गांड की सुगंध और टट्टी का पहला स्वाद

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं आपको बड़ी ही अतरंगी चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसके बारे में शायद ही कहीं सुना होगा या कभी खुद भी किया होगा | मैं वैसे तो अपनी प्रेमिका की चुदाई करता ही रहता था पर एक दिन उसकी गांड के साथ खेलते हुए चुदाई का मज़ा ही कुछ और था | मैं दिन पर दिन उसकी चुत को लेकर यूँ कमीना जो हुआ जा रहा था | हम जब भी मिलते तो एक दूसरे का स्वागत बड़े ही चुम्मा - चाटी से किया करते पर असली मज़ा तो हमें अकेले में काम क्रीड़ा के समय ही आया करता था | मैं अक्सर ही उसकी चुत को अकेले में उसके घर पर चोदा करता था जब उसके माँ - बाप घर पर नहीं होते थे |

एक दिन मैं सुबह - सुबह ही उसके घर पहुँच गया तो देखा की वो बाथरूम में थी और मैं बहार बैठ उसका इन्तेज़ार करने लगा था | जब वो आई तो मैं देखा की वो पूरी नंगी थी बस उसने अपनी चुत को ढके हुए हल्का सा टॉवेल को औडे रखा था | मैं मस्ती करते हुए अपनी बाहों में ले लिया और जल्द ही उसका टॉवेल भी खोल दिया और नंगी उसे बिस्तर पर उठा ले गया | वो खुश थी की उसकी चुदाई भरी सुबह में होने वाली थी पर नहीं जानती थी कि आज मैंने उसकी गांड को निशाँ बनाया था | मैंने पहले वहीँ नर्मिले होठों को चूसते हुए उसके बोबं को मसलते हुए चूसा फिर उसकी पुरानी चुत मल्स्ते हुए अपने लंड के नीचे ले आया | वो अपने को फिर नीचे देख तडपने लगी और मैंने भी उसकी मुराद पूरी करते हुए उसकी चुत में बेहिसाब झटके दिए और बस देता ही चला गया |

अब २० मिनट बाद मैं चुदायी करता हुआ पूरी तरह से तहक चूका था और उसकी चुत को चाटते हुए मैं उसे कुतिया बना दिया | मैंने अब पहली उसकी गांड को सुंघा जिसमें मन मोह लेने वाली खुसबू आ रही थी और मैंने ऊँगली डाली तो उसकी ताती मेरे हाथ में लग पड़ी | उसकी टट्टी कि खुसबू में दोस्तों कुछ अलग ही स्वाद और खुसबू थी | मैंने पहले अब उसकी टट्टी को ऊँगली डालम - डूली करते हुए साफ़ किया और फिर उसकी गांड में ऊँगली कि गिनती बढाते हुए अंदर धंसाने लगा | वो शर्म सेदर्द से चिल्ला रही थी पर मैं हर बार कि तरह इस बार भी उसकी एक ना सुनी | मैंने गिनती बढाते हुए उसकी गांड में लगभग अपनी चार ऊँगली को थूक लगाते हुए डाल आगे - पीछे करने लगा |

मैंने फिर अपने लंड को बहार निकाल ओर उसका सुपाडे पर उसकी चुत कि मलाई लगाते हुए उसकी गांड पर टिका दिया | वो बहुत घबरा रही थी क्यूंकि मेरा लंड बहुत कि लंबा और मोटा था | मैंने तभी एक दम उसके ध्यान के हटते ही धक्का मारा जिससे मेरा लंड एक बार में उसकी गोरी गांड को चीरता हुआ अंदर को बढ़ चला | वो दर्द से चिल्ला रही थी और इस बार वो चिल्लाते हुए रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी | मैंने दोस्तों उसके असहनीय को दर्द को भूलते हुए उसे जमकर चोदना ही ठीक समझा और पूरी सुबह उसकी गांड को पेलते हुए निकाल दी और आखिर में अपने मुठ को भी उसकी गांड में बिना बच्चे होने के डर से छोड़ दिया |
 
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