आज मैं दोस्तों आपको नर्मी नाम की कामुक लड़की की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसकी चुत पर मैंने अपने लंड से अपना नाम लिखेने की ही कसम खा ली थी | दोस्तों वो मेरे ऑफिस के कार्यालय के सामने वाले ही एक मकान में रहा करती थी और मेरे हिसाब से वही उसका घर भी था | दोस्तों मेरे सभी सहयोगी हमेशा उसे देखा करते थे और आपस में उसके बदन की तारीफ़ करते हुए बतियाते रहा करते थे | मुझसे भी अब उसे बिना देखे रहा नहीं जाता था और मैं भी उसके हसीं अब्दं को कभी कभी देख लिया करता था | एक दिन मैं अपने ऑफिस में ओवर टाईम कर रहा था और देखा की मेरे सभी सहयोगी वहाँ से जा चुके थे |
मैं नर्मी की तरफ देखा तो वो अपनी बालकोनी में चाय पी रही थी और मैंने भी उससे अपनी खिडकी से इशारा कर कहा की मैं उसके साथ चाय पीने आ सकता हूँ . .?? उसने मुझे कामुक मस्ती भरी मुस्कान दी और हामी भरते हुए गर्दन हिला दी | मैंने कुछ ही पल में अपने ऑफिस का काम खतम कर उसके घर जा पहुंचा और देखा की वो भी घर में अकेली ही थी | अब चाय पीते हुए बता करने पर पता चला की उसका पति काफी बरस पहले उसे छोड़ के जा चूका है | सुनके मुझे ग्फंदा लगा और मैंने कहा की चलो कोई बात नही मैं हूँ न . .!!
मैंने उसे एक दोस्त के नाते कहा उसने कुछ और हू समझ लिया | वो कहने लगी तुम मुझे वो सुकून दे सकते हो जो मेरा पति न दे सका . .?? मैं उसकी शक्ल देखता ही रह गया . . .और अचनक से फटाफट अपने कपड़ों को हीरो की तरह उतार उससे जा लिप्त | मैंने उसकी नाईटी को पीछे से उतरा दिया जिससे उसके नंगे मोटे चुचे मेरे सामने ही आ गए | मैं नर्मी के चुचों को अपने मुंह में दबाकर पीने लगा और उसके रसीले होठों को मज़े में चूसने लगा | मैं तो चुदाई के लिए तैयार ही था और जब हम दोनों नंगे पड़े हुए थे तो वो भी चुत को खुजाती हुई तैयार हो चली | मैंने हथेली उसकी चुत पर अपने लंड को मसलते हुए उसे चूमना चलाऊ कर दिया |
मैं कभी लंड उस कामुक लड़की की कामुक चुत के दाने पर रगड़ने लगता तो हल्का सा कभी उसकी चुत के छेद में | अब मैं जोश में ही था तो मैंने उसकी चुत को उप्पर लंड मसलते हुए लंड को उसकी चुत में दे ही डाला | मेरे लंड के धक्कों की तेज़ी उसकी सीत्कारें निकलती हुई रुक नहीं रही थी और वो मूनमूनमुनाते हुए अपनी चुत को बराबर मसल रही थी | मैंने अपने दोनों हताह अपनी कमर पर रख डाले और ज़ोरदार शोट उसकी चुत में अपने लदं के देने कगा | इसी तरह मैं बिना रुके ४० मिनट तक उसकी चुत को चोदता रहा और जब वहीँ झडके के निढाल हुआ तो घर जाने की हालत में भी नहीं था | अब मैंने उसे अपनी रखेल बना लिया था और कभी भी अपने ऑफिस से कल्टी मार उसकी चुत के साथ अपने लंड का खेल खेलता था |
मैं नर्मी की तरफ देखा तो वो अपनी बालकोनी में चाय पी रही थी और मैंने भी उससे अपनी खिडकी से इशारा कर कहा की मैं उसके साथ चाय पीने आ सकता हूँ . .?? उसने मुझे कामुक मस्ती भरी मुस्कान दी और हामी भरते हुए गर्दन हिला दी | मैंने कुछ ही पल में अपने ऑफिस का काम खतम कर उसके घर जा पहुंचा और देखा की वो भी घर में अकेली ही थी | अब चाय पीते हुए बता करने पर पता चला की उसका पति काफी बरस पहले उसे छोड़ के जा चूका है | सुनके मुझे ग्फंदा लगा और मैंने कहा की चलो कोई बात नही मैं हूँ न . .!!
मैंने उसे एक दोस्त के नाते कहा उसने कुछ और हू समझ लिया | वो कहने लगी तुम मुझे वो सुकून दे सकते हो जो मेरा पति न दे सका . .?? मैं उसकी शक्ल देखता ही रह गया . . .और अचनक से फटाफट अपने कपड़ों को हीरो की तरह उतार उससे जा लिप्त | मैंने उसकी नाईटी को पीछे से उतरा दिया जिससे उसके नंगे मोटे चुचे मेरे सामने ही आ गए | मैं नर्मी के चुचों को अपने मुंह में दबाकर पीने लगा और उसके रसीले होठों को मज़े में चूसने लगा | मैं तो चुदाई के लिए तैयार ही था और जब हम दोनों नंगे पड़े हुए थे तो वो भी चुत को खुजाती हुई तैयार हो चली | मैंने हथेली उसकी चुत पर अपने लंड को मसलते हुए उसे चूमना चलाऊ कर दिया |
मैं कभी लंड उस कामुक लड़की की कामुक चुत के दाने पर रगड़ने लगता तो हल्का सा कभी उसकी चुत के छेद में | अब मैं जोश में ही था तो मैंने उसकी चुत को उप्पर लंड मसलते हुए लंड को उसकी चुत में दे ही डाला | मेरे लंड के धक्कों की तेज़ी उसकी सीत्कारें निकलती हुई रुक नहीं रही थी और वो मूनमूनमुनाते हुए अपनी चुत को बराबर मसल रही थी | मैंने अपने दोनों हताह अपनी कमर पर रख डाले और ज़ोरदार शोट उसकी चुत में अपने लदं के देने कगा | इसी तरह मैं बिना रुके ४० मिनट तक उसकी चुत को चोदता रहा और जब वहीँ झडके के निढाल हुआ तो घर जाने की हालत में भी नहीं था | अब मैंने उसे अपनी रखेल बना लिया था और कभी भी अपने ऑफिस से कल्टी मार उसकी चुत के साथ अपने लंड का खेल खेलता था |