जब कविता की चूत में मेरा लंड घुसा

sexstories

Administrator
Staff member
Antarvasna, hindi sex kahani: मुझे अपने दोस्त की शादी के लिए चंडीगढ़ जाना था। मैं जब अपने दोस्त की शादी मे चंडीगढ़ जा रहा था तो उस दौरान मेरी सफर में मुलाकात कविता के साथ हुई। जब मेरी कविता से मुलाकात हुई तो कविता से मिलना मेरे लिए बड़ा ही अच्छा था। मैं उससे पहली बार भी मिला था लेकिन हम दोनों की पहली बार में ही इतनी अच्छी बातचीत हो गई कि उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे। मैं और कविता एक दूसरे से बातें करने लगे थे। हम दोनों की बातें काफी होने लगी थी। हम दोनों की फोन पर बातें हुआ करती थी। मैं कविता के साथ बात करता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता है और कविता को मुझसे बातें करना बहुत ही अच्छा लगता। कविता और मैं फोन पर बातें कर रहे थे। वह चंडीगढ़ में जॉब करती है इसलिए मेरी सिर्फ उससे फोन पर बातें हो पाती थी लेकिन मैंने उस दिन कविता को कहा मुझे तुमसे मिलना था। वह मुझे कहने लगी मैं कुछ दिनों के लिए दिल्ली आ रही हूं। मैंने कविता से कहा क्या दिल्ली में तुम्हारा कोई जरूरी काम है? वह मुझे कहने लगी हां दिल्ली में मेरा जरूरी काम है। कविता ने मुझे बताया उसका दिल्ली में एक इंटरव्यू है और वह इंटरव्यू देने के लिए आ रही है।

मैंने कविता से कहा चलो इस बहाने तुमसे मुलाकात भी हो जाएगी। कविता से जो मेरी मुलाकात हुई तो मुझे उस से मिलकर अच्छा लगा। हम दोनों ने उस दिन एक दूसरे के साथ अच्छा टाइम बिताया। वह कुछ दिनों तक दिल्ली में रहने वाली थी और मैंने कविता से कहा चलो तुम्हारी जॉब भी लग जाएगी। वह मुझे कहने लगी हां मुझे भी यही लगता है और कविता की जॉब दिल्ली में लग चुकी थी। मैंने कविता की मदद की और कविता अब एक पीजी में रहने लगी थी। हम दोनों एक दूसरे को हमेशा ही मिला करते। कविता मुझसे मिलती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता। हम दोनों एक दूसरे से मिला करते तो हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगता। जब भी मैं कविता से मिलता तो मैं बहुत ही खुश रहता। अगर मैं कभी परेशान रहता तो मैं कविता से बात कर लिया करता। मुझे कविता से बात करना बहुत ही अच्छा लगता और वह भी बहुत ज्यादा खुश रहती है जिस तरीके से हम लोग एक दूसरे से बातें किया करते हैं। उस दिन भी हम दोनों बातें कर रहे थे। मैं और कविता साथ में बैठे हुए थे। मुझे कविता ने कहा मैं कुछ दिनों के लिए चंडीगढ़ जा रही हूं।

मैंने कविता को कहा क्या चंडीगढ़ में तुम्हारा कुछ जरूरी काम है? वह मुझे कहने लगी हां भैया की सगाई है इसलिए मुझे कुछ दिनों के लिए चंडीगढ़ जाना है। कविता ने मुझे इस बारे में बताया नहीं था मैंने कविता से कहा लेकिन तुमने तो मुझे बताया नहीं था की भैया की सगाई होने वाली है। वह मुझे कहने लगी मेरे दिमाग से यह बात निकल चुकी थी और वैसे भी भैया ने कुछ दिनों पहले ही तो लड़की पसंद की थी, पापा और मम्मी चाहते हैं भैया जल्दी से सगाई कर ले। कविता कुछ दिनों के लिए चली गई थी वह चंडीगढ मे करीब 10 दिनों तक रही फिर 10 दिन बाद वह वापस लौट आई। मुझे बहुत ही अच्छा लगा और कविता को भी काफी अच्छा लगा इतने दिनों बाद हम लोग एक दूसरे को मिल रहे थे। कविता और मैं एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा खुश थे। जिस तरीके से कविता और मैं एक दूसरे के साथ होते हैं उस से हम दोनों को बहुत अच्छा लगता। उस दिन भी मैंने और कविता ने साथ में अच्छा समय बिताया। मुझे कुछ दिनों के लिए कोलकाता जाना था मैं अपने ऑफिस के बाद कविता से मिला। जब मैं कविता से मिला तो कविता से मैंने कहा मैं कुछ दिनों के लिए कोलकाता जा रहा हूं वह मुझे कहने लगी क्या तुम अपने ऑफिस के काम से कोलकाता जा रहे हो?

मैंने उसे कहा हां मै अपने ऑफिस के काम से कोलकाता जा रहा हूं क्योंकि मुझे कोलकाता में करीब 15 दिनों तक रहना था और मैंने कविता से कहा मुझे कोलकाता में 15 दिनों तक रहना है। मैंने कविता से कहा मैं परसों कोलकाता चला जाऊंगा। मैंने कविता से कहा क्या परसों तुम्हारे ऑफिस की छुट्टी है। वह कहने लगी हां परसों मेरे ऑफिस की छुट्टी है और उस दिन कविता और मैं साथ में थे। कविता एयरपोर्ट आई हुई थी। मैं जब कोलकाता पहुंचा तो मैंने कविता को फोन किया और कविता से थोड़ी देर तक फोन पर बात हुई थी। उसके बाद मैं नहाने के लिए चला गया। मैंने दोबारा कविता से फोन पर बात की मेरी उससे काफी देर तक फोन पर बात हुई। अगले दिन मुझे अपने ऑफिस के काम के सिलसिले में जाना था। मैं 15 दिन कोलकाता में रहा और उसके बाद जब मैं वापस लौटा तो मैंने कविता को फोन किया लेकिन कविता ने मेरा फोन नहीं उठाया। मैंने उसे दो बार फोन किया परंतु कविता ने मेरा फोन नहीं उठाया था। मैं घर पहुंच चुका था जब मुझे कविता का फोन आया तो हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे। मैंने कविता से कहा मैं वापस दिल्ली लौट चुका हूं वह मुझे कहने लगी मैं तुमसे शाम को मिलती हूं। मैंने कविता को कहा ठीक है मैं तुमसे शाम के वक्त मिलता हूं और शाम को हम दोनों एक दूसरे से मिले। जब हम लोग एक दूसरे से मिले तो हमें बहुत ही अच्छा लगा।

मैं इतने दिनों के बाद में कविता को मिल रहा था मैं बहुत ही ज्यादा खुश था और कविता भी बहुत ज्यादा खुश थी। पहली बार कविता ने मुझसे कहा मुझे आज तुम्हारे साथ समय बिताना है। मैं कविता की बात समझ नहीं पाया लेकिन कविता ने मुझे कहा आज मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं। मैंने भी कविता से कहा ठीक है हम लोग होटल में चलते हैं और हम लोग होटल में चले गए। उस दिन वहां पर हम लोगों ने रूम लिया और उसके बाद मैं और कविता रूम में चले गए। कविता और मैं बैठे हुए बातें कर रहे थे। कविता ने मुझे गले लगा लिया। जब कविता ने मुझे गले लगाया तो मुझे बहुत अच्छा लगा। कविता और मैं एक दूसरे के साथ बहुत ही ज्यादा खुश थे। जब हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढ़ा रहे थे तो हम दोनों को बहुत ही अच्छा लग रहा था और कविता को भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। मैंने कविता के होंठों को चूमना शुरू कर दिया। जब मैं उसके नरम होंठों को चूमकर उसकी गर्मी को बढा रहा था तो वह बहुत तड़प रही थी। मैंने कविता से कहा मेरी तड़प को तुमने बढ़ा दिया है। वह मुझे कहने लगी मैं अपने कपड़े उतार देती हूं। कविता ने अपने कपड़े खोला तो उसका गोरा बदन मेरे सामने था मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कविता इतनी सुंदर होगी।

उसका गोरा बदन देखकर मैं कविता की गर्मी को बर्दाश्त ना कर सका। मैंने कविता से अपने लंड को चूसने के लिए कहा तो उसने मेरे लंड को हिलाया। जब वह लंड को चूस रही थी तो मेरे लिए बहुत ही अच्छा था मेरी गर्मी बढ़ती जा रही थी। कविता भी गरम हो चुकी थी वह मुझे कहनी लगी मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा है। उसने मेरे लंड से पानी बाहर निकाल दिया था वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी। मैंने कविता से कहा मैं तुम्हारे स्तनों को चूसना चाहता हूं। मैं उसके स्तनो को चूसने लगा था। उसके स्तनों को चूसने में मुझे मजा आने लगा थ। मुझे बहुत ही मजा आता और उसकी गर्मी भी बढती जा रही थी और मेरी भी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। मैंने कविता से कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। जब मैंने कविता की चूत पर अपने लंड को सटाया तो कविता की चूत से निकलती हुई गर्मी बढने लगी थी और उसकी तडप इतनी ज्यादा बढ़ने लगी वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी। वह मुझे कहने लगी मुझसे रहा नहीं जा रहा है। मैंने कविता से कहा रहा तो मुझसे भी नहीं जा रहा है। मैंने कविता की चूत के अंदर अपने मोटे लंड को डाला तो कविता की चूत में मेरा लंड जा चुका था।

अब कविता की चूत में मेरा लंड जाते ही वह जोर से चिल्लाने लगी और मैं कविता को तेजी से धक्के दिए जा रहा था। वह अपने पैरों को खोला रही थी। उसकी चूत से निकलती हुई गर्मी बढ़ती जा रही थी और मेरे अंदर की गर्मी भी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। मैंने कविता को तेजी से धक्के देना शुरू कर दिया था जिससे कि उसकी सिसकारियां लगातार बढ रही थी। उसकी गर्मी इतनी ज्यादा बढने लगी वह बिल्कुल भी रह ना सकी और मुझे कहने लगी मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है। मेरा वीर्य भी मेरे अंडकोषो तक आ चुका था। मै उसे तेजी से धक्के देने लगा। मेरा वीर्य कविता की चूत में गिर गया जैसे ही कविता की चूत में मेरा वीर्य गिरा तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आया और कविता को भी बहुत अच्छा लगा जब कविता की चूत में मेरा वीर्य गिर चुका था।
 
Back
Top