दिल दरिया और गांड समंदर कालेज के दिन [ भाग-1]

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मैडम मेरी बहुत ही सुंदर दिल दरिया और गांड समंदर!! हां कुछ ऐसा ही कह सकता हूं मैं अपनी बीएड की लेक्चरर रश्मि मैम के बारे में। सुंदर सांवली सलोनी पावरोटी की तरह फ़ूली गांड और पपीते के तरह मोटे चूंचे उनकी पर्सनालिटी को चार चांद लगाते थे। मजेदार गुदाज हुस्नो शबाब की मालकन और कोयल के कंठ से फ़ूटती सेक्सी आवाज की तरह कूहूकने वाली रश्मि मैडम को चोदने के लिये उनके चेलों का मन हर सेमेस्टर में बेकरार रहता था लेकिन वो आजतक किसी के हाथ न आयी थी। जब अपने बाल झटक के सामने वाले पर जादू कर के वो पलट के मुसकरा के चल देती, उसकी गांड के गोले एक दूसरे पर चढते हुए सामने वाले पर सेक्स का कीचड़ उछालते मजाक उड़ाते और अगला आदमी हाथ में अपने लंड को पकड़ कर बैठ जाता।

मेरी पहली बीएड की क्लास थी और सामने अगले बेंच पर मैं बैठा हुआ था। जैसे ही रश्मि मैम अंदर घुसीं सारे लड़के खड़े हो गये। खड़ा तो मैं भी होने वाला था लेकिन मुझसे पहले मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने तुरत अपने हाथों से अपने पाजामे को दबाया और हक्का बक्का रह गया जब देखा कि सामने खड़ी रश्मि मेरी इस फ़्रस्ट्रेशन को देख कर मुस्करा रही है। मैंने किताब उठायी। अपने जिप के आगे वाले पार्शन को ढका और धम्म से बेंच पर बैठ गया। वो साइकालोजी की टीचर थी। लेक्चर स्टार्ट हुआ और जैसे ही उसने कहा, साईकोलोजी मन का विज्ञान है मैं समझ गया कि ये मेरे मन की बात तो जान ही गयी होगी। मैं उसको एकटक देख रहा था और वो शायद तिरक्षी नजरों से मेरी हाइट को निहार रही थी जो छ: फ़ीट तीन इंच है और मेरा कसरती बदन इस हाईट को मेंटेन करता है।

क्लास खत्म होने के बाद लैब थी और साइकोलोजी लैब में मुझे एक टेस्ट करने को दिया। मेरी इंस्ट्रक्टर वही थी, मैम। अलग अलग साउंडप्रूफ़ केबिन। अंदर घुसते ही मुझे उसके बदन की सुंदर बास मदहोश करने लगी। उसने कहा टेस्ट निकालो तो मैं उसे देखता रहा। बिनब्याही मैडम का यह तीसवां साल होगा, पर लगती वो चौबीस की थी। मेरा लंड फ़नफ़ना रहा था। सामने उसके चूंचे इतने भारी थे कि अपने वजन से लटक कर टेबल की सतह को चूम रहे थे और लाल लाल होटो पर लिप ग्लोज उसे चूत के अंदरुनी दीवारों की तरह पिंक बना रहा था। थोड़ी देर के लिये मैं फ़ैंटेसाईज करता रहा कि ये कोई चूत ही है। वो समझ गयी थी के ये लड़का सिर्फ़ और सिर्फ़ चोदने के लिये ही बना है। और बहुत दिनों से शायद उसने अपने चूत को किसी लंड की सेवा उपलब्ध नहीं करायी थी। वो भी बेकरार थी। सैंडल का सिरा सीधा पैंट की जिप से टकराया। मेरे को 440 का झटका लगा। लंड पहले से तना हुआ था। और मैडम मुझे पहले ही दीवाना बना चुकी थी। चूत का पानी खौल रहा था उसके भी और मेरे लंड का लहू तो वैसे भी गरम हो चुका था। लावा निकलने वाला था। अगले भाग दो में पढें कैसे इस मैडम की गांड का किया तियां पांचां और मैं बना बीएड टापर।
 
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