नमस्कार दोस्तों,
मेरा नाम रंधीर मिश्र है और वैसे तो शहर में ही रहता हूँ साथ ही वहीँ ही काम भी करता हूँ पर कभी - कभार छुट्टी मिलने पर अपने गॉंव भी होकर आ जाता हूँ | कुछ ऐसा ही मेरे साथ पिछले वर्ष भी हुआ साथ ही कुछ खास भी मेरे साथ हुआ जिससे मैंने अपनी जिंदगी का मकसद बस चुत मारने पर ही लगा दिया | मैंने शहर में काम करते हुए कभी लड़कियों पर ध्यान नहीं दिया पर गॉंव मैं जब भी लड़कियों को काम करते हुए देखता तो जैसे मेरा दिमाक मांझी सटकेल हो जाया करता | उनकी दोनों गांड आपस में टकराया करती थी जब भी वो अपनी घास को लेकर या कुछ भी काम करते हुए जाया करती और मैं पीछे से बैठकर देखा करता | कुछ लड़कियों की गांड तो ऐसी भी होती की चलते वक्त उनकी दोनों गांड के बीच में उनकी कुर्ती का कपडा फँस जाया करता जिसे देखा मेरी उत्तेजना तो देखते ही बनती थी |
मेरा कभी ऐसा मन करता की काश उनके बीच मेरे नंगा लंड मसल रहा होता | अब नज़र से हवसी होता चला गया और वहीँ गॉंव के लड़कों से अपने लिए कोई भी चुत सेट करवानी की बात करने लगा | उन्होंने मेरे ही मौहल्ले की लड़की दिखाई जिसकी वहाँ के लगभग हर लड़के ने चुत और गांड मारे रखी थी | उन्होंने मुझे बताया की वो बोलने पर तो चुत नहीं देती बस कभी उसके अकेले वक्त में उसका परा झ्प्पट्टा मार लो और वो खुद बा खुद ढेर हो जाएगी | मैंने भी उनकी बात पर गौर फरमाते हुए एक दिन जब उसे शाम के वक्त में अकेले ही एक खेत में हगते हुए देखा तो मुझसे उसकी नागी गांड को देख रुका ना गया और मेरे सभी दोस्तों ने मुझे उसपर हमला करने को उकसा दिया | मैं पीछे से गया और उसे अपनी बाहों में जकड़ते हुए चूमने लगा | मैं अब नीचे से एक ऊँगली उसकी मूतती हुई चुत में डालने लगा | वो मुझे देखा हैरान होकर उठी और अपनी सलवार को चढाने लगी पर मैंने अब उसकी नंगी चुत को ढकने ना दिया |
उसकी चुत को मसलता चला गया साथ ही उसके होठों को भी ना छोड़ा | पहले तो उसने बहुत कोशिश की के वो मुझे अपने आप से अलग कर पाए पर जब ना तुका गया तो मुझे सहयोग करने लगी | अब हम दोनों ही एक दूसरे की चुत और लंड को मसलते हुए एक दूसरे के लबों को चूस रहे थे | मैंने कुछ ही पल में उसे सामने की झाडी में लगाया और वहीँ लिटाकर अपने नंगे लंड को निकाल उसकी चुत की फांको के बीच रगड़ने लगा | वो अब सिस्कारियां निकालती हुई चोदने की जिद्द भरने लगी तभी मैंने भी अपने लंड को सहारा बताते हुए उसकी चुत का रास्ता धिक्लाया और एक बार में उसकी चुत में अपने लंड को अंदर बहार करने लगा | मैंने करीब २० मिनट उसकी चोदी की आखिर में वो अपने आप वो अपनी मोटी गांड को दिखाते हुई झुक पड़ी जिसपर मजबूर होकर मुझे उसकी डगमगाती हुई गांड भी मारनी पड़ी और हम दोनों उत्तेजित होकर खिल पड़े | उस दिन के बाद से मैंने शेर में कई लड़कियों की चुत पर काबू पाया है और हर पल एक नयी चुत की तलाश में रहता हूँ |
मेरा नाम रंधीर मिश्र है और वैसे तो शहर में ही रहता हूँ साथ ही वहीँ ही काम भी करता हूँ पर कभी - कभार छुट्टी मिलने पर अपने गॉंव भी होकर आ जाता हूँ | कुछ ऐसा ही मेरे साथ पिछले वर्ष भी हुआ साथ ही कुछ खास भी मेरे साथ हुआ जिससे मैंने अपनी जिंदगी का मकसद बस चुत मारने पर ही लगा दिया | मैंने शहर में काम करते हुए कभी लड़कियों पर ध्यान नहीं दिया पर गॉंव मैं जब भी लड़कियों को काम करते हुए देखता तो जैसे मेरा दिमाक मांझी सटकेल हो जाया करता | उनकी दोनों गांड आपस में टकराया करती थी जब भी वो अपनी घास को लेकर या कुछ भी काम करते हुए जाया करती और मैं पीछे से बैठकर देखा करता | कुछ लड़कियों की गांड तो ऐसी भी होती की चलते वक्त उनकी दोनों गांड के बीच में उनकी कुर्ती का कपडा फँस जाया करता जिसे देखा मेरी उत्तेजना तो देखते ही बनती थी |
मेरा कभी ऐसा मन करता की काश उनके बीच मेरे नंगा लंड मसल रहा होता | अब नज़र से हवसी होता चला गया और वहीँ गॉंव के लड़कों से अपने लिए कोई भी चुत सेट करवानी की बात करने लगा | उन्होंने मेरे ही मौहल्ले की लड़की दिखाई जिसकी वहाँ के लगभग हर लड़के ने चुत और गांड मारे रखी थी | उन्होंने मुझे बताया की वो बोलने पर तो चुत नहीं देती बस कभी उसके अकेले वक्त में उसका परा झ्प्पट्टा मार लो और वो खुद बा खुद ढेर हो जाएगी | मैंने भी उनकी बात पर गौर फरमाते हुए एक दिन जब उसे शाम के वक्त में अकेले ही एक खेत में हगते हुए देखा तो मुझसे उसकी नागी गांड को देख रुका ना गया और मेरे सभी दोस्तों ने मुझे उसपर हमला करने को उकसा दिया | मैं पीछे से गया और उसे अपनी बाहों में जकड़ते हुए चूमने लगा | मैं अब नीचे से एक ऊँगली उसकी मूतती हुई चुत में डालने लगा | वो मुझे देखा हैरान होकर उठी और अपनी सलवार को चढाने लगी पर मैंने अब उसकी नंगी चुत को ढकने ना दिया |
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