[color=rgb(0,]बहुत ही बेहतरीन और शानदार कहानी चल रही है इस समय।।[/color]
[color=rgb(51,]तो विक्रम का बदला शुरू हो गया है। रिहाई के छः से साथ महीने वो शांत रहा, लेकिन उसके बाद उसने अपना मकसद पूरा करने में जुट गया। विक्रम ने अपने कारनामों का कच्चा चिट्ठा वागले को भी डायरी में लिखकर भेजा था। [/color][color=rgb(65,]वैसे वागले को समाचार के माध्यम से पता चल ही गया था कि जो हत्याएं कुछ समय पूर्व दिल्ली शहर में हुई थी उसमें कहीं न कहीं विक्रम का ही हाथ है। इसकी पुष्टि विक्रम के द्वारा भेजी गई डायरी ने कर दी। [/color][color=rgb(51,]लेकिन वागले की समस्या ये थी कि वो अपने विभाग को ये जानते हुए भी कि वो हत्यारे को जनता है, बता नहीं सकता था। क्योंकि इस स्थिति में उसे खुद कानून का मुजरिम मान लिया जाता।।
जेल से छूटने के बाद इन बीस सालों के विक्रम के लिए बहुत कुछ बदल गया था। वो एकदम से अपने बंगले पर भी नहीं जा सकता था, इसलिए उसने सर छुपाने के लिए गाजियाबाद में शरण ली। [/color][color=rgb(26,]मकान मालिक दिनेश ने उसकी हर संभव मदद की। अनजान लोगों की भीड़ में दिनेश किसी मसीहा से कम नहीं था विक्रम के लिए।[/color]
[color=rgb(51,]किसी के एहसानों का बदला किसी औरत को अपना जिस्म देकर चुकाना पड़े ये बात तो बिल्कुल निराधार है। [/color][color=rgb(251,]आरती किसी और तरीके से, जैसे अच्छे व्यवहार, खाना पीना खिलाकर भी विक्रम के एहसानों का बोझ कम कर सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।[/color][color=rgb(51,]वो एक प्यासी औरत थी जिसे अपने जिस्म की प्यास बुझाने के लिए विक्रम जैसे दमदार मर्द की जरूरत थी। जिसको उसने अपनी मादक अदाएं दिखाकर रिझाया। [/color][color=rgb(235,]अब विक्रम जैसे ठरकी इंसान के लिए तो ये सुनहरा अवसर था अपनी बीस साल की मर गई इच्छाओं को पूरा करने का।[/color]
[color=rgb(51,]नाजायज संबंध कोई कितना भी छुपा ले लेकिन वो एक न एक दिन खुल कर सामने आ ही जाता है। आरती और विक्रम ने ये ख्वाब में भी नहीं सोचा रहा होगा कि उनके द्वारा खेला जा रहा ये रंगीन खेल किसी को पता चलेगा, लेकिन स्वाति को यह पता चल गया। [/color][color=rgb(184,]स्वाति तो और भी प्यासी औरत लग रही है। उसने न ही ये बात अपने पति को बताई और न ही विक्रम और आरती पर नाराज हुई और न ही उन दोनों को अपने घर से बाहर निकाला, बल्कि वो तो दोनों के सम्भोग के किस्से चटकारे लेकर सुनती रही और अपने मनोरथ को पूरा करने की योजना बनाने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाने के बारे में सोचने लगी।[/color]
[color=rgb(51,]आखिरकार विक्रम ने अपना पहला शिकार जीवन को बना ही लिया। विक्रम ने ये बहुत अच्छा किया कि उसने अपना हुलिया बदल लिया था नहीं तो उसे जीवन ये किसी अन्य द्वारा पहचान लिए जाने का खतरा बढ़ जाता। जीवन के बाद उसने रंजन को भी अपना शिकार बनाया जो कि कहीं न कहीं मुझे गलत लग रहा है, क्योंकि अगर एक नजरिये से देखा जाए तो उसके दोस्तों को अपने पिता के कृत्यों का तनिक भी भान नहीं था कि उन्होंने विक्रम के माता पिता की हत्या की है और विक्रम को उनके खून के इल्ज़ाम में फंसाया है। मीनाक्षी को विक्रम के अपनी कैद में रखा है, कहीं ऐसा न हो कि आगे चलकर वो विक्रम के लिए खतरा पैदा कर दे।
विक्रम बदले की भावना में एकदम अंधा हो गया है। वो ये क्यों भूल रहा है कि अगर वो अपने माँ बाप के हत्या के आरोप में अपने बेगुनाह दोस्तों की भी हत्या कर रहा है तो उसके दोस्तों के बच्चे भी तो अपने माँ बाप की हत्या का बदला विक्रम से ले सकते हैं। यहां पर तो विक्रम के मां बाप कहीं न कहीं गुनहगार भी थे जो गलत धंधों में लिप्त थे, लेकिन उसके दोस्त केवल चूत मार संस्था के सदस्य हैं न कि किसी बुरे काम मे संलिप्त हैं। [/color]
[color=rgb(147,]विक्रम का बार बार ये कहना कि गेहूं के साथ घुन भी पिसता है, इसलिए वो अपने माँ बाप के हत्यारों के बेटों को मार रहा है तो उस हिसाब से देखा जाए तो विक्रम के साथ जो कुछ भी हुआ वो एकदम सही था, क्योंकि अवधेश और माधुरी किसी भी दृष्टि से निर्दोष नहीं कहे जा सकते हैं। ऊपर से विक्रम बार बार ये कह रहा है कि वो चूत मार संस्था जैसी घटिया संस्था से जुड़े हुए सब लोगों को मार देगा। तो ये बात विक्रम पर भी लागू होती है, क्योंकि बीस साल पहले वो भी इसी घटिया संस्था का सदस्य था और बहुत हद तक संभव है कि अगर उसके साथ बीस साल पहले ये अनहोनी न हुई होती तो वो आज भी इसका सदस्य रहता। इसलिए अगर इस संस्था के लोग अपराधी हैं तो विक्रम भी कोई दूध का धुला नहीं है।[/color]
[color=rgb(51,]शेखर और रिद्धिमा को बहुत चालाकी से विक्रम ने अपने जाल में फंसा लिया। आखिर कौन माँ बाप ऐसे होंगे जो अपने बच्चों को मुसीबत में सुनकर छुपकर बैठ जाएं। सेक्स संबंध अगर आपसे सहमति से बनाया गया हो तो वो संबंध उन दो व्यक्तियों की नजरों में गलत नहीं होता जिनके द्वारा ये संबंध बनाए गए है। फिर चाहे वह घरेलू सेक्स संबंध हो या घर से बाहर। समाज की नजर में दोनों तरह से सेक्स संबंध पाप ही होते हैं। क्योंकि शादी से पहले और शादी के बाद अगर कोई भी पर पुरुष या महिला के साथ संभोग करता हुआ समाज की नजर में आ जाता है तो वो पाप/पापी होता है।
शेखर अपने घरवाली महिलाओं से और अपने दोस्तों की पत्नियों से सेक्स संबंध रखता है तो विक्रम की नजर में ये पाप है, उसकी नजर में शेखर अपराधी है। तो यही काम विक्रम भी तो बीस साल पहले करता था और जेल से रिहा होने के बाद आरती के साथ भी उसने सेक्स किया। तो इस हिसाब से तो वो भी अपराधी हुआ, पापी हुआ। और जैसा कि शेखर ने बताया कि वह किस तरह से अपने घर की महिलाओं के साथ सेक्स करने के लिए बाध्य हुआ और बाद में आदत लग गई। पहले वो अपनी मां से नाराज हुआ, उनसे बात नहीं की, लेकिन बाद में सब ठीक हो गया तो बहुत हद तक संभव है कि अगर विक्रम को अपनी माँ की नीयत का पता नहीं चलता बीस साल पहले और माधुरी शेखर की मां की तरह एक ग्राहक बनकर चूत मार संस्था के द्वारा विक्रम से सेक्स कर लेती तो विक्रम क्या कर लेता। बहुत ज्यादा करता तो शेखर की तरह कुछ दिन नाराज रहता या कुछ दिन बात न करता, लेकिन बाद में वो भी इन्हीं की तरह हो जाता। इसलिए मेरी नजर में विक्रम को सिर्फ अपने बाप के दोस्तों को ही मारना चाहिए न कि अपने दोस्तों और उनके घर की महिलाओं को, जिनका विक्रम की इस हालात में कोई सरोकार ही नहीं है।।
गुलफाम के आने से संजय का पक्ष कुछ मजबूत लग रहा है, क्योंकि गुलफाम ने अभी तक अपने दिमाग का सही इस्तेमाल किया और विक्रम के अगले कदम कर बारे में। सटीक अंदाज़ा लगाया, लेकिन कहते हैं न कि पुरुष की कामयाबी महिलाओं के बिना अधूरी रहती है। [/color][color=rgb(97,]माया ने गुलफाम और संजय द्वारा बिछाए गए सभी चालों को ध्वस्त कर दिया।[/color][color=rgb(51,]क्योंकि विक्रम मीनाक्षी, शेखर और रिद्धिमा के सेक्सी वीडियो को लेकर अति आत्मविश्वाश का शिकार था, और बहुत हद तक संभव था कि वो अगर वीडियों के द्वारा अपना अगला शिकार करता तो निश्चित तौर पर पकड़ा जाता।
जफर और तरुण की वार्तालाप से इतना तो पता चल ही गया कि वो अब भी विक्रम के द्वारा इतना कुछ कर देने के बाद भी उसे बचाने की पूरी कोशिश करेंगे अपने बड़े जनों से। इससे ये साबित होता है कि उनके दिल मे विक्रम के लिए कहीं न कहीं अभी भी जगह है। वो उसे सही मान रहे हैं। [/color][color=rgb(41,]विक्रम ने अपने बेटे से बात की। ये क्षण बहुत ही भावुक कर देने वाला था किसी भी बाप को, जिसने अपने बेटे को 20 साल बाद देखा हो।[/color][color=rgb(51,]इसके बावजूद भी माया को लेकर मेरे मन मे संशय की स्थिति है। क्या वो किसी से मिली हुई है या वो सच मे विक्रम के ही साथ है।
विक्रम ने सविता की मदद से सिराज को भी ठिकाने लगा दिया। सविता ने अपनी बेटी को बचाने के लिए मजबूरी में विक्रम का साथ दिया। संजय अभी भी अपनी जिद पर अड़ा हुआ है वो नीछे झुकने के लिए तैयार ही नहीं है। जफर ने भले ही कम्प्यूटर द्वारा विक्रम के संभावित रूपों का ग्राफिक बनाया हो लेकिन ये 50-50 के चांस ही लग रहे हैं, क्योंकि इस बारे में विक्रम ने भी तो कुछ न कुछ सोचा ही होगा। देखते हैं आगे क्या होता है कहानी में। अब किसका नम्बर लगाता है विक्रम। एक बात ये अच्छी हुई कि विक्रम ने महिलाओं को बक्श दिया है। अब वो केवल पुरुषों को अपना शिकार बनाएगा।[/color]
[color=rgb(250,]आखिर दिनेश को ऐसा क्या पता चल गया है कि वो काम से जल्दी घर आ गए है और विक्रम को घर से निकालने की बात कर रहा है, कहीं ऐसा तो नहीं कि संस्था के किसी सदस्य ने दिनेश से उसके बारे में पूछताछ की जिससे उसे विक्रम की सच्चाई का पता चल गया है या फिर उसने विक्रम को माया और बेहोश मीनाक्षी के साथ देख लिया है या फिर उसे अपना भेष बदलकर कुछ करते हुए देख लिया है। ये तो बड़ी विकट स्थिति बन गई है।[/color]
[color=rgb(51,]अब तक के सभी अपडेट बहुत ही उम्दा और शानदार थे। अगले भाग की शिद्दत से प्रतीक्षा।[/color]
[color=rgb(51,]तो विक्रम का बदला शुरू हो गया है। रिहाई के छः से साथ महीने वो शांत रहा, लेकिन उसके बाद उसने अपना मकसद पूरा करने में जुट गया। विक्रम ने अपने कारनामों का कच्चा चिट्ठा वागले को भी डायरी में लिखकर भेजा था। [/color][color=rgb(65,]वैसे वागले को समाचार के माध्यम से पता चल ही गया था कि जो हत्याएं कुछ समय पूर्व दिल्ली शहर में हुई थी उसमें कहीं न कहीं विक्रम का ही हाथ है। इसकी पुष्टि विक्रम के द्वारा भेजी गई डायरी ने कर दी। [/color][color=rgb(51,]लेकिन वागले की समस्या ये थी कि वो अपने विभाग को ये जानते हुए भी कि वो हत्यारे को जनता है, बता नहीं सकता था। क्योंकि इस स्थिति में उसे खुद कानून का मुजरिम मान लिया जाता।।
जेल से छूटने के बाद इन बीस सालों के विक्रम के लिए बहुत कुछ बदल गया था। वो एकदम से अपने बंगले पर भी नहीं जा सकता था, इसलिए उसने सर छुपाने के लिए गाजियाबाद में शरण ली। [/color][color=rgb(26,]मकान मालिक दिनेश ने उसकी हर संभव मदद की। अनजान लोगों की भीड़ में दिनेश किसी मसीहा से कम नहीं था विक्रम के लिए।[/color]
[color=rgb(51,]किसी के एहसानों का बदला किसी औरत को अपना जिस्म देकर चुकाना पड़े ये बात तो बिल्कुल निराधार है। [/color][color=rgb(251,]आरती किसी और तरीके से, जैसे अच्छे व्यवहार, खाना पीना खिलाकर भी विक्रम के एहसानों का बोझ कम कर सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।[/color][color=rgb(51,]वो एक प्यासी औरत थी जिसे अपने जिस्म की प्यास बुझाने के लिए विक्रम जैसे दमदार मर्द की जरूरत थी। जिसको उसने अपनी मादक अदाएं दिखाकर रिझाया। [/color][color=rgb(235,]अब विक्रम जैसे ठरकी इंसान के लिए तो ये सुनहरा अवसर था अपनी बीस साल की मर गई इच्छाओं को पूरा करने का।[/color]
[color=rgb(51,]नाजायज संबंध कोई कितना भी छुपा ले लेकिन वो एक न एक दिन खुल कर सामने आ ही जाता है। आरती और विक्रम ने ये ख्वाब में भी नहीं सोचा रहा होगा कि उनके द्वारा खेला जा रहा ये रंगीन खेल किसी को पता चलेगा, लेकिन स्वाति को यह पता चल गया। [/color][color=rgb(184,]स्वाति तो और भी प्यासी औरत लग रही है। उसने न ही ये बात अपने पति को बताई और न ही विक्रम और आरती पर नाराज हुई और न ही उन दोनों को अपने घर से बाहर निकाला, बल्कि वो तो दोनों के सम्भोग के किस्से चटकारे लेकर सुनती रही और अपने मनोरथ को पूरा करने की योजना बनाने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाने के बारे में सोचने लगी।[/color]
[color=rgb(51,]आखिरकार विक्रम ने अपना पहला शिकार जीवन को बना ही लिया। विक्रम ने ये बहुत अच्छा किया कि उसने अपना हुलिया बदल लिया था नहीं तो उसे जीवन ये किसी अन्य द्वारा पहचान लिए जाने का खतरा बढ़ जाता। जीवन के बाद उसने रंजन को भी अपना शिकार बनाया जो कि कहीं न कहीं मुझे गलत लग रहा है, क्योंकि अगर एक नजरिये से देखा जाए तो उसके दोस्तों को अपने पिता के कृत्यों का तनिक भी भान नहीं था कि उन्होंने विक्रम के माता पिता की हत्या की है और विक्रम को उनके खून के इल्ज़ाम में फंसाया है। मीनाक्षी को विक्रम के अपनी कैद में रखा है, कहीं ऐसा न हो कि आगे चलकर वो विक्रम के लिए खतरा पैदा कर दे।
विक्रम बदले की भावना में एकदम अंधा हो गया है। वो ये क्यों भूल रहा है कि अगर वो अपने माँ बाप के हत्या के आरोप में अपने बेगुनाह दोस्तों की भी हत्या कर रहा है तो उसके दोस्तों के बच्चे भी तो अपने माँ बाप की हत्या का बदला विक्रम से ले सकते हैं। यहां पर तो विक्रम के मां बाप कहीं न कहीं गुनहगार भी थे जो गलत धंधों में लिप्त थे, लेकिन उसके दोस्त केवल चूत मार संस्था के सदस्य हैं न कि किसी बुरे काम मे संलिप्त हैं। [/color]
[color=rgb(147,]विक्रम का बार बार ये कहना कि गेहूं के साथ घुन भी पिसता है, इसलिए वो अपने माँ बाप के हत्यारों के बेटों को मार रहा है तो उस हिसाब से देखा जाए तो विक्रम के साथ जो कुछ भी हुआ वो एकदम सही था, क्योंकि अवधेश और माधुरी किसी भी दृष्टि से निर्दोष नहीं कहे जा सकते हैं। ऊपर से विक्रम बार बार ये कह रहा है कि वो चूत मार संस्था जैसी घटिया संस्था से जुड़े हुए सब लोगों को मार देगा। तो ये बात विक्रम पर भी लागू होती है, क्योंकि बीस साल पहले वो भी इसी घटिया संस्था का सदस्य था और बहुत हद तक संभव है कि अगर उसके साथ बीस साल पहले ये अनहोनी न हुई होती तो वो आज भी इसका सदस्य रहता। इसलिए अगर इस संस्था के लोग अपराधी हैं तो विक्रम भी कोई दूध का धुला नहीं है।[/color]
[color=rgb(51,]शेखर और रिद्धिमा को बहुत चालाकी से विक्रम ने अपने जाल में फंसा लिया। आखिर कौन माँ बाप ऐसे होंगे जो अपने बच्चों को मुसीबत में सुनकर छुपकर बैठ जाएं। सेक्स संबंध अगर आपसे सहमति से बनाया गया हो तो वो संबंध उन दो व्यक्तियों की नजरों में गलत नहीं होता जिनके द्वारा ये संबंध बनाए गए है। फिर चाहे वह घरेलू सेक्स संबंध हो या घर से बाहर। समाज की नजर में दोनों तरह से सेक्स संबंध पाप ही होते हैं। क्योंकि शादी से पहले और शादी के बाद अगर कोई भी पर पुरुष या महिला के साथ संभोग करता हुआ समाज की नजर में आ जाता है तो वो पाप/पापी होता है।
शेखर अपने घरवाली महिलाओं से और अपने दोस्तों की पत्नियों से सेक्स संबंध रखता है तो विक्रम की नजर में ये पाप है, उसकी नजर में शेखर अपराधी है। तो यही काम विक्रम भी तो बीस साल पहले करता था और जेल से रिहा होने के बाद आरती के साथ भी उसने सेक्स किया। तो इस हिसाब से तो वो भी अपराधी हुआ, पापी हुआ। और जैसा कि शेखर ने बताया कि वह किस तरह से अपने घर की महिलाओं के साथ सेक्स करने के लिए बाध्य हुआ और बाद में आदत लग गई। पहले वो अपनी मां से नाराज हुआ, उनसे बात नहीं की, लेकिन बाद में सब ठीक हो गया तो बहुत हद तक संभव है कि अगर विक्रम को अपनी माँ की नीयत का पता नहीं चलता बीस साल पहले और माधुरी शेखर की मां की तरह एक ग्राहक बनकर चूत मार संस्था के द्वारा विक्रम से सेक्स कर लेती तो विक्रम क्या कर लेता। बहुत ज्यादा करता तो शेखर की तरह कुछ दिन नाराज रहता या कुछ दिन बात न करता, लेकिन बाद में वो भी इन्हीं की तरह हो जाता। इसलिए मेरी नजर में विक्रम को सिर्फ अपने बाप के दोस्तों को ही मारना चाहिए न कि अपने दोस्तों और उनके घर की महिलाओं को, जिनका विक्रम की इस हालात में कोई सरोकार ही नहीं है।।
गुलफाम के आने से संजय का पक्ष कुछ मजबूत लग रहा है, क्योंकि गुलफाम ने अभी तक अपने दिमाग का सही इस्तेमाल किया और विक्रम के अगले कदम कर बारे में। सटीक अंदाज़ा लगाया, लेकिन कहते हैं न कि पुरुष की कामयाबी महिलाओं के बिना अधूरी रहती है। [/color][color=rgb(97,]माया ने गुलफाम और संजय द्वारा बिछाए गए सभी चालों को ध्वस्त कर दिया।[/color][color=rgb(51,]क्योंकि विक्रम मीनाक्षी, शेखर और रिद्धिमा के सेक्सी वीडियो को लेकर अति आत्मविश्वाश का शिकार था, और बहुत हद तक संभव था कि वो अगर वीडियों के द्वारा अपना अगला शिकार करता तो निश्चित तौर पर पकड़ा जाता।
जफर और तरुण की वार्तालाप से इतना तो पता चल ही गया कि वो अब भी विक्रम के द्वारा इतना कुछ कर देने के बाद भी उसे बचाने की पूरी कोशिश करेंगे अपने बड़े जनों से। इससे ये साबित होता है कि उनके दिल मे विक्रम के लिए कहीं न कहीं अभी भी जगह है। वो उसे सही मान रहे हैं। [/color][color=rgb(41,]विक्रम ने अपने बेटे से बात की। ये क्षण बहुत ही भावुक कर देने वाला था किसी भी बाप को, जिसने अपने बेटे को 20 साल बाद देखा हो।[/color][color=rgb(51,]इसके बावजूद भी माया को लेकर मेरे मन मे संशय की स्थिति है। क्या वो किसी से मिली हुई है या वो सच मे विक्रम के ही साथ है।
विक्रम ने सविता की मदद से सिराज को भी ठिकाने लगा दिया। सविता ने अपनी बेटी को बचाने के लिए मजबूरी में विक्रम का साथ दिया। संजय अभी भी अपनी जिद पर अड़ा हुआ है वो नीछे झुकने के लिए तैयार ही नहीं है। जफर ने भले ही कम्प्यूटर द्वारा विक्रम के संभावित रूपों का ग्राफिक बनाया हो लेकिन ये 50-50 के चांस ही लग रहे हैं, क्योंकि इस बारे में विक्रम ने भी तो कुछ न कुछ सोचा ही होगा। देखते हैं आगे क्या होता है कहानी में। अब किसका नम्बर लगाता है विक्रम। एक बात ये अच्छी हुई कि विक्रम ने महिलाओं को बक्श दिया है। अब वो केवल पुरुषों को अपना शिकार बनाएगा।[/color]
[color=rgb(250,]आखिर दिनेश को ऐसा क्या पता चल गया है कि वो काम से जल्दी घर आ गए है और विक्रम को घर से निकालने की बात कर रहा है, कहीं ऐसा तो नहीं कि संस्था के किसी सदस्य ने दिनेश से उसके बारे में पूछताछ की जिससे उसे विक्रम की सच्चाई का पता चल गया है या फिर उसने विक्रम को माया और बेहोश मीनाक्षी के साथ देख लिया है या फिर उसे अपना भेष बदलकर कुछ करते हुए देख लिया है। ये तो बड़ी विकट स्थिति बन गई है।[/color]
[color=rgb(51,]अब तक के सभी अपडेट बहुत ही उम्दा और शानदार थे। अगले भाग की शिद्दत से प्रतीक्षा।[/color]