नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम ऋषि है, मैं 18 साल का हूँ।
दोस्तो, मेरा मानना है कि हर किसी के जीवन में कभी कभी ऐसा समय ज़रूर आता है जब सेक्स और चुदने चुदवाने की इच्छा तन और मन पर हावी होने लगती है। ऐसे में अक्सर अपने घर की औरतों को देखने का हमारा नजरिया भी बदलने लगता है और कभी न कभी हम उन्हें चोद डालने के बारे में सोचते भी हैं।
खैर, मैं अपने परिवार पर वापिस आता हूँ, मेरे परिवार में मैं, मेरी मॉम और पापा हम 3 लोग हैं। मेरी मॉम का नाम सौम्या है, 40-41 की उम्र की वो औरत एक बेहद कामुक बदन की मालकिन है, 34-30-34 की फिगर, गोरा रंग और वासना से भरी हुई!
मेरे स्कूल में हम सब दोस्त अक्सर आपस में बैठ कर सेक्स और चुदाई की बातें किया करते और अक्सर एक दूसरे की माओं पर भी तंज कसते।
हर महीने के आखिरी शनिवार को जब स्कूल में parent-teacher meet होती तब हम सब की मम्मियां हमारे स्कूल आती और हम भी उन सारी कुत्तियों को देख-देख कर अपनी आँखें गरम करते और एक दूसरे को चिढ़ाया करते।
मम्मी पापा की चूत चुदाई
धीरे-धीरे मेरी यह आदत और ज्यादा बढ़ती गई और मैं रात के समय चोरी-चोरी अपने मॉम-बाप की चूत चुदाई देखने लगा। मेरा बाप रोज रात को मेरी मॉम को कुत्ती बना कर उसे बुरी तरह पेलता और अक्सर चुदाई के दर्द से मेरी मॉम की आँखों में आँसू आ जाते और उस छिनाल की ऐसी हालत देख कर मेरा लौड़ा पूरी तरह गर्म और कड़क हो जाता।
अब तो सपनों में भी मुझे मेरा बाप मेरी मॉम को ठेलते हुए नज़र आता। खैर इसी तरह करते करते काफी वक़्त गुज़र गया और अब मेरे लिए यह सामान्य सी बात हो गई।
एक दिन मेरे स्कूल में किसी सम्मेलन का आयोजन था तो हम सब दोस्तों ने मिलकर चुपके से स्कूल से भागने का सोचा, सब चुपचाप पिछले गेट से होकर निकल गये और अपनी खास जगह पर पहुँच गये।
इससे पहले कि हम अपनी महफ़िल जमा पाते, बारिश ने हमारा सारा खेल बिगाड़ दिया। स्कूल तो वापस जा नहीं सकते थे तो सब अपने अपने घर की तरफ भाग गये।
मम्मी गैर मर्द से चूत चुदवा रही थी
मैं पूरी तरह भीगा हुआ घर पहुंचा और अभी बैग भी नहीं उतारा था कि मॉम की कामुक सिसकारियों की आवाज़ मेरे कानों में गूँज उठी।
मैंने सोचा- ओह्ह्ह ! लगता है आज पापा जल्दी लौट आये और आते ही मां की चूत चोदने का काम चालू कर दिया।
मैं उत्तेज़ना से भरा हुआ फ़ौरन अपनी मॉम के कमरे की ओर बढ़ा और दरवाज़े के ऊपर बने रोशनदान से देखने लगा।
लेकिन जैसे ही अंदर का नज़ारा मेरी आँखों के सामने आया, मेरी तो आंखें फटी की फटी ही रह गई, मेरी मॉम मेरे बाप के नहीं बल्कि हमारे मोहल्ले के लेडीज टेलर मोहन के नीचे अपनी फुद्दी मरवा रही थी।
यह देखकर मेरी तो सारी ठरक छूमन्तर हो गई और दिमाग गुस्से के मारे उबलने लगा ‘साली राण्ड छिनाल कुतिया कहीं की… रात को पापा और दिन को इस मुहल्ले के टेलर से अपना भोसड़ा पेलवा रही है? उफ्फ…फ्फ… कितनी चुदक्कड़ है मेरी मां साली!’
मॉम फर्श पर खड़ी थी, अपने दोनों हाथ बिस्तर पर रख कर आगे की तरफ झुकी हुई थी और वो साला हरामी पीछे से उसकी फुद्दी में अपना लौड़ा ठूंस रहा था।
दोस्तो, मेरा मानना है कि हर किसी के जीवन में कभी कभी ऐसा समय ज़रूर आता है जब सेक्स और चुदने चुदवाने की इच्छा तन और मन पर हावी होने लगती है। ऐसे में अक्सर अपने घर की औरतों को देखने का हमारा नजरिया भी बदलने लगता है और कभी न कभी हम उन्हें चोद डालने के बारे में सोचते भी हैं।
खैर, मैं अपने परिवार पर वापिस आता हूँ, मेरे परिवार में मैं, मेरी मॉम और पापा हम 3 लोग हैं। मेरी मॉम का नाम सौम्या है, 40-41 की उम्र की वो औरत एक बेहद कामुक बदन की मालकिन है, 34-30-34 की फिगर, गोरा रंग और वासना से भरी हुई!
मेरे स्कूल में हम सब दोस्त अक्सर आपस में बैठ कर सेक्स और चुदाई की बातें किया करते और अक्सर एक दूसरे की माओं पर भी तंज कसते।
हर महीने के आखिरी शनिवार को जब स्कूल में parent-teacher meet होती तब हम सब की मम्मियां हमारे स्कूल आती और हम भी उन सारी कुत्तियों को देख-देख कर अपनी आँखें गरम करते और एक दूसरे को चिढ़ाया करते।
मम्मी पापा की चूत चुदाई
धीरे-धीरे मेरी यह आदत और ज्यादा बढ़ती गई और मैं रात के समय चोरी-चोरी अपने मॉम-बाप की चूत चुदाई देखने लगा। मेरा बाप रोज रात को मेरी मॉम को कुत्ती बना कर उसे बुरी तरह पेलता और अक्सर चुदाई के दर्द से मेरी मॉम की आँखों में आँसू आ जाते और उस छिनाल की ऐसी हालत देख कर मेरा लौड़ा पूरी तरह गर्म और कड़क हो जाता।
अब तो सपनों में भी मुझे मेरा बाप मेरी मॉम को ठेलते हुए नज़र आता। खैर इसी तरह करते करते काफी वक़्त गुज़र गया और अब मेरे लिए यह सामान्य सी बात हो गई।
एक दिन मेरे स्कूल में किसी सम्मेलन का आयोजन था तो हम सब दोस्तों ने मिलकर चुपके से स्कूल से भागने का सोचा, सब चुपचाप पिछले गेट से होकर निकल गये और अपनी खास जगह पर पहुँच गये।
इससे पहले कि हम अपनी महफ़िल जमा पाते, बारिश ने हमारा सारा खेल बिगाड़ दिया। स्कूल तो वापस जा नहीं सकते थे तो सब अपने अपने घर की तरफ भाग गये।
मम्मी गैर मर्द से चूत चुदवा रही थी
मैं पूरी तरह भीगा हुआ घर पहुंचा और अभी बैग भी नहीं उतारा था कि मॉम की कामुक सिसकारियों की आवाज़ मेरे कानों में गूँज उठी।
मैंने सोचा- ओह्ह्ह ! लगता है आज पापा जल्दी लौट आये और आते ही मां की चूत चोदने का काम चालू कर दिया।
मैं उत्तेज़ना से भरा हुआ फ़ौरन अपनी मॉम के कमरे की ओर बढ़ा और दरवाज़े के ऊपर बने रोशनदान से देखने लगा।
लेकिन जैसे ही अंदर का नज़ारा मेरी आँखों के सामने आया, मेरी तो आंखें फटी की फटी ही रह गई, मेरी मॉम मेरे बाप के नहीं बल्कि हमारे मोहल्ले के लेडीज टेलर मोहन के नीचे अपनी फुद्दी मरवा रही थी।
यह देखकर मेरी तो सारी ठरक छूमन्तर हो गई और दिमाग गुस्से के मारे उबलने लगा ‘साली राण्ड छिनाल कुतिया कहीं की… रात को पापा और दिन को इस मुहल्ले के टेलर से अपना भोसड़ा पेलवा रही है? उफ्फ…फ्फ… कितनी चुदक्कड़ है मेरी मां साली!’
मॉम फर्श पर खड़ी थी, अपने दोनों हाथ बिस्तर पर रख कर आगे की तरफ झुकी हुई थी और वो साला हरामी पीछे से उसकी फुद्दी में अपना लौड़ा ठूंस रहा था।