बहार नहीं, आज घर पर ही मिला जाये

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हाई दोस्तों,

मैं आपको अपनी दोस्त की एक जान - पहचान वाली लड़की जिसका नाम मोहिनी था उसकी चुत - चुदाई के मसालेदार कहनी सुनाने जा रहा हूँ | उसने पूरी तरह से मेरे लंड को जैसे भा ही लिया था और मैं बस उसके तन की आस में पूरी तरह से खो गया था | मैंने अपने दोस्त से मोहिनी से मेरा जुगाड करने को कहा जिसपर उसने एक दिन मेरी मुलाकात करा दी और उस दिन के बाद जब वो मुझे अगली बार मिली तो मैंने उसे उससे अच्छी वाली दोस्ती कर उसका फोन - नंबर ले लिया | उस दिन के बाद तो हम रोज ही फोन पर बात कर लिया करते और मुझे अक्सर ही इधर - उधर मिलने के लिए भी बुलाया करती थी | उसका कोई भी प्रेमी ना था पर मैंने भी उसके सामने अपने प्यार का प्रस्ताव नहीं रखा क्यूंकि मैं तो केवल उसके बदन से ही प्यारा करता था |

एक दिन जब उसने मुझे कहीं बहार अपने से मिलने के लिए बुलाया तो मैंने उसे अपने खाली घर में ही बुला लिया | हमने वहीँ कुछ देर रोमांटिक बातें की जिसपर वो फिसल गयी और मैं उसके अचानक से अब एक दम ही करीब आ चूका था | अब मैंने उसे कुछ ज्यादा ही उत्तेजित कर उसके हाथ पर कुछ देर अपने हाथ को फिराया जिसपर उसने मुझेकमुक मुस्कान तो दी पर मेरा कोई विरोध नहीं किया जिसपर मुझे अपना आगे अ काम बनता हुआ नज़ आने लगा | मैंने कुछ ही देर में उसके साथ चुम्मा - चाटी करते हुए उसके चुचों से टॉप के नीचे दबाने लगा जिसपर उसे खूब मज़ा आ रहा था और साथ ही उसके चूचकों के साथ खेलता हुआ उसकी आगे की काम - क्रीडा में दिलचस्पी बढाने लगा |

कुछ ही देर में मैंने मोहिनी को अपनी ओर खीच बाहों में भरके चूमने लगा उसके टॉप भी जल्दी से उतार दिया ताकि वो मेरा विरोध करना चालू ना करदे | अब उसके चुचों की अपने हाथों से हजामत करते हुए मैंने उसके ब्रा का भी हुक खोल दिया और उसके नंगे चुचों को चूसते हुए उसे खूब गरम करने लगा | मैंने उसकी जाँघों पर हाथ फेरते हुए उसकी पैंट को भी खोल दिया और उसकी पैंटी को जल्दी से उसकी चुत पर से हटा दिया | मैं उसकी चिकनी चुत पर अपनी उँगलियाँ मसल रहा था और उप्पर से उसके होंठों को भींचे लेत हुआ था | अब मेरी भी बेताबी बढ़ने लगी तो यूँही वक्त को बर्बाद ना करते हुए मैंने उसकी टांग को चौड़ाते हुए अपने मोटे लंड को निकाल उसकी चुत की फांकों के बीच दे डाला |

मैं बारी - बारी मसलते हुए उसके उप्पर चढ उसके चुत को चोदे जा रहा था और साथ ही उसके होठों को चूसने लगा था | उसकी चुत में मैंने पूरा दम लगाते हुए अपने लंड को अंदर देने के लिए झटका मारा जिससे उसकी भारी - भारी सिसकियां निकल रही थी और मुझे चैन की सांस आ रही थी | मैंने इसी तरह उसकी चुत के उप्पर चडे हुए भारी - भारी धक्के मारे जिससे उसकी चुत का पानी निकलने से ना थमा | वो नरम के मेरे गालों को पकड़कर चूम रही जिससे उसकी बेताबी का पता चल रहा और कुछ ही देर बाद मैं भी अपने लंड का मुठ उसकी उप्पर छोड़ने से ना चूका और उस दिन के बाद से वो मुझे मौका मिलते ही अपनी चुत को हरा करवाने के लिए बुला लेती |
 
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