कामुक लड़की के बदन का दीवानापन

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कुछ करीब दो महीने पहले मेरी आसीन नाम की कामुक लड़की से काम के सिलसिले में मुलाकात हुई जोकि एक नंबर की माल थी | वो दिखने में तो एक दम गोरी थी | उसके पास दो मोटे - मोटे चुचों की भरमार थी और मटकती चाल का दीवाना मुझे बना दिया था | मैं तो देखते ही उसपर फ़िदा हो गया और उसी शाम में उससे बात आगे भी बढ़ा ली | मैं उसके बदन की ताकत के तौर पर इतना फ़िदा हो चूका था की उसे होटल में खाना खिलाने के बहाने और अपने साथ कुछ समय बिताने के बहाने ले गया | वहाँ मैं उसके बदन और उसकी जवानी की खूब तारीफ़ करने लगा जिसपर आसीन भी शर्मा जाती और समझती भी थी मैं उसकी चुत के लिए इतने मेहनत कर रहा था |

उसके बाद हम अंदर अपने कमरे में गए ऐसे ही थोड़े समय को बिताने पर उसे क्या पता थी मैंने इतना पागल हो चुका हूँ उसकी चुत को लेकर | मैंने पल में ही उसकी नशीली आँखों में खोते हुए उसके लबों को चूम लिया करता जिसपर वो भी शर्मा जाती | मेरा मुड अब एक दम हवस की चरम सीमा पर चढता हुआ था जिसपर मेरा कोई काबू नहीं था | मैं अब उसे ताकते हुए बहाने अपनी उंगलियों से सहलाने लगा | अब आसीन भी गरमाने लगी और उसके रोम - रोम खड़े हो गए | मैं जानता था की अब मैं आर्म से चुम्मा चटाई के पड़ पर चल सकता हूँ और इसीलिए मैंने अब उसके बांह को अपने लबों के चुम्मों से खिला दिया | मैं अब रुकने नहीं वाला था, तभी उसके उसके होंठ से अपने होंटों को सटा लिया और फिर मुंह में लबालब भरते हुए उसके होटों को चूमने लगा |

अब वो भी तैयार हो चुकी थी और मैं अपनी जुल्फों को को मुझपर भिकेरते हुए उसके सारे कपड़ों को खोलने लगा | आसीन शर्मा रही ही थी के पर मैं उसके चुचों को अपने हताहों में मसल रहा था जिसपर वो भी एकदम खुल चुकी थी और अपने तन बदन पे मुझे मंडराने दिया | आसीन की पैंटी को मैंने बिस्तर पर छडाते हुए निकाल डाला था और मेरी उंगलियां अब उसकी चुत के मुहाने की ओर बढ़ रही थीं | आसीन के बड़े - बड़े चुत के बाल भी थे जिसमें मैं अपनी उँगलियों को बार - बार गुम कर रह था | मैंने कुछ देर बाद उसकी पैंटी भी उतार दि और उसकी चुत में अपनी उँगलियों की तेज़ी भी बड़ा कर उसे महोत कर दिया | मैंने अब बस अपने लंड निकाल अपने हताह में मुठी भरने लगा, और अचानक उसकी मस्तानी चुत में दे मारा |

मेरा लंड उस कामुक लड़की की चुत में घुसा ही था की वो तभी ज़ोरों से सिसकारियां भरने लगी और इशार - उधर झटपटाने लगी | मैंने तभी उसकी नरम झांघों को भींचते हुए खूब जोर - जोर के झटके लगाने शुर कर दिया था | मैंने फिर कुछ पलों में उसकी चुत पागलों की तरह चोद रहा था जिसपर वो दर्द के मारे चींख रही थी | उसकी दर्द भरी चींखों को शायद उस वक्त मैंने सुनने से इनकार कर दिया जिसके कुछ देर बाद उसका दर्द भी कम होते हुए वो चुदाई में खो गए | मैं तीव्र झटकों से उसकी चुत में अप्रमोआर झटके दिए जा रह था | मैंने उसकी चुत के दाने को खूब शेलाया जिससे उसके कामरस को निकलने में समय ना लगा और साथ ही मैंने भी जवाब में आसीन की चुत में अपने मुठ को छोड़ डाला |
 
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