पूर्णिमा के साथ मजेदार सेक्स

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Antarvasna, hindi sex stories: ललित और मैं साथ में बैठे हुए बातें कर रहे थे ललित जर्मनी में पढ़ाई करता है और काफी समय के बाद वह घर आया था। ललित हमारे पड़ोस में ही रहता है इसलिए वह मुझसे मिलने के लिए मेरे घर पर आया हुआ था। मेरी और ललित की काफी देर तक बातें हुई फिर ललित ने मुझे कहा कि अब मैं चलता हूं और ललित अपने घर चला गया। जब ललित अपने घर गया तो उसके बाद वह मुझे अगले दिन मिला, जब अगले दिन ललित और मैं एक साथ थे तो हम दोनों ने फैसला किया कि आज हम लोग मूवी देखने के लिए चलते हैं। हम दोनों मूवी देखने के लिए चले गए और जब हम लोग मूवी देखने गए तो वहां पर मूवी खत्म होने के बाद हमे ललित के कुछ दोस्त मिले ललित ने मुझे अपने दोस्तों से मिलवाया। जब ललित ने मेरा परिचय पूर्णिमा से करवाया तो मुझे पूर्णिमा से मिलकर अच्छा लगा। यह पहली बार था जब मैं पूर्णिमा से मिला था और फिर हम दोनों घर लौट आए थे।

मेरी कॉलेज की पढ़ाई पूरी हो चुकी है और मैं अब पापा के साथ दुकान का काम देख रहा हूं हमारी पुश्तैनी दुकान है जो अब मैं संभाल रहा हूं। कभी कबार पापा दुकान में आ जाया करते हैं। अगले दिन सुबह ही मैं दुकान में चला गया था जब मैं दुकान में गया तो मुझे ललित का फोन आया ललित ने मुझे कहा क्या तुम दुकान में ही हो तो मैंने ललित से कहा कि हां मैं अभी दुकान में हूं। ललित ने मुझे कहा कि तुम वहां से वापस कब लौट आओगे मैंने ललित को कहा कि मुझे तो शाम हो जाएगी ललित ने कहा कि ठीक है। ललित को अपने किसी काम से अपने दोस्त के घर जाना था तो ललित को लगा कि शायद मैं घर पर ही हूं लेकिन मैं उस दिन दुकान में था और मैंने ललित को कहा कि मैं तुम्हें शाम को मिलता हूं। जब मैं दुकान से घर वापस लौटा तो मैंने ललित को फोन किया ललित मुझे मेरी कॉलोनी के पार्क में ही मिला वह मुझे कहने लगा कि मुझे अपने दोस्त से मिलने जाना था इसलिए मैंने सोचा कि तुम भी घर पर होंगे तो हम दोनों साथ में ही चलेंगे।

मैं और ललित एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो ललित ने मुझे कहा कि मैं अब जर्मनी वापस जा रहा हूं। मैंने ललित को कहा कि तुम जर्मनी कब जा रहे हो तो ललित ने मुझे बताया कि वह जर्मनी कुछ ही दिनों बाद जा रहा है मैंने ललित को कहा क्या तुम अब जर्मनी में ही सेटल होने का प्लान बना रहे हो। ललित ने मुझे कहा कि हां मैं जर्मनी में ही सेटल होने के बारे में सोच रहा हूं। ललित और मैं एक दूसरे से काफी देर तक बातें करते रहे फिर मैं वापस अपने घर लौट आया था। जब मैं घर लौटा तो मैंने सोचा कि मैं नहा लेता हूं तो मैं नहाने के लिए बाथरूम में चला गया। काफी ज्यादा गर्मी थी इसलिए मैं नहाने के लिए चला गया था और जब मैं नहा कर बाहर निकला तो उसके बाद मैं पापा और मम्मी के साथ बैठा हुआ बातें कर रहा था।

काफी दिन बाद मैं पापा और मम्मी के साथ बैठ पाया था क्योंकि मुझे दुकान के काम के चलते समय नहीं मिल पाता था और कुछ दिनों से मैं ललित के साथ ही था। हम लोगों ने डिनर किया और फिर मैं अपने रूम में चला गया। मैं अपने रूम में चला गया था और उसके बाद मैंने अपने रूम में टीवी ऑन की, थोड़ी देर तक मैंने टीवी देखी फिर मुझे नींद आने लगी थी इसलिए मैंने सोचा कि मैं सो जाता हूं और फिर मैं सो गया था। अगले दिन भी मैं अपनी दुकान पर सुबह ही निकल गया था। मैं अक्सर सुबह ही अपनी दुकान पर चले जाया करता हूं और शाम को देर रात से वापस लौटा करता। ललित भी जर्मनी में ही सेटल हो चुका था ललित के कॉलेज की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी। ललित से मेरी फोन पर बातें होती थी हम लोगों की जब भी फोन पर बातें होती तो हमें काफी अच्छा लगता। एक दिन मैं और ललित फोन पर बातें कर रहे थे उस दिन हम दोनों की फोन पर काफी देर तक बातें हुई।

ललित ने मुझे बताया कि वह कुछ दिनों में घर आ रहा है मैंने ललित को कहा कि चलो इस बहाने हम लोगों की मुलाकात तो हो जाएगी। ललित और मैं जब एक दूसरे को मिले तो हमें काफी अच्छा लगा ललित काफी समय के बाद घर आया था। ललित के साथ मैंने भी अच्छा समय बिताया, ललित कम ही दिनों के लिए ही घर आया था और फिर वह वापस चला गया था। ललित और मैं एक दूसरे के साथ फोन पर अक्सर बातें किया करते हैं। एक दिन मैं अपनी दुकान पर ही था उस दिन मुझे पूर्णिमा मिली मैं पूर्णिमा को पहचान नहीं पाया लेकिन पूर्णिमा ने मुझे पहचान लिया था। पूर्णिमा ने मुझसे इस बात के लिए माफी मांगी कि मैं उसे पहचान नहीं पाया पूर्णिमा और मेरी थोड़ी देर तक बात हुई।

उस दिन मैंने पूर्णिमा का नंबर ले लिया था और पूर्णिमा से मैं फोन पर बातें करने लगा था हम दोनों एक दूसरे से फोन पर बातें किया करते हैं। हालांकि हम लोगों का मिलना कम ही हो पाता था लेकिन फिर भी जब भी हम लोग एक दूसरे से मिलते तो हमें काफी अच्छा लगता। एक दिन पूर्णिमा का मुझे फोन आया और उसने मुझसे मिलने की बात कही तो मैंने पूर्णिमा को कहा कि मैं तुम्हें आज शाम को मिलता हूं। पूर्णिमा भी अपने ऑफिस से फ्री हुई और हम दोनों शाम के वक्त एक दूसरे को मिले। जब हम लोग एक दूसरे के साथ बैठे हुए बातें कर रहे थे तो हमें काफी अच्छा लग रहा था। मुझे इस बात से बड़ी खुशी थी कि मैं पूर्णिमा के साथ अच्छा समय बिता पा रहा हूं।

पूर्णिमा और मैं जब भी एक दूसरे के साथ होते तो हमें समय का पता ही नहीं चलता और मुझे ऐसा लगता कि जैसे मैं और पूर्णिमा एक दूसरे से प्यार करने लगे हैं। मेरे दिल में पूर्णिमा के लिए अब काफी ज्यादा प्यार है और मैं पूर्णिमा के साथ रिलेशन में बहुत खुश हूं। पूर्णिमा ने हीं मुझसे अपने प्यार का इजहार किया और जब पूर्णिमा ने मुझसे अपने दिल की बात पहली बार कही थी तो मैं इस बात से बड़ा खुश था। पूर्णिमा और मेरा रिलेशन काफी अच्छे से चल रहा है और जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे के साथ होते हैं उससे हमें काफी अच्छा लगता है। पूर्णिमा मुझसे मिलने के लिए अक्सर घर पर आ जाया करती है।

एक दिन पूर्णिमा मुझसे मिलने के लिए घर पर आई हुई थी उस दिन हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे और हम दोनों को काफी अच्छा लग रहा था। वह मेरे बगल मे थी मेरा मन उसकी चूत मारने का था। मैंने जब पूर्णिमा को अपनी बांहो मे भरा तो मुझे मजा आ रहा था और वह भी गरम होती जा रही थी। मैंने जब उसके होंठो को चूमा तो वह तडप रही थी उसके रसीले गुलाबी होंठ मेरी आग को बढा रहा थे।मैंने अब पूर्णिमा से कहा तुम अपने कपडे खोल दो। वह भी अपने कपडे उतारकर मेरे सामने लेट गई। मैंने जब पूर्णिमा की ब्रा को खोला तो उसके गोरे स्तन मेरी आग को बढा रहे थे। मैंने पूर्णिमा से कहा मैं तुम्हारी चूत को भी चाटना चाहता हूं। मैंने जैसे ही उसकी चूत पर अपनी जीभ को लगाया तो उसकी चूत से पानी निकलने लगा था और पूर्णिमा अब तडपने लगी थी। मैंने उसकी चूत पर अपने लंड को सटाया और उसकी चूत पर मैं अपने लंड को रगडने लगा था। वह बहुत ज्यादा मचल रही थी और मैं भी तडप उठा था।

मैंने पूर्णिमा की आंखो मे देखा तो वह खुश थी। अब वह मुझसे लिपट कर बोली मुझे और ना तडपाओ मैं रह नहीं पा रही हूं। वह अब रह नहीं पा रही थी और ना ही मैं अपने आप पर काबू कर पा रहा था। मैंने पूर्णिमा की चूत पर अपने लंड को रगडना शुरु किया और उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया था। मेरा लंड पूर्णिमा की चूत के अंदर जा चुका था और उसकी चूत से खून निकल आया था। अब वह मेरा साथ अच्छे से दे रही थी। वह मेरा साथ बहुत अच्छे से देती।

मैं उसे तेजी से चोदे जा रहा था। अब वह मेरा साथ अच्छे से दे रही थी और मैं उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को तेजी से कर रहा था। उसकी सिसकारियां बढ रही थी। हम दोनो रह नहीं पा रहे थे। मैंने उसकी चूत पर तेजी से प्रहार करना शुरु किया मैं बहुत ज्यादा मचल रहा था। वह मुझे कहने लगी मैं झड चुकी हूं। वह झड चुकी थी और उसकी चूत के अंदर बाहर मैं अपने लंड को कर रहा था। पूर्णिमा की चूत से निकलती हुई आग को मैं झेल ना सका और उसकी चूत के अंदर अपने माल को गिरा दिया था। मैंने पूर्णिमा की टाइट चूत से लंड को बाहर निकाला तो वह मचल रही थी। उसने मेरे लंड को चुसकर कडक बना दिया था और वह रह ना सकी। अब हम दोनो ने एक दूसरे की आग को दोबारा शांत किया और फिर हम दोनो ने कपडे पहने और पूर्णिमा घर चली गई।
 
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