अगली सुबा मे बोहट मुश्किल से जागी. क्यू क मे सारी रात नही सो सकी थी. मेरी बेचैनी मुझे सुकून नही लेने दे रही थी. सुबा क वक्त बिना पनटी क कापरे पहेनना ओर नाश्ता बनाना अब मेरी रुटीन का हिस्सा बन चुका था. आस यूषुयल शुमि मेरे पास आ गई. उसी तरह मुझे पीछे से हग कर क खरी हो गई.
शुमि:- तो मज़ा आया कल मोविए देख क?
मे:- कककक… कककक… कियाअ???? कों सी मोविए?
शुमि:- वोई जो कल देखी थी आप ने! लंड अछा लगा उस का?
मेरे पास कोई जवाब नही था. शुमि मेरी चोरी पाकर चुकी थी. मेने खामोश रहना बेहतर समझा. वो मेरे जिस्म को मसालती रही. ओर मे आआहह… ऊओह… केरती रही. तभी उस ने मेरा चेहरा अपनी तरफ घुमाया ओर पहली बार. जी हॅन! ज़िंदगी मे पहली बार हमारे बीच किस हुआ.
शुमि ने 4-5 सेकेंड ही मेरे होंठो को चूसा ओर फिर अलग हो गई. लेकिन जाने से पहले उस ने एक कम ओर काइया…! उस ने मेरा हाथ किसी मोटी सी लंबी सी चीज़ क ओपेर फेर दिया. ओर वहाँ से चली गई.
मे जब तक अपनी बे टरतीब सांसो को ठीक केरती, कुछ समझती, वो वहाँ से जा चुकी थी. मुझे अभी ब अपने हाथ पेर उस चीज़ का एहसास हो रहा था. जैसे!!!!! जैसे कोई लंड हो. लेकिन शुमि तो एक लर्की है. उस क पास लंड कैसे हो सकता है? मेरा वहेँ हो गा. मेने ये सोच कर अपना ज़हेन झटक दिया ओर घर क कामो मे बिज़ी हो गई.
मेरे लिए आज कल काफ़ी मुश्किल होता जा रहा था क मे अपनी रुटीन पेर फोकस केरूँ. रह रह कर मेरे ज़हेन मे कहानियाँ ओर मोविए क सीन चल रहे थे. हेर रोज़ शुमि मेरे साथ शेयर चार केरती, मेरे जज़्बात को भरका रही थी. ओर इधर मे कन्फ्यूज़ हो रही थी क मे काइया केरूँ! कैसे अपने जज़्बात पेर क़ाबू केरूँ? हेर बार मेरी सोच होती क मे शुमि को रोक डून गी. लेकिन फिर उसको अपनी मान मानी केरने देती. कभी मेने उसको रोकने की कोशिश नही की.
मुझे ऐसे लगता जैसे कोई अंजनी ताक़त मेरी ज़बान रोक लेती है. मेरे ज़हेन को कुछ ब कहने से रोक लेती है. मे उस क सामने कुछ ब नही बोल सकती. कभी उसका साथ मुझे अछा लगता, कभी उसका साथ मुझे खुशी देता. तो कभी मे उस क लामास को तरसती. मेरा दिल केरता क उसकी बहो मे ज़िंदगी गुज़र जाए. कभी उस से डोर रहने का वाडा मे खुद से केरती. तो कभी फ्रस्ट्रेशन का शिकार हो जाती क उस क साथ मुझे ज़ियादा टाइम क्यू नही मिलता.
दो टीन डेज़ बाद शुमि ओर सायरा को चुट्टिया हो गएीँ. क्यू क अब उन क एग्ज़ॅम्स होने थे जिस मे अभी एक मंत का टाइम था. अब मे काइया केरती? मुझे अपनी आग बुझाने का टाइम नही मिल रहा था. मुझे अब फिल्म्स देखने की आदत लग चुकी थी. मेने अब तक कोई 10 मूवीस ऐसी देख ली थीन जिस मे शेमालएस लरकियो को छोड़ती हैं. मेरी प्राब्लम ब शुमि ने खुद ही सॉल्व कर दी.
शुमि:- मे जानती हूँ क आप को फिल्म्स देखना अछा लगता है. ओर आप चाहती हो क रोज़ाना ये फिल्म्स देख कर एंजाय केरो. लेकिन अब सायरा ब घर पेर रहे गी ओर हम मिल कर स्टडी कराईं गे. तो आपका फिल्म्स देखना दिन मे तो पासिबल नही हो गा.
मे खामोशी से सिर झुका कर रह गई. जैसे कोई मासूम बचा अपनी मॅन पसंद चीज़ को डोर जाते देख कर चुप हो जाता है.
शुमि:- आप रात को 10 ब्जे लॅपटॉप ले लिया केरो. ओर 11 ब्जे वापस कर दिया केरो…. इस क लिए बाहर का डोर उसे केरने की ज़रोरत न्ही. हम वॉशरूम वाला रास्ता उसे कराईं गे.
इस क बाद वो वहाँ से चली गई. मे सोचने लगी क शुमि ने कितना ठीक अंदाज़ा लगाया है मेरी कैफियत का. अगली दो रात हम ने ऐसे ही किया…! मे उसका लॅपटॉप ले कर ऑयेयी ओर मोविए देख कर उसको वापस कर दिया. 3-4 दिन ऐसे ही चला लेकिन फिर एक दिन जब मे उस क रूम मे एंटर होने लगी तो मुझे ऐसी आवाज़ैईन आएीं जैसे दो लोग आपस मे बात कर रहे हों. ये सायरा ओर शुमि की आवाज़ैईन थीन. मेने अपने क़दम फॉरन रोक लिए ओर वॉशरूम से हो क वापस आ गई. अब मे इंतज़ार केरने लगी. क कब शुमि फ्री हो गी.
रात 12 ब्जे कोई मेरे कमरे मे एंटर हुआ. तब तक मे ना उमीद हो कर सोने की टायारी केरने लगी. ये शुमि थी जो मेरे कमरे मे ऑयेयी थी अपना लॅपटॉप ले कर. मे उसको देख कर खुश हो गई. मेरे चेहरे की ये खुशी उस की आँखो से छुपी ना रह सकी.
शुमि:- सॉरी! आज लाते हो गाए. शूकर है आप नही ऑयेयी कमरे मे. वरना पाकरे जाते. हहेहेहहे…
उसकी बात सुन्न कर मेरी ब हँसी निकल गई. वो ऐसे कह रही थी जैसे हम लवर्स हैं ओर हमैन दर्र हो क हमारे पेरेंट्स हमैन ना पाकर लें.
वो लॅप टॉप ले कर आज मेरे साथ ही बेड पेर बैठ गई. मेरी लेफ्ट ओर उसकी रिघ्त साइड आपस मे टच हो रहे थे.
शुमि:- आज टाइम कम है. इस लिए इकते बैठ क देखते हैं. अगर आपको कोई ऐतराज़ ना हो तो.
मे:- तुम ब देखती हो ये सब? (वैसे मुझे ये सवाल बचो वाला ही लगा. ज़ाहिर है उस क लॅपटॉप मे ये मूवीस हैं तो वो ज़रूर देखती हो गी.)
शुमि:- ज़ाहिर है. मे अपने देखने क लिए ही रखती हूँ लॅपटॉप मे. ओर अब आप क साथ देखूं गी.
वो शायद जानती थी क मे कितनी मूवीस देख चुकी हूँ. (10 मूवीस) इस लिए उस ने 11 नंबर मोविए चला दी. हम दोनो मोविए एंजाय केरने लगे. वो मेरे बाज़ू ओर पायट से खेल रही थी. कभी मेरे मुम्मो को सहला देती. लेकिन कुछ देर बाद वो अपने आप मे मस्त हो गई. मेने अंदाज़ा लगाया क वो शायद अपनी छूट से खेल रही थी.
शुमि:- (मुझे देख कर) आप ब खेल लो अपनी छूट से. शरमाओ नही…!
ओर मुझे आँख मार दी. लेकिन मेने फिर ब कोई हरकत नही की. उस क 5मीं बाद मेने अपने पाजामे क ओपेर से अपनी छूट से खेलना शुरू कर दिया.
मेरे चेहरे क एक्सप्रेशन्स बदलने लगे. इधर मोविए ख़तम हुई, इधर मेरी छूट ने पानी चोर दिया. मस्ती की वजा से कुछ देर क लिए मेरी आंखाईं बंद हो गाईएन. आहिस्ता आहिस्ता मे अपनी सांसो पेर क़ाबू पाने लगी. जब मेने आंखाईं खोल कर देख तो शुमि मुझे ही देख रही थी. शरम की वजा से मेरी आंखाईं झुक गाईएन.
शुमि ने आगे बरह कर मेरे होंठो से अपने होंठ चिपका दिए. हम दोनो एक दूसरे को किस केरने लगे. कुछ दे एक दूसरे क होंठो का रस्स चूसने क बाद हम अलग हुआी.
शुमि:- तुम बोहोट पियरी हो. खास टॉर पेर जब तुम फारिघ् होने लगती हो तो तुम्हारा चेहरा इतना सेक्सी लगता है क काइया बताऊं….! (शुमि अब मुझे आप की जगा तुम बुला रही थी.)
मे कुछ बोलती उस से पहले एक बार फिर उस ने मेरे होंठो को चूम लिया. ओर फिर बेड से उतार कर खरी हो गई. उस क पाजामे क आगे काफ़ी बरा सा स्पॉट बुन चुका था. उस ने अपना लॅपटॉप उठाया ओर वापस अपने कमरे मे जाने लगी.
शुमि:- कल मेरा इंतज़ार केरना. जब सायरा अपने रूम मे जया करे गी, तो मे लॅपटॉप यहीं ले आया केरूँ गी. फिर दोनो मिल क एंजाय कराईं गे.
ओर मुझे आँख मार कर अपने कमरे मे चली गई. मे कुछ देर बाद जा कर फ्रेश हुई ओर सो गई. सुबा अपने टाइम पेर मे जागी. नाश्ता बनाते हुआी शुमि की वोई शेयर चार चलती रही. वहीं मुझे अपने चूटरो पेर वोई मोटी सी लंबी सी चीज़ महसूस होती रही. लेकिन मेरी हिम्मत नही हुई क मे शुमि से इस बारे मे बात केरूँ. वो मेरे मुम्मो से खेलती रही. मेरे होंठो ओर गर्दन को चाटने क साथ साथ मेरे निपल्स को मसालती रही.
मुझे अब इस सब को आदत हो चुकी थी. मे शुमि की शेयर चार को एंजाय केरती. बाल क मुझे इंतज़ार रहता क कब वो मेर्ेंपस आ कर मुझे छुआी गी, मेरे जिस्म से खेले गी, मुझे सहलाए गी. हम ये सब चोरी चोरी कर रहे थे, घर मे किसी को इस की खबर नही थी. जैसे आपकी नई नई शादी हुई है ओर आप क शोहार आपको पियर कर रहे हैं. मुझे वोई फीलिंग आ रही थी. शुमि का डॉमिनेंट बिहेवियर मुझे अछा लग रहा था.
उस रोज़ रात को मे अपने बिस्तर पेर बैठी हुई थी. 10 ब्जे शुमि मेरे कमरे मे आ गई. उसको देख कर मे शर्मा गई. पता नही क्यू? पहले जो गिल्ट होता था या उस को आगे बरहने से रोकने का जो फ़ैसला होता था. अब उसकी जगा शरम आती थी. मुझे खुद को समझ नही आ रही थी क मुझे काइया होता जा रहा है. मे क्यू उसकी तरफ अट्रॅक्ट हो रही हों. शुमि मेरे साथ आ कर बैठ गई ओर हम दोनो मोविए देखने लगे. आज फ़र्क़ ये था क शुमि ने मुझे अपने आगे बिता रखा था. जब क लॅपटॉप मेरी गोद मे था. वो मुझे पीछे से पाकरे हुआी थी. मेरे मुम्मो से खेल रही थी.
मुझे शरम आ रही थी क उस क सामने मे अपनी छूट से कैसे खेलूँ. उस ने खुद ही कुछ देर बाद मेरा हाथ पाकर कर मेरी छूट पेर रगरना शुरू कर दिया. ओपेर नीचे. मेरे मू से आअहह… निकल गई. शुमि वापस अपने कम मे बिज़ी हो गई. यानी मेरे मुम्मो को मसालने मे ओर मेरे निपल्स को खेंच ने मे. इधर मोविए मे वो शेमले जिस का लंड 10 इंच क क़रीब था, वो 35-40 साल की ओरात को ज़ोर ज़ोर से छोड़ रही थी. कभी उसकी छोड़ती तो कभी उसकी गंद. ये देख कर मेरी छूट पूरी गीली हो चुकी थी. बाल क आज तो लग रहा था जैसे बेड शीट ब गीली हो गई थी.
मे अपनी मंज़िल क क़रीब ही थी. इधर उस शेमले ने मॉडेल क चेहरे पेर अपना लंड रस्स चोरना शुरू किया.
इधर शुमि ने मेरे निपल्स को चुकियो मे पाकर कर ज़ोर से मसल दिया. ये दर्द मेरी मस्ती को कई गुना बरहा गया. ओर मे आआआअहह… की आवाज़ क साथ फारिघ् हो गई.