शुमि:- मेरी जान तुम्हारी छूट बोहोट पियरी है. सफैइड सफैइड ओर अंदर से गुलाबी. मेने आज तक इतनी पियरी छूट नही देखी. दिल केरता है खा जाऊं.
मे शर्मा कर रह गई ओर कुछ ना बोली.
शुमि:- अपनी आंखाईं खोल क मुझे देखो ना. वरना मुझे लगे गा क मे शायद ज़बरदस्ती कर रही हूँ तुम्हारे साथ.
मेने बोहोट मुश्किल से अपनी आंखाईं खोल क उसको देखा. शुमि मेरी हरकत पेर खुश हो गई. उस ने अपनी ज़बान बाहर निकल कर एक दफ़ा मेरी छूट पेर नीचे से ओपेर फायरा. मुझे ऐसे लगा जैसे मेरी छूट मे करेंट डोर गया हो. ओर मेरे मू से आआहह… निकल गई.
शुमि:- वा मज़ा आ गया. नमक मसाला बिल्कुल ठीक है.
उसकी बात सुन्न कर मेरे मू से हँसी निकल गई. जब क वो ब मेरे साथ हँसने लगी. तभी शुमि ने आगे बरह कर मेरी छूट को मू मे भर लिया. ओर जैसे फ्रेंच किस केरते हैं. वैसे चूम लिया. इस क बाद तो उसका खेल शुरू हो गया मेरी छूट क साथ. वो मेरी छूट क दरमियाँ अपनी ज़बान चलाने लगी. कभी मेरी छूट क होंठो को मू मे भर कर चूस लेती तो कभी कभी मेरी छूट क दाने पेर अपनी ज़बान चलती, इस क एलवा वो अपनी ज़बान मेरी छूट क अंदर तक डालने की कोशिश केरती. उसकी गरम ओर लंबी ज़बान मुझे नई बुलंदियो पेर पोहॉंचा रही थी. मे उस का सिर सहलाती हुई आआहह… आआअहह…. की आवाज़ैईन निकल रही थी. जब क वो मेरी आँखो मे देखती हुई मेरी छूट चाट रही थी.
कुछ ही देर मे में अपनी मंज़िल को पोहॉंच गई. शुमि ने मेरे रस्स की एक बूँद ब ज़ाया नही होने दी. बाल क उस ने मेरी छूट को ऐसे चूसना शुरू कर दिया जैसे हम स्ट्रॉ से सीप लेते हैं. कुछ सेकेंड्स मे ही उस ने मेरी छूट से निकला पूरा पानी चूस लिया. मे अपनी सांसो को ठीक केरने लगी. कुछ ही देर मे शुमि ओपेर आइए ओर मेरे होंठो को चूसने लगी. उस क होंठो पेर लगा मेरी छूट का पानी मेरे मू मे जाने लगा. मेने ब मस्ती मे उसका पूरा साथ दिया. लेकिन कुछ देर बाद मुझे जब एहसास हुआ क मे मेरे मू मे मेरी अपनी छूट का पानी जा रहा है तो मेने अपने होंठ अलग किए ओर शिकवा केरने वाली नज़रो से शुमि को देखने लगी.
शुमि:- काइया हुआ मेरी जान?
मे:- तुम जानती हो काइया हुआ है…
शुमि:- तो काइया तुम ने कभी अपनी छूट का पानी नही पिया था!
मे:- मे गंदे कम नही केरती.
शुमि:- तो आज से गंदे कम केरने शुरू कर दो.
ये कह कर उस ने फिर से मेरे होंटो को चूसना शुरू कर दिया. उसकी किस मे ऐसा नशा था क मे फिर से सब कुछ भूल गई. ओर उसकी किस को एंजाय केरने लगी. इस डॉरॅन शुमि का अकरा हुआ लंड मेरी छूट पेर रब कर रहा था. जिस से मेरे जिस्म की गर्मी एक बार फिर बरहने लगी. अपनी लंड को मेरी छूट पेर रगर्ते उस ने हल्का सा दब्ाओ डाला ओर उस क लंड का मोटा टोपा मेरी छूट मे उतार गया. मेरी छूट आखरी हड्द तक खुल गई. मुझे तोरा दर्द तो हुआ लेकिन मे झेल गई. शुमि को ब इस चीज़ का एहसास था. इस लिए वो कुछ देर तक बिल्कुल ब ना हिली. एक या दो मीं बाद उसी तरह उस ने दब्ाओ डाला ओर उसका 3 इंच लंड मेरी छूट को खोलते हुआी अंदर घुस गया. इधर मेने उस को अपनी बहो मे कस्स लिया था. मेरी आँखो मे नामी आने लगी थी. लेकिन ये दर्द से ज़ियादा खुशी की नामी थी. क्यू क आज मेरी छूट बताओ बाद एक लंड मिलने की वजा से झूम रही थी.
शुमि ने जैसे ही एक बार अपने लंड को टोपी तक बाहर निकाला. मेरी छूट ने पानी चोर दिया. ऐसा पहली बार हुआ था क मेरी छूट ने लंड का एहसास लेते ही पानी चोर दिया. तभी शुमि ने एक ज़ोरदार झटका मारा, उसका लंड 6 या 7 इंच तक मेरी छूट मे घुस्स गया. मेरे मू से हल्की सी चीख निकल गई. मुझे लगा जैसे मेरी छूट फटत रही है. मुझे अपनी छूट से कुछ गरम गरम बाहर निकलता महसूस होने लगा. ये मेरी छूट फटने से निकालने वाला खून था. मेरा जिस्म हल्का हल्का काँपने लगा. शुमि को ब मेरे दर्द का एहसास था इस लिए वो मेरे जिस्म से खेलने लगी. आहिस्ता आहिस्ता मे कुछ नॉर्मल हुई. शुमि उतने ही लंड से मेरी चुदाई केरने लगी. आहिस्ता आहिस्ता मेरा दर्द मज़े मे बदलने लगा. कई सालो बाद लंड की चुदाई से मे तेज़ी से ऑर्गॅज़म की तरफ बरहने लगी. इधर मे अपने ऑर्गॅज़म को पोहॉंची, उधर शुमि ने एक तेज़ धक्का मारा ओर उसका पूरा लंड मेरी छूट मे उतार गया. मेरे मू से एक तेज़ चीख निकली. पता नही ये चीख दर्द की वजा से थी या ऑर्गॅज़म क मज़े की वजा से थी. कुछ देर तक हम ऐसे ही लेते रहे, बिना हरकत किए.
जब मे कुछ नॉर्मल हुई तो मेने अपनी आंखाईं खोल कर शुमि की तरफ देखा. वो मेरे चेहरे पेर झुकी हुई मेरी आँखो मे ही देख रही थी. मुझे बेहद शरम ऑयेयी. मेने अपनी आंखाईं बंद कर लें.
शुमि:- (मुस्कुराते हुआी) आंखाईं खोलो ना मेरी जान…!
मेने ना मे सिर हिला दिया.
शुमि:- काइया हुआ? दर्द हो रहा है?
मेने फिर ना मे सिर हिला दिया.
शुमि:- तो फिर शरम आ रही है?
मेने इस बार हन मे सिर हिला दिया.
शुमि:- हमम्म्म…. तो फिर ऐसे केरती हूँ, अपना लंड बाहर निकल लेती हूँ.
मेने ना मे सिर हिला दिया.
शुमि:- तो मुझे बताओ क मे काइया केरूँ?
मेने उसकी कमर क गिर्द अपनी टॅंगो को कस्स लिया. ओर उस क सिर को पाकर कर कुछ देर शिद्दत से उस क होंठ चूमती चुस्ती रही. फिर मेने अपनी आंखाईं खोलिएन ओर उसकी आँखो मे देख कर बोली.
मे:- मेरी चुदाई केरो. आज मेरी सारी पियास बुझा दो. ओर इस तरह से पियास बुझाओ क आज क बाद मेरी छूट सिर्फ़ तुम्हाइन याद रखे. तुम्हारे एलवा किसी को ना पुकारे.
शुमि:- थ्ट्स लीके आ वाइल्ड वुमन. अब देखो मे कैसे तुम्हाइन छोड़ती हूँ.
ये कह कर उस ने एक बार फिर धक्के लगाने शुरू कर दिए. उसका लंड अब की बार मेरी छूट क आखरी हिस्से को छू रहा था. ऐसे लग रहा था क उसका लंड मेरी बचा दानी मे घुस्स जाए गा. उसकी स्पीड अब ऐसी थी क हेर सेकेंड मे उसका लंड अंदर बाहर हो रहा था. मुझे मज़ा तो बोहोट आ रहा था लेकिन उसका लंड मेरी बचा दानी पेर जो चोट कर रहा था, उस से मुझे दर्द ब हो रहा था.
मे एक बार फिर फारिघ् हो गई. अब की बार शुमि खुद नीचे लाइट गई ओर मुझे अपने लंड पेर बैठने का कहा. उसका लंड किसी खंबे की तरह सीधा खरा हुआ था. जिस की कम से कम लंबाई 11 से 12 इंच तक थी. ओर अछा ख़ासा मोटा ब था. मुझे कुछ पल क लिए तो यकीन नही हुआ क इतना मोटा ओर लंबा लंड कुछ देर पहले मेरी छूट मे था. लेकिन उस पेर लगा हुआ मेरी छूट का पानी इस चीज़ को गवाही दे रहा था क ये सच मे मेरी छूट से ही निकल कर आया है ओर इस वक्त खुशी से लहरा रहा है.
मुझे उस क लंड पेर बेहद पियर आया. मेने आगे बरह कर उस क लंड को मू मे भर लिया. मेरे मू की गर्मी महसूस केरते शुमि क मू से आअहह… निकल गई ओर साथ ही उस क लंड ने ब ठुमका लगाया. मे आहिस्ता आहिस्ता उस क 2-3 इंच लंड को चूसने लगी. उस क लंड का साइज़ तो आपको पहले ही बता चुकी हूँ. इतना लंड लेने क लिए ब मुझे पूरा मू खोलना पार रहा था. मे चाह कर ब ओर ज़ियादा लंड अंदर नही ले पा रही थी. कुछ ही देर मे उसका लंड मेरे थूक से भीग चुका था. ओर इधर मेरी आँखो से ब आँसू निकल रहे थे.
शुमि ने मुझे ओपेर किया ओर मेरी आँखो से निकलते आँसू अपनी ज़बान से छत लिए. इस क बाद हम दोनो एक बार फिर एक दूसरे को किस केरने लगे. शुमि की मदद से अब मे उसकी गोड मे बैठ गई. ओर उस क लंड को अपनी छूट पेर टिक आने की कोशिश केरने लगी. लेकिन हेर बार उसका लंड फिसल कर इधर उधर हो जाता. जिस से मेरी फ्रस्ट्रेशन बरह रही थी. मे चाह रही थी क उसका लंड जल्द से जल्द अपनी छूट मे ले लून. लेकिन मे इस कम मे अनारी थी, मुझे पता ही नही थी क इस पोज़िशन मे सही आंगल कैसे बनाते हैं. इस मोका पेर शुमि ने एक बार फिर मेरी मदद की. ओर कुछ ही देर मे उसका आधे से ज़ियादा लंड मेरी छूट मे उतार चुका था. मे उस क लंड पेर ओपेर नीचे होने लगी. शुमि मेरे चूटरो को मसालते हुआी मुझे ओपेर नीचे होने मे मदद केरने लगी ता क उसका पूरा लंड मेरी छूट मे उतार जाए. कुछ देर मे ही उसको अपने मक़सद मे कामयाबी मिल गई. जैसे ही उसका पूरा लंड मेरी छूट मे उतरा. मेरी छूट ने एक बार फिर पानी चोर दिया.
मे कुछ देर क लिए निढाल हो कर उस क ओपेर ही गिर गई. हम दोनो क मोटे फूले हुआी ओर टाने हुआी मुम्मे एक दूसरे से चिपक गाए. जैसे वो ब हमारे मिलन की खुशी माना रहे हों ओर एक दूसरे को चूम कर जशन माना रहे हों.
इधर शुमि ने एक बार फिर मेरी छूट चुदाई शुरू कर दी. मे वैसे ही उस पेर बेसूध लेती हुई थी, जब क शुमि नीचे से धक्के लगती मुझे छोड़ रही थी. अब की बार वो मेरी गंद क सूराख को उंगली से शेयर रही थी. जिस से मेरी मस्ती मे ओर ज़ियादा इज़ाफ़ा हो रहा था. मे शायद एक मीं से ब कम टाइम मे में फिर से झार गई.
मे:- (थकान हुआी अंदाज़ मे) आआअहह… मे तक गई हूँ शुमि. अभी ओर कितना छोड़ो गी मुझे?
शुमि:- अरे मेरी जान. मेने तो अभी ट्रेन चलानी शुरू की है. अभी तो कम से कम एक घंटा ओर छोड़ना है तुम्हाइन.
मे:- उूुउउफफफफ्फ़…. मे तो मॅर जाऊं गी इतनी लंबी चुदाई से.
शुमि:- कोई बात नही. शुरू शुरू मे मुश्किल हो गी. ओर बाद मे….!
मे:- बाद मे काइया?
शुमि:- बाद मे आदत हो जाए गी. वैसे एक बात बताओ गी?
मे:- पूछो?
शुमि:- काइया तुम्हारे शोहार ने कभी इतनी देर नही छोड़ा?
मेरी आँखो क सामने मेरे शोहार की याद ताज़ा हो गई. उनका 4इंच का लंड ओर कुछ धक्को की चुदाई.
मे:- नही. वो तो कुछ धक्को मे ही झार्र जाते थे. ओर अगर कभी मेडिसिन खा क ब छोड़ते थे तो मॅक्स 5-7 मीं मे झार्र जाते.
शुमि:- तभी तुम मे इतनी गर्मी है. लेकिन बेफिकर रहो. अब से मे तुम्हाइन छोड़ छोड़ कर तुम्हारी सारी गर्मी ठंडी केरूँ गी. चलो अब कुट्टिया बुन जाओ.
मे:- वो कैसे बनते हैं!
शुमि ने मुझे कुट्टिया की तरह चारो हाथ पाऊँ पेर खरा कर दिया. ओर मेरी कमर को बेंड कर दिया. मेरा सिर आहिस्ता आहिस्ता बिस्तर से का लगा. इधर मेरी तंगायन ब पूरी तरह से खुली हुई थीन. जिस से मेरी छूट एक बार फिर उस का लंड खाने को टायर थी. शुमि ने ब निशाना ले कर वार कर दिया ओर एक झटके मे आधा लंड मेरी छूट मे उतार गया. इस क बाद वो मेरी कमर थाम कर धक्के लगाने लगी. मेरे चूटरो से उस की थाइस टकराने से कचाआप्प्प्प कक्चाआप्प्प्प की आवाज़ैईन आने लगीएँ. मेरे मू से एक बार फिर आअहह… आआहह… की आवाज़ैईन निकालने लगीएँ. शुमि क तेज़ धक्को की वजा से कुछ ही देर मे उसका पूरा लंड मेरी छूट मे अंदर बाहर होने लगा. एक बार फिर मे मदहोश हो चुकी थी. इधर मेरी छूट तो जैसे पागल हो चुकी थी. वो इतना टगरा लंड मिलने की खुशी मे झूम झूम कर पानी बहा रही थी. येई नही! मेरी छूट बार बार उस क लंड को ब दबा रही थी. जिस से हम दोनो को एक अलग मज़ा मिल रहा था.
शुमि ब मेरे गोल मटोल चूटरो को देख कर मदहोश हो रही थी. कभी वो मेरे चूटरो को मसालती तो कभी उन पेर ठप्पर लगती तो कभी मेरी गंद क सूराख से खेलती. मे तो अब किसी ओर ही दुनिया मे थी. मेरे मू से आहह… आआहह… की आवाज़ो क एलवा कोई आवाज़ नही आ रही थी. अब तक मे कितनी बार झारी, ये ब मुझे नही पता. ऐसे ही चूड़ते चूड़ते अचानक मुझे एहसास हुआ क शुमि का लंड मेरी बचा दानी क मू पेर जा लगा है ओर उस मे से गरम गरम पानी निकल कर मेरी बचा दानी मे जा रहा है. ये एहसास इतना शदीद ओर गरमा देने वाला था क अचानक मे दोनो हाथो क सहारे से ओपेर उठी अपना चेहरा ओपेर छत की तरफ उठाया ओर मेरे मू से ज़ोर दर चीख निकल गई. इस क बाद मे बेसूध हो कर बिस्तर पेर गिर गई ओर बेहोश हो गई. मुझे नही पता क शुमि का पानी कितनी देर तक निकलता रहा. कितना पानी मेरी छूट मे गया या कितना पानी बाहर निकला.
मे शर्मा कर रह गई ओर कुछ ना बोली.
शुमि:- अपनी आंखाईं खोल क मुझे देखो ना. वरना मुझे लगे गा क मे शायद ज़बरदस्ती कर रही हूँ तुम्हारे साथ.
मेने बोहोट मुश्किल से अपनी आंखाईं खोल क उसको देखा. शुमि मेरी हरकत पेर खुश हो गई. उस ने अपनी ज़बान बाहर निकल कर एक दफ़ा मेरी छूट पेर नीचे से ओपेर फायरा. मुझे ऐसे लगा जैसे मेरी छूट मे करेंट डोर गया हो. ओर मेरे मू से आआहह… निकल गई.
शुमि:- वा मज़ा आ गया. नमक मसाला बिल्कुल ठीक है.
उसकी बात सुन्न कर मेरे मू से हँसी निकल गई. जब क वो ब मेरे साथ हँसने लगी. तभी शुमि ने आगे बरह कर मेरी छूट को मू मे भर लिया. ओर जैसे फ्रेंच किस केरते हैं. वैसे चूम लिया. इस क बाद तो उसका खेल शुरू हो गया मेरी छूट क साथ. वो मेरी छूट क दरमियाँ अपनी ज़बान चलाने लगी. कभी मेरी छूट क होंठो को मू मे भर कर चूस लेती तो कभी कभी मेरी छूट क दाने पेर अपनी ज़बान चलती, इस क एलवा वो अपनी ज़बान मेरी छूट क अंदर तक डालने की कोशिश केरती. उसकी गरम ओर लंबी ज़बान मुझे नई बुलंदियो पेर पोहॉंचा रही थी. मे उस का सिर सहलाती हुई आआहह… आआअहह…. की आवाज़ैईन निकल रही थी. जब क वो मेरी आँखो मे देखती हुई मेरी छूट चाट रही थी.
कुछ ही देर मे में अपनी मंज़िल को पोहॉंच गई. शुमि ने मेरे रस्स की एक बूँद ब ज़ाया नही होने दी. बाल क उस ने मेरी छूट को ऐसे चूसना शुरू कर दिया जैसे हम स्ट्रॉ से सीप लेते हैं. कुछ सेकेंड्स मे ही उस ने मेरी छूट से निकला पूरा पानी चूस लिया. मे अपनी सांसो को ठीक केरने लगी. कुछ ही देर मे शुमि ओपेर आइए ओर मेरे होंठो को चूसने लगी. उस क होंठो पेर लगा मेरी छूट का पानी मेरे मू मे जाने लगा. मेने ब मस्ती मे उसका पूरा साथ दिया. लेकिन कुछ देर बाद मुझे जब एहसास हुआ क मे मेरे मू मे मेरी अपनी छूट का पानी जा रहा है तो मेने अपने होंठ अलग किए ओर शिकवा केरने वाली नज़रो से शुमि को देखने लगी.
शुमि:- काइया हुआ मेरी जान?
मे:- तुम जानती हो काइया हुआ है…
शुमि:- तो काइया तुम ने कभी अपनी छूट का पानी नही पिया था!
मे:- मे गंदे कम नही केरती.
शुमि:- तो आज से गंदे कम केरने शुरू कर दो.
ये कह कर उस ने फिर से मेरे होंटो को चूसना शुरू कर दिया. उसकी किस मे ऐसा नशा था क मे फिर से सब कुछ भूल गई. ओर उसकी किस को एंजाय केरने लगी. इस डॉरॅन शुमि का अकरा हुआ लंड मेरी छूट पेर रब कर रहा था. जिस से मेरे जिस्म की गर्मी एक बार फिर बरहने लगी. अपनी लंड को मेरी छूट पेर रगर्ते उस ने हल्का सा दब्ाओ डाला ओर उस क लंड का मोटा टोपा मेरी छूट मे उतार गया. मेरी छूट आखरी हड्द तक खुल गई. मुझे तोरा दर्द तो हुआ लेकिन मे झेल गई. शुमि को ब इस चीज़ का एहसास था. इस लिए वो कुछ देर तक बिल्कुल ब ना हिली. एक या दो मीं बाद उसी तरह उस ने दब्ाओ डाला ओर उसका 3 इंच लंड मेरी छूट को खोलते हुआी अंदर घुस गया. इधर मेने उस को अपनी बहो मे कस्स लिया था. मेरी आँखो मे नामी आने लगी थी. लेकिन ये दर्द से ज़ियादा खुशी की नामी थी. क्यू क आज मेरी छूट बताओ बाद एक लंड मिलने की वजा से झूम रही थी.
शुमि ने जैसे ही एक बार अपने लंड को टोपी तक बाहर निकाला. मेरी छूट ने पानी चोर दिया. ऐसा पहली बार हुआ था क मेरी छूट ने लंड का एहसास लेते ही पानी चोर दिया. तभी शुमि ने एक ज़ोरदार झटका मारा, उसका लंड 6 या 7 इंच तक मेरी छूट मे घुस्स गया. मेरे मू से हल्की सी चीख निकल गई. मुझे लगा जैसे मेरी छूट फटत रही है. मुझे अपनी छूट से कुछ गरम गरम बाहर निकलता महसूस होने लगा. ये मेरी छूट फटने से निकालने वाला खून था. मेरा जिस्म हल्का हल्का काँपने लगा. शुमि को ब मेरे दर्द का एहसास था इस लिए वो मेरे जिस्म से खेलने लगी. आहिस्ता आहिस्ता मे कुछ नॉर्मल हुई. शुमि उतने ही लंड से मेरी चुदाई केरने लगी. आहिस्ता आहिस्ता मेरा दर्द मज़े मे बदलने लगा. कई सालो बाद लंड की चुदाई से मे तेज़ी से ऑर्गॅज़म की तरफ बरहने लगी. इधर मे अपने ऑर्गॅज़म को पोहॉंची, उधर शुमि ने एक तेज़ धक्का मारा ओर उसका पूरा लंड मेरी छूट मे उतार गया. मेरे मू से एक तेज़ चीख निकली. पता नही ये चीख दर्द की वजा से थी या ऑर्गॅज़म क मज़े की वजा से थी. कुछ देर तक हम ऐसे ही लेते रहे, बिना हरकत किए.
जब मे कुछ नॉर्मल हुई तो मेने अपनी आंखाईं खोल कर शुमि की तरफ देखा. वो मेरे चेहरे पेर झुकी हुई मेरी आँखो मे ही देख रही थी. मुझे बेहद शरम ऑयेयी. मेने अपनी आंखाईं बंद कर लें.
शुमि:- (मुस्कुराते हुआी) आंखाईं खोलो ना मेरी जान…!
मेने ना मे सिर हिला दिया.
शुमि:- काइया हुआ? दर्द हो रहा है?
मेने फिर ना मे सिर हिला दिया.
शुमि:- तो फिर शरम आ रही है?
मेने इस बार हन मे सिर हिला दिया.
शुमि:- हमम्म्म…. तो फिर ऐसे केरती हूँ, अपना लंड बाहर निकल लेती हूँ.
मेने ना मे सिर हिला दिया.
शुमि:- तो मुझे बताओ क मे काइया केरूँ?
मेने उसकी कमर क गिर्द अपनी टॅंगो को कस्स लिया. ओर उस क सिर को पाकर कर कुछ देर शिद्दत से उस क होंठ चूमती चुस्ती रही. फिर मेने अपनी आंखाईं खोलिएन ओर उसकी आँखो मे देख कर बोली.
मे:- मेरी चुदाई केरो. आज मेरी सारी पियास बुझा दो. ओर इस तरह से पियास बुझाओ क आज क बाद मेरी छूट सिर्फ़ तुम्हाइन याद रखे. तुम्हारे एलवा किसी को ना पुकारे.
शुमि:- थ्ट्स लीके आ वाइल्ड वुमन. अब देखो मे कैसे तुम्हाइन छोड़ती हूँ.
ये कह कर उस ने एक बार फिर धक्के लगाने शुरू कर दिए. उसका लंड अब की बार मेरी छूट क आखरी हिस्से को छू रहा था. ऐसे लग रहा था क उसका लंड मेरी बचा दानी मे घुस्स जाए गा. उसकी स्पीड अब ऐसी थी क हेर सेकेंड मे उसका लंड अंदर बाहर हो रहा था. मुझे मज़ा तो बोहोट आ रहा था लेकिन उसका लंड मेरी बचा दानी पेर जो चोट कर रहा था, उस से मुझे दर्द ब हो रहा था.
मे एक बार फिर फारिघ् हो गई. अब की बार शुमि खुद नीचे लाइट गई ओर मुझे अपने लंड पेर बैठने का कहा. उसका लंड किसी खंबे की तरह सीधा खरा हुआ था. जिस की कम से कम लंबाई 11 से 12 इंच तक थी. ओर अछा ख़ासा मोटा ब था. मुझे कुछ पल क लिए तो यकीन नही हुआ क इतना मोटा ओर लंबा लंड कुछ देर पहले मेरी छूट मे था. लेकिन उस पेर लगा हुआ मेरी छूट का पानी इस चीज़ को गवाही दे रहा था क ये सच मे मेरी छूट से ही निकल कर आया है ओर इस वक्त खुशी से लहरा रहा है.
मुझे उस क लंड पेर बेहद पियर आया. मेने आगे बरह कर उस क लंड को मू मे भर लिया. मेरे मू की गर्मी महसूस केरते शुमि क मू से आअहह… निकल गई ओर साथ ही उस क लंड ने ब ठुमका लगाया. मे आहिस्ता आहिस्ता उस क 2-3 इंच लंड को चूसने लगी. उस क लंड का साइज़ तो आपको पहले ही बता चुकी हूँ. इतना लंड लेने क लिए ब मुझे पूरा मू खोलना पार रहा था. मे चाह कर ब ओर ज़ियादा लंड अंदर नही ले पा रही थी. कुछ ही देर मे उसका लंड मेरे थूक से भीग चुका था. ओर इधर मेरी आँखो से ब आँसू निकल रहे थे.
शुमि ने मुझे ओपेर किया ओर मेरी आँखो से निकलते आँसू अपनी ज़बान से छत लिए. इस क बाद हम दोनो एक बार फिर एक दूसरे को किस केरने लगे. शुमि की मदद से अब मे उसकी गोड मे बैठ गई. ओर उस क लंड को अपनी छूट पेर टिक आने की कोशिश केरने लगी. लेकिन हेर बार उसका लंड फिसल कर इधर उधर हो जाता. जिस से मेरी फ्रस्ट्रेशन बरह रही थी. मे चाह रही थी क उसका लंड जल्द से जल्द अपनी छूट मे ले लून. लेकिन मे इस कम मे अनारी थी, मुझे पता ही नही थी क इस पोज़िशन मे सही आंगल कैसे बनाते हैं. इस मोका पेर शुमि ने एक बार फिर मेरी मदद की. ओर कुछ ही देर मे उसका आधे से ज़ियादा लंड मेरी छूट मे उतार चुका था. मे उस क लंड पेर ओपेर नीचे होने लगी. शुमि मेरे चूटरो को मसालते हुआी मुझे ओपेर नीचे होने मे मदद केरने लगी ता क उसका पूरा लंड मेरी छूट मे उतार जाए. कुछ देर मे ही उसको अपने मक़सद मे कामयाबी मिल गई. जैसे ही उसका पूरा लंड मेरी छूट मे उतरा. मेरी छूट ने एक बार फिर पानी चोर दिया.
मे कुछ देर क लिए निढाल हो कर उस क ओपेर ही गिर गई. हम दोनो क मोटे फूले हुआी ओर टाने हुआी मुम्मे एक दूसरे से चिपक गाए. जैसे वो ब हमारे मिलन की खुशी माना रहे हों ओर एक दूसरे को चूम कर जशन माना रहे हों.
इधर शुमि ने एक बार फिर मेरी छूट चुदाई शुरू कर दी. मे वैसे ही उस पेर बेसूध लेती हुई थी, जब क शुमि नीचे से धक्के लगती मुझे छोड़ रही थी. अब की बार वो मेरी गंद क सूराख को उंगली से शेयर रही थी. जिस से मेरी मस्ती मे ओर ज़ियादा इज़ाफ़ा हो रहा था. मे शायद एक मीं से ब कम टाइम मे में फिर से झार गई.
मे:- (थकान हुआी अंदाज़ मे) आआअहह… मे तक गई हूँ शुमि. अभी ओर कितना छोड़ो गी मुझे?
शुमि:- अरे मेरी जान. मेने तो अभी ट्रेन चलानी शुरू की है. अभी तो कम से कम एक घंटा ओर छोड़ना है तुम्हाइन.
मे:- उूुउउफफफफ्फ़…. मे तो मॅर जाऊं गी इतनी लंबी चुदाई से.
शुमि:- कोई बात नही. शुरू शुरू मे मुश्किल हो गी. ओर बाद मे….!
मे:- बाद मे काइया?
शुमि:- बाद मे आदत हो जाए गी. वैसे एक बात बताओ गी?
मे:- पूछो?
शुमि:- काइया तुम्हारे शोहार ने कभी इतनी देर नही छोड़ा?
मेरी आँखो क सामने मेरे शोहार की याद ताज़ा हो गई. उनका 4इंच का लंड ओर कुछ धक्को की चुदाई.
मे:- नही. वो तो कुछ धक्को मे ही झार्र जाते थे. ओर अगर कभी मेडिसिन खा क ब छोड़ते थे तो मॅक्स 5-7 मीं मे झार्र जाते.
शुमि:- तभी तुम मे इतनी गर्मी है. लेकिन बेफिकर रहो. अब से मे तुम्हाइन छोड़ छोड़ कर तुम्हारी सारी गर्मी ठंडी केरूँ गी. चलो अब कुट्टिया बुन जाओ.
मे:- वो कैसे बनते हैं!
शुमि ने मुझे कुट्टिया की तरह चारो हाथ पाऊँ पेर खरा कर दिया. ओर मेरी कमर को बेंड कर दिया. मेरा सिर आहिस्ता आहिस्ता बिस्तर से का लगा. इधर मेरी तंगायन ब पूरी तरह से खुली हुई थीन. जिस से मेरी छूट एक बार फिर उस का लंड खाने को टायर थी. शुमि ने ब निशाना ले कर वार कर दिया ओर एक झटके मे आधा लंड मेरी छूट मे उतार गया. इस क बाद वो मेरी कमर थाम कर धक्के लगाने लगी. मेरे चूटरो से उस की थाइस टकराने से कचाआप्प्प्प कक्चाआप्प्प्प की आवाज़ैईन आने लगीएँ. मेरे मू से एक बार फिर आअहह… आआहह… की आवाज़ैईन निकालने लगीएँ. शुमि क तेज़ धक्को की वजा से कुछ ही देर मे उसका पूरा लंड मेरी छूट मे अंदर बाहर होने लगा. एक बार फिर मे मदहोश हो चुकी थी. इधर मेरी छूट तो जैसे पागल हो चुकी थी. वो इतना टगरा लंड मिलने की खुशी मे झूम झूम कर पानी बहा रही थी. येई नही! मेरी छूट बार बार उस क लंड को ब दबा रही थी. जिस से हम दोनो को एक अलग मज़ा मिल रहा था.
शुमि ब मेरे गोल मटोल चूटरो को देख कर मदहोश हो रही थी. कभी वो मेरे चूटरो को मसालती तो कभी उन पेर ठप्पर लगती तो कभी मेरी गंद क सूराख से खेलती. मे तो अब किसी ओर ही दुनिया मे थी. मेरे मू से आहह… आआहह… की आवाज़ो क एलवा कोई आवाज़ नही आ रही थी. अब तक मे कितनी बार झारी, ये ब मुझे नही पता. ऐसे ही चूड़ते चूड़ते अचानक मुझे एहसास हुआ क शुमि का लंड मेरी बचा दानी क मू पेर जा लगा है ओर उस मे से गरम गरम पानी निकल कर मेरी बचा दानी मे जा रहा है. ये एहसास इतना शदीद ओर गरमा देने वाला था क अचानक मे दोनो हाथो क सहारे से ओपेर उठी अपना चेहरा ओपेर छत की तरफ उठाया ओर मेरे मू से ज़ोर दर चीख निकल गई. इस क बाद मे बेसूध हो कर बिस्तर पेर गिर गई ओर बेहोश हो गई. मुझे नही पता क शुमि का पानी कितनी देर तक निकलता रहा. कितना पानी मेरी छूट मे गया या कितना पानी बाहर निकला.