XXX Kahani Meri Zindagani - Another Love story with Shemale

शुमि:- मेरी जान तुम्हारी छूट बोहोट पियरी है. सफैइड सफैइड ओर अंदर से गुलाबी. मेने आज तक इतनी पियरी छूट नही देखी. दिल केरता है खा जाऊं.

मे शर्मा कर रह गई ओर कुछ ना बोली.

शुमि:- अपनी आंखाईं खोल क मुझे देखो ना. वरना मुझे लगे गा क मे शायद ज़बरदस्ती कर रही हूँ तुम्हारे साथ.

मेने बोहोट मुश्किल से अपनी आंखाईं खोल क उसको देखा. शुमि मेरी हरकत पेर खुश हो गई. उस ने अपनी ज़बान बाहर निकल कर एक दफ़ा मेरी छूट पेर नीचे से ओपेर फायरा. मुझे ऐसे लगा जैसे मेरी छूट मे करेंट डोर गया हो. ओर मेरे मू से आआहह… निकल गई.

शुमि:- वा मज़ा आ गया. नमक मसाला बिल्कुल ठीक है.

उसकी बात सुन्न कर मेरे मू से हँसी निकल गई. जब क वो ब मेरे साथ हँसने लगी. तभी शुमि ने आगे बरह कर मेरी छूट को मू मे भर लिया. ओर जैसे फ्रेंच किस केरते हैं. वैसे चूम लिया. इस क बाद तो उसका खेल शुरू हो गया मेरी छूट क साथ. वो मेरी छूट क दरमियाँ अपनी ज़बान चलाने लगी. कभी मेरी छूट क होंठो को मू मे भर कर चूस लेती तो कभी कभी मेरी छूट क दाने पेर अपनी ज़बान चलती, इस क एलवा वो अपनी ज़बान मेरी छूट क अंदर तक डालने की कोशिश केरती. उसकी गरम ओर लंबी ज़बान मुझे नई बुलंदियो पेर पोहॉंचा रही थी. मे उस का सिर सहलाती हुई आआहह… आआअहह…. की आवाज़ैईन निकल रही थी. जब क वो मेरी आँखो मे देखती हुई मेरी छूट चाट रही थी.

कुछ ही देर मे में अपनी मंज़िल को पोहॉंच गई. शुमि ने मेरे रस्स की एक बूँद ब ज़ाया नही होने दी. बाल क उस ने मेरी छूट को ऐसे चूसना शुरू कर दिया जैसे हम स्ट्रॉ से सीप लेते हैं. कुछ सेकेंड्स मे ही उस ने मेरी छूट से निकला पूरा पानी चूस लिया. मे अपनी सांसो को ठीक केरने लगी. कुछ ही देर मे शुमि ओपेर आइए ओर मेरे होंठो को चूसने लगी. उस क होंठो पेर लगा मेरी छूट का पानी मेरे मू मे जाने लगा. मेने ब मस्ती मे उसका पूरा साथ दिया. लेकिन कुछ देर बाद मुझे जब एहसास हुआ क मे मेरे मू मे मेरी अपनी छूट का पानी जा रहा है तो मेने अपने होंठ अलग किए ओर शिकवा केरने वाली नज़रो से शुमि को देखने लगी.

शुमि:- काइया हुआ मेरी जान?

मे:- तुम जानती हो काइया हुआ है…

शुमि:- तो काइया तुम ने कभी अपनी छूट का पानी नही पिया था!

मे:- मे गंदे कम नही केरती.

शुमि:- तो आज से गंदे कम केरने शुरू कर दो.

ये कह कर उस ने फिर से मेरे होंटो को चूसना शुरू कर दिया. उसकी किस मे ऐसा नशा था क मे फिर से सब कुछ भूल गई. ओर उसकी किस को एंजाय केरने लगी. इस डॉरॅन शुमि का अकरा हुआ लंड मेरी छूट पेर रब कर रहा था. जिस से मेरे जिस्म की गर्मी एक बार फिर बरहने लगी. अपनी लंड को मेरी छूट पेर रगर्ते उस ने हल्का सा दब्ाओ डाला ओर उस क लंड का मोटा टोपा मेरी छूट मे उतार गया. मेरी छूट आखरी हड्द तक खुल गई. मुझे तोरा दर्द तो हुआ लेकिन मे झेल गई. शुमि को ब इस चीज़ का एहसास था. इस लिए वो कुछ देर तक बिल्कुल ब ना हिली. एक या दो मीं बाद उसी तरह उस ने दब्ाओ डाला ओर उसका 3 इंच लंड मेरी छूट को खोलते हुआी अंदर घुस गया. इधर मेने उस को अपनी बहो मे कस्स लिया था. मेरी आँखो मे नामी आने लगी थी. लेकिन ये दर्द से ज़ियादा खुशी की नामी थी. क्यू क आज मेरी छूट बताओ बाद एक लंड मिलने की वजा से झूम रही थी.

शुमि ने जैसे ही एक बार अपने लंड को टोपी तक बाहर निकाला. मेरी छूट ने पानी चोर दिया. ऐसा पहली बार हुआ था क मेरी छूट ने लंड का एहसास लेते ही पानी चोर दिया. तभी शुमि ने एक ज़ोरदार झटका मारा, उसका लंड 6 या 7 इंच तक मेरी छूट मे घुस्स गया. मेरे मू से हल्की सी चीख निकल गई. मुझे लगा जैसे मेरी छूट फटत रही है. मुझे अपनी छूट से कुछ गरम गरम बाहर निकलता महसूस होने लगा. ये मेरी छूट फटने से निकालने वाला खून था. मेरा जिस्म हल्का हल्का काँपने लगा. शुमि को ब मेरे दर्द का एहसास था इस लिए वो मेरे जिस्म से खेलने लगी. आहिस्ता आहिस्ता मे कुछ नॉर्मल हुई. शुमि उतने ही लंड से मेरी चुदाई केरने लगी. आहिस्ता आहिस्ता मेरा दर्द मज़े मे बदलने लगा. कई सालो बाद लंड की चुदाई से मे तेज़ी से ऑर्गॅज़म की तरफ बरहने लगी. इधर मे अपने ऑर्गॅज़म को पोहॉंची, उधर शुमि ने एक तेज़ धक्का मारा ओर उसका पूरा लंड मेरी छूट मे उतार गया. मेरे मू से एक तेज़ चीख निकली. पता नही ये चीख दर्द की वजा से थी या ऑर्गॅज़म क मज़े की वजा से थी. कुछ देर तक हम ऐसे ही लेते रहे, बिना हरकत किए.

जब मे कुछ नॉर्मल हुई तो मेने अपनी आंखाईं खोल कर शुमि की तरफ देखा. वो मेरे चेहरे पेर झुकी हुई मेरी आँखो मे ही देख रही थी. मुझे बेहद शरम ऑयेयी. मेने अपनी आंखाईं बंद कर लें.

शुमि:- (मुस्कुराते हुआी) आंखाईं खोलो ना मेरी जान…!

मेने ना मे सिर हिला दिया.

शुमि:- काइया हुआ? दर्द हो रहा है?

मेने फिर ना मे सिर हिला दिया.

शुमि:- तो फिर शरम आ रही है?

मेने इस बार हन मे सिर हिला दिया.

शुमि:- हमम्म्म…. तो फिर ऐसे केरती हूँ, अपना लंड बाहर निकल लेती हूँ.

मेने ना मे सिर हिला दिया.

शुमि:- तो मुझे बताओ क मे काइया केरूँ?

मेने उसकी कमर क गिर्द अपनी टॅंगो को कस्स लिया. ओर उस क सिर को पाकर कर कुछ देर शिद्दत से उस क होंठ चूमती चुस्ती रही. फिर मेने अपनी आंखाईं खोलिएन ओर उसकी आँखो मे देख कर बोली.

मे:- मेरी चुदाई केरो. आज मेरी सारी पियास बुझा दो. ओर इस तरह से पियास बुझाओ क आज क बाद मेरी छूट सिर्फ़ तुम्हाइन याद रखे. तुम्हारे एलवा किसी को ना पुकारे.

शुमि:- थ्ट्स लीके आ वाइल्ड वुमन. अब देखो मे कैसे तुम्हाइन छोड़ती हूँ.

ये कह कर उस ने एक बार फिर धक्के लगाने शुरू कर दिए. उसका लंड अब की बार मेरी छूट क आखरी हिस्से को छू रहा था. ऐसे लग रहा था क उसका लंड मेरी बचा दानी मे घुस्स जाए गा. उसकी स्पीड अब ऐसी थी क हेर सेकेंड मे उसका लंड अंदर बाहर हो रहा था. मुझे मज़ा तो बोहोट आ रहा था लेकिन उसका लंड मेरी बचा दानी पेर जो चोट कर रहा था, उस से मुझे दर्द ब हो रहा था.

मे एक बार फिर फारिघ् हो गई. अब की बार शुमि खुद नीचे लाइट गई ओर मुझे अपने लंड पेर बैठने का कहा. उसका लंड किसी खंबे की तरह सीधा खरा हुआ था. जिस की कम से कम लंबाई 11 से 12 इंच तक थी. ओर अछा ख़ासा मोटा ब था. मुझे कुछ पल क लिए तो यकीन नही हुआ क इतना मोटा ओर लंबा लंड कुछ देर पहले मेरी छूट मे था. लेकिन उस पेर लगा हुआ मेरी छूट का पानी इस चीज़ को गवाही दे रहा था क ये सच मे मेरी छूट से ही निकल कर आया है ओर इस वक्त खुशी से लहरा रहा है.

मुझे उस क लंड पेर बेहद पियर आया. मेने आगे बरह कर उस क लंड को मू मे भर लिया. मेरे मू की गर्मी महसूस केरते शुमि क मू से आअहह… निकल गई ओर साथ ही उस क लंड ने ब ठुमका लगाया. मे आहिस्ता आहिस्ता उस क 2-3 इंच लंड को चूसने लगी. उस क लंड का साइज़ तो आपको पहले ही बता चुकी हूँ. इतना लंड लेने क लिए ब मुझे पूरा मू खोलना पार रहा था. मे चाह कर ब ओर ज़ियादा लंड अंदर नही ले पा रही थी. कुछ ही देर मे उसका लंड मेरे थूक से भीग चुका था. ओर इधर मेरी आँखो से ब आँसू निकल रहे थे.

शुमि ने मुझे ओपेर किया ओर मेरी आँखो से निकलते आँसू अपनी ज़बान से छत लिए. इस क बाद हम दोनो एक बार फिर एक दूसरे को किस केरने लगे. शुमि की मदद से अब मे उसकी गोड मे बैठ गई. ओर उस क लंड को अपनी छूट पेर टिक आने की कोशिश केरने लगी. लेकिन हेर बार उसका लंड फिसल कर इधर उधर हो जाता. जिस से मेरी फ्रस्ट्रेशन बरह रही थी. मे चाह रही थी क उसका लंड जल्द से जल्द अपनी छूट मे ले लून. लेकिन मे इस कम मे अनारी थी, मुझे पता ही नही थी क इस पोज़िशन मे सही आंगल कैसे बनाते हैं. इस मोका पेर शुमि ने एक बार फिर मेरी मदद की. ओर कुछ ही देर मे उसका आधे से ज़ियादा लंड मेरी छूट मे उतार चुका था. मे उस क लंड पेर ओपेर नीचे होने लगी. शुमि मेरे चूटरो को मसालते हुआी मुझे ओपेर नीचे होने मे मदद केरने लगी ता क उसका पूरा लंड मेरी छूट मे उतार जाए. कुछ देर मे ही उसको अपने मक़सद मे कामयाबी मिल गई. जैसे ही उसका पूरा लंड मेरी छूट मे उतरा. मेरी छूट ने एक बार फिर पानी चोर दिया.

मे कुछ देर क लिए निढाल हो कर उस क ओपेर ही गिर गई. हम दोनो क मोटे फूले हुआी ओर टाने हुआी मुम्मे एक दूसरे से चिपक गाए. जैसे वो ब हमारे मिलन की खुशी माना रहे हों ओर एक दूसरे को चूम कर जशन माना रहे हों.

इधर शुमि ने एक बार फिर मेरी छूट चुदाई शुरू कर दी. मे वैसे ही उस पेर बेसूध लेती हुई थी, जब क शुमि नीचे से धक्के लगती मुझे छोड़ रही थी. अब की बार वो मेरी गंद क सूराख को उंगली से शेयर रही थी. जिस से मेरी मस्ती मे ओर ज़ियादा इज़ाफ़ा हो रहा था. मे शायद एक मीं से ब कम टाइम मे में फिर से झार गई.

मे:- (थकान हुआी अंदाज़ मे) आआअहह… मे तक गई हूँ शुमि. अभी ओर कितना छोड़ो गी मुझे?

शुमि:- अरे मेरी जान. मेने तो अभी ट्रेन चलानी शुरू की है. अभी तो कम से कम एक घंटा ओर छोड़ना है तुम्हाइन.

मे:- उूुउउफफफफ्फ़…. मे तो मॅर जाऊं गी इतनी लंबी चुदाई से.

शुमि:- कोई बात नही. शुरू शुरू मे मुश्किल हो गी. ओर बाद मे….!

मे:- बाद मे काइया?

शुमि:- बाद मे आदत हो जाए गी. वैसे एक बात बताओ गी?

मे:- पूछो?

शुमि:- काइया तुम्हारे शोहार ने कभी इतनी देर नही छोड़ा?

मेरी आँखो क सामने मेरे शोहार की याद ताज़ा हो गई. उनका 4इंच का लंड ओर कुछ धक्को की चुदाई.

मे:- नही. वो तो कुछ धक्को मे ही झार्र जाते थे. ओर अगर कभी मेडिसिन खा क ब छोड़ते थे तो मॅक्स 5-7 मीं मे झार्र जाते.

शुमि:- तभी तुम मे इतनी गर्मी है. लेकिन बेफिकर रहो. अब से मे तुम्हाइन छोड़ छोड़ कर तुम्हारी सारी गर्मी ठंडी केरूँ गी. चलो अब कुट्टिया बुन जाओ.

मे:- वो कैसे बनते हैं!

शुमि ने मुझे कुट्टिया की तरह चारो हाथ पाऊँ पेर खरा कर दिया. ओर मेरी कमर को बेंड कर दिया. मेरा सिर आहिस्ता आहिस्ता बिस्तर से का लगा. इधर मेरी तंगायन ब पूरी तरह से खुली हुई थीन. जिस से मेरी छूट एक बार फिर उस का लंड खाने को टायर थी. शुमि ने ब निशाना ले कर वार कर दिया ओर एक झटके मे आधा लंड मेरी छूट मे उतार गया. इस क बाद वो मेरी कमर थाम कर धक्के लगाने लगी. मेरे चूटरो से उस की थाइस टकराने से कचाआप्प्प्प कक्चाआप्प्प्प की आवाज़ैईन आने लगीएँ. मेरे मू से एक बार फिर आअहह… आआहह… की आवाज़ैईन निकालने लगीएँ. शुमि क तेज़ धक्को की वजा से कुछ ही देर मे उसका पूरा लंड मेरी छूट मे अंदर बाहर होने लगा. एक बार फिर मे मदहोश हो चुकी थी. इधर मेरी छूट तो जैसे पागल हो चुकी थी. वो इतना टगरा लंड मिलने की खुशी मे झूम झूम कर पानी बहा रही थी. येई नही! मेरी छूट बार बार उस क लंड को ब दबा रही थी. जिस से हम दोनो को एक अलग मज़ा मिल रहा था.

शुमि ब मेरे गोल मटोल चूटरो को देख कर मदहोश हो रही थी. कभी वो मेरे चूटरो को मसालती तो कभी उन पेर ठप्पर लगती तो कभी मेरी गंद क सूराख से खेलती. मे तो अब किसी ओर ही दुनिया मे थी. मेरे मू से आहह… आआहह… की आवाज़ो क एलवा कोई आवाज़ नही आ रही थी. अब तक मे कितनी बार झारी, ये ब मुझे नही पता. ऐसे ही चूड़ते चूड़ते अचानक मुझे एहसास हुआ क शुमि का लंड मेरी बचा दानी क मू पेर जा लगा है ओर उस मे से गरम गरम पानी निकल कर मेरी बचा दानी मे जा रहा है. ये एहसास इतना शदीद ओर गरमा देने वाला था क अचानक मे दोनो हाथो क सहारे से ओपेर उठी अपना चेहरा ओपेर छत की तरफ उठाया ओर मेरे मू से ज़ोर दर चीख निकल गई. इस क बाद मे बेसूध हो कर बिस्तर पेर गिर गई ओर बेहोश हो गई. मुझे नही पता क शुमि का पानी कितनी देर तक निकलता रहा. कितना पानी मेरी छूट मे गया या कितना पानी बाहर निकला.
 
लास्ट एपिसोड

रात क किसी पहेर शदीद पियास से मेरी आँख खुली. मेने बेड से उतना चाहा लेकिन मेरी टॅंगो ने साथ देने से इनकार कर दिया. दर्द की वजा से मेरे मू से कराह निकल गई. मेरी आवाज़ सुन्न कर शुमि की आँख खुल गई.

शुमि:- काइया हुआ?

मे:- बोहोट दर्द हो रहा है मेरी कमर ओर टॅंगो मे. मुझसे उठा नही जा रहा.

शुमि:- तो तुम ने कहाँ जाना है?

मे:- पानी पीना है.

शुमि:- अछा तुम लेतो. मे पिलाती हूँ पानी.

शुमि ने मुझे पानी पिलाया. हम दोनो अभी ब नंगे ही थे. उसकी टॅंगो क दरमियाँ उसका मोटा लंबा लंड जो अभी आधा खरा था, हेर स्टेप क साथ हिल रहा था. जब क मेरी नज़र उस पेर टिकी हुई थी.

शुमि:- काइया हुआ? काइया देख रही हो?

मे:- देख रही हूँ. तुम्हारा लंड कितना ख़तरनाक है. मेरी हालत खराब केरने क बाद ब झूम रहा है.

शुमि:- हहेहेः… ये तो बेचारा खुशी माना रहा है.

मे:- आज क लिए इतनी खुशी काफ़ी है.

शुमि:- (मेरे साथ लाइट कर) क्यू तुम्हाइन मज़ा नही आया.

मे: ये बात नही. इतना मज़ा तो मुझे सारी ज़िंदगी नही मिला. लेकिन अब अगर इतनी जल्दी इस से चुडवाया तो मे ज़रूर हॉस्पिटल पोहॉंच जाऊं गी.

शुमि:- चूड़ने क बाद ब कोई हॉस्पिटल पोहॉंचा है भला? ओरात की छूट तो वैसे ब कुँवा होती है. यकीन नही तो आज़मा लो. हाहहाहाहहा…

हम दोनो एक साथ लाइट गाए. मेने शुमि क बाज़ू पेर अपना सिर रख लिया. ओर शुमि क मुम्मो से खेलने लगी.

कुछ ही सेकेंड्स मे शुमि का लंड पूरी तरह से आकर गया. मे हेरात से उसको देखने लगी.

मे:- ये तो पूरी तरह से खरा हो गया है.

शुमि:- हन! लेकिन अभी तुम्हाइन नही छोड़ नही सकती. क्यू क तुम्हारी छूट सूज चुकी है.

मे:- कोई बात नही अगर सूज चुकी है. मे तुम्हारे लंड को पियासा नही चोर सकती.

शुमि:- समझा केरो मेरी जान. हम कल चुदाई कर लें गे. अब अगर तुम्हाइन छोड़ा तो तुम्हारी छूट का मज़ीद काबरा हो जाए गा.

मे:- अछा मेरी छूट की गर्मी तो दे सकती हो.

शुमि:- कैसे?

मे:- इसको मेरी छूट मे डाल दो.

शुमि:- मे समझी नही. तुम कहना काइया चाह रही हो.

मे उस क ओपेर ऑयेयी ओर उस क लंड को अपनी छूट पेर रख कर आहिस्ता आहिस्ता उस पेर बैठ गई. उसका पूरा लंड 2-3 मीं की कोशिश क बाद मेरी छूट मे घुस्स चुका था. मे शुमि क ओपेर लाइट गई ओर उस क होंठो को चूसने लगी. फिर उस ने करवट ले ली. अब सिचुयेशन ये थी क हम दोनो बेड पेर लेते हुआी थे, हम दोनो क चेहरे एक दूसरे क बिल्कुल पास थे. जब क नीचे उसका लंड मेरी छूट मे घुसा हुआ था. हम ऐसे ही एक दूसरे की बहो मे सो गाए.

सुबा होने तक हम सोते जागते रहे. जब मे तोरा होश मे आती तो कुछ धक्के लगा लेती. इसी तरह शुमि ब जब जागती तो कुछ धक्के मेरी छूट मे लगा लेती. इसी तरह छोड़ते, चुड़वते, सोते जागते हम सुबा 10ब्जे तक बेसूध बिस्तर मे घुसे रहे. 10ब्जे हमारे डोर पेर सायरा ने नॉक किया. शुमि ओर मे एक साथ जागे.

मे:- कों!

सायरा:- मम्मी मे हूँ. आप उठ जाइए. मे नाश्ता टायर कर रही हूँ.

सायरा ये कह कर चली गई. जब क मे ओर शुमि एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए. शुमि ने आगे बरह कर मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए. मेने ब उसका पूरा पूरा साथ दिया. शुमि मेरे ओपेर थी ओर उसका पूरा लंड अभी ब मेरी छूट मे फिट था. मेरी छूट उस क लंड क गिर्द खुद बा खुद फैल ओर सूकर रही थी जैसे उसको चूम रही हो. कुछ हम एक दूसरे को किस केरते रहे.

मे:- चलो अपने मूसल को बाहर निकालो. जेया कर फ्रेश होते हैं. आज तो नाश्ता ब लाते हो गया.

शुमि ने मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा. इस क बाद उस ने एक झटके मे अपना लंड बाहर खेंच लिया. मेरी छूट से ऐसी आवाज़ ऑयेयी जैसे किसी ने बॉटल का ढक्कन खोला हो. ओर साथ ही मेरी छूट ने पानी चोर दिया. जब क मेरे मू से ब हल्की सी चीख निकल गई. दर्द ओर मज़े की वजा से कुछ देर क लिए मेरी आँखो क सामने तारे नाचने लगे.

मुझे जब तक होश आया, शुमि बेड से नीचे उतार चुकी थी ओर मुझे अपनी बाज़ू मे उठा चुकी थी. उसकी ताक़त देख कर मुझे हेरनी हो रही थी. साथ ही मुझे दर्र ब था क वो मुझे गिरा ही ना दे. वो आराम से मुझे वॉशरूम मे ले ऑयेयी. हम दोनो अब एक साथ फ्रेश होने लगे. जब तक मेने अपने टीत सॉफ किए, तब तक वो वॉशरूम उसे केरती रही. इस क बाद हम ने जगा बदल ली. तब मेरी नज़र पहली बार अपनी छूट पेर पारी. मेरी छूट सूज चुकी थी ओर कई जगा से ज़ख़्मी ब हो चुकी थी. इस क एलवा उसका छोटा सा सूराख अब काफ़ी छोरा हो चुका था.

मेरे फ्री होने तक शुमि मेरे लिए बात टब मे पानी बना चुकी थी. खास टॉर पेर जिस से मेरी छूट को आराम मिले. हम दोनो एक साथ उस पानी मे बैठ गाए. शुमि इस डॉरॅन मेरी छूट से खेलती रही. ओर कोशिश केरती रही क मेरी छूट क अंदर तक पानी जाए ओर मुझे आराम मिले. उसका फ़ॉर्मूला काफ़ी हड्द तक काम कर रहा था. 10मीं पानी मे बैठने क बाद हम नहाए ओर अपने अपने कमरे मे आ गाए. मेरे जाने से पहले.

शुमि:- (मेरे कन मे) ब्लू कलर का ड्रेस पहें लेना ओर साथ मे ब्लू बॅंगल्स ब. तुम्हारी ड्रेसिंग पेर रखी हैं.

मे शर्मा कर अपने कमरे मे आ गाए. शुमि ने सच मे दर्द ब्लू कलर की बॅंगल्स वहाँ रखी हुई थीन. मेने अपना ब्लू ड्रेस, साथ मे मॅचिंग ब्रा ओर पनटी पहें लिया. इस क बाद हल्का हल्का मेकप कर क बॅंगल्स पहें लीन. आज बोहोट टाइम बाद बॅंगल्स मेरे कलाई मे सजी हुई थीन. इस क बाद मे बाहर आ गई. शुमि अभी नही ऑयेयी थी. सायरा ने मुझे देखते हुआी मेरे लिए चेर पीछे खिसका दी, जैसे मुझे प्रोटोकॉल दे रही हो. मे मुस्कुराते हुआी वहाँ बैठ गई.

सायरा:- मम्मी!

मे:- काइया हुआ?

सायरा:- आप खुश तो हो ना.

मे:- हाआँ! खुश हूँ. तुम्हाइन काइया लगता है?

सायरा:- मुझे ये लगता है क मुझे अपना कमरा नीचे शिफ्ट कर लेना चाहिए.

मे:- क्यू?

सायरा:- सारी रात आपकी चीखो से मुझे नींद ही नही ऑयेयी. इस लिए सोच रही हूँ क नीचे शिफ्ट हो जाऊं.

मे शरम से सिर झुका गई. सच ही तो था मेरी सूजी हुई छूट ओर बिग्री हुई चाल इस बात की गवाही दे रही थी क रात को मेरी छूट की खूब पिटाई हुई है.

सायरा:- वैसे शाम दाद कहाँ रह गाए?

मे:- (हेरात से) शाम दाद?

सायरा:- अब मे शुमि दाद तो नही कह सकती है. इस लिए शाम दाद.

ओर वो हहेहेहहे.. कर क हँसने लगी. मेने मासनोई गुस्सा से उसको देखा. फिर मेरे चेहरे पेर ब स्माइल आ गई. उसी वक्त शुमि ब वहाँ आ गई.

सायरा:- लीजिए आ गाए आप क शोहार जनाब.

इस क बाद वो वहाँ से अपने बेडरूम चली गई.

सायरा:- आप दोनो लोवे बर्ड्स ब्रेकफास्ट एंजाय कराईं. तब तक मे उनी की टायारी कर लेती हूँ. ओर हन शुमि! आपको ब मेरे साथ चलना हो गा. आज एग्ज़ॅम्स का शेड्यूल मिलना है. हाफ अवर मे में आपको मिलती हूँ.

ये कह कर वो कमरे मे चली गई. मे उसकी बात सुन्न कर शर्मा कर रह गई. आज मुझे नई नवेली दुल्हन जैसी फीलिंग आ रही थी. जैसे कोई नई नई दुल्हन अपने शोहार क साथ सुहग्रत मानने क बाद सुबा अपने सुसराल मे सब से शर्मा रही होती है, वैसी ही हालत मेरी ब थी.

मे अभी सिर झुका कर बैठी थी क शुमि ने मेरा हाथ पाकर लिया. मेने नज़रैयण उठा कर बोहोट मुश्किल से उसकी तरफ देखा तो उस ने मुझे अपनी गोड मे आने का इशारा किया. मेने ना मे अपना सिर हिलाया. लेकिन वो नही मानी. उस ने मुझे अपनी तरफ खेंच लिया. मे ब उठ कर उसकी गोड मे बैठ गई.

मे:- प्ल्ज़ चोर दो ना. ऐसे तो नही केरो.

शुमि:- क्यू? अब काइया परवा. घर मे ओर कोई है नही. जब क सायरा हमारे बारे मे सब जानती है.

मे:- फिर ब अछा नही लगता.

शुमि:- चोरो सारी बताईं. जल्दी से प्लेट मे खाना डालो बोहोट भूक लग रही है. फिर मेने उनी ब जाना है.

मेने प्लेट मे खाना डाला ओर हम दोनो एक दूसरे को खाना खिलाने लगे. कभी एक दूसरे से शेयर चार ब केरते. ऐसे ही हम ने ब्रेकफास्ट कर लिया. अभी मे शुमि गोड मे ही बैठी थी क वहाँ सायरा ब आ गई.

सायरा:- अगर आप दोनो लोवे बर्ड्स का नाश्ता ख़तम हो गया है तो हम यूनिवर्सिटी चलाईं?

मे उसकी आवाज़ सुन्न कर एक दूं शुमि की गोड से उठ कर साइड मे खरी हो गई. जैसे मेरी कोई चोरी पकरी गई हो. जब क शुमि मुस्कुराते हुआी उठ कर अपना समान लेने चली गई.

सायरा:- मों…! काइया हुआ?

मे:- (कन्फ्यूज़ हो कर) ववववूऊ…. कुछ नही…

सायरा:- मों! मे आपकी हालत समझती हूँ. मे सिर्फ़ आपको खुश देखना चाहती हूँ. आप को फिर से पहले वाली मों देखना चाहती हूँ जैसे आप दाद क साथ थीन. ओर शुमि की आप से मुहब्बत मेरे लिए कोई परेशन केरने वाली चीज़ नही है. बाल क मे तो आपको खुश देख कर खुश हूँ. इस लिए आपको शेयर रही हूँ.

इतनी देर मे शुमि ब आ गई. सायरा ओर शुमि यूनिवर्सिटी चले गाए जब क बर्तन समैट कर खाने की टायारी केरने लगी. सच मे में अपने अंदर अजीब सी खुशी महसूस कर रही थी. शाम तक सब लोग एक एक कर क वापस आ गाए. रात क खाने क बाद हम सब आराम केरने अपने अपने कमरे मे चले गाए. जब क मे किचन मे कम रही थी.

शुमि:- (मेरे पीछे आ कर) जल्दी आना! मे तुम्हारा वेट कर रही हूँ.

मे ये सुन्न कर शर्मा गई ओर हन मे सिर हिला कर रह गई. मे समझ गई थी क वो क्यू मुझे जल्दी आने का कह रही है. मे जल्दी जल्दी कम केरने लगी, फिर ब मुझे आधा घंटा लगा कम ख़तम केरने मे.

जब मे कमरे मे ऑयेयी तो मेरे बेड पेर एक निघट्य रखी हुई थी. मे समझ गई क ये मेरे लिए शुमि ने ही रखी है. मे पहले जा कर आचे से नहाई ता क दिन भर कम केरने से मेरे जिस्म से आने वाली स्मेल ख़तम हो जाए. उस क बाद मेने हल्का सा मेक-उप ब कर लिया.

कुछ ही मिनिट क इंतज़ार क बाद शुमि मेरे कमरे मे आ गई. मुझे देख कर उस ने सीटी मारी…. जैसे किसी हॉट लर्की को देख कर सड़क पेर चलते आवारा लरके सीटी मरते हैं, बिल्कुल वैसे ही. उसकी इस हरकत पेर मेने उसकी ओर देखा, वो मुझे ओपेर से नीचे ऐसे देख रही थी जैसे अभी खा जाए गी. मे शरम से आंखाईं नीचे कर लें. शुमि चलती हुई मेरे पास ऑयेयी. शुमि ने मुझे बहो मे भर लिया… हम दोनो क मुम्मे आपस मे टकरा गाए.

शुमि:- काइया कमाल लग रही हो मेरी जान. दिल केरता है तुम्हाइन खा जाऊं.

मे कुछ ना बोल सकी सिर्फ़ आआहह… भर कर रह गई.

शुमि:- (मेरे चूटरो को मसलते हुआी) मेरी जान! इजाज़त है. मे किस कर लून तुम्हाइन.

मे:- जब कल से हम दोनो एक हैं तो आगे बरहने क लिए इजाज़त क्यू? मुझे पेर अब से सिर्फ़ ओर सिर्फ़ तुम्हारा हक़ है.

शुमि:- मुझे अछा लगता है तुम से इजाज़त लेना. क्यू क उस वक्त तुम्हारे चेहरे का रंग बदल जाता है. जो मुझे एक अलग सा एहसास देता है.

मे:- तो काइया हेर बार इजाज़त लो गी?

शुमि:- हाआँ! हेर बार.

मे:- ओर अगर मे माना केरूँ तो…!

शुमि:- मे तुम्हाइन हाथ ब नही लगाऊं गी.

मे:- इतना पियर केरती हो मुझ से?

शुमि:- मे कितना पियर केरती हूँ, ये मे लफ़ज़ो मे नही बता सकती.

मे:- तो फिर मेरी तरफ से इजाज़त है तुम्हाइन. तुम जो चाहे कर सकती हो.

ये कह कर मेने खुद आगे बरह कर उस क होंठो से अपने होंठ मिला दिए. हम दोनो बोहोट रोमॅंटिक तरीके से एक दूसरे को किस केरने लगे. किस केरते केरते उस ने अपने कापरे उतार दिए, जब क मेरी निघट्य ब कुछ ही देर की मेहमान रही. ऑलमोस्ट 5 मीं मे हम दोनो बिस्तर पेर लेते थे. ओर आज फिर शुमि का लंड मेरी छूट फर्था हुआ मेरी छूट मे उतरता जा रहा था. उसका मोटा लंबा लंड मेरी छूट को पूरी तरह से खोल रहा था. जैसे ही उस क लंड ने मेरी बचा दानी को चोट की, मेरे मू से चीख निकल गई. क्यू क मुझे ऐसे लग रहा था जैसे उसका लंड मेरी बचा दानी क मू को खोले हुआ अंदर घुस्स रहा है. शुमि मेरी चीख सुन्न कर कुछ देर रुक गई. इस क बाद उस क धक्के शुरू हो गाए. इधर मेरी छूट से पाआककचहाआक्ककक प्प्प्पाआककचहाआक्ककक की आवाज़ आने लगी. जब क मेरे मू से आअहह… आअहह… की आवाज़ैईन निकल रही थीन. मेरी छूट मे अभी ब काफ़ी दर्द था. लेकिन लंड की रगर उस दर्द को भूलने पेर मजबूर कर रही थी. मेने अगले 5 मीं मे दो बार पानी चोर दिया. शुमि ने ये देख कर मुझे कुट्टिया बना दिया. ओर पीछे से लंड डाल कर मेरी छूट छोड़ने लगी.

कुछ देर धक्के मरने क बाद उस ने एक दूं से अपना लंड मेरी छूट मे एक धक्के से डाल कर रोक लिया. उस क इस धक्के से मेरे मू से चीख निकल गई. क्यू क उसका लंड एक बार फिर मेरी बचा दानी को चोट कर रहा था. मेरी गर्दन एक दूं ओपेर आसमान की तरफ हो गई. शुमि ने तब पीछे से मेरी गर्दन को पाकर लिया ओर एक बार फिर मुझे छोड़ने लगी. वो अब मेरे ओपेर झुकी हुई थी. उसकी गरम सनसाइन मुझे अपने कानो ओर गर्दन पेर महसूस हो रही थीन.

फिर उस ने मेरे चेहरे को अपनी तरफ किया ओर मेरे होंठो को चूसने लगी. मे ब उसका भरपूर साथ दे रही थी. तभी एक बार फिर मेरी छूट ने पानी चोर दिया. मे उसी तरह बिस्तर पेर गिर गई. लेकिन शुमि फिर ब नही रुकी. वो उसी स्पीड से मेरी छूट छोड़ती रही. मे एक बार फिर अपनी मंज़िल को तरफ चल पारी. यानी एक बार फिर मेरी छूट पानी चॉर्ने को बेचैन हो गई.

फिर शुमि ने मुझे करवट क बाल लिटाया ओर मेरी छूट छोड़ने लगी. वो साथ साथ कभी मेरे मुम्मो को मसल रही थी, तो कभी मेरे चूटरो पेर ठप्पर लगा रही थी. तो कभी मुझे किस कर रही थी. हम दोनो ना जाने कब तक ओर किस किस पोज़िशन मे चुदाई केरते रहे. जब शुमि झारी तो उस वक्त मे 12 बार झार चुकी थी. हम दोनो की सनसाइन इतनी तेज़ चल रही थीन जैसे कई मील भाग कर आए हूँ. हम अपनी सनसाइन ठीक केरते हुआी एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे. अभी हम एक दूसरे को चूम ही रहे थे क मेरी नज़र शुमि क लंड पेर पारी. जो एक बार फिर पूरी तरह से खरा था ओर झटके ले रहा था.

मे :- ये तो फिर से टायर हो गया.

शुमि:- हन! ये ऐसे ही है. बोहोट जल्द रेडी हो जाता है.

मे:- हन वो तो दिख रहा है.

शुमि:- तो सवारी केरना चाहो गी!

मे:- खुशी से.

ये कह कर मे उसकी गोड मे बैठ गई. ओर उसका लंड अपनी छूट मे ले कर उछालने लगी. एक बार फिर हमारी चुदाई चल पारी. 10 मीं, 15मीं, 20मीं… लेकिन हमारी चुदाई नही रुक्क रही थी. इधर मेरी छूट अंदर ही अंदर से चिल रही थी. मे उसका लंड बर्दाश्त नही कर पा रही थी लेकिन मे उसको रोक ब नही रही थी. लेकिन फिर शुमि एक दूं से रुक्क गई. वो हेरात से अपने लंड को देख रही थी जिस पेर खून की लकीर सॉफ नज़र आ रही थी. उस को एहसास हो गया क ये खून मेरी छूट से निकल रहा था. उस ने फॉरन चुदाई रोक दी ओर मुझ से माफी माँगते हुआी मुझे किस केरने लगी. साथ ही साथ उसकी आँखो से आँसू बह रहे थे.

मे:- काइया हुआ जान! क्यू रो रही हो!

शुमि:- तुम अंदर से ज़ख़्मी हो. मेने तुम्हाइन ज़ख़्मी कर दिया है. मे बोहोट बुरी हूँ. मुझे माफ़ कर दो.

मे:- अरे कुछ नही होता. मे ठीक हूँ.

शुमि:- नही….! देखो. तुम कैसे तीएक हो? तुम्हारी छूट का खून मेरे लंड पेर लगा है.

मे:- अछा अछा तीएक है. लेकिन तुम्हारी घालती नही. मुझे तुम्हाइन बता देना चाहिए था, रुकने का कहना चाहिए था. लेकिन मेने नही रोका.

शुमि:- लेकिन मुझे सोचना चाहिए था. मे बिना तुम्हारा ख़याल किए तुम्हाइन छोड़ रही हूँ.

मे:- कोई बात नही. मे तीएक हूँ.

मेने बोहोट मुश्किल से उसको चुप केरवाया. कुछ देर बाद मुझे एहसास हुआ क उसका लंड अभी ब खरा है. क्यू क वो फारिघ् नही हुई थी. मेने उसका लंड मू मे भरना चाहा तो उस ने रोक दिया.

शुमि:- नही!!!! ऐसा नही केरो.

मे:- क्यू ना केरूँ?

शुमि:- मेने पहले ब तुम्हाइन बोहोट दर्द दिया है. मेरा लंड बोहोट मोटा है, तुम मू मे नही लो. तुम्हाइन तकलीफ़ हो गी.

मे:- सस्स्स्स्स्स्स्शह…… चुप कर क लेती रहो. ओर अब मुझे अपना कमाल दिखाने दो.

ये कह कर मेने उस क लंड पेर ढेर सारा थूक फैंक दिया. ओर उस क लंड को दोनो हाथो से मसालने लगी. ओपेर नीचे ओपेर नीचे. साथ ही साथ मे उस क लंड को चूस रही थी. उसका लंड ज़ियादा से ज़ियादा 3 इंच ही मेरे मू मे जा रहा था. मुझे उसका लंड ऐसे महसूस हो रहा था जैसे कोई गरम पठार हो. फिर मेने उस क लंड क नीचे टेन्निस साइज़ क टट्टो को चूसना ओर चाटना शुरू कर दिया. शुमि क मू से आआअहह…. आआअहह…. की आवाज़ैईन गूँज रही थीन. वो इस सब को खूब एंजाय कर रही थी.

कुछ देर बाद मेने उस क लंड को अपने दोनो मुम्मो मे फँसा लिया. ओर ओपेर नीचे होते हुआी उस क लंड को छोड़ने लगी. उस क लंड की टोपी पेर मे अपनी ज़बान चलती. कभी उस क लंड को मू मे ले कर चूस लेती तो कभी उस क टट्टो को सहलाती. काफ़ी देर तक बदल बदल कर मे ये सब केरती रही. लेकिन ज़ाहिर है, शुमि का स्टॅमिना इतना ज़ियादा था क वो अभी ब नही झारी थी. तभी मुझे कुछ ख़याल आया. मेने एक दूं से उसकी टॅंगो को ओपेर उठाया ओर उस क लंड को मसालते हुआी उसकी गंद को चाटना शुरू कर दिया.

शुमि का जिस्म पूरी तरह से कांप गया. वो मुझे रोकने लगी क मे उसकी गंद को ना चातून, वो गंदा सूराख है एट्सेटरा. लेकिन मे नही रुकी. मे दीवाना वॉर उस क टट्टो ओर गंद पेर अपनी ज़बान का जादू चलती रही. मेरी मेहनत रंग ले ऑयेयी ओर कुछ ही देर मे शुमि झरने क क़रीब पोहॉंच गई. एक दूं से उस क मू से आआअहह…. की आवाज़ निकली ओर उस क लंड से निकली माननी उस क मुम्मो ओर पायट पेर फैलने लगी. मे उसका लंड मसालती रही ता क वो आचे से फारिघ् हो जाए. दो मिनिट तक वो झरती रही, जब मेने उस क लंड को छोरा तो उस क पायट ओर सीने पेर उसकी माननी फैली हुई थी.

मेने बिना देर किए आगे बरह कर उस क सीने ओर पायट को चाटना शुरू कर दिया. कुछ ही देर मे उस क जिस्म पेर माननी का कोई नामो निशान बाकी नही रहा. मुझे ऐसा लग रहा था क जैसे मेरा पायट भर गया है. जैसे खाना खाने क बाद होता है. इस क बाद हम दोनो एक साथ लाइट गाए ओर बताईं केरने लगे. कुछ ही देर मे हम दोनो एक दूसरे की बाहों मे सुकून से सो गाए….

अब येई रुटीन चल पारी. रोज़ रात को मे ओर शुमि एक साथ सोते. शुमि मेरी जम्म कर चुदाई केरती, जिस क बाद हम एक दूसरे की बाहों मे सो जाते. लेकिन जब शुमि क एग्ज़ॅम्स क़रीब आए तो मेने उसको चुदाई क लिए माना कर दिया. मेरा कहना मानते हुआी शुमि ने अपना पूरा फोकस परह पेर कर दिया. वो ओर सायरा एक साथ बैठ कर स्टडी केरते. एग्ज़ॅम्स क डॉरॅन एक दो दफ़ा शुमि ने मुझसे शिकवा किया.

शुमि:- काइया हुआ मेरी जान? मुझ से नाराज़ हो काइया?

मे:- नही तो….!

शुमि:- फिर तुम मुझे अपने पास क्यू नही आने देती?

मे:- मे जानती हूँ मेरी जान क मे तुम से दूरी बनाए हुआी हूँ. लेकिन मेरी मजबूरी को समझो. मे चाहती हूँ क तुम सब कुछ भूल कर अपना पूरा टाइम स्टडी पेर दो.

शुमि:- लेकिन ये तो ज़ुल्म है ना मेरे साथ.

मे:- मेरी जान! मे सिर से पाऊ तक तुम्हारी हूँ. जब चाहे जैसे चाहे मुझ से दिल बहलाओ. मुझे कोई ऐतराज़ नही. बस मे ये चाहती हूँ क मेरी वजा से तुम्हारा रिज़ल्ट खराब ना हो. अगर मेरी वजा से तुम्हारा एक मार्क ब कम होता है तो मुझे उसका अफ़सोस रहे गा. इस लिए मे तुम से रिक्वेस्ट केरती हूँ क जब तक एग्ज़ॅम्स ख़तम ना हूँ, तुम खुद पेर कंट्रोल रखो. जिस दिन तुम लास्ट पेपर दे कर आऊ गी, उस रोज़ जितना मर्ज़ी मुझे छोड़ लेना.

शुमि:- मे तुम्हारी बात समझ गई मेरी जान. थॅंक योउ. ई लोवे योउ….

ओर इस क साथ ही उस ने मेरे होंठो पेर किस कर दिया. हम दोनो कुछ देर तक एक दूसरे क होंठो का रस्स चूस्ते रहे, इस क बाद हम अलग हो गाए. शुमि अपने कमरे मे चली गई.

इस क बाद शुमि क पेपर्स ख़तम होने तक कुछ खास ना हुआ. जिस रोज़ उसका लास्ट पेपर था, उस दिन मे ने खुद को पूरी तरह से टायर कर लिया. अपने चेहरे से नीचे हर जगा से बाल सॉफ कर लिए. अपनी छूट को इतना चिकना ओर स्मूद बाबा लिया, जैसे वो कोई रनवे हो ओर उस पेर जहाज़ ने लॅंड केरना हो. हहेहेहहे….

रात क खाने क बाद सब अपने अपने कमरो मे चले गाए. मे किचन मे कम केरने लगी. तभी मुझे लाउंज मे से सायरा की आवाज़ सुनाई दी जो शुमि से कह रही थी.

सायरा:- यार शुमि! तुम्हारा तो पता नही, लेकिन मुझे पता नही आज क्यू बोहोट ज़ोर की नींद आ रही है. मे तो चली सोने क लिए.

ये बात उस ने इतनी ओँची आवाज़ मे कही क मे सॉफ टॉर पेर सुन्न सकती थी. हालान क अगर वो चाहती तो ये बात आराम से ब कह सकती थी. ये कह कर सायरा वहाँ से अपने कमरे मे चली गई. इधर मे शरम क मारे सिर झुका कर रह गई. मेरी अपनी ही बेटी क मू से इस तरह की बताईं सुन्न कर मुझे अजीब ब लगता ओर एग्ज़ाइट्मेंट ब होती.

मे जब कम ख़तम कर क अपने कमरे मे ऑयेयी तो वहाँ शुमि पहले से बैठी थी. जो पूरी नंगी थी ओर मेरे बेड बैठी अपने लंड को सहला रही थी. मे उसको देख कर चोंक गई. मुझे यकीन नही था क वो यहाँ हो गी.

मे:- सबर नही हुआ ना तुम से?

शुमि:- अरे मेरी जान! मेरा बस चले तो दिन रात तुम्हारी छूट चुदाई केरती रहूं… अब जल्दी से आऊओ! मे ओर मेरा लंड दोनो बोहोट बेचैन हैं.

मे:- (उसको चेरते हुआी) क्यू बेचैन हैं?

शुमि:- तुम्हारी जवानी का रस्स चूसने क लिए. अब जल्दी से आऊ मेरे पास.

मे:- बस 5मीं. मे फ्रेश हो कर आती हूँ.

शुमि:- 5मीं का मतलब 5मीं. इस से ज़ियादा नही…! वरना मे बातरूम मे आ कर तुम्हारी चुदाई कर डून गी.

मे उसकी बात सुन्न कर जल्दी से वॉशरूम चली गई ओर फ्रेश होने लगी. अभी मे नहा ही रही थी क वॉशरूम का दरवाज़ा खुला ओर शुमि अंदर आ गई. उस ने आते ही मेरे होंठो को चूसना शुरू कर दिया. कुछ ही सेकेंड्स मे हमारी ज़बनाईं एक दूसरे से टकरा रही थीन. शुमि क हाथ मेरे चूटरो को सहला रहे थे. साथ ही कभी वो हल्का सा ठप्पर ब लगा देती. जिस से मेरी मस्ती बरह रही थी. इधर शवर का ठंडा पानी हमारे जिस्मो की आग कम केरने क बजाए बरहा रहा था. अब हम दोनो क हाथ एक दूसरे क मुम्मो से खेल रहे थे.

एक दूसरे क निपल्स को खेंचते, मुम्मो को नोचते, हमारी किस चलती रही. नीचे उसका लंड मेरी छूट पेर रगर खा रहा था. मे उस क लंड को सहलाने लगी. उसका लंड आज कुछ ज़ियादा ही गरम लग रहा था. ओर बार बार झटके ब ले रहा था. शुमि मेरी दोनो टॅंगो क दरमियाँ बैठ गई ओर मेरी छूट को चूसने चाटने लगी. उसकी लंबी ज़बान मुझे जन्नत की सैर केरवा रही थी. कुछ ही देर मे उस ने मुझे पानी चॉर्ने पर मजबूर कर दिया. मेरी छूट का सारा रस्स चाटने क बाद उस ने मुझे किस केरना शुरू कर दिया. अब मेरी बरी थी, अपनी जान, अपने सेकरीट गर्ल+ बॉय फ्रेंड को खुश केरने की. मेने आहिस्ता आहिस्ता नीचे झुकने हुआी पहले उसको मुम्मो को आचे से चूसा. ज़ाहिर है मेरे लिए ये कुछ अजीब था, लेकिन मेरे लिए काफ़ी मज़ेदार ब था. इस क बाद उस क फ्लॅट पायट को चाटते हुआी मे नीचे फर्श पेर बैठ गई.

अब मेरी आँखो क सामने उसका मोटा लंबा लंड था. जो झटके मरता इतना खोफ़ नाक लग रहा था क जैसे अभी अपने शिकार पेर झपट परे गा. मेने उस क लंड को मू मे भर लिया. ठंडे ठंडे पानी से भीगा उसका लंड मेरे मू मे बस 3-4 इंच ही जा सका. इस से ज़ियादा अंदर लेने की कोशिश केरती तो मुझे वॉमिट सेइज़ओेन होने लगती. शुमि ब इस चीज़ को आचे से समझती थी क उसका लंड काफ़ी मोटा है. वो मेरी चूसा का मज़ा ले रही थी.

कुछ देर ऐसे ही मज़ा लेने क बाद शुमि ने मुझे ओपेर उठाया ओर मेरे मुम्मो को दबाते हुआी मुझे किस केरने लगी. हम दोनो एक दूसरे मे गुम हो गाए. हमैन पता ही नही चला क कब हम आहिस्ता आहिस्ता चलते हुआी अपने बेडरूम मे आ गाए. मुझे तब पता चला जब मे नरम नरम बिस्तर पेर लेती. शुमि मेरी छूट पेर अपने लंड से निशाना लगा कर मेरे ओपेर झुक गई. कुछ पॅलो मे मेरे मू से एक चीख निकली जो शुमि क मू मे घयब हो गई. इस क बाद अगले 2 घंटे तक मेरे बेडरूम मे वो तूफान आया जिस क बारे मे आप खुद अंदाज़ा कर सकते हैं.

शुमि ने सब से पहले तो मुझे कुट्टिया बना क छोड़ना शुरू किया. आज उस क धक्के इतने शदीद क़िस्म क थे जैसे कोई इंसान किसी चीज़ पेर हाथोरे से वार केरता है. उस क धक्को से मेरी कमर मे दर्द हो रहा था. मुझे ऐसे लग रहा था क अभी मेरी कमर टूट जाए गी. लेकिन मुझे मज़ा ब खूब आ रहा था. मेरी छूट ब उतना ही पानी बहा रही थी. हमारी चुदाई से कमरे मे प्प्पाआक्ककच… प्प्प्पााक्ककच… की आवाज़ आ रही थी ओर हमारे जिस्म टकराने से कककचाआटत्त्ताअक्ककक कककचाआत्त्ताअक्ककक की आवाज़ आ रही थी. जब क मेरे मू से चीखाईं निकल रही थीन. जिस को रोकने की या अपनी रफ़्तार कल केरने की शुमि ने ज़रा ब कोशिश नही की. उस ने मुझे उसी तरह से छोड़ना जारी रखा. जब मे एक बार झार गई तो उस ने मेरी छूट से लंड निकल लिया ओर मुझे सीधा लिटा कर वापस मेरी छूट ने लंड पेल दिया.

अब की बार वो मेरे ओपेर झुक कर मेरी आँखो ने देखते हुआी मेरी छूट चुदाई केरने लगी. उस क माथे पेर पसीना आने लगा था. मुझे उस पेर बोहोट ज़ियादा प्यार आ रहा था. मे अपने हाथो से उस का पसीना सॉफ केरने लगी. शुमि मेरी हरकत पेर मुस्कुरा उठी. उस ने नीचे झुक कर मेरे मुम्मो को ज़ोर से छोड़ना शुरू कर दिया. मेरे मू से आअहह.. आअहह… की आवाज़ैईन निकालने लगी. जब क मे उस क बालो को सहलाने लगी.

जब मेने देखा क शुमि तक रही है तो मेने उस को लिटा दिया. ओर उस क लंड को मू मे भर कर चूसना शुरू कर दिया. उसका लंड मेरी छूट क पानी से भीगा हुआ था. जब क उसकी गर्मी इतनी थी जैसे मेरे मू को जला दे गी. मेने कुछ देर मे उस क पुर लंड से अपना छूट रस्स सॉफ कर दिया.

शुमि ने अपने जाँघो पेर छपत लगाई जैसे मुझे ओपेर बैठने का कह रही हो. उस का लंड एफेल टवर की तरह सीधा छत की तरफ मू किए खरा था. जैसे ही मे उस क लंड पेर बैठने लगी तो उस ने मुझे पाऊ की तरफ मू कर क बैठने का कहा. मे उस का इशारा समझ कर उस क पाऊ की तरफ मू कर क उस क लंड पेर बैठने लगी. यानी रिवर्स कॉवगिरल पोज़िशन मे. उस का लंड आहिस्ता आहिस्ता मेरी छूट मे उतार रहा था. जो मुझे काफ़ी दर्द दे रहा था. अभी मेने आधा लंड ही लिया था क शुमि ने नीचे से धक्का मारा. एक झटके मे प्प्प्पाआककचह की आवाज़ क साथ उसका पूरा लंड मेरी छूट मे उतार गया. जब क मेरे मू से एक ज़ोरदार चीख निकल गई. जिस को सुन्न कर शुमि हँसने लगी.

मे:- (थोरे गुस्से से) तुम सबर नही कर सकती? मे तुम्हारा मूसल ले रही थी ना.

शुमि:- तो मे ब तुम्हारी मदद कर रही थी.

मे:- इस तरह से मदद केरते हैं काइया? पता है कितना दर्द हो रहा है?

शुमि:- कोई बात नही! कुछ डॅमेज तो नही हुआ ना. मज़ा ही आया है तुम्हाइन.

मे:- तुम्हाइन काइया पता क मेरी काइया हालत है. तुम्हारी गंद मे लंड जाए तो पता चले तुम्हाइन.

शुमि:- हाहहाहा… अछा सॉरी! मुझ से सबर नही हुआ. तुम्हारी छूट की गर्मी मुझे पागल कर रही थी. इस लिए ऐसे किया. अब जल्दी से अपनी छूट छोड़ो. वरना मे आज तुम्हारी कंवारी गंद खोल डून गी.

मे:- (आहिस्ता आहिस्ता उस क लंड पेर उछालने हुआी) तुम्हारा दिल कर रहा है तो मेरी गंद ब मार लो. अब तो मेरे जिस्म पेर सिर्फ़ ओर सिर्फ़ तुम्हारा हक़ है.

शुमि मेरी बात से बेहद खुश हो गई. ओर मेरे चूटरो को मसालने लगी. जब क मे आहिस्ता आहिस्ता ओपेर नीचे होते हुआी चुदाई का मज़ा लेने लगी. मुझे ऐसे लग रहा था जैसे शुमि का लंड मेरी बचा दानी को चोट कर रहा है. जब उसका का लंड बाहर निकलता तो मुझे ऐसे महसूस होता जैसे उसका लंड मेरी छूट को ब अपने साथ बाहर की तरफ खींच रहा है ओर जब उसका लंड अंदर जाता तो मेरी छूट को अंदर की तरफ जाती. उस क लंड ने जैसे अंदर से मेरी छूट को लॉक कर रखा था. ये ऐसी चीज़ थी जिस को ने बता नही पा रही थी. बस मस्ती मे आंखाईं बंद किए आआहह…. ऊऊहह…. की आवाज़ैईन निकल रही थी.

कुछ देर बाद मेरी छूट ने पानी चोर दिया. मे आंखाईं बंद कर क लंबे लंबे सांस लेने लगी. तभी शुमि ने मुझे पीछे की तरफ खेंच लिया. मे उस क सीने पेर गिर सी गई. उस क गोल गोल मोटे मोटे मुम्मे मुझे अपनी पीठ पेर सॉफ महसूस हो रहे थे. उस ने मेरा चेहरा अपनी तरफ किया ओर मेरे होंठो को चूसने लगी. साथ ही उस ने अपनी दोनो घुटनो को ओपेर उठा लिया. ओर पाऊ बेड पेर रख दिए. अब वो नीचे से धक्के लगाने लगी. उस क धक्को से एक बार फिर मेरी छूट अपना रस्स बहाने लगी. मेने बाद मे पारहा, इस पोज़िशन को नेल्सन पोज़िशन कहते हैं.

शुमि तेज़ी से मुझे इस पोज़िशन मे छोड़ रही थी. जब क उस क दोनो हाथ मेरे नाज़ुक मुम्मो को मसल रहे थे. कभी वो मेरे निपल्स को खेंचती. मुझे दर्द तो हो रहा था लेकिन मस्ती ब हेर लम्हे क साथ साथ बरह रही थी. तभी शुमि ने अपना एक हाथ नीचे ले जा कर मेरे छूट क दाने को रगर दिया. उस क ऐसे केरने ने से बार फिर मेरी छूट से पानी बह निकला. अब तक मे कितनी बार झारी, मेने अब गिनती ही चोर दी थी.

इस क बाद हम दोनो फ्रेश हुआी ओर आपस मे बताईं केरते हुआी रेस्ट केरने लगे. अब हमारा वक्त ऐसे ही गुज़रने लगा. मेरे दोनो बिटो क सामने हम एहतियात केरते, लेकिन जब वो ना होते तो हम दोनो एक रोमॅंटिक कपल की तरह रहते. सायरा तो सब कुछ जानती थी ओर उसको कोई ऐतराज़ नही था. वो हम दोनो को खुश देख कर खुश होती.

अगले एक साल तक शुमि हमारे घर रही, ओर हम रोमॅंटिक कपल ही रहे. अब मुझे लगने लगा था क मेरे दोनो बिटो को शायद मुझ पेर शक हो गया है. क्यू क उनकी नज़रो मे कुछ सवाल थे जो वो हमारे रिश्ते की वजा से नही पूच पा रहे थे. ओर मे इन सवालो को महसूस कर रही थी. ऐसी ही कुछ बताईं सायरा ने ब मुझ से कही थीन.

तब मेने एक मुश्किल फ़ैसला किया. मेने अपने शोहार से मिली सब प्रॉपर्टी अपने बचो मे डिवाइड कर दी. ओर खुद समान बाँध कर शुमि क साथ चल दी. उन सब क लिए मेने एक लेटर चोर दिया जिस मे मेने सॉफ सॉफ लिख दिया क मे ओर शुमि एक हो कर रहना चाहते हैं. जो वहाँ रह कर पासिबल नही. क्यू क लोग हुमारे बारे मे ऐसी बताईं कराईं गे जो मेरे बचो क लिए झेलना मुश्किल हों गी. इस लिए बेहतर है क मे सब कुछ चोर कर चली जाऊं. क्यू क मेरे घयब होने क बाद लोग कुछ दिन बताईं कराईं गे लेकिन फिर सब कुछ भूल जाएँ गे.

2 दिन बाद एक होटेल क कमरे मे:-

मे नंगी शुमि की बाहों मे लेती हुई थी. हम दोनो अभी अपनी सनसाइन ठीक कर रहे थे. तभी लोकल न्यूज़ शनेल पेर एक न्यूज़ चली.

“3 बचो की मा अपने बचो को चोर कर चली गई. मा ने कहा क मुझे ढूँदने की कोशिश ना की जाए.”

इस क साथ ही मेरा नाम स्क्रीन पेर आने लगा. लेकिन मेरी कोई तस्वीर नही थी. मेरे बचे शायद इस बात को आचे से समझते थे. ओर ज़ियादा लोगो को बताने ओर बदनामी क दर्र से उन्हो ने मेरी तस्वीर को पब्लिक नही किया.

खैर! अब मे शुमि क साथ खुश हूँ. ओर अब हम दोनो की कोशिश है क हम दोनो क बचे हो जाएँ. देखते हैं क आने वाली हमैन काइया काइया रंग दिखती है. मे ये ब जानती हूँ क शायद आप सब को ये लगे क मेने घालत लगे क अपने लिए अपने बचो को चोर दिया, उनकी परवा नही की. ओर शायद मुझे ऐसा नही केरना चाहिए था. लेकिन आप सब ये ब समझाईं क एक ओरात क लिए मुहब्बत, इज़्ज़त ब इंपॉर्टेंट होती हैं. इस लिए कई लरकिया ओर ओर्टाईन इसी राह को चुनती हैं. क्यू क उनको पियर, मुहब्बत घर मे नही मिलता, घर से बाहर मिलता है.

उमीद है आप सब को मेरी ये कहानी पसंद ऑयेयी हो गी. मिलते हैं जल्द ही एक नए अड्वेंचर क साथ.

बाइ.
 
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