मामी के साथ बस का मस्ती भरा सफर-4

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(Mami Ke Sath Masti Bhara Safar-4)

एकदम से मैं उनकी आवाज सुनकर उठ गया. वो अंदर से ही आवाज लगा रही थी.
मैंने बाहर से ही कहा- जी मामी जी , क्या हुआ बताइये?
वो बोली- अरे बेड पर मेरा सामान पड़ा हुआ है. वो मुझे पकड़ा दे.

मैंने पूछा- कौन सा सामान?
मुझे लगा कि मामी ने अपनी सलवार मांगी है.
मैंने कन्फर्म करने के लिए पूछा- सलवार दूं या कमीज? या फिर वो दूसरा वाला सामान?
वो बोली- दूसरा वाला सामान क्या होता है?

वो फिर से बोली- बता ना क्या बोल रहा है?
मैंने कहा- वही जो ब्लाउज और साड़ी के नीचे आप पहनती हो.
वो बोली- ब्रा और पैंटी बोल रहे हो क्या?
मैंने शरमाते हुए कहा- हां. वही कह रहा हूं.
वो बोली- नहीं पागल, वहां अलमारी के पास साबुन पड़ा होगा. वो चाहिए मुझे.

फिर मैंने हंसते हुए मामी को साबुन पकड़ा दिया. मामी ने उस वक्त अपने बदन को केवल तौलिया से ढका हुआ था. उनको इस हालत में देख कर मेरी नींद जैसे कहीं उड़ गयी थी. मेरी आंखें फटी रह गयीं.

उनका नंगा बदन और उस पर लिपटा हुआ केवल एक तौलिया. इस रूप में मैंने मामी को कभी नहीं देखा था. उनके स्तनों को तौलिया ठीक से ढंग से ढक भी नहीं पा रहा था. नीचे से हल्का सा चूत वाला एरिया भी दिख रहा था.

सफर के दौरान रात के अंधेरे में मैं मामी को ठीक ढंग से नहीं देख पाया था. मगर अब तो हद ही हो गयी थी. मन कर रहा था कि उनके तौलिया को हटा दूं. उनकी चूचियों को नंगी कर दूं. उनके बूब्स को दबा कर पी लूं. बेड पर गिरा कर उनकी टांगों को चौड़ी करके उनकी चूत में अपना लंड दे दूं.

मगर ये सब अभी मैं ख्यालों में ही सोच रहा था. ऐसा करने की हिम्मत नहीं आयी थी. बस मैं मन मसोस कर बैठ गया. उन के बाहर आने का इंतजार करने लगा.

जब वो बाहर आई तो बोली- क्या हुआ अभि? किस सोच में बैठे हुए हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं मामी . बस ऐसे ही कुछ सोच रहा था.
वो बोली- ठीक है तो जाओ जल्दी से जाकर नहा लो.
मैंने कहा- ओके.

फिर मैं नहाने के लिए जाने लगा.
वो बोली- अगर तुम कहो तो मैं तुम्हें नहला दूं?
मैंने कहा- नहीं मामी, मैं नहा लूंगा.
वो बोली- अरे कोई बात नहीं, मैं नहला देती हूं.

मेरे मना करने के बाद भी वो मेरे साथ बाथरूम के अंदर आने लगी. मामी ने अपने हाथ में अपनी पैंटी उठा रखी थी. उन्होंने पैंटी को वापस से बेड पर डाल दिया और मेरे साथ ही बाथरूम में आने लगी.

अंदर आने के बाद मामी ने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिये. मुझे बहुत शर्म आ रही थी. रात के अंधेरे में तो बहुत कुछ हो चुका था लेकिन दिन के उजाले में उनका सामना नहीं कर पा रहा था मैं.

शर्म के मारे मेरे बदन में पसीना आने लगा था. देखते देखते ही मामी ने मेरी पैंट और शर्ट दोनों उतार दी थी. मुझे केवल अंडरवियर में खड़ा कर दिया था.

वो मुझे पानी डाल कर नहलाने लगी. मगर मुझे नहलाते हुए उनके तौलिया पर भी पानी गिर रहा था. उनकी टावल गीली हो रही थी. ये देख कर मामी ने अपनी टावल झट से उतार दी. उन्होंने टावल को उतार कर पीछे दरवाजे पर टांग दिया.

मैं तो उनको देखता ही रह गया. वो बहुत ही सुंदर लग रही थी. उनकी चूचियों का साइज कम का नहीं था. मन कर रहा था कि मामी की चूचियों को पकड़ लूं. उनका दूध पी लूं.

मामी के स्तनों को मैं घूर ही रहा था कि उन्होंने मुझे देख लिया.
वो बोली- ऐसे क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं मामी, मैंने आपको कभी ऐसे नहीं देखा था. आज आप बहुत ही अलग लग रहे हो.

वो बोली- अच्छा! कल रात को तुम मेरे अंदर अपना लंड डाल कर सो रहे थे. अभी तुमको शर्म आ रही है?
वो फिर बोली- कोई बात नहीं है. ऐसा लगता है कि पहली बार तुमने किसी को चोदा है. पहली बार में ऐसा ही लगता है. मैं सही कह रही हूं ना?

मैंने हां में गर्दन हिला दी. मामी ने मेरे अंडरवियर में मेरे तने हुए लंड को देख लिया. उनका भी मन कर गया मस्ती करने के लिए. मामी एकदम से मेरे जिस्म के करीब आ गयी और मुझे अपनी टांगों के बीच में बिठा कर अपनी चूत में मेरा मुंह देने लगी.

वो बोली- चूस ले बेटा इसे. आह्ह . चाट जा इसको.
मुझे इससे पहले कभी चूत को चूसने का अनुभव नहीं मिला था. मुझे बड़ा ही अजीब सा लग रहा था. मैं पीछे हटने लगा.

मामी ने डांटते हुए कहा- क्यों नखरे कर रहा है. कल रात को मैं भी तुम्हारा लंड चूस रही थी. तुम्हें मेरी चूत को चूसने में क्या दिक्कत है? मुझे तुम्हारी ये बात बिल्कुल पसंद नहीं आ रही बेटा।

इसके आगे क्या हुआ जाने के लिए पड़ते रहिये

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