दीदी की गाँड़ में पापा का लौड़ा

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Didi Ki Gaand Mein Papa Ka Lauda

दोस्तो, यह कहानी है मेरी दीदी की जो अपने बॉयफ्रेंड से ब्रेक-उप करने के बाद एक लौड़े की तलाश में थी। उसे वह लौड़ा घर पर ही मिल गया जो उसकी चूत की आग को बुझा सकता था। वह लौड़ा था हमारे पिताजी का, बहनचोद साला!

मेरे घर में ४ लोग रहते हैं। मैं, मेरी दीदी और माँ-पिताजी। माँ-पिताजी नौकरी करते हैं। दीदी कॉलेज में अय्याशी करती है और मैं आने वाली बारहवीं की परीक्षा देने के लिए सर पर हाथ रखकर उसका इंतज़ार कर रहा हूँ।

कुछ महीने पहले, जब दीदी दिन भर घर पर ही बैठी हुई थी तब हम सबको पता चल गया था कि उसका ब्रेक-उप हो गया है। वह अपने कमरे में बैठकर दिन निकालती थी। शाम को जब पापा घर लौटते थे तब दीदी उनके साथ मस्ती करती थी।

वह टैंक टॉप और शॉर्ट्स पहनकर पापा के साथ चिपककर बैठती थी। माँ ने शायद ध्यान नहीं दिया होगा लेकिन मेरी नज़र दीदी की हरकतों पर थी। वह अपनी मोटी चूचियों को पापा के कंधे से दबाकर उन्हें पकड़कर बैठती थी।

रिमोट को अपनी जाँघ पर रखती थी ताकि पापा रिमोट उठाते वक़्त उसकी नंगी जाँघ को छू सके। एक दिन तो वह स्कर्ट पहनकर पापा के साथ बैठ गई थी।

जब दीदी सोफ़े के सामने वाली टेबल पर से मैगज़ीन उठाने के लिए झुकी, तब उसने अपनी लाल पैंटी के दर्शन पापा को दे दिए थे। पापा दीदी की भूरी चुत्तड़ को देखकर अपने लौड़े पर हाथ घुमा रहे थे।

कुछ देर बाद, दीदी चैनल बदलकर रिमोट पर बैठ गई और पापा उससे रिमोट लेने के लिए मस्ती कर रहे थे। पापा ने दीदी की जाँघ को पकड़कर उठाया और रिमोट खींच लिया। उसी दौरान, पापा ने दीदी की चुत्तड़ पर चिमटी काटी।

दीदी बदला लेने के लिए पापा के हाथ पर ही बैठ गई थी। वह पापा के हाथ को अपनी गाँड़ से दबा रही थी। पापा भी मज़े ले रहे थे और अपना हाथ तभी ही निकाला जब माँ रसोई-घर से बाहर आ रही थी।

ऐसे ही रोज़, दीदी पापा को उकसाह रही थी और पापा अपने खड़े लौड़े को छिपाने की नाकामयाब कोशिश कर रहे थे। एक रात, जब मैं रोज़ की तरह १२: ३० बजे पढ़ाई करके सोने जा रहा था, तब मैंने बाहर से आ रहीं दीदी की दबी हुई हँसी सुनी थी।

मैंने धीरे से अपने कमरे का दरवाज़ा खोला और बाहर झाँकने लगा। मैंने देखा कि सोफ़े पर पापा और दीदी बैठे हुए थे। दोनों एक दूसरे के गले में हाथ डालकर कुछ मस्ती कर रहे थे।

थोड़ा आगे जाकर मैंने देखा कि पापा दीदी की चूत में उँगली घुसा रहे थे और दीदी पापा के लौड़े को पकड़कर हिला रही थी। दीदी इसलिए खिसियाकर हँस रही थी। दीदी इतनी मस्त और गरम हो चुकी थी कि वह ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी थी।

फिर दीदी ने अपने होंठ पापा की होंठों से लगाकर उनकी चुम्मियाँ लेने लगी। वह पापा के लौड़े को पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थी। पापा ने हवस के मारे गरम होकर दीदी की टैंक टॉप उतार दी और उसकी चूचियाँ दबाने लगे।

उसके मोटे लटकते चूचियों को पकड़कर एक दूसरे के साथ दबाते हुए उन्हें अपने हाथों से मसल रहे थे। कुछ देर बाद, दीदी उठकर खड़ी हो गई और अपने शॉर्ट्स को उतार दिया।

पापा ने दीदी की कमर को पकड़ा और उसे अपने मुँह के पास खींच लिया। पापा दीदी के पैरों के बिच में अपनी हथेली घुसाकर उसके चूत को रगड़ रहे थे। फिर दीदी जोश में आकर ख़ुद पापा के हाथ के ऊपर अपनी गाँड़ और चूत को घिसने लगी।

थोड़ी देर बाद, पापा ने दीदी के चुत्तड़ों को फैलाया और अपनी ज़ुबान को उसकी गाँड़ की छेद के अंदर घुसा दिया। दीदी आगे झुककर पापा के मुँह पर अपनी गाँड़ पटक रही थी।

पापा अच्छी तरह से उसकी गाँड़ की छेड़ के अंदर अपनी ज़ुबान को अंदर-बाहर करके चाट रहे थे। पापा ने अपने हाथों से दीदी के गोल-मटोल चूचे पकड़कर उन्हें दबाने लगे। वह अब अपनी ज़ुबान से दीदी की गाँड़ की दरार चाटने लगे थे।

उत्साहित होकर दीदी अपनी गाँड़ पापा के मुँह पर झूला रही थी। कुछ देर बाद, पापा सोफ़े पर लेट गए और दीदी उनके मुँह पर अपनी नंगी गाँड़ रखकर बैठ गई।

दीदी अपनी गाँड़ को पापा के मुँह पर दबा रही थी जिसकी वजह से पापा का लौड़ा पूरी तरह तनकर खड़ा हो गया था। दीदी ने आगे की तरफ़ झुककर पापा के लौड़े को पकड़ा और उसे हिलाने लगी। पापा दीदी की चूत को अपनी ज़ुबान से चाट रहे थे।

जब पापा दीदी की पँखुड़ियों को फैलाकर उसे चूसने लगे तब दीदी सिसकियाँ लेते हुए पापा के लौड़े को तेज़ी से हिलाकर चूसने लगी थी। थोड़ी देर बाद, दीदी पलटकर पापा के ऊपर लेट गई। पापा और दीदी एक दूसरे के होंठों को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे।

दीदी के चूचियाँ दबाते हुए पापा उसे उकसाह रहे थे। दीदी ने अपने हाथ को निचे ले जाकर पापा के लौड़े को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।

पापा के लौड़े की नोक को अपनी चूत की दरार पर कुछ देर रगड़कर दीदी ने लौड़े को अपनी चूत के अंदर घुसा दिया। पापा दीदी के चुत्तड़ों को पकड़कर उसे अपने लौड़े पर ऊपर-निचे करने लगे।

दीदी की गाँड़ की दरार में अपनी उँगलियाँ फसाकर पापा उसे उत्तेजित करने लगे। दीदी ने अपनी चूची को पापा के मुँह में भर दिया, जिसे पापा छोटे बच्चे की तरह चूसने लगे थे।

हवस की गर्मी के कारण दीदी अपनी चूत को पापा के लौड़े पर उछालने लग गई और हलके से चीख़ना शुरू कर दिया। दीदी पापा के ऊपर बैठ गई और अपनी चूत को उनके लौड़े पर ज़ोर-ज़ोर से उछालने लगे। पापा दीदी की चूचियों को पकड़कर दबा रहे थे।

पापा ने दीदी की निप्पल को पकड़कर खींचा था जिसकी वजह से दीदी ज़ोर से चिल्ला उठी थी। दीदी ने पापा को एक थप्पड़ मारा और मुस्कुराने लगी। दीदी की उछलती हुई गाँड़ को देखकर लग रहा था कि उसका बॉयफ्रेंड उसकी रोज़ ठुकाई करता था।

कुछ देर बाद, पापा सोफ़े पर बैठ गए और दीदी के पैर फैलाकर उसे अपनी गोद में बिठा दिया था। दीदी की गाँड़ को पकड़कर उसे अपने लौड़े पर ऊपर-निचे करने लगे।

चुदाई के वक़्त, दीदी की चूचियाँ पापा की छाती से घिस रही थी जिससे पापा उत्तेजित होकर ज़ोर-ज़ोर से दीदी को अपने लौड़े पर उछालने लगे थे। कुछ देर और उसी तरह चुदाई करने के बाद, पापा ने पोजीशन बदल दी।

पापा ने दीदी को सोफ़े के ऊपर उल्टा लेटा दिया और उसके ऊपर ख़ुद चढ़कर लेट गए थे। दीदी की गाँड़ की छेद में थूक लगाकर पापा ने उसके अंदर अपनी उँगलियाँ घुसाई।

उँगलियों से दीदी की गाँड़ की छेद को चौड़ा करके पापा उसपर अपने लौड़े की नोक को घिसने लगे थे। धीरे से दीदी की गाँड़ में अपना लौड़ा घुसाकर पापा धक्के मारने लगे।

दीदी ने अपनी एक टाँग ज़मीन पर रखकर फैला दिया जिसकी वजह से पापा उसकी अच्छी तरह से गाँड़ चुदाई कर पा रहे थे। पापा जोश में आकर दीदी के पिठ पर लेट गए और ज़ोर-ज़ोर से उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा घुसाने लगे।

दीदी के मुँह पर अपना हाथ रखने के बावजूद भी उसकी चीख़ें ज़ोर से निकल रही थी। दीदी पलटने की कोशिश कर रही थी, लेकिन पापा ने उसपर अपना पूरा वजन डालकर उसे दबा दिया था।

पापा दीदी की गाँड़ पर अपने लौड़े को ज़ोर-ज़ोर से पटकने लगे थे जिसकी वजह से 'पच-पच' करके आवाज़ आने लगे थी। थोड़ी देर बाद, ज़ोर-ज़ोर से अपने लौड़े को दीदी की गाँड़ की छेद के अंदर घुसाने के बाद पापा ने अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया।

सोफ़े के पास खड़े होकर पापा अपने लौड़े को हिला रहे थे। दीदी पापा के लौड़े के सामने अपना मुँह रखकर बैठी थी। दीदी और इंतज़ार न करते हुए उसने पापा के लौड़े को अपने मुँह में डालकर चूसना शुरू किया।

कुछ देर बाद, पापा ने अपने लौड़े का पानी दीदी के मुँह के अंदर निकाल दिया। दीदी उसे पूरा पीकर सोफ़े पर जाकर बैठ गई। पापा भी दीदी के पास जाकर बैठ गए।

तभी माँ ने अपने कमरे का दरवाज़ा खोला और उसे आते हुए देखकर दीदी अपने कपड़े उठाकर नंगी अवस्था में अपने कमरे में भाग गई। माँ पापा को सोफ़े पर नंगे बैठे हुए हाँफते देखकर उसे आश्चर्य हुआ। पापा उठे और माँ को उठाकर अपने कमरे में चले गए।
 
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