वह चूत और लंड का सफर

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Antarvasna, hindi sex stories: मेरा वह बस का सफर जो आज तक मैं भूल नहीं पाया हूं उस दिन मुझे आशा मिली और आशा से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा। उस बस के सफर में मैं दिल्ली से लखनऊ का सफर तय कर रहा था। मैंने ट्रेन का रिजर्वेशन करवाया था लेकिन मेरी ट्रेन छूट गई थी जिस वजह से मुझे तुरंत ही बस से निकलना पड़ा और मैं बस में दिल्ली से लखनऊ के लिए निकला। हालांकि इज बहुत परेशानी भरा जरूर था लेकिन मेरे बगल में जब आशा बैठी तो आशा से मेरी बात होने लगी और उससे मेरी बात बड़े अच्छे से हुई। सफर का बिल्कुल नहीं पता नहीं चला और हम दोनों का सफर लखनऊ तक बड़ा अच्छे से रहा। मैं दिल्ली अपने ऑफिस की मीटिंग से गया हुआ था और उसके बाद से मैं आशा को भी फोन करने लगा। हम दोनों की बातें होने लगी थी लेकिन आशा उसके बाद अपनी पढ़ाई के लिए विदेश चली गई जिससे कि मेरे दिल में सिर्फ आशा की यादें ही रह गई मैं आशा को बहुत ज्यादा मिस करता और कभी कबार उससे मेरी बात भी हो जाती हैं। मेरे दिल में आशा को लेकर जब भी खयाल आता है तो मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता है। आशा और मैं एक दूसरे से बातें करते हैं तो मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लगता है।

काफी समय हो गया था आशा भी विदेश से अपनी पढ़ाई खत्म कर के वापस लौटी नहीं थी लेकिन एक दिन आशा का मुझे मैसेज आया और उसने मुझे बताया कि वह लखनऊ में ही है। मैं यह बात सुनकर बड़ा ही खुश हो गया मैं आशा से मिलने के लिए बहुत ज्यादा बेताब था लेकिन यह सब इतना आसान होने वाला नहीं था क्योंकि आशा के पास बिल्कुल भी समय नहीं था और वह अपने इंटरव्यू के लिए मुंबई चली गई। मैंने आशा को फोन किया तो आशा ने मुझे कहा कि वह मुंबई में है मैंने आशा को कहा कि मुझे तो लगा था कि मैं तुमसे आज मुलाकात कर लूंगा। आशा ने कहा कि रजत जब मैं मुंबई से वापस आ जाऊंगी तो मैं तुम्हें फोन करूंगी। आशा अभी भी मुंबई में थी और वह अपना इंटरव्यू दे चुकी थी और कुछ दिनों के लिए वह लखनऊ आ गई। जब वह लखनऊ आई तो तब मैं आशा से मुलाकात कर पाया आशा से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा और उसके साथ में मैंने अच्छा टाइम स्पेंड किया। हम दोनों ने साथ में अच्छा टाइम स्पेंड किया था मैं बहुत ज्यादा खुश था कि आशा के साथ मै टाइम बिता पाया। कितने समय बाद मैं आशा को मिल पा रहा था आशा भी मुझसे मिलकर बहुत खुश थी लेकिन जल्द ही वह मुंबई चली गई। जब वह मुंबई चली गई तो उसके बाद मैं आशा को मिल नहीं पाया था क्योंकि हम दोनों एक दूसरे से अलग रहते थे मैं लखनऊ में ही था और आशा मुंबई में रहने लगी थी। आशा अपने किसी रिलेटिव के घर पर रहा करती थी और उससे मेरी कभी कबार फोन पर बातें हो जाती थी। मैं चाहता था कि मैं भी मुंबई में अपने लिए कोई नौकरी तलाश करूँ ताकि मैं आशा से मिल पाऊँ लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था।

मुझे यह डर सता रहा था कि कहीं आशा मुझसे दूर ना होती चली जाए और यही डर मेरे दिल में था लेकिन जब आशा और मैं एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों को अच्छा लगता। एक दिन मेरे दोस्त ने मुझे बताया कि वह मुंबई की एक मल्टीनेशनल कंपनी में इंटरव्यू देने के लिए जा रहा है। मैंने उसे पूछा की इंटरव्यू कहां पर होने वाला है तो उसने मुझे बताया कि इंटरव्यू दिल्ली में रखा गया है। मैंने भी उस कंपनी में अब अपना रिज्यूम भेज दिया और मैं भी इंटरव्यू के लिए दिल्ली चला गया। मैं जब दिल्ली गया तो वहां पर मेरा इंटरव्यू हुआ मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरा सिलेक्शन वहां पर हो जाएगा और जब मुझे मुंबई की कंपनी में जॉब मिल गई तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश था। मेरे लिए यह किसी सपने के सच होने से कम नहीं था। मेरे परिवार वाले इस बात से बिल्कुल भी खुश नहीं थे उन्होंने मुझे कहा कि रजत तुम लखनऊ में रहकर ही जॉब क्यों नहीं कर लेते लेकिन मैं मुंबई जाना चाहता था। पापा और मम्मी मेरे इस फैसले से बिल्कुल भी खुश नहीं थे लेकिन मेरे दिल में तो आशा का ख्याल था और मैं जल्द से जल्द मुंबई जाना चाहता था। मैं जब मुंबई गया तो वहां पर मैं अपने एक दोस्त के साथ रहने लगा वह काफी समय से मुंबई में रह रहा है और उसी की बदौलत मैं मुंबई में आशा को मिल पाया था। मुझे रास्तों का ज्यादा पता नहीं था इसलिए मेरे दोस्त ने हीं मुझे आशा के घर तक पहुंचाया था। मैं बहुत ज्यादा खुश था और आशा को भी इस बात की खुशी थी कि मैं मुंबई में जॉब करने लगा हूं।

मेरे लिए शायद इससे अच्छा मौका कभी हो ही नहीं सकता था कि मैं आशा को अपने दिल की बात कह दूं। मुझे ज्यादा समय मुंबई में रहते हुए हुआ नहीं था लेकिन मैंने आशा को अपने दिल की बात कह दी थी। आशा ने मुझसे इसके लिए समय मांगा वह मुझे कहने लगी रजत तुम मुझे अच्छे लगते हो लेकिन मुझे इसके लिए थोड़ा समय चाहिए। थोड़े समय बाद आशा और मैं एक दूसरे के बहुत ज्यादा नजदीक आ गये और हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करने लगे। अब हम दोनों ही बहुत ज्यादा खुश थे और मेरे लिए शायद इससे बड़ी खुशी की बात और कोई नहीं थी कि आशा मुझसे प्यार करने लगी है। मैं आशा के लिए ही तो मुंबई गया था और फिर आशा भी मुझसे बहुत प्यार करने लगी थी। आशा और मेरे बीच प्यारा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था। आशा मुझसे मिलने के लिए फ्लैट में भी आ जाया करती थी। जब भी वह मुझसे मिलने के लिए आती तो हम दोनों साथ में काफी अच्छा टाइम स्पेंड किया करते। हम दोनों की फोन पर भी काफी बातें होने लगी थी और हम दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा था। मैं बहुत ज्यादा खुश था आशा के साथ मै अपने रिलेशन को चला पा रहा हूं वह भी बहुत ज्यादा खुश थी। हम दोनों एक दूसरे से बहुत ज्यादा प्यार करने लगे थे। एक दिन आशा और मैं साथ में बैठे हुए थे उस दिन आशा ने मुझे कहा रजत चलो आज कहीं घूम आते हैं। मैंने आशा को कहा ठीक है हम लोग कहीं चलते हैं। उस दिन हम दोनों मूवी देखने के लिए चले गए हम दोनो साथ ने मूवी देखी अब काफी देर हो चुकी थी और आशा बहुत ज्यादा थक चुकी थी। उस दिन मेरा दोस्त भी घर नहीं आने वाला था मैंने आशा को कहा आज तुम यही रुक जाओ।

हम दोनों ने साथ में अच्छा समय बिताने के बारे में सोच लिया था हम दोनों एक दूसरे से बातें करते थे फिर आशा मुझे कहने लगी मुझे नींद आ रही है। वह सोने की तैयारी मे थी लेकिन मैं आशा को देखे जा रहा था। मैंने आशा के स्तनो पर हाथ लगाया तो आशा ने मेरी तरफ देखा और कहने लगी रजत तुम यह क्या कर रही हो। उसने जब मुझे यह कहा तो मैंने उसके होठों को चूम लिया और मैं उसके होठों को किस कर के बहुत ज्यादा खुश था। मैं उसके होंठो को अच्छे से चूम रहा था जिस से कि वह बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी। आशा ने अपने कपड़ों को उतारना शुरू कर दिया था जब उसने अपने कपड़ा को उतारना शुरू किया तो उसकी चूत से निकलता हुआ पानी देखकर मेरे अंदर की उत्तेजना और भी ज्यादा बढ़ गई थी। मैं अब इतना ज्यादा गर्म हो चुका था मैं रह नहीं पा रहा था और ना ही आशा अपने आपको रोक पा रही थी। मैंने आशा के सामने अपने लंड को किया तो उसने मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया और वह उसे सहलाने लगी। जब वह मेरे मोटे लंड को हिला रही थी तो मुझे मज़ा आ रहा था और उसे भी बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था। हम दोनों एक दूसरे के साथ अब गर्म होते जा रहे थे। मैंने आशा को कहा मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है। आशा भी मुझे कहने लगी मुझे भी बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है मैंने आशा की चूत को चाटना शुरू किया। मैंने जब आशा की चूत को चाटना शुरू किया तो उसकी चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ चुका था और वह मुझे कहने लगी मेरी चूत से बहुत ज्यादा पानी निकलने लगा है। मै आशा की चूत की तरफ देख रहा था उसकी योनि से बहुत ज्यादा चिपचिपी पदार्थ बाहर निकल चुका था। मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत को मारना चाहता हूं।

मैंने आशा की योनि मे अपने मोटे लंड को लगा कर धीरे-धीरे उसे अंदर की तरफ डालना शुरू किया तो मेरा मोटा लंड आशा की योनि के अंदर प्रवेश हो चुका था और आशा को बड़ा मजा आया जिस तरीके से मैंने उसे चोदना शुरू कर दिया था। मैं आशा को बहुत तेजी से धक्के मार रहा था और आशा को बड़ा मजा आ रहा था। जब मैं उसे चोदे जा रहा था वह बहुत जोर से सिसकारियां ले रही थी। मुझे वह गर्म करने की कोशिश करती और कहती मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मैंने आशा के दोनों पैरो को ऊपर कर लिया था जिस से कि आशा की चूत मे मेरा लंड आसानी से जा रहा था। मेरा लंड आशा की चूत के अंदर जा रहा था और उसकी चूत मुझे बहुत ही ज्यादा टाइट महसूस हो गई थी। मुझे उसे धक्के देने में बड़ा ही मजा आ रहा था और आशा मेरा साथ अच्छे से दे रही थी। वह मुझे कहती तुम मुझे बस ऐसे ही धक्के देते जाओ। मैंने आशा को बहुत देर तक ऐसे ही धक्के दिए जिससे कि उसकी चूत से निकलती हुई गर्मी और भी अधिक बढ़ने लगी थी और वह मुझे कहने लगी मुझे लगने लगा है शायद मैं अपने आप को रोक नहीं पाऊंगी। आशा की चूत से निकलता हुआ पानी इतना बढ़ चुका था वह अब झड़ चुकी थी और आशा की चूत के अंदर मेरा माल गिरने को तैयार था। मैंने जब अपने माल को आशा की चूत में गिराया तो आशा बहुत ज्यादा खुश हो गई और मुझे कहने लगी मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूं। हम दोनों एक दूसरे की बाहों में लेटे हुए थे हम दोनों को काफी अच्छा लगा जिस तरीके से हमने एक दूसरे के साथ शारीरिक सुख का मजा लिया था।
 
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