sexstories

Administrator
Staff member
Sex stories in hindi, antarvasna: मैं इंटरव्यू देने के लिए गया हुआ था मैं जिस ऑफिस में इंटरव्यू देने गया वहां पर मेरा सिलेक्शन हो चुका था और उसके बाद मैं वहां पर जॉब करने लगा। कुछ दिन ट्रेनिंग करने के दौरान मैं आकांक्षा से मिला आकांक्षा को मिलकर मुझे काफी अच्छा लगा और हम दोनों एक दूसरे से काफी बातें भी करने लगे तो हम दोनों एक दूसरे के करीब आ चुके थे। मैं बहुत खुश था और आकांक्षा भी बहुत खुश थी हम दोनों को एक दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा। समय के साथ साथ हम दोनों अब एक दूसरे से प्यार भी करने लगे थे और मुझे बहुत अच्छा लगता है जब भी मैं आकांक्षा के साथ बात करता या उसके साथ मैं समय बिताया करता और आकांक्षा भी मेरे साथ बहुत खुश रहती थी। एक दिन मैं और आकांक्षा साथ में बैठे हुए थे हम दोनों अपने ऑफिस में लंच कर रहे थे तो आकांक्षा ने मुझे बताया कि वह कुछ दिनों के लिए अपने मामा जी के घर जा रही है। मैंने आकांक्षा को कहा तुम वहां से कब लौटोगी तो आकांक्षा ने मुझे कहा कि मैं वहां से जल्दी वापस लौट आऊंगी और उसके बाद कुछ दिनों के लिए आकांक्षा अपने मामा जी के घर चली गई।

मैं आकांक्षा को बहुत ज्यादा मिस कर रहा था और इस दौरान मेरी आकांशा से ज्यादा बात भी नहीं हो पा रही थी लेकिन मैं आकांक्षा को इतना मिस कर रहा था कि मैं उससे बात करने की कोशिश कर रहा था परंतु वह मेरा फोन ही नहीं उठा रही थी। कुछ दिनों के बाद वह मुझे सुबह ऑफिस में मिली तो मैने आकांशा को कहा कि तुमने तो मुझसे फोन पर बात ही नहीं की। आकांक्षा ने मुझे बताया कि उसका फोन कहीं गुम हो चुका था इस वजह से वह मुझसे बात नहीं कर पाई लेकिन मैं इस बात से बड़ा खुश था की आकांशा वापस लौट आई। हम दोनों एक दूसरे को बहुत ज्यादा प्यार करने लगे थे मैं आकांक्षा के बिना एक पल भी रह नहीं पाता था और मैं चाहता था कि आकांक्षा के साथ मैं शादी करूं लेकिन फिलहाल तो यह संभव नहीं था क्योंकि मेरे परिवार वालों ने मेरे लिए अपने फैमिली फ्रेंड की बेटी सुहानी से मेरी शादी करवाने की बात कही। मैंने पापा और मम्मी दोनों से ही कहा कि मैं सुहानी से शादी नहीं करना चाहता हूं सुहानी को मैं काफी पहले से जानता हूं और वह भी मुझे पसंद करती है।मुझे यह बात अच्छे से पता है कि सुहानी मुझे बहुत पसंद करती है लेकिन मैं उससे शादी नहीं कर सकता था। मैंने इस बारे में पापा और मम्मी दोनों को ही बताया वह लोग मुझे कहने लगे कि बेटा सुहानी तुम्हारे लिए ठीक है और वह बहुत ही अच्छी लड़की है। मैंने आकांक्षा के बारे में अभी तक किसी को भी अपने परिवार में बताया नहीं था लेकिन अब ऐसी स्थिति बन चुकी थी कि मुझे अपने घर में आकांक्षा के बारे में बताना पड़ा।

मैं जब आकांशा को लेकर एक दिन अपने घर पर आया तो मैंने आकांक्षा को पापा मम्मी से मिलवाया। जब आकांक्षा पापा मम्मी से मिली तो पापा और मम्मी दोनों को ही आकांक्षा बहुत पसंद आई उन्होंने आकांक्षा को अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर लिया था और मैं भी इस बात से बहुत ज्यादा खुश था कि वह लोग भी आकांक्षा को स्वीकार कर चुके हैं। मैं चाहता था कि आकांक्षा भी अपने परिवार से मेरे और अपने रिश्ते के बारे में बात करे और आकांक्षा ने जब हम दोनों के रिश्ते की बात अपने परिवार से की तो उन्होंने हम दोनों के रिश्ते को स्वीकार कर लिया अब हम दोनों बहुत ज्यादा खुश थे कि आकांक्षा और मेरे बीच सब कुछ ठीक होने लगा है। हम दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे और उसके बाद हम दोनों की सगाई हो चुकी थी। सगाई होने के बाद मुझे एक दिन सुहानी दिखी सुहानी ने मुझे कहा कि दीपक मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं मैंने सुहानी को कहा सुहानी देखो मुझे पता है कि तुम मुझसे प्यार करती हो लेकिन मैं आकांक्षा को पसंद करता हूं। सुहानी के दिल में यह बात थी की वह मुझसे शादी करे लेकिन मैं सुहानी से शादी करना नहीं चाहता था। आकांक्षा और मेरी शादी का दिन भी नजदीक आ चुका था और फिर हम दोनों की शादी हो गयी। हमारी शादी अच्छे से चल रही थी और पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों की शादी को तीन महीने हो गए। तीन महीने के बाद आकांक्षा एक दिन अपने मायके चली गई जब वह अपने मायके गई तो उसकी तबीयत कुछ ठीक नहीं थी मैं आकांक्षा को मिलने के लिए उसके घर पर गया तो आकांक्षा ने मुझे कहा कि मुझे काफी तेज बुखार आ रहा है।

मैं समझ चुका था कि आकांक्षा को काफी ज्यादा बुखार है उसके बाद मैं उसे डॉक्टर के पास ले कर गया। जब मैं आकांक्षा को डॉक्टर के पास ले कर गया तो डॉक्टर ने उसे दवाइयां दी और आराम करने के लिए कहा, मैंने आकांक्षा को टाइम से दवा खाने के लिए कह दिया था और फिर मैं घर पर आ चुका था। आकांक्षा कुछ दिनों के लिए अपने मायके में हीं रुकना चाहती थी इसलिए मैंने उसको उसके मायके में ही रहने दिया। काफी लंबे समय बाद आकांक्षा भी अपने मायके गई थी शादी के बाद यह पहली बार था जब आकांशा अपने मायके गई थी। जब मैं आकांशा को लेने गया तो मैं वहां पर दो दिन रुका और उसके बाद हम लोग अपने घर वापस लौट आए। आकांक्षा और मैं काफी खुश है मैं आकांक्षा के साथ बहुत ज्यादा खुश हूं और जिस प्रकार से आकांक्षा और मेरा रिलेशन चल रहा है उससे मुझे बहुत ही ज्यादा खुशी है। शादी के बाद मेरे और आकांक्षा के बीच हर रोज सेक्स संबध बनते रहते है। एक दिन सुहानी घर पर आई हुई थी उस दिन घर पर कोई भी नहीं था। मैं घर पर अकेला था लेकिन सुहानी की नियत मुझे पहले से ही कुछ ठीक नहीं लगती थी। वह मुझे अपने बदन को सौंप चुकी थी। वह मेरी गोद में आकर बैठी तो मेरा लंड भी तन पर खड़ा होने लगा था। मेरा लंड इतना कड़क हो चुका था मैं अपने लंड को उसकी चूत में डालना चाहता था।

मैं अपने आपको बिल्कुल रोक नहीं पा रहा था सुहानी ने जब मेरी पैंट की चैन को खोलकर मेरे लंड को बाहर निकाला तो मैंने सुहानी को कहा तुम इसे अपने मुंह में ले लो। सुहानी ने मेरे मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर लिया और उसे चूसने लगी। सुहानी को बहुत ज्यादा मजा आ रहा था जिस प्रकार से वह मेरे मोटे लंड का रसपान कर रही थी। उसने मेरे लंड का रसपान काफी देर तक किया उसने मेरे लंड से पानी भी बाहर निकाल कर रख दिया था। मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुका था और वह भी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी। उसने मुझे कहा मुझसे एक पल के लिए भी रहा नहीं जा रहा है मैंने उसे कहा अब मैं भी रह नहीं पाऊंगा इसलिए मैंने सुहानी को कहा तुम अपने कपड़ों को उतार दो। सुहानी ने मेरे सामने अपने कपड़े उतारे सुहानी का गोरा बदन देख कर मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था। वह बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी मुझे काफी अच्छा लग रहा था और सुहानी को भी बड़ा मजा आने लगा था। मैंने सुहानी से कहा मैं तुम्हारी चूत में अपने लंड को डालना चाहता हूं लेकिन उससे पहले मै सुहानी के स्तनों का रसपान करना चाहता था। मैंने कुछ देर तक उसके स्तनो का रसपान किया उसके स्तनों को मैंने काफी देर तक चूसा। मै उसके स्तनों का रसपान कर रहा था तो मैने उसके स्तनों से दूध बाहर की तरफ को निकल दिया था। वह बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी वह मुझे कहने लगी मेरी उत्तेजना काफी ज्यादा बढ़ने लगी है अब मेरे मोटे लंड से भी पानी बाहर की तरफ को गिरने लगा था।

मैंने सुहानी से कहा मैं तुम्हारी चूत को चाटना चाहता हूं। मैंने सुहानी की पैंटी को उतारते हुए उसकी योनि को सहलाना शुरू किया। मैं जब उसकी चूत को सहला रहा था तो वह पूरी तरीके से गर्म होने लगी थी और मुझे भी बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगा था। सुहानी और मैं पूरी तरीके से गर्म हो चुके थे। मैंने सुहानी को कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करना चाहता हूं। जैसे ही मैंने सुहानी की चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह जोर से चिल्लाकर मुझे कहने लगी मेरी योनि से बहुत ज्यादा खून बहार निकलने लगा है। मैंने सुहाने की चूत की तरफ देखा तो वह बिल्कुल सील पैक माल थी और मुझे उसकी चूत मारने में अब मजा आने लगा था। मैंने उसके दोनों पैरों को खोल लिया था। जब मैंने उसके पैरों को खोलकर उसे तेज गति से धक्के देने शुरू किए तो वह बहुत तेजी से चिल्ला रही थी। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है अब मुझे भी काफी ज्यादा मजा आने लगा था। मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बड़ी तेजी से करना शुरू किया। जब मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने मोटे लंड को करना शुरू किया तो उसे मजा आने लगा और मुझे भी काफी ज्यादा मजा आने लगा था।

हम दोनों ही एक दूसरे के साथ सेक्स का मजा ले रहे थे वह अपनी सिसकारियो से मुझे अपनी और खींच रही थी और मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था जिस प्रकार से मैं और सुहानी एक दूसरे के साथ सेक्स संबंध बना रहे थे। हम दोनों ने एक दूसरे के साथ काफी देर तक सेक्स संबंध बनाए और जैसे ही मेरा माल सुहानी की चूत में गिरा तो वह मुझे कहने लगी आज तुमने मेरी इच्छा को पूरा कर दिया मेरा बस एक ही सपना था कि मैं किसी प्रकार से तुमसे अपनी चूत मारवाकर अपनी इच्छा को पूरा कर लूं। मैं और सुहानी काफी ज्यादा खुश थे जिस प्रकार से मैंने और सुहानी ने एक दूसरे के साथ सेक्स संबंध बनाए थे उससे मुझे सुहानी की चूत की लत पड़ चुकी थी और सुहानी को भी काफी ज्यादा अच्छा लगने लगा था जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ होते तो हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स संबंध बना लिया करते। मेरे दोनों हाथों में लड्डू थे मुझे जब भी जिसके साथ सेक्स करना होता तो मैं उसके साथ सेक्स कर लिया करता। मेरा मन जब भी आकांक्षा के साथ सेक्स करने का होता तो मै आकांक्षा के साथ चुदाई कर लिया करता और सुहानी के साथ भी सेक्स कर लिया करता था। उसे भी बहुत मजा आता था जब भी मैं उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता।
 
Back
Top