सभी को मेरा नमस्कार। मैं काफ़ी समय से अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। आज मैं आपको अपनी पहली चुदाई की कहानी सुनाना चाहता हूँ।
सबसे पहले मेरा परिचय, मेरा नाम रॉकी है। मैं अपनी माँ-बाप की इकलौती औलाद हूँ। हमारे घर के बगल में ही मेरे चाचाजी का मकान है, जहाँ मेरे चाचाजी के अलावा चाचीजी, उनका एक बेटा व एक बेटी भी रहते हैं, उनकी बेटी रेशमा मुझसे 2 साल छोटी है और लड़का मुझसे करीब 5 साल छोटा है। हम अलग भले ही रहते हों, पर हमारा आपसी प्यार बहुत ज्यादा है।
मेरे चाचा की लड़की रेशमा बहुत ही खूबबसूरत है, उसका जिस्म मानो संगमरमर सा तराशा हुआ है। पतली कमर, गोरा बदन, गोलाई ली हुई दो चूचियाँ, गोल उठी हुई पिछाड़ी, मानो कोई ज़न्नत की अप्सरा हो पर चूंकि वो मेरी बहन है, इसलिये मैंने कभी उसे उस नज़र से नहीं देखा।
अब मैं सीधे कहानी पर आता हूँ। बात उस समय की है, जब मैं BA के दूसरे में पढ़ता था और मेरी बहन यानी रेशमा 12वीं में पढ़ती थी। मेरे चाची के रिश्तेदार के घर में शादी थी, तो उसमें सभी को जाना था, पर चूंकि रेशमा के पेपर नज़दीक थे, तो वो नहीं जा सकती थी।
चाचाजी के सारे परिवार का जाना ज़रूरी था, तो चाची मेरी माँ के पास आईं और अपनी परेशानी बताने लगीं। इस पर मेरी माँ ने चाची को जाने की सलाह दी, और रेशमा को हमारे घर पर छोड़ जाने को कहा।
शाम को चाचा का सारा परिवार शादी में चला गया तथा रेशमा अपनी किताबें लेकर हमारे घर आ गई। रात को हम सभी ने एक साथ खाना खाया। खाने के बाद हम सभी टीवी देखने बैठ गये, रेशमा के पेपर नज़दीक थे तो उसने कहा कि वो थोड़ा पढ़ेगी, और वो साइड वाले कमरे में पढ़ने चली गई।
थोड़ी देर में वो किताब ले कर मेरे पास आई और बोली कि उसे मैथ के कुछ सवाल समझ में नहीं आ रहे हैं, तो मैं उसे मैथ पढाने बैठ गया। मैं आपको बता दूँ कि मैं पढ़ने में काफ़ी होशियार हूँ।
काफ़ी देर हो गई तो मेरी माँ ने कहा कि उसे नींद आ रही है, और वो सोने जा रही हैं।
माँ ने मुझसे कहा- तुम रेशमा को लेकर अपने कमरे में जाओ और वहीं जा कर आराम से पढ़ो।
यह कह कर माँ और पापा सोने चले गये। चूंकि हम भाई-बहन हैं, तो इसमें और निर्देश की ज़रूरत नहीं थी।
कुछ देर वहीं पढ़ने के बाद मैंने कहा- चलो अब रूम में जा कर पढ़ते हैं।
मुझे भी कंप्यूटर पर कुछ काम करना था। इस पर हम दोनों मेरे रूम में आ गये। रूम में आने के बाद मैं अपना काम करने लग गया।
रेशमा ने कहा- भैया पहले मैं कपड़े बदल कर आती हूँ फ़िर पढ़ने बैठूँगी।
यह कह कर वो अपने साथ लाया हुआ नाईट-सूट लेकर बाथरूम में चली गई। मैं अपना काम करने लगा।
थोड़ी देर में वो कपड़े बदल कर आई तो मैं उसे देखता ही रह गया। उसने बिना बाजू की बनियान पहनी हुई थी। उसकी स्लीवलैस बनियान से उसकी चूचियाँ काफ़ी बड़ी नज़र आ रही थीं।
जब वो थोड़ी सी झुकी तो बनियान से उसकी चूचियाँ मुझे नज़र आ गई। मुझे इस प्रकार से देखने पर वो थोड़ी शरमा गई। साथ में वो रेशमी निक्कर पहनी हुई थी, जिसमें उसकी चिकनी टाँगें एकदम संगमरमर सी लग रही थीं।
चूंकि निक्कर रेशमी टाइप कपड़े की बनी थी तो वो उसके बदन से चिपक रही थी, जिसकी वज़ह से उसकी आगे से फ़ूली हुई चूत की शेप साफ नज़र आ रही थी।
जब वो मुड़ी तो मुझे एक और झटका लगा, उसके उभरे हुए चूतड़ों की बनावट बहुत ही साफ नज़र आ रही थी। उसकी पिछाड़ी की दरार देख कर मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया। इससे पहले मैंने रेशमा को इस नज़र से कभी नहीं देखा था।
वो बेड पर बेठ कर पढ़ने लगी। मैं अभी तक उसकी चूचियों को ही देख रहा था। मेरे इस प्रकार से घूरने पर वो हल्की सी शरमा गई और अपनी बनियान को ठीक करने लगी।
इस पर मैंने हड़बड़ा कर अपनी नज़र हटा ली और कंप्यूटर पर अपना काम करने लगा। अब मेरा ध्यान कंप्यूटर पर कम, रेशमा पर ज्यादा था। मेरा लंड अभी भी वैसा ही खड़ा था।
अचानक रेशमा बोली- भईया, मुझे यह सवाल समझ में नहीं आ रहा है।
मैंने कहा- रुको अभी आता हूँ।
इतना कह कर ज़ैसे ही मैं खड़ा हुआ, मैंने देखा कि रेशमा की नज़र मेरे तंबू की तरह खड़े लंड पर टिकी हुई है।
जैसे ही मेरी नज़र रेशमा से मिली वो सकपका गई। मैं सीधा बाथरूम की ओर भागा। वहाँ जाकर मैंने अपने कपड़े उतारे और शावर को चालू करके उसके नीचे खड़ा हो गया।
मेरे जिस्म पर पड़ती पानी की बूंदें मेरे सेक्स की आग को और भड़का रही थी, जिसका शांत होना अब ज़रूरी हो गया था।
सबसे पहले मेरा परिचय, मेरा नाम रॉकी है। मैं अपनी माँ-बाप की इकलौती औलाद हूँ। हमारे घर के बगल में ही मेरे चाचाजी का मकान है, जहाँ मेरे चाचाजी के अलावा चाचीजी, उनका एक बेटा व एक बेटी भी रहते हैं, उनकी बेटी रेशमा मुझसे 2 साल छोटी है और लड़का मुझसे करीब 5 साल छोटा है। हम अलग भले ही रहते हों, पर हमारा आपसी प्यार बहुत ज्यादा है।
मेरे चाचा की लड़की रेशमा बहुत ही खूबबसूरत है, उसका जिस्म मानो संगमरमर सा तराशा हुआ है। पतली कमर, गोरा बदन, गोलाई ली हुई दो चूचियाँ, गोल उठी हुई पिछाड़ी, मानो कोई ज़न्नत की अप्सरा हो पर चूंकि वो मेरी बहन है, इसलिये मैंने कभी उसे उस नज़र से नहीं देखा।
अब मैं सीधे कहानी पर आता हूँ। बात उस समय की है, जब मैं BA के दूसरे में पढ़ता था और मेरी बहन यानी रेशमा 12वीं में पढ़ती थी। मेरे चाची के रिश्तेदार के घर में शादी थी, तो उसमें सभी को जाना था, पर चूंकि रेशमा के पेपर नज़दीक थे, तो वो नहीं जा सकती थी।
चाचाजी के सारे परिवार का जाना ज़रूरी था, तो चाची मेरी माँ के पास आईं और अपनी परेशानी बताने लगीं। इस पर मेरी माँ ने चाची को जाने की सलाह दी, और रेशमा को हमारे घर पर छोड़ जाने को कहा।
शाम को चाचा का सारा परिवार शादी में चला गया तथा रेशमा अपनी किताबें लेकर हमारे घर आ गई। रात को हम सभी ने एक साथ खाना खाया। खाने के बाद हम सभी टीवी देखने बैठ गये, रेशमा के पेपर नज़दीक थे तो उसने कहा कि वो थोड़ा पढ़ेगी, और वो साइड वाले कमरे में पढ़ने चली गई।
थोड़ी देर में वो किताब ले कर मेरे पास आई और बोली कि उसे मैथ के कुछ सवाल समझ में नहीं आ रहे हैं, तो मैं उसे मैथ पढाने बैठ गया। मैं आपको बता दूँ कि मैं पढ़ने में काफ़ी होशियार हूँ।
काफ़ी देर हो गई तो मेरी माँ ने कहा कि उसे नींद आ रही है, और वो सोने जा रही हैं।
माँ ने मुझसे कहा- तुम रेशमा को लेकर अपने कमरे में जाओ और वहीं जा कर आराम से पढ़ो।
यह कह कर माँ और पापा सोने चले गये। चूंकि हम भाई-बहन हैं, तो इसमें और निर्देश की ज़रूरत नहीं थी।
कुछ देर वहीं पढ़ने के बाद मैंने कहा- चलो अब रूम में जा कर पढ़ते हैं।
मुझे भी कंप्यूटर पर कुछ काम करना था। इस पर हम दोनों मेरे रूम में आ गये। रूम में आने के बाद मैं अपना काम करने लग गया।
रेशमा ने कहा- भैया पहले मैं कपड़े बदल कर आती हूँ फ़िर पढ़ने बैठूँगी।
यह कह कर वो अपने साथ लाया हुआ नाईट-सूट लेकर बाथरूम में चली गई। मैं अपना काम करने लगा।
थोड़ी देर में वो कपड़े बदल कर आई तो मैं उसे देखता ही रह गया। उसने बिना बाजू की बनियान पहनी हुई थी। उसकी स्लीवलैस बनियान से उसकी चूचियाँ काफ़ी बड़ी नज़र आ रही थीं।
जब वो थोड़ी सी झुकी तो बनियान से उसकी चूचियाँ मुझे नज़र आ गई। मुझे इस प्रकार से देखने पर वो थोड़ी शरमा गई। साथ में वो रेशमी निक्कर पहनी हुई थी, जिसमें उसकी चिकनी टाँगें एकदम संगमरमर सी लग रही थीं।
चूंकि निक्कर रेशमी टाइप कपड़े की बनी थी तो वो उसके बदन से चिपक रही थी, जिसकी वज़ह से उसकी आगे से फ़ूली हुई चूत की शेप साफ नज़र आ रही थी।
जब वो मुड़ी तो मुझे एक और झटका लगा, उसके उभरे हुए चूतड़ों की बनावट बहुत ही साफ नज़र आ रही थी। उसकी पिछाड़ी की दरार देख कर मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया। इससे पहले मैंने रेशमा को इस नज़र से कभी नहीं देखा था।
वो बेड पर बेठ कर पढ़ने लगी। मैं अभी तक उसकी चूचियों को ही देख रहा था। मेरे इस प्रकार से घूरने पर वो हल्की सी शरमा गई और अपनी बनियान को ठीक करने लगी।
इस पर मैंने हड़बड़ा कर अपनी नज़र हटा ली और कंप्यूटर पर अपना काम करने लगा। अब मेरा ध्यान कंप्यूटर पर कम, रेशमा पर ज्यादा था। मेरा लंड अभी भी वैसा ही खड़ा था।
अचानक रेशमा बोली- भईया, मुझे यह सवाल समझ में नहीं आ रहा है।
मैंने कहा- रुको अभी आता हूँ।
इतना कह कर ज़ैसे ही मैं खड़ा हुआ, मैंने देखा कि रेशमा की नज़र मेरे तंबू की तरह खड़े लंड पर टिकी हुई है।
जैसे ही मेरी नज़र रेशमा से मिली वो सकपका गई। मैं सीधा बाथरूम की ओर भागा। वहाँ जाकर मैंने अपने कपड़े उतारे और शावर को चालू करके उसके नीचे खड़ा हो गया।
मेरे जिस्म पर पड़ती पानी की बूंदें मेरे सेक्स की आग को और भड़का रही थी, जिसका शांत होना अब ज़रूरी हो गया था।