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आपने पिछले भाग अनजानी चुत - ३ में पढा था कि, पहली चुदाई के बाद हम दोनों ने एक दूसरों को साफ कर दिया था। लेकिन फिर भी वो वहीं रुकी रही। तो मैंने उससे पूछा, "क्या हुआ ? सफाई तो हो गई, अब चलो भी।" तो उसने कहा, "तुम बाहर जाओ, मुझे टॉयलेट जाना है।" इस बात पर मेरी हँसी निकल गई, जिसके साथ अभी वो चुदाई का रंगीन खेल खेलकर आई थी उसी से वो शरमा रही थी। तो मैं उससे बोला, "अब हम दोनों ने एक दूसरों को अच्छी तरह से अंदर बाहर से देख तो लिया ही है। तो अब तुम क्यों शरमा रही हो ? जो भी करना है मेरे सामने ही करना पडेगा, तब तक मैं कहीं नही जानेवाला।" उसे भी जोर की लगी थी शायद, इसलिए उसने बहस करना ठीक नही समझा और सीधे जाकर कमोड पे बैठ गई और हल्का होने में लग गई। लेकिन शायद वो अभी भी पूरी तरह मजे लेने के बाद भी खुली नही थी, तो मैंने उसे वहां छोडकर रूम में आना ही ठीक समझा। मैंने रूम में आकर टाइम देखा तो, 4 बज रहे थे। मुझे उसे स्टेशन तक छोडकर आना भी था। अभी मेरा उसकी गांड मारने का मन था, लेकिन हमारे पास समय नही था। क्योंकि उसे टाइम पर घर पहुंचना था, तो मैंने ज्यादा जिद ना करते हुए उसे बोला, "बस एक बार तुम्हारी गांड के साथ मजे करेंगे। आखरी बस कब की है?" तो उसने कहा, "बस तो आठ तक चलती रहेगी। लेकिन वहा तो बहुत दर्द होगा, मैंने अब तक सिर्फ एक ही बार गांड मरवाई है।" इस पर मैंने कहा,"मैं बहुत आराम से करूँगा, तो तुम्हें चिंता करने की कोई बात नही है।" यह मेरा पहला अवसर था कि, मैं किसी की गांड में अपना लंड डालने जा रहा हूँ। अब हम दोनों नंगे ही बेड पर बैठे हुए थे। मै उसके जवाब का इंतजार कर रहा था। तभी उसने कहा, "ठीक है, लेकिन हम यहां से सात बजे निकल लेंगे।" उसने मैंने हां कहते ही मैने उसे अपने बाहुपाश में कैद कर लिया। और उसी हालत में मैने उसे पीछे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और मैं भी उसके ऊपर आ गया। मैने महसूस किया कि, अब की बार मै पहले से थोडा ज्यादा उत्तेजित था; मैने चुत तो बहुतों की मारी है लेकिन गांड मारने का यह पहला मौका था। अब मैं बेड पर रानी के ऊपर था और मेरे लंड महाशय अपने पूरे जोश में उसके चुत के द्वार पे दस्तक दे रहा था। रानी के कडक चुचे मेरी छाती से टकराकर मुझे जन्नत का मजा दे रहे थे। उसके चुचे बहुत ही मस्त थे, जैसे एकदम उठे हुए पहाड की चोटियां। उन्हें देखते ही मेरे हाथ उनकी तरफ चल देते है। मै ऊपर उसके चेहरे पे चुम्मियों की बरसात कर रहा था। उसके हाथ भी मेरी पीठ पर घूम रहे है जिससे बीच बीच मे मेरे पूरे शरीर मे एक सिरहन सी दौड जाती। थोडी ही देर में हमारी जुबान एक दूसरे के मुंह मे आने-जाने लगी थी। कभी वो मेरे होंठ चूसती तो कभी मै उसके होंठ को हल्के से काट देता। अब तो मेरे हाथ उसके पूरे बदन पर घूमकर सहला रहे थे। और उसके आम जैसे चूचों को मसल रहे थे। उसके मुंह से सिसकियां निकल रही थी। वो भी अब उसके हाथ मेरे लंड के इर्द गिर्द घुमाने लगी। मतलब अब दोनों तरफ से गांड चुदाई के लिए हम तैयार थे। तो मैंने एक बार उसके दाएं चूची को काटकर उठ खडा हुआ। उसे समझ नही आया मैं क्या करना चाहता हूं, तो उसने मेरी तरफ प्रश्न वाचक नजर से देखा। तो मैंने कहा, "अब जरा तेरी गांड के छेद के दर्शन भी करवा दे।"
मेरा इतना कहना था, कि वो उठकर डॉगी स्टाइल में झुककर अपनी गांड को पीछे की तरफ उठा दिया। अब उस पोजिशन में उसकी गांड एकदम मस्त उभरकर मेरे सामने आ रही थी। मैंने सबसे पहले उसके चुतड़ों को अपने हाथों में लेने की कोशिश की, लेकिन वो बडे और गद्देदार होने की वजह से मेरे हाथों में समा नही रहे थे। तो मैंने थोडा आगे होकर पहले उसके दोनों चुतड़ों पर एक एक प्यार भरा चुम्बन दे दिया और फिर उसके पीठ पर झुक गया। पीठ पर चूमते हुए, अपनी एक उंगली को उसकी गांड के छेद के पास लाकर छेद को कुरेदने लगा। जैसे ही मैने अपनी उंगली से उसके गांड के छेद को कुरेदना शुरू किया, उसके मुख से मादक आवाजें निकलना शुरू हो गया। यहां मैं आप सभी को एक और बात बताने चाहूंगा, हर औरत के पास एक कला होती है। जिससे वो दुनिया के किसी भी आदमी को खुश कर सकती है, जब भी आदमी कुछ हरकत करने जा रहा हो तो औरत की मादक आवाजें और जोश बढाने का काम करते है। अब असली समस्या यहां ये आती है, की कुछ लोग अपनी बीवियों को घर मे चोदते है तो वो मादक आवाजें नही निकालती। इसका मतलब यह नही होता कि, वो इस पल में मजे नही उठा रही। घर मे सबके होने पर वो कैसे आवाजें निकाल सकती है? इसीलिए सब कहते है, अपने परिवार को समय दो और कहीं घूमकर आओ। अब वापस अपनी कहानी पर आते है, रानी की मादक आवाजें सुनकर मेरा जोश और बढ गया। उसकी सिसकारियां बढती ही जा रही थी। वो बोलने लगी, "आह..आ ह मेरे राजा और जोर से..फाड़ डाल आज इसे। जिसने पहले इसमें अपना लंड डाला था उसका तो तुझसे आधा ही था। तो असली मायने में आज इसका उदघाट्न होगा।" इसी जोश में मैने उत्साह में अपनी पूरी उंगली एक ही झटके में उसकी गांड में घुसा दी। उसकी गांड ज्यादा खुली हुई नही थी, तो उसे भी दर्द होने लगा। और वो चिल्लाने लगी। चिल्लाते हुए वो बोलने लगी, "हाय राम मार डाला रे, आराम से नही कर सकता था साले। फोकट का माल समझ के रखा है क्या जो रण्डी समझ के चोदे जा रहा है।" मैने भी उसके जवाब में उससे कह दिया, "साली ज्यादा नखरे मत कर, और रही बात रण्डी की, तो आज से तू मेरी रखैल है। और अगर रण्डी बनने का इतना ही शौक है, तो तुझे मेरे दोस्तों से चुदवाकर रण्डी भी बना दूंगा।" तो मैं उसके पीठ से हटके उसके बगल में आ गया, हालांकि मैने अपनी उंगली उसकी गांड से नही निकाली। और उसके मुंह को उठाकर मैने उसे चूमना चालू कर दिया। चूमने की वजह से उसका चिल्लाना तो बन्द हुआ, लेकिन अब वो मेरे होंठो को काट रही थी। जैसे ही वो मेरे होंठ को काटना शुरू करती, मैं अपनी उंगली उसकी गांड में और अंदर घुसा देता। उसके मुंह से बस गुँ गुँ की आवाज ही बाहर आ रही थी। मेरे ऐसा करने से वो एकदम से उचक कर बैठ जाती और मेरे होंठ को छोड देती। थोडी ही देर में उंगली ने उसकी गांड में अपनी जगह बना ली जिस वजह से उंगली अब आसानी से अंदर बाहर हो रही थी। तो मैंने उसके एक होंठ को अपने होंठों में कैद करके चूसते हुए, धीरे धीरे अपनी दूसरी उंगली भी उसकी गांड में घुसानी शुरू कर दी। उसे और दर्द होने लगा, तो मैंने उठकर पहले वैसलिन को पास ले लिया। वैसलिन को उसके गांड के छेद के आसपास डाल दिया। फिर अपनी कबीच वाली एक उंगली पर ढेर सारा वैसलिन लेकर उसकी गांड के छेद के अंदर डाल दिया। और अपनी उंगली उसकी गांड के अंदर डालकर उसकी गांड के छेद को अंदर से भी चिकना बनाने की कोशिश करने लगा। थोडी देर ऐसे ही करने के बाद अब बहुत आसानी से मेरी उंगली रानी की गेंद के छेद में अंदर बाहर हो रही थी। तो अब मैंने एकसाथ दो उंगलियां उसकी गांड में डालनी चाही, लेकिन फिर उसके मुख से चीख निकल गई। तो मुझे एक तरकीब सूझी, मैंने उसे डॉगी स्टाइल में होने को कहा। और मैं उसके आगे जाकर अपने घुटनों पे खडा हो गया। अब इससे मेरा लंड उसके सर के ऊपर था। तो मैंने उसके कंधो को पकडकर उसको उतना ही उठाया, जिससे वो मेरा लौडा मुंह मे लेकर चूस सके। उसे भी समझ आ गया था कि, मै क्या चाहता हूं। तो उसने भी बिना देर किए, मेरा लौडा अपने मुंह मे भर लिया। उसके मुंह मे मेरा लौडा जाते ही लंड और फूलने लगा। मैने अब उसके पीठ पर से होते हुए अपने हाथ उसके चुतड़ों पे टिका दिए। उसके दोनों चुतड़ों को अच्छे से, पूरे प्यार के साथ सहलाया। और सहलाते हुए उसके चुतड़ों पे कुछ जोरदार चांटे भी जड दिए, जिससे वो पूरे लाल हो गए। अब वो तो चिल्ला भी नही सकती, जैसे ही वो चिल्लाने के लिए अपना मुंह खोलने की कोशिश करती तो मै बस थोड़ा और आगे हो जाता। मेरे इस तरह आगे होने से मेरा लंड उसके मुंह के जड तक जाता और वो बस गुँ गुँ करके रह जाती। आगे की कहानी अगले भाग में पढकर मजा लीजिए। आपको यह कहानी कैसी लगी बताना मत भूलियेगा। कमैंट्स सेक्शन में जरूर बताइयेगा आपको कहानी में क्या पसंद आया। धन्यवाद।
 
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