दीपक की बहन काजल अब मुझसे खुलने लगी थी, एक दिन उसने मुझे अपने बॉयफ्रैंड रंजीत से भी मिलवा दिया था, देखने में कुछ खास नहीं था, बस आजकल के लड़को के जैसे टैटू और टिक टोक टाइप वाला लड़का था, माँ बाप दोनों कमाते थे तो पैसे भी थे, बस बाइक ले कर यहाँ वह घूमता रहता था और इंस्टाग्राम पर रील डालता रहता था, उसके अच्छे खासे फोल्लोवेर्स भी थे सोशल मीडिया पर और शायद इनमे से कोई बात काजल को पसंद आगयी थी जो पहले दोस्ती हुई उन दोनों में और अब दोनों प्रेमी प्रेमिका थे , मुझे अंदाज़ा लगा गया था की रंजीत बस काजल के साथ खेल रहा है लेकिन मैं उसकी पर्सनल लाइफ में ज़ायदा टांग नहीं अड़ाना चाहती थी, लेकिन फिर भी मैंने उसको हल्का सा काजल के सामने समझा दिया था की अभी दोनों बच्चे हो और कोई ऐसी वैसी हरकत ना करे नहीं तो फिर मैं दीपक को सब बता दूंगी फिर आगे का अंजाम तुम दोनों को भुगतना पड़ेगा। मैं जानती की ये अभी तो हाँ बोल रहे है लेकिन मौका मिलते ही ये दोनों सेक्स करके ही मानेंगे, खैर अब ये उनकी ज़िन्दगी थी और आगे उनकी मर्ज़ी।
दीपक का धयान आजकल मुझ पर काम था लेकिन फिर आपका कॉल आगया, मुझे अच्छा लगा की पहली बार अपने खुद से फ़ोन किया था, इस से पहले जब भी बात हुई थी तो कॉल मैंने ही की थी, आपने अपने दोस्त का इशू बताया तो मैंने दीपक को बोल दिया, वो खुश हो गया क्यूंकि उसको ऐसे ही क्लाइंट्स चाहिए होते थे, उसने आपके दोस्त से रिकॉर्ड ठीक करने के नाम पर अच्छे खासे रूपये लिए थे, जिस दिन काम हो गया उस दिन वो बहुत खुश था मुझे एक अच्छे रेस्टुरेंट में ले कर गया लंच के लिए लेकिन जैसे ही हमने आर्डर किया उसका फ़ोन बार बार बजने लगा, पहले तो उसने साइलेंट किया लेकिन जब फ़ोन बार बार बज रहा तो वो फ़ोन लेकर रेस्टुरेंट के बहार चला गया और वह किसी से बात करने लगा, मैं समझ गयी की फ़ोन ज़रूर विभा का होगा नहीं तो मेरे सामने ही बात करता, थोड़ी देर में वो वापस आया इतने में हमारा आर्डर आगया, उसने जल्दी जल्दी एक दो निवाला खा कर उठ गया ये बोल कर की कोई बहुत ज़रूरी काम है और उसे अभी जाना होगा, मैंने कुछ नहीं बोलै और आराम से अपना खाना ख़तम करके घूमती फिरती घर आगयी।
रात में दीपक का कोई कॉल नहीं आया तो मैंने काजल को कॉल किया, काजल से बात हो गयी, मैंने उससे दीपक का पूछा तो उसने बताया की भाई ऊपर अपने रूम में है, मैंने काजल से पूछा की आखिर चल क्या रहा है और फिर उसे दिन वाली घटना बताई, काजल ने मद्धिम आवाज़ में बताया की विभा और भाई को घूमते हुए विभा के किसी जानकार ने देख लिया था और विभा के घर बता दिया है, उसके घरवालों ने विभा को बहुत बुरा भला कहा है और उसको वापस बिहार बुला लिया है इसलिए वो भाई से झगड़ा कर रही है की अब उस को वापस गांव जाना पड़ेगा और वह उसके घर वाले उसकी शादी कर देंगे , वो भाई को बोल रही थी की अगर भाई शादी के लिए रेडी है तो वो यही रह जाएगी और माँ बाप से लड़ लेगी भाई के लिए लेकिन भाई बहाने बना रहा है क्यूंकि भाई तो आपसे शादी करना चाहता है ,
मैंने काजल को समझाया की अपने भाई को समझाए की विभा खूब सुन्दर है और अच्छी है मेरा पीछा छोड़े और उस से शादी कर ले, खैर उस बेचारी की इतनी कहा हिम्मत होती की कुछ कहती बस है कर रह गयी, मैंने काजल को समझा दिया था की वो मुझे कोई भी नयी बात पता चले तो फट से बताये, उस बेचारी को लग रहा था की शायद मैं ये सब उसके भाई को पाने के लिए कर रही हूँ, उस पगली को क्या पता था की मैं ये सब उस के भाई से पीछा छूटने के लिए कर रही थी ,
अगले दिन काजल का फिर फ़ोन आया ये बताने के लिए की उसका भाई ने किसी तरह विभा को समझा दिया और अब विभा और भाई दोनों पटना साथ साथ जा रहे है, भाई विभा को पटना छोड़ कर वापिस आजायेगा और विभा वहा से अपने गांव चली जाएगी, उनकी टिकट अगले दिन की थी।
अगले दिन स्टोर से छुट्टी के बाद मैं सीधा काजल के पास चली गयी, उसका भाई चला गया था तो अकेली थी और अभी उसकी मम्मी भी जॉब पर से वापस नहीं आयी थी, मैंने अपने साथ गोलगप्पे ले कर आयी थी वो खुश हो गयी और हम दोने ने साथ मिल कर खाया, थोड़ी देर बाद मैं दीपक के कमरे में आगयी और दीपक का लैपटॉप ढूंढ निकला, ये उसको ऑफिस से मिला हुआ था, मैंने ऑफिस में बहुत बार यूज़ किया था और मैं आज आयी इसी लैपटॉप के लिए थी, मैंने जल्दी जल्दी लैपटॉप ऑन किया और ऑन करते ही मेरा काम बन गया, सामने ही कई सारी क्रोम की टैब्स खुली हुई थी और उसने होटल इन पटना सर्च किया हुआ था, उसी में से दो होटल्स की डिटेल्स अलग टैब में खुली हुई थी, एक थोड़ा महगा होटल था और दूसरा सस्ता ओयो था, मैंने जल्दी से उन दोनों टैब्स की फोटो खींची और लैपटॉप बंद कर दिया, थोड़ी देर बाद मैं काजल के घर से निकल गयी, मैंने रस्ते में ही प्लान बना लिया की ये भगवान का दिया हुआ मौका है, दीपक विभा को लेकर पटना गया है, और होटल बुक किया है इसका मतलब वो पटना पहुंच कर विभा को लेकर होटल में रुकेगा और और अगर मैं किसी तरह उन दोनों को रंगे हाथ पकड़ लू तो मुझे दीपक से ब्रेक उप करने का बहाना मिल जायेगा और फिर मैं उसके चुंगुल से आज़ाद ,
काजल के अनुसार वो लोग शाम में निकले थे मैंने ट्रैन टाइमिंग चेक की तो मुझे अंदाज़ा हो गया की वो दोनों लेट नाईट की ट्रैन से निकलेंगे, मैं जल्दी से घर आयी और फटाफट अपने लिए एक बैग पैक किया और मम्मी को काम का बहाना बना कर घर से निकल गयी, स्टेशन आते आते रात के ११ बज गए, पटना की लास्ट ट्रैन १० बजे की थी जो जा चुकी थी, अगली ट्रैन सुबह ६ बजे थी जो मुझे रात में पटना पहुँचाती, यानी मैं दीपक से लगभग ८ घंटे लेट थी, लेकिन अब मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था सिवाय वेट करने के, मैंने सुबह की ट्रैन की टिकट ले ले थी और वही वेटिंग रूम में रात काटने लगी, लेकिन जब अकेली बोर होने लगी तो मैंने काजल को कॉल कर दिया और उसका बता दिया की मैं उसके भाई के पास जा रही हूँ पटना लेकिन वो ये बात अपने भाई को ना बताये, उसने मुझे मना किया पटना जाने के लिए लेकिन मैंने तो पक्का इरादा कर लिया था,
जल्दीबाजी में मैं घर से तो आगयी थी लेकिन ये नहीं सोचा था की आने जाने में अच्छे खासे पैसे लगते है, फिर पटना में पता नहीं कहा कहा जाने पड़े, मैंने अपने मोबाइल मे चेक किया तो मेरे अकाउंट में केवल पांच हज़ार थे, मुझे लगा की कहीं कम ना पड़ जाये, अब ये बात दिमाग में आते ही थोड़ी घबराहट होने लगी और जब कुछ समझ में नहीं आया तो मैंने आपको फ़ोन कर दिया, अपने फ़ोन उठा लिया तब अजीब सा लगा आपसे पैसे मांगते हुए लेकिन मेरे पास और कोई चारा नहीं था,
अपने भी बिना सोचे समझे मुझे पैसे डाल दिए, मुझे बड़ी ख़ुशी हुई की कोई तो है जो भले बुरे टाइम में मेरे काम आया , ६ बजे मैं पटना की ट्रैन में बैठ कर दीपक को पकड़ने निकल गई, मैंने इस से पहले केवल मामा के यहाँ गयी थी और वो भी रिजर्वेशन में यहाँ बिना रिजर्वेशन के जा रही थी बड़ी दिक्कत हुई लेकिन कुछ घंटो का सफर गुजरने के बाद एक भैय्या मिल गए, वो हमारे हरयाणे के ही थे और किसी काम से पटना जा रहे थे उनका नाम नीरज है, नीरज भैय्या लम्बे तगड़े जिम जाने वाले गुज्जर है मेरी भाषा से पहचान गए की मैं भी हरयाणा की हूँ तो उन्होंने मुझे अपनी बर्थ पर बैठा लिया, रास्ते में काजल का कई बार कॉल आया, वो बार बार मुझे जाने से रोक रही थी लेकिन मैं कहाँ मांनने वाली थी, नीरज भैय्या को भी कुछ शक सा होने लगा तो मैंने उनको बस इतना बताया की मेरा मंगेतर किसी लड़की के चक्कर में पटना आया हुआ है उसी को लेने जा रही हूँ, नीरज भैय्या को मुझ पर तरस आया और सारे रस्ते उन्होंने मेरा बड़ा धयान रखा, रात में लगभग ९ बजे हम पटना पहुंच गए, भैय्या भी मेरे साथ ही स्टेशन से बाहर आये, मैंने उनको बाई किया तो उन्होंने मना कर दिया और बोलै की रात का टाइम है और वो मुझे होटल तक पंहुचा कर ही जायेंगे, मुझे भी हिम्मत मिली, मैंने नीरज भैय्या को ओयो का नाम और एड्रेस बताया, इतने में एक रिक्शा वाला आगया और उसने अड्रेस सुन लिया, उसने बताया की ये होटल यहाँ से केवल १० मिनट की दुरी पर है, पैदल भी जा सकते है और अगर चाहे तो वो रिक्शे से पंहुचा देगा, हमने रिक्शा किया और होटल पहुंच गया, छोटा सा तीन मंज़िला बिल्डिंग में होटल था, मैंने और भैय्या काउंटर पर पहुंचे, भैय्या ने मुझे इशारे से चुप रहने के लिए कहा और काउंटर के पीछे बैठे लड़के से पूछा दीपक कौन से रूम में है ?
होटल बॉय : कौन दीपक?
नीरज भैय्या : अरे वो जो दिल्ली से आया है अपनी वाइफ के साथ, मैं उसका दोस्त हूँ, उस से मिलने आया हूँ, अगर ठीक लगा तो रात में आपके होटल में ही हम दोनों भी रुक जायेंगे,
ऐसे बोलते बोलते भैय्या ने उसको हलके आँख मार के इशारा किया और वो लड़का मुस्कुराने लगा,
होटल बॉय : सर दीपक जी कमरा नो ३०२ में रुके है तीसरा फ्लोर पर आप जा कर मिल लीजिये,
मैं आगे आगे और दीपक भैय्या पीछे पीछे होटल की सीढिया चढ़ने लगे, अभी हम दूसरे फ्लोर तक भी नहीं पहुंचे थे की अचानक दीपक लगभग भागता हुआ हमारी ओर आया, मुझे देखते ही चिल्लाने लगा, तू यहाँ क्या कर रही है और ये कौन ?
नीरज भैय्या : ओये, मैं कौन हूँ ये बाद में तु ये बता तू यहाँ क्या ड्रामे कर रहा है, ये लड़की बेचारी तेरे चक्कर में रेल के ढ़ाके खा कर यहाँ तक आयी यही और तू चिल्ला रहा है,
दीपक : अरे तू चुप रह भाई, ये हमारे आपस की बात है
नीरज भैय्या : तो ठीक है फेर ये मेरी बहन है अब बता क्या आपस की बात है,
दीपक : भाई तो जो भी है तू बीच में मत बोल मुझे बात करने दे इस से,
मैंने भी नीरज भैय्या को इशारा किया की वो मुझे बात करने दे, क्यंकि नीरज भैय्या की दबंग आवाज़ सुन कर दीपक थोड़ा शांत हो गया था,
मैं: हाँ बोलो क्या कहना था
दीपक : तू यहाँ क्या करने आयी है ?
मैं : मेरी छोड़, तू बता तू किसके चक्कर में यहाँ भगा भगा आया है,
दीपक : मैं तो किसी के चक्कर में नहीं आया
नीरज भैय्या : तो तू फेर यहाँ अंडे देना आया है क्या ? ये बता कमरे में तूने कौन सी लौंडिया लेता राखी है?
इतना बोल कर मैं और भैय्या सीढिया चढ़ कर दीपक के रूम में आगये
दीपक का रूम खली था, बिस्तर की चादर मसली हुई थी और साफ़ पता चल रहा था की दीपक के अलावा भी कोई और वह था लेकिन अब वहा कोई नहीं थी, लग रहा था की हम कुछ मिनट या घंटे से चूक गए, अगर कुछ घंटे पहले हम यहाँ होते तो शायद हम दीपक को रंगे हाथो पकड़ सकते थे, हमारे पास कोई पक्का सबूत तो था नहीं इसलिए हमे थोड़ा शांत होना पड़ा, होटल के रिकॉर्ड में था की विभा आयी थी दीपक के साथ और दीपक का कहना था की वो बस यहाँ फ्रेश होने आयी थी और फिर वो अपने गांव चली गयी, होटल वाला भी पचड़े में नहीं पड़ना चाहता था इसलिए उसने भी ज़ादा कुछ नहीं बताया, नीरज भैय्या लेट हो रहे थे तो वो भी दीपक को समझा कर निकल गए और अपना फ़ोन नंबर दे गए की अगर कोई दिक्कत हो तो वो आजायेंगे मेरी हेल्प करने।
मैं भी ट्रैन के सफर से थक गयी थी और दीपक से लड़ने के बाद तो और ताकत नहीं थी शरीर में सो मैं अपना बैग लेकर होटल से निकल गयी और पास ही बने हुए दूसरे ओयो रूम में कमरा ले कर चली गयी, मुझे साड़ी रात समझ नहीं आया की आखिर विभा इतनी जल्दी क्यों चली गयी, रात का टाइम गांव निकलने का कोई लॉजिक नहीं था, फिर धयान दिया तो महसूस हुआ की दीपक ने भी मुझे पाने साथ रुकने के लिए नहीं बोला, मैं किसी कीमत पर उसके साथ उसी कमरे में नहीं रूकती लेकिन फिर भी दीपक ने एक बार भी झूठे मुँह भी नहीं बोला, सोचते सोचते नींद आगयी, सुबह ८ बजे आँख खुली तो फ़ोन पर काजल की कॉल आरही थी, काजल का नाम देखते ही मेरा दिमाग जाग गया, ये इसी हरामजादी का खेल था, इस कुतिया ने ही अपने भाई को बताया होगा और और इसके भाई ने मेरे आने से पहले विभा को या तो दूसरे रूम शिफ्ट कर दिया या कुछ देर के लिए होटल से हटा दिया ,
मुझे काजल के साथ साथ खुद पर भी गुस्सा आरहा था, अगर ये बात मुझे रात में समझ आजाती तो मैंने आधी रात में दीपक के रूम पर जा खड़ी होती और तब पक्का विभा मुझे उसी के कमरे मिलती, फिर भी मैं जल्दी जल्दी तैयार हो कर दीपक के होटल की ओर भागी, दीपक ने दरवाज़ खोला लेकिन वो अकेला ही मिला, मैंने उसको बोला की मैं दिल्ली जा रही हूँ और आजके बाद मुझसे कांटेक्ट ना करे, दीपक मुझे कमरे के अंदर ले कर गया और समझने लगा लेकिन मैंने उसकी एक बात नहीं सुनी, अभी हम बात कर ही रहे थे की इतने में होटल का एक स्टाफ आया और दीपक को बुला कर ले गया, मैं उसके रूम में बैठी रही, दीपक के बाहर जाते ही मैंने उसके कमरे की तलाशी लेने लगी लेकिन मुझे कुछ खास नहीं मिला, तभी मुझे डस्टबिन दिखाई दे गया मैंने झाँक कर देखा तो डस्टबिन में कुछ बिस्किट्स के खली पैकेट्स थे और इन्ही पैकेट्स के नीचे मुझे २ इस्तेमाल किये हुए कंडोम्स दिखयी दे गया, मेरा शक यकीन में बदल गया, कुछ देर में ही दीपक आगया और मैंने वापिस से उस से लड़ाई स्टार्ट कर दी।
जब बात काफी बढ़ गयी तब मैंने उसे कंडोम्स दिखाए, पहले तो चुप हो गया फिर बोलने लगा की हो सकता है उस से पहले वाले कस्टमर ने यूज़ किया हो, ये कैसे पता की उसी ने यूज़ किये है, मैं गुस्से से उसके रूम से निकल आयी और फिर वापिस अपने होटल से बैग उठा कर मैं स्टेशन आगयी, अगली ट्रैन पकड़ कर मैं दिल्ली पहुंच गयी ,
मेरा ये छपा कामयाब नहीं हो पाया था लेकिन फिर भी नाराज़गी और लड़ाई के बहाने मैंने दीपक से दूरी बना ली थी, इसी बीच पहली बार आपसे मॉल में मुलाक़ात हुई, जब पहली बार कॉल पर आपसे बात हुई थी तभी मुझे आपकी ऐज मालूम थी फिर भी जब पहली ही मुलाक़ात में अपने अपनी आगे मुझे बताई तो मुझे अच्छा लगा की आप मेरा फ़ायदा उठाने की कोशिश नहीं कर रहे, सबसे अच्छी बात जिसने मुझे आप की ओर आकर्षित किया की आप बात करते टाइम आँखे नीची करके बात कर रहे थे मुझसे और आप ने एक बार भी मेरे अंगो की ओर घूर कर या गन्दी नज़र से नहीं देखा , मुझे आपकी इस बात पर दीनू की बात याद आगयी थी, मम्मी ने भी यही बताया था की दीनू ने कभी उनको गन्दी नज़रो से नहीं देखा था, और बस पता नहीं क्यों मेरे दिमाग में भी ये बात बैठ गयी थी की अच्छे मर्द औरतो को सम्मान की नज़रो से देखते है और बात करते समय उनका धयान बातों पर होता है ना की औरतो के शरीर पर।
आपसे मिलने के बाद मेरे बहुत मन किया की फिर से मिलु आपसे लेकिन फिर lockdown लग गया और बाहर निकलना बंद सा हो गया, लेकिन अच्छी बात ये थी आप से रेगुलर बात होने लगी और मेरा अच्छा टाइम गुजरने लगा, दीपक कभी कभार कॉल करता था लेकिन मैं ज़ायदा बात नहीं करती थी, मैंने काजल से भी बात करना बंद कर दिया था क्यूंकि मैंने जानती थी की उसी के कारण मेरा प्लान फेल हुआ था,
lockdown के कारण मैं घर में पड़ी पड़ी बोर हो गयी थी, मुझे लगा की आप मुझसे फिर मिलने के लिए कहेंगे लेकिन जब आपने कुछ नहीं कहा तो मैं आपसे मिलने सरोजनी नगर के बहाने से आयी, जब हम दिल्ली हाट में घूम रहे थे तब पता नहीं कब और क्यों मैंने आपका हाथ पकड़ लिया और पहली बार मेरे जीवन में एक प्यार वाली फीलिंगस आयी, दीपक ने ना जाने कितनी बार मेरा हाथ पकड़ा था और सैकड़ो बार मैंने उसके बाइक पर पीछे से पकड़ कर बैठी थी लेकिन उस दिन जब ये बिना किसी ज़ोर ज़बरदस्ती के हुआ तो एक अनोखी फीलिंग्स से दिल झूम उठा, मन कर रहा था की ऐसे ही हाथ थामे थामे जिंदगी गुज़र जाये, जब हम वहा से निकल कर स्टेशन तक आये तब बैग हम दोनों के बीच में था और सालो बाद ऐसा हुआ था की मैं बाइक के पीछे बैठी हो और बाइक चलने वाले को पकड़ कर ना बैठी हो, अगर बैग्स ना होते तब मैं ज़रूर पीछे से हग करके बैठती केवल ये देखने के लिए की आखिर कैसी फीलिंग्स आती है क्यूंकि दीपक के साथ बैठ कर मुझे कभी कुछ खास फील नहीं हुआ था ,
खैर उस दिन के बाद मैंने आपसे थोड़ी शरारती बातें करने लगी थी, पता नहीं क्यूंकि आपसे ऐसी बातें करके अच्छा लगने लगा था, आपको पिक्स भेजने का मन करता और जब आप उन फोटोज को देख कर तारीफ करते तो मन ख़ुशी से झूम जाता, ये सारी फीलिंग्स मेरे लिए नयी थी और मुझे बहुत मज़ा आरहा था , लेकिन आप शायद थोड़ा झिझक रहे थे और मुझे आपकी ये झिझक भी अच्छी लगने लगी थी, लेकिन मेरी ये ख़ुशी ज़ायदा दिन नहीं चली,
मेरे पास जॉब नहीं थी उन दिनों तो मैंने एक संडे आपसे मिलने का प्लान बनाया, उस दिन मैंने सोचा था की कुछ ऐसा करुँगी की आपकी थोड़ी ये झिझक ख़तम हो और हम थोड़ा खुल कर मिले और बात करे, उस दिन मैं घर से जैसे ही निकली मुस्कान मुझे स्टेशन पर मिल गयी और जबरदस्ती मेरे साथ चल पड़ी, मैंने आपको बता दिया था की आपसे मिलने आरही हूँ इसलिए उसको साथ लाना पड़ा, मैं उसको ले तो आयी लेकिन मुझे नहीं पता था की मुस्कान ने अपनी करंट लोकेशन दीपक को भेज रखी है, उसी ने के कहने पर मुस्कान मेरे पीछे पीछे आयी थी, मेरे बात ना करने से दीपक को शक हो गया था की मैं किसी दूसरे लड़के से बात कर रही हूँ, वो मुझे व्हाट्सप्प पर देर रात तक ऑनलाइन देखता था इसलिए उसे यक़ीन हो गया था, उस दिन मैंने उस से झूट बोला लेकिन उसने फिर वही धमकिया देना स्टार्ट कर दिया तो मेरे पास वापिस आने के अलावा कोई चारा नहीं था, और जब मुझे पता चल गया की मुस्कान भी दीपक से मिली हुई है तब मेरा मन और टूट गया और मैं बाहर से ही फरीदाबाद लौट गयी,
स्टेशन पर ही दीपक मिल गया, संडे था उसकी भी छुट्टी थी शायद, फिर वही पुरानी बकवास, जान से मार दूंगा, तेज़ाब फेंक दूंगा आदि , लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया, मैं मेट्रो स्टेशन पर कोई ड्रामा नहीं करना चाहती थी, मैं वहा से रिक्शा करके घर आगयी ,
दो तीन दिन बाद मैं कुछ सामान लेने घर से बाहर निकली तभी पीछे से दीपक आगया और मेरा मोबाइल छीन लिया और उसमे से आपका नंबर निकल कर अपने मोबाइल में डायल कर लिया, मैंने उस से अपना मोबाइल वापस छिना और घर वापिस आगयी, मैं कॉल किया तो आपका फ़ोन बिजी जा रहा था, मैं समझ गयी की दीपक ने आपको कॉल कर दिया है, जब आपने मुझे उसकी रिकॉर्डिंग भेजी तो मुझे अच्छा लगा उसकी बेइज़्ज़ती सुन कर, आपने अच्छी इज़्ज़त उतारी थी,
लेकिन मैं आपसे बात करने से कतरा रही थी, मुझे पता था की आप मुझसे दीपक के बारे में पूछोगे और मैं आपको बिना पूरी डिटेल में जाये जाए समझा नहीं पाऊँगी , इसलिए आपसे बात करते हुए झिझक सी रही थी और फिर पता नहीं क्यों आपसे मिलकर जो फीलिंग्स आती थी लगता था की कही आप मुझे चैरेक्टर लेस्स लड़की ना समझ लो, इसी उधेरबुन में आपने मुझे जब जॉब का बताया तो मैं ख़ुशी से उछल गयी, आसान काम था और और ऊपर से अच्छी सैलरी भी, मैंने झट से ज्वाइन कर लिया, मैं खुश थी की अब मेरा जीवन जल्दी ही अच्छा हो जायेगा, लेकिन इन सब में मैं एक बात भूल गयी थी और वो था मेरा कमीना बाप,
जॉब लगे थोड़े दिन ही हुए थे की मेरे कमीने बाप ने फिर एक रात मेरे कमरे आकर वही हरकत करने की कोशिश की लेकिन उस दिन मैं जाग ही रही थी, जैसे ही मेरे बाप ने मेरे शरीर को छुआ मैंने शोर मचा दिया, शोर सुन कर मम्मी आगयी और फिर मैंने रोते रोते सारी बात मम्मी को बता दी, मम्मी ने उसी टाइम पापा को घर से निकाल दिया, लेकिन उस रात के मैंने फैसला कर लिया की अब मैं ये घर छोड़ दूंगी, क्यंकि मुझे पता था की पापा फिर कुछ दिन में वापस घर आएंगे और फिर नशे में ऐसी हरकत करेंगे, दो बार दादी ने बचा लिया था और तीसरी बार मैं जाग रही थी इसलिए बच गयी, लेकिन हर दिन बचना संभव नहीं था, मैं पुलिस में भी कंप्लेंट नहीं करना चाहती थी क्यूंकि इसमें बहुत बदनामी होती इसीलिए मैंने मम्मी को सब बता दिया था और मम्मी ने भी ना चाहते हुए हाँ कर दी थी,
मैं जॉब के साथ साथ अपने लिए कोई रूम ढूंढने लगी, इसी बीच एक दिन राबिया का कॉल आया, कोरोना के कारण हॉस्पिटल में बेड नहीं मिल पा रहा था डिलीवरी के लिए उसकी डिलीवरी डेट नज़दीक थी, मैंने एक दो लोगो से पता किया लेकिन कुछ नहीं हो पाया, संयोग से मम्मी की मदिर में एक सहेली बनी थी उन्होंने बताया की उनके पास एक नर्स है जो घर में ही आसानी से डिलीवरी करा देगी, खर्चा भी बच जायेगा और परेशानी भी, मैंने ये बात साजिद को बताई, वो अब अच्छा कमाने लग गया था, पहले तो उसने मना किया लेकिन कोई और विकल्प ना देख कर मान गया, मम्मी और नर्स ने मिलकर राबिया की डिलीवरी कराई, सब सकुशल हो गया, भगवान ने उनको एक प्यारा सा बेटा दिया था, दो दिन बाद वो नर्स अपने घर चली गयी तब राबिया अकेली हो गयी, साजिद ने मुझे कॉल कर के रिक्वेस्ट की कुछ दिन उसके घर रुकने की जब तक की राबिया थोड़ा बहुत चलने फिरने ना लगे,
मम्मी को भी साजिद और राबिया की आदत पंसद आयी थी तो मैं एक सप्ताह के लिए राबिया के घर रहने चली आयी, मैंने हर रोज़ सुबह में उसको खाना खिला कर और अपना खाना पैक कर ऑफिस चली जाती थी, दिन में मोहल्ले की एक दो महिला आकर उसकी मदद कर देती थी और रात में मैं उसी पास सोती और उसकी सहायता करती, एक एक सप्ताह करते करते लगभग मैं एक महीना उसके घर रह गयी, अब मेरा भी दिल लगने लगा था, पुरे घर में राबिया और अयान के अलवा और कोई नहीं था, फिर मैंने एक रात साजिद से बात की, मैंने उसको बोला दादी के जाने के बाद मेरा मन नहीं लगता अपने घर में अगर उसको दिक्कत ना हो तो मैं कुछ टाइम उसके घर रह लुंगी और जो उसके किराये में से कुछ किराया मैं चूका दिया करुँगी, ये सुन कर दोनों मिया बीवी पागल हो गए, साजिद जो खुद राबिया के अकेले रहने के कारण चिंतित रहता था वो झट मान गया लेकिन इस शर्त पर की वो कोई किराया नहीं लेगा, बस उसके लिए यही बहुत था की उसकी बीवी और बेटा अकेले नहीं थे।
उस दिन के बाद से मै पर्मनेंट्ली राबिया के घर में शिफ्ट हो गयी, वैसे भी शाजिद दो साल में आएगा, जब वो आता तब तक मैं अपना कोई और इंतिज़ाम कर लुंगी , राबिया के साथ शिफ्ट करने से अब पापा वाला डर ख़तम हो गया था लेकिन दीपक का पन्गा अभी तक था, वो रोज़ किसी ना किसी बहाने से मेरे ऑफिस के बाहर अधमाकता और फिर वही ज़िद दुहराता रहता की तुझे मैंने और किसी का होने नहीं दूंगा।
मैं रोज़ दीपक के साथ ऑफिस से सीधा अपने घर आती हूँ और वहा मम्मी के पास कुछ समय गुज़ार कर वापिस राबिया के घर चली जाती हूँ।
यही आजकल मेरा रूटीन है, राबिया के घर में होने के कारण मैं आपसे भी ज़ायदा बात नहीं कर पाती क्यूंकि मुझे घर आकर अयान का भी धयान करना होता है और रस्ते में दीपक के कारण भी बात नहीं कर पाती आपसे ,
आपने जब अब ये घूमने चलने के लिए कहा तो मैं इसीलिए झट से तैयार हो गयी क्यूंकि मैं खुद आपके साथ समय गुज़ारना चाहती थी लेकिन मेरे जीवन में इतने बखेरे है की मैं उन्ही में उलझी रह गयी, और अब जो ये मौका मिला तो आज मैं आपके साथ इस खूबसूरत होटल में अपनी ज़िन्दगी के सबसे अच्छे पल बिता रही हूँ , इतना कह कर चन्द्रमा खामोश हो गयी।