चूतडो पर वीर्य गिराकर चूतडो को चिकना बनाया

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Hindi sex kahani, antarvasna: मैं अपने दोस्त रजत की शादी में जाता हूं जब मैं अपने दोस्त की शादी में जाता हूं तो वहां पर मैं आशा से मुलाकात करता हूं। आशा हमारे साथ ही कॉलेज में पढ़ा करती थी लेकिन उसकी जिंदगी में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था उसकी जिंदगी में काफी कुछ बदल चुका था। मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं पता था लेकिन जब मैं आशा से मिला तो मुझे आशा ने सारी बात बताई और कहा कि उसके और उसके पति के बीच में तलाक हो चुका है। उन दोनों का डिवोर्स हो जाने के बाद आशा काफी ज्यादा टूट चुकी थी लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी थी। आशा की 5 वर्ष की बेटी है जो कि अब उसकी जिम्मेदारी थी और आशा उसकी जिम्मेदारी को बखूबी निभाना चाहती थी इसलिए आशा ने जॉब करने का फैसला किया और आशा जॉब कर रही थी। आशा ने जब मुझे इस बारे में बताया तो मैंने आशा को कहा कि तुम्हें कभी भी मेरी जरूरत हो तो तुम मुझे बताना आशा कहने लगी कि हां जरूर क्यों नहीं।

हम कॉलेज में साथ पढ़ा करते थे लेकिन इतने सालों बाद जब मैं आशा से मिला तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा आशा की जिंदगी में काफी बदलाव आ चुके थे। मैं अपने दोस्त की शादी को अटेंड करने के बाद वापस अमेरिका लौट गया था मैं अमेरिका में पिछले 10 वर्षों से जॉब कर रहा हूं लेकिन मुझे कई बार लगता है कि मुझे अपने घर लौट जाना चाहिए क्योंकि वहां पर मेरा परिवार भी है और अहमदाबाद में ही मेरे सारे दोस्त और हमारे रिश्तेदार हैं। इतने वर्षों के बाद मुझे लगने लगा था कि मुझे अमेरिका से अहमदाबाद लौट जाना चाहिए और मैंने पूरा फैसला कर लिया कि मैं अहमदाबाद लौट जाऊंगा। हालांकि इस फैसले के लिए पाप और मम्मी बिल्कुल तैयार नहीं थे क्योंकि अमेरिका में मैं एक अच्छी सैलरी पैकेज पर था और मेरी जिंदगी अमेरिका में सेटल थी परंतु मैं अहमदाबाद लौट आया था।

मैं अहमदाबाद लौट आया तो उसके बाद मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए। मेरे पापा एक सरकारी नौकरी करते थे और अब वह रिटायर आ चुके थे लेकिन मैंने अपने दोस्त की मदद से बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचा जिसके लिए मुझे एक ऑफिस की जरूरत थी और मेरे दोस्त ने हीं उसमे मेरी मदद की। मैंने अहमदाबाद में आकर रेस्टोरेंट खोलने के बारे में सोच लिया था हालांकि मेरा ज्यादा एक्सपीरियंस नहीं था और मैं पहली बार ही रेस्टोरेंट का काम करने जा रहा था लेकिन अपने दोस्त की मदद से मैंने रेस्टोरेंट खोल लिया और सब कुछ अच्छे से चलने लगा। मेरा रेस्टोरेंट काफी अच्छे से चलने लगा था और मैं बहुत खुश भी था कि मेरा रेस्टोरेंट अच्छे से चल रहा है। थोड़े समय बाद ही मैंने एक रेस्टोरेंट खोल लिया और मैं अपने सब दोस्तों से मिलता ही रहता था। एक दिन आशा का मुझे फोन आया आशा को यह बात रजत ने बताई थी कि मैं अहमदाबाद आ चुका हूं इसलिए वह मुझसे मिलना चाहती थी। जब वह मुझसे मिलने के लिए मेरे ऑफिस में आई तो मैं आशा को मिला मैंने आशा से पूछा कि आशा सब कुछ ठीक है तो आशा कहने लगी सुरेश मेरी जिंदगी में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है मैंने अब जॉब भी छोड़ दी है और मुझे अभी नौकरी की जरूरत है। मैंने आशा को कहा कि अगर तुम चाहो तो तुम मेरे आफिस में अकाउंट का काम संभाल सकती हो। आशा को भी यह मंजूर था और मैंने आशा को अपने ऑफिस में ही काम दिलवा दिया वह अब रेस्टोरेंट का काम संभालने लगी थी और आशा बड़ी मेहनत से काम करती। मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था कि मैं आशा की मदद कर पाया क्योंकि मैं हमेशा से ही सोचता था कि मैं आशा की मदद कर करूँ और जब मुझे आशा की मदद करने का मौका मिला था तो मैंने उसकी मदद की। मेरी वजह से आशा के घर में सब कुछ ठीक चल रहा था और मुझे इस बात की खुशी थी कि कम से कम मेरी वजह से आशा की बेटी के चेहरे पर खुशी तो है। आशा चाहती थी कि वह अपनी बेटी को एक बड़े स्कूल में पढ़ाये और वह अब अपनी बेटी को बड़े स्कूल में पढ़ा रही थी।

आशा को जब भी मेरी जरूरत होती तो वह मुझसे मदद मांग लिया करती और मैं उसकी मदद करने के लिए हमेशा ही तैयार रहता। मैंने आशा की काफी मदद की और आशा को भी इस बात से अच्छा लगता था कि मैं उसकी मदद कर रहा हूं। एक दिन आशा मुझे कहने लगी कि सुरेश आज मेरी बेटी का जन्मदिन है मैंने आशा को कहा कि क्या तुमने अपनी बेटी के जन्मदिन के लिए हमारे कुछ दोस्तों को भी इनवाइट किया है तो आशा कहने लगी हां। आशा ने हमारे सारे दोस्तों को इनवाइट किया हुआ था और आशा ने मुझे भी अपनी बेटी के जन्मदिन में इनवाइट किया औऱ मैं उसकी बेटी के जन्मदिन में गया। आशा के चेहरे पर खुशी थी उसके चेहरे की खुशी देखकर मुझे भी अच्छा लग रहा था कि मैं आशा की मदद कर पा रहा हूं। उस दिन मैं शाम को घर लौट आया मुझे घर लौटने में काफी देर हो गई थी इसलिए पापा और मम्मी ने मुझसे पूछा कि सुरेश बेटा आज तुम काफी देर से आ रहे हो तो मैंने उन्हें बताया कि मैं अपने फ्रेंड की लड़की के बर्थडे पार्टी में गया हुआ था। पापा और मम्मी ने मुझसे कहा कि बेटा तुमने हमें बताया नहीं था मैंने पापा से कहा कि पापा मैं ऑफिस से ही उसकी बेटी के जन्मदिन में चला गया था इसलिए आपको बता नहीं पाया।

उसके बाद मैं अपने रूम में चला गया और रूम में जाकर मैं सो चुका था मुझे बहुत गहरी नींद आ रही थी। एक दिन काफी तेज बारिश हो रही थी। उस दिन मुझे आशा को उसके घर छोड़ने के लिए जाना पड़ा। मैं आशा को उसके घर छोड़ने के लिए गया। जब मैं आशा के घर पर गया तो हम दोनों साथ में बैठे हुए थे। हम दोनो एक दूसरे से बातें कर रहे थे जब हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो आशा अपनी बेटी को लेकर बहुत ही ज्यादा चिंतित थी। वह मुझसे अपनी बेटी को लेकर बात कर रही थी मैंने आशा को समझाया और कहा तुम्हे चिंता करने की जरूरत नहीं है सब कुछ ठीक हो जाएगा वैसे भी तुम्हारी जिंदगी में सब कुछ ठीक तो चल रहा है। आशा मुझे अपने सबसे करीब देखती थी इसलिए तो वह मुझसे अपनी सारी बातों को शेयर कर रही थी। मैं और आशा एक दूसरे के साथ ही बैठे हुए थे लेकिन हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आ चुके थे। मेरा हाथ उसकी जांघो पर लगने लगा जिस से मेरे अंदर की उत्तेजना बढ़ने लगी और मेरे अंदर की उत्तेजना को मै रोक नहीं पाया। हम दोनों के अंदर गर्मी पैदा हो रही थी हम दोनों जब एक दूसरों को चूमना शुरू किया तो हम दोनों को ही मजा आने लगा। आशा पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी वह बिल्कुल भी रह नहीं पाई उसने अपने कपड़े उतारने शुरू किए।

मैंने आशा कि ब्रा को उतारकर उसके स्तनों को चूसना शुरू किया। मैं आशा के स्तनों का रसपान कर रहा था तो उसको मजा आ रहा था मुझे भी बड़ा आनंद आ रहा था। हम दोनों को ही बहुत मजा आने लगा था अब ना तो मैं अपने आप को रोक पाया और ना ही आशा अपने आपको रोक पाई इसी वजह से हम दोनों की गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ने लगी थी। हम दोनों के अंदर की गर्मी इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैंने आशा को कहा मै तुम्हारी योनि को चाटना चाहता हूं। आशा ने भी अपनी पैंटी को उतार दिया मैंने आशा की योनि को चाटना शुरू किया तो मुझे मजा आ रहा था। आशा की कोमल योनि को चाट कर मेरी गर्मी बढ़ रही थी और आशा के अंदर की भी गर्मी बहुत ही अधिक बढ़ चुकी थी। यही वजह थी कि मैं और आशा रह नहीं पाए। मैंने अपने मोटे लंड को बाहर निकाल कर उसके सामने किया तो वह मेरे लंड को सकिंग करने लगी और उसको मजा आने लगा। मुझे भी बहुत मजा आने लगा था। मैंने आशा की चूत के अंदर अपने लंड को रगडना शुरू किया मैंने आशा के दोनों पैरों को खोला हुआ था और धीरे-धीरे आशा की योनि के अंदर लंड प्रवेश हो गया। जब मेरा लंड आशा की योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो वह जोर से चिल्ला कर बोली मेरी चूत से खून निकल आया है। मैंने आशा को कहा मुझे बहुत मजा आ रहा है। आशा मुझे कहने लगी मजा तो मुझे भी बहुत ज्यादा आने लगा है अब आशा की योनि के अंदर मै अपने लंड को किए जा रहा था और उसकी गर्मी को बढ़ाए जा रहा था।

आशा की गर्मी बहुत बढ चुकी थी वह एक पल के लिए भी रह नहीं पाई ना तो मैं रह पाया। मैंने अपने माल को आशा की योनि में गिरा दिया जिस से कि वह खुश हो गई और मुझे बोली मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। आशा को बहुत ही मजा आया मैं दोबारा से उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए उतावला था। मैंने दोबारा से उसकी योनि पर अपने लंड को लगाकर अंदर की तरफ से डालना शुरू किया और मेरा लंड उसकी योनि के अंदर तक चला गया। जब मेरा मोटा लंड आशा की योनि के अंदर गया तो वह बहुत ज्यादा जोर से चिल्लाकर मुझे बोली मुझे मजा आ गया। मैं लगातार तेजी से अशा की योनि के अंदर बाहर अपने मोटे लंड को किए जा रहा था जिससे कि मुझे मज़ा आ रहा था और आशा को भी बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था वह रह नहीं पा रही थी। मैंने उसे घोड़ी बना कर धक्का देना शुरू किया जब मैं आशा की चूत के अंदर बाहर लंड को कर रहा था तो मुझे मजा आने लगा। अब मैंने आशा की चूतड़ों पर अपने वीर्य को गिरा कर अपनी इच्छा को पूरा कर दिया था और आशा भी बड़ी खुश थी।
 
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