मेहमान बन के आई, देसी चूत दे के गई - [भाग 2]

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अंजलि को मैंने अपने बॉयफ्रेंड के साथ फोन सेक्स करते हुए मेरी छत के ऊपर पकड़ा और मैंने उस से उसकी देसी चूत मांग ली. अंजलि मेरी जकड़ में थी इसलिए वो मना नहीं कर पाई. मैंने उसकी देसी चूत के ऊपर हाथ लगाया और फिर धीरे से उसकी टी-शर्ट ऊपर की.अब आगे पढ़ें.

अंजलि ने एक सिसकी ली और मुझ से रहा नहीं गया. मैंने उसकी चुंची को पकड़ के उसे कहा, "अरे अभी फोन पे तो मेरी चूत को ऐसे चोद. मेरे साथ ये कर मुझे वो कर ऐसा कह रही थी और यहाँ तो टी-शर्ट उठाने पे ही सिसकियाँ ले रही हैं."

अंजलि हंस पड़ी और बोली, "कुछ नहीं लेकिन तुम्हारे हाथ बहुत गरम हैं. मैंने पहले सेक्स किया हैं और मुझे पता हैं की इतने गरम हाथ वाले का लंड कितना गरम होंगा."

अंजलि तो बड़ी चालू लड़की निकली

बड़ी चालू चीज थी साली यह लड़की तो. उसकी यह बात सुन के मेरा मन तो उसकी देसी चूत को मारने के लिए और भी हो गया. मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला और उसकी पेंट की और बढ़ गया. अँधेरा काफी था और छत पे कोई शाम के बाद तो आता ही नहीं था. ठंड भी बढ़ने लगी थी धीरे धीरे. लेकिन मेरे और अंजलि के बदन में तो एक आग लगी हुई थी. आग चुदाई की, आग चोदने की और आग एक दुसरे में समा जाने की.

अंजलि की पेंट की बटन को खोल के मैंने बिना ज़िप को खोले हाथ अंदर डाल दिया. उसकी देसी चूत के घने बाल मेरे हाथ को छूने लगे. अंजलि की आह आह निकलने लगी थी. मैंने उसे पीछे से पकड़ा हुआ था और मेरे होंठ उसके होंठो पे थे. उसकी उखड़ी हुई सांस और गरम हुई देसी चूत मेरे लौड़े को खड़ा करने में मेरी और भी मदद कर रहे थे. अंजलि ने अपना हाथ पीछे किया और मेरे लंड को पकड़ा पेंट के ऊपर से ही. मेरा लौड़ा उसके हाथ में आते ही वो बोली, "अरे तुम्हारा लंड तो काफी मोटा और बड़ा हैं. क्या खाते हो इसके लिए."

मैंने अंजलि की देसी चूत के अंदर ऊँगली की और उसके चूत के अंदर की चिड़िया को हाथ में नचाया. अंजलि ने एक आह और ली और मेरे लंड को जोर से दबा दीया. मैंने समझ गया की उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी क्यूंकि मेरी उंगलिया चिकनी जो हो रही थी. अंजलि मेरे लंड को हलके हलके हाथों से सहलाने लगी. मैंने अंजलि की पेंट की ज़िप खोली और उसकी पेंट को निचे खिंच लिया. उसकी काली पेंटी अब मेरे सामने थी जिसके अंदर उसकी मोटी जांघे और भी सेक्सी लग रही थी. अंजलि ने पेंट को पाँव से निकाला और वो मेरी टांगो के पास बित गई. मेरे लौड़े को उसने अपने हाथो से पकड़ा और उसके ऊपर किस देने लगी. वाऊ यह लड़की को तो पता था की लंड कैसे खुश हॉट हैं. उसने बिना ताकीद के अब मेरे लौड़े को अपने मुहं में ले लिया और वो उसे चूसने लगी. यह लड़की को पता था की लंड चूसते चूसते गोलों को छूने से मर्द और भी उत्तेजित होता हैं; तभी तो वो मेरे लौड़े के डंडे को मुहं में ले रही थी और उसके निचे के नींबू को कभी चाट लेती थी तो कभी दबाती थी. मैं भी अब उत्तेजित हो चूका था काफी और मेरा मन उसकी देसी चूत को चोदने के लिए उतावला हुआ पड़ा था. मैंने अपने लंड को अंजलि के मुहं से निकाला और उसे वही छत की फर्श पे लिटा दिया. अंजलि ने अपनी टाँगे फाड़ दी और चूत का दरवाजा मेरे लिए खोल दिया.

देसी चूत पे काली पेंटी

अंजलि की पेंटी उसकी देसी चूत के ऊपर बिराजमान थी. मैंने एक ही झटके में पेंटी को खिंच डाली और उसकी सेक्सी देसी चूत मेरे सामने थे. मैंने अपने लंड को उसके छेद के ऊपर रखा और एक हल्का सा झटका दिया. गरम चूत के अंदर लंड जाते ही मुझे जैसे की चंदन की ठंडक मिलने लगी. अंजलि भी एक लंबी सिसकी ले के उछल पड़ी क्यूंकि पूरा लंड एक ही झटके में उसकी चूत में डाल दिया था. अंजलि मुझ से लिपट गई और अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी. मेरा लंड उसकी सेक्सी चूत में एकदम टाईट घुसा हुआ था और वो बड़े मजे से अपनी चूत को मजे देने में व्यस्त थी. मैंने अपने होंठ उसके होंठो से लगाये और जोर जोर से उसकी चूत के अंदर अपना लंड अंदर बहार करने लगा. अंजलि भी मेरे हरेक झटके का जवाब अपनी गांड को हिला के दे रही थी. उसकी भारी गांड का झटका मेरे लंड को और भी उत्तेजित कर रहा था जैसे. अंजलि की चूत को 10 मिनिट ऐसे लेट के चोदने के बाद मैंने उसे उल्टा लिटा दिया. उसकी चूत के छेद पे थूंक लगाने के बाद मैंने कुत्तो वाली स्टाइल में उसको लेना चालू कर दिया. वो आह आह करती गई और मेरा तना हुआ लंड उसकी चूत को फाड़ता गया.

अंजलि की गांड अब और भी जोर से हिलने लगी थी और वो मुझे उकसा रही थी उसकी जोरदार चुदाई करने के लिए. मैंने उसकी गांड के ऊपर ताड़ ताड़ चमाट लगाई और अपने लंड को गोलों तक घुसा दिया उसकी देसी चूत के अंदर. अब मेरी सीमा आ गई क्यूंकि इतनी जोरदार चुदाई मेरे साथ आजतक कोई लड़की ने नहीं की थी. अंजलि की चूत के अंदर ही मेरे लंड की मलाई निकल पड़ी और उसने अपनी चूत को जोर से मेरे लंड के ऊपर कस लिया. मैं उसके ऊपर लेट गया और हम दोनों 10 मिनिट तक ऐसे ही लेटे रहें. अंजलि ने मुझे उठाया और वो कपडे पहनने लगी. मैंने उसकी गांड के ऊपर हाथ मारा और उसे रात में मेरे रूम में आने को कहा. अब मेरी नजर उसकी ताज़ी मोटी गांड के ऊपर थी जिसे मैं अपने लंड से हराना चाहता था..! अंजलि हंस के गई और उसकी गांड को मैं देखता रहा. अब मैं बेसब्री से रात के आने की राह देख रहा था; क्यूंकि अंजलि की चूत को चोदने के बाद जैसे मेरा लंड अपनी सबर खो चूका था.!
 
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