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नमस्कार मित्रों, मै आलोक आज आपके सामने अपने कॉलेज जीवन की एक कहानी लेकर आया हूं। यह कहानी मेरी और मेरे प्रेमिका की है, हमारे बीच प्यार किस तरफ से शुरू हुआ और आखिर में कहां जाकर हमे अपने प्यार की मंजिल मिली।

यह कहानी आज से छह साल पुरानी है, जब मेरी शादी नही हुई थी। उस वक्त मै कॉलेज में पढता था, पढाई में अच्छा होने के कारण सभी से बातचीत हो जाती थी। मेरी कक्षा के बाकी छात्र भी मुझसे कुछ चीजें समझने के लिए मेरे पास आ जाते थे। मै भी उन्हें अच्छे से सब समझाकर बता देता था। इसी तरह से मेरी और मेरी कक्षा की लडकी के बीच अच्छी दोस्ती बन गई। उसका नाम सुमन था। सुमन देखने मे सुंदर थी, इसका फिगर भी एकदम कंटाप था। कुछ दिनों बाद, यही दोस्ती का रिश्ता कब प्यार के रिश्ते में बदल गया, पता ही नही चला। फिर जब मुझे लगा कि, शायद हम दोस्ती से बेहद आगे बढ आए है, और हम दोनों की सोच भी समान थी, तो मैने उसे साफ साफ शब्दों में सबकुछ बोल दिया। मुझे क्या पता था, कि वो भी यही चाहती थी।
उसके तरफ से भी यही सुनकर मै बेहद खुश हुआ, और उसे उसी समय अपने बाहों में भर लिया। उसने भी मेरा स्वागत करते हुए मुझे और कस लिया। यह पहली बार था, जब मै किसी लडकी के गले मिला था, उसके स्तन मेरी छाती में धंस रहे थे। उसका एक अलग ही अहसास मुझे मिल रहा था। उस वक्त हम दोनों क्लास में थे, और सारे बाकी के लडके-लडकियां हमारी तरफ ही देखे जा रही थी। तो मैने जल्दी से अलग होना ही ठीक समझा। उस दिन पहली बार मुझे मेरे कक्षा के बाकी छात्रों पर गुस्सा आने लगा था, कितना सुखद अहसास था वो।
अलग होकर हम बैठ गए, और फिर नॉर्मल बातें करने लगे, तो मैने पूछा कि, पहली बार यह अहसास कब हुआ, उसने भी बडे ही अदा के साथ शर्माते हुए सब कुछ बताया। क्लास खत्म होने के बाद मैने उसे रुकने के लिए कहा, और मै भागा भागा जाकर एक गुलाब का फूल लेकर आ गया। फिर उसके सामने अपने एक घुटने पर बैठकर मैने उसे फिर से प्रोपोज करते हुए वह गुलाब का फूल आगे बढा दिया। इस पर वह भी बहुत खुश हो गई। और फिर से मेरे गले लग गई। अब तो पूरी क्लास में कोई नही था। सिर्फ हम दोनों ही थे, तो किसी का डर तो था नही।
थोडी देर बाद मैने उसके बालों में अपना हाथ ले जाकर उसके सर को थोडा सा हल्के से ऊपर की ओर उठा दिया, और अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए। अब मै सुमन के होठों का रसपान करने लगा था, और वो भी मस्त होकर मेरा साथ दिए जा रही थी। तभी किसी के चलने की आवाज से हम दोनों अलग हो गए। और फिर कॉलेज से निकलकर अपने अपने घर की ओर निकल गए। अब रोज हमारा यही रूटीन सा बन गया था, सबके जाने के बाद कक्षा में ही हम दोनों रुक जाते, और फिर गले मिलकर किस करने के बाद ही हम घर के लिए निकल लेते। चुमाचाटी के आगे हम कभी नही बढे थे, और जगह भी आगे बढने लायक नही थी।
लेकिन यह ऐसे भी कितने दिन चलता, एक दिन सुमन की एक दोस्त ने हम दोनों को कक्षा में चूमते हुए देख लिया। उसने यह बात किसी से भी नही कही, लेकिन हम ही उससे डरकर रहने लगे। और अब हम भी कक्षा में रुकते नही थे। नया नया प्यार हम दोनों में ही नई उमंगे जगा रहा था, दोनों को ही जवानी शांत बैठने नही दे रही थी। तो हम कोई दूसरी जगह ढूंढने लगे, जहां हम दोनों आसानी से बैठ सके, बातें कर सके। कुछ ही दिनों में हमे एक जगह मिल गई, जो हमारे कॉलेज के पीछे थी। हमारे कॉलेज के पीछे पूरा जंगल था, लेकिन थोडा अंदर जाकर एक तालाब था, जहां कोई नही जाता था।
तो एक दिन मै सुमन को लेकर वहां गया, सुमन भी इतना अच्छा माहौल और जगह देखकर बेहद खुश हो गई। वहीं तालाब के किनारे बैठकर हम बातें करने लगे, धीरे धीरे हमारे बदन एक-दूसरे के करीब आ रहे थे। हम दोनों में ही जवानी की गर्मी भरी पडी थी, तो अब मैने उसे अपने पास लेकर गले लगा लिया। सुमन ने भी मुझे और अपने पास खिंच लिया। कुछ देर तक ऐसे ही एक-दूसरे की बाहों में रहकर हमने फिर चूमना शुरू किया। आप लोग तो जानते ही होंगे कि, अगर आप बैठे बैठे ही किसी के गले लगो, तो दोनों को थोडा झुकना पडता है। और ज्यादातर एक को नीचे आना पडता है, और दूसरे को पहले के ऊपर। हम दोनों वैसे ही थे, वो कमर से पीछे की ओर झुक गई, और मै उसके ऊपर।

कुछ ही देर बाद, वो पूरी तरह से जमीन पर लेट सी गई थी, और मै उसके ऊपर झुक कर उसके होठों का रसपान करने लगा था। तो उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया, और मेरे सर को पकडकर और जोर से होंठ चूसने लगी। फिर मैने धीरे धीरे अपने हाथ उसके पूरे बदन पर घुमाना शुरू कर दिया, और आखिर में उसके एक स्तन पर ले जाकर अपना हाथ रख दिया। दूसरा हाथ भी दूसरे स्तन पर ले आकर, उसके दोनों स्तनों को जोर से दबाने लगा। पहली बार जैसे ही मैने उसके स्तनों को दबाया, उसके मुंह से आह निकल गई। अब वो अपनी आंखें बंद करके बस मेरे द्वारा की जानेवाली हरकतों के मजे लिए जा रही थी।

थोडी देर बाद उसने मेरा हाथ पकडकर अपने टॉप के अंदर घुसा दिया, जो कि मेरे लिए और आगे बढने का इशारा था। तो मैने भी अपना एक हाथ उसके टॉप के अंदर घुसाकर उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके स्तनों को मसलने लगा। अब वो भी सिसकारियां भरने लगी थी, तो मैंने उसके टॉप को ऊपर उठकर स्तनों के ऊपर रख दिया। और अब ब्रा के ऊपर से उसके स्तनों को कभी अपने हाथों से मसल देता तो कभी अपने मुंह मे भरकर चूस देता। अब तक हम दोनों में से किसी ने भी बात नही की थी, बस एक-दूसरे में खो जाने के लिए बेताब थे हम दोनों।

तभी उसने कहा, "आज मुझे अपनी बना लो, आलोक। मै तुमसे बेहद प्यार करती हूं, और तुम्हारे बिना नही रह सकती।"
इतना कहकर सुमन ने मुझे अपने से और सटा लिया। उसके मुंह से यह सुनकर मैने भी अब खुलकर मजे लेने की सोची। तो मैने अपने हाथ उसकी पीठ पर ले जाकर उसकी ब्रा के हूक को खोल दिया। ब्रा के खुलते ही उसके दोनों स्तन उछलकर मेरे सामने आ गए।

उसके बाद तो सुमन के स्तनों को खाने से मै अपने आप को रोक नही पाया। बारी बारी से मैने सुमन के दोनों स्तनों को अपने मुंह मे भरकर चूसने लगा। फिर मेरे हाथ धीरे धीरे सुमन की कमर की ओर फिसलते हुए जा रहे थे। थोडी देर बाद, मैने सुमन की पैंट भी खोलनी चाही, तो सुमन ने खुद ही अपनी पैंट का बटन निकालकर मेरी सहायता कर दी। बटन निकालने के बाद तो मैंने पैंट और पैंटी दोनों को एकसाथ पकडकर नीचे की ओर खींच दिया। तो अब उसकी क्लीन शेव चुत मेरे सामने आ गई। उसके पैंट और पैंटी को उसके पैरों से आजाद करने के बाद वो पूरी नंगी हो गई, और मै अभी भी कपडे पहने हुए था।
उसके बाद मै उठा, और अपने भी सारे कपडे उतार दिए। अब हम दोनों पूर्ण रूप से नंगे हो चुके थे। सुमन के मुंह के पास जाकर मै अपने लंड को हाथ मे लेकर हिलाने लगा, तो वो मेरे लंड की तरफ देखने लगी। मैने उसका हाथ लेकर अपने लौडे पर रख दिया। पहले तो उसने एक झटके में ही अपना हाथ हटा लिया, लेकिन उसके बाद धीरे धीरे सामान्य होने पर आराम से मेरे लंड को पकडकर हिलाने भी लगी। मैने फिर अपने घुटनों के बल खडे होते हुए अपने लंड को उसके मुंह मे भर दिया। उसे स्वाद अच्छा नही लगा, तो उसने लंड को मुंह से बाहर निकाल लिया।
फिर मै उसे चूमते हुए उसके ऊपर आ गया। और तभी उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को अपनी चुत का रास्ता दिखाते हुए सही से सेट कर दिया। मैने धीरे से एक धक्का लगाया तो लंड का अग्रभाग उसकी चुत के अंदर चला गया। उसके मुंह से चीख निकलने ही वाली थी कि, मैने उसका मुंह बंद कर दिया। अब वो बस गुँ गुँ किए जा रही थी। उसके कुछ धक्कों के बाद, लंड के लिए अच्छी जगह बन गई, और उसका दर्द भी चला गया। अब कट्टर चुदाई होने लगी थी।
उस दिन के बाद तो हमे जब भी कभी मौका मिलता हम दोनों चुदाई में लग जाते।
आपको मेरी कहानी पसंद आई हो तो नीचे कमेंट करके बताइए। धन्यवाद।
 
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