XXX Kahani Meri Zindagani - Another Love story with Shemale

sexstories

Administrator
Staff member
ज़िंदगी क ओपेर नीचे चलते रास्तो पेर इंसान बोहोट से सबक़ सीखता है. बोहोट सी मंज़िलाईं पाने की कोशिश केरता है. इन मे सब से ज़ियादा जिस चीज़ को इंसान तलाश केरता है वो है “मुहब्बत”

जो इंसान को कभी ब, कहीं ब, किसी से ब हो जाती है. हाआँ! उसको दूसरो को समझना बोहोट मुश्किल होता है. आज तक मेने सिर्फ़ न्यूज़ पेपर्स मे पारहा या टीवी पेर देखा क 3 बचो की मा या 4 बचो की मा अपने आशिक़ क साथ भाग गई. क्यू? पहले इसकी समझ नही ऑयेयी. लेकिन आज! आज मे इस मक़ाम पेर हूँ क मेरे पास दो रास्ते हैं, या तो अपनी मुहब्बत क़ुरबान कर डून या अपनी फॅमिली. ओर मेरे लिए हेर लम्हे क साथ ये फ़ैसला केरना मुश्किल होता जा रहा है.

मे हूँ हीरा. ओर ये है मेरी कहानी.
 
मेरी आगे 40 साल है. ओर मेरे 3 बचे हैं. पहले है इशफ़ाक़ 21 साल का लरका. जिस की हाइट 6 फीट क आस पास है. ग्रॅजुयेशन कर चुका है ओर आगे मास्टर्स केरने की टायारी कर रहा है. उस से छोटा है नोमान. 20 साल का है ओर ग्रॅजुयेशन फाइनल एअर मे है. ओर सब से छोटी है हम सब की लड़ली सायरा. 18 साल की, इस ने अभी ग्रॅजुयेशन क लिए यूनिवर्सिटी मे अड्मिशन लिया है. मेरे शोहार मुस्तफ़ा की 2 साल पहले डेत हो चुकी है. जिस क बाद मे काफ़ी टूट गई. लेकिन बचो क लिए मेने खुद को नॉर्मल कर लिया.

घर क हालत का बता डून तो हमैन खाने पीने की कोई टेन्षन नही. मेरे शोहार ने इस सिटी मे कई जगा 8 शॉप्स पर्चेस कर क रेंट पेर दे रखी हैं. ओर साथ ही एक बोहोट बरी कोठी रेंट पेर दे रखी है. इन सब से हमारा गुज़ारा ब आराम से हो जाता है बाल क बचत ब अची ख़ासी हो जाती है. घर मे एक कार है जो मेरे उसे मे रहती है. जब क मेरे दोनो बेटे अपनी बाइक्स उसे केरते हैं. ऐसे कह सकते हैं क हम अप्पर मिड्ल क्लास लाइफ को एंजाय केरते हैं. हमारे घर मे ओपेर वेल क करम से सब चीज़ाइन अवेलबल हैं. पहले मे नीचे रहती थी. लेकिन अब हमारे घर क नीचे क पोर्षन को मेने दोनो बिटो को दे रखा है. नीचे एक हॉल है ओर टीन कमरो मे से दो कमरे मेरे बिटो क उसे मे हैं. जब क एक कमरा खाली है. जो गेस्ट रूम क टॉर पेर उसे होता है. क्यू क मुझे नीचे क पोर्षन मे शोहार की याद आती है. तो मे ओर मेरी बेटी, हम दोनो ओपेर क पोर्षन मे अलग अलग कमरो मे रहते हैं. ओर नीचे की तरह ओपेर ब एक रूम खाली है. मेरे रूम क बराबर वाला. उस रूम का ओर मेरा बातरूम एक ही है. इस 3र्ड रूम को स्टडी रूम क टॉर पेर उसे केरते हैं. जब क किचन का ऑप्षन ओपेर ओर नीचे दोनो जगा अवेलबल है. जब क सब से ओपेर छत है. जहाँ पेर दो कमरे हैं. ओर इन कमरो को हम ने स्टोर रूम बना रखा है.

मेने अपने बारे मे तो डीटेल से बताया ही नही. मेरी आगे क बारे मे तो आप लोग जानते हैं. क 40 साल की हूँ. लेकिन दिखने मे 32-33 से ज़ियादा की नही लगती. क्यू क मेने खुद को काफ़ी मेनटेन किया हुआ है. एक्सर्साइज़, योगा ओर डाइयेट प्लान क चलते मे अपनी आगे से काफ़ी कम दिखती हूँ. मेरा फिगर इस आगे मे ब जहाँ जवानो का पानी निकल दे. वहीं बूढ़ो क लंड ब खरे कर दे. मेरा फिगर 36ड्ड- 30- 38 है. मे ज़ियादा तार पाजामा सूट पहेनटी हूँ.

मेरी कहानी स्टार्ट होती है कुछ मंत्स पहले जब हमारी ज़िंदगी मे एक नया इंसान आया. या ऑयेयी. उसका नाम है शुमैला. जिस को पियर से सब शुमि कहते हैं. उसका अड्मिशन हुआ मेरी बेटी की क्लास मे. जो ऑयेयी थी इंग्लेंड से. उसको रुकने क लिए जगा चाहिए थी तो मेरी बेटी ने मुझ से बात की. मेने इस शर्त पेर इजाज़त दी क वो स्टडी रूम मे रहे गी. ओर ज़ियादा कहीं आने जाने से या मेरे दोनो बिटो क साथ घुलने मिलने से परहैीज़ करे गी.

शुमैला जिस दिन ऑयेयी, उसी दिन उस ने मेरे दिल मे जगा बना ली. उसका क़द ऑलमोस्ट 6 फीट, मुम्मे ज़रा नॉर्मल साइज़ क. शायद 34सी साइज़ क थे. कमर 30 ओर चूटर 36 साइज़ क थे. उसकी हाइट मुझ से 4 या 5 इंच ज़ियादा थी. लेकिन उसकी मासूमियत ओर उसकी नज़र जैसे पहली ही बार मे मेरी रूह मे उतार गई.

खैर शुमैला क आने क बाद हमारी रुटीन मे थोरी सी तब्दीली आ गई. पहले 4 लोगो का खाना बनता था ओर अब 5 लोगो का. शुमैला ने कभी ब मेरे बिटो की तरफ क़दम नही बरहाए. बाल क ऐसे कहिए क उन क साथ उसका रेस्पॉन्स सख़्त ही रहा. जिस की मुझे खुशी थी क वो मेरी बात पेर अमल कर रही है. जब क उसकी नज़रैयण हमेशा मेरे जिस्म का तरफ केरतीएन. वो मेरे साथ ओर सायरा क साथ घुल मिल कर रहती. शुमैला क फादर की डेत हो चुकी है. जब क उसकी मदर ब उसको चोर चुकी है. वो इस दुनिया मे अकेली है. उसकी बतो से पता चला क उस क फादर ने उस क लिए काफ़ी पैसे छोरे हैं. वो पाकिस्तानी थे इस लिए वो ब पाकिस्तान देखने क बहाने यहाँ आ गई. ओर यहीं अड्मिशन ले लिया.

मुझे ये जान कर हेरात हुई क उसको बोहोट अची उर्दू आती है. वो हम से ज़ियादा बेहतर अंदाज़ मे उर्दू बोल रही थी. जिस पेर मुझे हेरात तो हुई लेकिन खुशी ब. क एक लर्की हम सब क कल्चर को समझने की कोशिश कर रही है. मेने अपने शोहार क मरने क बाद एक तरह से खुद को मार लिया था. अपनी चुदाई की खुवहिश को ख़तम कर लिया था. क्यू क मे जानती थी क अब ऐसा कुछ मुमकिन नही. मेरे लिए अब मेरे बचे ही मेरी दुनिया हैं ओर इन्ही क लिए मुझे जीना है. लेकिन शुमैला क आने क बाद सब कुछ बदलने लगा. पता नही कैसे ओर कब? क्यू क उस क आने से मुझे ऐसे लगने लगा क मेरे अंदर सेक्स की खुवहिश जाग रही है. मे जितना उसको दबाने की कोशिश केरती, लेकिन फीलिंग बर्हती जा रही थी.

ओर ये सिलसिला तब शुरू हुआ जब एक रोज़ वो मेरे साथ किचन मे हेल्प केरवा रही थी. पता नही क्यू लेकिन उस क जिस्म से आती खुश्बू मुझे अपनी तरफ खींच रही थी. मेरा दिल चाह रहा था क उस से लिपट जाऊं. मे जानती थी क ये घालत है. खास टॉर पेर मेरे लिए. मेरी बेटी की सहेली है वो… ओर उस से ब ख़तरनाक बात, जिस को लोग आक्सेप्ट नही केरते, वो है लरकियो का आपस मे पियर. खैर मे काइया कह रही थी? हाआँ! किचन मे मदद केरवाता हुआी कई बार उस का हाथ मेरे हाथ से टच हुआ, ऐसे लगा जैसे मुझे कोई करेंट लगा हो. मेरे हाथ ठंडे होने लगे, चेहरे पेर पसीना आने लगा. वैसे तो किचन मे गर्मी ही थी. लेकिन उस रोज़ मुझे ठंडे पसीने लगे.

उस रात मेने अपने शोहार को बोहोट याद किया. तकिये को अपने आँसू से गीला लिया. अगले रोज़ सब कॉलेज ओर यूनिवर्सिटी चले गाए. मेने जल्दी जल्दी खाना बना लिया. फिर मे सब बचो क कमरो की सफाई केरने लगी. इशफ़ाक़ ओर नोमान सब चीज़ाइन फैला कर रखते हैं, जिस की वजा से मुझे हेर दो या टीन दिन बाद उन क कमरो की सफाई केरनी होती है. उस क बाद बरी ऑयेयी सायरा क कमरे की. जहाँ मुझे ज़ियादा टाइम नही लगा. सायरा को अक्सर चीज़ाइन अपनी जगा कर ही रखने की आदत है. इन सब कामो से फ्री हो कर सोचा क क्यू ना शुमि (शुमैला) क कमरे को ब अरेंज कर डून. जब मे कमरे मे एंटर हुई तो मुझे उसी खुश्बू का एहसास हुआ. जो मुझे बार बार अपनी तरफ बुला रही थी. कमरे की हेर चीज़ अपनी जगा पेर थी. इस लिए मुझे कोई सफाई केरने की ज़रोरत नही पारी. मे कमरे से बाहर निकालने लगी, तभी मेरी नज़र स्टडी टेबल पेर पारी. वहाँ कुछ बुक्स रखी हुई थीन. ओर लॅप टॉप जो अभी ओं था. मेने जा कर लॅप टॉप शूट डाउन किया ओर बुक्स को रखने लगी. तभी मेरी नज़र एक लाइन पेर पारी जिस को देख कर मेरी छूट मे अचानक हुलचूल शुरू हो गई.

“मे उस क लंड से चूड़ते हुआी अपने शोहार ओर अपने घर को भूल गई.”

मेने उस बुक को फॉरन बंद कर क एक तरफ रख दिया. ओर कमरे से बाहर आ गई. बार बार मेरी आँखो क सामने येई लाइन आ रही थी. आख़िर मे रह ना सकी ओर जल्दी से वो किताब उठा कर अपने कमरे मे रख दी. मेरे माइंड मे था क मे इसको फ़ुर्सत से परहून गी. इस क बाद बाकी दिन ऐसे ही गुज़रा. मे बार बार कहीं ख़यालो मे खो जाती, रात होने तक वो लाइन बार बार मेरे ज़हेन मे आती रही.

आख़िर शाम को मुझे अपनी पनटी ब बदलना पारी. रात को मे अपने कमरे मे आ गई. ओर उस बुक को निकल कर परहने लगी. मुझे ये पारह कर हेरात हुई क ये एक सेक्स स्टोरी बुक थी जिस मे लरकियो ओर शादी शुदा ओर्तो को शेमालएस सिड्यूस केरती हैं. उनको अपने बारे बारे लुंडो से छोड़ कर उनको अपने लंड का चस्का लगा देती हैं. इस क बाद कोई ब ओरात अपने शोहार से खुश नही रहती. बाल क उस शेमले की ग्युलम हो जाती है.

ये सब पर्हते हुआी कब मेने अपनी शलवार ओर पनटी उतार दी, कब अपनी छूट मे उंगली केरने लगी, मुझे पता ही नही. खैर 3 कहानिया परहने क बाद मे 2 बार फारिघ् हो चुकी थी. इस से ज़ियादा मेरे अंदर हिम्मत नही थी. ना परहने की ओर जेया झरने की. मे चुप छाप सो गई. खुवब मे ब मुझे मोटा टगरा लंड नज़र आता रहा जो बार बार मेरी छूट मे घुसने की कोशिश कर रहा था. खैर अगली सुबा मे अपने टाइम पेर जागी ओर फ्रेश हो कर सब क लिए नाश्ता बनाने लगी. तभी मेरे पीछे किसी का एहसास हुआ. ये शुमि थी जो पानी पीने ऑयेयी थी.
 
शुमि:- हेलो आंटी…!

मे:- ही बेटा.

शुमि:- कल आप मेरे कमरे मे गई थीन.

मे:- हन! वो सफाई क लिए गई. लेकिन जब देखा क तुम्हारा रूम तो ऑलरेडी अरेंज्ड है तो वापस आ गई.

शुमि:- (मुस्कुरा कर) अछा…! लेकिन मुझे याद परता है क मेरा लॅपटॉप चल रहा था. शाम को जब ऑयेयी तो लॅपटॉप बंद था.

मे:- हाआँ! वो मेने बंद किया….

शुमि:- अछा… अभी काइया बाबा रही हो आप!

मे:- ओमलेट… आस यूषुयल.

शुमि:- आज मेरे लिए पराता बना दो गे प्ल्ज़????

मे:- हन क्यू नही.

ये कह कर वो वहाँ से चली गई लेकिन जाते जाते मुझे अपनी गंद पेर किसी क हाथ का एहसास हुआ. जैसे किसी ने मेरी गंद को सहलाया हो. लेकिन मेने इग्नोर कर दिया. शुमि अपने कमरे मे चली गई. ओर मे सब क लिए नाश्ता सर्व केरने लगी. फिर सब टायर हो क आए. आज शुमि मुझे देख कर अलग तरीके से मुस्कुरा रही थी. जैसे मेरा कोई राज़ उस ने पाकर लिया हो. उस ने लॅपटॉप का तो कह दिया क लॅपटॉप बंद मिला उसको. लेकिन उस ने किसी बुक का ज़िकार नही किया मुझ से. मे ब खामोश रही क शायद उसको पता ना चला हो.

सब क जाने क बाद जब शुमि जाने लगी तो मेरे पास ऑयेयी.

शुमि:- पराठे क लिए शुक्रिया आंटी. वैसे एक कम है. आप कर दें गी?

मे:- हन बेटा. बोलो.

शुमि:- मेरे बेड की चादर खराब हो रही है. मुझे आज टाइम नही मिला. काइया आप बदल दी गे?

मे:- कोई इश्यू नही.

शुमि:- शुक्रिया आंटी.

ये कह कर वो चली गई. जब क मे घर क कामो मे बिज़ी हो गई. ऑलमोस्ट एक अवर बाद मे उस क कमरे मे गई. तो उसका लॅपटॉप खुला हुआ था. मे उसको बंद केरने लगी. तो उस पेर एक पेपर लगा हुआ था. जिस पेर लिखा था.

“मे जानती हूँ क कल आप मेरे कमरे से बुक ले गई हो. अब तक शायद आप ने 3-4 स्टोरीस पारह ब ली हों गी. उस बुक मे सिर्फ़ 5 स्टोरीस हैं. आज दिन मे बाकी पारह लेना. अगर न्यू स्टोरीस चाहिए तो मेरे बेड पेर येल्लो बेड शीट बिछा देना जो इस वक्त आप क कमरे मे है. एंजाय….!”

मे हिल कर रह गई. यानी वो जानती थी क मे ये स्टोरी बुक ले गई हूँ. मे शरम क मारे ज़मीन मे गारी जा रही थी. मेने कभी ज़िंदगी मे इतनी शरम महसूस नही की थी. साथ ही मुझे उसका तरीका अछा लगा. उस ने मेरी इन्सल्ट केरने क बजाए मुझ से कम्यूनिकेशन का नया तरीका निकाला था. सच मे वो एक मेच्यूर लर्की थी. जिस को बात केरना आता था. उस ने मेरी इज़्ज़त का भरम रखा था. वो जानती थी क मे अकेली हूँ ओर मेरा साथ देने क लिए, मुझे छोड़ने क लिए मेरा शोहार नही है. ओर मेरे लिए एक ही रास्ता है ओर वो है खुद अपनी आग बुझाने का.

मे थोरी देर सोचती रही क शुमि की इस बात का काइया मतलब है? मे अपने कमरे मे आ गई ओर लाते कर बाकी की दो स्टोरीस पारह लें. ये स्टोरीस ब शेमालएस क बारे लंड क बारे मे थीन. मुझे इतना मज़ा आया क मे ने फिर से एक बार उंगली से अपना पानी निकाला. मुझे अब बरा, मोटा ओर टगरा लंड चाहिए था. जो किसी का ब हो, जो मेरी पियास बुझा सके. मेने शुमि क बेड पेर येल्लो बेड शीट बिछा दी ओर उसकी वो बुक बेड पेर ही रख दी. ता क वो देख सके. मुझे अब उस क अगले क़दम का इंतज़ार था. मे नही जानती थी क वो काइया करे गी! हन ये तो था क हमारे दरमियाँ जो परदा, जो शरम की दीवार थी, वो गिरता जा रही थी.
 
बाकी का दिन ऐसे ही गुज़र गया. शाम को हम सब ने मिल कर मोविए देखी. जिस क बाद सोने क लिए अपने कमरो मे चले गाए. मे अपने बिस्तर पेर लेती ये सोच रही थी क शुमि ने अभी तक कोई क़दम क्यू नही उठाया. हालान क उस क कहने पेर मेने बेड शीट ब बदल दी थी. लेकिन उस ने वापस आने क बाद कोई हिंट नही दिया था. ये चीज़ मुझे परेशन कर रही थी. बोहोट देर तक मे बेचैन रही. ओर अपनी छूट मसालते मसालते कब मुझे नींद आ गई, पता नही. अगले रोज़ मे सुबा सब क लिए नाश्ता बना रही थी. शुमि उठ कर मेरे पास आ गई. उसको देख कर मे थोरी कन्फ्यूज़ ज़रूर हुई. लेकिन फिर ब अपने कम मे बिज़ी रही. आज वो मेरे पीछे आ कर खरी हो गई.

उस ने मेरे बालो को एक साइड मे किया ओर जैसे कोई लरका लर्की को हग केरता है, वैसे मुझे हग कर लिया. ओर मेरे कानो मे बोली.

शुमि:- काइया बना रही हैं आप?

मे:- (अपनी बहेकत्ि सांसो को संभालते हुआी) ओमलेते ओर पराता बना रही हूँ. तुम्हाइन पसंद है ना.

शुमि:- बोहोट ज़ियादा. ओर हन! मेरे जाने क बाद देख लेना. मेने कुछ रखा है आप क लिए.

ये कह कर उस ने मेरी गर्दन पेर एक किस कर दी ओर मुझे चोर कर अपने कमरे मे चली गई. इधर उसकी एक किस से मेरी हालत पतली हो चुकी थी. मेरी आंखाईं कुछ देर खुमारी मे बंद रहिएं. उस क बाद मे होश मे ऑयेयी ओर जल्दी जल्दी नाश्ता बनाने लगी. मेरी छूट शुमि की एक किस से ही गीली हो गई थी. मे अपनी अंदर जागती इन फीलिंग्स को समझ नही पा रही थी.

हम सब ने बैठ कर नाश्ता किया जिस क बाद मेने घर क कम ख़तम किए. तब मुझे याद आया क शुमि ने कुछ कहा था मुझ से. मे उस क कमरे मे गई तो वहाँ हमेशा की तरह लॅपटॉप खुला हुआ था. जब क उस मे कुछ पेजस ओपन थे. ओर लॅपटॉप पेर स्टिकी नोट लगा हुआ था.

“बुक से परहने का फ़ायदा नही. ये स्टोरीस मेने लिखी हैं. इनको परहो, उमीद है आपको मज़ा आए गा. यहीं मेरे कमरे मे ही रिलॅक्स हो कर पारह लो स्टोरी. एंजाय…!”

उसकी ऑफर ने जैसे मेरी छूट मे आग लगा दी. मुझे यकीन नही हो रहा था क कोई लर्की स्टोरी ब लिख सकती है? ओर वो ब सेक्स स्टोरी…! आज तक मेने जो सुना, वो ये क लरकियो को सब से ज़ियादा शोक़् पोवेट्री का होता है.

उस क बाद मेने शुमि की स्टोरी परहना शुरू की. आस यूषुयल उसको पारह कर मे ख़ासी हॉट जो गई. ओर अपनी शलवार मे उंगली केरने लगी. ये स्टोरी तो जैसे जिस्म मे आग लगाने वाली थी. क्यू क इस मे एक शेमले अपनी सहेली क घर रहने जाती है ओर अपना लंड दिखा कर अपनी सहेली की मा को सिड्यूस केरती है ओर उस से शादी के लेती है. उस ने इस क़दर गरम अंदाज़ से ये स्टोरी लिखी थी क मेने दो बार पानी चोर दिया. मेरी पनटी पूरी तरह गीली हो गई थी. स्टोरी ख़तम होने क बाद मे उठ कर अपने कमरे मे आ गई ओर अपनी पनटी चेंज कर क रिलॅक्स केरने लगी.
 
अगले रोज़ सनडे था ओर सब को छुट्टी थी. इस लिए हम ने रात तक एंजाय किया. हम सब ने मिल कर 2 फिल्म्स देखिएं.

हॉल की लाइट तो बंद थीन, सिर्फ़ टीवी की रोशनी जगमगा रही थी. मेरे दोनो बेटे नीचे फर्श पेर तकिये रख कर लेते हुआी थे जब क हम तीनो टीवी क सामने सोफे पेर थीन. मे दरमियाँ मे थी जब क मेरी मेरे लेफ्ट साइड पेर शुमि थी ओर मेरे रिघ्त साइड पेर मेरी बेटी सायरा बैठी थी. कुछ देर बाद सायरा मेरी एक तंग पेर सिर रख कर लाइट गई. उस का फोकस सामने की तरफ था. आहिस्ता आहिस्ता शुमि ब मेरे साथ चिपक गई. उस ने अपना सिर मेरे कंधे पेर रख लिया. अगर कोई देख ब लेता तो ज़ियादा घोर नही केरता क्यू क शुमि इतनी बे तकल्लूफ तो हो चुकी थी मुझ से ब. लेकिन अब पिछले दो टीन दिन से हमारे बीच जो कुछ बदला था, उसका कोई अंदाज़ा ही नही कर सकता था.

शुमि मेरे कंधे पेर सिर रख कर मेरे बाज़ू को सहलाने लगी. उस क टच से ही मेरे रोंगटे खरे होने लगे. मेरी बेचैनी बरहने लगी. थोरी देर तक वो मेरे बाज़ू से खेलती रही. इस क बाद उस ने उसी तरह मेरे पायट को सहलाना शुरू कर दिया. क़मीज़ की पतली सी लेयर उस क हाथ ओर मेरी स्किन क बीच मे थी लेकिन मुझे ऐसे लग रहा था जैसे वो मेरे नंगे पायट को ही सहला रही हो. मेरी सनसाइन बेकाबू थीन. उस क हाथ मेरे जज़्बात ओर ज़ियादा बरहा रहे थे. मे खुद को संभालना चाहती थी. शुमि को रोकना चाहती थी. लेकिन पता नही क्यू? जब ब वो मेरे पास आती, मे बहेक जाती. ना मे ज़बान से उसको कुछ कह सकती थी ओर ना ही उस क किसी बर्हते क़दम को रोक पति थी. ओर आज!! आज वो खुलाम खुला मेरे जिस्म को शेयर रही थी. मुझे उसको रोकना चाहिए था, ये घालत है. बोहोट घालत…..! वो मेरी बेटी की सहेली है. उसको ये ज़ैब नही देता क वो अपनी सहेली की मा से ताल्लुक़ बनाए. ओर मे! मेने ब आज तक किसी लर्की क साथ क बारे मे कभी नही सोचा था. कभी नही! लेकिन शुमि क सामने मेरी सारी हिम्मत, सारी ताक़त ख़तम हो जाती थी.

ऐसे ही मेरे पायट को सहलाते हुआी उस ने मेरी कमीज़ क आगे से हाथ अंदर डाल दिया. उसका हाथ मेरे पायट पेर था. एक बार तो जैसे मेरे जिस्म मे बिजली सी कूद गई. मेने एक बार सिर घुमा क उसकी तरफ देखा, लेकिन वो तो सामने टीवी देख रही थी. या शायद आक्टिंग कर रही थी. उस ने मेरी तरफ ध्यान ही नही दिया. वो इस सब क डॉरॅन मेरे पायट से खेलती रही. मे कभी मस्ती मे अपनी आंखाईं बंद कर लेती, कभी आंखाईं खोल लेती. मे अपनी सारी ताक़त लगा कर अपनी सांसो पेर क़ाबू पा रही थी क मस्ती मे मेरे मू से कोई आआहह ना निकल जाए. जब पहली फिल्म ख़तम होने को थी तब वो मेरे कन क पास आ कर बोली.

शुमि:- फिल्म ख़तम होने क बाद वॉशरूम जाओ ओर अपनी पनटी उतार क आऊ.

ओर साथ ही मेरे कान को चाट लिया. मुझे ऐसे लगा जैसे उसकी ज़बान मेरे कन पेर नही बाल क मेरी छूट पेर चली है. एक दूं से मेरी छूट ने 2-3 पानी क क़तरे चोर दिए, जो मेरी पनटी को भिगो गाए.

इस क बाद वो ठीक हो कर बैठ गई. मेने मॅन ही मॅन मे शूकर अदा किया क जान छूटी. लेकिन अभी उस ने जो कहा था वो मेने केरना था या नही! ये मे डिसाइड नही कर पा रही थी. उस क कहने पेर मे पनटी कैसे उतार डून! मुझे समझ नही आ रही थी. फिल्म ख़तम होने क बाद मे वहीं बैठी रही. अपनी जगा से नही हिली. मेरे इस क़दम को देख कर उस को शायद अछा नही लगा. लेकिन मे मजबूर थी. मे खुद को रोकने की कोशिश कर रही थी क ये सब जो हो रहा है, हमैन इसको आगे नही बारहाना चाहिए. उस ने दो टीन बार मुझे हल्के से छू कर जाने का इशारा किया लेकिन ने अपनी जगा से नही उठी. आख़िर हम ने दूसरी मोविए लगा ली. अब की बार वो मेरे जिस्म से नई खेल रही थी.

शायद वो नाराज़ हो गई थी. इस लिए मे ब सुकून से बैठ गई. लेकिन मेरा ये सुकून कुछ ही देर का था. क्यू क अब की बार उस ने मेरे मुम्मो से खेलना शुरू कर दिया था. मे शुरू से ही बिना पॅड्स क ब्रा पहेनटी हूँ. यानी ऐसी ब्रा जिस से आप मेरे निपल्स आसानी से महसोस कर सकते हैं. लीके नेट वाली ब्रास ओर पॅंटीस, हाफ कट एट्सेटरा. यानी कपरो क नीचे मे मॉडर्न स्टाइल क ही इननेर्स पहेनटी हूँ. खैर कुछ देर शुमि मेरे निपल्स से खेलती रही, कभी वो इनको हल्के से सहलाती तो कभी चुटकियो मे ले कर मसालती. मे एक बार फिर मदहोश हो रही थी. मेरी छूट का गीलापन काफ़ी हड्द तक बरह चुका था. ऐसे ही वक्त बीट गया ओर दूसरी मोविए क ख़तम होने का वक्त ब हो गया. सच मे आज पहली बार था क मेने मोविए का कोई सीन ध्यान से नही देखा था. बाल क मे अपनी मस्ती मे खोई हुई थी.

शुमि:- (मेरे कान मे) मिलते हैं सुबा 8ब्जे किचन मे नाश्ते क टाइम पेर. अगर आप आगे बरहना चाहती हो तो बिना ब्रा ओर पनटी क मिलना. वरना….!

ये कह कर उस ने एक बार फिर मेरे कान पेर ज़बान चला दी. उसकी गरम ज़बान से मेरी आंखाईं बंद हो गाईएन लेकिन मेने किसी ना किसी तरह अपने मू से निकालने वाली आआहह… को रोक लिया. मोविए ख़तम होने क बाद हम सब उठ कर अपने अपने कमरे मे चले गाए. मेरी छूट क आस पास मेरी पनटी काइया पूरी शलवार गीली थी.

मे अपने कमरे मे आ गई ओर सोचने लगी क काइया हो गया है मुझे? मे क्यू बहेकत्ि जा रही हूँ? मेने अभी तक एक बार ब शुमि को रोकने की कोशिश नही की…! क्यू? काइया उस क हाथो का एहसास इतना अछा लगता है मुझे क मे एक बार ब नही रोक सकी….!

मेने कमरे मे आ कर अपना ड्रेस चेंज कर क निघट्य पहें ली. ओर सोने की कोशिश केरने लगी. लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी. मेरे जिस्म की गर्मी मुझे सोने नही दे रही थी. मेने सोचा क्यू ना जेया कर पानी बहा लून ता क जिस्म की आग कुछ कम हो सके. मे ये फ़ैसला कर क बेड से निकली ओर वॉशरूम की तरफ क़दम बरहा दिए. (मेने आपको पहले ही बताया क मेरे ओर शुमि का वॉशरूम कामन है.)

जैसे ही मे वॉशरूम मे एंटर हुई, मुझे ज़बरदस्त शॉक लगा.
क्यू क अंदर शुमि खरी थी. जो पूरी नंगी थी ओर वो नहाने की टायारी कर रही थी. उस की बेदघ पीठ ओर चूटर मेरी आँखो क सामने थे. उसकी जिल्द इतनी चिकनी थी क मे उसको चुना चाहती थी. मे घबरा कर वापस पलटने लगी, तभी मेरा हाथ किसी चीज़ से टकराया. शुमि ने पीछे मुर्र कर देखा, तो हम दोनो की नज़रैयण आपस मे टकरा गाईएन. ना जाने क्यू, मे उसकी आँखो मे खो सी गई. उस ने अपना हाथ आगे कर दिया जैसे मुझे बुला रही हो. मे ने उसका हाथ थाम लिया. उस ने अचानक से मुझे अपनी तरफ खेंच लिया. कुछ ही सेकेंड्स मे हमारे जिस्म एक दूसरे से मिल गाए. मेरे मुम्मो पेर उस क मुम्मे टकराने से एक अलग सा एहसास हो रहा था. इस से पहले क मे कुछ ओर सोचती, शुमि ने मेरे होंठो से अपने होंठ मिला दिए. मेरे लिए ये किसी शॉक से कम ना था. शुमि मेरे हाथो को चूम रही थी. हम दोनो क सॉफ्ट सॉफ्ट होंठ आपस मे जब मिले तो जैसे मेरी छूट मे बिजलिया सी कूदने लगी. आहिस्ता आहिस्ता मे ब उसका साथ देने लगी. कुछ देर मे हमारी ज़बनाईं एक दूसरे से टकराने लगीएँ.

शुमि इस डॉरॅन दोनो हाथो से मेरे चूटर मसल रही थी. कुछ देर बाद उस ने मेरी छूट से खेलना शुरू कर दिया. उस की इस हरकत से मे अपनी मंज़िल को पोहॉंच गई. मेरे जिस्म मे अजीब सी हुलचूल हुई ओर मेने अपने होंठ उस क होंठो से हटा कर एक ज़ोरदार सिसकी ली. ओर मेरी छूट ने पानी चोर दिया.

जैसे ही मेरी छूट ने पानी छोरा मे एक दूं से होश मे आ गई. मे ये देख कर हेरान रह गई क मे अपने बिस्तर पेर हूँ. मेरा लेफ्ट हॅंड मेरी छूट पर है जो क पूरा गीला है ओर मेरा रिघ्त हॅंड मेरे ही चूसने से लाल था. मे ने खुद को संभाला ओर वॉशरूम जा कर खुद को सॉफ किया. जिस क बाद मेने अपने कापरे चेंज किए ओर सो गई.
 
अगले रोज़ सुबा मे अपने टाइम पेर जागी. नॉर्मल दिन हो वीकेंड, मुझे कोई फ़र्क़ नही परता था. मे अपने टाइम पेर उठती. आज ब उसी टाइम पेर मे किचन मे थी. लेकिन आज फ़र्क़ ये था क शुमि क कहने क मुताबिक मे मेने पनटी नही पहनी थी. मे किचन मे नाश्ता बना रही थी. थोरी देर बाद शुमि किचन मे आ गई. मे उस वक्त नाश्ता ही बना रही थी. वो मेरे पीछे आ गई. आज शायद उसको कोई जल्दी नही थी. क्यू क वो जानती थी क बाकी सब लोग देर से उठाईं गे. मे अभी पराता बनाने की टायारी कर रही थी.

उस ने पीछे से मुझे अपनी बाहों मे भर लिया. ओर दोनो हाथो से मेरे मुम्मो को पाकर लिया. मेरी तो साँस जैसे बंद होने लगी. शुमि पहली लर्की थी जो मेरे साथ ये सब कर रही थी.

मे:- (हिम्मत इकती कर क) शुमि…! प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़…

शुमि:- (मेरे मुम्मो से खेलते हुआी) काइया प्ल्ज़ आंटी…!

मे:- आआहह…. प्ल्ज़ हमैन ये सब नही केरना चाहिए.

शुमि:- (मेरे दोनो निपल्स को मसालते हुआी) किया नही केरना चाहिए?

मे:- सस्स्स्स्सस्स… नही केरो ना. मे बहेक जाऊं गी.

शुमि:- तो बहेक जाओ ना.

मे:- नही…! ये घालत है…!

शुमि:- कुछ घालत नही है. आप बस एंजाय केरो.

मे:- आअहह…. लेकिन तुम मेरी बेटी की सहेली हो. हमारी मेहमान हो.

शुमि:- तो काइया हुआ?

मे:- प्ल्ज़ नही केरो ना शुमि. मे कई सालो से अकेली हूँ. इस आग को मेने जलने नही दिया. मेने खुद को मसरूफ़ कर लिया है, घर मे, बचो मे. इस आग को ना जलाओ. वरना ये मुझे मार डाले गी.

शुमि:- कोई बात नही आंटी. मे हूँ ना, मे बुझाऊं गी तुम्हारी आग को.

शुमि अब आहिस्ता आहिस्ता मेरे मुम्मो से नीचे आ रही थी. थोरी देर मे उसका हाथ मेरी छूट से खेलने लगा. शलवार क ओपेर से. मेरी शलवार पहले ही गीली हो चुकी थी. पनटी ना होने से शुमि मेरी छूट की शेप को आचे से महसूस कर पा रही थी. इधर वो मेरी गर्दन पेर लगातार ज़बान चला रही थी. पहली बार थाअ क कोई मारी गर्दन को छत रहा था. आज तक मेरे शोहार ने कभी मेरी गर्दन को नही चटा था. हाआँ! वो काफ़ी रोमॅंटिक थे. लेकिन वो मेरे फेस को चूमते या फिर मेरे होंठो को. शुमि क साथ रोमॅन्स से मुझे पता चल रहा था क मेरे कानो क नीचे नेक वाला हिस्सा मेरा सब से सेन्सिटिव पार्ट था. मे अब आंखाईं बंद किए खुद को शुमि क हवाले कर चुकी थी.

इधर अब वो मेरी शलवार मे हाथ डाल कर मेरी नंगी छूट से खेल रही थी. कुछ देर मे मेरी छूट ने पानी चोर दिया. शुमि ने अपना हाथ बाहर निकाला ओर अपनी उंगलियो को चाट लिया.

शुमि:- हमम्म्म… मज़ेदार पानी है. काश मे रोज़ाना इस को डाइरेक्ट पी सकूँ.

उसकी बात सुन्न कर मेरी छूट मे बेचैनी सी पैदा हुई. लेकिन मेने खुद पेर कंट्रोल कर लिया. इधर वो ब रेफ्रिजरेटर से पानी निकल कर पीने लगी. इस क बाद वो अपने कमरे की तरफ चली गई. हन! एक चीज़ ने ज़रूर मुझे परेशन किया. वो था शुमि क ट्राउज़र क आगे का हिस्सा. जो काफ़ी फूला हुआ लग रहा था. एक लर्की क ट्राउज़र मे भला काइया हो सकता है? शायद उस का मोबाइल हो गा या कुछ ओर….! मेने वहेँ समझ कर उसको ज़हेन से निकल दिया. मे अपना कम चोर कर वापस वॉशरूम गई ओर एक बार फिर कापरे चेंज कर लिए.

जब तक मेने नाश्ता बनाया, एक एक कर क सब लोग जागने लगे. हम ने बैठ कर नाश्ता किया ओर फिर सब अपने अपने कामो मे बिज़ी हो गाए. आज सनडे सफाई का दिन था, हम सब ने मिल कर पूरा घर एक बार फिर सॉफ किया. ओर फिर सब बरी बरी फ्रेश हुआी. इस डॉरॅन शुमि ने एक बार ब कोई ऐसी हरकत नही की जिस से किसी को शक हो या मुझे किसी तरह की परेशानी हो.

हमारी सेकरीट लाइफ ऐसे ही चल रही थी. अगले कुछ दिन येई रुटीन रही! हल्की फुल्की शेयर चार ओर शुमि की आब्सेन्स मे उस क लॅपटॉप पेर कहानिया परहना. मे अब शेमले सेक्स स्टोरीस की दीवानी हो चुकी थी. एक दिन लॅप टॉप चलते चलते मेरे ज़हेन मे आया क देखैईं स्टोरीस क एलवा कुछ है या नही.

तभी मुझे एक फोल्डर नज़र आया. जिस का नामे था “पर्सनल लाइफ” जैसे ही मेने उस पेर क्लिक किया तो अंदर जो था उसको देख कर मेरा गला सूखने लगा. जी हाँ! इस फोल्डर मे मूवीस रखी हुई थीन. जैसे ही मेने पहली मोविए को चलाया, मेरी हालत वोई होने लगी जो स्टोरीस पर्हते हुआी होती थी. मेरी छूट गरम हो गई ओर रस्स चॉर्ने लगी.

मोविए क स्टार्ट से मेने देखा क दो लरकिया आपस मे किस कर रही हैं. दोनो क बारे बारे मुम्मे आपस मे मिले हुआी हैं. उन क जिस्म पेर सिर्फ़ ब्रा पनटी है, इस एलवा कुछ नही. किस केरते केरते वो लर्की नीचे बैठ जाती है, ओर दूसरी लर्की का अंडरवेर उतरने लगती है. एक दूं से छूट वाली जगा से कोई चीज़ हवा मे लहराने लगती है. लंबी सी, मोटी सी. जी हन! ये उस लर्की का लंड था. जो अब हवा मे सांस ले रहा था. मेने एक दूं से उस सीन को रोका ओर अपनी छूट को मसल दिया. मेरी छूट मे से 2-3 क़तरे पानी निकल कर पनटी मे जज़्ब हो गया. इस क बाद मेने उस सीन को फिर से चला दिया. अंडर वेर उतरने क बाद उस लर्की ने लंड को मू मे भर लिया ओर चूसने लगी. थोरी देर बाद वो खरी हुई ओर अपनी ब्रा पनटी उतार कर बेड पेर लाइट गई. उस लर्की की गीली छूट कॅमरा मे सॉफ नज़र आने लगी. वो शेमले झुकी ओर उस लर्की की छूट को चाटने लगी. छूट को आचे से गीला केरने क बाद उस ने लर्की को 5-6 स्टाइल्स मे छोड़ा ओर फिर अपना पानी उस क मुम्मो पेर निकल दिया. इस मोविए को देख कर मेरी हालत खराब हो चुकी थी. मे अब तक 3 बार झार चुकी थी.

मोविए क ख़तम होते ही मेने लॅपटॉप को बंद किया ओर अपने कमरे मे आ गई. मुझे यकीन नही हो रहा था क ऐसा कुछ रियल मे ब हो सकता है. मुझे अब तक येई लगता था क स्टोरी एक तरह से फॅंटेसी होती है. इसका रियल लाइफ से ताल्लुक़ नही होता. लेकिन अब मोविए देख कर मुझे समझ आ रहा था क कुछ ब हो सकता है.

मेरी आँखो क सामने बार बार मोविए क सीन आ रहे थे. वो चुदाई, लर्की की मस्ती भारी आहैण, उसका ऑर्गॅज़म, उसकी तारप, सब बार बार आँखो क सामने आ रहा था. मे चाह कर ब इन सब स्कèनेस को ज़हेन से नही निकल पा रही थी. खाना बनानी क डॉरॅन ब मे बेचैन रही. दो बार मेने अपना हाथ जलाया. जब सब बचे घर आ गाए तो हम सब ने इकते खाना खाया. आज मे बिल्कुल खामोश थी. जिस को सब ने नोट किया. उन क पूछने पेर मेने बताया क तबेअत ठीक नही है मेरी. फिर रात को सब अपने अपने कमरो मे चले गाए.
 
अगली सुबा मे बोहट मुश्किल से जागी. क्यू क मे सारी रात नही सो सकी थी. मेरी बेचैनी मुझे सुकून नही लेने दे रही थी. सुबा क वक्त बिना पनटी क कापरे पहेनना ओर नाश्ता बनाना अब मेरी रुटीन का हिस्सा बन चुका था. आस यूषुयल शुमि मेरे पास आ गई. उसी तरह मुझे पीछे से हग कर क खरी हो गई.

शुमि:- तो मज़ा आया कल मोविए देख क?

मे:- कककक… कककक… कियाअ???? कों सी मोविए?

शुमि:- वोई जो कल देखी थी आप ने! लंड अछा लगा उस का?

मेरे पास कोई जवाब नही था. शुमि मेरी चोरी पाकर चुकी थी. मेने खामोश रहना बेहतर समझा. वो मेरे जिस्म को मसालती रही. ओर मे आआहह… ऊओह… केरती रही. तभी उस ने मेरा चेहरा अपनी तरफ घुमाया ओर पहली बार. जी हॅन! ज़िंदगी मे पहली बार हमारे बीच किस हुआ.



शुमि ने 4-5 सेकेंड ही मेरे होंठो को चूसा ओर फिर अलग हो गई. लेकिन जाने से पहले उस ने एक कम ओर काइया…! उस ने मेरा हाथ किसी मोटी सी लंबी सी चीज़ क ओपेर फेर दिया. ओर वहाँ से चली गई.

मे जब तक अपनी बे टरतीब सांसो को ठीक केरती, कुछ समझती, वो वहाँ से जा चुकी थी. मुझे अभी ब अपने हाथ पेर उस चीज़ का एहसास हो रहा था. जैसे!!!!! जैसे कोई लंड हो. लेकिन शुमि तो एक लर्की है. उस क पास लंड कैसे हो सकता है? मेरा वहेँ हो गा. मेने ये सोच कर अपना ज़हेन झटक दिया ओर घर क कामो मे बिज़ी हो गई.

मेरे लिए आज कल काफ़ी मुश्किल होता जा रहा था क मे अपनी रुटीन पेर फोकस केरूँ. रह रह कर मेरे ज़हेन मे कहानियाँ ओर मोविए क सीन चल रहे थे. हेर रोज़ शुमि मेरे साथ शेयर चार केरती, मेरे जज़्बात को भरका रही थी. ओर इधर मे कन्फ्यूज़ हो रही थी क मे काइया केरूँ! कैसे अपने जज़्बात पेर क़ाबू केरूँ? हेर बार मेरी सोच होती क मे शुमि को रोक डून गी. लेकिन फिर उसको अपनी मान मानी केरने देती. कभी मेने उसको रोकने की कोशिश नही की.

मुझे ऐसे लगता जैसे कोई अंजनी ताक़त मेरी ज़बान रोक लेती है. मेरे ज़हेन को कुछ ब कहने से रोक लेती है. मे उस क सामने कुछ ब नही बोल सकती. कभी उसका साथ मुझे अछा लगता, कभी उसका साथ मुझे खुशी देता. तो कभी मे उस क लामास को तरसती. मेरा दिल केरता क उसकी बहो मे ज़िंदगी गुज़र जाए. कभी उस से डोर रहने का वाडा मे खुद से केरती. तो कभी फ्रस्ट्रेशन का शिकार हो जाती क उस क साथ मुझे ज़ियादा टाइम क्यू नही मिलता.

दो टीन डेज़ बाद शुमि ओर सायरा को चुट्टिया हो गएीँ. क्यू क अब उन क एग्ज़ॅम्स होने थे जिस मे अभी एक मंत का टाइम था. अब मे काइया केरती? मुझे अपनी आग बुझाने का टाइम नही मिल रहा था. मुझे अब फिल्म्स देखने की आदत लग चुकी थी. मेने अब तक कोई 10 मूवीस ऐसी देख ली थीन जिस मे शेमालएस लरकियो को छोड़ती हैं. मेरी प्राब्लम ब शुमि ने खुद ही सॉल्व कर दी.

शुमि:- मे जानती हूँ क आप को फिल्म्स देखना अछा लगता है. ओर आप चाहती हो क रोज़ाना ये फिल्म्स देख कर एंजाय केरो. लेकिन अब सायरा ब घर पेर रहे गी ओर हम मिल कर स्टडी कराईं गे. तो आपका फिल्म्स देखना दिन मे तो पासिबल नही हो गा.

मे खामोशी से सिर झुका कर रह गई. जैसे कोई मासूम बचा अपनी मॅन पसंद चीज़ को डोर जाते देख कर चुप हो जाता है.

शुमि:- आप रात को 10 ब्जे लॅपटॉप ले लिया केरो. ओर 11 ब्जे वापस कर दिया केरो…. इस क लिए बाहर का डोर उसे केरने की ज़रोरत न्ही. हम वॉशरूम वाला रास्ता उसे कराईं गे.

इस क बाद वो वहाँ से चली गई. मे सोचने लगी क शुमि ने कितना ठीक अंदाज़ा लगाया है मेरी कैफियत का. अगली दो रात हम ने ऐसे ही किया…! मे उसका लॅपटॉप ले कर ऑयेयी ओर मोविए देख कर उसको वापस कर दिया. 3-4 दिन ऐसे ही चला लेकिन फिर एक दिन जब मे उस क रूम मे एंटर होने लगी तो मुझे ऐसी आवाज़ैईन आएीं जैसे दो लोग आपस मे बात कर रहे हों. ये सायरा ओर शुमि की आवाज़ैईन थीन. मेने अपने क़दम फॉरन रोक लिए ओर वॉशरूम से हो क वापस आ गई. अब मे इंतज़ार केरने लगी. क कब शुमि फ्री हो गी.

रात 12 ब्जे कोई मेरे कमरे मे एंटर हुआ. तब तक मे ना उमीद हो कर सोने की टायारी केरने लगी. ये शुमि थी जो मेरे कमरे मे ऑयेयी थी अपना लॅपटॉप ले कर. मे उसको देख कर खुश हो गई. मेरे चेहरे की ये खुशी उस की आँखो से छुपी ना रह सकी.

शुमि:- सॉरी! आज लाते हो गाए. शूकर है आप नही ऑयेयी कमरे मे. वरना पाकरे जाते. हहेहेहहे…

उसकी बात सुन्न कर मेरी ब हँसी निकल गई. वो ऐसे कह रही थी जैसे हम लवर्स हैं ओर हमैन दर्र हो क हमारे पेरेंट्स हमैन ना पाकर लें.

वो लॅप टॉप ले कर आज मेरे साथ ही बेड पेर बैठ गई. मेरी लेफ्ट ओर उसकी रिघ्त साइड आपस मे टच हो रहे थे.

शुमि:- आज टाइम कम है. इस लिए इकते बैठ क देखते हैं. अगर आपको कोई ऐतराज़ ना हो तो.

मे:- तुम ब देखती हो ये सब? (वैसे मुझे ये सवाल बचो वाला ही लगा. ज़ाहिर है उस क लॅपटॉप मे ये मूवीस हैं तो वो ज़रूर देखती हो गी.)

शुमि:- ज़ाहिर है. मे अपने देखने क लिए ही रखती हूँ लॅपटॉप मे. ओर अब आप क साथ देखूं गी.

वो शायद जानती थी क मे कितनी मूवीस देख चुकी हूँ. (10 मूवीस) इस लिए उस ने 11 नंबर मोविए चला दी. हम दोनो मोविए एंजाय केरने लगे. वो मेरे बाज़ू ओर पायट से खेल रही थी. कभी मेरे मुम्मो को सहला देती. लेकिन कुछ देर बाद वो अपने आप मे मस्त हो गई. मेने अंदाज़ा लगाया क वो शायद अपनी छूट से खेल रही थी.

शुमि:- (मुझे देख कर) आप ब खेल लो अपनी छूट से. शरमाओ नही…!

ओर मुझे आँख मार दी. लेकिन मेने फिर ब कोई हरकत नही की. उस क 5मीं बाद मेने अपने पाजामे क ओपेर से अपनी छूट से खेलना शुरू कर दिया.



मेरे चेहरे क एक्सप्रेशन्स बदलने लगे. इधर मोविए ख़तम हुई, इधर मेरी छूट ने पानी चोर दिया. मस्ती की वजा से कुछ देर क लिए मेरी आंखाईं बंद हो गाईएन. आहिस्ता आहिस्ता मे अपनी सांसो पेर क़ाबू पाने लगी. जब मेने आंखाईं खोल कर देख तो शुमि मुझे ही देख रही थी. शरम की वजा से मेरी आंखाईं झुक गाईएन.

शुमि ने आगे बरह कर मेरे होंठो से अपने होंठ चिपका दिए. हम दोनो एक दूसरे को किस केरने लगे. कुछ दे एक दूसरे क होंठो का रस्स चूसने क बाद हम अलग हुआी.



शुमि:- तुम बोहोट पियरी हो. खास टॉर पेर जब तुम फारिघ् होने लगती हो तो तुम्हारा चेहरा इतना सेक्सी लगता है क काइया बताऊं….! (शुमि अब मुझे आप की जगा तुम बुला रही थी.)

मे कुछ बोलती उस से पहले एक बार फिर उस ने मेरे होंठो को चूम लिया. ओर फिर बेड से उतार कर खरी हो गई. उस क पाजामे क आगे काफ़ी बरा सा स्पॉट बुन चुका था. उस ने अपना लॅपटॉप उठाया ओर वापस अपने कमरे मे जाने लगी.

शुमि:- कल मेरा इंतज़ार केरना. जब सायरा अपने रूम मे जया करे गी, तो मे लॅपटॉप यहीं ले आया केरूँ गी. फिर दोनो मिल क एंजाय कराईं गे.

ओर मुझे आँख मार कर अपने कमरे मे चली गई. मे कुछ देर बाद जा कर फ्रेश हुई ओर सो गई. सुबा अपने टाइम पेर मे जागी. नाश्ता बनाते हुआी शुमि की वोई शेयर चार चलती रही. वहीं मुझे अपने चूटरो पेर वोई मोटी सी लंबी सी चीज़ महसूस होती रही. लेकिन मेरी हिम्मत नही हुई क मे शुमि से इस बारे मे बात केरूँ. वो मेरे मुम्मो से खेलती रही. मेरे होंठो ओर गर्दन को चाटने क साथ साथ मेरे निपल्स को मसालती रही.

मुझे अब इस सब को आदत हो चुकी थी. मे शुमि की शेयर चार को एंजाय केरती. बाल क मुझे इंतज़ार रहता क कब वो मेर्ेंपस आ कर मुझे छुआी गी, मेरे जिस्म से खेले गी, मुझे सहलाए गी. हम ये सब चोरी चोरी कर रहे थे, घर मे किसी को इस की खबर नही थी. जैसे आपकी नई नई शादी हुई है ओर आप क शोहार आपको पियर कर रहे हैं. मुझे वोई फीलिंग आ रही थी. शुमि का डॉमिनेंट बिहेवियर मुझे अछा लग रहा था.

उस रोज़ रात को मे अपने बिस्तर पेर बैठी हुई थी. 10 ब्जे शुमि मेरे कमरे मे आ गई. उसको देख कर मे शर्मा गई. पता नही क्यू? पहले जो गिल्ट होता था या उस को आगे बरहने से रोकने का जो फ़ैसला होता था. अब उसकी जगा शरम आती थी. मुझे खुद को समझ नही आ रही थी क मुझे काइया होता जा रहा है. मे क्यू उसकी तरफ अट्रॅक्ट हो रही हों. शुमि मेरे साथ आ कर बैठ गई ओर हम दोनो मोविए देखने लगे. आज फ़र्क़ ये था क शुमि ने मुझे अपने आगे बिता रखा था. जब क लॅपटॉप मेरी गोद मे था. वो मुझे पीछे से पाकरे हुआी थी. मेरे मुम्मो से खेल रही थी.



मुझे शरम आ रही थी क उस क सामने मे अपनी छूट से कैसे खेलूँ. उस ने खुद ही कुछ देर बाद मेरा हाथ पाकर कर मेरी छूट पेर रगरना शुरू कर दिया. ओपेर नीचे. मेरे मू से आअहह… निकल गई. शुमि वापस अपने कम मे बिज़ी हो गई. यानी मेरे मुम्मो को मसालने मे ओर मेरे निपल्स को खेंच ने मे. इधर मोविए मे वो शेमले जिस का लंड 10 इंच क क़रीब था, वो 35-40 साल की ओरात को ज़ोर ज़ोर से छोड़ रही थी. कभी उसकी छोड़ती तो कभी उसकी गंद. ये देख कर मेरी छूट पूरी गीली हो चुकी थी. बाल क आज तो लग रहा था जैसे बेड शीट ब गीली हो गई थी.

मे अपनी मंज़िल क क़रीब ही थी. इधर उस शेमले ने मॉडेल क चेहरे पेर अपना लंड रस्स चोरना शुरू किया.



इधर शुमि ने मेरे निपल्स को चुकियो मे पाकर कर ज़ोर से मसल दिया. ये दर्द मेरी मस्ती को कई गुना बरहा गया. ओर मे आआआअहह… की आवाज़ क साथ फारिघ् हो गई.
 
कुछ देर क लिए मेरी आंखाईं बंद हो गाईएन. शुमि ने मुझे वैसे ही बेड पेर लिटा दिया. उसकी टॅंगो क दरमियाँ आज काफ़ी बरा तंबू बना हुआ था. जो बार बार झटके खा रहा था. मेरी नज़र उस पेर ठहेर गई. शुमि ब कुछ पल को रुकी ओर मुझे देखने दिया. मेने कुछ देर बाद अपनी नज़रैयण उठा कर शुमि क चेहरे की तरफ देखा. उस ने जैसे मेरी आँखो मे छुपे सवाल को पारह लिया था.

शुमि:- मे वैसी ही हूँ जैसे तुम ने मूवीस मे देखी हैं. फिलहाल अपने ज़हेन पेर ज़ोर ना डालो ओर सो जाओ. बाकी बताईं कल कराईं गे.

ये कह कर वो चली गई. मे शुमि की बतो का मतलब सोचते हुआी सो गई. मे अभी तक कन्फ्यूज़ थी क मेने शुमि की टॅंगो क बीच काइया देखा था…!

अगली सुबा वोई रुटीन. नाश्ता बनाते टाइम वोई शेयर चार, वोई रोमॅन्स, उसी तरह लंबी मोटी सी चीज़ मुझे मेरे चूटरो क बीच महसूस होती रही. अब मुझे कल रात वाली बात समझ आ रही थी.

“मे वैसी ही हूँ जैसे तुम ने मोविए मे देखा”

यानी शुमि लर्की नही बाल क एक शेमले है. जिस क टॅंगो क बीच छूट नही बाल क मोटा टगरा लंड है. ओर वोई लंड पिछले कई दीनो से मुझे मेरे चूटरो क बीच फील होता है. जब वो जाने लगी तो मेने एक दूं से उसको रोक लिया.

मे:- शुमि बात सुनो….

शुमि:- काइया हुआ?

मे:- मुझे कुछ पूछना है तुम से.

शुमि:- काइया पूछना है?

मे:- तुम एक लर्की हो या….!

शुमि:- दिखने मे एक लर्की. लेकिन वैसे एक मर्द…!

मे:- मतलब?

शुमि मेरे बिल्कुल क़रीब आ कर, मुझे उसकी सनसाइन अपनी सांसो मे घुलती महसूस हो रही थीन. उस ने मुझे अपनी तरफ खेंच लिया. हम दोनो क सामने क हिस्से मिल गाए. मेरे मुम्मे उस क मुम्मो से टकरा रहे थे जब क नीचे वोई मोटी लंबी सी चीज़ मेरी नाभि को छू रही थी.

शुमि:- मे वैसी हूँ जैसे तुम्हाइन रात को बताया. तुम्हाइन काइया लगता है क मेरे पास सिर्फ़ इसी तरह की मूवीस क्यू हैं? क्यू क मे खुद ब ऐसी ही हूँ.

मे उसकी बात सुन्न कर वैसे ही खरी रही. उसकी गरम सनसाइन, उसकी नाज़ुक बनाईं जो मेरे गिर्द फैला रखी थीन, मे चाह कर ब हॅट नही पा रही थी.

शुमि:- आज रात को टायर रहना. मेरे पास जो है, तुम्हाइन पसंद आए गा.

ये कह कर उस ने मेरे होंठो को चूमा ओर चली गई. मे बोहोट देर तक उसकी किस मे खोई रही. इस क बाद मेने सब क लिए नाश्ता बनाया. सब अपनी रुटीन मे बिज़ी हो गाए. जब क मे सारा दिन ख़यालो मे खोई रही. मुझे अभी ब यकीन नही हो रहा था क असल लाइफ मे कोई शेमले होती है…. हालान क मे उस क लंड को महसूस कर चुकी थी, उस की शलवार मे बने तंबू को ब देख चुकी थी. फिर ब मुझे यकीन नही था.

कब दिन गुज़रा, कब रात हुई. पता ही नही चला. आज मेने हम सब क लिए बाहर से खाना ऑर्डर किया. सब अपने कमरो मे चले गाए. सायरा ओर शुमि काफ़ी देर तक स्टडी केरते रहे. रात को 11 ब्जे शुमि मेरे कमरे मे ऑयेयी. रूम मे आते ही उस ने पहली बार अपने कापरे उतार दिए. जी हन! पहली बार उस ने खुद को नंगा किया. उसका जिस्म हेर तरह से पर्फेक्ट था. लंबी गर्दन, उस से नीचे बारे बारे टाने हुआी नॅचुरल मुम्मे, पतली सी कमर. फ़र्क था तो सिर्फ़ उस लंड का. जिस की लंबाई कम से कम 10 इंच ओर गोलाई एक छोटे तीन कॅन जितनी थी. ओर अभी पूरी तरह से खरा नही था. जिस क बाद उसकी पर्फेक्ट शेप मे तंगायन. उस ने मुझे घूम कर अपना पूरा जिस्म देखाया. इतना पर्फेक्ट जिस्म तो मेरा ब नही था. हालान क मे डाइयेटिंग, एक्सर्साइज़ ओर योगा की शोकीन हूँ.



उस क बारे बारे मुम्मे ओर पर्फेक्ट चूटर मुझे अपनी तरफ खेंच रहे थे. मे कभी किसी की तरफ इतनी अट्रॅक्ट नही हुई थी. कुछ देर मे उस क जिस्म क नज़ारे केरती रही. इस क बाद वो उसी तरह पूरी नंगी मेरे पास आ कर बैठ गई. ओर उस ने मोविए चला दी. ये इस लॅपटॉप की आखरी मोविए थी. आज वो मज़ीद खुल कर मेरे जिस्म से खेल रही थी. उस ने मेरा हाथ पाकर कर अपने लंड पेर रख दिया ओर मुझे सहलाने का इशारा किया. मे आहिस्ता आहिस्ता उस क लंड से खेलने लगी. जब क वो मेरे जिस्म को मसालने लगी.

लॅपटॉप स्क्रीन पेर जो लर्की थी, वो अपनी छूट क साथ साथ अपनी गंद मे ब लंड ले रही थी. शुमि पहले मेरे मुम्मो को मसालती रही. इस क बाद उस ने मेरी शलवार मे हाथ डाल दिया. ओर मेरी नंगी छूट से खेलने लगी. मेरे मू से आहह… आआहह… की आवाज़ैईन निकालने लगीएँ. मुझे लग रहा था क मे अभी झार जाऊं गी. क्यू क शुमि की एक्सपर्ट फिंगर्स मुझे जन्नत का मज़ा दे रही थीन. लेकिन उस ने मुझे झरने नही दिया. इधर मोविए अपने क्लाइमॅक्स को पोहॉंची, यानी उस शेमले ने लर्की क मू मे अपना पानी निकाला. इधर शुमि ने मेरी छूट क दाने को अजीब तरह से पिंच किया ओर छूट मे एक उंगली डाल कर 2-3 बार अंदर बाहर की ओर मे हल्की सी चीख क साथ फारिघ् हो गई.

आज पहली बार मे इतनी शिद्दत से फारिघ् हुई थी. कुछ देर तक तो मेरी आँखो क सामने अंधेरा छा गया. इधर शुमि क लंड से अभी पानी नही निकला था. ओर शायद उसका कोई इरादा ब नही था फारिघ् होने का. इस लिए उस ने कापरे पहें लिए… कब तक मे ने होश संभाला, वो अपने कापरे पहें चुकी थी. उस क जाने क बाद मे फ्रेश हुई लेकिन आज मुझे बेड शीट बदलना पारी. क्यू क मेरा बिस्तर पूरा खराब हो चुका था. मेरे कपरो क साथ साथ आज सारा पानी बेड पेर ब फैल गया था.

मुझे इस रात बोहोट अची नींद ऑयेयी. अगली सुबा मे काफ़ी देर से उठी. सालो मे पहली बार ऐसा हुआ था क मे देर से जागी. आज किसी ने मुझे जगाया ब नही. जब मे कमरे से बाहर निकली तो घर पेर कोई नही था, सिवाए शुमि क.

मे:- सब लोग कहाँ गाए!

शुमि:- इशफ़ाक़, नोमान दोस्तो क पास गाए ओर सायरा उनी गई है.

मे किचन मे जाने लगी क अपने लिए नाश्ता बनाऊँ.

शुमि:- तुम बैठो. मेने नाश्ता बाबा लिया था सब क लिए. तुम्हारे लिए ब लाती हूँ.

ये कह कर शुमि नाश्ता ले ऑयेयी. मे डिन्निंग टेबल पेर बैठी थी. उस ने मेरे सामने सब चीज़ाइन रख दें. ओर उस क बाद मुझे उठा कर खुद चेर मे बैठ गई ओर मुझे अपनी गोड मे खेंच लिया. मे एक दूं से सिमट कर रह गई. आज तक ऐसा मेरे शोहार ने ब नही किया था.

शुमि:- सालन डालो प्लेट मे. हम दोनो इकते खाएँ गे. क्यू क मेने ब खाना नही खाया…!

मुझे उसकी बात सुन्न कर थोरी खुशी ब हुई क कोई तो है जो मेरा साथ दे रहा है. वरना मेरे सब बचो की तो अपनी रुटीन है. रात क खाने क एलवा कोई मेरा वेट नही केरता.

शुमि ओर मे एक ही प्लेट से खाना खाने लगे. इस डॉरॅन शुमि कभी मुझे नीवाला खिला देती तो कभी मे उसको खिला देती. आज मे खुद को पहले से ज़ियादा तरोताज़ा ओर जवान महसूस कर रही थी. इस रोमॅंटिक तरीका से कभी मेने अपने हज़्बेंड क साथ ब खाना नही खाया था. खाने क बाद वो बर्तन ढोने लगी. आज उस ने मुझे कोई ब कम नही केरने दिया. उस ने मेरे बालो मे टेल की मालिश की ओर मुझे नहाने क लिए भेज दिया.

शुमि:- आचे से जा कर नहा लो. ता क आयिल सॉफ हो जाए. ओर हन! तुम्हारे लिए वॉशरूम मे सब समान रखा है. उसको उसे कर लेना.मुझे एस की समाज नही ऑयेयी लेकिन वॉशरूम मे जाते ही सब समझ आ गया.
 
वॉशरूम मे वॅक्सिंग कीट रखी हुई थी ओर 2-3 तरह क बॉडी लोशन्स ब. मेने पुर जिस्म को वॅक्स किया. आचे से नहा धो कर वापस ऑयेयी तो वो किचन क कामो मे लगी हुई थी.

आज का दिन शायद कुछ अलग था. शुमि मुझे ऐसे ट्रीट कर रही थी जैसे मे कोई शहज़ादी हूँ. ओर मे इस सब को एंजाय कर रही थी. शाम को सब ने प्लान बनाया क डिन्नर कहीं बाहर केरते हैं. सो हम सब डिन्नर क लिए चले गाए. आज शुमि क कहने पेर ही मेने टाइम बाद रेड कलर का ड्रेस पहना. मेने मुस्तफ़ा क मरने क बाद कभी शोख रंग नही पहने थे. लेकिन शुमि मेरे लिए ये ड्रेस लाई ओर मुझे ज़बरदस्ती पहना दिया. जब हम सब होटेल पोहॉंछे तो मुझे ज़बरदस्त सर्प्राइज़ मिला.

क्यू क आज मेरी बर्तडे थी. मे तो अपनी बर्तडे भूल ही चुकी थी. लेकिन शुमि को ना जाने कैसे पता था. ओर आज का सारा प्लान शुमि ने सेट किया था. शुमि पेर मुझे बे इंतेहा पियर आ रहा था. मेने उसको गले लगा कर हल्का सा किस ब कर दिया जैसे मे अपने बाकी बचो को केरती हूँ. वैसे तो मे उस क होंठो को चूमना चाहती थी लेकिन अपने बचो की वजा से ऐसे नही कर सकी. खैर! सेलेब्रेशन क बाद हम घर आ गाए. सब बचो ने मुझे गिफ्ट ब दिए, सिवाए शुमि क.

देर रात को हम सब घर वापस आ गाए. आहिस्ता आहिस्ता सब अपने अपने कमरे मे चले गाए. मे ब अपने कमरे मे ऑयेयी तो वहाँ एक पार्सल रखा हुआ था. जिस पेर एक कार्ड लगा हुआ था.

“हॅपी बर्तडे जान”

इस क एलवा कुछ नही लिखा था. मे समझ गांक ये शुमि ने रखा है. मे ने पार्सल खोला तो उस मे रेड कलर की निघट्य थी. जो सी थ्रू थी ओर उस क साथ रिब्बन वाली पनटी थी. जिस ने मेरे जिस्म को छुपाना कम ओर दिखना ज़ियादा था. मुझे ये निघट्य देख कर शरम आ रही थी. कुछ देर बाद मेरे मोबाइल पेर मेसेज आया जो शुमि का था. “मेरा इंतज़ार केरना.”

मे समझ गई क वो क्यू इंतज़ार केरने का कह रही है. ओर आज उसका ये निघट्य देने का काइया मक़सद है. वो चाह रही थी क मे ये निघट्य पहें कर उसका इंतज़ार केरूँ ता क उस क आने क बाद हम मिल कर मोविए एंजाय कराईं. मेरे दिल की धरकन तो वैसे ही बेतरतीब हो चुकी थी. मेने वो निघट्य पहें ली ओर शुमि का इंतज़ार केरने लगी. शुमि रात 11 ब्जे मेरे कमरे मे ऑयेयी. मेरी नज़रैयण उस से मिली तो कुछ देर क लिए हम एक दूसरे को देखते रहे. फिर मेरे नज़रैयण खुद बा खुद झुक गएीँ. शुमि मेरे क़रीब आने लगी. मे उसकी मुस्कुराहट को देखे बिना ब महसूस कर सकती थी.

वो मेरे क़रीब ऑयेयी ओर अपने सब कापरे उतार दिए. उसका मोटा लंबा लंड अभी आधा खरा था. इस क बाद वो मेरे पीछे आ कर बैठ गई. ओर मुझे अपने सीने से लगा लिया. अब सिचुयेशन ये थी क मेरी पीठ उस क सीने पेर थी. उस क मोटे मोटे मुम्मे ओर उन पेर अकरे हुआी निपल्स मेरी कमर पेर सॉफ महसूस हो रहे थे. उस ने लॅपटॉप मेरी गोड मे रखा.

आज उस ने न्यू मोविए चला दी. कल हम इस फोल्डर की आखरी मोविए देखी थी लेकिन अब उस ने 3 मूवीस आड हो चुकी थीन. इधर मेरी गोड मे रखी मोविए स्टार्ट हुई, इधर शुमि मेरे बाज़ू सहलाने लगी.

शुमि:- (मेरे कान मे) थॅंक उ मेरी जान. मेरी बात मानने क लिए.

मे:- (बहेकत्ि आवाज़ मे) कों सी बात!

शुमि:- हेर बात मानने क लिए.

इस क बाद हम मे थोरी देर खामोशी रही.

शुमि:- (मेरे कानो को चूमते हुआी) वैसे आज क सर्प्राइज़ कैसा लगा?

मे:- बोहोट अछा. वैसे एक बात पूछूँ?

शुमि:- येई ना क तुम्हारा बर्तडे मुझे कैसे पता चला?

शुमि की बात पेर मेने हन मे सिर हिला दिया.

शुमि:- मुझे अपनी जान क बारे मे हेर एक चीज़ का पता है. बर्तडे तो बिल्कुल छोटी सी चीज़ है…!

मे:- ओर काइया पता है?

शुमि:- येई क तुम्हारे ये मुम्मे कितने साइज़ क हैं! (ये कह कर उस ने मेरे मुम्मो को निघट्य क ओपेर से सहला दिया) ओर तुम्हारी कमर कितनी पतली है! (उस ने मेरी कमर को हल्के से सहला दिया) ओर तुम्हारी ये छूट… (वो मेरी छूट को चुने वाली थी क मेने उसका हाथ पाकर लिया)

मेने ना मे सिर हिला कर उसको ना चुने का इशारा किया.

शुमि:- तुम्हारी हेर बात का मुझे पता है. क्यू क मे तुम से पियर केरती हूँ. ओर जिस से आप पियर केरते हो, उसकी हेर छोटी छोटी चीज़ का पता होता है.

ये कह कर उस ने फिर से मेरी गर्दन को चूम लिया. मे सिसकी भर कर रह गई. कुछ देर तक हम दोनो ने हरकत नही की. हम दोनो खामोशी से मोविए देखते रहे. जहाँ आज एक यंग शेमले एक 35-40 साल की ओरात को छोड़ रही थी. ये सब देख कर उसका लंड पूरी तरह से खरा ही चुका था. जो मुझे अपनी कमर पेर महसूस हो रहा था. फिर उस ने मुझे तोरा से ओपेर उठाया, मे उसका इशारा समझ कर ओपेर हुई. तो उस ने मुझे अपनी गोड मे बिता लिया. अब हालत ये थी क मेरी छूट नंगी थी ओर उस क गरम लंड पेर रगर खा रही थी.

उस क लंड की रगर से मेरा पूरा जिस्म कांप रहा था. मेने खुद को उस क लंड से डोर केरना चाहा लेकिन मे ऐसा नही कर सकी. मे चाह कर ब वहाँ से हॅट नही पा रही थी. वहीं दूसरी तरफ शुमि ने मेरी निघट्य क अंदर दोनो हाथ डाल कर मेरे मुम्मो पाकर रखा था. अब आप मेरी हालत का अंदाज़ा आचे से कर सकते हैं. इधर मेरी छूट दहेक रही थी ओर इधर शुमि मेरे नंगे मुम्मो को मसल रही थी, मेरे निपल्स को खेंच रही थी. मेरी कमर खुद बा खुद हरकत केरने लगी थी. मे हावऊं मे अर रही थी. मेरे मू से उस वक्त आअहह… आआअहह… की आवाज़ैईन निकल रही थीन. वहीं सामने स्क्रीन पेर वो ओरात ब शेमले की गोड मे उसी तरह बैठी थी जैसे मे बैठी थी. फ़र्क़ ये था उसकी छूट मे लंड था जब शुमि क लंड मेरी छूट से बाहर था.

शुमि:- (मेरी गर्दन को चूमते हुआी) मेरा लंड ब पकरो ना जान.

मे ने कुछ देर हरकत ना की तो उस ने मेरा हाथ पकरा ओर अपने लंड पेर रख दिया. हम दोनो क जिस्मो को एक झटका लगा. जैसे दोनो को मज़ा आया था. उसका लंड बोहोट गरम लग रहा था. इधर मेरी छूट की गर्मी से शुमि का लंड ब जल रहा था. मेरी छूट से निकल रहा पानी उस क लंड को गीला कर रहा था. शुमि का लंड रह रह कर ठुमके लगा रहा था जैसे नाच रहा हो. इधर शुमि ने मेरे जिस्म पेर से आखरी काप्रा मेरी निघट्य ब उतार दी. अब मे बिल्कुल नंगी उसकी बहो मे उस क लंड पेर बैठी थी. इधर लॅपटॉप पेर चल रही मोविए ख़तम हो चुकी थी. अब तक हम ने 21 मूवीस देख लो थीन.

शुमि ने हाथ बरहा कर लॅपटॉप बंद कर दिया. ओर मेरा चेहरा अपनी तरह घुमा कर मुझे किस केरने लगी. हम दोनो क पतले पतले नाज़ुक होंठ आपस मे जुरर गाए. ओर हम एक ना ख़तम होने वाली किस मे खो गाए. शुमि क दोनो हाथ मेरे मुम्मो से खेल रहे थे. मेरे निपल्स तंन कर पूरी तरह से खरे हो चुके थे. हम दोनो की साँस भारी थी. मेरी कमर खुद बा खुद हरकत कर रही थी. एक हाथ से मेने उस का लंड थाम रखा था ओर मे अपनी छूट उस क लंड पेर रगर रही थी.

कुछ देर बाद उस ने मेरे मुम्मो से हाथ हटाया ओर आहिस्ता आहिस्ता मेरे पायट से नीचे ले जाने लगी. मेरी साँस भारी हो रही थी. कुछ ही देर मे उस का हाथ मेरी छूट पेर पोहॉंच गया. उस क हाथ को महसूस केरते मेरे जिस्म ने एक झटका खाया. अब वो मेरी छूट से खेलने लगी. इधर हमारी ज़बनाईं एक दूसरे से जुंग कर रही थीन. ऐसे ही खेलते, अपना जिस्म मसळवते जाने कितना वक्त बीट गया. ओर फिर वो टाइम ब आया जब मेरी छूट ने पानी चोर दिया. मेरी छूट से निकले पानी से उसका लंड पूरा गीला हो गया. मे कुछ देर तक वैसे ही बैठी रही ओर अपनी सनसाइन ठीक केरती रही. शुमि ब अब सब कुछ चोर कर मेरे सिर को सहला रही थी.

कुछ थकावट का असर था तो कुछ ऑर्गॅज़म का, शुमि क सिर सहलाने से मुझे सुकून मिलने लगा. कुछ ही पल मे में वैसे ही सुकून की नींद सो गई. नंगी, शुमि की बहो मे. शुमि ने मुझे वैसे ही बिस्तर पेर लिटा दिया ओर मुझे ब्लंकेट से कवर कर क सोने चली गई. मे अगले रोज़ सुबा टाइम पेर उठी ओर सब क लिए नाश्ता टायर केरने लगी. आज मे कुछ ज़ियादा ही खुशी महसूस कर रही थी इस लिए बिना बात क मुस्कुरा रही थी. मुझे अपना आप काफ़ी हल्का फूलका महसूस हो रहा था.
 
कुछ देर बाद रोज़ की तरह शुमि वहाँ पेर आ गई. आज उस को देख कर मुझे शरम महसूस हो रही थी. कल पहली बार, उस ने मुझे पूरा नंगा किया था. आज तक हमारे दरमियाँ शेयर चार चलती थी. वो सिलसिला जो कपरो क ओपेर से हल्की फुल्की शेयर चार से शुरू हुआ. कल रात को हमारे पूरी तरह से नंगे होने पेर ख़तम हुआ. हन! ये अलग बात है क हमारे बीच चुदाई नही हुई थी. लेकिन कल रात क बाद हमारे बीच कुछ छुपाने को ब नही बचा था.

शुमि ने रेफ्रिजरेटर से पानी पिया ओर चुप छाप अपने कमरे की तरफ चली गई. मुझे उमीद थी क वो मेरे साथ हमेशा की तरह शेयर चार करे गी. लेकिन उस क यौन चले जाने से मुझे मायूसी हुई. बिल्कुल ब अछा नही लगा. लेकिन अभी एक मीं ही गुज़रा था क किसी ने चुपके से मुझे बाहों मे भर लिया. ये शुमि ही थी जो मेरे लिए वापस ऑयेयी थी. उस ने मुझे अपनी तरफ घुमाया ओर मेरे होंठो को चूमने लगी. हम दोनो एक लंबी रोमॅंटिक किस मे खो गाए. कभी वो मेरे नीचे वेल होंठ को चुस्ती तो कभी ओपेर वेल होंठ को. हम दोनो की सनसाइन तेज़ हो रही थीन. कुछ देर बाद हम एक दूसरे से अलग हुआी.

शुमि:- तुम बोहोट पियरी हो हीरा. तुम्हारा जिस्म पूरा तराशा हुआ है. तुम्हारे जिस्म का एक एक हिस्सा मुझे अपनी तरफ बुलाता है क मे तुम्हाइन पियर केरूँ. तुम्हाइन छू कर देखूं….! तुम बोहोट खूबसूरत हो. ई लोवे योउ.

ये पहली बार था क उस ने मुझ से खुल क इज़हार किया था. अपने पियर का. शायद ये उस की हवस थी. या सच मे उसका पियर था. मे समझ ना सकी….! कुछ देर तक मे वहाँ खरी रही. हम दोनो कुछ नही बोले.

शुमि:- हीरा! ई लोवे योउ. मे तुम से पियर केरती हूँ. काइया तुम मेरी गर्ल फ्रेंड बनो गी? हमेशा हमेशा क लिए???

उस की बात मेरे लिए किसी शॉक से कम नही थी. वो मुझे प्रपोज़ कर रही थी. मेरे लिए ये सब बोहोट अजीब था. मे एक अकेली ओरात, जिसका शोहार मॅर चुका है. टीन बचे हैं, मुझे मेरी बेटी की शेमले सहेली प्रपोज़ कर रही थी. ओर मे वहीं खरे खरे बट बन चुकी थी. मुझे कुछ समझ नही आ रही थी. इस लिए मे वहाँ से चली गई ओर कमरे मे जा कर खुद को बंद कर लिया.

सुबा से शाम हो गई, लेकिन मे कमरे से नही निकली. ना मेने खाना खाया. रह रह कर मेरी आँखो क सामने अपने बचो क चेहरे आ रहे थे क मेरे एक क़दम से उनकी ज़िंदगी पेर काइया असर परे गा? अगर मे शुमि का प्रपोज़ल आक्सेप्ट केरती हूँ तो मेरे बचे मुझ से नफ़रत कराईं गे. मुझे ये चीज़ क़बूल नही थी. लेकिन वहीं दूसरी तरफ! मुझे एक ऐसे पार्ट्नर की ज़रोरत थी जो मुझे जी भर क पियर दे. मेरी तन्हाई मिटा दे. खुशी ओर घमी मे मेरा साथ दे. मेरे लिए शुमि से ज़ियादा पर्फेक्ट पार्ट्नर कोई ब नही थी. वो मुझे हेर तरह से समझती थी, मेरे आँखो क सामने उस क साथ बिताया हुआ हेर पल बार बार आ रहा था. जिस की वजा से मे फ़ैसला नही कर पा रही थी.

शाम हुई ओर मेरे कमरे मे मेरी बेटी सायरा ऑयेयी.

सायरा:- काइया कर रही हो मों?

मे:- कुछ नही बेटा.

सायरा:- (मेरी गोड मे सिर रख कर) तो आप इतनी उदास क्यू हो? ओर खाना खाने ब नही ऑयेयी.

मे:- बस भूक नही है मुझे.

सायरा:- वैसे एक बात कहूँ मों?

मे:- हन बोलो.

सायरा:- कुछ चीज़ाइन इंसान को वक्त पेर चोर देने चाहिए. क्यू क वक्त क साथ साथ सब कुछ ठीक हो जाता है…!

मे:- तुम कहना काइया चाहती हो?

सायरा:- मे सिर्फ़ इतना कहना चाहती हूँ क आपको सब कुछ भूल कर अपनी खुशियाँ ढूंदनी चाहिए. कों काइया सोचे गा, कों काइया कहे गा! इन सब को भूल जाओ. ओर खुश रहो. अपने लिए ब हेर वो कम केरो, जिस से आप खुश रहती हो. बिल्कुल उसी तरह जिस तरह आप हमैन खुश रहने क लिए एफर्ट केरती हो.

मे एक दूं खामोश हो कर उस का चेहरा देखने लगी. उसकी आंखाईं बिल्कुल मेरी तरह थीन. गहरी ओर काली आंखाईं. वो ब मेरी आँखो मे देखती रही, फिर जैसे उस ने मेरी आँखो मे सवाल पारह लिया था.

सायरा:- मे जानती हूँ मों. शुमि आपको पसंद केरती है, ये ब मे जानती हूँ. ओर पोचले कई दिन से आप दोनो क दरमियाँ जो रोमॅन्स चल रहा है, उस को ब जानती हूँ. ओर मे दिल से येई चाहती हूँ क आप खुश रहो. शुमि हेर लिहाज़ से आप क लिए पर्फेक्ट पार्ट्नर है.

मे:- ल्ल्ल्ल्ल… लेकीन्न्नणणन्…. टत्त्टतततुउुुउउम्म्म्मम….

सायरा:- कब… कैसे…. इन सब बतो का जवाब नही दे सकती मे आपको. बस इतना समझ लो क मुझे कोई ऐतराज़ नही. मे आप क लिए खाना ले कर आती हूँ. आप खाना खा लो.

ये कह कर वो कमरे से चली गई. वो मेरे खाना ले कर ऑयेयी. ओर मुझे खाना खिलाने लगी. पायट भर खाना खिलाने क बाद वो मेरे वॉर्डरोब से कुछ निकालने लगी. उस ने मेरे लिए रेड कलर का ड्रेस निकाला, साथ मे उसी तरह की ब्रा पनटी, चूरियाँ. मे उसको हेरात से देख रही थी.

सायरा:- चलाईं उठाईं ओर ये ड्रेस पहनैन…. मे 10मीं मे आती हूँ क. फिर आपका मेक-उप केरती हूँ.

मे:- ये सब काइया लिए.

सायरा:- (मेरे पास आ कर) आपको टायर केरना है. आपकी दूसरी . क लिए.

मे कुछ समझ पति इस से पहले वो हिहिहीही… केरती हुई कमरे से निकल गई. जब मुझे उसकी बात समझ ऑयेयी तो मे शर्मा गई. मेरी हिम्मत नही हो रही थी आगे बरहने की. इस लिए मे वहीं . रह गई. कुछ देर बाद सायरा वापस मेरे कमरे मे ऑयेयी. मुझे उसी तरह बैठे देख कर वो बोली.

सायरा:- मों! अभी ब आप उसी तरह बैठी हो. . .! . कापरे पहनैन.

मे:- सायरा .… बेटा बात को .. मे ऐसा नही कर सकती.

सायरा:- क्यू नही कर .? मे आपको खुश देखना चाहती हूँ. चलाईं उठाईं ओर ये ड्रेस पहें कर आएीं.

मे कुछ कहना चाहती थी लेकिन सायरा ने कुछ ब नही सुना ओर मुझे ड्रेस चेंज केरने क लिए भेज दिया. मे वो ड्रेस पहें कर ऑयेयी तो वो मेक उप केरने लगी. मेरे बार बार माना केरने पेर ब वो नही रुकी. ओर मुझे दुल्हन की तरह . दिया. मेरा मेक उप केरते हुआी उस ने मुझे . शुरू किया.

सायरा:- मों! मुझे कुछ दिन पहले पता चला जब एक रोज़ मेने शुमि को आप क साथ किचन मे रोमॅन्स केरते हुआी देखा. तब मेने उस पेर नज़र रखी. हमारे घर आने क बाद वो मुझे काफ़ी खुश नज़र आने लगी. ओर येई खुशी मुझे आप क चेहरे पेर ब नज़र ऑयेयी जब उसकी प्रेज़ेन्स मे आप का चेहरा खिल जाता. आप बेशक ज़ाहिर नही केरती थीन लेकिन आपकी आँखो से खुशी झलकती थी. फिर वो मोविए नाइट… इस क बाद जब शुमि ओर मे दोनो एक साथ स्टडी केरते, इन सब क बाद मुझे अंदाज़ा होने लगा क आप दोनो एक दूसरे को चाहते हैं. ओर फिर कल रात जो कुछ हुआ आप दोनो क बीच, उसका ब मुझे अंदाज़ा था. आज जब सुबा शुमि ने आपको प्रपोज़ किया तो मुझे यकीन था क आप मान जाओ गी लेकिन जब आप चुप छाप कमरे मे चली गाईएन तो मुझे बुरा लगा. आप दोनो क लिए. क्यू क शुमि बोहोट चाहती है आपको. इस लिए मेने फ़ैसला किया क कुछ ब कर क आपको टायर केरना है उस क लिए.

मे:- लेकिन बेटा ये घालत है.

सायरा:- कुछ घालत नही है मों.

मे:- अगर किसी को पता चल गया तो क़यामत हो जाए गी.

सायरा:- पहले तो किसी को पता चले गा नही. अगर चल ब गया तो मुझे परवा नही. आप ब इतना फिकर नही किया केरो.

मे:- तेरे भाई.

सायरा:- उनको फ़ुर्सत कहाँ हैं? वो अपनी लाइफ मे बिज़ी हैं. जब उनको पता चले गा तो हॅंडल कर लें गे. वैसे ब उनको शक नही हो गा. क्यू क वो तो वैसे ब नीचे क पोर्षन मे रहते हैं.

मे:- ओर हमारे रिश्तेदार.. उनको काइया कहीन गे?

सायरा:- पिछले 6मंत्स से कों यहाँ आया है?

मे:- फिर ब बेटा….!

सायरा:- देखैईं मों! मुझे किसी की परवा नही. हमारी खुशी किस चीज़ मे है, हमैन सिर्फ़ वोई केरना है. रही बात रिश्ते डरो की, पहले तो कोई शक करे गा नही. अगर किसी ने जवाब माँगा तो तब सोचैईन गे काइया केरना है.

Me:- Lekin beta phir b. Tere Bhai kaise samjhain gay is bat ko.

सायरा:- मों! जब किसी को पता चला तो देखैईं गे काइया केरना है. अभी क लिए आप चुप छाप एंजाय केरो.

ओर ये कह कर उस ने मुझे आँख मार दी. मुझे उस ने पूरा दुल्हन की तरह सज़ा दिया ओर बेड पेर घूँघट निकल क बिता दिया. मुझे बे इंतेहा शरम आ रही थी. लेकिन मे चुप रही.

सायरा:- अछा मों मे जाती हूँ. ओर हन! मेने अपने होने वेल अबू से कह दिया है क आप उनका वेट कर रही हो. वो 10 मीं मे आ रहे हैं. हिहिहिहीही….

सायरा को ये बात सुन्न कर मे हेरान रह गई ओर मू खोले उसको देखती रही. कुछ सेकेंड्स मे वो वहाँ से जा चुकी थी. जब क मे पूरी कोशिश कर रही थी क अपनी धरकन को सम्भालूं. लेकिन मेरा दिल आज मेरे क़ाबू मे नही था. मेरी सुहग्रत पेर ब मेरी ऐसी हालत नही थी जैसे अब थी. क्यू क आज मेरी छूट ब खुद बा खुद खुल ओर बंद हो रही थी. जैसे उसको इंतज़ार हो किसी क आने का. मेरे लिए अगले 10मीं 10घंटे क बराबर हो चुके थे. बार बार मे क्लॉक को देख रही थी. वक्त जैसे थम सा गया था.

थोरी देर बाद मेरे कमरे मे किसी क आने की आहत हुई. मे एक दूं से सिमट गई. ये शुमि थी. जो आज वॉशरूम क रास्ते कमरे मे आने क बजाए फ्रंट डोर से ऑयेयी थी. सायरा ने ही उसको मेरे पास भेजा था. अजीब सी सिचुयेशन थी. मेरी बेटी सब कुछ जानते हुआी आज मुझे अपनी सहेली क साथ रीलेशन बनाने का कह गई थी. येई नही! उसी ने मुझे टायर ब किया. ओर अपनी सहेली को ब मेरे पास उसी ने भेजा.

शुमि मेरे पास आ कर बैठ गई ओर मेरा घोंघाट उपेर कर दिया. शरम से खुद बा खुद मेरी आंखाईं बंद हो गएीँ. शुमि कुछ देर तक मेरे चेहरे को देखती रही फिर उस ने कहा.

शुमि:- तुम बोहोट पियरी हो मेरी जान. ये मेरी खुश क़िस्मती है क मुझे तुम मिली हो.

शुमि क मू से ये सुन्न कर मे शर्मा गई. मेरे दिल की धरकन बरह गई थी. बाल क अब तो ऐसा लग रहा था क मेरा दिल बाहर निकल आए गा.

शुमि:- इजाज़त है तो तुम्हाइन पियर कर सकती हूँ?

मे:- (शरमाते हुआी) एक शर्त पेर…!

शुमि:- काइया शर्त है?

मे:- (अपनी हथेली आगे कर क) मेरी मू दिखाई…!

शुमि तो पहले से टायर थी. उस ने एक छोटा सा बॉक्स खोला ओर उस मे से रिंग निकल कर मेरे हाथ मे पहना दी. ये एक डाइमंड रिंग थी. जिस को देख कर मे हेरान रह गई.

शुमि:- माँगनी मुबारक हो मेरी जान.

मे:- तो काइया माँगनी क बाद सीधा सुहग्रत मनाओ गी?

शुमि:- काइया कराईं? हमारी शादी नही हो सकती. लेकिन हम गर्लफ्रेंड्स की तरह तो रह सकते हैं.

मे:- सिर्फ़ गर्ल फ्रेंड्स?

शुमि:- हक़ीक़त तो तुम्हाइन पता है. लेकिन दुनिया की नज़र मे हम 2 गर्लफ्रेंड्स ही ठीक हैं.

ये कह कर उस ने मुझे आँख मार दी. मे ब मुस्कुरा कर सिर झुका कर रह गई. फिर उस ने मेरे चेहरे को ओपेर किया. ओर आहिस्ता आहिस्ता मेरे क़रीब आने लगी. उसकी सांसो की गर्मी मेरी सांसो मे सामने लगी. ओर मेरी आंखाईं बंद हो गाईएन. तभी उस क नरम नरम होंठ मेरे होंठो से चिपक गाए. वैसे तो हम ने कई बार किस की थी लेकिन आज की किस मे अजीब सा नशा महसूस हो रहा था. वो आहिस्ता आहिस्ता मेरे होंठ चूसने लगी. मेरी सांस भारी होने लगी. हम दोनो क हाथ एक दूसरे क सिर क पीछे थे. जो हमैन अपनी तरफ खेंच रहे थे. जैसे एक सेकेंड क लिए ब अलग ना होना चाहते हूँ.

अभी हम किस मे ही हम थे क दरवाज़ा नॉक हुआ. मे फॉरन पीछे हॅट गई ओर परेशानी मे शुमि को देखने लगी. मुझे समझ नही आया क काइया केरना चाहिए. इतनी देर मे फिर से डोर नॉक हुआ.

मे:- (हिम्मत कर क) कों?

बाहर से:- अमि मे हूँ सायरा. ज़रा डोर खोलाइन.

सायरा की आवाज़ सुन्न कर हमारी जान मे जान ऑयेयी. मेने इशारा किया तो शुमि ने जा कर डोर खोला. बाहर सायरा कोई चीज़ लिए खरी थी. उस ने वो शुमि को दी.

सायरा:- लगता है आपका प्रोग्राम शुरू हो गया था ओर मेने डिस्टर्ब कर दिया. सॉरी! एंजाय थे नाइट मी फ्रेंड + अबू जी…. ओर हन! मेरी अमि को ज़ियादा तंग नही केरना. काफ़ी टाइम से अकेली हैं बेचारी. हहेहेहहे….

उसकी ये बात सुन्न कर मेरे चेहरे पेर शर्मीली मुस्कान आ गई. क्यू क मे जानती थी क उसका इशारा किस तरफ है. खैर! डोर बंद कर शुमि मेरे पास आ गई. उस क हाथ मे दो ग्लास थे. जिन मे गरम दूध था. शुमि ने एक ग्लास मुझे दिया ओर दूसरा ग्लास खुद पीने लगी. दूध पीने से पता चला क इस मे ड्राइ फ्रूट मिला हुआ था. दूध पीने से हमारा पायट फुल हो गया. साथ ही जिस्म मे एक अलग सी ताज़गी महसूस होने लगी.

शुमि ने एक बार फिर मुझे अपनी बहो मे भर लिया ओर किस केरने लगी. मे उसकी किस से मदहोश होने लगी. कुछ ही पल मे मेरी चुननी मेरे सिर से उतार कर साइड मे पारी थी. इस क बाद उस ने मेरी क़मीज़ को ब उतार दिया. ब्रा मे छुपे मेरे मुम्मो को देख कर उसकी आँखो मे अजीब सी चमक आ गई. उस ने फॉरन मेरे मुम्मो को चूमना शुरू कर दिया. मेरे आधे मुम्मे ब्रा से बाहर ही थे, जो कुछ ही देर मे शुमि क थूक से गीले हो गाए. इस क साथ ही वो मेरी छूट को मसालने लगी. मेरी हालत बुरी होने लगी. मेरी पनटी का पतला सा काप्रा मेरी छूट से निकालने वेल पानी को कहाँ संभाल पता, कुछ देर मे मेरी शलवार ब गीली हो गई.

मे अब बिस्तर पेर लाइट चुकी थी. शुमि अब आहिस्ता आहिस्ता नीचे मेरे पायट को चूमने लगी. उस ने मेरी नाभि क अंदर तक ज़बान डाल कर चाटना शुरू कर दिया. मेरे मू से आअहह… ऊओह… की आवाज़ैईन निकल रही थीन. मेरी छूट गीली हो कर एक बार पानी ब चोर चुकी थी. ऐसा मज़ा मुझे कभी नही मिला था जितना आज शुमि की ज़बान से मिल रहा था. मे तो उस पेर फिदा हो गई थी. मेरी नाभि तो चाटते हुआी उस ने मेरी शलवार को ब उतार फैंका. अब मे उस क सामने सिर्फ़ ब्रा ओर पनटी मे लेती हुई थी.

मेरे दोनो हाथ उस क बालो को सहला रहे थे. जैसे उसको आगे बरहने का इशारा कर रहे हों. ओर वो ब अपनी ज़बान से मेरे जिस्म क हेर हिस्से को छत रही थी. उस ने मेरी पनटी उतरे बिना नीचे का सफ़र शुरू कर दिया ओर मेरी जाँघो को चाटने लगी. ये पहला मोका था क कोई मुझे इस तरह चूम चाट रहा था. एक बार फिर से मस्ती मे मेरी छूट ने पानी चोर दिया. मेरी दोनो टॅंगो को चाटने क बाद वो मेरे ओपेर ऑयेयी ओर मेरे होंठो को चूमने लगी. मेने ब उसका भरपूर साथ दिया.

हम दोनो की सनसाइन भारी थीन. लेकिन हम दोनो मे से कोई ब पीछे हटने को टायर नही था. हम दोनो हेर लम्हे को खुल कर जीना चाहते थे. कुछ देर बाद उस ने मेरे होंठो से अपने होंठ हटाए ओर बोली.

शुमि:- हीरा! काइया मे तुम्हाइन नंगा कर सकती हूँ?

मे:- आआहह.. मेरी जान मुझ से इजाज़त क्यू माँग रही हो. जो चाहो मर्ज़ी केरो. मे तुम्हारे साथ हूँ.

शुमि:- ऐसे नही! तुम्हारी इजाज़त से ही मे आगे बरहना चाहती हूँ. हो सकता है क तुम्हाइन मेरी कोई हरकत बुरी लगे. इस लिए तुम्हारी इजाज़त ज़रूरी है.

मे:- (शुमि को अपने पास खेंच कर उस क कन मे बोली) मेरी जान शुमि! ये बात आचे से जान लो. हीरा आज से, अभी से सिर्फ़ ओर सिर्फ़ तुम्हारी है. तुम जो मर्ज़ी केरो, मे तुम्हारा साथ डून गी. बस मेरे अंदर सुलगती इस आग को ठंडा कर दो. वरना मे मॅर जाऊं गी.

ये कह कर मेने जुनून की हालत मे उसकी गर्दन को चूसना शुरू कर दिया. जिस से शुमि की सिसकियाँ निकालने लगीएँ. शायद ये उसका सेन्सिटिव पॉइंट था. मेने अपने दोनो हाथ नीचे कर क उसकी क़मीज़ पाकर क ओपेर केरना शुरू कर दी. मेरा इशारा समझ कर उस ने अपने हाथ ओपेर उठा दिए. कुछ देर मे वो जिस्म क ओपेर वेल हिस्से पेर सिर्फ़ ब्रा पहने मेरे सामने थी. उस क गोल मटोल मुम्मे स्किन कलर की ब्रा मे मेरे सामने थे. इस क बाद मेने उसकी ब्रा ब उतार दी. उस क बेदघ मुम्मे उछाल कर मेरे सामने आ गाए. मेने आगे बरह कर लेफ्ट मुम्मे को मू मे भर लिया ओर ज़ोर ओ शोर से चूसने लगी. साथ ही साथ उस क रिघ्त मुम्मे को निचोर्ने लगी.

पहली बार था क मे किसी क मुम्मो से खेल रही थी. मेने जब से होश संभाला, ऐसे किसी स्कèने का सपने मे ब नही सोचा था. लेकिन आज मे एक शेमले क मुम्मो को चूस रही थी, उन से खेल रही थी. ओर ये वो शेमले थी जो अब मेरी जान बुन चुकी थी. जिस को मे अपने जिस्म पेर पूरा पूरा हक़ देने जा रही थी. मे अभी शुमि क दोनो मुम्मो से खेल रही थी क शुमि ने मुझे बिस्तर पेर लाइत्न्े का इशारा किया. उसका इशारा समझ कर मे बिस्तर पेर लाइट गई.

शुमि ने मेरी ब्रा को ब उतार कर एक तरफ कर दिया. अब हम दोनो टॉपलेस एक दूसरे क सामने थे. उस वक्त किस क मुम्मे ज़ियादा अकरे हुआी थे, इस बात का अंदाज़ा काफ़ी मुश्किल था.

शुमि:- मेरी जान!! तुम्हारे मुम्मे तो किसी 18 साल की लर्की की तरह टाइट हैं.

मे:- इन से खेलने वाला कभी कू मिला ही नही. ना मेरे शोहार को इन से खेलने का शोक़् था ओर ना ही बचो ने इन से दूध पिया.

शुमि:- लेकिन फिर ब कोई तो राज़ हो गा. आज तक इतने अकरे हुआी मुम्मे किसी क नही देखे.

मे:- ये तो बस योगा ओर एक्सर्साइज़ का कमाल है. वैसे तुम ने कितनो क मुम्मे देखैईं हैं जो तुम्हाइन पता है.

शुमि:- तुम्हाइन पता तो है मे जहाँ से ऑयेयी हूँ, वहाँ लरकियो का एक दूसरे क सामने कापरे बदलना एट्सेटरा मामूली बात है. ओर फिर मेरी 2-3 गर्ल फ्रेंड्स ब थीन उस टाइम.

उस क मू से गर्ल फ्रेंड्स सुन्न कर मुझे अछा नही लगा. मुझे थोरी सी जेलासी ब हुई जो उस से छुपी नही रह सकी.

शुमि:- ई आम सॉरी मेरी जान. अगर मुझे पता होता क तुम मुझे मिलो गी तो मे अपनी वर्जिनिटी को तुम्हारे लिए संभाल क रखती.

मे:- (खुद को संभालते हुआी) नही! ऐसी कोई बात नही. तुम जहाँ थीन वहाँ तो ये सब चलता है. लेकिन अब तुम वाडा केरो, तुम सिर्फ़ मेरी हो.

शुमि:- पक्का वाडा मेरी जान. अब कहो तो तुम्हारे इन मुम्मो से खेल लून, जो काफ़ी देर से मुझे बुला रहे हैं.

मे कुछ ना बोली बस अपने लेफ्ट मुम्मे को हाथ से पकरा ओर शुमि क सिर को दूसरे हाथ से पाकर कर नीचे झुकाया ओर अपना मोटा ताज़ा रस्स भरा मुम्मा उस क मू मे डाल दिया. शुमि सस्स्स्रर्र्रप्प्प्प… सस्स्रर्र्र्रप्प्प्प… कर क मेरे मुम्मे को चाटने चूसने लगी. ओर मेरे मू से एक बार फिर आआअहह… ऊऊहह…. की आवाज़ैईन निकालने लगीएँ.

मेरे दोनो मुम्मो को कुछ ही देर मे लाल केरने क बाद वो पीछे हटी ओर बोली.

शुमि:- उूउउम्म्म्म…. मज़ा आ गया. बोहोट टेस्टी मुम्मे हैं तुम्हारे जानू. एक बार पीने से मेरा मॅन नही भरा. काइया फिर ब पिलाऊ गी इनका रस्स मुझे??

मे:- (मस्ती मे) जब तुम्हारा दिल करे, तब पी लेना इनका रस्स मेरी जान. तुम्हाइन मे कैसे माना कर सकती हूँ! आज से इन पेर काइया, मेरे पुर जिस्म पेर तुम्हारा हक़ है. बस अब देर ना केरो ओर मेरी पियास बुझा दो.

शुमि ने मेरा इशारा मिलते ही मेरी पनटी को पाकर कर उतरना शुरू कर दिया. कुछ सेकेंड्स मे में उस क सामने पूरी नंगी लेती हुई थी. आज तक मेरे शोहार ने मुझे पूरा नंगा नही देखा था. लेकिन आज मे एक शेमले क सामने बिल्कुल नंगी थी. ओर उस से अपना जिस्म मसलवा रही थी.

शुमि ने मेरी तंगायन खोलनी शुरू कर डीएन. मुझे शरम तो बोहोट ऑयेयी लेकिन ना चाहते हुआी ब मेने अपनी दोनो टॅंगो को खोल दिया. हाआँ! तंगायन खोलने क साथ साथ मेरी आंखाईं ज़रूर बंद हो गएीँ.
 
Back
Top