जब मैंने आशा की चूत में माल गिराया

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Antarvasna, kamukta: कविता और मैं साथ में बैठे हुए बातें कर रहे थे कविता से मैं काफी दिनों के बाद मिल रहा था। मैंने कविता के हाल चाल पूछे तो कविता ने मुझे बताया कि उसकी जिंदगी में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कविता मेरे कॉलेज की फ्रेंड है और हम दोनों एक दूसरे को बहुत ही अच्छे से समझते हैं। जिस तरीके से मैं और कविता एक दूसरे से बातें कर रहे थे उससे कविता को अच्छा लगता और मुझे भी बहुत ज्यादा अच्छा लगता। उस दिन मैंने कविता से बातें की हम दोनों एक दूसरे से बातें करने के बाद जब एक दूसरे के बारे में पूछ रहे थे तो मुझे पता चला कि कविता की जिंदगी बिल्कुल भी ठीक नहीं चल रही। कविता का डिवोर्स होने वाला था और उसने जब मुझे इस बारे में बताया तो मैंने कविता से कहा कि मैं तुम्हारी किस प्रकार से मदद कर सकता हूं। मैंने कविता को समझाने की कोशिश की और उसे कहा कि तुम्हें डिवोर्स नहीं देना चाहिए। कविता मेरी बात कहां मानने वाली थी और उसने डिवोर्स देने का फैसला कर लिया था।

वह अपने पति को डिवोर्स देना चाहती थी और जब कविता का डिवोर्स हो गया उसके बाद मैंने कविता की काफी मदद की। कविता की नौकरी दिलवाने में भी मैंने उसकी मदद की और मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि मैं कविता के किसी काम आ पाया। कविता का डिवोर्स हो जाने के बाद वह पूरी तरीके से टूट चुकी थी। मैंने कविता को समझाने की कोशिश की थी कि वह अपने पति के साथ बात करें और वह डिवोर्स ना ले लेकिन कविता ने मेरी बात नहीं मानी। उसका डिवोर्स हो जाने के बाद वह बहुत ज्यादा परेशान होती जा रही थी और जिस तरीके से वह परेशान हो चुकी थी उससे मैं बहुत ज्यादा दुखी था। कविता से जब भी मैं मिलता तो मुझे हमेशा यह लगता कि कविता को शादी कर लेनी चाहिए। मैंने कविता को कहा कि तुम दोबारा से अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाने की कोशिश करो तो कविता मुझे कहने लगी कि यह सब इतना आसान होने वाला नहीं है।

मैंने कविता को समझाया और कहा देखो कविता तुम्हें कभी ना कभी तो यह फैसला लेना ही होगा और बेहतर होगा कि तुम जल्द ही शादी कर लो। कविता भी शायद मेरी बात मान गई और कविता के ऑफिस में काम करने वाले अमित के साथ कविता ने शादी करने का फैसला किया। अमित कविता को पसंद करता है और जब कविता ने अमित के साथ शादी करने का फैसला किया तो उसने मुझे अमित से भी मिलवाया था। मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि अमित और कविता शादी करना चाहते थे। कविता की शादी शुदा जिंदगी तो ठीक नहीं चल पाई लेकिन कविता दोबारा से अपनी जिंदगी को आगे बढ़ा रही थी और इस बात से मैं बहुत खुश था। जब कविता और अमित की शादी हो गई तो उसके बाद कविता बहुत ही ज्यादा खुश थी और मुझे बहुत अच्छा लगा कि कविता अपनी जिंदगी को आगे बढ़ा रही है।

जिस तरीके से उसकी जिंदगी चल रही है उससे वह बहुत खुश थी। मैं और कविता एक दूसरे को काफी लंबे समय के बाद हम मिल रहे थे। कविता उस दिन घर पर अकेले ही थी और कविता ने मुझे उस दिन घर पर बुलाया था। मैंने कविता से कहा कि अमित कहा है तो वह मुझे कहने लगी कि वह अपने ऑफिस गए हुए है। कविता और मैं एक दूसरे से बातें कर रहे थे कि तभी कविता के पड़ोस में रहने वाली आशा आ गई। जब आशा से कविता ने मेरा परिचय करवाया तो मुझे उससे बातें कर के अच्छा लगा और आशा को भी काफी अच्छा लगा। जब पहली बार हम दोनों एक दूसरे से मिले तो मुझे आशा से मिलकर काफी अच्छा लगा और उसके साथ उस दिन जिस तरीके से मैंने बातें की उससे मैं काफी खुश था।

मैं जब भी कविता को मिलने के लिए जाता तो मैं अक्सर आशा से मिला करता और आशा से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगता। कहीं ना कहीं हम दोनों एक दूसरे को दिल ही दिल चाहने लगे थे लेकिन यह बात हमारी जुबा पर अभी तक आ नहीं पाई थी। ना तो मैंने आशा से कभी अपने दिल की बात कही और ना ही आशा ने कुछ कहा। हम दोनों के बीच बहुत ही अच्छी दोस्ती है और जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे के साथ होते हैं उससे हम दोनों को अच्छा लगता। हम दोनों ने एक दूसरे से मिलना भी शुरू कर दिया था और मेरे लिए यह बहुत ही अच्छा था। जब भी मैं आशा को मिलता तो मुझे बहुत ही खुशी होती और आशा को भी बहुत अच्छा लगता लेकिन अब मैं चाहता था कि आशा से मैं अपने प्यार का इजहार कर दूँ। मैंने आशा से जब अपने प्यार का इजहार किया तो आशा को भी बहुत खुशी थी और हम दोनों का रिलेशन चलने लगा था।

हम दोनों का रिलेशन जिस तरीके से चल रहा है उससे हम दोनों बहुत खुश हैं और मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि आशा और मैं दूसरे के साथ अपने रिलेशन को अच्छे से चला पा रहे हैं। जिस तरीके से हम एक दूसरे के साथ होते हैं उससे मुझे बहुत ही खुशी है और आशा को भी बहुत ज्यादा खुशी है। यह बात कविता को भी पता चल चुकी थी कि आशा और मेरे बीच कुछ चल रहा है तो मैंने भी कविता को इस बारे में बता दिया था। आशा और मेरा मिलना तो अक्सर होता ही रहता था। एक दिन कविता ने मुझे फोन किया उस दिन मैं ऑफिस में ही था। जब उसने मुझे फोन किया तो मैंने कविता से कहा कि कविता तुम कैसी हो तो वह मुझे कहने लगी कि मैं तो ठीक हूं। उस दिन कविता का जन्मदिन था और मैं यह पूरी तरीके से भूल चुका था लेकिन जब उसने मुझे इस बारे में बताया तो मैंने उससे माफी मांगी और कहा कि मुझे बिल्कुल भी ध्यान नहीं था।

कुछ दिनों से मैं अपने काम में कुछ ज्यादा ही बिजी था इसलिए मेरे दिमाग से यह बात निकल चुकी थी। जब कविता ने मुझे इस बारे में बताया तो मैंने कविता से कहा कि मैं तुमसे मिलता हूं। कविता ने मुझे कहा कि मैंने घर पर एक छोटी सी पार्टी रखी है सोचा कि तुम्हें भी उस पार्टी में बुलाऊँ इसलिए मैंने तुम्हें फोन किया। जब उस दिन शाम के वक्त मैं कविता के घर पर गया तो मैंने उसे उसके जन्मदिन की बधाई दी और कहा कि मैं तुमसे माफी मांगता हूं मेरे दिमाग से यह बात निकल चुकी थी। आशा भी पार्टी में आई हुई थी उस दिन आशा के आने से पार्टी में चार चांद लग गए और मैं बहुत ही ज्यादा खुश था जिस तरीके से हमने पार्टी इंजॉय की। उस दिन हम लोग बहुत खुश थे। उस दिन मुझे उसने अपने घर जाने के लिए कहा मैं आशा के घर चला गया। मुझे नहीं मालूम था आशा के घर पर कोई भी नहीं है और वह रात हम दोनों के लिए रंगीन होने वाली थी। मैंने उसके होंठो को सहलाना शुरू किया तो वह भी गर्म होती चली गई। उस दिन मैंने शराब पी ली थी इसलिए मुझे आशा को चोदना था।

आशा पूरी तरीके से गर्म हो चुकी थी आशा की गर्मी बढ़ चुकी थी। मेरी गर्मी बढ़ती जा रही थी मैंने आशा के बदन को पूरी तरीके से गर्म कर दिया था। जब मैंने उसके बदन से कपड़े उतारकर उसके बदन को महसूस करना शुरू किया तो वह उत्तेजित होती जा रही थी और मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ रही थी। मैंने आशा की चूत पर अपने लंड को घुसाते हुए अंदर की तरफ को घुसाना शुरू किया। जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत को चिरता हुआ अंदर की तरफ गया तो उसकी चूत से खून की पिचकारी बाहर निकाल आई थी। जब उसकी चूत से खून निकला तो मेरे धक्के बहुत तेज हो रहे थे। मैं उसके दोनों पैरों को खोल कर उसे तेजी से धक्के देने लगा था और उसकी सिसकारियां बढ़ती जा रही थी। मेरी गर्मी भी बहुत ज्यादा बढ़ रही थी और मैं पूरी तरीके से गरम हो चुका था। आशा भी बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी वह मुझसे कहने लगी मुझे और तेजी से सिसकारियां लो और मैं आशा को तेज गति से धक्के दिए जा रहा था।

मैं जिस तेज गति से उसे चोद रहा था उससे मेरी आग बढ़ रही थी। वह पूरी तरीके से गरम हो चुकी थी मैंने आशा की चूत के मजे बहुत देर तक लिए और उसकी चूत में मैंने अपने माल को गिराकर उसकी चूत की खुजली को शांत कर दिया था। मैंने जब आशा की चूत में अपने माल को गिराया तो वह खुश हो गई थी और मैं भी काफी ज्यादा खुश था। मैंने आशा को घोड़ी बना दिया। उसे घोडी बनाने के बाद मैंने उसे चोदना शुरू किया तो उसकी चूत के अंदर बाहर मेरा लंड बहुत तेजी से हो रहा था। उसकी चूत के अंदर बाहर मेरा लंड आसानी से हो रहा था उसकी चूत से बहुत ज्यादा पानी बाहर निकल रहा था और मुझे मजा आ रहा था। हम दोनों ने एक दूसरे की गर्मी को शांत कर दिया था अब मेरा माल उसकी चूत के अंदर हो चुका था।
 
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