बिस्तर पर लेटे दो प्रेमी

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Hindi sex kahani, antarvasna: मेरे कॉलेज का पहला दिन था और मैं बहुत ही ज्यादा नर्वस था मैं जब अपनी क्लास में पहुंचा तो वहां पर उस वक्त दो चार लोग ही बैठे हुए थे क्योंकि वह क्लास का पहला दिन था इसलिए ज्यादा लोग आए नहीं थे। उस दिन तो मैं घर लौट आया था और अगले दिन जब मैं क्लास में गया तो उस दिन क्लास में काफी लोग आए हुए थे और जब उस दिन हम लोगों का परिचय एक दूसरे से हुआ तो मुझे सरिता काफी अच्छी लगने लगी।

पहली बार ही था जब मैंने किसी लड़की को पसंद किया था और मैं सरिता के लिए बहुत ही ज्यादा सीरियस हो चुका था। समय बीतने के साथ साथ सरिता और मेरी दोस्ती भी गहरी होती चली गई लेकिन सरिता को मैं अपने दिल की बात कभी कह नहीं पाया था। मैं एक बहुत ही सिंपल और साधारण परिवार का रहने वाला हूं इसलिए शायद मेरे अंदर यह हिचक हमेशा ही से ही थी। हमारी क्लास में पढ़ने वाले राजेश के साथ में सरिता का रिलेशन चलने लगा था और मैं यह सब देखता ही रह गया मेरा हाथ में कुछ भी नहीं था। सरिता मेरी जिंदगी से दूर हो चुकी थी और मैं बहुत ही ज्यादा परेशान रहने लगा था मैं घर पर भी किसी से ज्यादा बात ही नहीं किया करता था।

एक दिन हमारे पड़ोस में रहने वाले शोभित भैया हमारे घर पर आए हुए थे वह मुझसे उम्र में काफी बड़े हैं उनके साथ में मेरी काफी अच्छी बनती है तो मैंने उनसे इस बारे में बात की। शोभित भैया ने मुझे समझाया और कहा देखो आकाश तुम्हें सरिता को अपने दिल की बात बतानी चाहिए क्या पता वह भी तुम्हारी बात मान जाए। मुझे भी उस दिन उनकी बात सुनकर यही लगा कि मुझे सरिता को अपने दिल की बात कह देनी चाहिए। मैंने सरिता को अपने दिल की बात तो कह दी थी लेकिन वह शायद अब मुझसे और भी दूर हो चुकी थी अब हम दोनों एक दूसरे से बातें भी नहीं करते थे। मुझे यह बात बहुत ही ज्यादा बुरी लगती की सरिता और मैं एक दूसरे से बात भी नहीं करते हैं।

हम दोनों का कॉलेज में केंपस प्लेसमेंट में सलेक्शन हो गया और हम दोनों की जॉब एक ही कंपनी में लग गयी। हम दोनों एक ही कंपनी में जॉब कर रहे थे और मुझे सरिता से बात करने का मौका मिलता तो मैं उससे बात करने की कोशिश किया करता लेकिन हम दोनों की बातें ज्यादा होती नहीं थी। सरिता भी अपने काम पर पूरी तरीके से ध्यान देती और वह कभी भी मुझसे अच्छे से बातें नहीं किया करती थी लेकिन अब समय बीतता जा रहा था और सरिता को भी इस बात का एहसास होने लगा था कि मैं उससे बहुत ज्यादा प्यार करता हूं। कहीं ना कहीं हम दोनों के बीच में प्यार दोबारा से पनपने लगा था और हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे थे।

मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब भी मैं और सरिता एक दूसरे के साथ में होते है और हम दोनों एक दूसरे के साथ में समय बिताया करते हैं। हम दोनों के बीच में काफी ज्यादा प्यार हो चुका था और समय के साथ साथ अब हम दोनों एक दूसरे के साथ अपने रिलेशन को आगे भी बढ़ाना चाहते थे। सरिता को मेरा साथ अच्छा लगता और मुझे तो सरिता का साथ हमेशा से ही अच्छा लगता था। मुझे जब भी कुछ परेशानी होती तो मैं सरिता से बात कर लिया करता और मेरी परेशानी पल भर में दूर हो जाया करती थी। हम दोनों की बातचीत बहुत ही अच्छे से होती और हम दोनों एक दूसरे को काफी प्यार भी करते हैं। एक दिन मैं और सरिता हमारे ऑफिस की कैंटीन में बैठे हुए थे उस दिन सरिता ने मुझे बताया कि वह कुछ दिनों के लिए अपने मामा जी के घर जा रही है।

मैंने सरिता को कहा लेकिन तुम वहां से वापस कब लौटोगी तो वह मुझे कहने लगी कि मैं वहां से जल्दी वापस लौट आऊंगी। मैंने सरिता से कहा कि ठीक है जब तुम वहां से वापस लौट आओगी तो मुझे फोन कर देना। सरिता ने कहा कि ठीक है मैं जब वहां से वापस लौट आऊंगी तो मैं तुम्हें फोन कर दूंगी और तुम मुझे लेने के लिए रेलवे स्टेशन पर आ जाना मैंने सरिता को कहा ठीक है मैं तुम्हें लेने के लिए रेलवे स्टेशन पर आ जाऊंगा। उस दिन मैं अपने घर पर ही था पापा भी अपने ऑफिस से लौटे नहीं थे तो मां ने मुझे कहा कि बेटा तुम पापा को फोन करना।

मैंने जब पापा को फोन किया तो वह फोन नहीं उठा रहे थे मैं उन्हें बार बार फोन किए जा रहा था लेकिन उन्होंने फोन नही उठाया और वह थोड़ी देर के बाद ही घर लौट आये। जब वह घर लौटे तो मुझे काफी ज्यादा अच्छा लगा और मैं उनके साथ में कुछ देर तक बैठा रहा मैंने उनसे कुछ देर बातें की। पापा ने मुझे बताया कि वह महिमा के लिए लड़का ढूंढ रहे है। महिमा मेरी छोटी बहन का नाम है और वह अब जॉब करने लगी है उसकी शादी की उम्र भी हो चुकी है इसलिए पापा उसको लेकर चिंतित रहते हैं। महिमा ने भी अब शादी के लिए हामी भर दी थी और वह शादी करने के लिए तैयार हो चुकी थी। इस बात से पापा बहुत ही ज्यादा खुश थे और उन्होंने महिमा से कहा कि बेटा मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूं कि तुमने शादी के लिए हां कह दी है।

अब महिमा के लिए एक अच्छा सा लड़का ढूंढ कर उसकी शादी पापा और मम्मी करवाना चाहते थे। हमारे एक दूर के रिश्तेदार हैं उनके ही पड़ोस में एक परिवार रहता है उन लोगों से जब पापा ने इस बारे में बात की तो उन लोगों की मदद से ही महिमा की शादी उनके पड़ोस में रहने वाले गौतम से हो पाई। अब महिमा अपने ससुराल में है और वह अपनी शादीशुदा जिंदगी से बहुत ही ज्यादा खुश है। सरिता और मेरे बीच भी सब कुछ ठीक है और हम दोनों भी एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं। हम लोग चाहते थे कि जल्द से जल्द हम दोनों भी शादी कर ले। सरिता और मैं एक दिन ऑफिस में ही बैठे हुए थे। उस दिन जब हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो मैं सरिता को देखे जा रहा था वह मुझे देख रही थी।

उस दिन हम दोनों के बीच किस हो गया। सरिता को देख कर मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक ना सका और ना ही वह अपने आप को रोक सकी। मैंने अपने लंड को बाहर निकालना तो सरिता मुझे कहने लगी तुम यह क्या कर रहे हो। हम दोनों उस वक्त ऑफिस की कैंटीन के कोने में खड़े थे तो सरिता मुझे कहने लगी यह सब बिल्कुल भी ठीक नहीं है। वह घबरा रही थी मैंने उसे कहा चलो हम लोग बाथरूम में चलते हैं क्योंकि सरिता भी पूरी तरीके से गर्म हो चुकी थी इसलिए वह भी अपने आपको रोक नहीं पा रही थी और मुझे उसने कहा हम लोगों को बाथरूम में चलना चाहिए। हम दोनों उस दिन बाथरूम में चले गए जब हम लोग वहां पर गए तो वह मेरे लंड को चूसने लगी। उसे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था हम दोनों बहुत ज्यादा गरम हो चुकी थी और कहीं ना कहीं अब हम दोनों की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। मैंने सरिता को कहा तुम मेरे लंड को अपनी चूत में ले लो। वह मुझे कहने लगी मैं तुम्हारे लंड को अपनी चूत में लेना चाहती हूं तुम जल्दी से मेरी चूत में अपने लंड को डाल दो।

मैंने सरिता से कहा तुम अपनी चूतड़ों को मेरी तरफ कर लो। सरिता ने अपनी चूतड़ों को मेरी तरफ करते हुए जब मुझे कहा मैं अपने अंदर की गर्मी को बिल्कुल भी रोक नहीं पाऊंगी तो मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी योनि में बस अभी अपने लंड को घुसा देता हूं। मैंने उसकी योनि में अपने लंड को घुसा दिया था मेरा लंड सरिता की चूत को चीरता हुआ अंदर की तरफ चला गया उसकी चूत से खून की पिचकारी बाहर निकालने लगी थी। उसकी योनि से खून निकलता देख मै और भी ज्यादा गरम हो गया और उसे मैं बड़ी तेज गति से धक्के मारने लगा। मेरे धक्के और भी ज्यादा तेज होते जा रहे थे और वह गर्म होती जा रही थी।

वह मुझे कहने लगी मुझे और भी तेजी से धक्के मारते रहो। मैंने उसे काफी तेज धक्के मारने शुरू कर दिए थे। वह मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होने लगे थे अब हमारी गर्मी बहुत ज्यादा बढने लगी थी। वह मुझसे अपनी चूतडो को मिलाए जा रही थी मुझे बहुत अच्छा लगता जब वह अपनी चूतड़ों को मुझसे मिलाती। मैं उसे कहने लगा तुम ऐसे ही अपनी चूतडो को मुझसे मिलाती रहो। उसकी चूतडो का रंग लाल भी होने लगा था लेकिन सरिता मेरा साथ अच्छे से दे रही थी और उसकी मादक आवाज भी बढ़ने लगी थी।
उसकी आवाज जो मादकता नजर आ रही थी वह मुझे और भी ज्यादा गर्म कर रही थी। सरिता भी गर्म होती जा रही थी हम दोनों पूरी तरीके से गर्म हो चुके हैं जब मैंने उसकी चूत में अपने माल को गिरा दिया तो हम दोनों को ही मजा आ गया।

सरिता और मैं उसके बाद एक दूसरे के साथ दोबारा से सेक्स करना चाहते थे क्योंकि मेरी इच्छा अभी तक पूरी नहीं हुई थी मेरा लंड अभी भी खड़ा ही था। मैंने अपने लंड को सरिता की योनि से निकाल दिया था लेकिन मेरा लंड उसकी योनि में जाने के लिए तैयार था। मैंने उसकी योनि में अपने लंड को डाला। मेरा लंड उसकी योनि को फडाता हुआ अंदर चला गया वह बहुत तेज आवाज मै सिसकियां लेने लगी। मुझे मजा आने लगा था और सरिता को भी मजा आ रहा था जिस तरीके से मैं और सरिता एक दूसरे का साथ दे रहे थे उससे हम दोनों बहुत ही ज्यादा खुश थे।

हम दोनों को बड़ा मजा आ रहा था मैंने सरिता को कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है वह मुझे कहने लगी मुझे भी बड़ा मजा आ रहा है मैंने उसे कहा तुम ऐसे ही मेरा साथ देती जाओ। उसने मेरा साथ बड़े अच्छे से दिया मेरा माल उसकी चूत में गिर गया तो मैंने उसे कहा मुझे आज मजा आ गया। वह कहने लगी मजा तो मुझे भी आ गया और मैं बहुत ज्यादा खुश हूं जिस तरीके से तुमने मेरा साथ दिया है। हम दोनों बहुत ज्यादा खुश थे अब मैंने उसकी चूत से अपने लंड को बाहर निकाल दिया था और अपनी गर्मी को मैं शांत कर चुका था। हम दोनों ही बाथरूम से बाहर निकाले और उसके बाद सरिता को मेरे लंड को लेने की आदत हो चुकी थी उसे जब भी मन होता तो वह मेरे लंड को चूत मे ले लेती।
 
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