टांगों पे टाँग रखकर खूब ज़ोर से अंगुल करने लगा दिव्या कसमसाए जा रही थी.और फिर ऊसने बेतहाशा मेरे मुँह पे चूमना शुरू कर दिया.मैंने उसे सीधा लिटाया और चुत में उंगली करता रहा..फिर उसके सलवार को भी खोल डाला पैंटी भी उतार फैक्ी.जंपर भी उतार फ़ैक्हा..और उसके चुत के मुआने में ही मुँह डाल दिया
उम्म्म आहह आअहह..वो खुद ही मेरे सर को अपने चुत पे रगड़ने लगी..हालाँकि उसके सपोर्ट के लिए ही मैं उसे प्यार कर रहा था ताकि वो खुद को अकेला ना महसूस करे..लेकिन दिल-ओ-दिमाग पे तो कोई और ही चाय थी..कुछ देर तक ऊस्की चुत को चाटने के बाद मैं ऊसपे चढ़ बैठा..और फिर लगाने लगा धक्के.दिव्या भी पूरा साथ दे रही थी कुछ ही देर में ही मेरे धक्के तेज हुए दिव्या के टाँगें मेरे कमर में खिस्स गयी ऊसने क़ास्सके अपने गान्ड को मेरे लंड से दबा लिया और फिर मेरे अंदर का सारा तूफान पानी बनकर उसके चुत में ही झड़ गया
कुछ देर में ही मैंने अपना लंड ऊस्की गीली लबालब चुत से बाहर खींचा और पष्ट परे ही बगल में लाइट गया.एक हल्की चादर ओढ़ दी दिव्या को और वो सोने लगी..मैं भी उठके वॉशबेसिन पे ब्रश करने लगा.बार बार काली साया का ख्याल आ रहा था दिमाग में कब आएगी वो कब मिलेगी? कही फिर किसी मुसीबत में.
त्रृिंगगग त्रिंगगग..करीब 3 दिन बाद थाने में एक सीरीयस केस मिला."हेलो इंस्पेक्टर देवश चटरर्ज़ी स्पीकिंग"..फोन रिसीवर उठाते के साथ
"हे..हेल्लू सर मैं आप..काक हब्बरी बोल रहा हूँ"...खबरी की आवाज़ थी
शीतल : भैया क्या बात कर रहे हो आप? जानते भी हो की मैं किसी को पसंद नहीं करती सिवाय आपके और मैं किसी से शादी नहीं करना चाहती
देवश : देखो शीतल तुम अभी पूरी तरीके से समझदार नहीं हुई हो.सील टूटने से पूरी तरह से औरत नहीं बनी हो जब तुम शादी कर लाओगी ज़िम्मेदारिया संभालॉगी तब तुम एक संपपोर्ना औरत बनोगी देखो मानता हूँ तुम मुझसे प्यार करती हो पर मैं तुम्हारा भैईई हूँ तुम्हारी मां की नजारे में तुम्हें पता है अगर तुम्हारी मां को पता चला की ऊन्ही का बेटा अपनी ही बहन के साथ सोता है तो ऊन्हें हेअरटत्टकक हो जाएगा तुम चाहती हो ऐसा? की ऊन्हें हमारे रीलेशन ?
शीतल : नहीं भैया पार मैं आपसे ही शादी करना चाहती थी
देवश : ये मुमकिन तो नहीं है ना अब तुम मेरी मुँह बोली बहन हो दुनिया की नजारे में पर हमारा प्यार दुनिया नहीं मानेगी समझा करो जो हो गया वो सिर्फ़ तुम्हारा मेरे प्रति प्यार और मेरा तुम्हारे प्रति प्यार था
शीतल : लेकिन भैया फिर भी आप समझाओ ना मां को की आप मुझसे शादी!
ये तो गले पढ़ने वाली बात हो गयी साला एक तो इतना टेन्शन सबको शादी की ही पड़ी है.किस किस से शादी करूं? दिव्या से? इससे? लेकिन गलती मेरी भी थी शीतल को बहन भी मना और उससे चुदा भी कर ली ये भी तो पाप ही था लेकिन अब जो हो गया सो हो गया अगर अपर्णा क्काई की पता लगा तो हमारे संबंध में बवाल खड़ा हो जाएगा.और मुझे ना अपरा काकी को खोना था ना शीतल को और ना ऊन्हें बदनामी के डर में फसाना था मैंने फौरन शीतल को खूब समझना शुरू किया.और उससे कहा की मैं उसे ऐसा संपूर्ण मर्द दूँगा जो वो पसंद कर लेंगी मुझसे भी अच्छा होगा और उसे खूब खुश रखेगा पर शीतल नहीं मानी.और ऊसने उदास होकर फोन कांट दिया
अब यहां मुझे अपर्णा काकी से बात करनी थी पर आज नहीं कल ही हो पाएगा?.पूरा दिन मैं सोचता रहा.फीरसे दिव्या का कॉल आया.दिव्या को भी समझा भुजाके कहा की काम में फ़सा हुआ हूँ.फिर शाम के ढलते ही मैं अपने वीरान ख़ुफ़िया घर पहुंचा..वहां का सारा काम निपटना शुरू किया
जल्द ही..कोई दीवार से तदपके आए..जैसे मैंने दरवाजा खोला सामने मुकोता पहनी रोज़ खड़ी थी..अफ आज उसके बदन से खुशबू आ रही थी ऊसने मुस्कुर्या उसे लाल होठों की लाली ने मेरे पूरे दिन के दुख को जैसे गायब कर डाला
देवश : अर्र..ए वाह तुम आ गयी आओ अंदर?
रोज़ : हम आती कैसे नहीं? जब एक दोस्त से हाथ मिलाया है
देवश : अच्छा ग तो हब मैं आपका दोस्त बन गया मुझे तो लगा मैं आपका
रोज़ : थोड़ी काम की बात बताओ कहाँ से शुरू करना है ? क्या सेट-उप किया?
मैंने रोज़ को मुस्कुराकर देखा और फौरन हॉल की लाइट्स ऑन की धढ़ धढ़ करके पूरे हॉल में उजाला छा गया चारों ओर काफी अच्छे से मैंने अपने ख़ुफ़िया एजेन्सी को बनाया था.एक तरफ पीसी जिसमें सारे क्रिमिनल्स देता ट्रेसिंग डिवाइस रोज़ के लिए हर बचाव का इंतेज़मत था ऊसमें लोकेशन जीपीयेस सिस्टम सबकुछ दूसरी ओर स्कॅनिंग डिवाइसस थे जिसमें फिंगरप्रिंट्स प्रिनटाउट्स दी इन ए डिवाइसस भी परे हुए थे इन सब चीज़ों को मैंने बारे ही मुस्किलो से खरीदा था.हालाकी काला साया में मुझे इन चीज़ों की जरूरत नहीं पड़ी पर मैं काफी बरेक़्क़ी से जाँच पढ़ताल करके किसी सूपरहीरो की तरह ही दिमाग चला रहा था
दूसरी ओर दो बाइक्स खड़ी थी.जिससे मॉडिफाइ करवाया था मैंने ये भी इल्लेगली तीसरी तरफ काला साया का सारा मेरा काप्रा मौज़ूद था साथ ही साथ रोज़ के मुखहोते और उसके कपड़े मज़ूउद थे..इतने इंतेज़मत को देखें के बाद रोज़ के मुँह से वाहह निकली
रोज़ : वेरयय वेल्ल्ल डन
देवश : थॅंक्स सोचा आजसे हम जब पार्ट्नर्स है तो काम शुरू किया जाए सारें इंतेज़ांत है (मैं रोज़ को सब चेज़ों के बारे में बताने लगा वो कंप्यूटर एक्सपर्ट थी ऊसने सारे रेकॉर्ड्स चेक करने हसुरू किए.हर डिवाइस को चेक किया एक प्रोफेशनल चोर थी वॉ और मैं नपोलिसेवला तेहरा इसलिए मेरी भी छानबीन और डेवीसेस्क ए आड़हर् में मैं भी प्रोफेशनल था)
रोज़ : जब तुम्हारे पास इतना इंतेज़मत है तो फिर तुम काला साया क्यों बन गये?
देवश : कुछ चीज़ें आईस होती है जो बताई नहीं जाती.पुलिस वालो के लिए मैं डेड ओर अलाइव वाला पर्सन बन गया था मैंने कई खून किए इसलिए उनकी नजारे में मर गया पर तुम अब मेरी पोज़िशन को सम्भालो तो बेहतर रहेगा
रोज़ : तुमने मेरे लिए इतना कुछ किया है मैं कैसे भूल जाओ (कोमिससिओनेर वाली सायर बात उसे बता डाली वो बस चुप रही)
देवश : अच्छा तो फिर तुम तैयार हो
रोज़ : मुझे तैयार नहीं करोगे (ऊस्की आंखों में चमक सी थी मैंने मुस्कुराकर उसे जॅकेट दी ऊसने मेरे सामने ही अपनी हुक खोल के एक मोटा बुलेटप्रूफ जॅकेट के ऊपर लेदर जॅकेट पहना उसके क्लीवेज दिख रहे थे)
मैंने रोज़ के बदन पे हाथ रख रखकर उसे तैयार कर रहा था बीच बीच में ऊस्किसांसें मेरी साँसों से टकराए.बार बार रोज़ मेरी नजारे में झांटकी जब मैं उसे बेल्ट पहना रहा था क्योंकि मैं काला साया हूँ और उससे ज्यादा प्रोफेशनल.तैयार करने के बाद ऊसने अपने मुखहोते को ठीक करते हुए पास ही के टेबल पे अनगिनत वेपन्स में से नानचाकू के बजाय हॉकी का डंडा ले लिया..मैंने उसे ट्रेनिंग सेशन में पनचिंग बॅग्स और हेंड तो हेंड कंबेट्स के साथ साथ वर्काउट के लिए दुम्ब्ेल्लस और कुछेक्शेरसीसे एक्विपमेंट्स दिखाए.पर ऊसने मुझे आँख मरते हुए कहा की वो पहले से तैयार है
फिर ऊओसने बाइक स्टार्ट की और तीवर्ता से हॉल के ख़ुफ़िया दरवाजे से निकल गयी.मैं उसके लिए बेहद डर भी रहा था पर जनता था वो कौन सी काला साया से कम है?.मैंने फौरन हेडफोन लगाया और पीसी पे बैठकर उसी लोकेशन ट्रेस की.वो पूरे शहर का गश्त लगा रही थी बिना पुलिस के नजारे में आए
जैसे जैसे रात के साए में रोज़ निकलती.सन्नाटे को चीरती जुर्म पे ऊस्की दस्तक होती..अबतक तो टाउन के हिस्से लेकर पूरे डिस्ट्रिक्ट तक ये बात फैल चुकी थी.की हूबहू काला साया की तरह एक शॅक्स बाइक पे आता है हेलमेट और अंधेरे के वजह से उसके मुखहोते पहने चेहरे को देख नहीं पाता है.और फिर कहीं पे हो रहे अपराध पे रोक पे अपनी ही मोहर लगा देता है
सबकी नजारे में बस ऊस शॅक्स का नाम था.."रोज़"..वो अंधेरे साए में आती है.और गुंडे मवालीयो से अकेले ही भीढ़ जाती है उससे तरकने की तो दूर उससे भागने की भी ताक़त किसी के हाथों में नहीं होती.अपराधियों को मर के ऊन्हें पुलिस के आने से पहले उनके हाथों में सुपुर्द करके निकल जाती है और साथ ही साथ अपने हर दुश्मन के पॉकेट में एक लाल गुलाब चोद देती है
रोज़ के साथ ऐसा टीमवर्क भरा काम करते हुए 2 महीने बीत गये..इन 2 महीनों में शहर में ऐसी रोज़ के नाम की आग लगी.की सबके जुबान पे काला साया के बॅया दब रोज़ का नाम था.कोई कहता काला साया ही है..और कोई कहता नहीं ये कोई और है? पुलिस जानती थी की ये लड़की वही चोर है जिसने पूरे बंगाल स्टेट को हिला डाला था.पुलिस आजतक उसका पीछा ना कर पाई हूँ कौन थी ? कहाँ से आती थी?.इधर मेरा मूवमेंट और ऑपरेशन दोनों बखूबी रोज़ के संग चल रहा था उसके गुलाबी महक नेट ओह मुझे उसका दीवाना बना दिया साथ ही साथ उसके काबिल-ए-तारीफ हौसले और हिम्मत की दास्तान को रोज़ थाने में सुनकर दिल बैग बैग हो जाता गुलाब के फूलो से
पुलिस कभी कभी ट्रॅप बिछाके रोज़ को पकड़ने की कोशिश करती थी..लेकिन मैं अपने वर्दी के फायदे से कभी पुलिस को रॉंग वे में भेज देता या फिर कभी पुलिस के सामने अड़चन बनकर सामने आ जाता.जैसे रोज़ अगर बाइक लेकर जिस रास्ते से गुजरती और हूँ रास्ता दो रहा.तो उसके निकलते ही मैं भी उसी के भैईस में दूसरे रास्ते निकल जाता.पुलिस इससे चकमा कहा जाती.कभी रास्ते में पुलिस के पत्थरे बिछा देता.तो कभी रोज़ को झूते मूओते नाम पे पकड़ने के साथ साथ अपने हेडफोन से उसे डाइरेक्षन और लोकेशन दोनों बताते रहता.रोज़ के हर हरकत और उसके हर सिचुयेशन पे मेरी निगाह होती अनॅलिसिस ऑफिस से.रोज़ जल्द ही अपने पाप की दुनिया से निकलकर अक्चाई की लड़ाई में खुद को काफी तृप्त महसूस करती थी
और धीरे धीरे मेरे अंदर भी रोज़ के प्रति कुछ कुछ होने लगा था.कमिशनर की मुझे कभी कभी बेहद दाँत सुन्नी पढ़ती.लेकिन उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं था रोज़ के खिलाफ इसी लिए उसे कभी गेरफ़्तार करने की नौबत ही नहीं आई.मैं कमिशनर की दाँत को खाके बस मुस्कराए केबिन से निकल जाता.और फिर रोज़ के साथ काम शुरू करता.जल्द ही रोज़ अपने नये नाम से प्रचलित हो गई सबको हैरानी थी आख़िर काला साया कहाँ गायब हो गया? और ऊस्की जगह रोज़ कहाँ से आ गयी? पुलिस का भांडा फहूट जाए इस बात का मैं पूरा ख्याल रखता था पुलिस निकाला साया को जान से मर डाला ये बात अगर पब्लिक को पता चली तो शायद बवाल हो जाए.सबकुछ सही जा रहा था.और मेरे दिल ही दिल में रोज़ को लेकर प्यार उमाधने लगा था
ऊस रात रोज़ गश्त लगाकर वापिस आयआई.ऊसने गॅंग्स्टर्स को आज पुलिस के हाथों अरेस्ट करवाया था..ऊसको थोड़ी चोटें आई थी..बाइक से उतरके मैंने फौरन उसे लाइट जाने को बोला..उसके पीठ में बहुत दर्द था.
देवश : के..क्या हुआ? रोज़ तुम ठीक हो?
रोज़ : पीठ पे गुंडों ने चाबुक बरसा दिया था..वो तो गनीमत थी की आहह मैंने तुम्हारे सिखाए रस्सी को काटने का हुनर सिख रखा था
देवश : श में गोद ई आम सॉरी मैं तुम्हारी ऊस वक्त मदद नहीं कर सका..ठीक है तुम एक काम करो पेंट के बाल लाइट जाओ मुझे एक इलाज आता है ला कर..इन तुम्हें अपना काप्रा उतारना पड़ेगा तुम्हारी पीठ के ज़ख़्मो को देखते ही मैंन्न
रोज़ : टीटी..हीक हे दर्द बहुत ज्यादा लग रहा है जो कुछ करना है कर दो.(मैंने मौके को समझते हुएफओुरन पास रखिी काली पट्टी अपने आंखों में बाँध ली)
रोज़ : ईए क्या कर रहे हो?
देवश : हाहाहा तुम्हारी झिझक दूर कर रहा हूँ मैं एक मर्द हूँ और तुम एक औरत इसलिए समझ रही हो ना (रोज़ ने मुस्कुराकर अपने लंबो पे लगी लाली दिखाई)
और फिर मेरे सामने पीठ कर ली..भैईलॉग आँख में पट्टी बँधी थी पर साली ट्रॅन्स्परेंट थी ..धीरे धीरे मेरे तरफ पीठ करके रोज़ ने अपना जॅकेट उटा फैका..और उसके बाद अंदर एक और बुलेटप्रूफ जॅकेट अफ उसके बड़ना के पीठ पे कितने लाल लाल निशान परे हुए थे.काश मैं ऊस वक्त मौज़ूद होता तो हूँ कुत्तों को जान से मर देता.रोज़ ने एक बार मुदके मेरी ओर देखा
और अपनी ब्रा जैसी पहनी डोरी को खोलने लगी बीच बीच में ओर देखती..मैं अंधेपण का नाटक करने लगा.दिख तो सब रहा था.फिर रोज़ ने मुस्कुराकर अपनी डोरी खोल डाली अब हूँ ब्रा में थी काली ब्रा में.हूँ वैसे ही छलके सोफे पे लाइट गयी.मैंने आवाज़ दी "हो गया क्या मैं लगौन?"..ऊसने भी जवाब दिया और अपने पास आने कहा मैं उसके पास आया
रोज़ : अब पट्टी खोल दो तुम वरना पीठ के बजाय बालों पे लगा दोगे क्रीम
देवश : त..एक है जैसी आपकी इच्छा मेमसाहेब
मैंने जैसे ही पट्टी उतारी साला संगमरमर जैसी पतली कमरिया क्या चिकना बदन था?.मैंने थूक घोंटते हुए फौरन इलाज शुरू किया.पहले छोटे बाल्टी में गुगुला पानी लाया और फिर उसे बारे ही आहिस्त आहिस्ते निसान पे लगाकर साफ करने लगा.गरम भीगे तौलिए के अहसास से रोज़ आंखें मुंडें सिहर जाती है.सिसक उठती
मैं भी सोफे पे पालती मारें बैठा उसके पीठ को तौलिए से पोंछ रहा था उसके बाद.उसके निशानो पे हाथ पाहिरा.और क्रीम लगाने लगा..एक आहह भी रोज़ के मुँह से ना निकली.हूँ बस अनके मुंडें पड़ी रही..बार बार उसका ब्रा बीच में लग जाता वहाँ पे एक निशान था जिसपे क्रीम लगाना मुश्किल था.मैंने रोज़ से कहा की हूँ अपनी ब्रा की हुक खोल दे ताकि मैं पूरे पीठ पे क्रीम लगा सुकून.रोज़ ने आंखें मुंडें ही अपना हाथ बढ़के हुक को खोल डाला..ब्रा 2 पीस में जैसे दोनों ओर गिर पड़ी उसका एकदम नंगा पीठ मेरे सामने था
मैंने बारे अच्छे से क्रीम लगाकर उसके दर्द में राहत दी..रोज़ को काफी सुकून मिला."अगर तुम कहो तो मसाज भी कर दम"...मैंने मौके को समझके बोला "ऐसी वैसी हरकत तो नहीं करोगे ना"...रोज़ ने मुस्कुराकर बोला.."ईमान का पक्का हूँ"...मैंने भी जवाब दिया."ऑलराइट देन दो इट"...ऊसने फिर आँख मूंद के लिए सोफे पे ही सर रख दिया
मैंने थोड़ा सा तेल लाया और उसके गर्दन और हाथ सब जगह की मालिश करने लगा पीठ पे बचे कुचे निशानो से दूर के हिस्सों में मालिश करते हुए उसके कमर में बार बार हाथ चला जाता फिसल के..रोज़ कोई हरकत नहीं कर रही थी.और ना कसमसा रही थी.मुझे नहीं लगता उसे कुछ फील होने वाला था.मैंने धीरे से ऊस्की निचले पीठ के हिस्सों पे तेल मलके वहाँ माँस को मुट्ठी में भरके मालिश किया.इस पे रोज़ थोड़ी कसमसा जाती.धीरे धीरे उसके हाथ को फिर मलते हुए ऊस्की नाज़ुक उंगलियों की भी मालिश की शायद हूँ सो गयी थी.मैंने सोचा क्यों ना टांगों की भी कर दम..साला तेल की कटोरी लिए उसके ताअंगो से थोड़ा थोड़ा करके एलास्टिक पेंट हटाया और वहां तेल मलने लगा.उसके पाओ पे भी.रोज़ ने कोई हरकत ही नहीं की.हूँ शायद सो चुकी थी.मैंने उसके घुटने तक फिर जाँघ तक तेल को माला.इस बीच में बार बार मेरा हाथ उसके गांड पे लग जाता..लेकिन ज्यादा आगे बढ़ना रीलेशन को खराब करने वाली बात थी.
अचानक मुझे अहसास हुआ की मालिश के चक्कर में साला अपना पेंट के अंदर में कबका खड़ा वज्र गोरी में के पीठ और टांगों पे भी दबा हुआ था.मुझे बहुत शर्मिंदा महसूस हुआ..और साथ में खुद पे गुस्सा भी आया मैं अभी उठने वाला ही था की रोज़ ने मेरे हाथ को पकड़ लिया
रोज़ : अच्छा ग ज़रा पास आना तो (और ऊसने मुझे अपनेई तरफ एक झटके में खींचा हूँ उठ बैठ इयोर ऊसने मेरे प्यज़ामे से निकले उभर पे उंगली रखी या यूँ बोलो तो लंड पे उंगली रख दी मेरा तो पूरा बदन काँप गया एक कुँवारा लड़का बन गया था में जैसे)
देवश : यईए वॉ नहीं?
रोज़ : अच्छा ग जवान हूँ और तुम भी जवान हो और जवान लड़कों का ये क्यों खड़ा होता है ये तो जानते ही होंगे दूध पीते बच्चे तो नहीं है यहां कोई जो समझ नहीं सकता
देवश : देखो रोज़ हूँ मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ लेकिन मैं सच कहता हूँ आगे ऐसा!
रोज़ ने मेरे होठों पे उंगली रखकर दबाई और मुझे उसी पल अपने संग सोफे पे धकेल दिया मैं ये भूल चुका था उसके छातियो पे तंगी ब्रा अटकी हुई आध खुली छातिया दिख रही थी.पर मैं ऊस वक्त रोज़ के कररणामे से डरा हुआ था.ऊसने मेरे ऊपर चढ़के मेरे चेहरे पे हाथ पाहिरा और मेरे बालों को सहलाया
रोज़ : हुम्हें काम करते हुए इतना दिन हो गया लेकिन तुमने कभी अपने ज़ज़्बात नहीं बताए अब मुझे बोका मत समझो.तुम्हारी हूँ पर्सनल डेरी मेरे लिए जो इंग्लिश में शायरिया लिखते हो मैं सब पढ़ चुकी हूँ यहां तुम अनॅलिसिस करते हो या मुझे अनॅलिसिस करते हो बताओ बताओ
देवश : सच पूछो रोज़ तो में..मैं पागल सा हो गया हूँ जबसे तुम्हें देखा हूँ बस तुम्हारे साथ ही वक्त बिताना चाहता हूँ ना जाने क्या हो गया है तुमसे?
रोज़ : यू स्टुपिड इसे ही तो लव कहते है यू आर फॉलिंग इन लव विड में (रोज़ यक़ीनन बाहरी देश की आई गोरी में थी..लेकिन उसके अल्फाज़ो में कुछ ऐसे वर्ड्स थे जो यक़ीनन मुझे समझणाए में डायरी ना लगी)
रोज़ ने फौरन मुस्कुराकर अपने चेहरे को मेरी ओर झुकाया और मेरे होठों में अपने होंठ रख डालें.हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे.मैंने आंखें बंद नहीं की मैं इस मंजर को अपने आंखों से महसूस करना चाहता था.एक के पल को महसूस करते हुए मैं जैसे डूब गया उसके लाल लाल होठों को चुस्सते हुए मुझे इतना मजा कभी नहीं आया
रोज़ पागलों की तरह मुझे किस कर रही थी शायद विरासत में मेक आउट करना अपनी अँग्रेज़ मां से सीखा था.फिर हूँ कभी नाक कभी कान कभी गाल कभी माथे पे चूमते हुए मुझसे लिपट चुकी थी.."वादा करोगे की तुम मेरा साथ निबहोगे मुझसे शादी करोगे कभी छोढ़के नहीं जाओगे"...साला ये लाइन जब लड़कियों के मुँह से सुनता होंठ ओह पूरा बदन काँप जाता है प्यार का बुखार चढ़ जाता है और ऊस वक्त मेरे जैसा दीवाना आदमी सिर्फ़ यही कहता हाीइ "क्यूउ नहीं? बिल्लकुल्ल्ल".मैंने उसके प्रपोज़ल को स्वीकार कर लिया था
और फौरन उसे कमर से अपने गेरफ्त में लेते ही पलट डाला अब हूँ सोफे पे मैं उसके ऊपर मैं उसके होठों को बुरी तरह से चुस्सने लगा.हूँ मुझे पागलों की तरह चूमें जा रही थी..मैंने फ़ौरना उठके अपना शर्ट उतार डाला..और फिर उसके ब्रा पे हाथ रखकर झिझक उठा
मेरी गरम सांसों को हूँ अपने गालों पे महसूस कर रही तो ऊस्की भी गरम साँसें मेरे मुँह से टकरा रही थी "के.या हुआ?"..ऊसने मेरे चेहरे को हाथों में भ्रष्ट हुए बोला
"क्या मैं तुम्हारा देख सकता हूँ?"....रोज़ ने प्यार से मुस्कराया और खुद ही मेरे हाथ को अपने छाती पे रखा और फौरन मेरे हाथ को उठाया ऊस्की ब्रा मेरे हाथों में आ गयी और साथ ही साथ ऊस्की चुचियां भी
मैंने ऊस्की छातियो पे हाथों को रखा तो जैसे करेंट सा दौड़ने लगा मैंने बारे ही प्यार से ओस्कि छातियो को दबाया.मैंने फिर उसके होठों पे होंठ रख डालें.मैंने उसके मुकोते को उतारना चाहा लेकिन ऊसने मेरा हाथ नीचे कर दिया "न..नहीं वादा करूं अभी तुम ये चेहरा नहीं देखोगे"...मुझे किस करते हुए."पर क्यों?"...ऊसने मेरे चेहरे को फिर हाथों में भरा."मुझे वक्त चाहिए"...उसके जवाब को सुन मैंने भी हामी भारी कोई बात नहीं मुझे उससे प्यार था उसके चेहरे से नहीं.चाहे हूँ दिखाए ना दिखाए मैं तो उसके सामने पूरा हाज़िर था
ऊसने फिर मुझे अपने ऊपर सवार किया और हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे..फिर मैंने ऊस्की छातियो को डबाते हुए उसके निपल्स को मुँह में भरके चुस्स्सा.."आहहस्स आहह"...ऊसने झाढ़ झाढ़ के अपना पेंट भी उतार डाला हूँ अब पैंटी में थी और मैं प्याजमे में.उसका हाथ मेरे चड्डी पे सख्त हो गया..वो मेरे उभर को दबाने लगी..और मैं उसके छातियो को दबा दबा के चुस्सने लगा ऊस रात बादलो की भयंकर गरगरहट भारी गुँज़ज़ पूरे माहौल में दाखिल हो रही थी.
और हम दोनों एक दूसरे से बस लिपटे रहे जल्द ही लाइट चली गयी.लेकिन हम दोनों एक दूसरे से अलग नहीं हुए.
भारी भाऋीश से पूरा शहर भीग रहा था.जल्द ही हूँ गाड़ी खंडहर में पहुँची.और उसके रुकते ही एक नक़ाबपोश गाड़ी से उतरा ऊसने काले रंग का मुखहोटा पहना हुआ था जिसमें सिर्फ़ आँख नाक और होंठ दिख रहे थे.फिर उसके उतरते ही ऊसने गाड़ी का फाटका खोला..और फिर हूँ शॅक्स अपने मगरमच्छ के चंदे के बने जुटते एक एक कदमों के साथ रखते हुए ऊस बंद खंडहर में लिए दाखिल हुआ
सामने एक बड़ी बल्ब की रोशनी जल रही थी.एक बड़ा सा डाइनिंग टेबल था.ऊसमें पहले से ही शहर के बारे बारे माफिया लोग बैठे हुए थे.और सब उसी का इंतजार कर रहे थे.ऊस शॅक्स के बगल में चल रहा हूँ काला मास्क पहना आदमी दूसरी ओर देखता है.दूसरी ओर भी एक शॅक्स जिसने अजूबा जैसा मुखहोटा पहना हुआ था अपने तीर से बार बार खेल रहा था
इन अज़ीबो गरीब लोगों को देखकर सब फुसर फुसर कर रहे थे.हूँ शॅक्स टेबल पे बैठा..लेकिन उसके बैठने से पहले ही सब उठ खड़े हुए..मानो जैसे उसका लोहा मानते थे."मीटिंग शुरू की जाए हमारे सर खलनायक यही चाहते है"...सिगर्रेतटे फहूंकते हुए अपने होठों से निकलकर ऊसने मुखहोते को फिर ठीक किया
उसके अज़ेब से मुकोते को देख सब गुंडे चुपचाप थे बस ऊस्की उबलटी निगाहों को देख रहे थे इन तीन नक़ाबपोशो को देखने के बाद बातें शुरू हुई ऊस शॅक्स ने सबकी बातें सुनी की कितना इस बार पुलिस का शिकंजा है और उनके ड्रग्स दवाइयों की शकल में पकड़ी गायहाई
"तुम हरामजादो को खलनायक के साथ बैठने का कोई राइट नहीं बनता.जिस तरह हमारे कंपनी का नुकसान हुआ उससे कई ज्यादा हुम्हें इस बात का गुस्सा है की हमारे कोकेन और घना से लाई इल्लीगल इंपोर्टेड ड्रग्स भी पकड़ी गयी उसका कौन जिम्मेदार था बताओ"..खलनायक ने चिल्लाते हुए कहा
काला नक़बपसो जो डाई ओर खड़ा था खलान्यक के ऊसने बताया की उसका ज़िमीडार जावेद हुस्सियान है जो पुलिस के हटते चढ़ गया उसके पकड़े जाने की बड़ी वजह एक पुलिस इंस्पेक्टर था और साथ ही साथ एक बाइकर लड़की जो आजकल शहर की हीरोइन भारी फिर रही है रोज़
खलनायक मुस्कराया.और ऊसने उठके जावेद हूसेन के पारटनेस को वही पे गोली से चली कर दिया..सब सहम उठे "आप लोगों को डरने की जरूरत नहीं जिसने गुनाह किया खलनायक ने उसे सजा दी खलनायक को दो लोगों से भर इचिढ़ है एक तो औरत ज़ात और एक बड़ज़ात इन हरमियो ने मेरा पकड़वाया काला लंड"...खलनायक ने मुस्कुराकर अपने काले मास्क पहने नक़बोश को नाम पुकारा
काला लंड : कहिए हुज़ूर
खलनायक : दुबई से ब्ड फिर वहां से हिन्दुस्तान आना हमारा एक ही मंसूबा था.जल्द से जल्द जावेद हूसेन को मौके पे ही निशानेबाज़ के हाथ से मरवा दो.और दूसरी चीज़ ऊस लड़की रोज़ का पता लगाओ और जिस पुलिस की इन्वॉल्व्मेंट थी ऊन सबका नाम मुज़ेः च्चाईए
निशानेबाज़ : आप चाहे तो हम ऊँका काम ऐसे ही तबाह कर देते (अजूबा का मुखहोटा पहने दाएँ ओर खड़े खलनायक के आदमी ने कहा)
खलनायक : नहीं मैं चाहता हूँ की ऊन सबकी मौत मेरे सामने हो अभी हम इस देश से नहीं जाएँगे..हमारे रहने का इंतेज़मत करो
बदल की गरहट के साथ सब वापिस अपने अपने गाड़ी में सवार होकर निकल गये
रात के डेढ़ बज चुके थे..लेकिन ना तो रोज़ के आंखों में नींद थी और ना ही मेरे..रोज़ और मैं कब अपने अपने कपड़ों से निवस्त्र होकर एक दूसरे के अंगों को सोफे पे ही लेटे लेटे सहला रहे थे पता नहीं..बस रोज़ के चेहरे पे उसका मुखहोटा था ऊस्की चमकीली आंखें बार बार मुझे उसके चेहरे की तरफ ले जा रही थी उसके होंठ जो लाल लिपस्टिक से साने हुए थे उसे अपने मुँह में भरके मैंने चुस्स लिया रोज़ गरमा गयी थी "आहह उम्म्म"..ऊओसने आहें भारी
मैंने ऊस्की छातियो को काश क़ास्सके दबाया रोज़ के टाँग साँप की तरह मेरे टांगों से लिपट गये फिर वो मेरे ऊपर किसी बिल्ली की तरह चलते हुए चढ़ने लगी और फिर बिल्ली की मुद्रा से बदलते हुए मेरे चेहरे पे बैठ गयी वो नंगी थी ऊस्की पूरी चुत मेरे मुँह पे..मेरा साँस और दम दोनों घूँट गया.अब मेरा चेहरा उसके चुत से रगड़ कहा रहा था.जबकि मेरे नाक उसके चुत के मुआने में दबी हुई थी.मैं गहरी गहरी साँसें लेकर साँस खींच रहा था और ओस्कि चुत की महेकदर पांकुदियो के बीच से निकलती हवा को सूंघ रहा था अफ क्या महक थी उसके पूरी गान्ड से लेकर चुत तक की मैंने अपनी जुबान खोली और ऊस्की चुत में चलाने लगा.
"आअहह आहह"...रोज़ ने मेरे बालों को सहलाते हुए बैठे बैठे ही अपनी चुत को मेरे मुँह पे रगड़ने लगी.और मैं उसके दोनों जांघों को हाथों से क़ास्सके जकरे हुए उसके चुत को चुस्सने लगा..उसके दाने पे नाक रगड़ने लगा उसके चुत के छेद के भीतर अपनी थूक भारी जबान घुसा दी..रोज़ की आंखों के पुतलिया बंद खुल रहे थे.रोज़ा आहें भरे जा रही थी
फिर उसके बाद ऊसने इंग्लिश में मोनिंग लेना शुरू कर दिया "आहह फ्फूकककककक आहह फुक्कककक मईए आहहह"...और उसका पूरा शरीर काँपा बड़ी ज़ोर से और ऊसने मेरे मुँह पे ही वीर्य की बरसात कर दी मेरे मुँह पे झड़ गयी वॉ फिर भी मैं उसके चुत में मुँह घुसाए रहा और उसके छेद के अंदर बाहर जुबान करता रहा.पूरी तरह काँपने लगी थी रोज़ ऊस्की चुचियों के निपल्स भी सख्त हो आ गये थे वो खुद मेरे मुँह पे उछालने लगी और मेरे सर को पकड़कर अपने चुत में दबाती रही
मैं लेटे लेटे ही बिजलियो के शोर और रोज़ की आहों को सुनते हुए बस उसके चुत को चाटने में जैसे खो गया था.कुछ देर बाद रोज़ एक बार फिर कामसा उठी और इस बार वो मेरे ऊपर से हाथ बैठी.जैसे ही वो मेरे ऊपर से हटी मैंने गहरी सांस खींची और हापसने लगा मेरा पूरा चेहरा लाल था वीर्य से भीगा पसीने से तरबतर रोज़ हस्सने लगी.और फिर ऊसने झुककर उल्टे तरीके से मेरे होठों को चुम्मा मैंने फिर उसके होठों को छूसा
इन अँग्रेज़ लड़कियों में सेक्स की भरमार होती है..जब तारक चढ़ती है तो संभालना मुश्किल होता है इन्हें.रोज़ किसी पॉर्न आक्ट्रेस की तरह सारे काम कर रही थी मानो जैसे कितनी माहिर हो..जबकि ऊसने खुद बताया की ऊसने आजतक किसी लोंडे को खुद को हाथ लगाने तक नहीं दिया सिवाय उसके बाय्फ्रेंड के जिसने सिर्फ़ उसे खूब किस किया और उसके बदन को सहलाया था.रोज़ सोफे पे फिर सामने आकर बैठ गयी और इस बार ऊसने मेरे नंगे बीच बीच में उठते खड़े लंड को मुँह में भर लिया पहले तो उसे हाथों से सहलाया फिर उसके नोक पे नाखूनर अगड़ते हुए उसे मुँह में भर लिया
और मेरे लंड को पूरा मुँह में लेकर बारे ही ज़ोर ज़ोर से चुस्सने लगी.मेरा पूरा बदन सख्त हो गया प्री-कम झड़ उठा.लेकिन वो मेरे लंड को बड़ी ज़ोर से बीचते हुए चुस्सथें जा रही थी.तो कभी अंडकोषो को मुँह मिनट भरके उल्टे तरीके से चुस्सती.अब मुझसे सहन नहीं हुआ और मैंने उसके बालों के गुकचे को पकड़कर उसके सर में ही लंड तूससने लगा.और वो भी अओउू अओउू करके मेरे लंड को चुस्सने लगी.उसका मुँह ऊपर नीचे कर रहा था और वो चुस्सती रही
कुछ ही देर में मेरे हद की इंतिहान टूट गयी.और मैं उसके मुँह में ही झधने लगा.आहह उसके पूरे मुँह पे मेरे ही रस के फवारे छूटने लगे.और वो तृप्त होकर बस मेरे लंड को सहलाती रही कुछ देर सहलाने के बाद ऊसने चाँदी ऊपर नीचे की और फिर हल्का हल्का जबान गीला छिचिपे वीर्य से भरे सुपाड़े पे लगाया उसके थूक की लार मेरे लंड से जैसे जुड़ी हुई थी
फिर मैंने उठके उसके होंठ पे लगी लार को पोंछा और उसका एक क़ास्सके चुम्मा लिया..हम दोनों फिर पागलों की तरह एक दूसरे को किस करने लगे.मैंने उसे लेटा दिया और फिर उसके टाँग को खोल डाला.ऊसने अपनी चुत के मुआने पे धायर सारा थूक माल लिया.मैंने उसी वक्त उठके अपने लंड को हाथों में हिलाते हुए दराज़ से एक पैकेट कॉंडम निकाली जो मैं दिव्या को चोदने के लिए उसे करता हूँ ऊसने पूछा नहीं क्योंकि वो आंखें मुंडें हुए अपने छातियो को सहला रही थी तरकपन तो उसे भी चढ़ा हुआ था
मैंने फौरन कॉंडम के पैकेट को फाड़ा..कॉंडम लगाया और ऊके टांगों को अपने कंधे पे रखते हुए धायर सारा लूब्रिकेट उसके चुत के मुआने और अंदर तक दाखिल किया.फिर धीरे से एक धक्का दिया काम नहीं बना फिर बारे ही ज़ोर से धक्के मारने शुरू किए.तो इस बार चुत में लंड घिस्सते हुए घुस गया..रोज़ काँप उठी दर्द से चिल्लाने लगी.मैंने उसके आंखों में पहली बार आँसू देखे.मैंने उसके आँसुयो को पोंछा और उसके होठों कोचुस्सता रहा
वो सुबक्ती रही और मेरे धक्को को झेलती रही.ऊस्की टाँगें मेरी कमर से जुद्डी हुई थी.और मैं गान्ड में पूरी ताक़त भरके ऊस्की चुत में ही स्ट्रोक मारता रहा.."आहह आहह आहह आहह आहह"..हम दोनों आहें भरते रहे.ठप्प ठप्प करके गान्ड अंडकोष टकराके बज उठती.जिस्म एक दूसरे से जुध जाता.और फिर हल्के फकच से लंड बाहर आता और फिर पूरा का पूरा समा जाता.रोज़ की चुत में रोज़ की सूजी चुत के द्वार से अंदर बाहर होते लंड को देखने का अलग ही मजा था
ऊस्की चुत इतनी गरम थी की साला लग रहा था जैसे लंड चील जाएगा.ऊसने अपनी गान्ड भीच दी.दर्द उससे बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था.ऊसने होठों पे दाँत रख दी.और मैं खूब ज़ोर से उसे चोदता रहा.जब एकदम तक गया तो फिर उसी के संग लायतके एक टाँग अपने तंग पे रखकर ऊस्की गान्ड के मुआने पे लंड हल्के से रखा और एक हल्का धक्का मारा
लंड गान्ड के भीतर प्रवेश कर गया.रोज़ बहुत ज़ोर ज़ोर से दहढ़ रही थी.जगह बेसमेंट थी इसलिए डर नहीं था.ऊस्की आवाज़ पूरे माहौल में गूंज रही थी.मैं उसके मुँह पे हाथ रखकर उसे बारे ही क़ास्स्स क़ास्सके चोदते रहा.ऊस्की गान्ड जैसे फॅट सी गयी.सच में बहुत टाइट था.फिर मुझसे और मारा नहीं गया लंड खींचके बाहर निकल लिया लंड थोड़ा सा चील गया था फिर पोसीटों बदली और इस बार रोज़ ने खुद ही थूक अपनी चुत पे लगते हुए कुतिया बन गयी
मैं भी उसके पीछे झुक गया.और उसके चुत में फिर एक करारा धक्का मारा..इस बीच कॉंडम फहत गया और मैं उसे चोदता रहा.जब अहसास हुआ की निकल जाएगा तो एक बार लंड को बाहर खिंचा आधा कॉंडम निकाला हुआ था और उसके ऊपर का हिस्सा फहत चुका था..फौरन दूसरा कॉंडम फाड़के लगाया..उसी मुद्रा में रोज़ मेरा इंतजार करती रही फिर मैंने झट से ऊस्की चुत में जब लंड डाला तो फहरी वो आंखें मूंदके चुदाई का अहसास लेने लगी.मैं भी उसे खूब ज़ोर से चोदता रहा."श फुक्ककक में फुक्कककी में पूस्सयययी"...धक्के तेज हुए और 10-12 धक्को एमिन ही मेरा पूरा बदन अकाध सा गया "आहह फुफककककक उउउ आहह आहह आहह"...मैं चिल्ला उठा और मेरे दहानते हुए मेरे लंड से वीर्य उगल दिया.उसी मुद्रा में बस रोज़ झुकी रही ऊस्की आग भी शांत थी
फिर मैंने धीरे से लंड बाहर खींचा और वीर्य से भरे कॉंडम को उतार फैका इस वक्त शरीर में बहुत ज्यादा कमज़ोरी और सर दर्द लगता है मैं न्ह्ापस्टे हुए सोफे पे लाइट गया और ठीक मेरे ऊपर पष्ट पढ़कर रोज़ भी लाइट गयी.बदल गाराज़ उठे..कब बाहर की मुसालदार बारिश खिड़की से मेरे चेहरे पे पर्िी मुझे पता नहीं लगा..मैंने उठके रोज़ को किसी तरह से लिटाया और फिर वॉशबेसिन आकर ब्रश करने लगा.भाई चुत चाटने के बाद उसका रस आप कब घूंत्त लेते हो इससे कभी कभी बीमारिया भी हो जाती तुरंत ब्रश कर लेना च्चाईए