आपने अब तक अन्तर्वासना पर मेरी हिन्दी सेक्स कहानी के पहले भाग में पढ़ा..
मेरी मम्मी और मेरे चाचा के शारीरिक सम्बन्ध थे और मुझे उन दोनों की चुदाई देखने का अवसर मिलने वाला था।
अब आगे..
चाचा बोले- भाभी, मैं एक बार पाईप दूसरे खेत में करके आता हूँ.. जिससे पानी खेत में जाता रहेगा।
यह कह कर चाचा पाईप बदलने चले गए।
मम्मी अन्दर कोठरी में थीं.. अब मैं अन्दर देखने का जुगाड़ देखने लगा.. तो पाया कि एक छोटी सी खिड़की जैसी लगी थी.. जिसमें पीछे खेतों की तरफ देखा करते थे।
मैं वहाँ पर जम गया और देखने लगा कि मम्मी अपना पेटीकोट ऊपर करके जाँघों के बीच थोड़ा पानी लेकर लगा रही थीं।
मैंने देखा कि मम्मी जहाँ पानी लगा रही थीं.. वहाँ पर घने गहरे काले बाल थे।
कुछ देर में ही चाचा भी आ गए और कोठरी का दरवाजा बंद कर लिया।
मेरा दिल धड़ाक-धड़ाक धड़कने लगा।
तभी चाचा भी मम्मी के पास ही बिस्तर में आ गए और मम्मी को अपनी बांहों में भर कर गालों को चूमने लगे- मेरी रानी.. आज कितने दिनों के बाद ऐसा मौका मिला है।
फिर चाचा ने मम्मी के ब्लाउज के ऊपर ही चूचियां दबाना शुरू कर दीं..
मेरा तो बुरा हाल होता जा रहा था। मैं यह क्या देख रहा हूँ कि मम्मी को चाचा ऐसे रौंद रहे हैं।
लेकिन मम्मी तो खुद ही यही चाहती हैं तो मैं क्या करूँ।
अब चाचा ने मम्मी के ब्लाउज के बटन खोल डाले.. तो मैंने देखा कि मम्मी ने अन्दर आसमानी रंग की ब्रा पहनी है.. जिसमें से दोनों गोलाइयां स्पष्ट दिख रही हैं।
चाचा ने अब ब्रा भी खोली.. तो मैंने देखा कि मम्मी के दोनों चूचे आजाद हो गए जिन्हें चाचा मस्ती से दबा रहे थे।
क्या मस्त चूचे थे.. एकदम गोरे.. उनके ऊपर भूरे रंग के निप्पल थे जिन्हें चाचा मींज रहे थे।
इस समय मम्मी कमर से ऊपर नंगी थीं, चाचा ने मम्मी की दोनों टांगों को अपनी टांगों में जकड़ रखा था।
चाचा- मेरी रानी.. तू क्या मस्त माल है.. हाय.. जी करता है इन्हें रात भर यूं ही मसलता रहूँ।
मम्मी- मेरे राजा, रात भर इन्हें ही मसलते रहोगे या कुछ और भी करोगे।
फिर चाचा बच्चों की तरह एक निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे और दूसरे को एक हाथ से दबाने लगे।
मम्मी मस्त होने लगीं और चाचा की छाती पर हाथ फिराने लगीं।
चाचा काफी देर तक चूची को चूसते रहे फिर उन्होंने मम्मी को अपने पैरों से चौड़ा किया और उनका हाथ सीधा मम्मी के पेटीकोट के नाड़े पर गया।
नाड़ा सर्र से खुल गया तो मम्मी ने खुद ही उसे अपने जिस्म से अलग कर दिया।
मैं आज पहली बार मम्मी को नंगी देख रहा था। एकदम गोरा छरहरा बदन.. पतली कमर.. भरावदार कूल्हे और उनके सीने पर लटक रहे दो मस्त मुसम्मियाँ तो गजब ढा रही थीं.. जिसे देख कर कोई हिजड़ा आदमी भी एक बार तो गर्म हो जाए।
भगवान ने जैसे मम्मी की कमर की मिट्टी उठा कर छाती पर ही लगा दी है।
अब मैंने देखा कि मम्मी की जांघों के बीच जो बाल दिख रहे थे.. वो काफी काले और घने थे।
मम्मी बोलीं- राजा पहले मेरी झांटें काट दो.. मैंने इन्हें भिगो कर तैयार कर रखा है।
चाचा बोले- भाभी पहले एक बार चोद लेते हैं फिर काटेंगे।
मम्मी बोलीं- नहीं मेरे राजा.. मैं जानती हूँ.. तुम्हारा यह हथियार मेरे बालों को उखाड़ कर फेंक देगा।
मेरी मम्मी और मेरे चाचा के शारीरिक सम्बन्ध थे और मुझे उन दोनों की चुदाई देखने का अवसर मिलने वाला था।
अब आगे..
चाचा बोले- भाभी, मैं एक बार पाईप दूसरे खेत में करके आता हूँ.. जिससे पानी खेत में जाता रहेगा।
यह कह कर चाचा पाईप बदलने चले गए।
मम्मी अन्दर कोठरी में थीं.. अब मैं अन्दर देखने का जुगाड़ देखने लगा.. तो पाया कि एक छोटी सी खिड़की जैसी लगी थी.. जिसमें पीछे खेतों की तरफ देखा करते थे।
मैं वहाँ पर जम गया और देखने लगा कि मम्मी अपना पेटीकोट ऊपर करके जाँघों के बीच थोड़ा पानी लेकर लगा रही थीं।
मैंने देखा कि मम्मी जहाँ पानी लगा रही थीं.. वहाँ पर घने गहरे काले बाल थे।
कुछ देर में ही चाचा भी आ गए और कोठरी का दरवाजा बंद कर लिया।
मेरा दिल धड़ाक-धड़ाक धड़कने लगा।
तभी चाचा भी मम्मी के पास ही बिस्तर में आ गए और मम्मी को अपनी बांहों में भर कर गालों को चूमने लगे- मेरी रानी.. आज कितने दिनों के बाद ऐसा मौका मिला है।
फिर चाचा ने मम्मी के ब्लाउज के ऊपर ही चूचियां दबाना शुरू कर दीं..
मेरा तो बुरा हाल होता जा रहा था। मैं यह क्या देख रहा हूँ कि मम्मी को चाचा ऐसे रौंद रहे हैं।
लेकिन मम्मी तो खुद ही यही चाहती हैं तो मैं क्या करूँ।
अब चाचा ने मम्मी के ब्लाउज के बटन खोल डाले.. तो मैंने देखा कि मम्मी ने अन्दर आसमानी रंग की ब्रा पहनी है.. जिसमें से दोनों गोलाइयां स्पष्ट दिख रही हैं।
चाचा ने अब ब्रा भी खोली.. तो मैंने देखा कि मम्मी के दोनों चूचे आजाद हो गए जिन्हें चाचा मस्ती से दबा रहे थे।
क्या मस्त चूचे थे.. एकदम गोरे.. उनके ऊपर भूरे रंग के निप्पल थे जिन्हें चाचा मींज रहे थे।
इस समय मम्मी कमर से ऊपर नंगी थीं, चाचा ने मम्मी की दोनों टांगों को अपनी टांगों में जकड़ रखा था।
चाचा- मेरी रानी.. तू क्या मस्त माल है.. हाय.. जी करता है इन्हें रात भर यूं ही मसलता रहूँ।
मम्मी- मेरे राजा, रात भर इन्हें ही मसलते रहोगे या कुछ और भी करोगे।
फिर चाचा बच्चों की तरह एक निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे और दूसरे को एक हाथ से दबाने लगे।
मम्मी मस्त होने लगीं और चाचा की छाती पर हाथ फिराने लगीं।
चाचा काफी देर तक चूची को चूसते रहे फिर उन्होंने मम्मी को अपने पैरों से चौड़ा किया और उनका हाथ सीधा मम्मी के पेटीकोट के नाड़े पर गया।
नाड़ा सर्र से खुल गया तो मम्मी ने खुद ही उसे अपने जिस्म से अलग कर दिया।
मैं आज पहली बार मम्मी को नंगी देख रहा था। एकदम गोरा छरहरा बदन.. पतली कमर.. भरावदार कूल्हे और उनके सीने पर लटक रहे दो मस्त मुसम्मियाँ तो गजब ढा रही थीं.. जिसे देख कर कोई हिजड़ा आदमी भी एक बार तो गर्म हो जाए।
भगवान ने जैसे मम्मी की कमर की मिट्टी उठा कर छाती पर ही लगा दी है।
अब मैंने देखा कि मम्मी की जांघों के बीच जो बाल दिख रहे थे.. वो काफी काले और घने थे।
मम्मी बोलीं- राजा पहले मेरी झांटें काट दो.. मैंने इन्हें भिगो कर तैयार कर रखा है।
चाचा बोले- भाभी पहले एक बार चोद लेते हैं फिर काटेंगे।
मम्मी बोलीं- नहीं मेरे राजा.. मैं जानती हूँ.. तुम्हारा यह हथियार मेरे बालों को उखाड़ कर फेंक देगा।