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नमस्कार मित्रों मै राजेश आज आपके सामने अपनी एक कहानी रखने करने जा रहा हुं। यह कहानी मेरी और मेरे मामा की बेटी की है। इस कहानी में पढिए कैसे मैने गर्मियों की छूट्टियों में अपने मामा की बेटी को पटाकर उसके साथ हनीमून मनाया। यह कहानी आज से तीन साल पुरानी है। तब गर्मियों की छूट्टियों में मै अपने मामा के गांव गया हुआ था। हम लोग अभी शहर में रहते है, और मेरे घर मे मै, मेरी बहन, मेरी माँ और पापा रहते है। मामा का घर गांव में था, तो वहां जाने पर थोडी बहुत खातिरदारी हुई। यह भी एक कारण है, जिसकी वजह से मुझे मेरे मामा के गांव जाना पसंद था।
मामा के घर मे सारे लोग दिनभर खेत में ही रहते है। सुबह सुबह उठकर सभी खेत मे जाएंगे, और काम खत्म होने के बाद शाम को लौट आएंगे। यही उनका रोज का काम था, और वो सभी इसी में खुश थे। मेरे मामा के घर मे मेरे नाना, नानी, मामा, मामी और उनकी एक बेटी जो मुझसे एक साल छोटी है, इतने लोग रहते है। मामा की बेटी का नाम उषा था, जिसकी वजह से घर मे हमेशा हंसी मजाक चलता रहता था। या यूं कहो कि, उषा की वजह से ही उस घर मे रौनक थी। उषा घर मे सबकी लाडली थी, उसे बहुत प्यार से पाला गया है, इस कारण वो थोडी जिद्दी भी बन गई है।
मै हर छुट्टियों में जब भी मामा के घर जाता था, तो उषा अपने दोस्तों को बुला लेती थी, और डर हम उनके साथ खेल लेते थे। लेकिन अब की बार उषा ने किसी को नही बुलाया, और ना ही खेलने की बात कही। मै उसके इस व्यवहार से थोडा हैरान रह गया। कुछ दिन वहां रहने पर पता चला कि, उसके कुछ दोस्तों की शादी हो चुकी है, और कुछ ने स्कूल आना ही बंद कर दिया। इसी वजह से अब उसके ज्यादा दोस्त नही बचे थे, बस नाम मात्र के लिए एकाध कोई बचा था। उषा इसी वजह से अब गुमसुम सी रहने लगी थी। तो मैने उससे इस मामले में बात करने की सोची।
जैसे ही मै उषा के पास गया और उसे बोला,"क्या बात है, उषा आजकल उदास सी रहती हो। अगर कुछ परेशानी है तो तुम मुझे बता सकती हो।"
फिर उसने मुझे वही अपने दोस्तों वाली कहानी बताई और अब वो इस बात को लेकर चिंतित थी कि, कहीं उसके घरवाले भी उसकी शादी न करा दे। तो मैने उसे पहले थोडा समझाया कि, ऐसा कुछ नही होगा। तुम ही ज्यादा सोच रही हो। तो वो थोडी शांत हुई, मैने उसे अपने पास लेकर अपने गले लगा लिया। उसे अपने गले लगाते ही, मुझे उसकी चुचियां महसूस होने लगी थी। आज पहली बार मुझे लगा कि,अब उषा भी बडी हो रही है।
जब मै उषा से अलग होने लगा, तो उसने मुझे और कसकर पकड लिया, और अपनी चुचियां मेरी छाती में गाडने लगी। मुझे भी मजा आ रहा था, तो मैने भी उसे छोडने में कोई जल्दबाजी नही दिखाई। जब वो मुझसे और चिपकने लगी, तो मैने भी उसे कसकर अपने सीने से लगा लिया। जिस वजह से अब उसकी चूचियों को मै महसूस कर सकता था। थोडी देर ऐसे ही रहने के बाद मैने उसकी तरफ देखा तो वो आंखे बंद करके मेरे गले लगी हुई थी। उसने जैसे ही आंखे खोली, हमारी नजरें आपस मे मिल गई, और दोनों के चेहरे पर एक हंसी छा गई।
मैने आगे बढने की सोचकर उसको अपने से वैसे ही चिपकाए रखा और अपनी हथेली सेउसकी ठुड्डी को ऊपर की ओर उठाते हुए उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। उषा ने इसका कोई विरोध नही किया, बल्कि वो भी इस चुम्बन में मेरा साथ दे रही थी। हम दोनों मस्त होकर एक-दूसरे को चुमे जा रहे थे। लेकिन यह सही समय नही था। घर के सभी सदस्य खेत से लौटने का समय हो चुका था। तो मैने अपने एक हाथ से उसके चुतडों को दबाते हुए उसे अपने से अलग किया, और उसकी आंखों से आंसू पोंछ दिए। फिर उसे समझाया कि, अभी इस बारे में मत सोच, ऐसा कुछ नही होगा।
उसे समझाने के बाद वो थोडा शांत हुई, थोडी ही देर में सारे लोग आने लगे। रात के खाने के बाद अब सभी सोने की तैयारी करने लगे। चूंकि गर्मी थी, सभी लोग आंगन में ही खटिया डालकर सोते थे, और मै छत पर सोता था। रोज की तरह आज भी मैने अपना बिस्तर लिया और छत पर जाने लगा। बिस्तर जिस कमरे में रखे हुए थे, मै वहां से निकलने ही वाला था कि, मुझे उषा इधर ही आते हुए दिखाई दी। तो मै वहीं रुक गया, और उसके आते ही उसे फिर से अपनी बाहों में जकड लिया। उषा भी बाहर देखते हुए मुझसे लिपट गई, और मेरे सर के पीछे हाथ ले जाकर मेरे गालों पर चूमने लगी।
मैने भी अपने एक हाथ से उसकी चूची तो दूसरे हाथ से उसके चूतड को दबा दिया, और होठों को चूमने लगा। तभी किसी के आने की आहट सुनाई दी, तो हम जल्दी से अलग हो गए। मैने वहां से निकलने से पहले उषा के पेट मे एक चूंटी काटते हुए कहा, "सब लोगों के सो जाने के बाद, छत पर आ जाना। मै तुम्हारा इंतजार करूंगा।"
उसने भी प्यार से मेरे गालों को सहलाते हुए मेरी तरफ देखकर आंख मार दी। फिर मै अपना बिस्तर लेकर ऊपर छत पर चला गया। छत पर आने के बाद अपना बिस्तर बिछाकर मै आराम से लेटकर सबके सोने का इंतजार करने लगा। क्योंकि सबके सोने के बाद ही उषा आने वाली थी। लेकिन जब आप इंतजार कर रहे होते हो, तो एक मिनट भी एक घंटे की तरह लगने लगता है। अब समय जल्दी से निकलने का इंतजार था, लेकिन समय बहुत धीरे धीरे चल रहा था।
थोडी देर बाद मुझे नींद आने लगी थी, लेकिन अब तक उषा का कोई पता नही था। तभी किसी के कदमों की आवाज आने लगी, तो मै झट से उठकर देखने लगा कौन है? और यह कदमों की आवाज ऊपर आनेवाली उषा की ही थी। जिसे देखकर मै बहुत खुश हुआ, उसे ऊपर आते ही मैने पकडकर सीधे चूमना शुरू कर दिया। उषा के ऊपर आने के बाद, उसे मैने सांस लेने तक कि फुर्सत नही दी, और सीधे चूमना शुरू कर दिया। मेरे इस तरह से सीधा हमला बोल देने से शायद वो थोडा घबरा गई थी। तो मैने उसे थोडा खुला छोड दिया।
उसने पहले जाकर छत के ऊपर आनेवाला दरवाजा बंद कर दिया और फिर मेरे बिस्तर पर आकर लेट गई। मै भी उसके बगल में जाकर लेट गया। और उसका मुंह अपनी तरफ करके उसके गालों पर एक चुम्बन दे दिया। उसकी सांसे तेज होने लगी थी, मैने एक हाथ उसकी चूची पर रखकर दबाना शुरू कर दिया। तो उषा के मुंह से हल्की हल्की सिसकारियां निकलने लगी थी। धीरे धीरे मैने अपना हाथ उसके कमीज के अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा। लेकिन कमीज बहुत ही कसा हुआ होने की वजह से मेरा हाथ उसकी कमीज के अंदर नही जा पा रहा था, तो मैने उसकी कमीज को पूरा ऊपर उठा दिया।
कमीज के नीचे उषा ने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी हुई थी, तो मैंने पहले ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को सहलाया, और फिर अपने हाथ पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया। ब्रा का हुक खोलते ही उसकी चुचियां आजाद पंछी की तरह एकदम से उपर की ओर उछलकर आ गई।

उसकी चूचियों को अपने मुंह मे भरकर चूसते हुए मैने उसकी सलवार भी उतार दी, और अगले ही पल मै भी नंगा हो गया। अब उषा सिर्फ अपनी पैंटी पहने हुए थी, तो मैंने पैंटी को थोडा साइड करके उसकी चुत को चूमते हुए एक उंगली को अंदर कर दिया। तभी उसके मुंह से दर्द भरी सीत्कार निकलने लगी, तो उससे पूछने पर उसने बताया कि, आज वह पहली बार यह सब कर रही है। इसका मतलब वो अभी तक कुंवारी थी।

फिर मैने पहले उसकी चुत में अपनी उंगली से जगह बनाई, और फिर धीरे धीरे अपने लंड को उसकी चुत में उतार दिया। उसे इसमें काफी दर्द हुआ, लेकिन उसने सब सहन कर लिया।

उस रात मैने उसे दो बार चोदा, और जब उसे मै नीचे छोडने के लिए जा रहा था। पहली बार के बाद ही उसकी हालत खराब हो गई थी, लेकिन मेरे कहने पर वो चुदाई के दूसरे दौर के लिए मान गई।

फिर दूसरे दौर के बाद मैंने उसे नीचे छोडकर अच्छे से सुलाया। और मै उपर आकर अपने बिस्तर पर सो गया। अगले दिन सुबह उठने के बाद, उषा लंगडाकर चल रही थी। घरवालों को उसने बोला कि, वो रात में बाथरूम में फिसलकर गिर गई थी, तो पैर में मोच आ गई है।

  • उसके बाद जब तक मै वहां रहा, हमें जब भी मौका मिलता हम सेक्स कर लेते।
    आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, कमेंट में जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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