काव्या की चुदाई | Hindi Sex Stories

काव्या की चुदाई

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by sexstories, Jun 13, 2020.

  1. sexstories

    sexstories Administrator Staff Member

    (Kavya Ki Chudai)

    नहीं मैं अपना नाम नहीं बताना चाहता हूँ, लेकिन इतना समझ ले की मैं अपने दील की बात जो एक अरसे से छिपा के बैठा था उसे आज इस साईट के माध्यम से निकालना चाहता हूँ. बात तब की हैं जब मैं ग्रेज्युएशन के लास्ट इयर में था. अच्छे दिन थे जब 5 रूपये पॉकेट मनी मिलती थी जिसमे से भी 1 रुपया बच जाता था. चाचा जी बगल वाले घर में ही रहते थे, और उनकी बेटी काव्या भी. काव्या के बारे में बस इतना कहूँगा की उसकी फिगर करीना कपूर से कम नहीं थी यदि ज्यादा नहीं तो. और मैं एक अरसे से उसके बूब्स का दीवाना था.

    एग्जाम नजदीक थी इसलिए मैं कोलेज नहीं जाता था और घर पे ही पढता था. मेरे माँ-बाप उस दिन किसी काम से मौसी के गाँव गए थे. मुझे बाद में पता चला की वो मेरे रिश्ते की बात करने के लिए गए थे. काव्या से मेरी अच्छी बनती थी, वो मुझ से कुछ 4 महीने बड़ी हैं.

    उस दिन मेरा ध्यान पढाई में बिलकुल भी नहीं लग रहा था. मैं मुठ मारना चाहता था क्यूंकि घर में कोई नही था मेरे बगेर. मैंने मोबाइल में एक बड़े बूब्स वाली लड़की की क्लिप निकाली और लंड सहलाने लगा. बहार देखा तो काव्या बाथरूम से नहाकर निकली थी. उसने छाती तक रुमाल लपेटा था और उसके बूब्स मादक आकार बना रहे थे. मैं वही खिड़की में खड़े खड़े लंड को शांत किया और वीर्य को कोपी के एक पेज में भर के उसे बहार फेंक दिया.

    मेरी इच्छा अब काव्या से सेक्स करने को हो रही थी. मैंने थोड़ी देर पहले ही चाची को बहार जाते देखा था, और चाची तो सुबह ही दुकान पर निकल जाते है. वो भी घर पर अकेली ही थी.! मैं उठा और उसके घर में चला गया. डोर खुला ही था, मैं सीधा उसके बेडरूम की और गया. काव्या शायद कहीं बहार जा रही थी क्यूंकि उसने बेड के ऊपर जींस और पेंट रखा हुआ था. मैं फट से अंदर घुस गया. काव्या शीशे के सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में खड़ी थी. उसने मुझे देखा और उसके होश उड़ गए, उसने थित्हरे हुए गले से कहा, क्या कर रहे हो तुम अंदर क्यूँ आये बिना नोक किये हुए.

    मैंने कहा, काव्या मुझे कुछ काम था इसलिए आ गया. मुझे नहीं पता था की तुम ऐसे खड़ी हो.

    यह सुन के वो कुछ नहीं बोली, मैं उसे देख रहा था. काली ब्रा में उसके सफ़ेद बूब्स सेक्सी लग रहे थे.

    क्या देख रहे हो?

    तुम मस्त दिखती हो.

    अच्छा बहार जाओ अब कोई आ जायेंगा तो पंगे होंगे.

    देख तो लेने दो दो घडी.

    मुझे पता हैं अभी तुम खिड़की के पास खड़े क्या कर रहे थे, पर्दा हवा से उठा था 2 सेकंड के लिए. और मैं यह भी जानती हूँ की तुम यहाँ क्यूँ आये हो.

    बाप रे उसने मुझे मुठ मारते हुए देखा था. तब तो उसने मेरा काला नाग भी देखा होंगा ना. मैंने कहा, फिर कुछ मजे करा दो ना काव्या, बहुत अरसे से तमन्ना थी तुम्हारे साथ की.

    चुप कर, ऐसे नहीं होता हैं. हम भाई बहन हैं.. वो टी-शर्ट उठा के बोली.

    मुझे लगा की अभी नहीं तो कभी नहीं. मैं फट से उसके नजदीक गया और बोला, कजिन हैं इसलिए ही एक दुसरे को हेल्प करेंगे ना. और इतना कह के मैंने उसके बूब्स पर हाथ रख दिया. काव्या ने कहा, कोई आ जाएगा यार..

    अरे कोई नहीं आयेंगा, सभी लोग बहार हैं.

    और मैं उसके बूब्स को दबाने लगा. फिर एक पल की भी देर किये बिना मैंने पीछे हाथ कर के उसकी ब्रा की हुक को खोल दी. बाप रे क़यामत थे उसके बूब्स तो. काव्या को शर्म आ गई और उसने अपना हाथ छाती के ऊपर रख दिया. लेकिन मैंने उसके हाथ कको हटा दिया और उसके बूब्स मसलने लगा. उसकी निपल्स अकड चुकी थी और वो आह आह करने लगी थी. मैंने उसे मसलते हुए ही अपनी पेंट खोल के लंड बहार निकाल लिया. काव्या का हाथ पकड के मैंने अपने लंड पर रख दिया. वो उसे मसलने लगी. मेरा लंड काफी गर्म हो चूका था. काव्या ने अब मेरे लंड को मुठ्ठी में बंध किया और वो उसे ऐसे हिलाने लगी जैसे की मुठ मार रही हो.

    मैने कहा, इसे अपने मुहं का मजा भी दे दो काव्या.

    नहीं मैं मुहं में और पीछे नहीं लुंगी, यह सब गंदी चीजें हैं और मुझे नहीं पसंद.

    मैंने मन ही मन सोचा की कोई नहीं फिर चूत ही अच्छी तरह दे देना साली रंडी. काव्या की चूत के ऊपर हाथ रखने के लिए मैंने पेंटी को खिसकाया और मैंने महसूस किया की उसकी चूत बहुत ही गर्म हो गई थी. उसने शायद आजकल में ही चूत के बाल निकाले थे क्यूंकि चूत के ऊपर सब सफाई की हुई लगती थी. मैंने हलके से ऊँगली को चूत के दाने पर रख दिया और उसे मसलने लगा. काव्या के मुहं से आह आह की आवाज निकलने लगी. मैंने उसके बूब्स मसलते हुए ऊँगली को चूत के छेद में डाल दी. इस से तो काव्य जैसे उछल पड़ी. उसने लंड छोड़ दिया और मेरे कंधे को पकड के दबाने लगी. मैंने उसे कहा की चलो बेड में लेट जाओ.

    वो बेड के ऊपर की जींस और पेंट को साइड में कर के लेट गई. मैंने सरकाई हुई पेंटी को निकाल फेंका और उसकी टाँगे फैला दी. काव्या की चूत मस्त गुलाबी थी जिसे देख के मेरा लंड मानो उसे सलामी दे रहा था. मैंने अपनी ऊँगली को उसकी चूत में डाला और उसे अंदर बहार करने लगा. काव्या की आँखे बंध हो गई और उसके मुहं से वही आहा आह निकलने लगा. वो बड़ी गर्म हो चुकी थी और चुदने के लिए भी बेताब लग रही थी. मैंने उसकी चूत की साइज़ चेक करने के लिए दूसरी ऊँगली भी डालनी चाही.

    उफफ्फ्फ्फ़ अरे क्या पागल हो, अंदर बैठोगे क्या, कितना दर्द हुआ मुझे. काव्या दूसरी ऊँगली नहीं ले पाई उसका मतलबी था की उसकी चूत ढीली नहीं बल्कि टाईट ही थी. मैंने अब चूत से अपनी ऊँगली निकाली और उसे सूंघी. चूत की खुसबू पूरी ऊँगली से आ रही थी, मैं समझ गया की काव्या ने चूत के ऊपर भी लक्स रोस लगाया था. अब मैंने ऊँगली चाटी और काव्या ने टाँगे और खोली. मैंने अब लंड को चूत के छेद पर सेट किया. काव्या ने हाथ बढ़ा के लंड की बागडोर अपने हाथ में ले ली और उसे चूत प् रगड़ने लगी.

    एकदम से मत घुसेड देना, जब मैं कहूँ तब झटका देना धीरे से..उसने चूत पर लंड रगड़ते हुए कहा.

    मुझे उसकी चूत की गर्मी लंड पर मिलते ही बड़ा मजा आ रहा था. वो करीब पुरे दो मिनिट चूत के ऊपर मेरा लंड घिसती रही. और उसकी चूत से बहुत सी चिकनाहट निकल के पूरा गिला कर चुकी थी. मैं समझ गया की वो चूत में घर्षण नहीं चाहती थी इसलिए उसे चिकनी बना रही थी. काव्या ने अब आँखों से इशारा किया और मैंने हलके से पेला. मेरा लंड उसकी चूत में जाते ही उसकी आह निकली लेकिन उसमे सुख के भाव भी थे. मैंने लंड को थोडा और अंदर किया और मेरे अंडकोष उसकी चूत के होंठो को छूने लगे. मेरा लंड पूरा अंदर घुस गया था और काव्या आह आह कर रही थी. काव्या की चूत में मेरा लंड अब गोते लगा के गिला हो रहा था.

    2 मिनिट तक आह आह करने के बाद अब काव्या भी मचलने लगी. उसकी कमर और गांड हिलने लगे और उसकी वजह से उसके बूब्स भी हवा में उड़ रहे थे. मैंने निचे झुक के बूब्स को मुहं में भर लिया और जोर जोर से झटके देने लगा.

    मजा आ रहा हैं, और जोर से करो, आह आह आह.काव्या ने अब चुदने का मजा लूटना चालू कर दिया था.

    मैं भी उसके बूब्स चूस के उसे जोर जोर से ठोकने लगा. मेरा लंड उसकी चूत में पूरा जाकर बहार आता था और जब वो चूत को दबाती थी तब तो मेरी जान ही निकल जाती थी जैसे. काव्या की मोनिंग बढ़ने लगी और उसके साथ ही मैं और भी जोर से उसे चोदने लगा. 10 मिनिट की धमाकेदार चुदाई के बाद मैं अपना माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया. काव्या ने चूत को दबा के सब अंदर ले लिया. मैंने लंड चूत से निकाला और उसे हिलाकर बचीकुची बुँदे भी उसके शरीर पर ही निकाल दी. काव्या ने उठ के अपने बदन को मेले कपडे से साफ़ किया. वही कपडे से मैंने अपना लंड भी पोंछ लिया. काव्या खुश थी मेरी चुदाई से.

    क्यूँ मजा आया के नहीं? मैंने पूछा.

    मजा तो बहुत आया, लेकिन अब तुम भागो कोई आ गया तो पंगे होंगे.

    मैंने कपडे पहले और काव्या के बूब्स दबा के घर से निकल गया. उस दिन से चालु हुई हमारी चुदाई अब और भी गहरी हो चुकी थी. काव्या भी कई बार मुझे फोन कर के बुलाती थी जब घर कोई नहीं होता था. मुझे उसके बूब्स और चूत का लहावा पूरा मिलता था. और जैसे उसने पहले ही कहा था गांड और मुहं में मैं उसे आजतक नहीं दे पाया हूँ. लेकिन उसका कोई गम नहीं हैं क्यूंकि उसके बूब्स और चूत कसर पूरी कर देते हैं.! चलो मिलते हैं दोस्तों, बाय बाय.!
     
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